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SECL खदान में बवाल: भू-विस्थापित कर्मचारियों ने अधिकारी को पीटा, ऑफिस में की तोड़फोड़, पुलिस ने 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार

कोरबा- SECL की मानिकपुर खदान में कलिंगा कंपनी के अधिकारी और स्थानीय भू-विस्थापित कर्मचारियों के बीच हुई मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस घटना को लेकर क्षेत्र में तनाव का माहौल है। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत के आधार पर मामले दर्ज कर लिए हैं।

पुलिस ने 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार

कोरबा सीएसपी भूषण एक्का ने बताया कि 17 मई को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। अब तक नामजद आरोपी उदयप्रसाद पटेल और सुरेश पटेल, जबकि वीडियो में मारपीट और तोड़फोड़ करते नजर आ रहे अलोक कुमार पटेल और विजय कुमार यादव को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है और मामले की जांच जारी है।

ग्रामीणों का आरोप है कि कलिंगा कंपनी के कर्मचारी चक्रधर मोहंती कंपनी में कार्यरत स्थानीय भू-विस्थापित कर्मचारियों से ट्रांसफर के नाम पर अवैध रूप से पैसों की मांग करता है। इसी बात को लेकर विवाद हुआ और मामला मारपीट तक पहुंच गया।

गौरतलब है कि इस घटना के बाद से ग्रामीणों में चक्रधर मोहंती को लेकर भारी आक्रोश देखा जा रहा है। पुलिस अब वायरल वीडियो और गवाहों के आधार पर मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।

पीसीसी चीफ दीपक बैज का बड़ा बयान, कहा- हमारे देश में चल रहा है ट्रंप राज, ये नहीं रहे विश्व गुरु…

रायपुर- विधायक पुरंदर मिश्रा के कांग्रेस पर वार पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पलटवार करते हुए कहा कि बौखलाहट नज़र आ रही है. हमारे देश में ट्रंप राज कर रहे हैं. इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. ये विश्व गुरु नहीं रहे है, उस जगह पर ट्रंप ने कब्जा कर लिया है.

बता दें कि भाजपा विधायक पुरंदर मिश्रा ने कांग्रेस भी संविधान बचाओ यात्रा पर तंज कसते हुए कहा था कि ये भारत को ज़िंदा रखने वाले नेताओं को भूल गए. अंबेडकर, अहिल्या बाई होलकर को भूल गए. ये सिर्फ इटली के रानी को याद रखते हैं. सब कुछ कमा कर वहीं देते हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मीडिया से चर्चा में कहा कि सेना को लेकर मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री और मंत्री के बयान की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है. एसआईटी गठन का उद्देश्य मामले को दबाने और मंत्रियों को बचाने के लिए है. उप मुख्यमंत्री और मंत्री के बयान का भाजपा समर्थन करती है. जो तिरंगा यात्रा बीजेपी निकाल रही है, वो ढकोसलेबाज़ी है.

इसके साथ ही दीपक बैज ने कांग्रेस के 25 मई को शहादत दिवस मनाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि सभी जिलों मुख्यालयों में शहादत दिवस मनाया जाएगा. गृह मंत्री को बैज ने आमंत्रित किया है. बैज ने कहा कि गृह मंत्री आयेंगे तो उनका भी स्वागत है.

मुख्यमंत्री श्री साय आज अचानक पहुंचे अछोटी, निर्माणाधीन महतारी सदन का लिया जायजा, पानी से की तराई

रायपुर-  राज्य सरकार द्वारा सुशासन को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे सुशासन तिहार के अंतर्गत आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दुर्ग जिले के धमधा विकासखंड अंतर्गत ग्राम अछोटी का औचक दौरा किया।

