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मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज, रानीगंज: शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और समर्पण की मिसाल

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज क्षेत्र में स्थित मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज आज शिक्षा के क्षेत्र में एक भरोसेमंद और अग्रणी संस्थान के रूप में पहचान बना चुका है। वर्ष 2025 के एडमिशन शुरू है। यह संस्थान न केवल रानीगंज, बल्कि पूरे प्रतापगढ़ जिले से आने वाले छात्रों के लिए एक शैक्षणिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह विद्यालय केजी से लेकर कक्षा 12वीं तक की शिक्षा प्रदान करता है, जिसमें हिंदी माध्यम और अंग्रेज़ी माध्यम – दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। विज्ञान और कला दोनों ही विषयों में विशेषज्ञता के साथ यह कॉलेज विद्यार्थियों को भविष्य की तैयारी का मजबूत आधार देता है।

कॉलेज का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है। यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता दी जाती है – चाहे वह शैक्षणिक प्रदर्शन हो, नैतिक मूल्य हों या फिर अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का विकास।

मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज को प्रतापगढ़ जिले के शिक्षा जगत में अग्रणी स्थान प्राप्त है। यह केवल एक स्कूल नहीं, बल्कि एक ऐसा संस्थान है जो विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखता है। स्कूल प्रबंधन समय के साथ बदलाव को अपनाने में विश्वास रखता है और इसी दृष्टिकोण के साथ इस वर्ष कॉलेज प्रबंधन ने विद्यालय के प्रधानाचार्य समेत कई महत्वपूर्ण फैकल्टी सदस्यों में परिवर्तन किया है। यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि शिक्षण पद्धति को और अधिक प्रभावशाली एवं आधुनिक बनाया जा सके, जिससे छात्रों को नवीनतम शैक्षणिक दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशिक्षण मिल सके।

इस वर्ष मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज में कई योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिनमें राम मणि पाण्डेय (एम.ए., बी.एड.), सुशील पाल (एम.ए., बी.एड.), बी.पी. गौतम (एम.एससी., बी.एड.), ललित मिश्रा, प्रमोद श्रीवास्तव, वी.के. मिश्रा एवं मनोज श्रीवास्तव जैसे समर्पित शिक्षक शामिल हैं। ये सभी शिक्षक अपने-अपने विषय में दक्ष हैं और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण एवं व्यवहारिक शिक्षा देने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं।

विद्यालय में छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कई सुविधाओं का विस्तार किया गया है। अब विद्यालय में शुद्ध पेयजल हेतु वाटर कूलर की सुविधा उपलब्ध है। पूरे परिसर में वाई-फाई इंटरनेट की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे छात्र तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बन सकें। इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों के मानसिक, भावनात्मक एवं शैक्षणिक कल्याण के लिए परामर्श सेवाएँ भी शुरू की गई हैं, जिससे वे व्यक्तिगत और शैक्षणिक जीवन में बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

विद्यालय का प्रबंधन हमेशा इस बात पर ज़ोर देता है कि शिक्षकगण अपने विषय में न केवल दक्ष हों, बल्कि छात्रों की मनोवृत्ति और आवश्यकताओं को भी भली-भांति समझें। यही कारण है कि कॉलेज में कार्यरत प्रत्येक शिक्षक अपने दायित्व के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और संस्थान के साझा विज़न एवं दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर मेहनत करते हैं।

कॉलेज की भौगोलिक स्थिति भी इसे एक विशेष पहचान देती है। यह रानीगंज रेलवे क्रॉसिंग के पास एक प्रमुख और सुलभ स्थान पर स्थित है, जिससे पहली बार आने वाले विद्यार्थियों और अभिभावकों को भी कॉलेज तक पहुंचना बेहद आसान होता है। रानीगंज और आसपास के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों से विद्यार्थी यहां आसानी से आ सकते हैं, क्योंकि परिवहन के कई विकल्प पास में उपलब्ध हैं।

यह संस्थान न केवल एक शिक्षा केंद्र है, बल्कि एक सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने वाला संगठन भी है। विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने के साथ-साथ यह संस्था उन्हें नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सेवा भावना से भी परिचित कराती है। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन के लिए आवश्यक संस्कार और दृष्टिकोण भी प्रदान किए जाते हैं।

मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज की सबसे बड़ी ताकत इसकी समर्पित शिक्षण प्रणाली, अनुशासित वातावरण और माता-पिता के साथ निरंतर संवाद बनाए रखने की नीति है। यही कारण है कि यह संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में एक ब्रांड बन चुका है और इसकी लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हो रही है।

निकट भविष्य में, कॉलेज अपने शैक्षणिक ढांचे का और अधिक विस्तार करने की योजना बना रहा है, ताकि यह और अधिक छात्रों तक अपनी सेवाएं पहुँचा सके। नई फैकल्टी, बेहतर व्यवस्थाएं और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास इसके आधुनिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

यदि आप अपने बच्चे को एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और गुणवत्ता-युक्त शैक्षणिक माहौल देना चाहते हैं, तो मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज, रानीगंज आपके लिए एक आदर्श विकल्प है।

अधिक जानकारी या प्रवेश हेतु विद्यालय से संपर्क करने के लिए दूरभाष संख्या 7054596061 पर कॉल करें।

शराब घोटाला: पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, तय किए सख्त नियम और शर्तें

नई दिल्ली- शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सख्त नियम और शर्तें रखी हैं. लेकिन टुटेजा का फिलहाल जेल से बाहर निकला मुश्किल है, क्योंकि उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा दर्ज केस में हाई कोर्ट जमानत याचिका खारिज कर चुका है.

