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कलेवा रेस्टोरेंट में लापरवाही की हद: गोलगप्पों में कॉकरोच, ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन के मशहूर कलेवा रेस्टोरेंट ने साफ-सफाई के नाम पर ग्राहकों के भरोसे को तार-तार कर दिया है। एक वायरल वीडियो ने इस रेस्टोरेंट की गंदगी की पोल खोल दी, जिसमें गोलगप्पों के बीच कॉकरोच बेरोकटोक रेंगते नजर आ रहे हैं। यह घिनौना नजारा न केवल पेट पकड़ने वाला है, बल्कि खाद्य सुरक्षा के तमाम दावों की धज्जियां उड़ाता है।

MGI घरोन्डा सोसाइटी के निवासी अखिलेश पांडे ने यह वीडियो शेयर किया, जिसमें साफ दिखता है कि कलेवा रेस्टोरेंट की रसोई में स्वच्छता नाम की चीज गायब है। चमचमाती ब्रांडिंग और ऊंची कीमतों के पीछे छिपा यह सच ग्राहकों के लिए खतरे की घंटी है। कॉकरोच से सने गोलगप्पे परोसने वाला यह रेस्टोरेंट खाने की गुणवत्ता और सेहत के प्रति कितना गंभीर है, इसका जवाब वीडियो में साफ दिख रहा है। अखिलेश ने गुस्से में कहा, "छोटे ठेले वाले तो साफ-सफाई का ख्याल रखते हैं, लेकिन कलेवा जैसे रेस्टोरेंट मोटा बिल थमा कर गंदगी परोस रहे हैं। यह ग्राहकों के साथ धोखा है।" उनका गुस्सा जायज है, क्योंकि कॉकरोच जैसे कीड़े खाने में मिलना न केवल घृणित है, बल्कि गंभीर बीमारियों को न्योता देता है।

सोशल मीडिया पर वायरल यह वीडियो राजनगर एक्सटेंशन के निवासियों में आग की तरह फैल गया है। लोग अब कलेवा रेस्टोरेंट के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई ग्राहकों ने इसे "सेहत का अपमान" करार दिया और "स्वच्छ भारत" जैसे अभियानों पर सवाल उठाए। एक स्थानीय निवासी ने तंज कसते हुए कहा, "अगर बड़े रेस्टोरेंट्स में कॉकरोच परोसने की आजादी है, तो स्वच्छता के नारे बस दिखावा हैं।"

कलेवा रेस्टोरेंट की यह लापरवाही कोई नई बात नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रेस्टोरेंट में पहले भी साफ-सफाई को लेकर शिकायतें उठती रही हैं, लेकिन प्रबंधन ने कभी सुधार की जहमत नहीं उठाई। अब जब गोलगप्पों में कॉकरोच की बात सामने आई है, तो ग्राहकों का सब्र जवाब दे गया है। लोग खाद्य सुरक्षा अधिकारियों से मांग कर रहे हैं कि कलेवा रेस्टोरेंट की गहन जांच हो और ऐसी लापरवाही के लिए कड़ा दंड दिया जाए।

रेस्टोरेंट की ओर से अब तक कोई सफाई नहीं आई है, जो उनकी गैरजिम्मेदारी को और उजागर करता है। ग्राहकों का कहना है कि मोटी रकम वसूलने वाले इस रेस्टोरेंट को अपनी रसोई साफ करने की बजाय माफी मांगने की भी फुर्सत नहीं है। यह घटना राजनगर एक्सटेंशन के हर उस शख्स के लिए सबक है, जो चमक-दमक के पीछे खाद्य सुरक्षा को हल्के में लेता है।निवासियों ने क्षेत्र के सभी रेस्टोरेंट्स की जांच की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
सपनों का आशियाना या टूटी सड़क का फरेब? राजनगर एक्सटेंशन में जिंदगी बन गई जाम और गंदगी का नाम
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। आम आदमी अपनी पूरी जिंदगी की कमाई एक बेहतर जिंदगी के सपने में लगा देता है—एक ऐसा घर, जहां सुकून हो, सुविधाएं हों और भविष्य संवरता नजर आए। लेकिन जब हकीकत वादों के सुनहरे महल से बाहर निकलती है, तो सड़कों के गड्ढे, अंधेरी गलियां और जाम के जंगल उसका स्वागत करते हैं।

