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आरएसएस नेता भैयाजी जोशी ने ऐसा क्या कहा, भड़क गए संजय राउत

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देश में इन दिनों भाषा को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन भाषा को लेकर लगातार केन्द्र सरकार पर हमलावर है। स्टालिन तीन-भाषा नीति के माध्यम से हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने महाराष्ट्र के मुंबई में बड़ा बयान दिया है। आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि मुंबई आने के लिए मराठी सीखने की जरूरत नहीं है।

भैयाजी ने ठाणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है। मुंबई के अलग-अलग भागों में अलग-अलग भाषा बोली जाती है। घाटकोपर परिसर के लोग गुजराती बोलते हैं, गिरगांव में हिंदी बोलने वाले कम मिलेंगे, वहां लोग मराठी बोलते हैं। इसलिए मुंबई आने वालों को मराठी भाषा सीखनी चाहिए ऐसा नहीं है।

ठाणे में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने भाजपा और आरएसएस को सुना दिया। उन्होंने भाजपा के मार्गदर्शक, पॉलिसी मेकर और आरएसएस के नेता भैयाजी जोशी का जिक्र करते हुए चैलेंज किया कि क्या ऐसी बातें आप लखनऊ जाकर कह सकते हैं?

राउत ने कहा, 'वह (भैयाजी) कल महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई आए थे। यहां आकर ऐलान कर दिया कि महाराष्ट्र की राजधानी की भाषा मराठी नहीं है। मराठी नहीं हो सकती। यहां कोई भी आकर मराठी के बिना रह सकते हैं, काम कर सकते हैं।' उद्धव सेना के वरिष्ठ नेता ने सवाल पूछते हुए कहा कि आपको (भैयाजी जोशी) इस प्रकार का बयान देने का अधिकार किसने दिया?

आरएसएस को राउत की चुनौती

शिवसेना नेता ने आगे तंज कसते हुए कहा कि क्या आप कोलकाता में जाकर बोल सकते हैं कि कलकत्ता की भाषा बंगाली नहीं है? क्या आप कोच्चि और त्रिवेंद्रम में जाकर बोल सकते हो कि यहां की भाषा मलयाली नहीं है। क्या आप लखनऊ जाकर योगी जी के सामने खड़े होकर बोल सकते हैं कि लखनऊ की भाषा हिंदी नहीं है। क्या आप पटना में जाकर नीतीश कुमार जी के सामने बोल सकते हो कि पटना की भाषा हिंदी नहीं है। क्या आप चेन्नई में जाकर बोल सकते हो कि यहां की भाषा तमिल या तेलुगु नहीं है? क्या पंजाब में जाकर बोल सकते हों कि यहां की भाषा पंजाबी नहीं है।

मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की कोशिश-राउत

राउत ने कहा कि आप की मंशा मुंबई को महाराष्ट्र से तोड़ने की है। हमने मराठी भाषा के लिए बलिदान दिया है। हमारे लोग शहीद हो गए। शिवाजी महाराज ने मराठा राज्य स्थापित किया क्योंकि उनकी भाषा मराठी थी।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाया, जानें क्या है सिद्धारमैया का प्लान?

#karnatakamuslimreservation

कर्नाटक में एक बार फिर मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा फिर गरमाता दिख रहा है। कांग्रेस सरकार मुस्लिम आरक्षण की तैयारी कर रही है। यह आरक्षण राज्य में दिए जाने वाले ठेकों में लागू किया जाएगा। राज्य में मुस्लिमों को आरक्षण क़ानून में बदलाव करके दिया जाएगा। इसके लिए कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स (केटीपीपी) एक्ट में संशोधन किया जाएगा। एक साल पहले इसी तरह का प्रस्ताव विवादों और तुष्टिकरण की राजनीति के आरोपों के बीच वापस ले लिया गया था, लेकिन अब दोबारा से अमलीजामा पहनाने की रणनीति बनाई है। भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया और कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

मीडिया रिपोर्स के अनुसार, कर्नाटक की सिद्दारमैया सरकार मुस्लिमों को कर्नाटक के सरकारी निर्माण के ठेकों में 4% का आरक्षण देना चाहती है। कांग्रेस ने इसके लिए 1999 के कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट्स एक्ट, में संशोधन कर मुस्लिमों को सरकारी निर्माण कार्यों में 4 फीसदी आरक्षण देने का प्लान बनाया है। सिद्धारमैया सरकार यह संशोधन विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में लाने की रणनीति बनाई है। इसके जरिए ही आरक्षण लागू किया जाएगा। कर्नाटक वित्त विभाग ने इसका खाका तैयार कर लिया है और कानून और संसदीय कार्य मंत्री एचके पाटिल ने कथित तौर पर संशोधन को मंजूरी दे दी है।