अनिल टुटेजा को 21 अप्रैल, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. लंबे वक्त से जेल में रहने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. इसके साथ ही उन्हें पासपोर्ट जमा करने और सुनवाई के दौरान न्यायालय के साथ सहयोग करते हुए सख्त नियमों और शर्तों पर राहत मिली है.

टुटेजा की जमानत याचिका का ईडी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने विरोध किया. उन्होंने टुटेजा को वरिष्ठ नौकरशाह बताते हुए नागरिक पूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने के साथ गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए जमानत मंजूर कर लिया.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है.

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने चार्जशीट में कहा था कि साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया.

“लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे” बंगाल हिंसा पर सीएम योगी का बयान


#cm_yogi_gave_a_statement_on_bengal_violence

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नही मानेंगे,दंगाई डंडे से ही मानेंगे। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिले में वक्फ बोर्ड के नए कानून को लेकर खूब हिंसा हुई है। घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।

वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदोई में आयोजित एक कार्यक्रम में ममता सरकार पर निशाना साधा। बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात रखते हुए सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को। हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। 

सीएम योगी ने आगे कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाइयों को वह शांतिदूत कहती हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

योगी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सब चुप हैं। मुर्शिदाबाद दंगों पर कांग्रेस चुप है। समाजवादी पार्टी मौन है। वे धमकी पर धमकी दे रहे हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है। अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। क्यों भारत की धरती पर बोझ बने हुए हैं।

दरोगा विद्यासागर के अपराध,काली कमाई ने बेटे को बना दिया अपराधी

जौनपुर। बहुत पुरानी कहावत है "कि बाप का खाया बेटा भरता हैं" लेकिन यह कहावत बिल्कुल फिट बैठ रही हैं. थानागद्दी चौकी पर तैनात प्रमोटी दारोगा विद्यासागर सिंह के बेटे आदित्य सागर के खिलाफ पड़ोसी वाराणसी जिले के चोलापुर थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया हैं।

जानकारी के मुताबिक विद्यासागर सिंह सिपाही से प्रोन्नत होकर दरोगा बने। अल्प समय के लिए दरोगा की कुर्सी व कंधे पर सितारे लगते ही शरीर में ऐंठन होने लगी। फिर खाकी में अपराध व अवैध कामों को संरक्षण देकर के धन बटोरने में जुट गया। विभागीय लोग बताते हैं कि विद्यासागर के बेटे बेरोजगार हैं। जिससे विद्यासागर को हरवक्त बेटे को सजोने संवारने में जुट रहता हैं। जिसके लिए हरसंभव प्रयास करके अपराध में धंसता गया। खुद का सिंडिकेट तैयार लिया। जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी शामिल किया। जिससे किसी भी घटना को दबाते हुए,वसूली को प्रायोजित तरीके से कराई जा सके।

विद्यासागर ने अपराध से अर्जित काली कमाई से एक कृषि कार्य में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर UP62AS9996 लिया। जिससे कमर्शियल उपयोग में लेने लगा। ट्रैक्टर को अपराधिक सिंडिकेट के इशारे पर अवैध कामों में धकेल दिया। अवैध व अपराध से अर्जित राशि ने ज्यादा दिन तक विद्यासागर का साथ नहीं दिया। कुछ माह बाद चोलापुर पुलिस ने हिट एंड रन का मामला आदित्य सागर के खिलाफ दर्ज करते हुए,चार्जशीट न्यायालय में भेज दिया।

कप्तान ने कतरे पर,भेजा खेतासराय

अपराध में धंसते जा रहे विद्यासागर को स्थानीय अधिकारियों का प्रश्रय था. जिससे विद्यासागर आराम से अपने कामों को अंजाम दे रहा था। लगातार शिकायतों को देखते हुए,कप्तान ने विद्यासागर का ट्रांसफर खेतासराय कर दिया। ट्रांसफर की बात सुनकर विद्यासागर के होश उड़ गए। अपराधिक सिंडिकेट के साथ विद्यासागर ने कई चौखटों पर माथा टेकते हुए,ट्रांसफर रुकवाने की गुहार की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चूंकि खेतासराय में अवैध कमाई बंद हो चुकी हैं। सिंडिकेट भी बिखर चुका हैं। विभाग के अनुसार विद्यासागर केराकत थाना क्षेत्र के सरकी चौकी पर आने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। जिससे सिंडिकेट व अपराधिक गतिविधि से काली कमाई की जा सके।

शराब घोटाला मामला: पूर्व मंत्री कवासी लखमा की 14 दिन की बढ़ी न्यायिक रिमांड, 25 अप्रैल तक रहेंगे जेल में

