/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:why
पुतिन ने अब तक ट्रंप को क्यों नहीं दी जीत की बधाई, अमेरिका-रूस के रिश्तों पर आया बड़ा बयान

#whyputinnotyetcongratulatedtrumponhisvictory

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में इतिहास रचने वाले डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया भर के नेताओं ने बधाई दी है। लेकिन रूस के राष्ट्रपति पुतिन की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया है।दुनिया के प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों की ओर से ट्रंप को बधाई दिए जाने के बीच पुतिन का ये कदम चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है। रूस की ओर से अमेरिका को अमित्र देश बताया गया है।

दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ किया कि वो फिलहाल अभी डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने नहीं जा रहे हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने की योजना नहीं बना रहे हैं। दिमित्री ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसे अमित्र देश के बारे में बात कर रहे हैं जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है।यूक्रेन में चल रहे युद्ध का जिक्र करते हुए पेसकोव ने कहा कि ‘अमेरिका इस संघर्ष को बढ़ावा देता है और इसमें हिस्सा लेता है। अमेरिका इस विदेश नीति को बदलने में सक्षम है. यह किया जाएगा या नहीं और यह कैसे किया जाएगाष

बता दें कि मास्को ने दर्जनों देशों को ‘अमित्र’ के रूप में नामित किया है, जो रूस के हितों के लिए शत्रुतापूर्ण माने जाते हैं। इसमें आर्थिक प्रतिबंध लगाना और यूक्रेन का समर्थन करना शामिल है, क्योंकि वह रूस के के खिलाफ खुद में शामिल है।

रूस को अमेरिका के रुख का इंतजार

रूस ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं, लेकिन क्रेमलिन का दरवाजा बातचीत के लिए खुला है। अभी रूस को इस बात का इंतजार है कि जब जनवरी में डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस लौटते हैं तो क्या होता है।

जेलेंस्की ने ट्रंप को दी जीत की बधाई

वहीं, दूसरी तरफ यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्रंप को चुनावी जीत के लिए बधाई दी है। जेलेंस्की ने दुनिया के मामलों में ताकत के जरिये से शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उनकी सराहना की। अपने चुनाव अभियान के दौरान, ट्रंप ने यूक्रेन में युद्ध से निपटने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के तरीके की आलोचना की। ट्रंप ने दावा किया कि अगर वह अभी भी पद पर होते, तो रूस कभी भी पूरे पैमाने पर हमला शुरू नहीं करता। पुतिन और जेलेंस्की दोनों के साथ अपने अच्छे संबंध का दावा करते हुए, ट्रम्प ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने पर पदभार ग्रहण करने से पहले यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने का वादा किया है।

जंग के बीच नेतन्याहू ने अपने रक्षा मंत्री गैलेंट को क्यों हटाया, क्या इजराइल में सब ठीक नहीं?

#why_israel_pm_benjamin_netanyahu_sacked_his_defence_minister 

गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह सहित एक साथ कई मोर्चों पर इजराइल युद्ध लड़ रहा है। जंग के इस मुश्किल हालात के बीच इजरायल से चौंकाने वाली खबर आई है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को बर्खास्त कर दिया है। उनकी जगह पूर्व विदेश मंत्री इजरायल काट्ज को रक्षा मंत्री बनाया गया है। नेतन्याहू ने याव गैलेंट को हटाने के लिए 'विश्वास के संकट' को वजह बताई जो 'धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।' इसके पीछे पीएमओ की ओर से तर्क दिया गया है कि युद्ध प्रबंधन को लेकर दोनों नेताओं के बीच लगातार मतभेद बढ़ रहे थे।

बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इजरायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और हमें निर्णायक जीत की ओर ले जाना है। युद्ध के समय में, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बीच पूर्ण विश्वास होना बेहद जरूरी है। दुर्भाग्यवश, जबकि शुरुआती महीनों में हमारे बीच यह विश्वास था और हमने बहुत कुछ हासिल किया, हाल के महीनों में मेरे और रक्षा मंत्री के बीच यह विश्वास कम हो गया है।”

बेंजामिन नेतन्याहू ने आगे कहा, “गैलेंट और मेरे बीच ऑपरेशन के मैनेजमेंट को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए। ये मतभेद सरकार और कैबिनेट के फैसलों के विपरीत बयानों और कार्यों के साथ सामने आए। मैंने इन मतभेदों को सुलझाने के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन ये और बढ़ते गए। ये मुद्दे सार्वजनिक रूप से सामने आए, जो कहीं से भी मंजूर नहीं था, और इससे भी बुरा यह कि हमारे दुश्मनों को इसका फायदा मिला और उन्होंने इसके मजे लिए।

योआव गैलेंट पूर्व इजरायली जनरल हैं, जिन्हें सुरक्षा के प्रति उनके व्यवहारिक और सीधे नजरिए के लिए जाना जाता है। गैलेंट की इजरायल के 13 महीने के गाजा अभियान के दौरान भूमिका के लिए तारीफ की जाती रही है। उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन समेत अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मजबूत संबंध बनाए। गैलेंट के रक्षा मंत्री रहते इजरायली सेना ने ईरान पर सफल हमला किया, जिसमें उसकी मिसाइल सुविधाओं को निशाना बनाया गया।

गाजा में जारी युद्ध के दौरान नेतन्याहू और गैलेंट के बीच कई बार मतभेद उभरे हैं। हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें बर्खास्त करने से परहेज किया। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया। नेतन्याहू ने पिछले साल मार्च में जब गैलेंट को बर्खास्त करने की कोशिश की थी, तो उनके इस कदम के खिलाफ देश में प्रर्दशन हुआ था। इस बार भी नेतन्याहू के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। नारेबाजी कर रहे हैं। इजराइल के पीएम और उनके घर के आसपास सभी सड़कें बंद कर दी गई हैं।

पीएम मोदी ने धनतेरस पर राम मंदिर का जिक्र किया, '500 साल बाद दिवाली मनाएंगे भगवान राम...':

#pm_modi_on_dhanteras_shares_why_this_diwali_is_special

PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि इस साल की दिवाली "खास" है, क्योंकि 500 ​​साल में पहली बार भगवान राम अयोध्या मंदिर में त्योहार मनाएंगे।

"मैं धनतेरस पर सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। सिर्फ दो दिनों में, हम दिवाली भी मनाएंगे, और इस साल की दिवाली विशेष रूप से खास है। 500 साल बाद, भगवान राम अयोध्या में अपने भव्य मंदिर में विराजमान हैं, और यह उनके साथ उनके भव्य मंदिर में मनाई जाने वाली पहली दिवाली होगी। हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसी खास और भव्य दिवाली देखने को मिल रही है," पीएम मोदी ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा।

2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि को हिंदू पक्ष को देने का फैसला सुनाते हुए मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। कोर्ट ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में एक बड़ा भूखंड आवंटित करने का भी आदेश दिया था। इस साल जनवरी में अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। मंदिर की यह पहली दिवाली होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें उद्योगपतियों, बॉलीवुड अभिनेताओं और क्रिकेटरों सहित हजारों गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

उन्होंने रोजगार मेले के तहत नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले सभी युवाओं को बधाई दी। "इस उत्सवी माहौल में, आज इस पावन दिन पर रोजगार मेले में 51,000 युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं। मैं आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। भारत सरकार में देश के लाखों युवाओं को स्थायी सरकारी नौकरी देने का सिलसिला जारी है। भाजपा और एनडीए शासित राज्यों में भी लाखों युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं," प्रधानमंत्री ने कहा।

प्रधानमंत्री ने हरियाणा सरकार में नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले युवाओं को भी बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा, "हरियाणा में हमारी सरकार की एक विशेष पहचान है। वहां की सरकार नौकरियां तो देती है, लेकिन बिना किसी खर्चे और बिना किसी पर्ची के देती है। आज मैं उन युवाओं को विशेष रूप से बधाई देता हूं, जिन्हें हरियाणा सरकार से नियुक्ति पत्र मिले हैं। इसके अलावा, यह भी उल्लेखनीय है कि हरियाणा में नवगठित सरकार ने लगभग 26,000 युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करके एक अनुकरणीय शुरुआत की है।"

