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ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

इजरायल ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर लगाया बैन, कहा- संयुक्त राष्ट्र के लिए धब्बा*
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इजराइल हमास युद्ध के बीच इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ गई है। लेबनान पर हिजबुल्लाह के ठिकानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद ईरान ने इजराइल पर हमला बोल दिया। ईरान की ओर से हमले के बाद इजराइल ने यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस के इजराइल आने पर रोक लगा दी है। इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने देश में बैन लगा दिया है। इस बैन के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस अब इजरायल की यात्रा नहीं कर पाएंगे। बता दें कि, मंगलवार रात ईरान ने इजराइल पर 200 के करीब बैलिस्टिक मिसाइल दागी थीं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजराइल के विदेश मंत्री ने कहा कि यूएन चीफ ने ईरान के हमलों की निंदा नहीं की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। इजरायल के विदेश मंत्री कैट्ज ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल में प्रवेश करने से रोक दिया है। विदेश मंत्री काट्ज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल के भीतर एक अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है। साथ ही देश में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कैट्ज ने कहा कि जो व्यक्ति इजरायल पर ईरान के आपराधिक हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करने में असमर्थ है, वह इजरायल की धरती पर पैर रखने के लायक नहीं है। यह इजरायल से नफरत करने वाला महासचिव है, जो आतंकवादियों, बलात्कारियों और हत्यारों को समर्थन देता है। गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र के इतिहास पर एक दाग के रूप में याद किया जाएगा। इजरायल की तरफ से यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब ईरान ने इजरायल पर भारी संख्या में मिसाइल हमला किया है। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र हमेशा फिलिस्तीनियों के हित की बात करता है रहा है। इसके साथ ही इजरायल पर उनको मानवीय मदद पहुंचाने को लेकर दबाव बनाता रहा है। ईरानी की तरफ से किए गए हमले के बाद इजरायल का समर्थन नहीं करने पर इजरायल ने एंटोनियो गुटेरेस पर बैन लगा दिया है।
इजराइल पर ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट में चरम पर तनाव, जंग के बीच भारत ने दिया शांति का संदेश
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* ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर 200 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों से भीषण हमला किया। ईरानी सेना ने बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार कर मुख्‍य रूप से सैन्य और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली हमले को लेकर सक्रिय थी। इसी के चलते आसमान में ही कई मिसाइलों को नष्ट कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद कुछ मिसाइल जमीन पर गिरे और इजरायल को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इस हमले के बाद इजराइल भी हिल गया है। अब इजराइल में अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है।नेतन्याहू की तरफ से दी गई धमकी ने पश्चिम एशिया में बड़े युद्ध की दस्तक दे दी है। वहीं, मौजूदा हालात पर पहली बार भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है। पश्चिम एशिया के हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बातचीत और कूटनीति से मुद्दों को हल करने की अपील की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, हम पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने से बहुत चिंतित हैं और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान दोहराते हैं। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय आयाम न ले ले और हम आग्रह करते हैं कि सभी मुद्दों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। बता दें की भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि संघर्ष का समाधान केवल बातचीत से हो सकता है युद्ध से नहीं। हालांकि, पीएम मोदी ने हाल ही में इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की थी। वहीं, ईरान के जरिए इजरायल के खिलाफ मिसाइलों की बौछार शुरू करने से कुछ घंटे पहले वाशिंगटन में एक थिंक टैंक के साथ बातचीत के दौरान भारतीय विदेश मंत्री मंत्री ने कहा, हम संघर्ष के व्यापक होने की संभावना से चिंतित हैं, न केवल लेबनान में जो हुआ, बल्कि हौथियों और लाल सागर में भी, तथा ईरान और इजरायल के बीच जो कुछ भी घटित होगा, उससे भी। एक तरफ भारत युद्ध के हालात में शांति की बात कर रहा है, वहीं इजराइल पर हमले के बाद अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी है। इजराइल के समर्थन में अमेरिका खुलकर उतर गया है। अमेरिका ने ईरान को इजराइल पर हमले तुरंत बंद करने को कहा है नहीं तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। बताया जा रहा है कि अमेरिकन इंटेलिजेंस ने इजराइल को पहले ही आगाह कर दिया था कि ईरान उस हमला करने वाला है।
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इजरायल और ईरान के बीच जंग के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। ईरान ने इजरायल पर 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं। ईरान की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने मिसाइल दागकर बहुत बड़ी गलती की है। वहीं, ईरान के इजराइल पर हमले के बाद आईडीएफ एक्टिव हो गया है। आईडीएफ के प्रवक्ता आरएडीएम. डैनियल हगारी ने कहा, ईरान की कई मिसाइलों को रोक लिया गया, लेकिन हम ईरान के इस हमले का जवाब देंगे। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल एक्शन मोड में आ चुका है। इजराइल के आईडीएफ प्रवक्ता आरएडीएम डैनियल हगारी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक आधिकारिक बयान शेयर किया। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, ईरान ने इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों दागी। उन्होंने आगे कहा, ईरान के इस हमले में इजराइल के केंद्र में हमले हुए और दक्षिणी इजराइल में हमले हुए। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, लेकिन ईरान की ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया गया। मिसाइलों को इजराइल और अमेरिका के रक्षात्मक गठबंधन ने रोक दिया। आईडीएफ प्रवक्ता ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, इस हमले के चलते ईरान को परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हमारी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताएं हाई लेवल पर तैयार है। हमारे ऑपरेशन को अंजाम देने के प्लान तैयार है। हम इजराइल की सरकार के निर्देश के मुताबिक जवाब देंगे। सरकार जहां भी, जब भी और जैसे भी चुनेगी, हम तब ही ईरान को जवाब देंगे। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की मंगलवार की रिपोर्ट में अरब अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने तेहरान के परमाणु या ऑइल फैसिलिटी को निशाना बनाकर सीधे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमले का जवाब देगा, भले ही हमले में ज्यादा नुकसान ना हुआ ओ। इजरायल की प्रतिक्रिया ये संकेत देती है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट उसका निशाना हो सकती हैं। ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल से लेकर अमेरिका एक्टिव मोड में आ गया है। राष्ट्रपति बाइडेन इजराइल के समर्थन में आ गए हैं। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी ईरान की इस अटैक के लिए निंदा की है। ईरान द्वारा इस्राइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागे जाने के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि, अमेरिका इजराइल का पूरी तरह से समर्थन करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमले को लेकर रहा कि, मेरे निर्देश पर अमेरिका की सेना ने इस्राइल की रक्षा का सक्रिय रूप से समर्थन किया है और हम अभी भी इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। लेकिन अब जो हमें पता है कि ईरान का ये हमला पूरी तरह से विफल और अप्रभावी प्रतीत होता है। यह इजराइल की सैन्य क्षमता और अमेरिकी सेना का प्रमाण है।
ईरान ने इजरायल पर किए ताबड़तोड़ मिसाइल हमले, मिनटों में दागे 500 रॉकेट, नेतन्याहू ने कहा-कीमत चुकानी पड़ेगी

#iran_missile_attacks_on_israel

हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में एक बड़ी जंग छिड़ गई है।ईरान ने इजराइल पर कई बैलेस्टिक मिसाइलें दाग दी।ईरान ने मंगलवार रात को इजरायल पर करीब 500 रॉकेट दागे। इससे पूरे इजरायल में रॉकेट सायरन बजने लगे। इजरायली सेना ने तुरंत सभी लोगों को बम शेल्टर में शरण लेने की सलाह दी। इस दौरान आसमान में मिसाइल इंटरसेप्शन से धमाकों की आवाजें लगातार आती रहीं।