ग्राम अछोटी में मुख्यमंत्री श्री साय हेलीकॉप्टर से अचानक पहुंचे और डायट कॉलेज परिसर में 29 लाख 20 हजार रुपये की लागत से निर्माणाधीन महतारी सदन का निरीक्षण किया। उन्होंने निर्माण कार्य की गुणवत्ता का मुआयना किया और स्वयं अपने हाथों से भवन के कॉलम की तराई कर कार्य की मजबूती और पारदर्शिता का संदेश दिया। महतारी सदन, ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण और सामुदायिक संवाद का केंद्र बनेगा।

इसके पश्चात मुख्यमंत्री मुरमुंदा पहुंचे, जहां उन्होंने अटल आवास योजना के अंतर्गत निर्मित 226 आवासों का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने अटल आवास क्रमांक 226 के हितग्राही श्री तुषार को अपने हाथों से चाबी सौंपी और उन्हें गृह प्रवेश कराया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर अन्य हितग्राहियों को भी उनके मकान की चाबी सौंपते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण भी उपस्थित रहे।

सुशासन तिहार का उद्देश्य शासन की योजनाओं और सेवाओं को जमीनी स्तर तक प्रभावी रूप से पहुंचाना, जनभागीदारी को प्रोत्साहित करना तथा प्रशासन की जवाबदेही सुनिश्चित करना है। इस अभियान के तहत प्रदेशभर में समाधान शिविर, निरीक्षण दौरे, विकास कार्यों की समीक्षा और योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन जैसे विविध कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय का प्रदेश के गांव-गांव में आकस्मिक दौरा समाधान शिविर में उनकी स्वयं की मौजूदगी और जनसमस्याओं का निदान सुशासन को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण आयाम है, जिससे आमजनता में सरकार के प्रति विश्वास और सहभागिता की भावना और अधिक सुदृढ़ हुई है।

पोर्न एडिक्ट नाबालिग ने तीसरी कक्षा के छात्र के साथ किया दुष्कर्म, फिर पट्टे से गला घोंटकर उतारा मौत के घाट, जांच में जुटी पुलिस

कांकेर-  छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जहां नाबालिग आरोपी ने 8 साल के बच्चे की हत्या कर दी और शव को पहाड़ी से नीचे फेंक दिया. गड़िया पहाड़ी पर अर्धनग्न हालत में बच्चे का शव बरामद किया गया. जिसके बाद परिजनों ने बच्चे के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप लगाए हैं. पुलिस फिलहाल मामले की जांच में जुट हुई है. अबतक की पूछताछ में यह सामने आया कि नाबालिग पॉर्न फिल्म का एडिक्ट है. मामला चरामा थाना क्षेत्र का है.

जानकारी के अनुसार, नाबालिग तीसरी कक्षा का छात्र था, वह शनिवार को करीब 4 बजे से लापता था. परिजन लगातार बच्चे की तलाश कर रहे थे, लेकिन बच्चा नहीं मिलने पर उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने जांच शुरू की, इस दौरान पता चला कि बच्चे को आखिरी बार गांव के एक नाबालिग के साथ देखा गया था. पतासाजी में सामने आया कि आरोपी 18 मई को फ्रूटी पिलाने के बहाने नाबालिग को अपने साथ गड़िया पहाड़ी लेकर गया और जहां उसकी हत्या कर दी. 

पुलिस ने नाबालिग को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की तो उसने हत्या करने की बात को कबूल कर लिया. नााबलिग ने पुलिस को बताया कि उसने चाबी में लगे पट्टे से गला घोंटकर हत्या की. इसके बाद शव को सुनसान इलाके में फेंक दिया.

नाबालिग की निशानदेही पर पुलिस ने ग्राम सरपंच और ग्रामीणों के साथ गड़िया पहाड़ से मासूम बच्चे का अर्धनग्न लाश बरामद किया. बताया जाता है कि इस इलाके में कम लोग जाते हैं. दो दिन पुराना होने की वजह शव से बदबू आ रही थी. बच्चे के परिजनों ने अनाचार के बाद हत्या का आरोप लगाया है. फिलहाल हत्या के कारणों की जांच जारी है. शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