भारत में पहली बार बनेंगे C-295 मिलिट्री एयरक्राफ्ट, रफ्तार देख थम जाएगी दुश्मनों की सांस, जानें इसकी खासियत

#whyc295aircraftimportantforindia

अब एयरबस के C-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भारत में ही बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) परिसर में C-295 एयरक्राफ्ट के निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी मौजूद रहे। भारत के C-295 कार्यक्रम में कुल 56 एयरक्राफ्ट होंगे जिनमें से 16 सीधे एयरबस डिलीवर करेगा और बाकी 40 भारत में बनाए जाएंगे। इन 40 C-295 विमानों को बनाने की जिम्मेदारी 'टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड' की होगी। इसके साथ ही भारत के रक्षा क्षेत्र में बड़ा कायाकप्ल होगा।

यह प्रोजेक्ट अहम इसलिए भी है, क्योंकि पहली बार देश में कोई निजी कंपनी सेना के लिए प्लेन बनाएगी। यह पहली बार है जब कोई निजी कंपनी भारत में पूरा का पूरा मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगी। साल 2021 में 56 C-295 एयरक्राफ्ट के लिए 21हजार 935 करोड़ रुपये की टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट के तहत डील हुई थी। इस डील के तहत भारत को पिछले साल सितंबर के पहला C-295 एयरक्राफ्ट मिल गया था। डील में 56 विमानों में से पहले 16 विमान स्पेन और बाकी भारत में बनाए जाएंगे। 40 C-295 एयरक्राफ्ट के निर्माण के लिए वडोदरा में टाटा ने एयरबस के साथ मिलकर मैनुफैक्चरिंग कॉम्लेक्स बनाया है।

यह विमान सैनिकों को ध्यान में रखकर खास डिजाइन किया गया है। इसे कार्गो से लेकर जवानों तक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए यूज किया जा सकता है। एयरक्राफ्ट को कई तरह के मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें ट्रांसपोर्ट, पैराशूट ड्रॉपिंग, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस (ELINT), मेडिकल निकासी (MEDEVAC), और समुद्री गश्त शामिल हैं। बाकी कार्गो विमानों की तुलना में इस विमान का टेकऑफ टाइम कम है।सी-295 एक मीडियम साइज का विमान जो किसी भी तरह की हवाई पट्टी पर उतारा जा सकता है।

कम वजन के ट्रांस्पोर्टेशन के लिए अहम C-295 एयरक्राफ्ट

यह कॉम्प्लेक्स देश का पहला निजी फाइनल असेंबली लाइन है, जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगा। भारतीय वायुसेना, के लिए ट्रांसपोर्ट विमान भारत के लिए बेहद जरूरी है, जिससे सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकें। C-295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारतीय सेना केलिए अहम साबित होने वाला है।

C-295 एयरक्राफ्ट की कितनी है क्षमता?

सी-295 एयरक्राफ्ट की फंक्शनिंग की बात करें तो इसे दो पायलट्स उड़ाते हैं। इसमें एक साथ 73 सैनिक, 48 पैराट्रूपर्स, 12 स्ट्रेचर इंटेसिंव केयर मेडवैक, या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मिडिकल अटेंडेंट सफर कर सकते हैं। डायमेंशंस का उल्लेख करें तो यह C-295 एयरक्राफ्ट 9250 KG का वजन उठा सकता है। इसकी लंबाई 80.3 फीट, विंगस्पैन 84.8 फीट, ऊंचाई 28.5 फीट है।

कौन हैं पाक के नए चीफ जस्टिस याह्या अफरीदी, जानें नियुक्ति पर क्यों हो रहा बवाल?

#whoisjusticeyahyaafridinextcjpwhycontroversy

पाकिस्तान की विशेष संसदीय कमेटी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस को चुन लिया। कमेटी ने लंबी चली बैठक के बाद तीन सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में अगले चीफ जस्टिस के रूप में याह्या अफरीदी को नामित किया है।अफरीदी का चयन हाल ही में हुए 26 वें संविधान संशोधन के तहत किया गया है, इस संशोधन ने न्यायपालिका में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिसमें मुख्य न्यायाधीश के चयन के लिए एक विशेष संसदीय समिति (SPC) की स्थापना शामिल है।

हाल ही में किए गए संविधान के 26वें संशोधन ने न्यायपालिका के संबंध में कई बदलाव लागू किए, जिनमें से एक विशेष संसदीय समिति (एसपीसी) द्वारा तीन शीर्ष न्यायाधीशों में से चीफ जस्टिस की नियुक्ति करना शामिल था, जबकि पिछले नियम के हिसाब से सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को वरिष्ठता सिद्धांत के तहत चीफ जस्टिस नियुक्त किया जाता था।

विशेष संसदीय समिति (SPC) की स्थापना से पहले वरिष्ठता के आधार पर चीफ जस्टिस का चयन होता था। याह्या अफरीदी के साथ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर भी इस दौड़ में शामिल थे। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा 25 अक्टूबर को शीर्ष न्यायाधीश से रिटायर होने वाले हैं। न्यायमूर्ति शाह को पहले वरिष्ठता सिद्धांत के तहत अगला CJP बनाया जाना था।

हालांकि, अनुच्छेद-175ए के खंड-3 में किए गए संशोधन के बाद राष्ट्रपति 'शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश' को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त नहीं कर सकेंगे। इसके बजाय, अब विशेष संसदीय समिति की सिफारिश के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के तीन सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में से किसी एक को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

याह्या अफरीदी कौन हैं

जस्टिस अफरीदी का जन्म 23 जनवरी 1965 को डेरा इस्माइल खान में हुआ था। वह कोहाट सीमांत क्षेत्र में स्थित अफरीदी जनजाति से हैं। वो बांदा गांव के निवासी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के एचीसन कॉलेज में प्राप्त की। उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से अर्थशास्त्र में कला में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उल्लेखनीय है कि 59 वर्षीय अफरीदी ने 1990 में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और देश के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के बाद 2018 में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

ज्यादा बच्चे पैदा करने की पैरवी नायडू-स्टालिन, जानें क्या डर सता रहा दोनों नेताओं को

#after_chandrababu_why_stalin_urges_people_to_have_more_kids

भारत की आबादी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। इसकी शुरूआत दक्षिण के राज्यों से ही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपने-अपने राज्यों के लोगों से कहा है कि अधिक बच्चे पैदा करें। आंध्र प्रदेश के सीएम ने राज्य की 'वृद्ध होती आबादी' का मुद्दा उठाया, जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 तक होने वाले परिसीमन के लिए 'समाधान' के रूप में '16 बच्चे' पालने वाले दंपतियों की बात की। मामले को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को जनसांख्यिकीय परिवर्तन के मुद्दे को परिसीमन प्रक्रिया से जोड़ते हुए सुझाव दिया कि राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। तमिनलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं। स्टालिन ने कहा कि अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने जनगणना और लोसकभा परिसीमन प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि नवविवाहित जोड़े अब कम बच्चे पैदा करने का विचार त्याग सकते हैं।

स्टालिन की यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तरफ से अधिक बच्चे पैदा करने की इसी तरह के बयान के एक दिन बाद आई है। इससे पहले नायडू ने रविवार को घोषणा की कि उनका प्रशासन एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहा है जिसके तहत केवल दो या उससे अधिक बच्चे वाले व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने राज्य की बढ़ती उम्र की आबादी और जनसांख्यिकीय संतुलन पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था।

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में आबादी बूढ़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने जीवनकाल में दो से अधिक बच्चों को जन्म देना चाहिए। आंध्र प्रदेश की जन्म दर प्रति महिला 2.1 जीवित जन्मों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। नायडू का कहना था कि हमें अपनी जनसंख्या को मैनेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2047 तक, हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश होगा, अधिक युवा होंगे। 2047 के बाद, अधिक बूढ़े लोग होंगे। ऐसे में यदि दो से कम बच्चे (प्रति महिला) जन्म लेते हैं, तो जनसंख्या कम हो जाएगी। यदि आप (प्रत्येक महिला) दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, तो जनसंख्या बढ़ेगी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिणी राज्यों को 2026 में होने वाले परिसीमन के कारण संसदीय प्रतिनिधित्व में संभावित बदलावों का सामना करना पड़ रहा है। अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है, तो 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा। थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रकाशित ‘भारत के प्रतिनिधित्व का उभरता संकट’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में तमिलनाडु और केरल राज्य मिलकर 16 सीटें खो देंगे।

Find Your Vibe: where FOMO is never on the table

 

Find Your Vibe connects people to the coolest, most action-packed events happening around them. Whether that means live music for one person, being an art enthusiast or discovering the next great festival to try out one's foodie bag, this platform has had all of it covered. Behind the making of this platform is the fun, enthusiastic team that keeps no one from ever missing out!.

