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पाकिस्तान-श्रीलंका के बीच होने वाला नौसैनिक अभ्यास रद, भारत की चिंता पर कोलंबों का फैसला

#sri_lanka_cancels_military_drill_with_pakistan

भारत और श्रीलंका के संबंधों में मजबूती आई है। श्रीलंका ने भारत की चिंता को देखते हुए पाकिस्तान के साथ होने वाले अपने सैन्य अभ्यास को रद्द कर दिया है।दोनों देशों का यह साझा अभ्यास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण श्रीलंका के त्रिंकोमाली पोर्ट के पास होना था। त्रिंकोमाली बंदरगाह शहर (पोर्ट सिटी) है, यहां भारत की मदद से एक एनर्जी सेंटर बनाया जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान की नेवी के इस बंदरगाह के पास अभ्यास से भारत को आपत्ति थी। भारत ने अपनी आपत्ति श्रीलंका के सामने रखी। इस पर श्रीलंका ने पाकिस्तान के विरोध के बावजूद अभ्यास को कैंसिल करने का फैसला लिया।

पीएम मोदी के दौरे से पहले होना था अभ्यास

श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच इस युद्ध अभ्यास की सहमति पीएम मोदी के दौरे के कुछ समय पहले ही बनी थी। दौरे के दौरान पीएम मोदी ने भारत की चिंता जाहिर की थी। इसके साथ ही युद्ध अभ्यास न करने की बात कही थी। पीएम की बात पर श्रीलंकाई सरकार भी सहमत थी, जिसके कारण यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। श्रीलंका ने जब इस अभ्यास को कैंसिल किया तो पाकिस्तानी अधिकारियों ने विरोध जताया। हालांकि इस विरोध का कोई असर नहीं हुआ। अधिकारियों ने अपना फैसला ले लिया था।

भारत के समुद्री सुरक्षा के लिए अहम त्रिंकोमाली

त्रिंकोमाली श्रीलंका के पूर्वी तट पर स्थित एक प्राकृतिक बंदरगाह है, जो भारत के समुद्री सुरक्षा हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर में प्रभाव बनाए रखने की क्षमता रखता है। भारत पिछले कुछ सालों से त्रिंकोमाली में ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास में श्रीलंका की मदद कर रहा है। इस क्षेत्र में एक विश्व युद्धकालीन तेल भंडारण सुविधा को पुनर्जनन करने के लिए 2022 में श्रीलंका सरकार, लंका आईओसी, और सेलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने समझौते किए थे। नए त्रिपक्षीय समझौते में त्रिंकोमाली में एक मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन और ऊर्जा केंद्र का विकास शामिल है, जिसमें यूएई भी भागीदार है।

पीएम मोदी और दिसानायके साथ हुई थी वार्ता

इस माह पीएम मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान, भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने त्रिंकोमली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य श्रीलंका को ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने और उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करना है। भारत और श्रीलंका ने सैन्य सहयोग के लिए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। श्रीलंका पर चीन के प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों से उत्पन्न चिंताओं के बीच भारत, श्रीलंका के साथ अपने समग्र सामरिक संबंधों को मजबूत कर रहा है।

भारत को उकसाने की कोशिश

पाकिस्तान का श्रीलंका में त्रिंकोमाली पोर्ट के पास अभ्यास करने का प्रस्ताव भारत को उकसाने की कोशिश के तौर पर देखा गया था। यह घटनाक्रम तब हुआ जब श्रीलंका ने विदेशी अनुसंधान जहाजों के आने पर एक साल के लिए रोक लगाई है। यह रोक चीन के निगरानी जहाजों की गतिविधियों की वजह से लगाई गई थी।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आज मुर्शिदाबाद जाएंगे, बोले-पीड़ितों से मिलने के बाद केंद्र को भेजेंगे रिपोर्ट