ईरानी मीडिया ने ये भी दावा किया है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय पर भी हमला किया है। ईरान ने ये भी दावा किया है कि उसने बैलिस्टिक मिसाइलों ने नेटजारिम कॉरिडोर पर इजराइली टैंकों को भी निशाना बनाया गया है। इसमें ईरान ने इजराइल के 20 एफ-35 लड़ाकू विमान को भी मार गिराया है।

जेरूशलम पोस्ट के अनुसार, उत्तरी तेल अवीव में जॉर्ज वीस स्ट्रीट पर एक इमारत पर सीधा हमला हुआ, हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। तेल अवीव के साथ-साथ डिमोना, नबातिम, होरा, होद हशरोन, बीर शेवा और रिशोन लेज़ियन में भी कई रॉकेटों के गिरने की खबर है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियो में मृत सागर में मिसाइल और इंटरसेप्टर के टुकड़ों को गिरते हुए देखा गया है।

ईरान के इस हमले से बचने के लिए इजराइल का सबसे मुख्य कवच ऑयरन डोम सिस्टम ने कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया है। लेकिन इस कवच को तोड़ने के लिए ईरान ने एक के बाद एक मिसाइलें लॉन्च करके इजराइल के कवच को चकमा देने का काम किया है।

हालांकि इस हमले के लिए इजराइल पहले से ही तैयार था, इसीलिए इजराइल ने पहले ही अपने नागरिकों को शेल्टर हाउस में शिफ्ट करने के लिए आदेश जारी कर दिया था। आईडीएफ ने कहा है कि ईरान की ओर से इजराइल पर रॉकेट दागे जाने के कारण सभी नागरिक बम शेल्टर में शिफ्ट कर दिए है।

वहीं, ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। नेतन्याहू ने यह भी याद दिलाया कि वह अपने स्थापित नियम – जो कोई हम पर हमला करेगा, हम उस पर हमला करेंगे – पर कायम रहेंगे।

नसरल्लाह के बाद याह्या सिनवार भी था निशाने पर, आखिरी वक्त में इजराइल ने रोका मारने का प्लान, जानें क्यों

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हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के बाद हमास का प्रमुख याह्या सिनवार भी इजराइल के निशाने पर था। हालांकि, ऐन वक्त पर सिनवार के खात्मे का प्लान रोक दिया गया। पहले खबर थी कि इजरायल ने उसे मौत के घाट उतार दिया है। मगर अब यह कन्फर्म हो गया है कि वह मरा नहीं है। माना जा रहा है कि इजरायल ने अपने लोगों की जान बचाने की खातिर अब तक याह्या सिनवार को बख्श रखा है। 

इजरायली न्यूज आउटलेट N12 ने रविवार 29 सितम्बर की रात अपनी विशेष रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। एन12 के अनुसार, इजरायल को एक खुफिया इनपुट मिला था। यह सिनवार को खत्म करने का बेहतरीन मौका था, लेकिन बंधकों को नुकसान पहुंचने के डर से ऐसा नहीं किया गया। बंधकों को उसी इलाके में रखा गया था, जहां हमास नेता मौजूद था।

इजरायली मीडिया एन12 न्यूज ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इजरायल के पास हमास नेता याह्या सिनवार को खत्म करने का पूरा मौका था मगर आतंकी गुट की कैद में रखे गए इजरायली बंधकों को नुकसान के डर से उसने ऐसा नहीं किया। N12 न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि इजरायल को एक ऐसी सीक्रेट सूचना मिली थी, जिससे उसे याह्या सिनवार को मार गिराने का एक अनोखा मौका मिल सकता था। मगर इजरायल ने यह मौका जानबूझकर हाथ से जाने दिया। इसकी वजह यह थी कि आतंकी संगठन हमास के सरगना याह्या सिनवार के साथ इजरायली बंधक भी रखे गए हैं।

हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की तरह याह्या सिनवार की खुफिया लोकेशन ट्रेस की जा चुकी थी। गाजा के जिस इलाके में सिनवार छिपा था उसकी घेराबंदी IDF के स्पेशल एलीट कमांडोज ने कर ली थी। सिनवार की जिंदगी और मौत के बीच के चंद मिनटों का फासला था मगर सिनवार का हंट ऑपरेशन शुरू होता उससे पहले ही IDF ने सिनवार को मारने का प्लान बदल दिया।

अगर इजराइल सिनवार के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक करता या फिर स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देता तो यकीनन इस हमले में कई बंधकों की जान जा सकती थी या फिर सिनवार अपने बचाव के लिए बंधकों का इस्तेमाल कर सकता था। उन्हें जान से मार सकता था। बस इसी नुकसान के डर इजरायल ने सिनवार के खात्मे के प्लान को रोका।

याह्या सिनवार को हमास के अपने पूर्ववर्ती इस्माइल हानिया की तेहरान में हत्या के बाद समूह का नया नेता चुना गया था। हानिया 31 जुलाई को तेहरान में हुए एक विशेष हमले में मारे गए थे। याह्या सिनवार इतना खतरनाक है कि उसे गाजा के लादेन के नाम से जाना जाता है। उसने ही 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले की योजना बनाई थी। इस हमले में 1200 इजरायली मारे गए थे, जबकि 251 को हमास के आतंकी बंधक बनाकर गाजा ले गए थे।7 अक्टूबर के हमले के बाद से ही याह्या सिनवार गाजा के नीचे बनी सुरंगों में छिपकर रह रहा है।

नसरल्लाह की मौत ने ईरान दे रहा धमकी, क्या इजराइल को अकेले रोक पाएंगे अयातुल्ला खामनेई?

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इजराइल के हमले में लेबानानी गुट हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान को बड़ा झटका लगा है। ईरान अब बदले की आग में धधक रहा है। ईरान के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि वह अपने महत्वपूर्ण सहयोगी हिजबुल्लाह को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करे और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को कैसे बरकरार रखे। दरअसल, ईरान ये भली भांति जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

करीब एक साल से इजराइल ने पूरे मिडिल ईस्ट की नाक में दम कर रखा है। दुनिया के बड़े बड़े ताकतवर मुल्क इजराइल से युद्ध रोकने की मांग रहे हैं, बावजूद इसके वो अपने एजेंडे को अंजाम देने में जुटा है और हर गुजरते दिन के साथ अपने दुश्मनों का खात्मा कर रहा है। इजराइल ने लेबनान पर ताबड़तोड़ हवाई हमले कर हाल ही में हिजबुल्ला प्रमुख सयैद हसन नसरल्ला का खात्मा कर दिया।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने नसरल्लाह की मौत पर आक्रामक रुख दिखाते हुए कहा है कि उनकी मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। ईरान के आईआरजीसी कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत भी नसरल्ला के साथ हुई है। अपने सैन्य अफसर की हत्या ईरान के लिए शर्म की वजह बनी है और इससे उस पर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा है। हालांकि, ये भी सच है कि नसरल्लाह की हत्या से भी इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आया है कि तेहरान संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहता है। क्योंकि ईरान ये अच्छी तरह से जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