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आज EOW की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया. अब कवासी लखमा 25 अप्रैल तक जेल में रहेंगे।

21 जनवरी से जेल में हैं कवासी लखमा

गौरतलब है कि शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 जनवरी को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था. इससे पहले उनसे दो बार ED दफ्तर बुलाकर पूछताछ की गई थी. गिरफ्तारी के 7 दिन बाद कवासी लखमा को पहले ED ने 7 दिन कस्टोडियल रिमांड में लेकर पूछताछ की थी. उसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक लखमा को 14 दिन के न्यायिक रिमांड पर भेजा गया था. पिछली सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं होने के कारण लखमा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने लखमा की 18 फरवरी तक रिमांड बढ़ा दी थी.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है. इसमें रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर अवैध वसूली करता है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेजों के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया. ED ने चार्जशीट में कहा कि 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के जरिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया. उसके बाद अधिकारियों, कारोबारियों और राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिए भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ. इस मामले में ED ने 15 जनवरी को कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था.

ED ने कोर्ट में 3,841 पन्नों की चार्जशीट की पेश

गौरतलब है कि 13 मार्च को शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्पेशल कोर्ट में 3,841 पन्नों का चालान पेश किया है, जिसमें जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत 21 अन्य को आरोपी बनाया गया है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

ट्रंप के टैरिफ से आंध्र के सीएम की क्यों बढ़ी टेंशन? केंद्र सरकार चिट्ठी लिखकर की बड़ी मांग

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रखा है। भारत पर भी ट्रंप ने 26 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है। इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र को पत्र लिखकर राज्य के मछली पालन उत्पादों के लिए मदद मांगी है। नायडू ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि झींगा जैसे उत्पादों को अतिरिक्त शुल्क से छूट दी जाए।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। इस पक्ष के जरिए नायडू ने उनसे राज्य के जलीय कृषि क्षेत्र को अपना समर्थन देने का आग्रह किया है, जिसे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कारण भारी नुकसान हो रहा है।

ट्रंप के टैरिफ से नायडू क्यों परेशान?

अमेरिका द्वारा लागू किए गए इस नए टैरिफ ने भारतीय झींगा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी नुकसान में डाल दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, एक्वा किसान और झींगा और मछली निर्यातक 5 से 6 प्रतिशत मार्जिन पर काम करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत से एक्वा निर्यात पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से 5.77% प्रतिपूरक शुल्क और 1.38% एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है। इससे निर्यात की लागत में भारी वृद्धि होगी।

झींगा मछली की बिक्री पर क्या होगा असर?

वहीं, दूसरी तरफ भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले देशों, खासकर इक्वाडोर को कम टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका दक्षिण अमेरिकी देश पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इससे भारतीय जलीय किसानों के हितों को नुकसान पहुंचेगा। नए टैरिफ की भरपाई के लिए, एक्वा उत्पाद निर्यातकों को कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे इक्वाडोर, वियतनाम और ताइवान जैसे देशों की तुलना में भारत से झींगा और मछली अधिक महंगी हो जाएगी।

किसानों के सामने बड़ा संकट

निर्यात में गिरावट आती है, तो भारतीय किसानों को उत्पादन कम करना होगा। आंध्र प्रदेश में 5 लाख से अधिक एक्वा किसान काम करते हैं, जिनमें से अधिकांश पूर्व अविभाजित पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में हैं। अगर राज्य को उत्पादन कम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इन किसानों और उनके परिवारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

आंध्र प्रदेश झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य

बता दें कि आंध्र प्रदेश भारत के झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा योगदान देता है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 2.55 बिलियन डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पाद निर्यात किए, जिसमें झींगा 92% हिस्सा रखता है। इस उद्योग का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में लगभग 8-11% योगदान है। इससे करीब 50 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

बस्तर के विकास के लिए बनेगा रोडमैप: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 15 और 16 अप्रैल को अधिकारियों से करेंगे चर्चा

रायपुर- मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य के साथ ही राज्य सरकार सम्पूर्ण बस्तर के समन्वित विकास के लिए रोडमैप बना रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खुद इस संबंध में 15 और 16 अप्रैल को जगदलपुर में संबंधित विभाग के सचिव, कमिश्नर, कलेक्टर और उस क्षेत्र में कार्य करने वाले स्टेकहोल्डर से चर्चा करेंगे।

मुख्यमंत्री साय 15 अप्रैल को जगदलपुर में चार विषयों– कृषि, पशुपालन, मछली पालन और संबद्ध विषय, औद्योगिकीकरण एवं रोजगार, पर्यटन को बढ़ावा देना, कौशल विकास सहित युवाओं को बस्तर एवं अन्य क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने से संबंधित विषयों पर बस्तर में पदस्थ अधिकारियों एवं उस क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करेंगे। वहीं, 16 अप्रैल को बस्तर संभाग के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं वनमंडल अधिकारियों के साथ विभिन्न योजनाओं की समीक्षा भी करेंगे।