#westbengalgovernortovisit_murshidabad

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर गहरी चिंता जताई है। मुर्शिदाबाद का दौरा करने से पहले उन्होंने कहा कि वे पीड़ितो से मिलने के बाद और स्थिति का जायजा लेने के लिए जल्द ही हिंसा प्रभावित इलाके में जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में जमीनी स्थिति का जायजा लूंगा। वहां जो कुछ भी हुआ इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगे।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस शनिवार को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज के दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे और स्थिति की समीक्षा करेंगे तथा प्रभावित लोगों से बातचीत करेंगे। बोस इसके बाद जिले के धुलियान, सुती और जंगीपुर में हिंसा प्रभावित अन्य इलाकों का दौरा करेंगे। 8 से 12 अप्रैल तक इन मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है। हिंसा के मामले में 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी-राज्यपाल

इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल सीवी आनंद बोस मालदा के आश्रय गृह पहुंचे थे। यहां मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित लोग रह रहे हैं। राज्यपाल ने कहा, लोगों ने बताया कि उनके साथ मारपीट हुई, घर जलाए गए। वे अब घर लौटना चाहते हैं। हम उन्हें सुरक्षा देंगे। लोगों ने चीख-चीख कर बताया, हमें पीटा गया, भगाया गया, हम क्या वापस जाएंगे, जब तक सुरक्षा की गांरटी नहीं मिलेगी?

मालदा पहुंचने राज्यपाल ने कहा, कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। अगर राज्य को मदद की जरूरत है, तो हम केंद्र बल भेजने के लिए तैयार है।

महिला आयोग की टीम भी मुर्शिदाबाद पहुंची

इस बीच, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने भी अपनी टीम के साथ शुक्रवार को मालदा और मुर्शिदाबाद का दौरा शुरू किया। कोलकाता में मीडिया से बात करते हुए रहाटकर ने कहा कि हमें सूचना मिली है कि प्रभावित इलाकों और राहत शिविरों में महिलाओं के साथ सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक जांच समिति गठित की है। हम पीड़ितों से बात करेंगे और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले स्थिति का आकलन करेंगे।

कनाडा में भारतीय मूल की छात्रा की हत्या, बस स्टॉप पर खड़ी हरसिमरत को कार वाले ने मारी गोली

#indianoriginstudentkilledbybulltetinontariocanada

कनाडा में 21 वर्षीय एक भारतीय छात्रा की गोली लगने से मौत हो गई । ऑफिस जाने के लिए छात्रा बस स्टॉप पर इंतजार कर रही थी, तभी एक कार सवार ने गोली चला दी। हरसिमरत रंधावा हैमिल्टन, ओंटारियो में मोहॉक कॉलेज की छात्रा थी।

टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने शुक्रवार को एक पोस्ट में कहा, हैमिल्टन, ओंटारियो में भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा की दुखद मौत से हम बहुत दुखी हैं। टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने कहा, हम ओंटारियो के हैमिल्टन में भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा की दुखद मौत से दुखी हैं। स्थानीय पुलिस के अनुसार, वह एक मासूम थी। वह दो गाड़ियों के बीच हुई गोलीबारी में उसकी जान चली गई। हत्या की जांच चल रही है। हम उनके परिवार के संपर्क में हैं। हर संभव सहायता दे रहे हैं। इस मुश्किल समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं परिवार के साथ हैं।

दो लोगों की लड़ाई में भारतीय छात्रा की गई जान

हैमिल्टन पुलिस ने भारतीय छात्रा की मौत के मामले में बताया कि सीसीटीवी की जांच की गई तो पाया गया कि ये दो लोगों की लड़ाई का नतीजा है, ऐसा इसलिए क्योंकि एक काली कार में सवार युवक ने सफेद सेडान पर गोली चलाई थी। एक गोली बस स्टॉप पर खड़ी छात्रा के सीने में लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस गोलीबारी करने वालों आरोपियों की तलाश में लगी हुई है।

अप्रैल में भारतीय मूल के 2 लोगों की हत्या

पुलिस ने कहा कि स्थानीय समयानुसार शाम करीब 7.30 बजे उसे हैमिल्टन में अपर जेम्स और साउथ बेंड रोड के पास गोलीबारी की सूचना मिली थी। जब पुलिस वहां पहुंची तो उसने रंधावा को सीने में गोली लगने के घाव के साथ घायल अवस्था में पाया। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसकी मौत हो गई।

इस घटना से पहले 5 अप्रैल को भी एक भारतीय युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा में अप्रैल महीने में भारतीय मूल के 2 लोगों की हत्या की गई है।

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद यूसुफ पठान पर बढ़ा विवाद, क्यों नाखुश है तृणमूल?