दरअसल, इजरायल के पीछे अमेरिका खड़ा है।अमेरिका हर तरफ फैले अपने सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल दुनिया में कहीं भी बैठे दुश्मनों से निपटने और सहयोगियों की मदद करने के लिए करता है। हाल के सालों में अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के साथ-साथ साऊथ एशिया में भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है। इस समय अमेरिका के 80 देशों में करीब 750 सैन्य अड्डे हैं, इन देशों में सबसे ज्यादा 120 मिलिट्री बेस जपान में हैं।

अमेरिका ने पूरे मिडिल ईस्ट में मिलिट्री बेस का ऐसा जाल बिछा लिया है। मिडिल ईस्ट के लगभग 19 देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं, जिनमें से प्रमुख कतर, बहरीन, जॉर्डन, और सऊदी अरब में हैं। मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव में अमेरिका के ये मिलिट्री बेस अहम भूमिका निभा रहे हैं और इजराइल की सुरक्षा के लिए कवच बने हुए हैं। जिसे चाह कर भी अरब देश इसे नहीं तोड़ पा रहे हैं। 

इसके अलावा अमेरिका के सैन्य अड्डे तुर्की और जिबूती में भी हैं, ये देश पूरी तरह मिडिल ईस्ट में तो नहीं आते पर कई रणनीतिक तौर से इन देशों में सेना रखने से पूरे मिडिल ईस्ट पर नजर रखने में मदद मिलती है।

अमेरिकी सेना का मजबूती के साथ मिडिल ईस्ट के देशों में बने रहने का एक बड़ा कारण ईरान और क्षेत्रीय मिलिशिया भी हैं जो कट्टर इस्लामी राज को मिडिल ईस्ट में स्थापित करना चाहती हैं। ईरान की शिया विचारधारा को सुन्नी देश अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं और ईरान से सुरक्षा के लिए अमेरिका से मदद की उम्मीद रखते हैं। ज्यादातर अरब देश अमेरिका की सेना की उपस्थिति को अपने देश की स्थिरता के लिए जरूरी मानते हैं। अमेरिका अपना सैन्य बेस बनाने के बदले उन देशों को बाहरी खतरों से सुरक्षा की गारंटी और अंतरराष्ट्रीय स्थर पर कई राणनीतिक लाभ देता है। साथ ही गरीब देशों को भारी सैन्य और आर्थिक मदद भी दी जाती है।

मिडिल ईस्ट में इजराइल अमेरिका का खास अलाय है और दोनों के मजबूत राजनीतिक और सैन्य संबंध हैं। इजराइल चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा एक यहूदी देश है और फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जे के कारण, ये देश इजराइल से उलझते रहे हैं। इस हालात में मिडिल ईस्ट के चारों तरफ इतनी बड़ी तदाद में अमेरिकी सैन्य अड्डे होने से इजराइल को बड़ा लाभ मिल रहा है।

गाजा लेबनान में अमानवीय कार्रवाई के बावजूद कोई देश भी उसपर सैन्य कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। यहां तक कि ईरान भी अभी तक धमकी ही दे पाया है, लेकिन वे सीधे तौर पर इस जंग में कूदने का साहस नहीं ला पाया है।

यही नहीं हाल के दिनों में इजराइल की ओर से तेज हुए हमलों और हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पैदा हे जंग के हालात के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिका ने समूचे पश्चिम एशिया में लड़ाकू विमानों का दस्ता और विमान वाहक पोत तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। पेंटागन ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान और उसके सहयोगियों के संभावित हमलों से इजरायल की रक्षा करने और अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अमेरिकी लड़ाकू विमानों और युद्ध पोत के दस्ते ने इजरायल के चारों ओर उसकी रक्षा के लिए घेरा बनाना शुरू कर दिया है।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

#netanyahuwarnsiranafterisraelkilledhassan_nasrallah

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

नेतन्‍याहू के यूएनजीए संबोधन में लगे “शर्म करो” के नारे, फिर भी जंग से पीछे हटने से इनकार

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इजराइल अभी थमने वाला नहीं है। अमेरिका और यूरोप जैसे देश लगातार इजरायल पर सीजफायर का दबाव बना रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू युद्ध से पीछे नहीं हटेंगे। उन्‍होंने बाइडेन को सीजफायर प्‍लान को रिजेक्‍ट कर दिया है।हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच जारी जंग के चलते अमेरिका, फ्रांस ने 21 दिनों का सीजफायर प्लान बनाया था। इस प्लान को मानने से इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ इनकार कर दिया है। नेतन्याहू का कहना है कि किसी भी हालत में इस जंग को नहीं रोका जाएगा और हिजबुल्लाह पर उनकी ओर से बमबारी जारी रहेगी।

न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए इजराइल के प्रधानमंत्री, बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका-फ्रांस के 21 दिनों के सीजफायर प्लान को मानने से साफ इनकार कर दिया है। जैसे ही इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने विश्व नेताओं को संबोधित करना शुरू किया, कई प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा छोड़ना शुरू कर दिया। दर्शकों ने 'शर्म करो, शर्म करो' चिल्लाना शुरू कर दिया।

इस दौरान नेतन्याहू ने कहा, "जब मैंने इस मंच पर कई वक्ताओं द्वारा अपने देश पर लगाए गए झूठ और बदनामी को सुना, तो मैंने यहां आने और रिकॉर्ड स्थापित करने का फैसला किया।" इज़रायली पीएम ने ईरान को चेतावनी भी दी कि अगर उसने उनके देश पर हमला करने की हिम्मत की, तो "हम जवाबी हमला करेंगे।" उन्होंने कहा कि ईरान में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां इजरायली एजेंसियां नहीं पहुंच सकतीं।

नेतन्याहू का कहना है कि किसी भी हालत में इस जंग को नहीं रोका जाएगा और हिजबुल्लाह पर उनकी ओर से बमबारी होती रहेगी। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम अपने सभी लक्ष्यों को पूरा नहीं कर लेते, उनमें से मुख्य है उत्तर में रहने वालों की सुरक्षित उनके घरों में वापसी।

बता दें कि, अमेरिका, फ्रांस और अन्य सहयोगी देशों ने 21 दिनों के संघर्ष विराम का संयुक्त आह्वान किया है। लेबनान के विदेश मंत्री ने संघर्ष विराम प्रयासों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उनका देश इजरायल की ओर से ‘लेबनान के सीमावर्ती गांवों में मचाई जा रही सुनियोजित तबाही’ की निंदा करता है। इस बीच इजरायली वाहनों, टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को लेबनान से सटी देश की उत्तरी सीमा पर जाते हुए देखा गया है। कमांडरों ने रिजर्व सैनिकों को बुलाने का आदेश जारी किया है।

ईरान के हमले से इजरायल को हुआ भारी नुकसान! एयरबेस तक पहुंची मिसाइलें, सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा

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ईरान और इजराइल के बीच तनाव चरम पर है। ईरान ने मंगलवार को इजराइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागीं। इनमें से कई को इजराइल की वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया, कुछ समुद्र में गिरीं, तथा अन्य ने धरती में गड्ढे कर दिए। ईरान का कहना है कि उसकी 90 फीसदी मिसाइलों ने अपने टारगेट को हिट किया है। ईरान द्वारा किए गए हमले में दो इजरायली एयरबेस, एक स्कूल का मैदान और मोसाद मुख्यालय के संदिग्ध क्षेत्र के निकट स्थित दो स्थान शामिल हैं। इसमें इजरायल को सबसे ज्यादा नुकसान नेवातिम एयरबेस और तेल नॉफ एयरबेस पर हुआ। हालांकि, इजराइल ने दावा किया है कि उसके मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने हमलों को नाकाम कर दिया।