पोस्टमार्टम के लिए पैसा मांगने के मामले में BMO निलंबित, मेडिकल ऑफिसर हटाए गए, स्वास्थ्य सचिव के निर्देश पर कलेक्टर ने की कार्रवाई

सरगुजा- मृतक बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए पीड़ित परिवार से 10-10 हजार रुपए मांगने और शव को ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मिलने के मामले में कलेक्टर ने बड़ी कार्रवाई की है. स्वास्थ्य सचिव ने तुरंत संज्ञान लिया. उनके निर्देश पर कलेक्टर ने धौरपुर BMO डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित किया है. वहीं रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर अमन जायसवाल को भी हटा दिए हैं. बता दें कि डबरी में डूबने से दो बच्चों की मौत हुई थी. पूरा मामला सरगुजा जिले के रघुनाथपुर पुलिस चौकी क्षेत्र का है.

रघुनाथपुर पुलिस चौकी क्षेत्र के ग्राम सिलसिला में रविवार दोपहर दो बच्चे सूरज गिरी पिता विनोद गिरी (5 वर्ष) और जुगनू गिरी पिता शिवा गिरी वर्ष (5 वर्ष) घर के पास ही डबरी में डूब गए थे. परिजन दोनों बच्चों को बाइक से लेकर रघुनाथपुर हॉस्पिटल पहुंचे, जहां दोनों बच्चों को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. मृत बच्चों के परिजनों ने आरोप लगाया कि रघुनाथपुर हॉस्पिटल के डॉक्टर ने दोनों बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए 10-10 हजार रुपए मांगे. इसकी जानकारी स्थानीय लोगों ने लुण्ड्रा विधायक प्रबोध मिंज को दी. विधायक की सूचना पर लुण्ड्रा बीएमओ डा. राघवेंद्र चौबे भी मौके पर पहुंचे और दोनों बच्चों का पोस्टमार्टम कराया. बच्चों के शवों को घर ले जाने के लिए वाहन नहीं मिला तो परिजन बाइक से दोनों बच्चों के शवों को लेकर वापस घर पहुंचे और उनका अंतिम संस्कार किया।

CMHO ने मामले की जांच कराने की कही थी बात

इस मामले में सरगुजा सीएमएचओ डाॅ. पीएस मार्को ने कहा था कि बीएमओ ने मौके पर जाकर पूछताछ की है. डॉक्टर ने पैसे नहीं मांगे, बल्कि उनके द्वारा कहा गया कि बिना चीर फाड़ के पोस्टमार्टम रिपोर्ट दे दीजिए, हम कुछ पैसे आपको दे देंगे. वे पहले पोस्टमार्टम नहीं कराना चाहते थे. जब उन्हें पता चला कि पानी में डूबने से कुछ मुआवजा दिया जाता है तो वे पोस्टमार्टम कराने आए थे. सीएमएचओ ने कहा था कि पैसा लेने का आरोप लगा रहे तो टीम गठित कर इसकी जांच कराई जाएगी. शव वाहन के लिए भी परिजनों ने ही मना किया था..

ड्रग्स तस्करी फॉलोअप: राजधानी का डिलीवरी पॉइंट, व्हाट्सएप और टेलीग्राम, कौन हैं वो 170 नाम?

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में सूखे नशे का कारोबार कहा से फुल फल रहा है ? ड्रग्स सप्लाई के पीछे आखिर कौन लोग है? राजधानी रायपुर के अंदर ड्रग्स के साथ क्लब्स, होटल और फार्म हाउस में पार्टियां कैसे होती है ? इन पार्टियों में शामिल होने वाले युवा कौन है? क्या इसके पीछे ? कहीं से कोई संरक्षण है ? आखिर ड्रग्स का नेटवर्क छत्तीसगढ़ में किस स्तर तक फ़ैल चुका है ! इन तमाम सवालों के जवाब पुलिस भी ढूंढ रही है. लेकिन ड्रग्स की सप्लाई करते पकड़े गए तीन तस्करो से प्रारंभिक पूछताछ में जो जानकारी सामने आई है वह थोड़ी हैरान करने वाली भी है और व्यवस्थाओं पर सवाल उठाने वाली भी है.