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वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई थी। बीते दिनों हुई हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण है। भाजपा इस हिंसा के लिए लगातार सीएम ममता बनर्जी पर हमलावर है। वहीं, ममता बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के कई नेता भाजपा पर हिंसा को भड़काने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर बहरामपुर सीट से सांसद यूसुफ पठान की भी काफी आलोचना हो रही है। दरअसल, सांसद यूसुफ पठान की अनुपस्थिति ने तृणमूल के भीतर नाराजगी पैदा की है। टीएमसी के अंदर ही उनका विरोध हो रहा है।

मुर्शिदाबाद हिंसा में तीन लोगों की जान चली गई है और 270 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हुए हैं। वहीं यूसुफ पठान ने हिंसा के समय चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट करके लोगों के गुस्से को बढ़ा दिया है। पठान ने इंस्टाग्राम पर चाय पीते हुए तस्वीरें पोस्ट की। उन्होंने लिखा कि आसान दोपहर अच्छी चाय और शांत वातावरण। बस पल का आनंद ले रहा हूं। उनकी इस पोस्ट से हंगामा मच गया। 42 वर्षीय क्रिकेटर से नेता बने पठान विपक्ष के निशाने पर आ गए।

बीजेपी के साथ टीएमसी में भी विरोध

बीजेपी ने मौके को भुनाते हुए सत्तारूढ़ टीएमसी पर तीखा हमला बोला। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, टीएमसी नेताओं की शह में बंगाल जल रहा है, लेकिन टीएमसी सांसद यूसुफ पठान चाय पीते हुए व्यस्त हैं, जब हिंदू मारे जा रहे हैं। यही टीएमसी का असली चेहरा है।

इस पूरे मामले में बीजेपी जहां सवाल उठा रही है, वहीं टीएमसी के कुछ नेता सीधे पठान के विरोध में उतर आए हैं। टीएमसी नेताओं में गुस्से का आलम यह है कि एक विधायक ने पठान को अगले चुनाव में पार्टी से टिकट न देने की गुजारिश की है।

वह बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं- अबू ताहिर

इधर, सत्तारूढ़ पार्टी ने दंगा प्रभावित इलाकों में कई शांति बैठकें की हैं। इन बैठकों में जिले के दो अन्य सांसद- मुर्शिदाबाद के सांसद अबू ताहिर खान और जंगीपुर के सांसद खलीलुर्रहमान और स्थानीय पार्टी के विधायक शामिल हुए। अबू ताहिर ने कहा कि वह (यूसुफ पठान) बाहरी हैं और राजनीति में नए हैं। उन्होंने अब तक दूर रहने का फैसला किया। लेकिन इससे लोगों को गलत संदेश जाता है। हमारे सांसद, विधायक और यहां तक कि बूथ कार्यकर्ता भी लोगों तक पहुंच रहे हैं। अबू ताहिर ने यह भी कहा कि शमशेरगंज में एक शांति बैठक थी। मैं वहां पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर तक गया। सांसद खलीलुर्रहमान और कई टीएमसी विधायक भी वहां मौजूद थे। लेकिन वह अनुपस्थित थे। कोई यह नहीं कह सकता कि यह मेरा इलाका नहीं है और ये मेरे लोग नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं जाऊंगा।

