/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/_noavatar_user.gif/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:bjp
‘इस हरकत की जितनी भर्त्सना की जाय, कम है…’, जानिए किस बात पर कांग्रेस को कोस रहे हैं मुख्यमंत्री साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा…
रायपुर- कांग्रेस के इस हरकत की जितनी भर्त्सना की जाय, कम है. समाज को आगे आ कर इसका विरोध करना चाहिए. भयानक दुर्भाग्य की बात है कि आज भी कांग्रेस को भारत में थोड़ा ही सही किंतु समर्थन मिल रहा है. कांग्रेस के इस कुकृत्य हर स्तर पर विरोध होना चाहिए. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा का कांग्रेस पर यह गुस्सा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भारत के गलत नक्शे को प्रस्तुत करने पर फूट पड़ा है. 

कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee) की कर्नाटक के बेलगावी में आज बैठक हो रही है, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सीएम सिद्दारमैया सहित कई नेता नव सत्याग्रह बैठक में मंथन करेंगे. बैठक में नेताओं के स्वागत के लिए लगाए गए पोस्टर में भारत के नक्शे को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें चीन द्वारा हथियाए गए (अक्साई चीन) हिस्से को प्रदर्शित नहीं किया गया है.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा का गुस्सा भारत के इसी गलत नक्शे को लेकर कांग्रेस पर फूट पड़ा है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर उन्होंने स्वागत में लगाए गए पोस्टर में प्रस्तुत भारत के गलत नक्शे को हाईलाइट करते हुए कड़ी टिप्पणी की है.

झा ने अपने पोस्ट में कहा है कि कांग्रेस ने कर्नाटक के अपने अधिवेशन में कश्मीर को फिर से पाकिस्तान का हिस्सा बताया है. इसी तरह अक्साई चीन को उसने चीन का हिस्सा बताया है, इस राष्ट्रविरोधी दल का यह घोर आपत्तिजनक, दंडनीय और निंदनीय कृत्य है.

यह कोई पहला मौका है, या गलती से ऐसा हो गया है, यह बात नहीं है. इससे पहले भी छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह कृत्य किया था. छत्तीसगढ़ भाजपा द्वारा तब इस विषय का खुलासा करने, मुकदमा आदि दर्ज कराने के बाद तब कांग्रेस ने माफी मांगी थी.

बार-बार हर महत्वपूर्ण अवसर पर इस तरह का कृत्य कर कांग्रेस देश के दुश्मनों को यह संदेश देती रहती है कि वह उसके साथ है. तुष्टीकरण के अपने एजेंडे के कारण कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है.
विवादों में बेलगावी कांग्रेस अधिवेशन, बीजेपी बोली-पोस्टर में लगा भारत का गलत नक्शा, पीओके-अक्साई चीन गायब

#bjpstatementcongresscwcmeetingbelagavimap_controversy

कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है। हालांकि यह बैठक अपने आयोजन से पहले ही विवाद में फंस गई है। मीटिंग से पहले कार्यकर्ताओं ने बेलगावी में पोस्टर लगाए। जिसमें भारत का गलत नक्शा दिखाया जा रहा है। नक्शे में कश्मीर का हिस्सा गायब है। बेलगावी में इस तरह के पोस्टर देख बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का दावा है कि इस नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अधिवेशन के लिए लगे पोस्टर बैनर की तस्वीर साझा करते हुए कर्नाटक भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है। जिसमें पार्टी ने लिखा कि 'कर्नाटक कांग्रेस ने भारत की संप्रभुता का अपमान किया है और बेलगावी के कार्यक्रम में भारत का गलत नक्शा दर्शाया है। नक्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है। ये सब सिर्फ वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।'

कांग्रेस भारत को तोड़ने वालों के साथ

वहीं, भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, आज एक तस्वीर सामने आई है जो दिल को दुखाती है। भाजपा कर्नाटक ने एक ट्वीट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि बेलगावी में कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने जो भारत का मैप लगाया है, उसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चिन नहीं है। वे पहले भी ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि जो ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं, उनके साथ कांग्रेस का संबंध अब स्पष्ट हो गया है।

सुधांशु त्रिवेदी के तीखे सवाल

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि पूर्व में डीएमके ने भारत का गलत नक्शा दिखाया। जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन को गायब दिखाया गया। कोरोना के समय राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट किया था, उसमें भी अक्साई चिन और पीओके गायब था। शशि थरूर ने 21 दिसंबर 2019 को भारत का नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें भी गड़बड़ी थी। भाजपा ने सवाल किया कि पिछले काफी समय से भारत के नक्शे में जो गड़बड़ी दिखाई जा रही है, वह क्या सिर्फ संयोग है या फिर किसी व्यवस्थित भारत विरोध का हिस्सा है?' भाजपा ने पूछा कि 'ये किसके इशारे पर हो रहा है? क्या सोरोस से कोई गुप्त संदेश तो नहीं आ रहा?

दो दिनों तक चलेगा अधिवेशन

बता दें कि कर्नाटक का सीमावर्ती शहर बेलगावी अगले दो दिनों तक महात्मा गांधी की अध्यक्षता में यहां हुए एकमात्र कांग्रेस अधिवेशन की यादों को ताजा करेगा। कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर, 1924 को किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाता है। उस अधिवेशन में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का आह्वान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। देशपांडे ने बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन की मेजबानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी अध्यक्षता गांधी ने की थी।

अटल बिहारी वाजपेयी: एक दूरदृष्टा नेता का भारत निर्माण में अमिट योगदान

#atalmanof_india

अटल बिहारी वाजपेयी (1924–2018) भारत के सबसे सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थे, जिनका योगदान देश के लिए राज्यकर्मी और दूरदृष्टा के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन गैर-निरंतर कार्यकालों में सेवा की: 1996, 1998–2004 और 1996 में कुछ समय के लिए। उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने भारत की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों पर स्थायी प्रभाव डाला। यहां उनके कुछ प्रमुख योगदान दिए गए हैं:

1. राजनयिक प्रयास और शांति पहल

 -पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार: वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक रूप से जुड़ने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। 1999 में उन्होंने लाहौर की अपनी बस यात्रा के दौरान लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों के बीच शांति और रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए एक मजबूत पहल थी।

-कारगिल युद्ध (1999): कारगिल संघर्ष के बाद, वाजपेयी के नेतृत्व की सराहना की गई, जिसमें उन्होंने स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सावधानीपूर्वक संभालते हुए भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की।

- संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध: वाजपेयी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरू में कुछ संकोच के बावजूद, उनकी सरकार ने भारत को अमेरिकी रणनीतिक साझेदार बना दिया, खासकर रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में।

 2. न्यूक्लियर प्रोग्राम

 पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण (1998): वाजपेयी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारत के पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण की देखरेख करना था, जो मई 1998 में किए गए थे। वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए, जिससे भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। यह कदम भारत की सामरिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।

- ये परीक्षण अंतर्राष्ट्रीय विवाद का कारण बने, लेकिन इसके साथ ही भारत को एक मान्यता प्राप्त परमाणु शक्ति बना दिया, जिससे उसकी सुरक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली।

 3. आर्थिक सुधार और विकास

- आर्थिक उदारीकरण (1990 के दशक): वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने 1990 के दशक में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का समर्थन किया और उन्हें तेज़ किया। हालांकि ये सुधार प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री नरसिंह राव के तहत हुए थे, वाजपेयी सरकार ने इसे जारी रखा और निजीकरण को बढ़ावा दिया तथा औद्योगिक नीति में सुधार किया।

- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: उनकी सरकार ने कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजेक्ट शामिल है, जिसका उद्देश्य दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे चार प्रमुख शहरों को एक नेटवर्क के जरिए जोड़ना था, जिससे देश के सड़क संपर्क में सुधार हुआ।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

- भारतीय संस्कृति का प्रचार: वाजपेयी भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। उन्हें अपनी वाकपटुता और पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव के लिए जाना जाता था। अपने भाषणों में अक्सर कविताओं का उद्धरण करते थे। उनका भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रति गहरा सम्मान उनके नीतियों और सार्वजनिक जीवन में परिलक्षित होता था।

