क्या वक्फ बिल के खिलाफ CAA-NRC की तरह बनाया जाएगा दबाव? जमीयत ने किया विरोध प्रदर्शन का समर्थन
वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने इस कानून को कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। यही नहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य संगठनों द्वारा बुलाए गए प्रदर्शन का समर्थन किया है। संगठन ने दावा किया है कि मुसलमानों को अपने अधिकारों को वापस लेने के लिए सड़कों पर आने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर जमियत उलेमा-ए-हिंद सहित तमाम मुस्लिम संगठनों 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
मोदी सरकार वक्फ बिल को इसी सत्र में पास करने की तैयारी की है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी जैसे सहयोगी दल संसद की संयुक्त समिति (जॉइंट कमेटी) की ओर से मंजूर किए गए संशोधनों के साथ वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करेंगे। मोदी कैबिनेट ने भी संशोधनों को मंजूरी दे दी है। ये तय माना जा रहा है कि सरकार इसी सत्र में वक्फ बिल को पास कराएगी। इस तरह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार से आर पार का ऐलान कर दिया है।
जमीयत के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि 13 मार्च से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।न्यूज एजेंसी IANS के साथ बातचीत में मदनी ने कहा ‘वक्फ हमारा मजहबी मामला है। सियासी पार्टियां इसमें छोटा-मोटा संशोधन करके वक्फ बिल को लाने की तैयारी कर रही हैं। हम इसका विरोध कर रहे हैं। मुझे लगता है कि इस्लाम के खिलाफ वाली पार्टियां बिल को लाना चाहती हैं। गैर जिम्मेदार पार्टियां चाह रही हैं कि इस देश में मुस्लिमों को जिंदा नहीं रहने दिया जाए, हम इसके खिलाफ हैं।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने लिखित बयान जारी कर कहा कि मुसलमानों को अपने अधिकारों की बहाली के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। पिछले बारह वर्षों से मुसलमान धैर्य और संयम का परिचय दे रहे हैं, लेकिन अब जब वक्फ संपत्तियों के संबंध में मुसलमानों की चिंताओं और आपत्तियों को नजरअंदाज कर जबरन असंवैधानिक कानून लाया जा रहा है, तो फिर विरोध प्रदर्शन के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता। खासकर अपने धार्मिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना देश के हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है।
संगठन के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ये भी कहा अगर ये विधेयक कानून बनता है, तो जमीयत की सभी प्रांतीय इकाइयां अपने-अपने राज्यों के उच्च न्यायालयों में इस कानून को चुनौती देंगी।मदनी ने कहा कि 12 फरवरी, 2025 को संगठन की कार्यकारी समिति की बैठक में ये फैसला लिया गया कि यदि विधेयक पारित होता है तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद की सभी स्टेट यूनिट्स अपने संबंधित राज्यों के हाईकोर्ट में इस कानून को चुनौती देंगी। इसके अलावा जमीयत इस विश्वास के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी कि न्याय मिलेगा, क्योंकि अदालतें ही हमारे लिए अंतिम सहारा हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि सीएए-एनआरसी की तरह आंदोलन खड़ा कर मुस्लिम तंजीमें क्या मोदी सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हो पाएंगी?
Mar 11 2025, 10:44