दरअसल, रायपुर पुलिस शनिवार रात वीआईपी रोड के राम मंदिर रोड पर छापेमार कार्रवाई कर तीन पैडलरों को ड्रग्स की सप्लाई करते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. आरोपियों से पूछताछ में पुलिस को ये जानकारी मिली है कि ड्रग्स की सप्लाई के पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. पुलिस पैडलर्स के मोबाइल फोन से करीबन से 170 से अधिक लोगों के सम्पर्क की जानकारी मिली है. उनके नाम की सूची मिली है. बताया जा रहा है इसमें कुछ बड़े कारोबारी, अधिकारी और रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले युवक-युवतियां शामिल हैं. पुलिस अब उन तक पहुंचने की कोशिश कर रही है जो ऐसी बड़े नशे की पार्टियों में शामिल होते रहते हैं. इतना ही नहीं पैडलर का संपर्क रायपुर समेत मुंबई, गोवा और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से भी हैं, जहां से ड्रग्स की सप्लाई यहां तक की जाती है.

डिलीवरी पॉइंट और वीकेंड की पार्टियां

पुलिस की प्रारंभिक जांच पड़ताल में यह भी पाया है की रायपुर का वीआईपी रोड का इलाका ड्रग्स की डिलीवरी पॉइंट के रूप में सामने आ रहा है इसके पीछे की जो वजह सामने आई है, इसमें कई बड़े क्लब्स, होटल, कैफे और फार्म हाउस हैं. इतना ही नहीं जानकारी के मुताबिक ड्रग्स की ज्यादातर पार्टियां वीकेंड में आयोजित हो रही है, जिसमें रायपुर ही नहीं बल्कि दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर, रायगढ़ और अंबिकापुर जैसे शहर से भी लोग पहुंच रहे हैं.

ड्रग्स के साथ और क्या-क्या ?

पुलिस की शुरुआती जानकारी में पाया है की सिर्फ ड्रग्स की ही पार्टिया नहीं हो रही है. बल्कि सूखे नशे से जुड़े अन्य सामनों को परोसा जा रहा है. जिसमे चरस, गांजा, मेडिकल ड्रग्स समेत अन्य चीजे शामिल हैं. साढ़ ही यह भी जानकारी सामने आई है की ऐसी पार्टीज में स्टूडेंट भी बड़ी संख्या में शामिल होते है. जिसमे कॉलेज के लिए अन्य शहरों से पढ़ने आए युवक युवतियां होती है.

टेलीग्राम और व्हाट्सएप में चल रहा नेटवर्क

पुलिस जाँच में खुला हुआ की ड्रिग्स तस्करी का बड़ा खेल टेलीग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए संचालित किया जा रहा था. आरोपी ग्राहको को ब्रॉडकास्ट ऑफ़ टेलीग्राम ग्रुप में सप्लाई और डिमांड की सूचना लेते थे. इससे पहले भी प्रोफेसर गैंग के लोगों का खुलासा भी टेलीग्राम ग्रुप से हुआ था. आरोपी नशे की डिमांड पूछकर ड्रग्स का ऑर्डर करते हैं. इतना ही नहीं कोड वर्ड से ऑर्डर लेकर नियमित स्थान पर डिलीवरी भी की जाती है. ऐसे नशे की पार्टियों का आयोजन करने वाले लोग पहले ही ड्रग्स का ऑर्डर दे देते हैं. नशेड़ियों के बीच कोकीन की ज़्यादा डिमांड देखी जाती है. फिलहाल, चैट रिपोर्ट और ब्रॉडकास्ट की जानकारी निकाल ली गई है.

जड़ तक रायपुर पुलिस – एसएसपी

एसएसपी डॉ. लाल उमेंद सिंह ने बताया की ड्रग्स का नेटवर्क खत्म किए जा रहे हैं. पुलिस तस्करों के विरुद्ध अभियान चलाकर बड़ी कार्रवाई कर रही है. सभी लोग पुलिस की निगरानी में हैं. पूरे मामले पर जांच जारी है.