इजरायल के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक है नेगेव रेगिस्तान में मौजूद नेवातिम एयर बेस। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इस एयरबेस पर नुकसान पहुंचाया है। सैटेलाइट तस्वीरों में यह खुलासा हो रहा है। इन तस्वीरों को प्लैनेट लैब्स की सैटेलाइट ने लिया है। जिसे समाचार एजेंसी एपी ने जारी किया है।

हालांकि सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं है कि इजरायली स्टेल्थ फाइटर जेट को नुकसान पहुंचा है या नहीं। वो उस हैंगर में थे या नहीं जिसपर मिसाइल हमले से ज्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन एयरबेस पर कई क्रेटर यानी गड्ढे बने दिख रहे हैं, जो मिसाइलों की टक्कर से बने हैं।

नुकसान के दावों से इजराइल का इनकार

वहीं, इजरायल इस दावे को नकार रहा है। इजरायली सेना ने कहा कि हमले हुए हैं। मिसाइलें गिरी हैं। लेकिन उनसे किसी फाइटर जेट, विमान, ड्रोन, हथियार या जरूरी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचा है। मिसाइल हमले में ऑफिस बिल्डिंग और मेंटेनेंस एरिया क्षतिग्रस्त हुआ है।

इजरायल के लिए कितना अहम है नेवातिम एयरबेस

नेवातिम एयरबेस नेगेव रेगिस्तान में स्थित नेवातिम एयरबेस, जहां इजरायल के एफ-35 लड़ाकू विमान स्थित हैं, को अप्रैल में ईरान के ड्रोन और मिसाइल हमले का निशाना बनाया गया था, जो दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमले के जवाब में किया गया था। यह इजरायल के सबसे बड़े रनवे में से एक है और इसमें अलग-अलग लंबाई के तीन रनवे हैं। यहां स्टील्थ लड़ाकू विमान, परिवहन विमान, टैंकर विमान और इलेक्ट्रॉनिक टोही/निगरानी के लिए मशीनें, साथ ही विंग ऑफ जियोन भी तैनात थे. इस एयरबेस पर ईरान का हमला मतलब इजरायल के लिए गहरी चोट के बराबर है। थोड़ा सा भी नुकसान इजरायल के लिए काफी भारी पड़ सकता है।

नेवातिम एयरबेस का इजरायल का क्या है महत्व?

नेवातिम एयरबेस एयर फोर्स बेस 8 के नाम से भी जाना जाने वाला यह बेस इज़रायली एयर फ़ोर्स (आईएएफ) का सबसे पुराना और मुख्य बेस है जो इजरायल के रेहोवोट से 5 किमी दक्षिण में स्थित है। तेल नॉफ में दो स्ट्राइक फ़ाइटर, दो हेलिकॉप्टर और एक यूएवी स्क्वाड्रन है। बेस पर फ़्लाइट टेस्ट सेंटर मनात और इज़राइल डिफेंस फ़ोर्स (आईएएफ) की कई विशेष इकाइयां भी स्थित हैं, जिनमें यूनिट 669 (हेलीबोर्न कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू (सीएसएआर) और पैराट्रूपर्स ब्रिगेड प्रशिक्षण केंद्र और उसका मुख्यालय शामिल हैं।

जंग के मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट, इजराइल-ईरान जंग में कौन देश किसके साथ?

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ा हुआ है।ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर बड़ा हमला किया। ईरान ने इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दायर कीं। इस हमले को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि ईरान को इसकी कीमत चुकानी पड़े। इजरायली पीएम नेतन्याहू के इस बयान को ईरान के लिए खुली चेतावनी माना जा रहा है। ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट जंग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया।

मिडिल ईस्ट पिछले कई दशकों से अशांति की चपेट में रहा है। इस क्षेत्र में कई युद्ध और गृहयुद्ध हुए, जिसने क्षेत्र को एक नया आकार दिया। अक्टूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच जंग की शुरूआत हुई। इजराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी संघर्ष का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस जंग में हमास के कई प्रमुख नेताओं और हिज्बुल्लाह के प्रमुख समेत ईरान के सीनियर कमांडरों को अपने अंदर समा लिया। ऐसे में अब ईरान भी जंग में कूद पड़ा है और क्षेत्र भयानक जंग की कगार पर है।आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में हालात बिगड़ सकते हैं।

करीब दो महीने पहले हमास नेता इस्माइल हनिया की ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या हुई थी। जिसके बाद बीती 28 सितंबर को हिज़्बुल्लाह ने इसराइली हमले में अपने नेता हसन नसरल्लाह की मौत की पुष्टि की थी, उसके बाद से मध्य-पूर्व में संघर्ष और गंभीर होता जा रहा है। इजराइल हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर लेबनान में हमले जारी रखे हुए है और अब उसने हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर ज़मीन से सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर दी है। हनिया की मौत के बाद ईरान ने फौरन कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन एक अक्तूबर के ईरान के मिसाइल हमलों ने मध्य-पूर्व के इस संघर्ष को बढ़ा दिया है। इस बढ़ते संघर्ष पर अरब मुल्क़ के साथ ही दुनियाभर के कई देश स्पष्ट तौर पर बँटे हुए नज़र आ रहे हैं

अब जबकि जंग एक नया रूप अख्तियार करने की राह पर है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मिडिल ईस्ट की इस जंग में कौन, किसके साथ खड़ा है?

इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को एकजुट करने के लिए ईरान ने पहले ही इन मुल्कों से इसराइल से व्यापार खत्म करने की अपील की थी। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसराइल के साथ खड़े हैं और इस युद्ध में उसकी मदद कर रहे हैं।

13 खाड़ी देश का रुख

मिडिल ईस्ट में कुल 18 देश हैं, इनमें से 13 अरब दुनिया का हिस्सा हैं। जानते हैं कि ईरान-इजरायल और लेबनान की जंग में इन 13 खाड़ी देश का रुख क्या है?

बहरीन: बहरीन ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस तरफ है। हालांकि इस देश के कुछ दल ईरान का समर्थन कर रहे हैं, इस देश ने 2020 से अपने संबध इजरायल से ठीक कर लिए थे।

ईरान: ईरान पूरी तरह से लेबनान के साथ खड़ा और हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत का बदले लेने के लिए इजरायल पर मंगलवार को 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं।

इराक: फिलहाल इस जंग से बाहर है, ईरान से इसकी दुश्मनी सभी जानते हैं, ईरान के इजरायल पर हमले का जश्न यहां भी लोगों ने मनाया।ईरानी समर्थित संगठनों ने इस हमले का समर्थन किया है। ईरान की मिसाइल सीरिया और इराक की हवाई सीमा को क्रॉस करके इजरायल में गिरीं।

फिलीस्तीन: 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजरायल पर हमले किए थे। इसके बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन और गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों को निशाना बना रहा है। हमास के समर्थन में ही लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह इजरायल से जंग कर रहा है।

जॉर्डन: जॉर्डन ने खुद को इस जंग से अलग रखा हुआ है। जॉर्डन पीएम ने कहा है कि वो अपने देश को युद्ध का मैदान नहीं बनने देंगे। अरब मुल्क जॉर्डन की सीमा वेस्ट बैंक से मिलती है और यहां फिलिस्तीनी शरणार्थियों की बड़ी संख्या रहती है। इजराइल जब बना तो इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी भागकर जॉर्डन आ गई थी।

कुवैत: कुवैत ने कहा कि उसने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है। कुवैत ने यूएन में नेतनयाहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था।

लेबनान: इजराइल से सीधी जंग लड़ रहा है।

ओमान: इजराइल का विरोध करता रहा है। इसकी दोस्ती ईरान से भी है और यूएस से भी। शांति की अपील कर रहा है।

कतर: नसरल्लाह की मौत पर खामोश हैं, अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया। हालांकि इस देश ने अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत यूएस को नहीं दी है।

सऊदी अरब: सऊदी अरब ने भी खुद को जंग से दूर रखा है. सऊदी द्वारा इजराइल की निंदा तो की गई, लेकिन अभी तक किसी के साथ खुलकर नहीं आया है. यूएन में नेतन्याहू के भाषण का भी बहिष्कार किया था.