अगली बार पार्टी का टिकट नहीं देने की अपील

भरतपुर के टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने पठान पर हमला करते हुए कहा कि वह एक प्रसिद्ध क्रिकेटर हैं, जो गुजरात में रहते हैं। उन्होंने लोगों के वोटों से कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा चुनाव में हराया। यह सज्जन अब मतदाताओं के साथ खेल खेल रहे हैं। वह अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। विधायक हुमायूं कबीर ने यह भी कहा कि यूसुफ पठान को सांसद बने हुए लगभग एक साल हो गया है। अगर वह अपना व्यवहार नहीं बदलते हैं और लोगों तक पहुंचने की कोशिश नहीं करते हैं, तो मैं पार्टी के शीर्ष नेताओं से उनकी शिकायत करूंगा। मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा कि अगली बार उन्हें पार्टी का टिकट न मिले।

अधीर रंजन चौधरी को हराकर सांसद बने पठान

बता दें कि बहरमपुर, मुर्शिदाबाद जिले की तीन लोकसभा सीटों में से एक है। बाकी दो सीटें जंगीपुर और मुर्शिदाबाद भी तृणमूल कांग्रेस के पास हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के टिकट पर अपनी चुनावी शुरुआत करते हुए पठान ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के बहरमपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी को 85,022 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया था।

क्या है अनुच्छेद 142, जिसे उपराष्ट्रपति धनखड़ ने “न्यूक्लियर मिसाइल” बताया

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के न्यायपालिका पर दिए गए बयान पर चर्चा छिड़ गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका द्वारा कार्यपालिका और विधायिका में हस्तक्षेप को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने अनुच्छेद 142 को न्यायपालिका के लिए "न्यूक्लियर मिसाइल" बताते हुए कहा कि इसका उपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को दरकिनार करने के लिए किया जा रहा है।

अब सवाल ये है कि अनुच्छेद 142 क्या है? जिसे उपराष्ट्रपति ने 'न्यूक्लियर मिसाइल' करार दिया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 एक ऐसा प्रावधान है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं। इस अनुच्छेद के जरिए जिन मामलों में अभी तक कोई कानून नहीं बना है, उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। हालांकि यह फैसला संविधान का उल्लंघन करने वाला ना हो। यह न्यायालय को कानून के अनुसार ऐसा कोई भी आदेश देने की अनुमति देता है जो न्याय के हित में हो। यह अनुच्छेद न्यायालय को विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है, जिसका अर्थ है कि न्यायालय किसी भी मामले में अपनी समझ के अनुसार फैसला ले सकता है। इस अनुच्छेद का मुख्य उद्देश्य पूर्ण न्याय सुनिश्चित करना है। यह अनुच्छेद न्यायालय को विभिन्न परिस्थितियों में लचीलापन प्रदान करता है।

संविधान में कैसे शामिल हुआ अनुच्छेद 142?

सुप्रीम कोर्ट ऑब्जर्बर की साई स्पंदना बताती हैं कि जब संविधान बन रहा था, तब अनुच्छेद 118 को बिना किसी बहस के मान लिया गया था। मतलब कोर्ट को ही यह तय करना था कि इस अनुच्छेद का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाएगा।

साई स्पंदना ने आईआईएम अहमदाबाद के एक हालिया अध्ययन का हवाला दिया। इस स्टडी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने 1950 से 2023 के बीच 1579 मामलों में अनुच्छेद 142 या 'पूरी तरह से न्याय' शब्द का उल्लेख किया है। इनमें से ज़्यादातर दीवानी मामले थे। स्टडी में यह भी पाया गया कि कोर्ट ने केवल 791 मामलों में ही अनुच्छेद 142 की शक्तियों का इस्तेमाल किया है।

आर्टिकल 142 से जुड़े कुछ ऐतिहासिक फैसले

बाबरी मस्जिद–राम जन्मभूमि केस (2019)

सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की पीठ के फैसले में 142 का इस्तेमाल करते हुए रामलला को जमीन देने का आदेश दिया। साथ ही मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया गया। इस फैसले में अदालत ने साफ कहा कि वह “पूर्ण न्याय” कर रही है।