राजनगर एक्सटेंशन की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है। यहां रहने वाले लाखों लोग टूटी-फूटी सड़कों, अतिक्रमण से अटी गलियों, गंदगी के अंबार और रात के अंधेरे से जूझने को मजबूर हैं। वोट मांगते वक्त विकास के जो सपने दिखाए गए थे, अब वही सपने धूल फांक रहे हैं।

इस दर्द को आवाज दी है विवेक कुमार ने, जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, सांसद एवं पूर्व मंत्री अतुल गर्ग, जिलाधिकारी गाजियाबाद, जीडीए वीसी, यूपी के मुख्य सचिव और महापौर सुनीता दयाल को ट्वीट के माध्यम से अपना और हजारों निवासियों का दर्द सुनाया है।
विवेक कुमार ने दो वीडियो भी ट्वीट में साझा किए, जिनमें दिल्ली की सड़कों की खूबसूरती और राजनगर एक्सटेंशन की सड़कों और डिवाइडर की दुर्दशा को दिखाया गया है जिन्हें देखकर समझा जा सकता है कि गाजियाबाद में विकास अब सिर्फ नारों और झूठे वादों तक सीमित रह गया है।

शर्मनाक है कि जो क्षेत्र कभी "गाजियाबाद का पॉश ड्रीम डेस्टिनेशन" कहकर बेचा गया था, वह आज जाम, गंदगी और अंधेरे का पर्याय बन चुका है।

रहवासियों की पीड़ा सवाल बनकर गूंज रही है:
"घर तो ले लिया, अब किससे पूछें ज़िंदगी की गारंटी?"