FYV is the ultimate personal event guru! It’s a go-to platform for discovering unforgettable experiences that match each user’s unique vibe. Across categories like Concerts, Parties, Stand-up Comedy, Exhibitions, and more!—if it’s happening, users will know about it! The platform curates the coolest events that align with diverse interests, making sure there’s something for everyone. Plus, we also bring exclusive Offers from top brands, so users get more value while enjoying amazing experiences.

Why Was Find Your Vibe Created?

Ever had FOMO pop up after missing an amazing event? So has the team at Find Your Vibe! They built this site because no one should ever feel cut off and left out. Nowadays, it can be really tough to come across those really good events, and let's be honest, there is nothing worse than sifting through page-long endless lists. Find Your Vibe was built to cope with this, to keep users updated, connected, entertained, and as a part of something bigger than just themselves

What’s Next for Find Your Vibe?

This is just the beginning! The vision for Find Your Vibe is to grow into a complete social ecosystem. Personalized event recommendations tailored to each individual, virtual events that bring fun directly to users' screens, and collaborative tools that help forge new friendships and partnerships. The team is on a mission to ensure users thrive—both personally and socially!

Stay tuned for upcoming events in Raipur—from thrilling Concerts to exclusive Exhibitions, epic Parties, chill Meetups, and more happening near you. With our easy booking system, you’ll never miss out on the events you’re Interested in. Whether you're into live vibes or exploring new hobbies, Find Your Vibe keeps you connected to all the exciting happenings in Raipur!

1st Networking Event: “Find Your Vibe!” Recap

The first networking event, "Find Your Vibe," was a resounding success! Like-minded individuals came together to exchange ideas, create new partnerships, and vibe with fresh connections. It was the perfect chance for participants to meet their tribe and explore future collaborations. Stay tuned for more exciting events—there’s always something new coming up!

Event Recap: Strike Showdown – 22nd Sept 2024

The Strike Showdown on September 22nd, 2024, was an absolute hit! Bowling enthusiasts from all over came together for a day filled with friendly competition, great prizes, and unforgettable fun. The atmosphere was electric, with people bonding over shared interests, lively networking, and plenty of laughs.

Top Performers: Congratulations to our standout bowlers who walked away with some fantastic prizes!

New Connections: The event was a great opportunity for participants to meet like-minded people and form lasting connections.

Missed out on this one? Don’t worry—there are plenty more exciting events coming soon! Stay tuned on findyourvibe.in for updates, new offers, and more chances to catch your next favorite event.

All happenings at Find Your Vibe are a chance to connect, discover, and create memories that will last. Whether it's about music, art, food, community gathering, or whatnot, there's something there for everyone.

So, are you ready to say goodbye to FOMO and get dive in to the exciting party? Find Your Vibe is here to guide you. Stay tuned, stay connected, and most importantly—find your vibe. Because life's too short to miss out on the fun!

बाबा सिद्दीकी को मिली थी Y कैटेगरी की सिक्योरिटी, फिर कैसे हो गई हत्या?

#baba_siddiqui_having_y_category_security_why_could_not_be_saved

महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की मुंबई में दशहरा उत्सव पर हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।पूर्व मंत्री और एनसीपी अजित पवार गुट के नेता बाबा सिद्दीकी को Y श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी।जानकारी के मुताबिक 15 दिन पहले बाबा सिद्दीकी को जान से मारने की धमकी मिली थी और इसके बाद उनकी सुरक्षा को बढ़ा दिया गया था। उन्हें Y कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी शनिवार रात को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।

बाबा की हत्या को लेकर उनकी सुरक्षा के मद्देनजर कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये उठ रहे हैं कि बाबा सिद्दीकी को जब Y कैटेगरी की सिक्योरिटी मिली हुई थी फिर भी उनकी हत्या कैसे कर दी गई। हर किसी की जुबान पर लगभग यही बात है कि Y कैटेगरी की सिक्योरिटी होने के बावजूद राकांपा नेता को आरिपियों ने इतने नजदीक जाकर कैसे गोली मार दी? 

पटाखों के शोर के बीच फिल्मी अंदाज में मारी गोली

दरअसल, शनिवार रात मुंबई के बांद्रा ईस्ट इलाके में तीन लोगों ने बाबा सिद्दीकी के बेटे एवं विधायक जीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर फिल्मी अंदाज में 3 राउंड लगातार फायरिंग की। इसके बाद आरोपियों ने पटाखों के शोर के बीच गोली मारकर कथित तौर पर 66 साल के बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी। इसके बाद बाबा सिद्दीकी को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

कानून और व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त एवं सत्तारूढ़ पार्टी के नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जो कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस घटना के बाद कहा, यह भयावह घटना महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की पूर्ण विफलता को उजागर करती है। सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और न्याय होना चाहिए।

वहीं,वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भी राज्य सरकार को घेरा है. शरद पवार ने यह कहकर लोगों को खतरे से अवगत करा दिया है कि अगर गृह मंत्री और शासक इतनी सज्जनता से राज्य की गाड़ी को आगे बढ़ाएंगे तो यह आम लोगों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

क्या होती है Y कैटेगरी की सुरक्षा? 

भारत सरकार उन लोगों को वाई लेवल की सुरक्षा देती है, जिनकी जान को खतरा होता है। यह सुरक्षा कवर का चौथा स्तर है। सुरक्षा दल में 11 लोग होते हैं, जिनमें 1 से 2 पुलिस अधिकारी शामिल होते हैं। इसमें दो पीएसओ भी होते हैं, जो निजी सुरक्षा गार्ड होते हैं। ज़्यादातर मामलों में, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) या राज्य पुलिस के लोगों को वाई ग्रुप में सुरक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है। सुरक्षा कवर के साथ एक कार आती है जिसमें बुनियादी सुरक्षा सुविधाएं होती हैं।

वरिष्ठ सरकारी नेता, न्यायाधीश और अन्य लोग जिन्हें जान का खतरा हो सकता है, उन्हें अक्सर वाई स्तर की सुरक्षा दी जाती है। वाई स्तर की सुरक्षा कवर मशहूर हस्तियों, व्यापारियों और पत्रकारों को भी दी जा सकती है, जिन्हें जान जाने का खतरा होता है।

चुनाव से पहले महायुति में तनाव! कैबिनेट की बैठक छोड़कर क्यों निकले अजित पवार

#mahayuti_growing_crisis_why_ajit_pawar_leave_cabinet_meeting

महाराष्‍ट्र की सत्‍तारूढ़ महायुति (शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी) सरकार में शायद सब कुछ टीक नहीं चल रहा है। राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। महायुति में तनाव की खबरें आ रही है। दरअसल, विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले गुरुवार को यह आखिरी कैबिनेट बैठक थी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार सिर्फ 10 मिनट के लिए बैठक में आये और रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के फौरन बाद चले गए। उनके जाने के बाद ढाई घंटे तक चली बैठक में 38 फैसले ने लिये।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार दनादन कई बड़ी घोषणाएं कर रही है। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। गुरुवार को इसी संदर्भ में मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व में एक ऐसी ही कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई। लेकिन जैसे ही मीटिंग शुरू हुई उसके 10 मिनट के भीतर ही डिप्‍टी सीएम और एनसीपी नेता मीटिंग छोड़कर चले गए। ऐसा तब हुआ जब उसके बाद भी मीटिंग करीब ढाई घंटे चली। उसमें वित्‍त विभाग के कई प्रोजेक्‍ट भी शामिल थे जिन पर फैसले हुए। जबकि वित्‍त विभाग का प्रभार अजित पवार के पास है।