CM के प्रमुख सचिव ने कलेक्टरों को जारी किया पत्र

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने इस संबंध में कृषि, वाणिज्य एवं उद्योग, पर्यटन, कौशल विकास विभाग के सचिव और बस्तर संभाग के कमिश्नर एवं कलेक्टरों को पत्र जारी कर आवश्यक तैयारी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, विशेषकर बस्तर संभाग में विकास की गति भी तेजी से बढ़े, इसके लिए बस्तर के सभी जिलों के विकास का एक रोडमैप बनाया जाना है। इस हेतु पूर्व में बनाया गया दस्तावेज विजन “नवा अंजोर” का भी अवलोकन कर उसमें उल्लेखित बिंदुओं को समाहित किया जाए।

सुबोध कुमार सिंह ने कहा है कि संबंधित विभागीय सचिव इन बैठकों एवं प्रस्तुतीकरण के संयोजक होंगे। वे संभागीय आयुक्त, बस्तर के साथ समन्वय कर सभी स्टेकहोल्डर को चर्चा में आमंत्रित करेंगे। प्रत्येक विषय पर लगभग एक घंटा चर्चा का समय रखा गया है।

मैं जेल जाने को तैयार, लेकिन...”सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों से मिलकर बोलीं ममता

#cmmamatabanerjeestandbythosewholostjobs

पश्चिम बंगाल की शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ममता बनर्जी सहमत नहीं हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला में अपनी नौकरी गंवाने वाले सैकड़ों लोगों को समर्थन में उतर गईं हैं। इसी क्रम में सोमवार को ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की। इस मौके पर सीएम ने कहा, स्कूली नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़े होने के लिए अगर कोई मुझे सजा देना चाहता है तो मैं जेल जाने को भी तैयार हूं। यह बयान उन्होंने उन शिक्षकों के पक्ष में दिया, जिनकी नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते रद्द की गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य के 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षक भर्ती के मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की कड़ी आलोचना की है। ममता बनर्जी ने कहा, शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश चल रही है। 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं के शिक्षक उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार हैं। कई शिक्षक स्वर्ण पदक विजेता हैं, उन्होंने अपने जीवन में बेहतरीन परिणाम हासिल किए हैं। आप उन्हें चोर कह रहे हैं। आप उन्हें अक्षम कह रहे हैं। आपको यह अधिकार किसने दिया? कौन यह खेल खेल रहा है? नौकरी खोने वाले लोगों को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, कृपया यह न समझें कि हमने इसे स्वीकार कर लिया है। हम पत्थर दिल नहीं हैं और ऐसा कहने के लिए मुझे जेल भी हो सकती है, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट करे कौन योग्य कौन नहीं-ममता बनर्जी

ममता ने यह सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कौन योग्य है और कौन नहीं। उन्होंने कहा, हमें एक लिस्ट दीजिए। किसी को भी शिक्षा व्यवस्था को तोड़ने का अधिकार नहीं है। ममता ने उदाहरण देते हुए कहा कि एनईईटी परीक्षा में भी कई आरोप लगे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द नहीं किया। उन्होंने यह भी पूछा, बंगाल को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? क्या बंगाल की प्रतिभा से लोग डरते हैं?

25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्ति रद्द

बता दें कि पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में ममता सरकार को तब सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा जब कोर्ट ने 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखने का फैसला सुनाया। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में ये फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 25 हज़ार शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों को लेकर पिछले दिनों ही आया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती मामले में न सिर्फ अपना फैसला सुनाया बल्कि इस भर्ती को टेंटिड और दूषित भी करार दिया।

बीजेपी स्थापना दिवस : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यकर्ताओं को दी शुभकामनाएं

रायपुर- भारतीय जनता पार्टी की स्थापना आज ही के दिन 1980 में हुई थी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने तमाम कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं दी है. 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर किए अपने पोस्ट में लिखा है कि लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय और पथ अंत्योदय के संकल्पों को सिद्धि तक पहुंचाने वाले, विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.

उन्होंने आगे लिखा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज विकास के सूरज से पूरा देश आलोकित हो रहा है. विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत माता का वैभव सर्वोच्च शिखर पर आरूढ़ हो रहा है.


मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज, रानीगंज: शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और समर्पण की मिसाल

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के रानीगंज क्षेत्र में स्थित मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज आज शिक्षा के क्षेत्र में एक भरोसेमंद और अग्रणी संस्थान के रूप में पहचान बना चुका है। वर्ष 2025 के एडमिशन शुरू है। यह संस्थान न केवल रानीगंज, बल्कि पूरे प्रतापगढ़ जिले से आने वाले छात्रों के लिए एक शैक्षणिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। यह विद्यालय केजी से लेकर कक्षा 12वीं तक की शिक्षा प्रदान करता है, जिसमें हिंदी माध्यम और अंग्रेज़ी माध्यम – दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। विज्ञान और कला दोनों ही विषयों में विशेषज्ञता के साथ यह कॉलेज विद्यार्थियों को भविष्य की तैयारी का मजबूत आधार देता है।

कॉलेज का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाना है। यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता दी जाती है – चाहे वह शैक्षणिक प्रदर्शन हो, नैतिक मूल्य हों या फिर अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का विकास।

मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज को प्रतापगढ़ जिले के शिक्षा जगत में अग्रणी स्थान प्राप्त है। यह केवल एक स्कूल नहीं, बल्कि एक ऐसा संस्थान है जो विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखता है। स्कूल प्रबंधन समय के साथ बदलाव को अपनाने में विश्वास रखता है और इसी दृष्टिकोण के साथ इस वर्ष कॉलेज प्रबंधन ने विद्यालय के प्रधानाचार्य समेत कई महत्वपूर्ण फैकल्टी सदस्यों में परिवर्तन किया है। यह कदम इस उद्देश्य से उठाया गया है कि शिक्षण पद्धति को और अधिक प्रभावशाली एवं आधुनिक बनाया जा सके, जिससे छात्रों को नवीनतम शैक्षणिक दिशा-निर्देशों के अनुरूप प्रशिक्षण मिल सके।

इस वर्ष मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज में कई योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिनमें राम मणि पाण्डेय (एम.ए., बी.एड.), सुशील पाल (एम.ए., बी.एड.), बी.पी. गौतम (एम.एससी., बी.एड.), ललित मिश्रा, प्रमोद श्रीवास्तव, वी.के. मिश्रा एवं मनोज श्रीवास्तव जैसे समर्पित शिक्षक शामिल हैं। ये सभी शिक्षक अपने-अपने विषय में दक्ष हैं और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण एवं व्यवहारिक शिक्षा देने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं।

विद्यालय में छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कई सुविधाओं का विस्तार किया गया है। अब विद्यालय में शुद्ध पेयजल हेतु वाटर कूलर की सुविधा उपलब्ध है। पूरे परिसर में वाई-फाई इंटरनेट की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे छात्र तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बन सकें। इसके अतिरिक्त, विद्यार्थियों के मानसिक, भावनात्मक एवं शैक्षणिक कल्याण के लिए परामर्श सेवाएँ भी शुरू की गई हैं, जिससे वे व्यक्तिगत और शैक्षणिक जीवन में बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

विद्यालय का प्रबंधन हमेशा इस बात पर ज़ोर देता है कि शिक्षकगण अपने विषय में न केवल दक्ष हों, बल्कि छात्रों की मनोवृत्ति और आवश्यकताओं को भी भली-भांति समझें। यही कारण है कि कॉलेज में कार्यरत प्रत्येक शिक्षक अपने दायित्व के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं और संस्थान के साझा विज़न एवं दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर मेहनत करते हैं।

कॉलेज की भौगोलिक स्थिति भी इसे एक विशेष पहचान देती है। यह रानीगंज रेलवे क्रॉसिंग के पास एक प्रमुख और सुलभ स्थान पर स्थित है, जिससे पहली बार आने वाले विद्यार्थियों और अभिभावकों को भी कॉलेज तक पहुंचना बेहद आसान होता है। रानीगंज और आसपास के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों से विद्यार्थी यहां आसानी से आ सकते हैं, क्योंकि परिवहन के कई विकल्प पास में उपलब्ध हैं।

यह संस्थान न केवल एक शिक्षा केंद्र है, बल्कि एक सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने वाला संगठन भी है। विद्यार्थियों के भविष्य को संवारने के साथ-साथ यह संस्था उन्हें नैतिक मूल्यों, अनुशासन और सेवा भावना से भी परिचित कराती है। बच्चों को केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन के लिए आवश्यक संस्कार और दृष्टिकोण भी प्रदान किए जाते हैं।

मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज की सबसे बड़ी ताकत इसकी समर्पित शिक्षण प्रणाली, अनुशासित वातावरण और माता-पिता के साथ निरंतर संवाद बनाए रखने की नीति है। यही कारण है कि यह संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में एक ब्रांड बन चुका है और इसकी लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि हो रही है।

निकट भविष्य में, कॉलेज अपने शैक्षणिक ढांचे का और अधिक विस्तार करने की योजना बना रहा है, ताकि यह और अधिक छात्रों तक अपनी सेवाएं पहुँचा सके। नई फैकल्टी, बेहतर व्यवस्थाएं और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के प्रयास इसके आधुनिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

यदि आप अपने बच्चे को एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और गुणवत्ता-युक्त शैक्षणिक माहौल देना चाहते हैं, तो मनीष मेमोरियल इंटर कॉलेज, रानीगंज आपके लिए एक आदर्श विकल्प है।

अधिक जानकारी या प्रवेश हेतु विद्यालय से संपर्क करने के लिए दूरभाष संख्या 7054596061 पर कॉल करें।

शराब घोटाला: पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, तय किए सख्त नियम और शर्तें

नई दिल्ली- शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सख्त नियम और शर्तें रखी हैं. लेकिन टुटेजा का फिलहाल जेल से बाहर निकला मुश्किल है, क्योंकि उनके खिलाफ ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा दर्ज केस में हाई कोर्ट जमानत याचिका खारिज कर चुका है.

अनिल टुटेजा को 21 अप्रैल, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. लंबे वक्त से जेल में रहने के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है. इसके साथ ही उन्हें पासपोर्ट जमा करने और सुनवाई के दौरान न्यायालय के साथ सहयोग करते हुए सख्त नियमों और शर्तों पर राहत मिली है.