नवाचारों की नर्सरी बनी उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, बौद्धिक संपदा पर राष्ट्रीय कार्यशाला में उमड़ा जोश
विभु मिश्रा
देहरादून। विज्ञान और तकनीक की नई सोच को आकार देने का मंच बना उत्तरांचल विश्वविद्यालय, जहां शनिवार को बौद्धिक संपदा दिवस के मौके पर एक खास राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। विषय था ‘महत्वपूर्ण बौद्धिक संपदा और नवाचारों का विकास’। आयोजन ने न केवल छात्रों को पेटेंट और कॉपीराइट की बारीकियों से रूबरू कराया, बल्कि नवाचार की दिशा में सोचने की प्रेरणा भी दी।
कार्यशाला की शुरुआत एक गरिमामयी उद्घाटन सत्र से हुई, जिसमें विश्वविद्यालय की उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी, कुलपति प्रो. धर्म बुद्धि, प्रो. अजय सिंह, डॉ. मनमोहन रावत, हिमांशु गोयल, आशीष शर्मा और डॉ. अनिल सिंह जैसी शख्सियतों ने ज्ञान और अनुभव की रोशनी बिखेरी। प्रो. अजय सिंह ने कार्यशाला की रूपरेखा रखते हुए बताया कि कैसे बौद्धिक संपदा केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि विचारों की सुरक्षा का माध्यम है। तकनीकी सत्रों में एक के बाद एक विशेषज्ञों ने मंच संभाला। किसी ने बताया कि पेटेंट कैसे फाइल होता है, किसी ने कॉपीराइट के कायदे-कानून समझाए, तो किसी ने वैश्विक संधियों और WIPO की जटिलताओं को आसान भाषा में समझाया। डॉ. मनमोहन रावत और प्रो. जी. के. ढींगरा ने उदाहरणों से यह बताया कि बौद्धिक संपदा का सही इस्तेमाल किस तरह से नए उद्योग और तकनीकी खोजों की नींव रख सकता है। श्री आशीष शर्मा और डॉ. हिमांशु गोयल के सत्र युवाओं के लिए खास आकर्षण रहे, जहां उन्होंने केस स्टडीज़ के ज़रिए जमीनी स्तर पर IP फाइलिंग की प्रक्रिया बताई। उपाध्यक्ष सुश्री अंकिता जोशी ने कार्यशाला की टीम को बधाई देते हुए युवाओं से कहा, “यह समय है सोच को अधिकार में बदलने का।”
करीब 200 प्रतिभागियों ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला में हिस्सा लिया। मंच के पीछे की टीम भी उतनी ही सक्रिय रही। डॉ. निशेष शर्मा के नेतृत्व में डॉ. साधना अवस्थी, डॉ. पूजा यादव, श्री राहुल गौड़, सुश्री शिवांगी, रूबी पोखरियाल, डॉ. वी.के. श्रीवास्तव, डॉ. शिवम पांडे और डॉ. इंद्रा रौतेला ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अधिवक्ताओं ने थामी सेवा की बागडोर, लगाया स्वास्थ्य जांच व रक्तदान शिविर
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। गाजियाबाद टैक्सेशन बार एसोसिएशन द्वारा शनिवार को राज्य कर विभाग भवन, कलेक्ट कंपाउंड, आरडीसी, राजनगर में स्वास्थ्य जांच और रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। अधिवक्ताओं और आम लोगों की भागीदारी से यह कार्यक्रम सफल रहा। शिविर में आए लोगों की स्वास्थ्य जांच विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा की गई, जिसमें रक्तचाप, शुगर समेत कई सामान्य जांचें शामिल थीं। वहीं, रक्तदान शिविर में अधिवक्ताओं ने स्वेच्छा से रक्तदान कर जरूरतमंदों की मदद के लिए योगदान दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष विनीत त्यागी और महामंत्री मधुकर गुप्ता ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाने का एक तरीका हैं। उन्होंने बताया कि आगे भी ऐसे कार्यक्रमों को जारी रखने की योजना है। इस मौके पर डॉक्टर लवीना महक, डॉ हर्ष शर्मा सहित अन्य डॉक्टरों की टीम मौजूद रही। कार्यक्रम में अधिवक्ता पीएस उपाध्याय, वीपी नगर, नवीन मित्तल, मदन कुमार त्यागी, प्रिंस वाधवा, शिवम गर्ग, अमित शर्मा, अमन अग्रवाल, कौशल कुमार, मनोज शर्मा, मनोज कुमार, रोजिन यादव और दीपक त्यागी सहित कई अधिवक्ता उपस्थित रहे। आयोजन के समापन पर एसोसिएशन ने सभी डॉक्टरों, स्वयंसेवकों और सहयोगियों का धन्यवाद किया।
बुआ-दादी का दांव! ठहाकों में छिपी एक कड़वी सच्चाई
विभु मिश्रा