- समावेशी शासन: उन्होंने समाज के सभी वर्गों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरकार ने अधिक समावेशी विकास के लिए एक ढांचा तैयार किया, जो भारत को एकजुट करता है।

 5. शासन और राजनीतिक धरोहर

- लोकतंत्र के समर्थक: वाजपेयी एक प्रतिबद्ध लोकतांत्रिक नेता थे, जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी और समावेशी भारत की परिकल्पना की। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई और यह सुनिश्चित किया कि देश विभिन्न चुनौतियों के बावजूद एकजुट रहे।

- भारतीय जनता पार्टी (BJP): BJP के एक वरिष्ठ नेता के रूप में वाजपेयी का नेतृत्व पार्टी को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण था। उनकी राजनीति में उदार और समावेशी दृष्टिकोण ने BJP को एक राष्ट्रीय पार्टी बना दिया, जो उत्तर भारत से बाहर भी प्रभावशाली हो गई।

 6. सामाजिक कल्याण योजनाएँ

  - पंचायती राज अधिनियम (1993): वाजपेयी की सरकार के दौरान, भारत में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और विकेंद्रीकरण पर जोर दिया गया। इससे ग्रामीण भारत को सशक्त बनाया गया और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया।

शिक्षा और स्वास्थ्य पहल: वाजपेयी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाने पर जोर दिया, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

7. उनकी नेतृत्व शैली

- वाजपेयी अपनी दूरदर्शिता, धैर्य और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके नेतृत्व में, वे राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में सख्त और शांति की ओर बढ़ने में संतुलित थे। उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी और संसद के प्रति सम्मान ने उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी सराहा।

8. पुरस्कार और सम्मान

  - अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके भारतीय राजनीति और शासन में योगदान को मान्यता प्रदान करता है।

- उनका प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं था। उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखा जाता था, जिन्होंने वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझा और भारत के लिए एक बेहतर भविष्य की दिशा में काम किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। वह एक ऐसे नेता के रूप में याद किए जाते हैं, जिनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने आधुनिक भारत को आकार दिया। उनका प्रभाव हमेशा रहेगा, और वह एक मजबूत, आत्मविश्वासी और वैश्विक मंच पर सम्मानित भारत के निर्माता के रूप में याद किए जाएंगे।

बीजेपी में नीतीश को भारत रत्न देने की उठी मांग,यहां पक रही है कौन सी सियासी खिचड़ी!

#nitish_kumar_bharat_ratna_demand_by_bjp_twist

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार और नवीन पटनायक के लिए भारत रत्न की मांग की है। नीतीश कुमार के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान मांग रहे ये वही गिरिराज सिंह जो कभी नीतिश कुमार को लेकर काफी मुखर रहे हैं। गिरिराज सिंह है जो अभी कुछ ही समय पहले नीतीश कुमार को पानी पी-पीकर कोस रहे थे जब वे तेजस्वी के साथ सरकार में थे, उनके सुर बदल गए हैं। नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर संदेह के बादल के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ताजा बयान से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। दरअसल बिहार की सियासत को जानने वाले और नीतीश कुमार के दांव को परखने वाले बखूबी जानते हैं कि यह भी एक राजनीतिक रणनीति है। पूछे जा रहे हैं कि गिरिराज का ये बयान नीतीश कुमार को उनकी राजनीति के आखिरी स्टेप की और इशारा तो नहीं कर रहे हैं? या फिर बिहार की कुर्सी के प्रति मोह त्यागने का सुरक्षित राह का दर्शन करा रहे हैं?

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि नीतीश कुमार इतने साल से बिहार के सीएम हैं। इनके शासन में विकास की लहर तेज गति से बही है। इसलिए नीतीश कुमार को पुरस्कृत किया जाए, उन्हें भारत रत्न दिया जाए। हालांकि बड़े सलीके से इस बयान को कहीं एग्जिट प्लान न मान लिया जाए। इससे बचते हुए यह भी कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। ये भी कह डाला कि अगला सीएम भी नीतीश कुमार ही होंगे।

गिरिराज सिंह ने ये बयान तब दिया है, जब 25 दिसंबर को ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर सुशासन दिवस के मौके पर बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने एक अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार में बीजेपी की सरकार नहीं बनेगी, अटलजी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकती। इसके बाद सवाल उठने लगा कि क्या बिहार में बीजेपी कुछ और भी सोच रही है?

वहीं, खबरें ये भी हैं कि नीतीश कुमार कुठ तो नया दांव चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की सीक्रेट मुलाकात हुई है। यह कितना सही है ये तो वे दोनों ही जानते होंगे। लेकिन इससे इतर तेजस्वी लगातार आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पर बीजेपी का नियंत्रण हो चुका है और मुख्यमंत्री कार्यालय के चार करीबी अधिकारी सीधे अमित शाह के संपर्क में हैं। तेजस्वी के इन आरोपों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में खटास की अटकलों को हवा दी है। यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी बिहार में महाराष्ट्र जैसी रणनीति अपना सकती है, जहां मुख्यमंत्री का चेहरा बदले बिना चुनाव लड़ा गया था।

तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार अब पूरी तरह बीजेपी के इशारों पर चल रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने उनकी सत्ता को कमजोर कर दिया है। बिहार की जनता यह सब देख रही है और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।

बीते दिनों से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार नाराज हैं। एनडीए से नाराज हैं, भाजपा से नाराज हैं। तो क्या वास्तव में नीतीश कुमार नाराज हैं, जिन्हें भाजपा मनाने की कोशिश कर रही है। नीतीश कुमार को भारत रत्न दिये जाने की गिरिराज सिंह की मांग को इसी कवायद का हिस्सा कहा जा रहा है।राजनीतिक एक्सपर्ट्स यह जरुर मान रहे हैं कि गिरिराज सिंह को नीतीश के लिए भारत रत्न की मांग करनी पड़ गई, ये किसी भी तरह से नहीं पच रहा है। कुछ ना कुछ तो जरूर हलचल है।

CWC की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने भूपेश बघेल कर्नाटक रवाना
रायपुर-  पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर्नाटक के बेलगावी के लिए रवाना हो गए हैं, वे 26 दिसंबर को आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की विशेष बैठक में शामिल होंगे. बैठक का नाम ‘नव सत्याग्रह’ रखा गया है, जो महात्मा गांधी द्वारा बेलगावी से सत्याग्रह की शुरुआत के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है.

भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा, साथियों! रायपुर से बेलगावी (कर्नाटक) के लिए रवाना हो रहा हूं. आज मध्य रात्रि तक पहुंच जाऊंगा.बेलगावी वही जगह है, जहां 100 वर्ष पहले पूज्य बापू महात्मा गांधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. यहां 26 दिसंबर को विस्तारित CWC की विशेष बैठक होगी, जिसका नाम ‘नव सत्याग्रह’ रखा गया है. क्योंकि 100 साल पहले गांधी जी ने सत्याग्रह का ऐलान बेलगावी से ही किया था. अब उसी जगह से कांग्रेस ‘नव सत्याग्रह का संकल्प’ लेकर आगे बढ़ेगी. उन्होंने यह भी बताया कि 27 दिसंबर को यहां एक विशाल ‘जय बापू-जय भीम-जय संविधान’ रैली आयोजित होगी.

बघेल ने कहा, सोचते हुए आंखों के आगे वह चित्र बन रहा है जब 26 दिसंबर 1924 को इसी बेलगावी (कर्नाटक) में कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के अवसर पर सर्वसम्मति से गांधी जी को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया होगा. यह अधिवेशन आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुआ. इस अधिवेशन में देश के कोने-कोने से हजारों लोग आए. अधिवेशन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कांग्रेस की कमान मिली और बतौर अध्यक्ष गांधी जी ने जो संदेश दिए, उनका आजादी की लड़ाई में जोरदार असर देखा गया.