टुटेजा की जमानत याचिका का ईडी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने विरोध किया. उन्होंने टुटेजा को वरिष्ठ नौकरशाह बताते हुए नागरिक पूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने के साथ गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए जमानत मंजूर कर लिया.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है.

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने चार्जशीट में कहा था कि साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया.

“लातों के भूत बातों से नहीं, डंडे से ही मानेंगे” बंगाल हिंसा पर सीएम योगी का बयान


#cm_yogi_gave_a_statement_on_bengal_violence

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में हो रहे दंगे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि लातों के भूत बातों से नही मानेंगे,दंगाई डंडे से ही मानेंगे। बता दें कि पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है। मुर्शिदाबाद और 24 परगना जिले में वक्फ बोर्ड के नए कानून को लेकर खूब हिंसा हुई है। घटना में तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए हैं।

वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरदोई में आयोजित एक कार्यक्रम में ममता सरकार पर निशाना साधा। बंगाल हिंसा पर भी अपनी बात रखते हुए सीएम ने कहा कि आप याद करिए 2017 के पहले के उत्तर प्रदेश को। हर दूसरे-तीसरे दिन दंगा होता था। इन दंगाईयों का उपचार ही डंडा है। बिना डंडे के ये मानेंगे ही नहीं। 

सीएम योगी ने आगे कहा, बंगाल जल रहा है। वहां की मुख्यमंत्री चुप हैं। दंगाइयों को वह शांतिदूत कहती हैं। सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे दी गई है। पूरा मुर्शिदाबाद एक सप्ताह से जल रहा है, सरकार मौन है। इस प्रकार की अराजकता पर लगाम लगनी चाहिए।

योगी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर सब चुप हैं। मुर्शिदाबाद दंगों पर कांग्रेस चुप है। समाजवादी पार्टी मौन है। वे धमकी पर धमकी दे रहे हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हुआ, उसका समर्थन किया जा रहा है। अगर उन्हें बांग्लादेश पसंद है, तो उन्हें बांग्लादेश ही जाना चाहिए। क्यों भारत की धरती पर बोझ बने हुए हैं।

दरोगा विद्यासागर के अपराध,काली कमाई ने बेटे को बना दिया अपराधी

जौनपुर। बहुत पुरानी कहावत है "कि बाप का खाया बेटा भरता हैं" लेकिन यह कहावत बिल्कुल फिट बैठ रही हैं. थानागद्दी चौकी पर तैनात प्रमोटी दारोगा विद्यासागर सिंह के बेटे आदित्य सागर के खिलाफ पड़ोसी वाराणसी जिले के चोलापुर थाने में गंभीर धाराओं में आरोपी बनाया हैं।

जानकारी के मुताबिक विद्यासागर सिंह सिपाही से प्रोन्नत होकर दरोगा बने। अल्प समय के लिए दरोगा की कुर्सी व कंधे पर सितारे लगते ही शरीर में ऐंठन होने लगी। फिर खाकी में अपराध व अवैध कामों को संरक्षण देकर के धन बटोरने में जुट गया। विभागीय लोग बताते हैं कि विद्यासागर के बेटे बेरोजगार हैं। जिससे विद्यासागर को हरवक्त बेटे को सजोने संवारने में जुट रहता हैं। जिसके लिए हरसंभव प्रयास करके अपराध में धंसता गया। खुद का सिंडिकेट तैयार लिया। जिसमें कुछ तथाकथित पत्रकारों को भी शामिल किया। जिससे किसी भी घटना को दबाते हुए,वसूली को प्रायोजित तरीके से कराई जा सके।

विद्यासागर ने अपराध से अर्जित काली कमाई से एक कृषि कार्य में रजिस्टर्ड ट्रैक्टर UP62AS9996 लिया। जिससे कमर्शियल उपयोग में लेने लगा। ट्रैक्टर को अपराधिक सिंडिकेट के इशारे पर अवैध कामों में धकेल दिया। अवैध व अपराध से अर्जित राशि ने ज्यादा दिन तक विद्यासागर का साथ नहीं दिया। कुछ माह बाद चोलापुर पुलिस ने हिट एंड रन का मामला आदित्य सागर के खिलाफ दर्ज करते हुए,चार्जशीट न्यायालय में भेज दिया।

कप्तान ने कतरे पर,भेजा खेतासराय

अपराध में धंसते जा रहे विद्यासागर को स्थानीय अधिकारियों का प्रश्रय था. जिससे विद्यासागर आराम से अपने कामों को अंजाम दे रहा था। लगातार शिकायतों को देखते हुए,कप्तान ने विद्यासागर का ट्रांसफर खेतासराय कर दिया। ट्रांसफर की बात सुनकर विद्यासागर के होश उड़ गए। अपराधिक सिंडिकेट के साथ विद्यासागर ने कई चौखटों पर माथा टेकते हुए,ट्रांसफर रुकवाने की गुहार की। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। चूंकि खेतासराय में अवैध कमाई बंद हो चुकी हैं। सिंडिकेट भी बिखर चुका हैं। विभाग के अनुसार विद्यासागर केराकत थाना क्षेत्र के सरकी चौकी पर आने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हैं। जिससे सिंडिकेट व अपराधिक गतिविधि से काली कमाई की जा सके।