द टाइम्‍स ऑफ इंडिया (टीओआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार इस बात से नाराज थे कि अंतिम समय में अर्जेंट बेसिस पर मीटिंग में कई प्रस्‍तावों को रख लिया गया और इसका कोई सर्कुलर पहले से जारी नहीं किया गया था। वित्‍त विभाग ने कई मसलों पर आपत्तियां उठाई हैं जिनको कैबिनेट में पेश किया गया है।

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह संभव है कि वह कुछ फैसलों से नाखुश थे और अंतिम समय में बिना पूर्व सूचना के कैबिनेट बैठक में बड़ी संख्या में जरूरी प्रस्ताव लाए गए थे। पिछले कुछ हफ्तों में वित्त विभाग ने कैबिनेट में लाए गए कई प्रस्तावों पर आपत्ति जताई थी। हालांकि बार-बार प्रयास करने के बावजूद अजित पवार से उनकी टिप्पणियों के लिए संपर्क नहीं किया जा सका।

बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले भूमि आवंटन, सब्सिडी और गारंटी को मंजूरी देने की होड़ मची हुई है। वित्त विभाग पहले ही चेतावनी दे चुका है कि 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। विभाग ने चेतावनी दी है कि राजकोषीय घाटा जीएसडीपी के 3% को पार कर गया है, जो कि महाराष्ट्र राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन अधिनियम द्वारा तय सीमा है।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में हालिया दिनों में शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की टकराहट देखने को मिली है। 'लड़की बहन योजना' को लेकर दरार काफी दिनों से उभरी हुई है। शिवसेना शिंदे गुट के मंत्री ने योजना के विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम "हटाने" के लिए सहयोगी एनसीपी और उसके अध्यक्ष अजित पवार के खिलाफ खुलेआम आपत्ति जताई गई। शिवसेना से राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई ने डिप्टी सीएम पवार द्वारा 'मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन' योजना को वस्तुतः "हाइजैक" करने का आरोप लगाया। इसके जरिये पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की गई है। इस योजना का पूरा श्रेय अजित पवार की पार्टी ले रही है।

चीन-म्यामांर से घिरा लाओस भारत के लिए कितना अहम? जहां के दौरे पर हैं पीएम मोदी*
#pm_modi_on_visit_to_laos_why_this-country_important_for_india * प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय लाओस दौरे पर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री यहां 21वें आसियान-भारत समिट और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। लाओस की राजधानी वियनतियाने में समिट का आयोजन किया जाएगा। इस साल लाओस आसियान सम्मेलन का मेजबान और वर्तमान अध्यक्ष है। लाओस एक छोटा सा देश है, जिसकी कुल आबादी महज 75 लाख के करीब है। भारत में बिहार की राजधानी पटना की कुल आबादी भी मौजूदा वक्‍त में करीब 75 लाख ही है। पीएम मोदी की लाओस यात्रा के बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर भारत के लिए ये छोटा सा देश रणनीतिक रूप से कितना जरूरी है। भारत-लाओस के संबंध कैसे हैं और भारत के लिए इसे प्राथमिकता देना क्यों जरूरी है। रणनीतिक रूप से यह इसलिए अहम है क्योंकि लाओस की सीमा उत्तर-पश्चिम में म्यांमार और चीन, पूर्व में वियतनाम, दक्षिण-पूर्व में कंबोडिया और पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में थाईलैंड से लगती है। चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण भारत के लिए इस देश की रणनीतिक महत्ता बढ़ जाती है। दरअसल, दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, लाओस हमेशा से व्यापारिक नजरिए से भी अहम रहा है। यही कारण है कि इसपर कभी फ्रांस ने तो कभी जापान ने कब्जा जमाया। 1953 में जब लाओस को आजादी मिली तो चीन ने भी लाओस में अपने प्रभाव को आजमाना शुरू किया।दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी से हर कोई वाफिफ है। चीन इस क्षेत्र में अपने सभी पड़ोसियों पर धोंस जमाने की कोशिश से बाज नहीं आता। इन देशों में लाओस भी शामिल है। *भारत के लिए क्यों अहम है लाओस?* लाओस वैसे तो एक छोटा सा देश है लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति के चलते यह भारत के लिए रणनीतिक और व्यापारिक तौर पर काफी अहम माना जाता है। इसकी सीमा चीन और म्यांमार से लगती है, लिहाजा चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण यह देश रणनीतिक तौर पर भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भारत के इंडो-पैसिफिक विजन का महत्वपूर्ण स्तंभ है, साथ ही साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दखल के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। व्यापारिक नजरिए की बात करें तो दक्षिण पूर्व एशिया में लाओस की भौगोलिक स्थिति के कारण भी यह हमेशा से अहम रहा है। भारत के लिए लाओस कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में और पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 1959 में ही लाओस का दौरा किया था। लाओस को फ्रांस के कब्जे से मुक्ति दिलाने में भी भारत ने इंटरनेशनल कमीशन फॉर सुपरविजन एंड कंट्रोल (ICSC) के चेयरमैन के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी। जुलाई 1954 में जेनेवा संधि के आधार पर ICSC की स्थापना की गई थी, इसका उद्देश्य भारत-चीन के बीच दुश्मनी को खत्म करने और लाओस से फ्रांसिसी उपनिवेशवादी शक्तियों की वापसी कराना था। *भारत और लाओस के बीच संबंध* भारत और लाओस के बीच दशकों पुराने मजबूत संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1956 में डिप्लोमैटिक संबंध स्थापित हुए। तब से अब तक दोनों देशों की ओर से द्विपक्षीय यात्राएं होती रहीं हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में ही लाओस का दौरा किया था। इसके बाद 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लाओस की आधिकारिक यात्रा की थी। 2004 में मनमोहन सिंह और 2016 में प्रधानमंत्री मोदी आसियान-भारत समिट में हिस्सा लेने के लिए लाओस का दौरा कर चुके हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारत की ओर से 50 हजार कोवैक्सीन की डोज और दवाइयां लाओस भेजी गईं थीं। हाल ही में आए तूफान यागी के दौरान भी भारत ने करीब एक लाख डॉलर की आपदा राहत सामग्री लाओस भेजी थी। इसके अलावा लाओस के साथ भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सिविलाइजेशनल संबंध रहें हैं। बौद्ध धर्म और रामायण दोनों देशों की साझा विरासत का हिस्सा हैं। इसी साल 15 से 31 जनवरी के बीच लाओस के रॉयल बैलेट थियेटर के 14 आर्टिस्ट ने भारत में 7वें इंटरनेशनल रामायण मेला में भी हिस्सा लिया था।
पुतिन ने अब तक ट्रंप को क्यों नहीं दी जीत की बधाई, अमेरिका-रूस के रिश्तों पर आया बड़ा बयान

#whyputinnotyetcongratulatedtrumponhisvictory

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में इतिहास रचने वाले डोनाल्ड ट्रंप को दुनिया भर के नेताओं ने बधाई दी है। लेकिन रूस के राष्ट्रपति पुतिन की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया है।दुनिया के प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों की ओर से ट्रंप को बधाई दिए जाने के बीच पुतिन का ये कदम चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है। रूस की ओर से अमेरिका को अमित्र देश बताया गया है।

दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ किया कि वो फिलहाल अभी डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने नहीं जा रहे हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन डोनाल्ड ट्रंप को बधाई देने की योजना नहीं बना रहे हैं। दिमित्री ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम एक ऐसे अमित्र देश के बारे में बात कर रहे हैं जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है।यूक्रेन में चल रहे युद्ध का जिक्र करते हुए पेसकोव ने कहा कि ‘अमेरिका इस संघर्ष को बढ़ावा देता है और इसमें हिस्सा लेता है। अमेरिका इस विदेश नीति को बदलने में सक्षम है. यह किया जाएगा या नहीं और यह कैसे किया जाएगाष