साल 2024, उसी ऐतिहासिक अधिवेशन का शताब्दी वर्ष है. 100 साल की इस यात्रा में देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे. इन तमाम उतार-चढ़ावों के दौरान गांधी जी के वही संदेश आज के भारत के लिए भी बेहद जरूरी और प्रासंगिक बने हुए हैं.

आखिर इस सम्मेलन में गांधी जी ने क्या कहा था?

महात्मा गांधी जी ने सभी देशवासियों से अपने आपसी मतभेदों को भुला, एकजुट होकर अत्याचारी ब्रिटिश हूकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आह्वान किया था. खिलाफत आंदोलन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच उपजी खाई को पाटकर पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया.

स्वराज के संकल्प पर बात करते हुए गांधी जी ने कहा कि जब तक हम जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर एक-दूसरे के साथ भेदभाव करेंगे, उन्हें अछूत मानते रहेंगे, तब तक स्वराज का संकल्प अधूरा ही रहेगा.

गांधी जी ने कहा कि जब तक देश के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे जागरूक लोगों की राजनीति में भागीदारी नहीं होगी, तब तक देश में परिवर्तन का संकल्प मुश्किल होगा.

गांधी जी ने स्वतंत्रता सेनानियों को बताया कि अंग्रेजों की तानाशाही के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार अहिंसा और विनम्रतापूर्वक अवज्ञा है. अगर हम अंग्रेजों का कहा नहीं करेंगे तो उनकी व्यवस्था खुद ही ध्वस्त हो जाएगी. इसी के कुछ साल बाद 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई.

अब 100 साल बाद यानी 2024 की बात करते हैं. ये एक ऐसा दौर है जब BJP बाबा साहेब के संविधान की धज्जियां उड़ाकर, देश के नायकों का अपमान कर, जाति-धर्म के आधार पर नफरत भड़काकर देश की एकता को खंडित करना चाहती है. नफरत और हिंसा के इस दौर में भी कांग्रेस पार्टी गांधी के दिखाए मार्ग पर चलकर उनके दिए संस्कारों, सीखों और मूल्यों को मजबूती से आत्मसात करने को तत्पर है.

कांग्रेस पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक उसी बेलगावी में 26 दिसंबर, 2024 को होने जा रही है, जहां से गांधी जी ने भारत को सद्भाव, एकता, प्रेम और तानाशाह ताकतों के प्रति अवज्ञा का मूल्य सिखाया था. कांग्रेस पार्टी और उसके करोड़ों कार्यकर्ता आज सत्य, अहिंसा और प्रेम के गांधीवादी आदर्शों को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी निष्ठा से तत्पर हैं.
नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ किसे उतारेगी बीजेपी?

#delhi_elections_bjp_embroiled_in_the_question_of_kejriwal_vs_who

दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों का लान तो अब तक नहीं हा है। हालांकि, फरवरी में संभावित चुनाव को लेकर सियासत गरमाने लगी है। नई दिल्ली विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट बनने जा रही है। इस सीट पर एक पूर्व मुख्यमंत्री का मुकाबला दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से हो सकता है। पूरी संभावना है कि बीजेपी नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को उतारे। वहीं कांग्रेस यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को पहले ही अपना उम्मीदवार बना चुकी है। अब सबको बीजेपी की पहली सूची का इंतजार है, जो इस सप्ताह के आखिर तक आने की संभावना है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही बीजेपी अब आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को घेरने की रणनीति में जुटी है। पार्टी ऐसे तगड़े नाम खोज रही है, जिनके जरिए न सिर्फ अरविंद केजरीवाल बल्कि दिल्ली सरकार के मौजूदा मंत्रियों को भी तगड़ी टक्कर दी जा सके। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार की योजनाओं के दम पर मजबूत स्थिति में हैं। वहीं बीजेपी के पास अब तक मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं है जिससे पार्टी की रणनीति सवालों के घेरे में है।

केजरीवाल के लिए ये जाल बुन रही बीजेपी

बीजेपी ने अब तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल को तगड़ी टक्कर देना चाहती है और इस तरह की रणनीति बना रही है ताकि केजरीवाल चुनाव प्रचार में अपने ही क्षेत्र में फंसे रहें और दूसरे इलाकों में प्रचार के लिए उन्हें वक्त निकाले में दिक्कत हो। पार्टी की नजर केजरीवाल के मुकाबले में पार्टी के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा पर है। फिलहाल जो पैनल बनाया गया है, उसमें नई दिल्ली विधानसभा सीट पर प्रवेश वर्मा का नाम उपर रखा गया है। इसके अलावा पार्टी सुनील यादव के नाम पर भी विचार कर रही है। यादव दिल्ली ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष हैं।

भाजपा के पास न चेहरा, न एजेंडा : केजरीवाल

वहीं केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी के पास दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए न तो कोई चेहरा है न ही कोई एजेंडा। उन्होंने कहा कि हम पांच साल के काम गिना रहे और जनता को बता रहे हैं कि अगले पांच साल क्या काम करेंगे। उन्‍होंने कहा कि भाजपा झूठ बोल रही है और लोगों को बहका रही है। उन्‍होंने कहा कि भाजपा के पास यह चुनाव लड़ने के लिए कोई एजेंडा नहीं है, कोई प्‍लानिंग नहीं है। वो दिल्‍ली के लोगों को यह बताएं कि पांच साल में दिल्‍ली के लिए भाजपा ने क्‍या काम किया है।

साथ ही केजरीवाल ने महिला सम्मान और संजीवनी योजना के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत अपने चुनाव क्षेत्र नई दिल्ली से की है। हालांकि सवाल ये है कि क्या ये नई योजनाएं जीत की गारंटी बनेंगी? क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी ने जिस तरह से केजरीवाल की घेराबंदी शुरू की है, इस हाई प्रोफाइल सीट को बचाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होता दिख रहा है।

भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव में हंगामा, विधायक मोतीलाल साहू का हुआ विरोध

रायपुर-    भाजपा के मंडल अध्यक्ष चुनाव के दौरान फिर एक बार जमकर हंगामा हुआ है। इस बार माना मंडल अध्यक्ष के चुनाव के दौरान माना स्थित टेमरी साहू भवन में जमकर हंगामा मचा है, जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस से आए भीमवंत निषाद को मंडल अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि मंडल के लिए दो बार का सक्रिय सदस्य और छ:साल का अनुभव जरूरी किया गया था। इसके बावजूद चुनाव प्रभारी ने पैराशूट लैंडिंग अध्यक्ष थोप दिया गया है। जिसके विरोध में भाजपा माना मंडल के सदस्य प्रदेश कार्यालय पहुंचकर चुनाव संचालन समिति के वरिष्ठ नेताओं से शिकायत किया गया। इसके साथ ही विधायक मोतीलाल साहू और चुनाव प्रभारी किशोर महानंद के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई है। जानकारी के अनुसार, रायपुर ग्रामीण विधानसभा के अंतर्गत माना मंडल अध्यक्ष चुनाव में प्रमुख दावेदार में रंजीत सिंह गौतम मंडल उपाध्यक्ष, नरेश पिल्ले ,संदीप सोनी मुख्य रूप से दावेदार थे। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से भाजपा में आए भीमवंत निषाद का नाम अचानक सामने आने के बाद इसका जमकर विरोध हुआ माना स्थित टेमरी साहू भवन में विधायक मोतीलाल साहू का विरोध किया गया. कई कार्यकर्ता भाजपा विधायक की गाड़ी के सामने लेट गए.

कार्यकर्ताओं ने विधायक और चुनाव प्रभारी पर लगाए आरोप

कार्यकर्ताओं ने विधायक मोतीलाल साहू और मंडल चुनाव प्रभारी किशोर महानंद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कर्मठ मंडल अध्यक्ष को नियुक्त नहीं करके कार्यकर्ताओं का अपमान किया है. इससे नाराज भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भाजपा प्रदेश कार्यालय में पहुंचकर अपना विरोध जताए। कार्यकर्ताओ ने कहाँ कि विधायक और चुनाव प्रभारी किशोर महानंद से कहाँ कि कांग्रेस डेढ़ साल पहले आए व्यक्ति को कैसे मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. साथ ही पैनल में 5 लोगों का नाम चल रहा था, ये छठवां आदमी कहां से टपक गया। बता दें, इससे पहले भी भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव को लेकर विरोध की खबरों के साथ वीडियो आती रही है. संगठन में मंडल अध्यक्ष के चुनाव के दौरान कुछ जगहों पर विवाद की स्थिति को BJP प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने स्वीकार करते हुए कहा था कि BJP की पूरे प्रदेश में 400 मंडल है.