विवादित ‘पोलावरम’ का निकलेगा हल!, छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों की पीएम मोदी लेंगे बैठक

रायपुर- विवादित पोलावरम परियोजना को लेकर एक बार फिर सरगर्मी है. परियोजना को लेकर छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को अहम उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं. इसमें छत्तीसगढ़ सहित चार अन्य राज्यों – ओडिशा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे.

यह पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री के साथ परियोजना से जुड़े चारों राज्य के मुख्यमंत्रियों की बैठक हो रही है. बैठक में चारों राज्यों के मुख्यमंत्री, उनके जल संसाधन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे. साथ ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग और पोलावरम परियोजना प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारी भी बैठक में भाग लेंगे.

जानकारी के अनुसार, बैठक में भूमि डूब, आदिवासी विस्थापन और पुनर्वास जैसे मुद्दे पर बढ़ते अंतर-राज्यीय तनाव का सवर्मान्य समाधान खोजना है. इस गतिरोध को तोड़ने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी की सीधी मध्यस्थता निर्णायक साबित हो सकती है.

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की इस पहल से अंतर- राज्यीय मतभेद दूर होंगे और परियोजना के कार्य में तेजी आएगी, जो बार – बार बाधित हो रहा है. पोलावरम परियोजना को आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया था। हालांकि, परियोजना के निर्माण से ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमावर्ती आदिवासी आबादी प्रभावित हो रही है.

क्या है छत्तीसगढ़ की आपत्ति

छत्तीसगढ़ का आरोप है कि परियोजना से कई गांवों में जल डूब की स्थिति उत्पन्न होगी, जिससे आदिवासी परिवारों का विस्थापन होगा. इन मुद्दों पर केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं ओडिशा की भी आपत्ति है. यही नहीं इस विषय को लेकर इन राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर कर रखी हैं.

पोलावरम बांध पर पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित हुआ था. मरवाही विधायक अमित जोगी ने संकल्प में केंद्र सरकार से इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना के तहत आंध्र प्रदेश की गोदावरी नदी पर बनने वाले पोलावरम बांध की ऊंचाई को 150 फीट तक रखने का अनुरोध किया गया था.

पोलावरम सिंचाई परियोजना

पोलावरम परियोजना, आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, पश्चिम गोदावरी और कृष्णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत और पेयजल सुविधाओं के विकास के लिए गोदावरी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय प्रमुख टर्मिनल जलाशय परियोजना है.

आंध्रप्रदेश के पोलावरम मंडल के रामय्यापेटा गांव के पास गोदावरी नदी पर स्थित पोलावरम परियोजना कोव्वुर-राजमुंदरी सड़क-सह-रेल पुल से लगभग 34 किमी ऊपर और सर आर्थर कॉटन बैराज से 42 किमी ऊपर निर्माणाधीन है, जहां नदी पूर्वी घाट की अंतिम सीमा से निकलकर आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है.

इस बहुउद्देशीय प्रमुख सिंचाई परियोजना का उद्देश्य 4,36,825 हेक्टेयर की सकल सिंचाई क्षमता का विकास करना है. इस परियोजना में 960 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन, 611 गांवों में 28.50 लाख की आबादी को पेयजल आपूर्ति और 80 टीएमसी पानी को कृष्णा नदी बेसिन में मोड़ना भी शामिल है.