मुस्लिम वोटों को लुभाने का एक पैंतरा

ऐसा पहली बार नहीं है कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिमों को अलग से आरक्षण देने की तैयारी की हो। इससे पहले नवम्बर, 2024 में भी सरकार इस प्रस्ताव पर काम कर चुकी है लेकिन तब विरोध के कारण इस आइडिया को छोड़ दिया गया था। कर्नाटक में कांग्रेस का यह कदम मुस्लिम वोटों को अपनी तरफ लुभाने का एक पैंतरा माना जा रहा है। वह इस मामले में जेडीएस को किनारे करना चाहती है। सिद्दारमैया सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर अब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हमलावर है। भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस केवल मुस्लिमों को ही अल्पसंख्यक मानती है।

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण का इतिहास

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने का इतिहास काफी पुराना है। 1994 में एच.डी. देवगौड़ा के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने पिछड़ी जातियों के बीच ‘श्रेणी 2बी’ बनाकर मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण दिया। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस 4% आरक्षण को रद्द कर दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और कोर्ट ने बीजेपी सरकार के फैसले पर रोक लगा दी।

कांग्रेस के गढ़ में खिला कमलःतेलंगाना एमएलसी चुनावों में भाजपा ने मारी बाजी, 3 में से दो सीटों पर जीत दर्ज

#telangana_mlc_election_bjp

भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्यों में बी अपने जड़े जमाने की कोशिश में लगी है। भाजपा की इस र सफलता मिलती भी दिख रही है। बीजेपी ने दक्षिण के उस राज्य में सफलता हासिल की है, जहां सत्ता में कांग्रेस है। बीजेपी ने तेलंगाना विधानसभा परिषद के चुनाव में अप्रत्‍याशित सफलता हासिल की है। उसने तीन सीटों पर हुए चुनावों में दो पर कामयाबी हासिल की।तीन एमएलसी सीट में से दो पर जीत कांग्रेस शासित राज्य में भाजपा के लिए एक नैतिक बढ़त के रूप में सामने आई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना विधान परिषद चुनाव में बीजेपी की जीत पर बधाई दी। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'एमएलसी चुनावों में तेलंगाना भाजपा को इस तरह के अभूतपूर्व समर्थन के लिए मैं तेलंगाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमारे नवनिर्वाचित उम्मीदवारों को बधाई।' उन्होंने कहा कि मुझे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बहुत गर्व है, जो लोगों के बीच कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

इससे पहले तेलंगाना विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। एक अन्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था। भाजपा समर्थित मलका कोमरैया ने मेडक-निजामाबाद-आदिलाबाद-करीमनगर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की और निर्दलीय उम्मीदवार श्रीपाल रेड्डी पिंगिली ने वारंगल-खम्मम-नलगोंडा शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी।

एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश में स्नातक एमएलसी चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने चुनावों में एनडीए उम्मीदवारों की जीत पर मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की ओर से किए गए एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, 'विजेता उम्मीदवारों को बधाई। केंद्र और आंध्र प्रदेश में एनडीए सरकारें राज्य के लोगों की सेवा करती रहेंगी और राज्य की विकास यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगी।'

लंदन में एस जयशंकर की कार के सामने खालिस्तानियों का हंगामा, तिरंगे का अपमान

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विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस समय लंदन में हैं। जयशंकर लंदन में कई कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय विदेश मंत्री ने चैथम हाउस थिंक टैंक में एक विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के बाद जयशंकर पर खालिस्तानी समर्थकों ने हमले की कोशिश की।यह घटना तब हुई जब वे चैथम हाउस थिंक टैंक में कार्यक्रम के बाद अपनी कार से जा रहे थे। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वीडियो में देका जा सकता है कि एक व्यक्ति जयशंकर की गाड़ी की ओर भागते हुए आता है।हमलावर तेजी से भागकर विदेश मंत्री की गाड़ी के सामने आकर खाड़ा हो जाता है और तिरंगा फाड़ देता है। लंदन पुलिस ने इस शख्स को काबू करते हुए जयशंकर को वहां से सुरक्षित निकाला। वीडियो में खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शनकारी कार्यक्रम स्थल के बाहर आपत्तिजनक नारेबाजी करते सुने जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, भारत सरकार ने इस घटना को यूके के सामने उठाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, हमने विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान सुरक्षा भंग होने की फुटेज देखी है। हम अलगाववादियों और चरमपंथियों के इस छोटे समूह की भड़काऊ गतिविधियों की निंदा करते हैं। हम ऐसे तत्वों के लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के दुरुपयोग की निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसे मामलों में यूके सरकार अपने राजनयिक दायित्वों का पूरी तरह से पालन करेगी।

इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने लंदन के चाथम हाउस थिंक टैंक में 'भारत का उदय और विश्व में इसकी भूमिका' विषय पर बोलते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कश्मीर, धारा-370 हटाने, आर्थिक सुधारों और उच्च मतदान के साथ हुए चुनावों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार ने कश्मीर में ज्यादातर समस्याओं का हल कर लिया है। उन्होंने बताया कि धारा-370 को हटाना पहला कदम था, इसके बाद वहां आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय को बहाल किया गया।

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी हैरान नहीं जयशंकर, इसे क्यों अच्छा बता रहे हैं विदेश मंत्री?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर भी टैरिफ की धमकी दी है। ये खबर भारत के लिए तनाव बढ़ाने वाली कही जा रही है। अमेरिका की तरफ से लगाया जाने वाला रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। हालांकि, भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की मानें तो यह आश्चर्यजनक नहीं है। जयशंकर ने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में जो भी फैसले लिए जा रहे हैं, वो भारत के हितों के अनुकूल है।

लंदन दौरे पर गए विदेश एस जयशंकर से जब उनसे ये पूछा गया कि आप अमेरिका की नई विदेश नीति के पहले 41 दिनों के बारे में क्या सोचते हैं? क्या यह भारत के लिए अच्छा है? क्या यह दुनिया के लिए सही है?

इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पिछले कुछ हफ्तों में हमने जो कुछ देखा और सुना है, उससे मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ है लेकिन क्या यह सही है तो अब मैं कहूंगा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। हमारे राजनीतिक रिश्ते अच्छे हैं। कम से कम हाल के दिनों में इस पर कोई बोझ नहीं है।

अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है?

डॉ जयशंकर के सोशल मीडिया पेज पर जारी एक वीडियो में उन्होंने कहा, 'अब, ऐसा कहा जा रहा है कि क्या वर्तमान अमेरिकी विदेश नीति भारत के लिए अच्छी है? इस पर कई मायनों में मैं कहूंगा हां... यह आप भी जानते हैं...' लंदन के चाथम हाउस में एक बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा, 'हमारे अपने (भारत-ब्रिटेन) राजनीतिक संबंधों को बहुत ईमानदारी से देखें। कम से कम हाल के दिनों में, हमें अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ कभी कोई समस्या नहीं हुई है। ऐसा कोई बोझ नहीं है, जिसे हम ढोते हैं या जो संबंधों पर बोझ है।

भारत के लिए कैसे “अवसर”

जयशंकर ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन क्वाड को मजबूत करने के पक्ष में है और अमेरिका भारत के लिए तकनीकी और व्यापारिक दृष्टिकोण से कई अवसर उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा, ट्रंप ने ऊर्जा की कीमतों को स्थिर बनाए रखा। वह टेक्नोलॉजी और विकास को प्राथमिकता देते हैं, जो भारत के लिए लाभकारी है। वह कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भी खुले हैं, जिसमें भारत की गहरी रुचि है। हां, उनके पास व्यापार को लेकर एक निश्चित दृष्टिकोण है। हमने इस पर खुली बातचीत की और नतीजा यह रहा कि हम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की आवश्यकता पर सहमत हुए। हमारे व्यापार मंत्री इस पर अमेरिका में चर्चा कर रहे हैं।

दो बार फेल हुए, पता नहीं कैसे पीएम बन गए, राजीव गांधी को लेकर बोले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर

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कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर मणिशंकर अय्यर ने “जुबान” खोली है। हालांकि, इस बार मणिशंकर अय्यर की ओर से टिप्पणी विपक्ष के किसी नेता पर नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी के नेता राजीव गांधी पर है। मणिशंकर अय्यर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह दो बार फेल हुए थे इसके बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया। अय्यर के इस बयान को लेकर कांग्रेस पार्टी में घमासान छिड़ गया है।

एक इंटरव्यू में कांग्रेस नेता मणिशंक अय्यर ने कहा कि राजीव गांधी एयरलाइन पायलट थे। वे कैंब्रिज में दो बार फेल हुए थे। अय्यर ने आगे कहा कि कैंब्रिज में फेल होना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि यूनिवर्सिटी सभी को पास कराने की कोशिश करती है। वह अपना ट्रैक रिकॉर्ड ठीक रखना चाहते हैं। फिर भी राजीव गांधी फेल हो गए। कांग्रेस नेता ने बताया कि राजीव गांधी लंदन के इंपीरियल कॉलेज में भी फेल हुए थे। अय्यर ने सवाल उठाया कि ऐसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है?