ग्रेटर नोएडा। शुक्रवार शाम शारदा विश्वविद्यालय में “यूथ फॉर नेशन” के आयोजन में मंचित हुआ ऐसा नाटक, जो देखने में मजेदार था लेकिन दिल में सवाल छोड़ गया। ‘अपने-अपने दांव’, पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा का रचा हास्य नाटक, जिसे निर्देशित किया अरुण अरोड़ा ने, ऐसा जमा कि हॉल ठहाकों से गूंजता रहा। बुजुर्ग बुआ-दादी की चालें नाटक की नायिका हैं एक बुजुर्ग बुआ-दादी अक्षम हैं, मगर चालाकी में कोई जवाब नहीं। उन्हें चाहिए सेवा और स्वाद, और इसके लिए वो रचती हैं ऐसा जाल कि पूरा परिवार उनकी ‘सेवा’ में जुट जाता है। अनीता शर्मा ने इस भूमिका को इतनी जीवंतता से निभाया कि हर संवाद पर हँसी की लहर दौड़ गई। परिवार बना कॉमिक अखाड़ा बाबू जी (दिनेश शर्मा) दब्बू, उनकी पत्नी (एकता) तेज-तर्रार। काके, रानी, हरी बाबू और शहंशाह जैसे किरदारों ने मंच को ऐसा रंग दिया कि दर्शक सीट छोड़कर भी हँसते रहे। हर किरदार अपने आप में दमदार, अपने संवादों में सटीक। नाटक में सिर्फ हँसी नहीं थी नाटक के अंत में उठता है एक सवाल क्या बुजुर्गों को अपनी सेवा के लिए लालच देना ज़रूरी हो गया है? क्या परिवार अब संवेदनाओं से नहीं, स्वार्थ से चलता है? यही वो मोड़ था जहां ठहाके धीरे-धीरे सोच में बदल गए। हॉल में तालियां, लेकिन आंखों में सोच यह सिर्फ एक मनोरंजन नहीं था, बल्कि समाज के उस आईने की झलक थी जिसमें बुजुर्ग आज अकेले खड़े हैं। दर्शकों ने हँसी के साथ इस संदेश को भी गहराई से महसूस किया। निर्देशक अरुण अरोड़ा ने न सिर्फ अभिनय संयोजन शानदार किया, बल्कि कुछ नई प्रतिभाओं को भी मंच पर उतार कर यह दिखाया कि रसोई से भी रंगमंच तक की दूरी तय की जा सकती है। खास मेहमान, खास मौके पर दीप प्रज्वलन से शुरू हुए इस कार्यक्रम में मौजूद रहे खुद नाटक के लेखक पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा। उनके साथ मंच पर थे आरएसएस के नरेंद्र ठाकुर, पत्रकार प्रो. के.जी. सुरेश, शिक्षाविद जासिम मोहम्मद और “यूथ फॉर नेशन” के अध्यक्ष सुनील त्यागी। यूथ फॉर नेशन का लक्ष्य बड़ा है संस्था के अध्यक्ष सुनील त्यागी ने बताया कि वे कला के ज़रिए युवाओं में सामाजिक जागरूकता और देशभक्ति का संचार करना चाहते हैं। इससे पहले भी वे शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल और ऐतिहासिक प्रस्तुतियों का सफल आयोजन कर चुके हैं।
पार्क में खेलती बच्ची साइकिल समेत खुली रेलिंग से बेसमेंट में गिरी, हालत नाजुक 
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। क्रॉसिंग रिपब्लिक स्थित GH-7 सोसायटी में शुक्रवार शाम को एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी। सोसायटी के पार्क में साइकिल चला रही सात साल की अनन्या अचानक एक खुली रेलिंग से संतुलन खो बैठी और साइकिल समेत सीधे बेसमेंट की गहराई में जा गिरी। ज़मीन से करीब 10 फीट नीचे गिरी बच्ची को सिर और कमर में गंभीर चोटें आई हैं। वह इस समय सर्वोदय अस्पताल के ICU में ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है। हादसे के तुरंत बाद मौके पर हड़कंप मच गया। आस-पास मौजूद लोगों ने जब देखा कि बच्ची नीचे गिरी है, तो दौड़कर उसे बाहर निकाला गया और फौरन अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन असली झटका तब लगा, जब सामने आया कि इस टूटी हुई रेलिंग की शिकायत सोसायटी रेजिडेंट्स पहले ही कर चुके थे। 13 अप्रैल 2025 को ही AOA और मेंटेनेंस कंपनी 'निम्बस' को टूटी रेलिंग की लिखित सूचना दी गई थी। रेजिडेंट्स ने फोटो और लोकेशन तक भेजी थी, लेकिन न कोई रिपेयर हुआ, न बैरिकेडिंग लगी, न चेतावनी बोर्ड लगा और न ही उस जगह कोई गार्ड लगाया गया। यानी खतरे की जानकारी होते हुए भी किसी ने कुछ नहीं किया। अब जब यह दर्दनाक हादसा हुआ है, तो गुस्साए रेजिडेंट्स ने AOA और निम्बस पर सीधा हमला बोला है। लोगों का कहना है कि यह महज़ एक एक्सिडेंट नहीं, बल्कि क्रिमिनल नेग्लिजेंस का मामला है। कई लोग इसे 'गैर-इरादतन हत्या' जैसा गंभीर अपराध मान रहे हैं और FIR की मांग कर रहे हैं। सोसायटी में बैनर लगाए जा रहे हैं, प्रदर्शन की तैयारी हो रही है, और जिम्मेदारों को सस्पेंड करने की मांग उठ रही है। जिस समय ये हादसा हुआ अनन्या के पिता विपुल वार्ष्णेय उस समय ऑफिस में थे। जैसे ही उन्हें हादसे की खबर मिली, वे भागते हुए अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों का कहना है कि अगले 48 घंटे बेहद नाज़ुक हैं। परिवार गहरे सदमे में है, और रेजिडेंट्स में आक्रोश साफ दिखाई दे रहा है।