चित्रकोट पर्यटन स्थल पर बवाल, नाका, ग्राम सभा और एसडीएम पर सवाल

जगदलपुर- छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में स्थित सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चित्रकोट पर सोमवार को बवाल मच गया. लोहंडीगुड़ा एसडीएम नीतीश वर्मा ने समिति द्वारा संचालित नाका को अवैध बताते हुए सील कर दिया. दरअसल, गांव के लोगों की एक समिति इस नाके का संचालन करती है. चित्रकोट पर्यटन स्थल घूमने आने वाले पर्यटकों से वाहन प्रवेश और पार्किंग के नाम पर समिति लंबे समय से शुल्क वसूलता आ रहा है. एसडीएम ने उक्त समिति को अवैध करार देते हुए नाका को ही सील कर दिया, जिसके बाद आक्रोशित नाका समिति ने गांव के सरपंच भंवर मौर्य के नेतृत्व में मारडूम चौक में चित्रकोट मार्ग को जाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया.

सरपंच भंवर मौर्य का कहना है कि मार्च महीने में ही ग्राम सभा कर नई समिति को नाका की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि पुरानी समिति द्वारा जमकर भ्रष्टाचार किया गया. पुरानी समिति पर कोई कार्यवाही न करते हुए नई समिति के काम पर प्रतिबंध लगाने का काम किया गया. सरपंच मौर्य ने लोहंडीगुड़ा एसडीएम के मेहमानों के लिए उचित व्यवस्था समिति द्वारा नहीं किए जाने के चलते यह कार्यवाही करने का आरोप लगाया. तकरीबन 5 घंटे तक समिति के सदस्य कड़ी धूप में सड़क के बीचोबीच प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे.  

इस दौरान चित्रकोट घूमने आए पर्यटक को भी सड़क जाम के चलते परेशान होना पड़ा. मौके पर लोहंडीगुड़ा एसडीएम नीतीश वर्मा, तहसीलदार कैलाश पोयम, एसडीओपी ईश्वर त्रिवेदी, लोहंडीगुड़ा थाना प्रभारी रवि कुमार बैगा ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को काफी मनाने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी डटे रहे. बात नहीं मानने पर एसडीएम के आदेश पर पुलिस को बल प्रयोग कर सड़क से हटाने का आदेश दिया गया. पुलिसकर्मियों ने देखते ही देखते महज कुछ मिनट में ही प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटा कर लोहंडीगुड़ा थाने पहुंचा दिया.

एसडीएम नीतीश वर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर कहा कि पर्यटन स्थल में नाका का संचालन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा था. इसको लेकर उनके पास शिकायत की गई थी. इस संबंध में वर्तमान समिति को उन्होंने सूचना भी दी. समिति पंजीकृत भी नहीं थी, कथित तौर पर जिस ग्राम सभा में नई समिति को नाका संचालन का आदेश दिया गया, उस ग्राम सभा में महज 25 लोगों के ही दस्तखत है. इनमें से अधिकतर समिति संचालक है. 

22 दिन बाद फिर चला डोंगरगढ़ का रोपवे

डोंगरगढ़- 24 अप्रैल को हुए रोपवे हादसे के 22 दिन बाद डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर का रोपवे एक बार फिर शुरू कर दिया गया है. तकनीकी सुधार और सुरक्षा जांच की औपचारिकताओं के बाद संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी हवा में झूल रहा है कि आखिर ट्रॉली पलटी क्यों? और गलती किसकी थी?

हादसे के वक्त बीजेपी प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा समेत कई लोग ट्रॉली में सवार थे. जैसे ही ट्रॉली स्टेशन पहुंची, वह अचानक पलट गई. भरत वर्मा गंभीर रूप से घायल हुए और अब भी रायपुर के अस्पताल में उनका इलाज जारी है. घटना के बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए रोपवे बंद करवा दिया, जांच के आदेश दिए, एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन 22 दिन बीत जाने के बाद भी कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि हादसे की असली वजह क्या थी.