बैग पॉलिटिक्सः बीजेपी सांसद ने प्रियंका गांधी को दिया 1984 लिखा बैग, जानें क्या है सियासी मतलब?

#bjp_mp_aparajita_sarangi_gave_priyanka_gandhi_a_bag

संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार बैग पर खूब सियासत देखने को मिली। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सत्र के दौरान लगातार नए-नए बैग लेकर संसद पहुंच रही थीं। पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाने के लिए एक बैग पर उसके समर्थन का नारा लिख संसद पहुंची। उसके बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के समर्थन जताते हुए स्लोगन लिखे बैग के साथ संसद पहुंची। इस बीच बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका गांधी को एक बैग दिया है। भाजपा ने इस बैग जरिए प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी को घेरने की कोशिश की है।

संसद परिसर के अंदर प्रियंका गांधी को बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने एक बैग गिफ्ट किया जिसमें 1984 लिखा हुआ था। आज संसद सत्र का आखिरी दिन था। सभी सांसदों की तरह वायनाड सांसद प्रियंका गांधी भी संसद परिसर के अंदर थीं। जैसे ही वह संसद के गलियारे में पहुंचीं, पीछे से भुवनेश्वर सीट से बीजेपी सांसद अपराजिता सांरगी पहुंचीं। उन्होंने आगे चल रहीं प्रिंयका को एक बैग थमाया। उस बैग में खून से 1984 लिखा हुआ था। पहले तो प्रिंयका इसे लेने में हिचकिचाईं, फिर इसे लेकर छिपा लिया।

अपराजिता ने कहा कि वह संसद में नए-नए बैग लेकर आती हैं तो मैंने भी सोचा कि उन्हें एक बैग गिफ्ट करूं।प्रियंका जी को बैग्स का इतना शौक है,इसलिए मैंने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों का यह बैग दिया। पहले तो उन्होंने लेने में झिझक दिखाई,लेकिन फिर उन्होंने इसे ले लिया और छिपा लिया। उन्होंने आगे कहा कि हम उन्हें उनकी पार्टी की ओर से की गई ऐतिहासिक गलती की याद दिलाना चाहते थे।

बता दें कि साल 1984 में कांग्रेस के ही राज में सिख दंगे हुए थे,जिसे लेकर अक्सर बीजेपी उसे कटघरे में खड़ी करती रहती है। भाजपा ने इस बैग के जरिए सिख दंगों को याद दिलाने की कोशिश की।

प्रियंका गांधी के दो अलग-अलग बैग, उसपर लिखे 'फिलिस्तीन' और 'बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ खड़े रहो' जैसे मैसेज पर भारतीय जनता पार्टी खूब हमलावर है। माना जा रहा है कि यह बीजेपी की ओर से प्रियंका गांधी को कथित बैग पॉलिटिक्स का जवाब था। हालांकि, इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने फिलस्तीन लिखा बैग संसद परिसर में लेकर जाने पर प्रियंका गांधी पर कटाक्ष किया था। आदित्यनाथ ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कहा था कि कांग्रेस की एक नेता संसद में फिलिस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं और हम उप्र के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं।

फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

#devendrafadnavisbjpmaharashtracmattackoncongressrahulgandhiurban_naxal

भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी लाई प्रिविलेज मोशन, लोकसभा से निलंबित करने की मांग

#bjp_mp_nishikant_dubey_submits_breach_of_privilege_notice_against_rahul_gandhi

संसद के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है। ये पूरा सत्र काफी हंगामेदार रहा और आखिरी दिन भी हंगामे के आसार हैं। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस दिया है। इधर, आज बीजेपी और विपक्ष दोनों में प्रदर्शन की रेस है। आज सदन में धक्कामुक्की कांड का मुद्दा बहुत गरमा सकता है। बीजेपी सांसद महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस आज देश भर के सभी जिला मुख्यालयों पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान और लोकसभा नेता राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस दिया है। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नोटिस भेजा है। उन्होंने स्पीकर से मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने को कहा है। दुबे ने साथ ही यह भी अपील की है कि जब तक समिति इस मामले में फैसला नहीं करती, राहुल गांधी को लोकसभा से निलंबित कर दिया जाए। बीजेपी सांसद ने अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़ कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चलाने के लिए विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।

आंबेडकर विवाद को लेकर पूरे देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। संसद में पिछले दो दिनों से इसको लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। गुरुवार संसद में हुए धक्कामुक्की में बीजेपी के दो (प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत) सांसद घायल हो गए थे. दोनों को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों सासंदों के सिर में चोट लगी थी। सांरगी को टांके भी लगे थे।

‘इस हरकत की जितनी भर्त्सना की जाय, कम है…’, जानिए किस बात पर कांग्रेस को कोस रहे हैं मुख्यमंत्री साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा…
रायपुर- कांग्रेस के इस हरकत की जितनी भर्त्सना की जाय, कम है. समाज को आगे आ कर इसका विरोध करना चाहिए. भयानक दुर्भाग्य की बात है कि आज भी कांग्रेस को भारत में थोड़ा ही सही किंतु समर्थन मिल रहा है. कांग्रेस के इस कुकृत्य हर स्तर पर विरोध होना चाहिए. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज झा का कांग्रेस पर यह गुस्सा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भारत के गलत नक्शे को प्रस्तुत करने पर फूट पड़ा है. 

कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee) की कर्नाटक के बेलगावी में आज बैठक हो रही है, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सीएम सिद्दारमैया सहित कई नेता नव सत्याग्रह बैठक में मंथन करेंगे. बैठक में नेताओं के स्वागत के लिए लगाए गए पोस्टर में भारत के नक्शे को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें चीन द्वारा हथियाए गए (अक्साई चीन) हिस्से को प्रदर्शित नहीं किया गया है.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा का गुस्सा भारत के इसी गलत नक्शे को लेकर कांग्रेस पर फूट पड़ा है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर उन्होंने स्वागत में लगाए गए पोस्टर में प्रस्तुत भारत के गलत नक्शे को हाईलाइट करते हुए कड़ी टिप्पणी की है.

झा ने अपने पोस्ट में कहा है कि कांग्रेस ने कर्नाटक के अपने अधिवेशन में कश्मीर को फिर से पाकिस्तान का हिस्सा बताया है. इसी तरह अक्साई चीन को उसने चीन का हिस्सा बताया है, इस राष्ट्रविरोधी दल का यह घोर आपत्तिजनक, दंडनीय और निंदनीय कृत्य है.

यह कोई पहला मौका है, या गलती से ऐसा हो गया है, यह बात नहीं है. इससे पहले भी छत्तीसगढ़ के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यह कृत्य किया था. छत्तीसगढ़ भाजपा द्वारा तब इस विषय का खुलासा करने, मुकदमा आदि दर्ज कराने के बाद तब कांग्रेस ने माफी मांगी थी.