बोफोर्स घोटाले से जुड़े आदेश (1991)

सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को राहत दी, यह कहते हुए कि केस लंबा खिंच चुका है। ट्रायल में देरी से आरोपी का मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है।

सहारा-सेबी केस

सुप्रीम कोर्ट ने अंडरट्रायल निवेशकों को पैसा वापस दिलवाने के लिए सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री के आदेश दिए। ये कदम 142 के तहत उठाया गया।

यूनियन कार्बाइड मामले में सजा माफ (1989)

यूनियन कार्बाइड मामले में भी कोर्ट ने यही बात कही। कोर्ट ने आदेश दिया कि केमिकल कंपनी भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर से ज़्यादा का मुआवज़ा दे। कुछ सालों बाद, 1995 में -विनय चंद्र मिश्रा- मामले में तीन जजों की बेंच ने कहा कि -प्रेम चंद गर्ग- मामले में दिया गया फैसला 'सही नहीं था।' बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 142 एक 'संवैधानिक शक्ति' है जिसे किसी भी कानून द्वारा सीमित नहीं किया जा सकता है।

चीन के एक और दुश्मन को पाले में करने की भारत की कोशिश, ब्रह्मोस खरीदेगा वियतनाम, जानें स्ट्रैटजी

#india_may_sign_700_million_brahmos_missile_deal_with_vietnam

दुनिया की सबसे घातक सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस एक और बड़े समझौते के लिए तैयार है। फिलीपींस के बाद वियतनाम जल्द ही भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए समझौता करने जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक वियतानम के साथ ब्रह्मोस की डील अपने एडवांस स्टेज पर है। इस साल इस डील की होने की संभावना जताई जा रही है। ब्रह्मोस मिसाइल वियतनाम को अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा करने में मदद करेगी, क्योंकि यह 300 किलोमीटर के दायरे में किसी भी चीनी युद्धपोत को निशाना बना सकती है।

ब्रह्मोस को चीन सागर में तैनात करेगा वियतनाम

वियतनाम के साथ भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की बिक्री के लिए डील करीब करीब पूरी कर रही है। इस सौदे को बस अंतिम रुप दिया जाना बाकी है। दोनों देशों के बीच ब्रह्नोस मिसाइल को लेकर 700 मिलियन डॉलर का सौदा होने वाला है। भारतीय ब्रह्मोस को वियतनाम दक्षिण चीन सागर में तैनात करेगा, जहां उसे चीन से लगातार खतरा मिलता रहता है। रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम कथित तौर पर ब्रह्मोस की तटीय बैटरी प्रणाली खरीद सकता है, जिसकी रेंज 300 किलोमीटर के करीब है। ये वियतनाम को अपनी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाएगी।

ब्रह्मोस प्रणाली खरीदने वाला दूसरा देश होगा वियतनाम

अगर समझौता होता है तो फिलीपींस के बाद वियतनाम ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा देश बन जाएगा। भारत ने 2022 में फिलीपींस के साथ करीब 2,700 करोड़ रुपये में 3 ब्रह्मोस मिसाइल बैटरी के लिए समझौता किया था। ये ब्रह्मोस की पहली अंतरराष्ट्रीय बिक्री थी। कुछ ही महीने पहले ही भारत ने फिलीपींस को सफलतापूर्वक इसकी डिलीवरी भी की थी। वियतमान भी फिलीपींस की तरह ही ब्रह्मोस की कोस्टल बैटरी खरीदना चाह रहा है।

चीनी युद्धपोतों से मुकबला करने में सक्षम

ब्रह्मोस कोस्टल बैटरी सिस्टम खरीदने के लिए सौदा कर रहा है। ये वही सिस्टम है, जिसे फिलीपींस ने भारत से खरीदा है। ये खासकर समुद्री हमलों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है और इसे समुद्री सीमाओं के भीतर दुश्मनों पर सुपससोनिक स्पीड से हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत ने खासकर चीन को ध्यान में रखकर ही इसे डिजाइन किया है, इसलिए दक्षिण चीन सागर में ये मिसाइल उन देशों के लिए काफी सटीक बन जाता है, जिन्हें चीन परेशान करता है। ये मिसाइल चीन को दक्षिण चीन सागर में चीनी युद्धपोतों से किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने में वियतनाम सक्षम बनाएगी।