बता दें कि मास्को ने दर्जनों देशों को ‘अमित्र’ के रूप में नामित किया है, जो रूस के हितों के लिए शत्रुतापूर्ण माने जाते हैं। इसमें आर्थिक प्रतिबंध लगाना और यूक्रेन का समर्थन करना शामिल है, क्योंकि वह रूस के के खिलाफ खुद में शामिल है।

रूस को अमेरिका के रुख का इंतजार

रूस ने बुधवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर हैं, लेकिन क्रेमलिन का दरवाजा बातचीत के लिए खुला है। अभी रूस को इस बात का इंतजार है कि जब जनवरी में डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाउस लौटते हैं तो क्या होता है।

जेलेंस्की ने ट्रंप को दी जीत की बधाई

वहीं, दूसरी तरफ यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने ट्रंप को चुनावी जीत के लिए बधाई दी है। जेलेंस्की ने दुनिया के मामलों में ताकत के जरिये से शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के लिए उनकी सराहना की। अपने चुनाव अभियान के दौरान, ट्रंप ने यूक्रेन में युद्ध से निपटने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के तरीके की आलोचना की। ट्रंप ने दावा किया कि अगर वह अभी भी पद पर होते, तो रूस कभी भी पूरे पैमाने पर हमला शुरू नहीं करता। पुतिन और जेलेंस्की दोनों के साथ अपने अच्छे संबंध का दावा करते हुए, ट्रम्प ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने पर पदभार ग्रहण करने से पहले यूक्रेन में युद्ध को खत्म करने का वादा किया है।

जंग के बीच नेतन्याहू ने अपने रक्षा मंत्री गैलेंट को क्यों हटाया, क्या इजराइल में सब ठीक नहीं?

#why_israel_pm_benjamin_netanyahu_sacked_his_defence_minister 

गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह सहित एक साथ कई मोर्चों पर इजराइल युद्ध लड़ रहा है। जंग के इस मुश्किल हालात के बीच इजरायल से चौंकाने वाली खबर आई है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने देश के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट को बर्खास्त कर दिया है। उनकी जगह पूर्व विदेश मंत्री इजरायल काट्ज को रक्षा मंत्री बनाया गया है। नेतन्याहू ने याव गैलेंट को हटाने के लिए 'विश्वास के संकट' को वजह बताई जो 'धीरे-धीरे गहराता जा रहा था।' इसके पीछे पीएमओ की ओर से तर्क दिया गया है कि युद्ध प्रबंधन को लेकर दोनों नेताओं के बीच लगातार मतभेद बढ़ रहे थे।

बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इजरायल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और हमें निर्णायक जीत की ओर ले जाना है। युद्ध के समय में, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बीच पूर्ण विश्वास होना बेहद जरूरी है। दुर्भाग्यवश, जबकि शुरुआती महीनों में हमारे बीच यह विश्वास था और हमने बहुत कुछ हासिल किया, हाल के महीनों में मेरे और रक्षा मंत्री के बीच यह विश्वास कम हो गया है।”

बेंजामिन नेतन्याहू ने आगे कहा, “गैलेंट और मेरे बीच ऑपरेशन के मैनेजमेंट को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए। ये मतभेद सरकार और कैबिनेट के फैसलों के विपरीत बयानों और कार्यों के साथ सामने आए। मैंने इन मतभेदों को सुलझाने के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन ये और बढ़ते गए। ये मुद्दे सार्वजनिक रूप से सामने आए, जो कहीं से भी मंजूर नहीं था, और इससे भी बुरा यह कि हमारे दुश्मनों को इसका फायदा मिला और उन्होंने इसके मजे लिए।

योआव गैलेंट पूर्व इजरायली जनरल हैं, जिन्हें सुरक्षा के प्रति उनके व्यवहारिक और सीधे नजरिए के लिए जाना जाता है। गैलेंट की इजरायल के 13 महीने के गाजा अभियान के दौरान भूमिका के लिए तारीफ की जाती रही है। उन्होंने अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन समेत अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मजबूत संबंध बनाए। गैलेंट के रक्षा मंत्री रहते इजरायली सेना ने ईरान पर सफल हमला किया, जिसमें उसकी मिसाइल सुविधाओं को निशाना बनाया गया।

गाजा में जारी युद्ध के दौरान नेतन्याहू और गैलेंट के बीच कई बार मतभेद उभरे हैं। हालांकि, बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें बर्खास्त करने से परहेज किया। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया। नेतन्याहू ने पिछले साल मार्च में जब गैलेंट को बर्खास्त करने की कोशिश की थी, तो उनके इस कदम के खिलाफ देश में प्रर्दशन हुआ था। इस बार भी नेतन्याहू के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। नारेबाजी कर रहे हैं। इजराइल के पीएम और उनके घर के आसपास सभी सड़कें बंद कर दी गई हैं।

पीएम मोदी ने धनतेरस पर राम मंदिर का जिक्र किया, '500 साल बाद दिवाली मनाएंगे भगवान राम...':

#pm_modi_on_dhanteras_shares_why_this_diwali_is_special

PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि इस साल की दिवाली "खास" है, क्योंकि 500 ​​साल में पहली बार भगवान राम अयोध्या मंदिर में त्योहार मनाएंगे।

"मैं धनतेरस पर सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। सिर्फ दो दिनों में, हम दिवाली भी मनाएंगे, और इस साल की दिवाली विशेष रूप से खास है। 500 साल बाद, भगवान राम अयोध्या में अपने भव्य मंदिर में विराजमान हैं, और यह उनके साथ उनके भव्य मंदिर में मनाई जाने वाली पहली दिवाली होगी। हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें ऐसी खास और भव्य दिवाली देखने को मिल रही है," पीएम मोदी ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा।

2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि को हिंदू पक्ष को देने का फैसला सुनाते हुए मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। कोर्ट ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में एक बड़ा भूखंड आवंटित करने का भी आदेश दिया था। इस साल जनवरी में अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। मंदिर की यह पहली दिवाली होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता की, जिसमें उद्योगपतियों, बॉलीवुड अभिनेताओं और क्रिकेटरों सहित हजारों गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

उन्होंने रोजगार मेले के तहत नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले सभी युवाओं को बधाई दी। "इस उत्सवी माहौल में, आज इस पावन दिन पर रोजगार मेले में 51,000 युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं। मैं आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। भारत सरकार में देश के लाखों युवाओं को स्थायी सरकारी नौकरी देने का सिलसिला जारी है। भाजपा और एनडीए शासित राज्यों में भी लाखों युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं," प्रधानमंत्री ने कहा।

प्रधानमंत्री ने हरियाणा सरकार में नियुक्ति पत्र प्राप्त करने वाले युवाओं को भी बधाई दी। पीएम मोदी ने कहा, "हरियाणा में हमारी सरकार की एक विशेष पहचान है। वहां की सरकार नौकरियां तो देती है, लेकिन बिना किसी खर्चे और बिना किसी पर्ची के देती है। आज मैं उन युवाओं को विशेष रूप से बधाई देता हूं, जिन्हें हरियाणा सरकार से नियुक्ति पत्र मिले हैं। इसके अलावा, यह भी उल्लेखनीय है कि हरियाणा में नवगठित सरकार ने लगभग 26,000 युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करके एक अनुकरणीय शुरुआत की है।"

भारत में पहली बार बनेंगे C-295 मिलिट्री एयरक्राफ्ट, रफ्तार देख थम जाएगी दुश्मनों की सांस, जानें इसकी खासियत

#whyc295aircraftimportantforindia

अब एयरबस के C-295 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भारत में ही बनेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात के वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) परिसर में C-295 एयरक्राफ्ट के निर्माण के लिए टाटा एयरक्राफ्ट कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी के साथ स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज भी मौजूद रहे। भारत के C-295 कार्यक्रम में कुल 56 एयरक्राफ्ट होंगे जिनमें से 16 सीधे एयरबस डिलीवर करेगा और बाकी 40 भारत में बनाए जाएंगे। इन 40 C-295 विमानों को बनाने की जिम्मेदारी 'टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड' की होगी। इसके साथ ही भारत के रक्षा क्षेत्र में बड़ा कायाकप्ल होगा।