बार-बार हर महत्वपूर्ण अवसर पर इस तरह का कृत्य कर कांग्रेस देश के दुश्मनों को यह संदेश देती रहती है कि वह उसके साथ है. तुष्टीकरण के अपने एजेंडे के कारण कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है.
विवादों में बेलगावी कांग्रेस अधिवेशन, बीजेपी बोली-पोस्टर में लगा भारत का गलत नक्शा, पीओके-अक्साई चीन गायब

#bjpstatementcongresscwcmeetingbelagavimap_controversy

कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हो रही है। हालांकि यह बैठक अपने आयोजन से पहले ही विवाद में फंस गई है। मीटिंग से पहले कार्यकर्ताओं ने बेलगावी में पोस्टर लगाए। जिसमें भारत का गलत नक्शा दिखाया जा रहा है। नक्शे में कश्मीर का हिस्सा गायब है। बेलगावी में इस तरह के पोस्टर देख बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का दावा है कि इस नक्शे में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

कांग्रेस अधिवेशन के लिए लगे पोस्टर बैनर की तस्वीर साझा करते हुए कर्नाटक भाजपा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है। जिसमें पार्टी ने लिखा कि 'कर्नाटक कांग्रेस ने भारत की संप्रभुता का अपमान किया है और बेलगावी के कार्यक्रम में भारत का गलत नक्शा दर्शाया है। नक्शे में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया है। ये सब सिर्फ वोटबैंक के तुष्टिकरण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद शर्मनाक है।'

कांग्रेस भारत को तोड़ने वालों के साथ

वहीं, भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, आज एक तस्वीर सामने आई है जो दिल को दुखाती है। भाजपा कर्नाटक ने एक ट्वीट किया है जिसमें देखा जा सकता है कि बेलगावी में कांग्रेस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने जो भारत का मैप लगाया है, उसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और अक्साई चिन नहीं है। वे पहले भी ऐसी हरकतें कर चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि जो ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं, उनके साथ कांग्रेस का संबंध अब स्पष्ट हो गया है।

सुधांशु त्रिवेदी के तीखे सवाल

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि पूर्व में डीएमके ने भारत का गलत नक्शा दिखाया। जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन को गायब दिखाया गया। कोरोना के समय राहुल गांधी ने भी एक ट्वीट किया था, उसमें भी अक्साई चिन और पीओके गायब था। शशि थरूर ने 21 दिसंबर 2019 को भारत का नक्शा सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें भी गड़बड़ी थी। भाजपा ने सवाल किया कि पिछले काफी समय से भारत के नक्शे में जो गड़बड़ी दिखाई जा रही है, वह क्या सिर्फ संयोग है या फिर किसी व्यवस्थित भारत विरोध का हिस्सा है?' भाजपा ने पूछा कि 'ये किसके इशारे पर हो रहा है? क्या सोरोस से कोई गुप्त संदेश तो नहीं आ रहा?

दो दिनों तक चलेगा अधिवेशन

बता दें कि कर्नाटक का सीमावर्ती शहर बेलगावी अगले दो दिनों तक महात्मा गांधी की अध्यक्षता में यहां हुए एकमात्र कांग्रेस अधिवेशन की यादों को ताजा करेगा। कांग्रेस का ऐतिहासिक अधिवेशन 26 और 27 दिसंबर, 1924 को किया गया था और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में याद किया जाता है। उस अधिवेशन में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था। अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने चरखे पर सूत कातने की अपील की और असहयोग का आह्वान किया, जो स्वतंत्रता-पूर्व भारत में एक बड़ा आंदोलन बन गया। उस ऐतिहासिक अधिवेशन के मुख्य आयोजक गंगाधर राव देशपांडे थे, जिन्हें कर्नाटक का खादी भगीरथ कहा जाता था। वे बेलगावी में स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे। बेलगावी को उस समय बेलगाम के नाम से जाना जाता था। देशपांडे ने बेलगाम कांग्रेस अधिवेशन की मेजबानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी अध्यक्षता गांधी ने की थी।

अटल बिहारी वाजपेयी: एक दूरदृष्टा नेता का भारत निर्माण में अमिट योगदान

#atalmanof_india

अटल बिहारी वाजपेयी (1924–2018) भारत के सबसे सम्मानित राजनीतिक नेताओं में से एक थे, जिनका योगदान देश के लिए राज्यकर्मी और दूरदृष्टा के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में तीन गैर-निरंतर कार्यकालों में सेवा की: 1996, 1998–2004 और 1996 में कुछ समय के लिए। उनके नेतृत्व और दृष्टिकोण ने भारत की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों पर स्थायी प्रभाव डाला। यहां उनके कुछ प्रमुख योगदान दिए गए हैं:

1. राजनयिक प्रयास और शांति पहल

 -पाकिस्तान के साथ रिश्तों में सुधार: वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक रूप से जुड़ने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। 1999 में उन्होंने लाहौर की अपनी बस यात्रा के दौरान लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जो दोनों देशों के बीच शांति और रिश्तों को सामान्य बनाने के लिए एक मजबूत पहल थी।

-कारगिल युद्ध (1999): कारगिल संघर्ष के बाद, वाजपेयी के नेतृत्व की सराहना की गई, जिसमें उन्होंने स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सावधानीपूर्वक संभालते हुए भारत की क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित की।

- संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध: वाजपेयी ने भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शुरू में कुछ संकोच के बावजूद, उनकी सरकार ने भारत को अमेरिकी रणनीतिक साझेदार बना दिया, खासकर रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में।

 2. न्यूक्लियर प्रोग्राम

 पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण (1998): वाजपेयी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारत के पोकरण- II न्यूक्लियर परीक्षण की देखरेख करना था, जो मई 1998 में किए गए थे। वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए, जिससे भारत को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया। यह कदम भारत की सामरिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था।

- ये परीक्षण अंतर्राष्ट्रीय विवाद का कारण बने, लेकिन इसके साथ ही भारत को एक मान्यता प्राप्त परमाणु शक्ति बना दिया, जिससे उसकी सुरक्षा नीति को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिली।

 3. आर्थिक सुधार और विकास

- आर्थिक उदारीकरण (1990 के दशक): वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने 1990 के दशक में शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का समर्थन किया और उन्हें तेज़ किया। हालांकि ये सुधार प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री नरसिंह राव के तहत हुए थे, वाजपेयी सरकार ने इसे जारी रखा और निजीकरण को बढ़ावा दिया तथा औद्योगिक नीति में सुधार किया।

- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: उनकी सरकार ने कई प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शुरुआत की, जिनमें गोल्डन क्वाड्रिलेट्रल प्रोजेक्ट शामिल है, जिसका उद्देश्य दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे चार प्रमुख शहरों को एक नेटवर्क के जरिए जोड़ना था, जिससे देश के सड़क संपर्क में सुधार हुआ।

4. सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

- भारतीय संस्कृति का प्रचार: वाजपेयी भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक थे। उन्हें अपनी वाकपटुता और पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव के लिए जाना जाता था। अपने भाषणों में अक्सर कविताओं का उद्धरण करते थे। उनका भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रति गहरा सम्मान उनके नीतियों और सार्वजनिक जीवन में परिलक्षित होता था।

- समावेशी शासन: उन्होंने समाज के सभी वर्गों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सरकार ने अधिक समावेशी विकास के लिए एक ढांचा तैयार किया, जो भारत को एकजुट करता है।

 5. शासन और राजनीतिक धरोहर

- लोकतंत्र के समर्थक: वाजपेयी एक प्रतिबद्ध लोकतांत्रिक नेता थे, जिन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी और समावेशी भारत की परिकल्पना की। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई और यह सुनिश्चित किया कि देश विभिन्न चुनौतियों के बावजूद एकजुट रहे।

- भारतीय जनता पार्टी (BJP): BJP के एक वरिष्ठ नेता के रूप में वाजपेयी का नेतृत्व पार्टी को एक महत्वपूर्ण राजनीतिक ताकत के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण था। उनकी राजनीति में उदार और समावेशी दृष्टिकोण ने BJP को एक राष्ट्रीय पार्टी बना दिया, जो उत्तर भारत से बाहर भी प्रभावशाली हो गई।

 6. सामाजिक कल्याण योजनाएँ

  - पंचायती राज अधिनियम (1993): वाजपेयी की सरकार के दौरान, भारत में पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त बनाने और विकेंद्रीकरण पर जोर दिया गया। इससे ग्रामीण भारत को सशक्त बनाया गया और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत किया गया।

शिक्षा और स्वास्थ्य पहल: वाजपेयी सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाने पर जोर दिया, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

7. उनकी नेतृत्व शैली

- वाजपेयी अपनी दूरदर्शिता, धैर्य और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। उनके नेतृत्व में, वे राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में सख्त और शांति की ओर बढ़ने में संतुलित थे। उनकी व्यक्तिगत ईमानदारी और संसद के प्रति सम्मान ने उन्हें राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी सराहा।

8. पुरस्कार और सम्मान

  - अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके भारतीय राजनीति और शासन में योगदान को मान्यता प्रदान करता है।

- उनका प्रभाव केवल राजनीति तक सीमित नहीं था। उन्हें एक दूरदर्शी नेता के रूप में देखा जाता था, जिन्होंने वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को समझा और भारत के लिए एक बेहतर भविष्य की दिशा में काम किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। वह एक ऐसे नेता के रूप में याद किए जाते हैं, जिनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने आधुनिक भारत को आकार दिया। उनका प्रभाव हमेशा रहेगा, और वह एक मजबूत, आत्मविश्वासी और वैश्विक मंच पर सम्मानित भारत के निर्माता के रूप में याद किए जाएंगे।

बीजेपी में नीतीश को भारत रत्न देने की उठी मांग,यहां पक रही है कौन सी सियासी खिचड़ी!