आसपास के देशों में चीन की धमक

बता दें कि साउथ चाइना सी और उसके आसपास के देशों को चीन धमकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। उनके एक्सक्‍लूसिव इकॉनोमिक जोन में भी अपना कब्जा करता रहता है। फिलीपींस के साथ चीन के रिश्ते 2009 के बाद से और खराब हो गए। चीन ने नया नक्शा जारी किया जिसमें साउथ चाइना सी में 9 डैश लाइन लगाकर अपना इलाका बता दिया। इसके तहत फिलीपींस के द्वीपों और एक्सक्‍लूसिव इकॉनोमिक जोन का हिस्सा भी आता है। चीन के हिसाब से पर कब्जा जताने के लिए फिलीपींस, वियतनाम, ताइवान और मलेशिया के समुद्री क्षेत्र पर कब्जे का संकट बढ़ गया है। अब ब्रह्मोस कवच चीन के खतरे से इन देशों को बचा सकता है।

कपिल सिब्बल का उपराष्ट्रपति धनखड़ पर पलटवार, बोले- राष्ट्रपति नाम का मुखिया, कोई निजी अधिकार नहीं

#kapilsibalreactiononvicepresidentdhankhar_statement

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने के फैसले पर सवाल उठाया। अब राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जगदीप धनखड़ की टिप्पणी की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि उपराष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं और गवर्नर का भी पद ऐसा है।

निष्पक्ष बात करने की सलाह

सिब्बल ने शुक्रवार को कहा, आज अखबारों में मुझे धनखड़ साहब का भाषण पढ़कर दुख और आश्चर्य हुआ। उनको किसी पार्टी के स्पोक्सपर्सन की तरह बात नहीं करनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष बात करें। आज पूरे देश में अगर किसी संस्था पर भरोसा किया जाता है तो वह न्यायपालिका है। जब सरकार के कुछ लोगों को न्यायपालिका के फैसले पसंद नहीं आते तो वे आरोप लगाते हैं।जब अच्छी लगे तो वपक्ष से कहते हैं कि कोर्ट का फैसला है।

राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने इस पर आगे कहा कि वह उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा, आर्टिकल 142 की शक्ति सुप्रीम कोर्ट को संविधान देता है। राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं। गवर्नर का भी पद ऐसा है। गवर्नर बिल नहीं रोक सकते, राष्ट्रपति को भेजते हैं। राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह और सहयोग से ही काम करते हैं, तो राष्ट्रपति के अधिकार पर सवाल उठाने की बात नहीं है।

सभापति पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा, न्यायपालिका के अधिकारों पर ऐसे बयान हमला हैं। क्या राष्ट्रपति संसद से पास बिल को अनंत समय तक रोक सकते हैं? ऐसे काम कैसे चलेगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2 जज का हो या 5 जज का, सबको मानना होता है। सभापति सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच बैठते हैं, निष्पक्ष होते हैं। किसी पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते।

मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की बड़ी कार्रवाई, आंध्र के पूर्व सीएम जगन मोहन की 27 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की 27.5 करोड़ रुपये की शेयर संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है। इसके साथ ही, डालमिया सीमेंट्स (भारत) लिमिटेड (डीसीबीएल) की 377.2 करोड़ रुपये की जमीन भी जब्त की गई है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी है।

सीबीआई ने इस मामले में 2013 में चार्जशीट लगाई थी। इसके अनुसार जगन मोहन रेड्डी के साथ मिलकर डालमिया सीमेंट्स ने 417 हेक्टेयर के लाइम स्टोन अवैध तरीके से लीज में लिए थे। सीबीआई चार्जशीट के आधार पर मनी लॉर्डिंग के मामले को अब ईडी ने आगे बढ़ाया है।