शराब घोटाला मामला: पूर्व मंत्री कवासी लखमा की 14 दिन की बढ़ी न्यायिक रिमांड, 25 अप्रैल तक रहेंगे जेल में

रायपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को आज EOW की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया. अब कवासी लखमा 25 अप्रैल तक जेल में रहेंगे।

21 जनवरी से जेल में हैं कवासी लखमा

गौरतलब है कि शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 15 जनवरी को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था. इससे पहले उनसे दो बार ED दफ्तर बुलाकर पूछताछ की गई थी. गिरफ्तारी के 7 दिन बाद कवासी लखमा को पहले ED ने 7 दिन कस्टोडियल रिमांड में लेकर पूछताछ की थी. उसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक लखमा को 14 दिन के न्यायिक रिमांड पर भेजा गया था. पिछली सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं होने के कारण लखमा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने लखमा की 18 फरवरी तक रिमांड बढ़ा दी थी.

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है. इसमें रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर अवैध वसूली करता है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था. आयकर विभाग से मिले दस्तावेजों के आधार पर ED ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था.

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया. ED ने चार्जशीट में कहा कि 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के जरिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया. उसके बाद अधिकारियों, कारोबारियों और राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिए भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ. इस मामले में ED ने 15 जनवरी को कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था.

ED ने कोर्ट में 3,841 पन्नों की चार्जशीट की पेश

गौरतलब है कि 13 मार्च को शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्पेशल कोर्ट में 3,841 पन्नों का चालान पेश किया है, जिसमें जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत 21 अन्य को आरोपी बनाया गया है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फीता काटकर दस्तक अभियान का किया शुभारंभ

ट्रंप के टैरिफ से आंध्र के सीएम की क्यों बढ़ी टेंशन? केंद्र सरकार चिट्ठी लिखकर की बड़ी मांग

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ घोषणाओं ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रखा है। भारत पर भी ट्रंप ने 26 फीसदी का जवाबी शुल्क लगाया है। इस बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र को पत्र लिखकर राज्य के मछली पालन उत्पादों के लिए मदद मांगी है। नायडू ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि झींगा जैसे उत्पादों को अतिरिक्त शुल्क से छूट दी जाए।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। इस पक्ष के जरिए नायडू ने उनसे राज्य के जलीय कृषि क्षेत्र को अपना समर्थन देने का आग्रह किया है, जिसे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कारण भारी नुकसान हो रहा है।

ट्रंप के टैरिफ से नायडू क्यों परेशान?

अमेरिका द्वारा लागू किए गए इस नए टैरिफ ने भारतीय झींगा निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी नुकसान में डाल दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, एक्वा किसान और झींगा और मछली निर्यातक 5 से 6 प्रतिशत मार्जिन पर काम करते हैं। ट्रंप प्रशासन ने भारत से एक्वा निर्यात पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से 5.77% प्रतिपूरक शुल्क और 1.38% एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है। इससे निर्यात की लागत में भारी वृद्धि होगी।

झींगा मछली की बिक्री पर क्या होगा असर?

वहीं, दूसरी तरफ भारत के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले देशों, खासकर इक्वाडोर को कम टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका दक्षिण अमेरिकी देश पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। इससे भारतीय जलीय किसानों के हितों को नुकसान पहुंचेगा। नए टैरिफ की भरपाई के लिए, एक्वा उत्पाद निर्यातकों को कीमतें बढ़ानी होंगी। इससे इक्वाडोर, वियतनाम और ताइवान जैसे देशों की तुलना में भारत से झींगा और मछली अधिक महंगी हो जाएगी।

किसानों के सामने बड़ा संकट

निर्यात में गिरावट आती है, तो भारतीय किसानों को उत्पादन कम करना होगा। आंध्र प्रदेश में 5 लाख से अधिक एक्वा किसान काम करते हैं, जिनमें से अधिकांश पूर्व अविभाजित पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में हैं। अगर राज्य को उत्पादन कम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इन किसानों और उनके परिवारों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

आंध्र प्रदेश झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य

बता दें कि आंध्र प्रदेश भारत के झींगा उत्पादन में अग्रणी राज्य है, जो देश के कुल उत्पादन का लगभग 70% हिस्सा योगदान देता है। 2023-24 में भारत ने अमेरिका को 2.55 बिलियन डॉलर मूल्य के समुद्री उत्पाद निर्यात किए, जिसमें झींगा 92% हिस्सा रखता है। इस उद्योग का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में लगभग 8-11% योगदान है। इससे करीब 50 लाख लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

बस्तर के विकास के लिए बनेगा रोडमैप: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 15 और 16 अप्रैल को अधिकारियों से करेंगे चर्चा

रायपुर- मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने के लक्ष्य के साथ ही राज्य सरकार सम्पूर्ण बस्तर के समन्वित विकास के लिए रोडमैप बना रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खुद इस संबंध में 15 और 16 अप्रैल को जगदलपुर में संबंधित विभाग के सचिव, कमिश्नर, कलेक्टर और उस क्षेत्र में कार्य करने वाले स्टेकहोल्डर से चर्चा करेंगे।