#nitish_kumar_bharat_ratna_demand_by_bjp_twist

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार और नवीन पटनायक के लिए भारत रत्न की मांग की है। नीतीश कुमार के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान मांग रहे ये वही गिरिराज सिंह जो कभी नीतिश कुमार को लेकर काफी मुखर रहे हैं। गिरिराज सिंह है जो अभी कुछ ही समय पहले नीतीश कुमार को पानी पी-पीकर कोस रहे थे जब वे तेजस्वी के साथ सरकार में थे, उनके सुर बदल गए हैं। नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर संदेह के बादल के बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के ताजा बयान से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। दरअसल बिहार की सियासत को जानने वाले और नीतीश कुमार के दांव को परखने वाले बखूबी जानते हैं कि यह भी एक राजनीतिक रणनीति है। पूछे जा रहे हैं कि गिरिराज का ये बयान नीतीश कुमार को उनकी राजनीति के आखिरी स्टेप की और इशारा तो नहीं कर रहे हैं? या फिर बिहार की कुर्सी के प्रति मोह त्यागने का सुरक्षित राह का दर्शन करा रहे हैं?

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि नीतीश कुमार इतने साल से बिहार के सीएम हैं। इनके शासन में विकास की लहर तेज गति से बही है। इसलिए नीतीश कुमार को पुरस्कृत किया जाए, उन्हें भारत रत्न दिया जाए। हालांकि बड़े सलीके से इस बयान को कहीं एग्जिट प्लान न मान लिया जाए। इससे बचते हुए यह भी कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। ये भी कह डाला कि अगला सीएम भी नीतीश कुमार ही होंगे।

गिरिराज सिंह ने ये बयान तब दिया है, जब 25 दिसंबर को ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर सुशासन दिवस के मौके पर बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने एक अहम बयान दिया। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार में बीजेपी की सरकार नहीं बनेगी, अटलजी को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दी जा सकती। इसके बाद सवाल उठने लगा कि क्या बिहार में बीजेपी कुछ और भी सोच रही है?

वहीं, खबरें ये भी हैं कि नीतीश कुमार कुठ तो नया दांव चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की सीक्रेट मुलाकात हुई है। यह कितना सही है ये तो वे दोनों ही जानते होंगे। लेकिन इससे इतर तेजस्वी लगातार आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार पर बीजेपी का नियंत्रण हो चुका है और मुख्यमंत्री कार्यालय के चार करीबी अधिकारी सीधे अमित शाह के संपर्क में हैं। तेजस्वी के इन आरोपों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में खटास की अटकलों को हवा दी है। यह भी कहा जा रहा है कि बीजेपी बिहार में महाराष्ट्र जैसी रणनीति अपना सकती है, जहां मुख्यमंत्री का चेहरा बदले बिना चुनाव लड़ा गया था।

तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार अब पूरी तरह बीजेपी के इशारों पर चल रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने उनकी सत्ता को कमजोर कर दिया है। बिहार की जनता यह सब देख रही है और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।

बीते दिनों से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार नाराज हैं। एनडीए से नाराज हैं, भाजपा से नाराज हैं। तो क्या वास्तव में नीतीश कुमार नाराज हैं, जिन्हें भाजपा मनाने की कोशिश कर रही है। नीतीश कुमार को भारत रत्न दिये जाने की गिरिराज सिंह की मांग को इसी कवायद का हिस्सा कहा जा रहा है।राजनीतिक एक्सपर्ट्स यह जरुर मान रहे हैं कि गिरिराज सिंह को नीतीश के लिए भारत रत्न की मांग करनी पड़ गई, ये किसी भी तरह से नहीं पच रहा है। कुछ ना कुछ तो जरूर हलचल है।

CWC की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने भूपेश बघेल कर्नाटक रवाना
रायपुर-  पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कर्नाटक के बेलगावी के लिए रवाना हो गए हैं, वे 26 दिसंबर को आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की विशेष बैठक में शामिल होंगे. बैठक का नाम ‘नव सत्याग्रह’ रखा गया है, जो महात्मा गांधी द्वारा बेलगावी से सत्याग्रह की शुरुआत के 100 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है.

भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा, साथियों! रायपुर से बेलगावी (कर्नाटक) के लिए रवाना हो रहा हूं. आज मध्य रात्रि तक पहुंच जाऊंगा.बेलगावी वही जगह है, जहां 100 वर्ष पहले पूज्य बापू महात्मा गांधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. यहां 26 दिसंबर को विस्तारित CWC की विशेष बैठक होगी, जिसका नाम ‘नव सत्याग्रह’ रखा गया है. क्योंकि 100 साल पहले गांधी जी ने सत्याग्रह का ऐलान बेलगावी से ही किया था. अब उसी जगह से कांग्रेस ‘नव सत्याग्रह का संकल्प’ लेकर आगे बढ़ेगी. उन्होंने यह भी बताया कि 27 दिसंबर को यहां एक विशाल ‘जय बापू-जय भीम-जय संविधान’ रैली आयोजित होगी.

बघेल ने कहा, सोचते हुए आंखों के आगे वह चित्र बन रहा है जब 26 दिसंबर 1924 को इसी बेलगावी (कर्नाटक) में कांग्रेस के 39वें अधिवेशन के अवसर पर सर्वसम्मति से गांधी जी को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया होगा. यह अधिवेशन आजादी की लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुआ. इस अधिवेशन में देश के कोने-कोने से हजारों लोग आए. अधिवेशन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को कांग्रेस की कमान मिली और बतौर अध्यक्ष गांधी जी ने जो संदेश दिए, उनका आजादी की लड़ाई में जोरदार असर देखा गया.

साल 2024, उसी ऐतिहासिक अधिवेशन का शताब्दी वर्ष है. 100 साल की इस यात्रा में देश ने कई उतार-चढ़ाव देखे. इन तमाम उतार-चढ़ावों के दौरान गांधी जी के वही संदेश आज के भारत के लिए भी बेहद जरूरी और प्रासंगिक बने हुए हैं.

आखिर इस सम्मेलन में गांधी जी ने क्या कहा था?

महात्मा गांधी जी ने सभी देशवासियों से अपने आपसी मतभेदों को भुला, एकजुट होकर अत्याचारी ब्रिटिश हूकुमत के खिलाफ लड़ाई लड़ने का आह्वान किया था. खिलाफत आंदोलन के बाद हिंदुओं और मुसलमानों के बीच उपजी खाई को पाटकर पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोया.

स्वराज के संकल्प पर बात करते हुए गांधी जी ने कहा कि जब तक हम जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर एक-दूसरे के साथ भेदभाव करेंगे, उन्हें अछूत मानते रहेंगे, तब तक स्वराज का संकल्प अधूरा ही रहेगा.

गांधी जी ने कहा कि जब तक देश के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे जागरूक लोगों की राजनीति में भागीदारी नहीं होगी, तब तक देश में परिवर्तन का संकल्प मुश्किल होगा.

गांधी जी ने स्वतंत्रता सेनानियों को बताया कि अंग्रेजों की तानाशाही के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार अहिंसा और विनम्रतापूर्वक अवज्ञा है. अगर हम अंग्रेजों का कहा नहीं करेंगे तो उनकी व्यवस्था खुद ही ध्वस्त हो जाएगी. इसी के कुछ साल बाद 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई.