मंदिर ट्रस्ट, रोपवे संचालक कंपनी और जिला प्रशासन सभी ने एक स्वर में कहा कि तकनीकी जांच हुई, सुधार किए गए और रोपवे अब सुरक्षित है. ट्रस्ट की मानें तो एनआईटी रायपुर और दामोदर रोपवे कंपनी की टीम ने मिलकर जांच की और जिन बिंदुओं पर खामियां मिलीं, उन्हें ठीक कर दिया गया. लेकिन जब सवाल दोषियों पर आता है, तो जवाब में सिर्फ खामोशी मिलती है. पुलिस भी अब तक सिर्फ सीसीटीवी फुटेज देखने और कर्मचारियों के बयान लेने तक ही सीमित है. कोई चार्जशीट नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं. वहीं एसडीएम साहब का कहना है कि “रिपोर्ट ऊपर भेज दी गई है.” यानि हादसे की जिम्मेदारी अब ‘ऊपरवाले’ के भरोसे छोड़ दी गई है. ऊपरवाले से मतलब प्रशासनिक ‘ऊपर’ है या भगवान, ये समझना जनता के जिम्मे है.

22 दिन बाद भले ही रोपवे दोबारा शुरू हो गया हो, लेकिन जनता के मन में डर और सवाल दोनों अब भी जिंदा हैं. हादसे के बाद जो सुधार किए गए, वे तकनीकी होंगे मगर सिस्टम में जो सुस्ती और जिम्मेदारी से भागने की आदत है, उसमें सुधार कब होगा? बहरहाल डोंगरगढ़ का रोपवे तो फिर से चल पड़ा है पर क्या इंसाफ की ट्रॉली अब भी कहीं अटकी हुई है?

19 साल बाद पूर्व चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. आदिले के खिलाफ कोर्ट में पेश हुआ चालान, मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने का है आरोप…

रायपुर- स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले के खिलाफ 19 साल बाद फर्जी तरीके से एडमिशन दिलाने के प्रकरण में कोर्ट चालान पेश किया गया है. 14 मई को करीब 100 पन्नों का चालान पेश किया गया. इसमें बताया गया है कि किस तरह से पद का दुरुपयोग करते हुए दस्तावेजों की हेराफेरी कर 2006 में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाया गया.

चालान में आरोप लगाया गया था कि डॉ. आदिले ने अपनी पुत्री और उनकी सहेलियों को फर्जी तरीके से एडमिशन कराया. शिकायत के बाद रायपुर की गोलबाजार पुलिस ने 4 साल तक जांच करने के बाद 2010 में प्राथमिकी दर्ज की. साथ ही पूरे प्रकरण की 10 साल तक जांच करने के बाद 2020 में चालान तैयार किया. लेकिन इतने साल तक जांच करने के बाद भी तकनीकी त्रुटि के चलते इसे पेश नहीं किया गया.

बता दें कि इस मामले का खुलासा डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) के पूर्व सदस्य डॉ. अनिल खाखरिया ने सूचना अधिकार कानून के तहत मिलने के बाद किया था. उन्होंने सूचना कानून के तहत प्रवेश के आधार के संबंध में जानकारी मांगी थी.

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य शिक्षा संचालक द्वारा अखिल भारतीय कोटे में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपनी पुत्री और अन्य को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाया था. जिसका खुलासा होने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्रवाई करने का आदेश दिया था. इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई थी.

सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले में लीपापोती करने के लिए सिंडीकेट सक्रिय हो गया था. इसके चलते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. बता दें कि डॉ. आदिले के खिलाफ विभाग की एक महिला ने दुष्कर्म करने का आरोप भी लगाया था. हालांकि, इस प्रकरण में किसी भी तरह का साक्ष्य नहीं मिलने पर 13 मई को बरी कर दिया गया है.

25 लोगों को बनाया है गवाह

पुलिस द्वारा पेश किए गए चालान में करीब 25 लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया है. कोर्ट में चालान पेश किए जाने के बाद जल्दी ही इसकी सुनवाई शुरू होगी. इसमें आरोपी बनाए गए स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन शिक्षा संचालक डॉ. एसएन आदिले सहित अन्य को समन जारी कर सुनवाई की जाएगी. साथ ही अभियोजन और बचाव पक्ष का तर्क और पेश किए गए साक्ष्य का परीक्षण किया जाएगा.