यह प्रोजेक्ट अहम इसलिए भी है, क्योंकि पहली बार देश में कोई निजी कंपनी सेना के लिए प्लेन बनाएगी। यह पहली बार है जब कोई निजी कंपनी भारत में पूरा का पूरा मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगी। साल 2021 में 56 C-295 एयरक्राफ्ट के लिए 21हजार 935 करोड़ रुपये की टाटा-एयरबस प्रोजेक्ट के तहत डील हुई थी। इस डील के तहत भारत को पिछले साल सितंबर के पहला C-295 एयरक्राफ्ट मिल गया था। डील में 56 विमानों में से पहले 16 विमान स्पेन और बाकी भारत में बनाए जाएंगे। 40 C-295 एयरक्राफ्ट के निर्माण के लिए वडोदरा में टाटा ने एयरबस के साथ मिलकर मैनुफैक्चरिंग कॉम्लेक्स बनाया है।

यह विमान सैनिकों को ध्यान में रखकर खास डिजाइन किया गया है। इसे कार्गो से लेकर जवानों तक को ट्रांसपोर्ट करने के लिए यूज किया जा सकता है। एयरक्राफ्ट को कई तरह के मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें ट्रांसपोर्ट, पैराशूट ड्रॉपिंग, इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल इंटेलिजेंस (ELINT), मेडिकल निकासी (MEDEVAC), और समुद्री गश्त शामिल हैं। बाकी कार्गो विमानों की तुलना में इस विमान का टेकऑफ टाइम कम है।सी-295 एक मीडियम साइज का विमान जो किसी भी तरह की हवाई पट्टी पर उतारा जा सकता है।

कम वजन के ट्रांस्पोर्टेशन के लिए अहम C-295 एयरक्राफ्ट

यह कॉम्प्लेक्स देश का पहला निजी फाइनल असेंबली लाइन है, जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगा। भारतीय वायुसेना, के लिए ट्रांसपोर्ट विमान भारत के लिए बेहद जरूरी है, जिससे सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को जगह से दूसरी जगह पहुंचा सकें। C-295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारतीय सेना केलिए अहम साबित होने वाला है।

C-295 एयरक्राफ्ट की कितनी है क्षमता?

सी-295 एयरक्राफ्ट की फंक्शनिंग की बात करें तो इसे दो पायलट्स उड़ाते हैं। इसमें एक साथ 73 सैनिक, 48 पैराट्रूपर्स, 12 स्ट्रेचर इंटेसिंव केयर मेडवैक, या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मिडिकल अटेंडेंट सफर कर सकते हैं। डायमेंशंस का उल्लेख करें तो यह C-295 एयरक्राफ्ट 9250 KG का वजन उठा सकता है। इसकी लंबाई 80.3 फीट, विंगस्पैन 84.8 फीट, ऊंचाई 28.5 फीट है।

कौन हैं पाक के नए चीफ जस्टिस याह्या अफरीदी, जानें नियुक्ति पर क्यों हो रहा बवाल?

#whoisjusticeyahyaafridinextcjpwhycontroversy

पाकिस्तान की विशेष संसदीय कमेटी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस को चुन लिया। कमेटी ने लंबी चली बैठक के बाद तीन सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में अगले चीफ जस्टिस के रूप में याह्या अफरीदी को नामित किया है।अफरीदी का चयन हाल ही में हुए 26 वें संविधान संशोधन के तहत किया गया है, इस संशोधन ने न्यायपालिका में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिसमें मुख्य न्यायाधीश के चयन के लिए एक विशेष संसदीय समिति (SPC) की स्थापना शामिल है।

हाल ही में किए गए संविधान के 26वें संशोधन ने न्यायपालिका के संबंध में कई बदलाव लागू किए, जिनमें से एक विशेष संसदीय समिति (एसपीसी) द्वारा तीन शीर्ष न्यायाधीशों में से चीफ जस्टिस की नियुक्ति करना शामिल था, जबकि पिछले नियम के हिसाब से सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को वरिष्ठता सिद्धांत के तहत चीफ जस्टिस नियुक्त किया जाता था।

विशेष संसदीय समिति (SPC) की स्थापना से पहले वरिष्ठता के आधार पर चीफ जस्टिस का चयन होता था। याह्या अफरीदी के साथ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंसूर अली शाह और न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर भी इस दौड़ में शामिल थे। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा 25 अक्टूबर को शीर्ष न्यायाधीश से रिटायर होने वाले हैं। न्यायमूर्ति शाह को पहले वरिष्ठता सिद्धांत के तहत अगला CJP बनाया जाना था।

हालांकि, अनुच्छेद-175ए के खंड-3 में किए गए संशोधन के बाद राष्ट्रपति 'शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश' को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त नहीं कर सकेंगे। इसके बजाय, अब विशेष संसदीय समिति की सिफारिश के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के तीन सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों में से किसी एक को चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

याह्या अफरीदी कौन हैं

जस्टिस अफरीदी का जन्म 23 जनवरी 1965 को डेरा इस्माइल खान में हुआ था। वह कोहाट सीमांत क्षेत्र में स्थित अफरीदी जनजाति से हैं। वो बांदा गांव के निवासी हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के एचीसन कॉलेज में प्राप्त की। उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर से अर्थशास्त्र में कला में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उल्लेखनीय है कि 59 वर्षीय अफरीदी ने 1990 में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और देश के उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के बाद 2018 में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

ज्यादा बच्चे पैदा करने की पैरवी नायडू-स्टालिन, जानें क्या डर सता रहा दोनों नेताओं को

#after_chandrababu_why_stalin_urges_people_to_have_more_kids

भारत की आबादी को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। इसकी शुरूआत दक्षिण के राज्यों से ही है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपने-अपने राज्यों के लोगों से कहा है कि अधिक बच्चे पैदा करें। आंध्र प्रदेश के सीएम ने राज्य की 'वृद्ध होती आबादी' का मुद्दा उठाया, जबकि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 तक होने वाले परिसीमन के लिए 'समाधान' के रूप में '16 बच्चे' पालने वाले दंपतियों की बात की। मामले को लेकर राजनीति भी अपने चरम पर है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को जनसांख्यिकीय परिवर्तन के मुद्दे को परिसीमन प्रक्रिया से जोड़ते हुए सुझाव दिया कि राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। तमिनलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को कहा कि लोकसभा परिसीमन प्रक्रिया से कई दंपतियों के 16 (तरह की संपत्ति) बच्चों की तमिल कहावत की ओर वापस लौटने की उम्मीदें बढ़ सकती हैं। स्टालिन ने कहा कि अब ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां लोगों को लगता है कि अब उन्हें सचमुच 16 बच्चे पैदा करने चाहिए, न कि एक छोटा और खुशहाल परिवार रखना चाहिए। मुख्यमंत्री ने जनगणना और लोसकभा परिसीमन प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कहा कि नवविवाहित जोड़े अब कम बच्चे पैदा करने का विचार त्याग सकते हैं।

स्टालिन की यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तरफ से अधिक बच्चे पैदा करने की इसी तरह के बयान के एक दिन बाद आई है। इससे पहले नायडू ने रविवार को घोषणा की कि उनका प्रशासन एक ऐसा कानून लाने की योजना बना रहा है जिसके तहत केवल दो या उससे अधिक बच्चे वाले व्यक्ति ही स्थानीय निकाय चुनाव लड़ सकेंगे। उन्होंने राज्य की बढ़ती उम्र की आबादी और जनसांख्यिकीय संतुलन पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए परिवारों से अधिक बच्चे पैदा करने का आग्रह किया था।

चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि दक्षिण भारत में आबादी बूढ़ी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला को अपने जीवनकाल में दो से अधिक बच्चों को जन्म देना चाहिए। आंध्र प्रदेश की जन्म दर प्रति महिला 2.1 जीवित जन्मों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। नायडू का कहना था कि हमें अपनी जनसंख्या को मैनेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2047 तक, हमारे पास जनसांख्यिकीय लाभांश होगा, अधिक युवा होंगे। 2047 के बाद, अधिक बूढ़े लोग होंगे। ऐसे में यदि दो से कम बच्चे (प्रति महिला) जन्म लेते हैं, तो जनसंख्या कम हो जाएगी। यदि आप (प्रत्येक महिला) दो से अधिक बच्चों को जन्म देती हैं, तो जनसंख्या बढ़ेगी।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सहित अन्य दक्षिणी राज्यों को 2026 में होने वाले परिसीमन के कारण संसदीय प्रतिनिधित्व में संभावित बदलावों का सामना करना पड़ रहा है। अगर भारत में 2026 में निर्धारित परिसीमन किया जाता है, तो 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उत्तरी राज्यों को 32 सीटों का फायदा होगा, जबकि दक्षिणी राज्यों को 24 सीटों का नुकसान होगा। थिंक टैंक कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस द्वारा 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रकाशित ‘भारत के प्रतिनिधित्व का उभरता संकट’ शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया था कि इस प्रक्रिया में तमिलनाडु और केरल राज्य मिलकर 16 सीटें खो देंगे।

Find Your Vibe: where FOMO is never on the table

 

Find Your Vibe connects people to the coolest, most action-packed events happening around them. Whether that means live music for one person, being an art enthusiast or discovering the next great festival to try out one's foodie bag, this platform has had all of it covered. Behind the making of this platform is the fun, enthusiastic team that keeps no one from ever missing out!.

FYV is the ultimate personal event guru! It’s a go-to platform for discovering unforgettable experiences that match each user’s unique vibe. Across categories like Concerts, Parties, Stand-up Comedy, Exhibitions, and more!—if it’s happening, users will know about it! The platform curates the coolest events that align with diverse interests, making sure there’s something for everyone. Plus, we also bring exclusive Offers from top brands, so users get more value while enjoying amazing experiences.

Why Was Find Your Vibe Created?

Ever had FOMO pop up after missing an amazing event? So has the team at Find Your Vibe! They built this site because no one should ever feel cut off and left out. Nowadays, it can be really tough to come across those really good events, and let's be honest, there is nothing worse than sifting through page-long endless lists. Find Your Vibe was built to cope with this, to keep users updated, connected, entertained, and as a part of something bigger than just themselves

What’s Next for Find Your Vibe?

This is just the beginning! The vision for Find Your Vibe is to grow into a complete social ecosystem. Personalized event recommendations tailored to each individual, virtual events that bring fun directly to users' screens, and collaborative tools that help forge new friendships and partnerships. The team is on a mission to ensure users thrive—both personally and socially!

Stay tuned for upcoming events in Raipur—from thrilling Concerts to exclusive Exhibitions, epic Parties, chill Meetups, and more happening near you. With our easy booking system, you’ll never miss out on the events you’re Interested in. Whether you're into live vibes or exploring new hobbies, Find Your Vibe keeps you connected to all the exciting happenings in Raipur!

1st Networking Event: “Find Your Vibe!” Recap

The first networking event, "Find Your Vibe," was a resounding success! Like-minded individuals came together to exchange ideas, create new partnerships, and vibe with fresh connections. It was the perfect chance for participants to meet their tribe and explore future collaborations. Stay tuned for more exciting events—there’s always something new coming up!

Event Recap: Strike Showdown – 22nd Sept 2024

The Strike Showdown on September 22nd, 2024, was an absolute hit! Bowling enthusiasts from all over came together for a day filled with friendly competition, great prizes, and unforgettable fun. The atmosphere was electric, with people bonding over shared interests, lively networking, and plenty of laughs.

Top Performers: Congratulations to our standout bowlers who walked away with some fantastic prizes!

New Connections: The event was a great opportunity for participants to meet like-minded people and form lasting connections.

Missed out on this one? Don’t worry—there are plenty more exciting events coming soon! Stay tuned on findyourvibe.in for updates, new offers, and more chances to catch your next favorite event.

All happenings at Find Your Vibe are a chance to connect, discover, and create memories that will last. Whether it's about music, art, food, community gathering, or whatnot, there's something there for everyone.

So, are you ready to say goodbye to FOMO and get dive in to the exciting party? Find Your Vibe is here to guide you. Stay tuned, stay connected, and most importantly—find your vibe. Because life's too short to miss out on the fun!

बाबा सिद्दीकी को मिली थी Y कैटेगरी की सिक्योरिटी, फिर कैसे हो गई हत्या?

#baba_siddiqui_having_y_category_security_why_could_not_be_saved

महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की मुंबई में दशहरा उत्सव पर हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।पूर्व मंत्री और एनसीपी अजित पवार गुट के नेता बाबा सिद्दीकी को Y श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी।जानकारी के मुताबिक 15 दिन पहले बाबा सिद्दीकी को जान से मारने की धमकी मिली थी और इसके बाद उनकी सुरक्षा को बढ़ा दिया गया था। उन्हें Y कैटेगरी की सुरक्षा दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी शनिवार रात को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।

बाबा की हत्या को लेकर उनकी सुरक्षा के मद्देनजर कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये उठ रहे हैं कि बाबा सिद्दीकी को जब Y कैटेगरी की सिक्योरिटी मिली हुई थी फिर भी उनकी हत्या कैसे कर दी गई। हर किसी की जुबान पर लगभग यही बात है कि Y कैटेगरी की सिक्योरिटी होने के बावजूद राकांपा नेता को आरिपियों ने इतने नजदीक जाकर कैसे गोली मार दी? 

पटाखों के शोर के बीच फिल्मी अंदाज में मारी गोली

दरअसल, शनिवार रात मुंबई के बांद्रा ईस्ट इलाके में तीन लोगों ने बाबा सिद्दीकी के बेटे एवं विधायक जीशान सिद्दीकी के ऑफिस के बाहर फिल्मी अंदाज में 3 राउंड लगातार फायरिंग की। इसके बाद आरोपियों ने पटाखों के शोर के बीच गोली मारकर कथित तौर पर 66 साल के बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी। इसके बाद बाबा सिद्दीकी को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

कानून और व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त एवं सत्तारूढ़ पार्टी के नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जो कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस घटना के बाद कहा, यह भयावह घटना महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था की पूर्ण विफलता को उजागर करती है। सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और न्याय होना चाहिए।

वहीं,वरिष्ठ नेता शरद पवार ने भी राज्य सरकार को घेरा है. शरद पवार ने यह कहकर लोगों को खतरे से अवगत करा दिया है कि अगर गृह मंत्री और शासक इतनी सज्जनता से राज्य की गाड़ी को आगे बढ़ाएंगे तो यह आम लोगों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।

क्या होती है Y कैटेगरी की सुरक्षा? 

भारत सरकार उन लोगों को वाई लेवल की सुरक्षा देती है, जिनकी जान को खतरा होता है। यह सुरक्षा कवर का चौथा स्तर है। सुरक्षा दल में 11 लोग होते हैं, जिनमें 1 से 2 पुलिस अधिकारी शामिल होते हैं। इसमें दो पीएसओ भी होते हैं, जो निजी सुरक्षा गार्ड होते हैं। ज़्यादातर मामलों में, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) या राज्य पुलिस के लोगों को वाई ग्रुप में सुरक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है। सुरक्षा कवर के साथ एक कार आती है जिसमें बुनियादी सुरक्षा सुविधाएं होती हैं।

वरिष्ठ सरकारी नेता, न्यायाधीश और अन्य लोग जिन्हें जान का खतरा हो सकता है, उन्हें अक्सर वाई स्तर की सुरक्षा दी जाती है। वाई स्तर की सुरक्षा कवर मशहूर हस्तियों, व्यापारियों और पत्रकारों को भी दी जा सकती है, जिन्हें जान जाने का खतरा होता है।