'सद्भावना संगम' में देशभर से जुटे राष्ट्रनायक, गाजियाबाद बना देशभक्ति का केंद्र
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। वसुंधरा के मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस का ऑडिटोरियम इन दिनों देशभक्ति की भावना और वैचारिक ऊर्जा से सराबोर है। यहां भारतीय सद्भावना मंच का तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग धूमधाम से शुरू हुआ, जिसमें देशभर से करीब 400 प्रतिनिधि जुटे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय परंपरा के प्रतीक खड़ाऊ स्थापना से हुआ, जिसने इस आयोजन को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। माहौल को और ऊर्जावान बनाया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इंद्रेश कुमार की उपस्थिति ने, जिनकी एक झलक पाने को लोग उत्सुक नजर आए। पहले दिन राष्ट्र निर्माण की दिशा में समरस और शक्तिशाली भारत के विजन पर गहन मंथन हुआ। प्रतिनिधियों ने मिलकर विचार साझा किए कि समाज में सकारात्मक बदलाव कैसे लाया जा सकता है। साथ ही सद्भावना मंच के कार्यकर्ताओं का परिचय सम्मेलन भी हुआ, जिससे संगठनात्मक ताकत को एकजुट किया जा सके। कार्यक्रम 27 अप्रैल तक जारी रहेगा, जिसमें हर शाम सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, भक्ति संध्या और देशभक्ति गीतों की बौछार माहौल को और ऊर्जावान बनाएगी। मंच पर उपस्थित रहे मेवाड़ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गदिया, निदेशिका डॉ. अलका अग्रवाल, संयोजिका साध्वी कल्पना और वरिष्ठ समाजसेवी अर्जुन मूंदड़ा ने इस आयोजन को राष्ट्र निर्माण में सद्भावना की नई क्रांति बताया।
आतंक के खिलाफ गोल्फलिंक की हुंकार, पहलगाम हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस दर्दनाक घटना में मारे गए निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि देने और आतंक के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए गाजियाबाद की गोल्फलिंक सोसाइटी में रविवार शाम एक शांत लेकिन गुस्से से भरा मशाल जुलूस निकाला गया। ‘गोल्फलिंक जागरूकता मंच’ के नेतृत्व में निकली यह रैली क्रिस्टल क्लब से शुरू होकर सोसाइटी के हर हिस्से होली चौक, टी ब्लॉक, पॉम ड्राइव, विला, फेस 1 और 2, स्कार्डी और आशियाना से होकर वापस क्रिस्टल क्लब पर आकर समाप्त हुई। जुलूस के दौरान सैकड़ों लोग शामिल हुए। हर हाथ में तिरंगा या मशाल थी और हर दिल में ग़म और ग़ुस्सा साफ दिख रहा था।
आतंकी हमले में जान गंवाने वालों के लिए दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। मोमबत्तियों और मशालों की रोशनी में जब नाम लेकर शहीदों को याद किया गया, तो माहौल भावुक हो गया। इसके साथ ही लोगों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर सख्त कदम उठाने की मांग भी की। रैली के दौरान “आतंकवाद मुर्दाबाद”, “भारत माता की जय” और “अब और नहीं सहेंगे” जैसे नारे गूंजते रहे। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों तीनों पीढ़ियों ने एक साथ इस जुलूस में भाग लेकर यह संदेश दिया कि अब चुप रहना मंजूर नहीं। मंच संयोजक महेश जोशी ने कहा, “यह विरोध राजनीति नहीं, संवेदना और आत्मा की पुकार है। अब वक्त है कि आतंक को जवाब मिले।” अन्य वक्ताओं सुशील शर्मा, राजीव कुलश्रेष्ठ, रेखा चतुर्वेदी, सीमा कुलश्रेष्ठ, पुनीता त्यागी, अरविंद मलिक, अमर किशन कौशिक, मनोज कुमार, हरीश प्रताप, अमित मुंजाल और आशु कत्याल ने भी सरकार से मांग की कि आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई हो और इस तरह की घटनाओं को दोहराने से रोका जाए।
अब हड्डियाँ खुद करने लगी हैं 'सेल्फ-रिपेयर' - डॉ. अजय पंवार
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। अगर अब तक आप हड्डियों को सिर्फ़ कैल्शियम की छड़ियाँ और दूध से टिके रहने वाली चीज़ मानते थे — तो अब वक्त है अपना नजरिया बदलने का! गाजियाबाद के जाने-माने ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. अजय पंवार का कहना है कि "हड्डियाँ अब सिर्फ शरीर का ढांचा नहीं, बल्कि हाई-टेक स्मार्ट टिशू बन चुकी हैं, जो खुद को रिपेयर करना सीख रही हैं!"