सीरिया: इजराइल के खिलाफ रहा है, जंग लड़ता रहा है। इजरायल ने सीरिया में भी हमले किए हैं।

यूएई: नसरल्लाह की मौत पर खामोश है। कुछ भी नहीं बोल रहा है। इस देश ने 2020 से अपने संबध इजराइल से ठीक कर लिए थे।

यमन: इजरायल ने यमन में भी कई ठिकानों पर बमबारी की है।

अमेरिका और पश्चिमी देश

ये बात नई नहीं है कि फिलिस्तीन और इजराइल के संघर्ष में ज्यादातर पश्चिमी देशों का झुकाव इजराइल की तरफ रहा है। अब ईरान की बात करें तो इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान से पश्चिमी देशों ने दूरी बना ली है। अमेरिका के साथ साथ कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली आदि खुले तौर पर इजराइल के साथ हैं और अगर ईरान इजराइल पर हमला करता है, तो ये इजराइल को सैन्य मदद भी दे सकते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन ने पहले ही अपनी मौजूदगी मध्य पूर्व में बढ़ा दी है।

चीन-रूस किस तरफ जाएंगे?

इस पूरे तनाव के बीच दुनिया की नजरें चीन और रूस पर बनी हुई है। पिछले कुछ सालों में ईरान की चीन और रूस के साथ करीबी बढ़ी है। रूस और चीन के इजराइल के साथ सामान्य रिश्ते हैं, लेकिन चीन गाजा युद्ध के दौरान इजराइल के हमलों की निंदा करता रहा है और कुछ खबरों के मुताबिक वे हमास के नेताओं से भी संपर्क में है।

क्या होगा भारत का रूख?

इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने दोनों देश में रह रहे पने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है। हालांकि भारत ने साल 1988 में फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है। पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइल के ख़िलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गाजा और वेस्ट बैंक में इजराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी।

इजरायल ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर लगाया बैन, कहा- संयुक्त राष्ट्र के लिए धब्बा*
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इजराइल हमास युद्ध के बीच इजरायल और ईरान के बीच सीधी जंग छिड़ गई है। लेबनान पर हिजबुल्लाह के ठिकानों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद ईरान ने इजराइल पर हमला बोल दिया। ईरान की ओर से हमले के बाद इजराइल ने यूएन चीफ एंटोनियो गुटेरेस के इजराइल आने पर रोक लगा दी है। इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने देश में बैन लगा दिया है। इस बैन के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस अब इजरायल की यात्रा नहीं कर पाएंगे। बता दें कि, मंगलवार रात ईरान ने इजराइल पर 200 के करीब बैलिस्टिक मिसाइल दागी थीं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इजराइल के विदेश मंत्री ने कहा कि यूएन चीफ ने ईरान के हमलों की निंदा नहीं की, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। इजरायल के विदेश मंत्री कैट्ज ने कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल में प्रवेश करने से रोक दिया है। विदेश मंत्री काट्ज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायल के भीतर एक अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है। साथ ही देश में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कैट्ज ने कहा कि जो व्यक्ति इजरायल पर ईरान के आपराधिक हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करने में असमर्थ है, वह इजरायल की धरती पर पैर रखने के लायक नहीं है। यह इजरायल से नफरत करने वाला महासचिव है, जो आतंकवादियों, बलात्कारियों और हत्यारों को समर्थन देता है। गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र के इतिहास पर एक दाग के रूप में याद किया जाएगा। इजरायल की तरफ से यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है, जब ईरान ने इजरायल पर भारी संख्या में मिसाइल हमला किया है। यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र हमेशा फिलिस्तीनियों के हित की बात करता है रहा है। इसके साथ ही इजरायल पर उनको मानवीय मदद पहुंचाने को लेकर दबाव बनाता रहा है। ईरानी की तरफ से किए गए हमले के बाद इजरायल का समर्थन नहीं करने पर इजरायल ने एंटोनियो गुटेरेस पर बैन लगा दिया है।
इजराइल पर ईरान के हमले के बाद मिडिल ईस्ट में चरम पर तनाव, जंग के बीच भारत ने दिया शांति का संदेश
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* ईरान ने मंगलवार को इजरायल पर 200 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों से भीषण हमला किया। ईरानी सेना ने बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार कर मुख्‍य रूप से सैन्य और सुरक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली हमले को लेकर सक्रिय थी। इसी के चलते आसमान में ही कई मिसाइलों को नष्ट कर दिया गया, लेकिन इसके बावजूद कुछ मिसाइल जमीन पर गिरे और इजरायल को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इस हमले के बाद इजराइल भी हिल गया है। अब इजराइल में अंजाम भुगतने की चेतावनी दे डाली है।नेतन्याहू की तरफ से दी गई धमकी ने पश्चिम एशिया में बड़े युद्ध की दस्तक दे दी है। वहीं, मौजूदा हालात पर पहली बार भारत ने भी प्रतिक्रिया दी है। पश्चिम एशिया के हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बातचीत और कूटनीति से मुद्दों को हल करने की अपील की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा, हम पश्चिम एशिया में सुरक्षा स्थिति के बिगड़ने से बहुत चिंतित हैं और सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा का आह्वान दोहराते हैं। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय आयाम न ले ले और हम आग्रह करते हैं कि सभी मुद्दों को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। बता दें की भारत का हमेशा से यह मानना रहा है कि संघर्ष का समाधान केवल बातचीत से हो सकता है युद्ध से नहीं। हालांकि, पीएम मोदी ने हाल ही में इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बात की थी। वहीं, ईरान के जरिए इजरायल के खिलाफ मिसाइलों की बौछार शुरू करने से कुछ घंटे पहले वाशिंगटन में एक थिंक टैंक के साथ बातचीत के दौरान भारतीय विदेश मंत्री मंत्री ने कहा, हम संघर्ष के व्यापक होने की संभावना से चिंतित हैं, न केवल लेबनान में जो हुआ, बल्कि हौथियों और लाल सागर में भी, तथा ईरान और इजरायल के बीच जो कुछ भी घटित होगा, उससे भी। एक तरफ भारत युद्ध के हालात में शांति की बात कर रहा है, वहीं इजराइल पर हमले के बाद अमेरिका ने ईरान को चेतावनी दी है। इजराइल के समर्थन में अमेरिका खुलकर उतर गया है। अमेरिका ने ईरान को इजराइल पर हमले तुरंत बंद करने को कहा है नहीं तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। बताया जा रहा है कि अमेरिकन इंटेलिजेंस ने इजराइल को पहले ही आगाह कर दिया था कि ईरान उस हमला करने वाला है।
ईरान में इजरायल मचा सकता है बड़ी तबाही, IDF ने कहा- हम जवाब देंगे*
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इजरायल और ईरान के बीच जंग के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। ईरान ने इजरायल पर 200 से अधिक मिसाइलें दागी हैं। ईरान की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने मिसाइल दागकर बहुत बड़ी गलती की है। वहीं, ईरान के इजराइल पर हमले के बाद आईडीएफ एक्टिव हो गया है। आईडीएफ के प्रवक्ता आरएडीएम. डैनियल हगारी ने कहा, ईरान की कई मिसाइलों को रोक लिया गया, लेकिन हम ईरान के इस हमले का जवाब देंगे। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल एक्शन मोड में आ चुका है। इजराइल के आईडीएफ प्रवक्ता आरएडीएम डैनियल हगारी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक आधिकारिक बयान शेयर किया। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, ईरान ने इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों दागी। उन्होंने आगे कहा, ईरान के इस हमले में इजराइल के केंद्र में हमले हुए और दक्षिणी इजराइल में हमले हुए। आईडीएफ प्रवक्ता ने कहा, लेकिन ईरान की ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया गया। मिसाइलों को इजराइल और अमेरिका के रक्षात्मक गठबंधन ने रोक दिया। आईडीएफ प्रवक्ता ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, इस हमले के चलते ईरान को परिणाम भुगतने पड़ेंगे। हमारी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताएं हाई लेवल पर तैयार है। हमारे ऑपरेशन को अंजाम देने के प्लान तैयार है। हम इजराइल की सरकार के निर्देश के मुताबिक जवाब देंगे। सरकार जहां भी, जब भी और जैसे भी चुनेगी, हम तब ही ईरान को जवाब देंगे। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की मंगलवार की रिपोर्ट में अरब अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने तेहरान के परमाणु या ऑइल फैसिलिटी को निशाना बनाकर सीधे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमले का जवाब देगा, भले ही हमले में ज्यादा नुकसान ना हुआ ओ। इजरायल की प्रतिक्रिया ये संकेत देती है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट उसका निशाना हो सकती हैं। ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल से लेकर अमेरिका एक्टिव मोड में आ गया है। राष्ट्रपति बाइडेन इजराइल के समर्थन में आ गए हैं। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार कमला हैरिस ने भी ईरान की इस अटैक के लिए निंदा की है। ईरान द्वारा इस्राइल पर लगभग 200 मिसाइलें दागे जाने के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि, अमेरिका इजराइल का पूरी तरह से समर्थन करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमले को लेकर रहा कि, मेरे निर्देश पर अमेरिका की सेना ने इस्राइल की रक्षा का सक्रिय रूप से समर्थन किया है और हम अभी भी इसके प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। लेकिन अब जो हमें पता है कि ईरान का ये हमला पूरी तरह से विफल और अप्रभावी प्रतीत होता है। यह इजराइल की सैन्य क्षमता और अमेरिकी सेना का प्रमाण है।
ईरान ने इजरायल पर किए ताबड़तोड़ मिसाइल हमले, मिनटों में दागे 500 रॉकेट, नेतन्याहू ने कहा-कीमत चुकानी पड़ेगी