मुख्यमंत्री साय 15 अप्रैल को जगदलपुर में चार विषयों– कृषि, पशुपालन, मछली पालन और संबद्ध विषय, औद्योगिकीकरण एवं रोजगार, पर्यटन को बढ़ावा देना, कौशल विकास सहित युवाओं को बस्तर एवं अन्य क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने से संबंधित विषयों पर बस्तर में पदस्थ अधिकारियों एवं उस क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा करेंगे। वहीं, 16 अप्रैल को बस्तर संभाग के कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं वनमंडल अधिकारियों के साथ विभिन्न योजनाओं की समीक्षा भी करेंगे।

CM के प्रमुख सचिव ने कलेक्टरों को जारी किया पत्र

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने इस संबंध में कृषि, वाणिज्य एवं उद्योग, पर्यटन, कौशल विकास विभाग के सचिव और बस्तर संभाग के कमिश्नर एवं कलेक्टरों को पत्र जारी कर आवश्यक तैयारी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, विशेषकर बस्तर संभाग में विकास की गति भी तेजी से बढ़े, इसके लिए बस्तर के सभी जिलों के विकास का एक रोडमैप बनाया जाना है। इस हेतु पूर्व में बनाया गया दस्तावेज विजन “नवा अंजोर” का भी अवलोकन कर उसमें उल्लेखित बिंदुओं को समाहित किया जाए।

सुबोध कुमार सिंह ने कहा है कि संबंधित विभागीय सचिव इन बैठकों एवं प्रस्तुतीकरण के संयोजक होंगे। वे संभागीय आयुक्त, बस्तर के साथ समन्वय कर सभी स्टेकहोल्डर को चर्चा में आमंत्रित करेंगे। प्रत्येक विषय पर लगभग एक घंटा चर्चा का समय रखा गया है।

मैं जेल जाने को तैयार, लेकिन...”सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों से मिलकर बोलीं ममता

#cmmamatabanerjeestandbythosewholostjobs

पश्चिम बंगाल की शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ममता बनर्जी सहमत नहीं हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शिक्षक भर्ती घोटाला में अपनी नौकरी गंवाने वाले सैकड़ों लोगों को समर्थन में उतर गईं हैं। इसी क्रम में सोमवार को ममता बनर्जी ने नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की। इस मौके पर सीएम ने कहा, स्कूली नौकरी गंवाने वालों के साथ खड़े होने के लिए अगर कोई मुझे सजा देना चाहता है तो मैं जेल जाने को भी तैयार हूं। यह बयान उन्होंने उन शिक्षकों के पक्ष में दिया, जिनकी नियुक्ति भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते रद्द की गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य के 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षक भर्ती के मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की कड़ी आलोचना की है। ममता बनर्जी ने कहा, शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश चल रही है। 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं के शिक्षक उच्च शिक्षा के प्रवेश द्वार हैं। कई शिक्षक स्वर्ण पदक विजेता हैं, उन्होंने अपने जीवन में बेहतरीन परिणाम हासिल किए हैं। आप उन्हें चोर कह रहे हैं। आप उन्हें अक्षम कह रहे हैं। आपको यह अधिकार किसने दिया? कौन यह खेल खेल रहा है? नौकरी खोने वाले लोगों को संबोधित करते हुए ममता ने कहा, कृपया यह न समझें कि हमने इसे स्वीकार कर लिया है। हम पत्थर दिल नहीं हैं और ऐसा कहने के लिए मुझे जेल भी हो सकती है, लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट करे कौन योग्य कौन नहीं-ममता बनर्जी

ममता ने यह सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट को यह स्पष्ट करना चाहिए कि कौन योग्य है और कौन नहीं। उन्होंने कहा, हमें एक लिस्ट दीजिए। किसी को भी शिक्षा व्यवस्था को तोड़ने का अधिकार नहीं है। ममता ने उदाहरण देते हुए कहा कि एनईईटी परीक्षा में भी कई आरोप लगे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे रद्द नहीं किया। उन्होंने यह भी पूछा, बंगाल को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? क्या बंगाल की प्रतिभा से लोग डरते हैं?

25,000 से अधिक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों की नियुक्ति रद्द

बता दें कि पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में ममता सरकार को तब सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा जब कोर्ट ने 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखने का फैसला सुनाया। सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में ये फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 25 हज़ार शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों को लेकर पिछले दिनों ही आया है। सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती मामले में न सिर्फ अपना फैसला सुनाया बल्कि इस भर्ती को टेंटिड और दूषित भी करार दिया।

बीजेपी स्थापना दिवस : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यकर्ताओं को दी शुभकामनाएं

रायपुर- भारतीय जनता पार्टी की स्थापना आज ही के दिन 1980 में हुई थी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने तमाम कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं दी है. 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर किए अपने पोस्ट में लिखा है कि लक्ष्य अंत्योदय, प्रण अंत्योदय और पथ अंत्योदय के संकल्पों को सिद्धि तक पहुंचाने वाले, विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.

उन्होंने आगे लिखा कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज विकास के सूरज से पूरा देश आलोकित हो रहा है. विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत माता का वैभव सर्वोच्च शिखर पर आरूढ़ हो रहा है.