जगन मोहन रेड्डी के कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड, सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और हर्षा फर्म में शेयर जब्त किए गए हैं। डीसीबीएल को यह जब्ती आदेश 15 अप्रैल, 2025 को मिला। जबकि यह आदेश 31 मार्च को ही जारी कर दिया गया था।

आरोप है आंध्र प्रदेश के कडपा जिले में 417 हेक्टेयर के लाइम स्टोन की खरीदारी में धांधली की गई थी। जगन ने अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी पर प्रभाव डालकर डीसीबीएल को कडप्पा जिले में 407 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन पट्टा दिलाने में मदद की थी। यह सब 'क्विड प्रो क्वो' डील के तहत हुआ। 'क्विड प्रो क्वो' का मतलब होता है 'कुछ देना और कुछ लेना'।

इस घोटाले के जरिए जगन मोहन रेड्डी को करीब 150 करोड़ अवैध तरीके से लाभ मिलने का आरोप है। आरोप ही कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी तक जो पैसे पहुंचे थे, उनमें से 95 करोड़ रघुराम सीमेंट के शेयर के जरिए मिले थे और 55 करोड़ रुपये हवाला के रूप में जगन तक पहुंचे थे। सीबीआई का कहना है कि जगन मोहन रेड्डी को जो 150 करोड़ रुपये मिले हैं, उनके अलावा उन्हें हावाला के जरिए 85 करोड़ रुपये और मिलने वाले थे, लेकिन सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया इस वजह से ये पैसे जगन मोहन रेड्डी तक नहीं पहुंचे।

ईडी और सीबीआई का आरोप है कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी, ऑडिटर और पूर्व सांसद वी विजय साई रेड्डी और डीसीबीएल के पुनीत डालमिया के बीच एक समझौता हुआ था। इसके तहत, उन्होंने रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड में अपने शेयर एक फ्रांसीसी कंपनी PARFICIM को 135 करोड़ रुपये में बेच दिए। इसमें से 55 करोड़ रुपये जगन को 16 मई, 2010 और 13 जून, 2011 के बीच हवाला चैनलों के माध्यम से नकद में दिए गए। इन भुगतानों की जानकारी आयकर विभाग, नई दिल्ली द्वारा जब्त किए गए दस्तावेजों में मिली।

नए वक्फ कानून पर क्या है बोहरा समुदाय की राय? विवाद के बीच पीएम मोदी से मुलाकात के मायने

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वक्फ संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में राजनीति गरम है। कुछ लोग इस कानून के पक्ष में हैं, तो एक बड़ा समुदाय इसका विरोध कर रहा है। मोदी सरकार इस कानून को मुस्लिमों की भलाई के लिए जरूरी बता रही है तो वहीं कांग्रेस समेत अनेक विपक्षी पार्टियां और कई मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन कानून को मुसलमानों के खिलाफ बता रही है। इस बीच दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और इस कानून की खूब तारीफ की।

नए वक्फ कानून को क्यो सपोर्ट कर रहा बोहरा समुदाय?

बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने संसद से पारित वक्फ संशोधन का स्वागत किया और इस कानून को पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि उन्हें पीएम के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास में भरोसा है। उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में हो रहे सकारात्मक बदलावों की सराहना की। अब सवाल यह है कि दाऊदी बोहरा समुदाय वक्‍फ में संशोधन से क्‍यों खुश है और क्‍यों इसका सपोर्ट कर रहा है?