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हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में एक बड़ी जंग छिड़ गई है।ईरान ने इजराइल पर कई बैलेस्टिक मिसाइलें दाग दी।ईरान ने मंगलवार रात को इजरायल पर करीब 500 रॉकेट दागे। इससे पूरे इजरायल में रॉकेट सायरन बजने लगे। इजरायली सेना ने तुरंत सभी लोगों को बम शेल्टर में शरण लेने की सलाह दी। इस दौरान आसमान में मिसाइल इंटरसेप्शन से धमाकों की आवाजें लगातार आती रहीं।

ईरानी मीडिया ने ये भी दावा किया है कि इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय पर भी हमला किया है। ईरान ने ये भी दावा किया है कि उसने बैलिस्टिक मिसाइलों ने नेटजारिम कॉरिडोर पर इजराइली टैंकों को भी निशाना बनाया गया है। इसमें ईरान ने इजराइल के 20 एफ-35 लड़ाकू विमान को भी मार गिराया है।

जेरूशलम पोस्ट के अनुसार, उत्तरी तेल अवीव में जॉर्ज वीस स्ट्रीट पर एक इमारत पर सीधा हमला हुआ, हालांकि, अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। तेल अवीव के साथ-साथ डिमोना, नबातिम, होरा, होद हशरोन, बीर शेवा और रिशोन लेज़ियन में भी कई रॉकेटों के गिरने की खबर है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियो में मृत सागर में मिसाइल और इंटरसेप्टर के टुकड़ों को गिरते हुए देखा गया है।

ईरान के इस हमले से बचने के लिए इजराइल का सबसे मुख्य कवच ऑयरन डोम सिस्टम ने कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया है। लेकिन इस कवच को तोड़ने के लिए ईरान ने एक के बाद एक मिसाइलें लॉन्च करके इजराइल के कवच को चकमा देने का काम किया है।

हालांकि इस हमले के लिए इजराइल पहले से ही तैयार था, इसीलिए इजराइल ने पहले ही अपने नागरिकों को शेल्टर हाउस में शिफ्ट करने के लिए आदेश जारी कर दिया था। आईडीएफ ने कहा है कि ईरान की ओर से इजराइल पर रॉकेट दागे जाने के कारण सभी नागरिक बम शेल्टर में शिफ्ट कर दिए है।

वहीं, ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि तेहरान ने ‘बड़ी गलती’ की है और उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि मंगलवार रात को इजरायल पर किया गया ईरान का मिसाइल हमला ‘नाकाम’ रहा। पीएम नेतन्याहू ने कहा, इजरायल की एयर डिफेंस सिस्टम की बदौलत ईरान के हमले को विफल कर दिया गया, जो दुनिया में सबसे एडवांस है। उन्होंने अमेरिका को भी इसके लिए धन्यवाद दिया। नेतन्याहू ने यह भी याद दिलाया कि वह अपने स्थापित नियम – जो कोई हम पर हमला करेगा, हम उस पर हमला करेंगे – पर कायम रहेंगे।

नसरल्लाह के बाद याह्या सिनवार भी था निशाने पर, आखिरी वक्त में इजराइल ने रोका मारने का प्लान, जानें क्यों

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हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के बाद हमास का प्रमुख याह्या सिनवार भी इजराइल के निशाने पर था। हालांकि, ऐन वक्त पर सिनवार के खात्मे का प्लान रोक दिया गया। पहले खबर थी कि इजरायल ने उसे मौत के घाट उतार दिया है। मगर अब यह कन्फर्म हो गया है कि वह मरा नहीं है। माना जा रहा है कि इजरायल ने अपने लोगों की जान बचाने की खातिर अब तक याह्या सिनवार को बख्श रखा है। 

इजरायली न्यूज आउटलेट N12 ने रविवार 29 सितम्बर की रात अपनी विशेष रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। एन12 के अनुसार, इजरायल को एक खुफिया इनपुट मिला था। यह सिनवार को खत्म करने का बेहतरीन मौका था, लेकिन बंधकों को नुकसान पहुंचने के डर से ऐसा नहीं किया गया। बंधकों को उसी इलाके में रखा गया था, जहां हमास नेता मौजूद था।