चुनाव से पहले महायुति में तनाव! कैबिनेट की बैठक छोड़कर क्यों निकले अजित पवार

#mahayuti_growing_crisis_why_ajit_pawar_leave_cabinet_meeting

महाराष्‍ट्र की सत्‍तारूढ़ महायुति (शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी) सरकार में शायद सब कुछ टीक नहीं चल रहा है। राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। महायुति में तनाव की खबरें आ रही है। दरअसल, विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले गुरुवार को यह आखिरी कैबिनेट बैठक थी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार सिर्फ 10 मिनट के लिए बैठक में आये और रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के फौरन बाद चले गए। उनके जाने के बाद ढाई घंटे तक चली बैठक में 38 फैसले ने लिये।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार दनादन कई बड़ी घोषणाएं कर रही है। दरअसल, आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। गुरुवार को इसी संदर्भ में मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व में एक ऐसी ही कैबिनेट मीटिंग बुलाई गई। लेकिन जैसे ही मीटिंग शुरू हुई उसके 10 मिनट के भीतर ही डिप्‍टी सीएम और एनसीपी नेता मीटिंग छोड़कर चले गए। ऐसा तब हुआ जब उसके बाद भी मीटिंग करीब ढाई घंटे चली। उसमें वित्‍त विभाग के कई प्रोजेक्‍ट भी शामिल थे जिन पर फैसले हुए। जबकि वित्‍त विभाग का प्रभार अजित पवार के पास है।

द टाइम्‍स ऑफ इंडिया (टीओआई) की इस रिपोर्ट के मुताबिक कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित पवार इस बात से नाराज थे कि अंतिम समय में अर्जेंट बेसिस पर मीटिंग में कई प्रस्‍तावों को रख लिया गया और इसका कोई सर्कुलर पहले से जारी नहीं किया गया था। वित्‍त विभाग ने कई मसलों पर आपत्तियां उठाई हैं जिनको कैबिनेट में पेश किया गया है।

अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह संभव है कि वह कुछ फैसलों से नाखुश थे और अंतिम समय में बिना पूर्व सूचना के कैबिनेट बैठक में बड़ी संख्या में जरूरी प्रस्ताव लाए गए थे। पिछले कुछ हफ्तों में वित्त विभाग ने कैबिनेट में लाए गए कई प्रस्तावों पर आपत्ति जताई थी। हालांकि बार-बार प्रयास करने के बावजूद अजित पवार से उनकी टिप्पणियों के लिए संपर्क नहीं किया जा सका।

बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले भूमि आवंटन, सब्सिडी और गारंटी को मंजूरी देने की होड़ मची हुई है। वित्त विभाग पहले ही चेतावनी दे चुका है कि 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा 2 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। विभाग ने चेतावनी दी है कि राजकोषीय घाटा जीएसडीपी के 3% को पार कर गया है, जो कि महाराष्ट्र राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजटीय प्रबंधन अधिनियम द्वारा तय सीमा है।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में हालिया दिनों में शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी की टकराहट देखने को मिली है। 'लड़की बहन योजना' को लेकर दरार काफी दिनों से उभरी हुई है। शिवसेना शिंदे गुट के मंत्री ने योजना के विज्ञापनों और प्रचार सामग्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम "हटाने" के लिए सहयोगी एनसीपी और उसके अध्यक्ष अजित पवार के खिलाफ खुलेआम आपत्ति जताई गई। शिवसेना से राज्य के उत्पाद शुल्क मंत्री शंभूराज देसाई ने डिप्टी सीएम पवार द्वारा 'मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन' योजना को वस्तुतः "हाइजैक" करने का आरोप लगाया। इसके जरिये पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह देने की घोषणा की गई है। इस योजना का पूरा श्रेय अजित पवार की पार्टी ले रही है।

चीन-म्यामांर से घिरा लाओस भारत के लिए कितना अहम? जहां के दौरे पर हैं पीएम मोदी*
#pm_modi_on_visit_to_laos_why_this-country_important_for_india * प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय लाओस दौरे पर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री यहां 21वें आसियान-भारत समिट और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। लाओस की राजधानी वियनतियाने में समिट का आयोजन किया जाएगा। इस साल लाओस आसियान सम्मेलन का मेजबान और वर्तमान अध्यक्ष है। लाओस एक छोटा सा देश है, जिसकी कुल आबादी महज 75 लाख के करीब है। भारत में बिहार की राजधानी पटना की कुल आबादी भी मौजूदा वक्‍त में करीब 75 लाख ही है। पीएम मोदी की लाओस यात्रा के बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर भारत के लिए ये छोटा सा देश रणनीतिक रूप से कितना जरूरी है। भारत-लाओस के संबंध कैसे हैं और भारत के लिए इसे प्राथमिकता देना क्यों जरूरी है। रणनीतिक रूप से यह इसलिए अहम है क्योंकि लाओस की सीमा उत्तर-पश्चिम में म्यांमार और चीन, पूर्व में वियतनाम, दक्षिण-पूर्व में कंबोडिया और पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में थाईलैंड से लगती है। चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण भारत के लिए इस देश की रणनीतिक महत्ता बढ़ जाती है। दरअसल, दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, लाओस हमेशा से व्यापारिक नजरिए से भी अहम रहा है। यही कारण है कि इसपर कभी फ्रांस ने तो कभी जापान ने कब्जा जमाया। 1953 में जब लाओस को आजादी मिली तो चीन ने भी लाओस में अपने प्रभाव को आजमाना शुरू किया।दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी से हर कोई वाफिफ है। चीन इस क्षेत्र में अपने सभी पड़ोसियों पर धोंस जमाने की कोशिश से बाज नहीं आता। इन देशों में लाओस भी शामिल है। *भारत के लिए क्यों अहम है लाओस?* लाओस वैसे तो एक छोटा सा देश है लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति के चलते यह भारत के लिए रणनीतिक और व्यापारिक तौर पर काफी अहम माना जाता है। इसकी सीमा चीन और म्यांमार से लगती है, लिहाजा चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण यह देश रणनीतिक तौर पर भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह भारत के इंडो-पैसिफिक विजन का महत्वपूर्ण स्तंभ है, साथ ही साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दखल के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। व्यापारिक नजरिए की बात करें तो दक्षिण पूर्व एशिया में लाओस की भौगोलिक स्थिति के कारण भी यह हमेशा से अहम रहा है। भारत के लिए लाओस कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में और पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 1959 में ही लाओस का दौरा किया था। लाओस को फ्रांस के कब्जे से मुक्ति दिलाने में भी भारत ने इंटरनेशनल कमीशन फॉर सुपरविजन एंड कंट्रोल (ICSC) के चेयरमैन के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी। जुलाई 1954 में जेनेवा संधि के आधार पर ICSC की स्थापना की गई थी, इसका उद्देश्य भारत-चीन के बीच दुश्मनी को खत्म करने और लाओस से फ्रांसिसी उपनिवेशवादी शक्तियों की वापसी कराना था। *भारत और लाओस के बीच संबंध* भारत और लाओस के बीच दशकों पुराने मजबूत संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच 1956 में डिप्लोमैटिक संबंध स्थापित हुए। तब से अब तक दोनों देशों की ओर से द्विपक्षीय यात्राएं होती रहीं हैं। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में ही लाओस का दौरा किया था। इसके बाद 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने लाओस की आधिकारिक यात्रा की थी। 2004 में मनमोहन सिंह और 2016 में प्रधानमंत्री मोदी आसियान-भारत समिट में हिस्सा लेने के लिए लाओस का दौरा कर चुके हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारत की ओर से 50 हजार कोवैक्सीन की डोज और दवाइयां लाओस भेजी गईं थीं। हाल ही में आए तूफान यागी के दौरान भी भारत ने करीब एक लाख डॉलर की आपदा राहत सामग्री लाओस भेजी थी। इसके अलावा लाओस के साथ भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सिविलाइजेशनल संबंध रहें हैं। बौद्ध धर्म और रामायण दोनों देशों की साझा विरासत का हिस्सा हैं। इसी साल 15 से 31 जनवरी के बीच लाओस के रॉयल बैलेट थियेटर के 14 आर्टिस्ट ने भारत में 7वें इंटरनेशनल रामायण मेला में भी हिस्सा लिया था।