वक्फ कानून पर बोहरा समुदाय की राय

बोहरा सुमदाय के प्रतिनिधियों ने आगे नए वक्फ कानून की खासियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह संशोधन समुदाय के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ वक्फ संपत्तियों से जुड़ी व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा। साथ ही न केवल दाऊदी बोहरा बल्कि पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए लाभकारी साबित होगा।

102 साल पुरानी मांग पूरी

दाऊदी बोहरा समुदाय लंबे समय से वक्‍फ कानून में संशोधन की डिमांड कर रहा था। अब जाकर उनकी यह मांग पूरी हुई है। इस संशोधित कानून में दाऊदी बोहरा समुदाय की प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है। समुदाय के लोगों का कहना है कि वह साल 1923 से ही वक्‍फ कानून के प्रावधानों से छूट देने की डिमांड कर रहे थे, लेकिन उनकी मांग अनसुनी कर दी जा रही थी। अब जाकर केंद्र सरकार ने इस कानून को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की कोशिश की है। यही वजह है कि बोहरा समुदाय इस कानून में संशोधन का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं। साथ ही संशोधन होने से समुदाय के लोग खुश भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

इधर, वक्फ संशोधन कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल वक्फ कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुवनाई करते हुए गुरुवार को कहा कि अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। इसके साथ ही सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिन का वक्त दिया गया है।

पीएम मोदी और एलन मस्क के बीच हुई बातचीत, टैरिफ वॉर के बीच किन मुद्दों पर हुई चर्चा?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से फोन पर बात की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्स पर खुद मस्क के साथ हुई बातचीत की जानकारी दी है। इस बातचीत में दोनों ने भारत और अमेरिका के बीच तकनीक और इनोवेशन के क्षेत्रों में मिलकर काम करने की इच्छा जताई। इससे पहले पीएम मोदी और मास्क के बीच फरवरी में मुलाकात हुई थी। डोनाल्‍ड ट्रंप के दोबारा से अमेरिका के राष्‍ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी ने पहली बार वॉशिंगटन का दौरा किया था। इस दौरान उन्‍होंने एलन मस्‍क से भी मुलाकात की थी।

पीएम मोदी ने एक्‍स पर एक पोस्‍ट शेयर कर लिखा, एलन मस्‍क से बातचीत हुई। इस दौरान विभिन्‍न मुद्दों पर चर्चा हुई। इस साल के शुरुआत में वॉशिंगटन डीसी की यात्रा के दौरान जिन टॉपिक्‍स को हमने कवर किया था, बातचीत के दौरान उनपर भी चर्चा हुई। हमने टेक्‍नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्र में व्‍यापक संभावनाओं को देखते हुए सहयोग पर चर्चा की। इन क्षेत्रों में अमेरिका के साथ सहयोग और साझेदारी बढ़ाने के प्रति भारत पूरी तरह से समर्पित है।

फरवरी में हुई थी दोनों की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एलन मस्क की पिछली मुलाकात फरवरी में हुई थी, जब पीएम मोदी अमेरिका दौरे पर गए थे। इस दो दिन की यात्रा के दौरान दोनों ने इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में साथ मिलकर काम करने की संभावनाओं पर अच्छी बातचीत की थी।

इस मुलाकात में पीएम मोदी ने एलन मस्क के बच्चों को भारतीय साहित्य की कुछ खास किताबें तोहफे में दी थीं। इनमें रवींद्रनाथ टैगोर की "द क्रेसेंट मून", आर.के. नारायण की "द ग्रेट आर.के. नारायण कलेक्शन", और पंडित विष्णु शर्मा की "पंचतंत्र" शामिल थीं।

स्टार लिंक की टीम ने की थी पीयूष गोयल से मुलाकात

पीएम मोदी और मस्क के बीच हुई मुलाकात के एक दिन पहले केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से स्टारलिंक की टीम ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गईं थीं, इस मुलाकात में स्टारलिंक की ओर से वाइस प्रेसिडेंट चैड गिब्स और सीनियर डायरेक्टर रायन गुडनाइट मौजूद थे। यह पहला मौका था जब स्टारलिंक के किसी प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय सरकार से औपचारिक मुलाकात की हो, मुलाकात के दूसरे दिन ही पीएम मोदी और एलन मस्क के बीच हुई बातचीत से माना जा रहा है कि अब जल्द ही भारत में स्टारलिंक की एंट्री होने वाली है।