इजरायली मीडिया एन12 न्यूज ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इजरायल के पास हमास नेता याह्या सिनवार को खत्म करने का पूरा मौका था मगर आतंकी गुट की कैद में रखे गए इजरायली बंधकों को नुकसान के डर से उसने ऐसा नहीं किया। N12 न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि इजरायल को एक ऐसी सीक्रेट सूचना मिली थी, जिससे उसे याह्या सिनवार को मार गिराने का एक अनोखा मौका मिल सकता था। मगर इजरायल ने यह मौका जानबूझकर हाथ से जाने दिया। इसकी वजह यह थी कि आतंकी संगठन हमास के सरगना याह्या सिनवार के साथ इजरायली बंधक भी रखे गए हैं।

हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की तरह याह्या सिनवार की खुफिया लोकेशन ट्रेस की जा चुकी थी। गाजा के जिस इलाके में सिनवार छिपा था उसकी घेराबंदी IDF के स्पेशल एलीट कमांडोज ने कर ली थी। सिनवार की जिंदगी और मौत के बीच के चंद मिनटों का फासला था मगर सिनवार का हंट ऑपरेशन शुरू होता उससे पहले ही IDF ने सिनवार को मारने का प्लान बदल दिया।

अगर इजराइल सिनवार के ठिकाने पर एयर स्ट्राइक करता या फिर स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम देता तो यकीनन इस हमले में कई बंधकों की जान जा सकती थी या फिर सिनवार अपने बचाव के लिए बंधकों का इस्तेमाल कर सकता था। उन्हें जान से मार सकता था। बस इसी नुकसान के डर इजरायल ने सिनवार के खात्मे के प्लान को रोका।

याह्या सिनवार को हमास के अपने पूर्ववर्ती इस्माइल हानिया की तेहरान में हत्या के बाद समूह का नया नेता चुना गया था। हानिया 31 जुलाई को तेहरान में हुए एक विशेष हमले में मारे गए थे। याह्या सिनवार इतना खतरनाक है कि उसे गाजा के लादेन के नाम से जाना जाता है। उसने ही 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले की योजना बनाई थी। इस हमले में 1200 इजरायली मारे गए थे, जबकि 251 को हमास के आतंकी बंधक बनाकर गाजा ले गए थे।7 अक्टूबर के हमले के बाद से ही याह्या सिनवार गाजा के नीचे बनी सुरंगों में छिपकर रह रहा है।

नसरल्लाह की मौत ने ईरान दे रहा धमकी, क्या इजराइल को अकेले रोक पाएंगे अयातुल्ला खामनेई?

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इजराइल के हमले में लेबानानी गुट हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान को बड़ा झटका लगा है। ईरान अब बदले की आग में धधक रहा है। ईरान के सामने ये सवाल खड़ा हो गया है कि वह अपने महत्वपूर्ण सहयोगी हिजबुल्लाह को हुए नुकसान की भरपाई कैसे करे और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को कैसे बरकरार रखे। दरअसल, ईरान ये भली भांति जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

करीब एक साल से इजराइल ने पूरे मिडिल ईस्ट की नाक में दम कर रखा है। दुनिया के बड़े बड़े ताकतवर मुल्क इजराइल से युद्ध रोकने की मांग रहे हैं, बावजूद इसके वो अपने एजेंडे को अंजाम देने में जुटा है और हर गुजरते दिन के साथ अपने दुश्मनों का खात्मा कर रहा है। इजराइल ने लेबनान पर ताबड़तोड़ हवाई हमले कर हाल ही में हिजबुल्ला प्रमुख सयैद हसन नसरल्ला का खात्मा कर दिया।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने नसरल्लाह की मौत पर आक्रामक रुख दिखाते हुए कहा है कि उनकी मौत व्यर्थ नहीं जाएगी। ईरान के आईआरजीसी कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत भी नसरल्ला के साथ हुई है। अपने सैन्य अफसर की हत्या ईरान के लिए शर्म की वजह बनी है और इससे उस पर इजरायल के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बढ़ा है। हालांकि, ये भी सच है कि नसरल्लाह की हत्या से भी इस तथ्य में कोई बदलाव नहीं आया है कि तेहरान संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहता है। क्योंकि ईरान ये अच्छी तरह से जानता है कि वो चाहकर भी इजरायल का बाल भी बांका नहीं कर पाएगा।

दरअसल, इजरायल के पीछे अमेरिका खड़ा है।अमेरिका हर तरफ फैले अपने सैन्य ठिकानों का इस्तेमाल दुनिया में कहीं भी बैठे दुश्मनों से निपटने और सहयोगियों की मदद करने के लिए करता है। हाल के सालों में अमेरिका ने मिडिल ईस्ट के साथ-साथ साऊथ एशिया में भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाई है। इस समय अमेरिका के 80 देशों में करीब 750 सैन्य अड्डे हैं, इन देशों में सबसे ज्यादा 120 मिलिट्री बेस जपान में हैं।

अमेरिका ने पूरे मिडिल ईस्ट में मिलिट्री बेस का ऐसा जाल बिछा लिया है। मिडिल ईस्ट के लगभग 19 देशों में अमेरिका के मिलिट्री बेस हैं, जिनमें से प्रमुख कतर, बहरीन, जॉर्डन, और सऊदी अरब में हैं। मिडिल ईस्ट में बढ़े तनाव में अमेरिका के ये मिलिट्री बेस अहम भूमिका निभा रहे हैं और इजराइल की सुरक्षा के लिए कवच बने हुए हैं। जिसे चाह कर भी अरब देश इसे नहीं तोड़ पा रहे हैं। 

इसके अलावा अमेरिका के सैन्य अड्डे तुर्की और जिबूती में भी हैं, ये देश पूरी तरह मिडिल ईस्ट में तो नहीं आते पर कई रणनीतिक तौर से इन देशों में सेना रखने से पूरे मिडिल ईस्ट पर नजर रखने में मदद मिलती है।

अमेरिकी सेना का मजबूती के साथ मिडिल ईस्ट के देशों में बने रहने का एक बड़ा कारण ईरान और क्षेत्रीय मिलिशिया भी हैं जो कट्टर इस्लामी राज को मिडिल ईस्ट में स्थापित करना चाहती हैं। ईरान की शिया विचारधारा को सुन्नी देश अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानते हैं और ईरान से सुरक्षा के लिए अमेरिका से मदद की उम्मीद रखते हैं। ज्यादातर अरब देश अमेरिका की सेना की उपस्थिति को अपने देश की स्थिरता के लिए जरूरी मानते हैं। अमेरिका अपना सैन्य बेस बनाने के बदले उन देशों को बाहरी खतरों से सुरक्षा की गारंटी और अंतरराष्ट्रीय स्थर पर कई राणनीतिक लाभ देता है। साथ ही गरीब देशों को भारी सैन्य और आर्थिक मदद भी दी जाती है।

मिडिल ईस्ट में इजराइल अमेरिका का खास अलाय है और दोनों के मजबूत राजनीतिक और सैन्य संबंध हैं। इजराइल चारों तरफ से मुस्लिम देशों से घिरा एक यहूदी देश है और फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जे के कारण, ये देश इजराइल से उलझते रहे हैं। इस हालात में मिडिल ईस्ट के चारों तरफ इतनी बड़ी तदाद में अमेरिकी सैन्य अड्डे होने से इजराइल को बड़ा लाभ मिल रहा है।