अब हड्डियाँ टूटेंगी नहीं-खुद जुड़ेंगी!

डॉ. पंवार बताते हैं कि हालिया रिसर्च से चौंकाने वाली बात सामने आई है:
हड्डियों में मौजूद स्टेम कोशिकाएं अब इतनी एक्टिव हो चुकी हैं कि वे छोटे-मोटे फ्रैक्चर को खुद ही भरने में सक्षम हैं — वो भी बिना किसी सर्जरी के!
लेकिन इसके लिए चाहिए — सही डाइट, विटामिन D और हल्का-फुल्का एक्सरसाइज।

Nano-Calcium Technology का कमाल

नई रिसर्च के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने 'नैनो-कैल्शियम फॉर्मूला' तैयार किया है जो सीधे हड्डी के डैमेज्ड हिस्सों तक पहुंचता है और वहां कोशिकाओं को रिपेयर मोड में डाल देता है।
डॉ. पंवार कहते हैं, "ये तकनीक आने वाले समय में बुज़ुर्गों के लिए गेमचेंजर साबित होगी, खासकर ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों में।"
अब सर्जरी नहीं, रोबोट करेंगे हड्डियों का रिप्लेसमेंट!

घुटना हो या कूल्हा, अब रिप्लेसमेंट सर्जरी होगी सुपर सटीक रोबोटिक सिस्टम से — वो भी बिना ज्यादा कटाई और खून बहाव के!
गाजियाबाद में पहली बार इस एडवांस तकनीक को लाने वाले विशेषज्ञों में डॉ. पंवार का नाम सबसे ऊपर है।
फायदा? कम दर्द, तेज़ रिकवरी और 100% सटीक फिटिंग!

हैरान कर देने वाला मामला

डॉ. पंवार बताते हैं कि हाल ही में एक 12 साल की बच्ची की रीढ़ गिरने से क्रैक हो गई थी।
पर चमत्कारिक स्टेम-थेरेपी और मिनिमल-सर्जरी तकनीक की मदद से उसने सिर्फ़ 3 महीने में दोबारा दौड़ना शुरू कर दिया — बिना किसी स्टील रॉड के!
हड्डी का हेल्थ मंत्र: हर घर में हो 'बोन फ्रेंड'

डॉ. पंवार की सलाह बेहद सरल लेकिन असरदार है:
"20 की उम्र में हड्डी को चाहिए ताकत, 40 में संतुलन और 60 के बाद सुरक्षा।"
वो कहते हैं, "हर इंसान को अपने हड्डियों का दोस्त बनना चाहिए — अच्छा खाना, भरपूर धूप और रोज़ाना चलना यही असली फॉर्मूला है हड्डियों को मजबूत रखने का।"

अब समय है हड्डियों को नज़रअंदाज़ करने का नहीं, उन्हें समझने और संवारने का — क्योंकि अब ये सिर्फ हड्डियाँ नहीं रहीं... ये बन गई हैं शरीर की सबसे स्मार्ट संरचना!