अब 100 साल बाद यानी 2024 की बात करते हैं. ये एक ऐसा दौर है जब BJP बाबा साहेब के संविधान की धज्जियां उड़ाकर, देश के नायकों का अपमान कर, जाति-धर्म के आधार पर नफरत भड़काकर देश की एकता को खंडित करना चाहती है. नफरत और हिंसा के इस दौर में भी कांग्रेस पार्टी गांधी के दिखाए मार्ग पर चलकर उनके दिए संस्कारों, सीखों और मूल्यों को मजबूती से आत्मसात करने को तत्पर है.

कांग्रेस पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक उसी बेलगावी में 26 दिसंबर, 2024 को होने जा रही है, जहां से गांधी जी ने भारत को सद्भाव, एकता, प्रेम और तानाशाह ताकतों के प्रति अवज्ञा का मूल्य सिखाया था. कांग्रेस पार्टी और उसके करोड़ों कार्यकर्ता आज सत्य, अहिंसा और प्रेम के गांधीवादी आदर्शों को पुनर्जीवित करने के लिए पूरी निष्ठा से तत्पर हैं.
नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ किसे उतारेगी बीजेपी?

#delhi_elections_bjp_embroiled_in_the_question_of_kejriwal_vs_who

दिल्ली विधानसभा चुनाव के तारीखों का लान तो अब तक नहीं हा है। हालांकि, फरवरी में संभावित चुनाव को लेकर सियासत गरमाने लगी है। नई दिल्ली विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट बनने जा रही है। इस सीट पर एक पूर्व मुख्यमंत्री का मुकाबला दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से हो सकता है। पूरी संभावना है कि बीजेपी नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को उतारे। वहीं कांग्रेस यहां से पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को पहले ही अपना उम्मीदवार बना चुकी है। अब सबको बीजेपी की पहली सूची का इंतजार है, जो इस सप्ताह के आखिर तक आने की संभावना है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के साथ ही बीजेपी अब आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को घेरने की रणनीति में जुटी है। पार्टी ऐसे तगड़े नाम खोज रही है, जिनके जरिए न सिर्फ अरविंद केजरीवाल बल्कि दिल्ली सरकार के मौजूदा मंत्रियों को भी तगड़ी टक्कर दी जा सके। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार की योजनाओं के दम पर मजबूत स्थिति में हैं। वहीं बीजेपी के पास अब तक मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं है जिससे पार्टी की रणनीति सवालों के घेरे में है।

केजरीवाल के लिए ये जाल बुन रही बीजेपी

बीजेपी ने अब तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अरविंद केजरीवाल को तगड़ी टक्कर देना चाहती है और इस तरह की रणनीति बना रही है ताकि केजरीवाल चुनाव प्रचार में अपने ही क्षेत्र में फंसे रहें और दूसरे इलाकों में प्रचार के लिए उन्हें वक्त निकाले में दिक्कत हो। पार्टी की नजर केजरीवाल के मुकाबले में पार्टी के पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा पर है। फिलहाल जो पैनल बनाया गया है, उसमें नई दिल्ली विधानसभा सीट पर प्रवेश वर्मा का नाम उपर रखा गया है। इसके अलावा पार्टी सुनील यादव के नाम पर भी विचार कर रही है। यादव दिल्ली ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष हैं।

भाजपा के पास न चेहरा, न एजेंडा : केजरीवाल

वहीं केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी के पास दिल्ली में चुनाव लड़ने के लिए न तो कोई चेहरा है न ही कोई एजेंडा। उन्होंने कहा कि हम पांच साल के काम गिना रहे और जनता को बता रहे हैं कि अगले पांच साल क्या काम करेंगे। उन्‍होंने कहा कि भाजपा झूठ बोल रही है और लोगों को बहका रही है। उन्‍होंने कहा कि भाजपा के पास यह चुनाव लड़ने के लिए कोई एजेंडा नहीं है, कोई प्‍लानिंग नहीं है। वो दिल्‍ली के लोगों को यह बताएं कि पांच साल में दिल्‍ली के लिए भाजपा ने क्‍या काम किया है।

साथ ही केजरीवाल ने महिला सम्मान और संजीवनी योजना के रजिस्ट्रेशन की शुरुआत अपने चुनाव क्षेत्र नई दिल्ली से की है। हालांकि सवाल ये है कि क्या ये नई योजनाएं जीत की गारंटी बनेंगी? क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी ने जिस तरह से केजरीवाल की घेराबंदी शुरू की है, इस हाई प्रोफाइल सीट को बचाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण होता दिख रहा है।

भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव में हंगामा, विधायक मोतीलाल साहू का हुआ विरोध

रायपुर-    भाजपा के मंडल अध्यक्ष चुनाव के दौरान फिर एक बार जमकर हंगामा हुआ है। इस बार माना मंडल अध्यक्ष के चुनाव के दौरान माना स्थित टेमरी साहू भवन में जमकर हंगामा मचा है, जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कांग्रेस से आए भीमवंत निषाद को मंडल अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि मंडल के लिए दो बार का सक्रिय सदस्य और छ:साल का अनुभव जरूरी किया गया था। इसके बावजूद चुनाव प्रभारी ने पैराशूट लैंडिंग अध्यक्ष थोप दिया गया है। जिसके विरोध में भाजपा माना मंडल के सदस्य प्रदेश कार्यालय पहुंचकर चुनाव संचालन समिति के वरिष्ठ नेताओं से शिकायत किया गया। इसके साथ ही विधायक मोतीलाल साहू और चुनाव प्रभारी किशोर महानंद के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई है। जानकारी के अनुसार, रायपुर ग्रामीण विधानसभा के अंतर्गत माना मंडल अध्यक्ष चुनाव में प्रमुख दावेदार में रंजीत सिंह गौतम मंडल उपाध्यक्ष, नरेश पिल्ले ,संदीप सोनी मुख्य रूप से दावेदार थे। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस से भाजपा में आए भीमवंत निषाद का नाम अचानक सामने आने के बाद इसका जमकर विरोध हुआ माना स्थित टेमरी साहू भवन में विधायक मोतीलाल साहू का विरोध किया गया. कई कार्यकर्ता भाजपा विधायक की गाड़ी के सामने लेट गए.

कार्यकर्ताओं ने विधायक और चुनाव प्रभारी पर लगाए आरोप

कार्यकर्ताओं ने विधायक मोतीलाल साहू और मंडल चुनाव प्रभारी किशोर महानंद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने कर्मठ मंडल अध्यक्ष को नियुक्त नहीं करके कार्यकर्ताओं का अपमान किया है. इससे नाराज भाजपा कार्यकर्ता बड़ी संख्या में भाजपा प्रदेश कार्यालय में पहुंचकर अपना विरोध जताए। कार्यकर्ताओ ने कहाँ कि विधायक और चुनाव प्रभारी किशोर महानंद से कहाँ कि कांग्रेस डेढ़ साल पहले आए व्यक्ति को कैसे मंडल अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. साथ ही पैनल में 5 लोगों का नाम चल रहा था, ये छठवां आदमी कहां से टपक गया। बता दें, इससे पहले भी भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव को लेकर विरोध की खबरों के साथ वीडियो आती रही है. संगठन में मंडल अध्यक्ष के चुनाव के दौरान कुछ जगहों पर विवाद की स्थिति को BJP प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने स्वीकार करते हुए कहा था कि BJP की पूरे प्रदेश में 400 मंडल है.

बैग पॉलिटिक्सः बीजेपी सांसद ने प्रियंका गांधी को दिया 1984 लिखा बैग, जानें क्या है सियासी मतलब?