गाजा लेबनान में अमानवीय कार्रवाई के बावजूद कोई देश भी उसपर सैन्य कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। यहां तक कि ईरान भी अभी तक धमकी ही दे पाया है, लेकिन वे सीधे तौर पर इस जंग में कूदने का साहस नहीं ला पाया है।

यही नहीं हाल के दिनों में इजराइल की ओर से तेज हुए हमलों और हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पैदा हे जंग के हालात के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। इजरायल का साथ देने के लिए अमेरिका ने समूचे पश्चिम एशिया में लड़ाकू विमानों का दस्ता और विमान वाहक पोत तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने यह जानकारी दी। पेंटागन ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान और उसके सहयोगियों के संभावित हमलों से इजरायल की रक्षा करने और अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पश्चिम एशिया में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अमेरिकी लड़ाकू विमानों और युद्ध पोत के दस्ते ने इजरायल के चारों ओर उसकी रक्षा के लिए घेरा बनाना शुरू कर दिया है।

‘इजरायल के पहुंच से परे कोई जगह नहीं’: हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद नेतन्याहू की ईरान को चेतावनी

#netanyahuwarnsiranafterisraelkilledhassan_nasrallah

Israel's Prime Minister Benjamin Netanyahu (REUTERS)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि “ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां इजरायल की लंबी भुजाएं नहीं पहुंच सकतीं,” उन्होंने इजरायली सशस्त्र बलों द्वारा हवाई हमले में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह की लक्षित हत्या को लेकर ईरान को उनके देश पर हमला करने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी।

नेतन्याहू ने कहा, “अगर कोई आपको मारने के लिए उठता है, तो पहले उसे मार दें। कल, इजरायल राज्य ने कट्टर हत्यारे हसन नसरल्लाह को मार डाला,” उन्होंने कहा कि इजरायल ने “अनगिनत” इजरायलियों और अमेरिका और फ्रांस सहित अन्य देशों के नागरिकों की हत्या में कथित भूमिका के लिए हिजबुल्लाह प्रमुख के साथ “हिसाब-किताब चुकाया” है। उन्होंने नसरल्लाह को “सिर्फ एक और आतंकवादी” नहीं बल्कि “आतंकवादी” कहा और पश्चिम एशिया में “ईरान की बुराई की धुरी का मुख्य इंजन” भी कहा। नेतन्याहू ने यह भी आरोप लगाया कि नसरल्लाह ईरान के अयातुल्ला शासन की इजरायल को "नष्ट" करने की योजना के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे।

पश्चिम एशिया में इस्लामी शासन और उसके सहयोगियों को जनविरोधी के रूप में चित्रित करने के प्रयास में, नेतन्याहू ने कहा, "वे सभी जो बुराई की धुरी का विरोध करते हैं, वे सभी जो लेबनान, सीरिया, ईरान और अन्य स्थानों पर ईरान और उसके समर्थकों की हिंसक तानाशाही के तहत लड़ रहे हैं, वे सभी आज आशा से भरे हुए हैं। मैं उन देशों के नागरिकों से कहता हूं: इजरायल आपके साथ खड़ा है और अयातुल्ला शासन से मैं कहता हूं: जो हम पर हमला करते हैं, हम उन पर हमला करते हैं। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ इजरायल का लंबा हाथ न पहुँच सके। आज, आप पहले से ही जानते हैं कि यह सही है"।

नसरल्लाह को क्यों मारा जाए?

नेतन्याहू ने तर्क दिया कि नसरल्लाह को खत्म करना इजरायली नागरिकों को लेबनान के साथ देश की उत्तरी सीमा पर अपने घरों में वापस लाने और आने वाले "वर्षों" के लिए क्षेत्र में "शक्ति संतुलन" को बदलने के लिए आवश्यक था।

इजरायली प्रधानमंत्री ने अपने नागरिकों की “रक्षा” करने और सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम अपने दुश्मनों पर हमला जारी रखने, अपने निवासियों को उनके घरों में वापस भेजने और अपने सभी बंधकों को वापस भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हम उन्हें एक पल के लिए भी नहीं भूलते।”

जब तक नसरल्लाह जीवित थे, उन्होंने हिजबुल्लाह से छीनी गई क्षमताओं को जल्दी से फिर से बनाया होता। उनके खात्मे से हमारे निवासियों की उत्तर में उनके घरों में वापसी की संभावना बढ़ेगी। इससे दक्षिण में हमारे बंधकों की वापसी की संभावना भी बढ़ेगी,” नेतन्याहू ने इजरायली सशस्त्र बलों और खुफिया एजेंसियों को उनकी “महान उपलब्धियों” के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा।

नेतन्‍याहू के यूएनजीए संबोधन में लगे “शर्म करो” के नारे, फिर भी जंग से पीछे हटने से इनकार

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इजराइल अभी थमने वाला नहीं है। अमेरिका और यूरोप जैसे देश लगातार इजरायल पर सीजफायर का दबाव बना रहे हैं लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू युद्ध से पीछे नहीं हटेंगे। उन्‍होंने बाइडेन को सीजफायर प्‍लान को रिजेक्‍ट कर दिया है।हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच जारी जंग के चलते अमेरिका, फ्रांस ने 21 दिनों का सीजफायर प्लान बनाया था। इस प्लान को मानने से इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने साफ इनकार कर दिया है। नेतन्याहू का कहना है कि किसी भी हालत में इस जंग को नहीं रोका जाएगा और हिजबुल्लाह पर उनकी ओर से बमबारी जारी रहेगी।

न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली को संबोधित करते हुए इजराइल के प्रधानमंत्री, बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका-फ्रांस के 21 दिनों के सीजफायर प्लान को मानने से साफ इनकार कर दिया है। जैसे ही इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने विश्व नेताओं को संबोधित करना शुरू किया, कई प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा छोड़ना शुरू कर दिया। दर्शकों ने 'शर्म करो, शर्म करो' चिल्लाना शुरू कर दिया।

इस दौरान नेतन्याहू ने कहा, "जब मैंने इस मंच पर कई वक्ताओं द्वारा अपने देश पर लगाए गए झूठ और बदनामी को सुना, तो मैंने यहां आने और रिकॉर्ड स्थापित करने का फैसला किया।" इज़रायली पीएम ने ईरान को चेतावनी भी दी कि अगर उसने उनके देश पर हमला करने की हिम्मत की, तो "हम जवाबी हमला करेंगे।" उन्होंने कहा कि ईरान में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां इजरायली एजेंसियां नहीं पहुंच सकतीं।

नेतन्याहू का कहना है कि किसी भी हालत में इस जंग को नहीं रोका जाएगा और हिजबुल्लाह पर उनकी ओर से बमबारी होती रहेगी। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम अपने सभी लक्ष्यों को पूरा नहीं कर लेते, उनमें से मुख्य है उत्तर में रहने वालों की सुरक्षित उनके घरों में वापसी।

बता दें कि, अमेरिका, फ्रांस और अन्य सहयोगी देशों ने 21 दिनों के संघर्ष विराम का संयुक्त आह्वान किया है। लेबनान के विदेश मंत्री ने संघर्ष विराम प्रयासों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि उनका देश इजरायल की ओर से ‘लेबनान के सीमावर्ती गांवों में मचाई जा रही सुनियोजित तबाही’ की निंदा करता है। इस बीच इजरायली वाहनों, टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को लेबनान से सटी देश की उत्तरी सीमा पर जाते हुए देखा गया है। कमांडरों ने रिजर्व सैनिकों को बुलाने का आदेश जारी किया है।