कमर-घुटनों का दर्द बना नई पीढ़ी का दुश्मन, जानिए Dr. Pawar के हड्डी-फिट फार्मूले
Vibhu Mishra
गाजियाबाद: आजकल न उम्र की पाबंदी है, न जेंडर की, हड्डियों की बीमारी हर घर में दस्तक दे रही है। कमर दर्द, घुटनों की चटकन, बैठने-उठने में दिक्कत... ये सब अब सिर्फ बुज़ुर्गों की बातें नहीं रहीं। 25-30 की उम्र वाले भी अब जॉइंट पेन और बैक प्रॉब्लम्स की वजह से दिन-रात परेशान हैं। इस चौंकाने वाली सच्चाई के पीछे क्या वजह है? कैसे बचा जा सकता है इस 'साइलेंट बॉडी किलर' से? इन सभी सवालों का जवाब दिया सीनियर ऑर्थोपेडिक एक्सपर्ट डॉ. अजय पवार ने, जो गाजियाबाद में अब तक हज़ारों मरीज़ों का इलाज कर चुके हैं।
हड्डियों की दुश्मन बनी ये 5 आदतें!
डॉ. पवार कहते हैं, “हड्डियों की कमजोरी कोई रातों-रात नहीं होती। ये धीरे-धीरे हमारी गलत लाइफस्टाइल की वजह से जन्म लेती है।”

जानिए वो 5 आदतें जो हमारी हड्डियों को चुपचाप खोखला कर रही हैं:
सुबह की धूप से दूरी – विटामिन D की भारी कमी

फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक का ओवरडोज़ – कैल्शियम का दुश्मन

सारा दिन एक ही जगह बैठना – बॉडी मूवमेंट जीरो

नशे की लत – शराब और सिगरेट से हड्डियों की उम्र घटती है
ज्यादा हाई-इंटेंसिटी वर्कआउट – बिना गाइडेंस के एक्सरसाइज़,

खासकर युवाओं में क्या हैं शुरुआती संकेत?
घुटनों में दर्द या सूजन, कमर में खिंचाव, सुबह उठते वक्त अकड़न, वजन उठाने पर जोड़ों में टीस, सीढ़ियां चढ़ते वक्त दर्द, डॉ. पवार कहते हैं, “इन लक्षणों को हल्के में लेना सबसे बड़ी भूल है। ये संकेत हैं कि आपकी हड्डियों को अब मदद चाहिए!”
डॉ. पवार के मास्टर टिप्स: हड्डियों का बनेगा बुलेटप्रूफ कवच
धूप को बनाइए दोस्त – रोज़ सुबह 7 से 9 बजे तक 15-20 मिनट जरूर बाहर रहें

डाइट में लाओ दम – दूध, बादाम, पनीर, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां और सीड्स का रोज़ सेवन

फिटनेस की सिंपल डोज़ – हल्की वॉकिंग, योग और स्ट्रेचिंग को आदत में लाएं

6 महीने में कराएं BMD टेस्ट – हड्डियों की ताकत का पता चलता है

वजन कंट्रोल में रखें – ओवरवेट होना भी घुटनों की सबसे बड़ी मुसीबत है

इलाज में देर, नुकसान में फंसने का डर!
शुरुआती स्टेज में हड्डियों की समस्याएं दवाओं, सप्लीमेंट्स और फिजियोथैरेपी से काबू में आ जाती हैं। लेकिन जब हालत बिगड़ जाए, तो सर्जरी तक की नौबत आ सकती है। इसलिए ‘घरेलू नुस्खों’ के बजाय एक्सपर्ट से मिलना ही समझदारी है।
अगर आपकी हड्डियों में भी अक्सर ‘चीं चीं’ सी आवाज़ आती है या सुबह उठने में समय लगता है, तो ये खबर आपके लिए अलार्म है। क्योंकि हड्डियां ही हैं, जो हमें सीधा खड़ा रखती हैं – और एक बार ये गईं, तो लाइफ बस ‘बैठ’ जाती है!