#bjp_mp_aparajita_sarangi_gave_priyanka_gandhi_a_bag

संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार बैग पर खूब सियासत देखने को मिली। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सत्र के दौरान लगातार नए-नए बैग लेकर संसद पहुंच रही थीं। पहले कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का मुद्दा उठाने के लिए एक बैग पर उसके समर्थन का नारा लिख संसद पहुंची। उसके बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के समर्थन जताते हुए स्लोगन लिखे बैग के साथ संसद पहुंची। इस बीच बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने प्रियंका गांधी को एक बैग दिया है। भाजपा ने इस बैग जरिए प्रियंका गांधी और कांग्रेस पार्टी को घेरने की कोशिश की है।

संसद परिसर के अंदर प्रियंका गांधी को बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने एक बैग गिफ्ट किया जिसमें 1984 लिखा हुआ था। आज संसद सत्र का आखिरी दिन था। सभी सांसदों की तरह वायनाड सांसद प्रियंका गांधी भी संसद परिसर के अंदर थीं। जैसे ही वह संसद के गलियारे में पहुंचीं, पीछे से भुवनेश्वर सीट से बीजेपी सांसद अपराजिता सांरगी पहुंचीं। उन्होंने आगे चल रहीं प्रिंयका को एक बैग थमाया। उस बैग में खून से 1984 लिखा हुआ था। पहले तो प्रिंयका इसे लेने में हिचकिचाईं, फिर इसे लेकर छिपा लिया।

अपराजिता ने कहा कि वह संसद में नए-नए बैग लेकर आती हैं तो मैंने भी सोचा कि उन्हें एक बैग गिफ्ट करूं।प्रियंका जी को बैग्स का इतना शौक है,इसलिए मैंने उन्हें 1984 के सिख विरोधी दंगों का यह बैग दिया। पहले तो उन्होंने लेने में झिझक दिखाई,लेकिन फिर उन्होंने इसे ले लिया और छिपा लिया। उन्होंने आगे कहा कि हम उन्हें उनकी पार्टी की ओर से की गई ऐतिहासिक गलती की याद दिलाना चाहते थे।

बता दें कि साल 1984 में कांग्रेस के ही राज में सिख दंगे हुए थे,जिसे लेकर अक्सर बीजेपी उसे कटघरे में खड़ी करती रहती है। भाजपा ने इस बैग के जरिए सिख दंगों को याद दिलाने की कोशिश की।

प्रियंका गांधी के दो अलग-अलग बैग, उसपर लिखे 'फिलिस्तीन' और 'बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ खड़े रहो' जैसे मैसेज पर भारतीय जनता पार्टी खूब हमलावर है। माना जा रहा है कि यह बीजेपी की ओर से प्रियंका गांधी को कथित बैग पॉलिटिक्स का जवाब था। हालांकि, इससे पहले यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने फिलस्तीन लिखा बैग संसद परिसर में लेकर जाने पर प्रियंका गांधी पर कटाक्ष किया था। आदित्यनाथ ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कहा था कि कांग्रेस की एक नेता संसद में फिलिस्तीन का बैग लेकर घूम रही थीं और हम उप्र के नौजवानों को इजराइल भेज रहे हैं।

फडणवीस का महाराष्ट्र चुनाव में विदेशी दखल का दावा, सोनिया के सोरोस कनेक्शन के बाद राहुल की भारत जोड़ों यात्रा पर सवाल

#devendrafadnavisbjpmaharashtracmattackoncongressrahulgandhiurban_naxal

भाजपा ने कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता सोनिया गांधी का नाम अमेरिका कारोबारी जॉर्ज सोरोस से जोड़ा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस की एक संस्था में सोनिया गांधी को-चेयरपर्सन हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जो कश्मीर को भारत से अलग एक स्वतंत्र देश की बात करते हैं। भाजपा ने कहा कि ऐसे में सोनिया गांधी देश विरोधी लोगों के साथ काम करती हैं। अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' में अर्बन नक्सल का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में आतंकी फंडिंग का इस्तेमाल हुआ है। इस मामले की जांच एटीएस कर रही है। फडणवीस ने यह भी दावा किया कि भारतीय चुनावों में विदेशी दखलअंदाजी के सबूत मिले हैं। उन्होंने नेपाल में हुई एक बैठक का भी जिक्र किया, जिसमें ईवीएम की जगह बैलेट पेपर लाने की बात हुई थी।

चुनाव में आतंकी फंडिंग?

फडणवीस ने नासिक के मालेगांव जिले में चल रही एक जांच का जिक्र किया। फडणवीस ने बताया कि इस साल मालेगांव में कुछ युवाओं ने पुलिस में शिकायत की कि उनके खातों में 114 करोड़ रुपये बेनामी जमा किए गए हैं। आरोपी सिराज मोहम्मद ने 14 लोगों के आधार और पैन विवरण का इस्तेमाल करके नासिक मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक, मालेगांव में 14 खाते खोले। सीएम ने कहा कि इस तरह जमा किए गए 114 करोड़ रुपये को सिराज मोहम्मद और 21 अन्य खातों में भेज दिया गया। यह मामला सिर्फ मालेगांव तक सीमित नहीं है। बल्कि 21 राज्यों में फैला है। 201 खातों में 1000 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इस 1000 करोड़ में से 600 करोड़ रुपये दुबई भेजे गए और 100 करोड़ रुपये महाराष्ट्र चुनाव में अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल किए गए। फडणवीस ने आगे कहा कि एटीएस आतंकी फंडिंग के तहत इसकी जांच कर रही है।

भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक और बड़ा हमला बोला। गंभीर आरोप लगाते हुए फडणवीस ने कहा कि इस साल 15 नवंबर को नेपाल में एक बैठक हुई थी। जिसमें ईवीएम का विरोध करने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में महाराष्ट्र और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया गया। इस बैठक में 40 अर्बन नक्सन संगठनों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि इससे पहले महाराष्ट्र चुनाव को लेकर 180 संगठनों ने बैठक की थी। इन संगठनों के संबंध भारत जोड़ो अभियान से है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन 40 संगठनों ने राज्य चुनाव के दौरान कार्यक्रम आयोजित किए और पर्चे भी प्रकाशित किए। फडणवीस ने पूर्व राज्य गृह मंत्री आर. आर. पाटिल का हवाला देते हुए कहा कि इन संगठनों को पहले भी फ्रंटल संगठन के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने अपने इस दावे के सबूत होने की भी बात कही।

देवेंद्र फडणवीस ने 72 फ्रंटल संगठनों का किया जिक्र

देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा, 18 फरवरी 2014 को मनमोहन सिंह सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने लोकसभा में 72 फ्रंटल संगठनों का जिक्र किया था, जिनमें से 7 संगठन आपके भारत जोड़ो के हैं। एंटी-नक्सल ऑपरेशन में जिन 13 संगठनों के नाम लिए गए, उनका संबंध भारत जोड़ो से है।

राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी लाई प्रिविलेज मोशन, लोकसभा से निलंबित करने की मांग

#bjp_mp_nishikant_dubey_submits_breach_of_privilege_notice_against_rahul_gandhi

संसद के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है। ये पूरा सत्र काफी हंगामेदार रहा और आखिरी दिन भी हंगामे के आसार हैं। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस दिया है। इधर, आज बीजेपी और विपक्ष दोनों में प्रदर्शन की रेस है। आज सदन में धक्कामुक्की कांड का मुद्दा बहुत गरमा सकता है। बीजेपी सांसद महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस आज देश भर के सभी जिला मुख्यालयों पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान और लोकसभा नेता राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज एफआईआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी के लोकसभा से निलंबन की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राहुल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन के अपमान का नोटिस दिया है। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को नोटिस भेजा है। उन्होंने स्पीकर से मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने को कहा है। दुबे ने साथ ही यह भी अपील की है कि जब तक समिति इस मामले में फैसला नहीं करती, राहुल गांधी को लोकसभा से निलंबित कर दिया जाए। बीजेपी सांसद ने अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़ कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चलाने के लिए विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।

आंबेडकर विवाद को लेकर पूरे देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। संसद में पिछले दो दिनों से इसको लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है। गुरुवार संसद में हुए धक्कामुक्की में बीजेपी के दो (प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत) सांसद घायल हो गए थे. दोनों को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों सासंदों के सिर में चोट लगी थी। सांरगी को टांके भी लगे थे।