*पनीर ही नहीं खोवा भी मिलावटी, 38 में से 14 नमूने फेल*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही।पनीर ही नहीं, दुकानों पर शुद्ध खोवा से बनी मिठाई मिलनी बहुत मुश्किल है। वजह यह है कि पनीर के 15 में से चार और खोवा के 10 में से चार नमूने फेल हो गए हैं। ये वे नमूने हैं, जो हर माह मिठाई की अलग-अलग दुकानों से संदेह के आधार पर लिए गए हैं।इनसे बनीं मिठाइयां लोग बड़े चाव से खा रहे हैं, जबकि नमूनों की रिपोर्ट बता रही है कि ये सभी अधोमानक (मिलावटी) हैं। विभिन्न खाद्य पदार्थों के 38 सैंपल में 14 के नमूना फेल हुए। नमूना फेल होने पर अब खाद्य विभाग मिलावट करने वाले दुकानदारों के खिलाफ एडीएम कोर्ट में वाद दाखिल किया है।जिले में मिठाई की छोटी-बड़ी करीब 500 दुकानें हैं। खोवा से बनी मिठाइयां हर जगह बिकती हैं, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन होता ही नहीं है। इसकी पूर्ति के लिए दूसरे शहरों से बड़ी मात्रा में मिलावटी खोवा आता है। खाद्य सुरक्षा विभाग ने दिसंबर और जनवरी में कई दुकानों से बड़ी मात्रा में मिलावटी खोवा और पनीर पकड़ा था। इसके अलावा दूध, तेल समेत अन्य खाद्य पदार्थों का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा। विभाग की तरफ से भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। मात्र दो माह में 38 खाद्य पदार्थों का सैंपल भेजा गया। जिसमें 14 के नमूने फेल हो गए। इनमें पनीर और खोवा की संख्या अधिक है। पनीर के अधिकांश मामलों में फैट मिला ही नहीं, जबकि उच्च श्रेणी के पनीर में 50 प्रतिशत, मध्यम में 30 से 50 प्रतिशत और सामान्य श्रेणी में भी 18 से 20 प्रतिशत फैट होना जरूरी है। यहीं हाल खोवा का भी है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी विवेक मालवीय ने बताया कि दो महीने में दुकानों से खोवा, पनीर, दूध, पेड़ा, तेल आदि का सैंपल लेकर भेजा गया था। 38 में 14 मिलावटी पाए गए। जांच रिपोर्ट के आधार पर 14 दुकानदारों पर वाद दाखिल किया गया है। कहीं भी मिलावटी और दूषित खाद्य पदार्थ की बिक्री होता दिखाई पड़े तो लोग विभागीय अधिकारियों को जानकारी दे सकते हैं।
लीवर को खराब कर देगा खराब खोवा-पनीर मिलावटी खोवा से बना खाद्य पदार्थ लीवर को प्रभावित करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद केमिकल कई बार एलर्जी का कारण बन जाता है। इसे खाने वाले को फूड पॉइजनिंग हो सकती है। इसलिए खाने की वस्तुओं की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। -डॉ. प्रदीप यादव, फिजिशियन। तो आधी कीमत पर मिलता है खोवा खोवा दूध का ठोस पदार्थ है। एक लीटर दूध को वाष्पित होने तक उबालें तो केवल 200 ग्राम ठोस पदार्थ बचता है, जिसे खोवा कहा जाता है। एक किलो शुद्ध खोवा बनाने के लिए पांच लीटर शुद्ध दूध को कम से कम दो घंटे तक एक समान आंच पर गर्म करना पड़ता है। 60 रुपये लीटर के हिसाब से पांच लीटर दूध की कीमत 300 रुपये हुई। गैस, कारीगर का खर्च मिलाकर कुल इसका खर्च करीब 550 से 600 रुपये आता है, जबकि बाजार में यह 280 से 320 रुपये किलो मिलता है। होली और दीपावली के समय इसकी बिक्री अधिक होती है। होली से पहले जांच अभियान तेज किया जाएगा। जिन दुकानों पर संदिग्ध सामग्री मिलेगी उसे जब्त किया जाएगा। मिलावटी खोरी को रोकने के लिए सख्ती होगी। उन्होंने बताया कि जिन दुकानों पर मिलावट होती है। उन पर जुर्माना लगाने के साथ ही वाद दाखिल किया जाता है। शशि शेखर सहायक आयुक्त खाद्य
Mar 07 2025, 17:05