अय्यर के इस बयान ने बीजेपी को बैठे बिठाए एक मौका दे दिया है। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने अय्यर के इंटरव्यू की एक क्लिप सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा कि सच्चाई अब सामने आ रही है।

मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर कांग्रेस नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने इसे "बेतुका" करार देते हुए कहा कि राजीव गांधी देश के महान नेता थे। उन्होंने सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्रांति लाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी सराहना होती थी। अय्यर कभी खुद को उनका करीबी बताते थे। ऐसे में उनसे इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी।

यह पहली बार नहीं है जब अय्यर ने अपने बयानों से विवाद खड़ा किया है। वे पहले भी कई बार अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहे हैं। उनकी इस टिप्पणी से कांग्रेस पार्टी की भी किरकिरी हो रही है। कई लोग इसे पार्टी के लिए नुकसानदेह मान रहे हैं। दरअसल, विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

PoK को लेकर एस जयशंकर का बड़ा बयान, सुनकर पाकिस्तान को लगेगी मिर्ची

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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 5 दिनों के विदेश दौरे पर हैं। एस जयशंकर अभी ब्रिटेन में हैं। विदेशी धरती से एस जयशंकर ने पाकिस्तान को सीधा और सख्त संदेश दिया है। लंदन के चैथम हाउस में कश्मीर मुद्दे पर सवाल पूछा तो डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की वापसी से कश्मीर मुद्दा पूरी तरह से हल हो जाएगा

जयशंकर बुधवार को लंदन में चैथम हाउस में आयोजित ‘भारत का उदय और विश्व में उसकी भूमिका’ सत्र में अपनी बात रख रहे थे। जयशंकर ने कश्मीर की स्थिति और भारत सरकार की ओ से उठाए गए कदमों के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना, कश्मीर में विकास व आर्थिक गतिविधि, सामाजिक न्याय की बहाली और साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव कराने जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर का केवल वह हिस्सा समस्याओं के पूर्ण समाधान से बचा हुआ है।

कश्मीर समस्या पूरी तरह हल करने का दिया भरोसा

जयशंकर ने कहा, कश्मीर में हमने ज्यादातर समस्याओं का समाधान कर लिया है। मेरा मानना है कि अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था। उसके बाद कश्मीर में आर्थिक गतिविधियों और सामाजिक न्याय की बहाली दूसरा कदम था। उच्च मतदान प्रतिशत के साथ सफलतापूर्वक चुनाव कराना तीसरा कदम था। इसके साथ ही उन्होंने कहा, हम जिस हिस्से का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर का वो हिस्सा है जो अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है। जब वो वापस आएगा, तो मैं आपको भरोसा देता हूं, कश्मीर समस्या पूरी तरह हल हो जाएगी।

पीओके को लेकर पहले भी जता चुके हैं मंशा

इससे पहले 9 मई 2024 को विदेश मंत्री जयशंकर ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि हर भारतीय राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके भारत को वापस मिले। दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज, नई दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, मैं पीओके के बारे में बस इतना ही कह सकता हूं कि इस देश का हर राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके, जो भारत का हिस्सा है, भारत को वापस मिले। यह हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है।

केजरीवाल के विपश्यना पर सियासी घमासान, बीजेपी बोली-100 कमांडो लेकर कौन सी शांति की खोज?

#kejriwalvisithoshiyarpurforvipassana_meditation

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपाश्यना करने के लिए पंजाब के होशियापुर पहुंचे हैं। केजरीवाल होशियारपुर स्थित विपश्यना मेडिटेशन सेंटर में पूरे परिवार के साथ ध्यान साधना करने पहुंचे हैं। वह 4 मार्च को गाड़ियों के काफिले के साथ पंजाब के होशियारपुर से 11 किलोमीटर दूर स्थित आनंदगढ़ में धम्म धजा विपश्यना केंद्र पहुंचे थे। इस पर बीजेपी ने तंज कसा है। बीजेपी ने पूछा है कि 50 गाड़ियों के काफिले और 100 से ज्यादा कमांडो के साथ कौन सा ध्यान लगाने पहुंचे हैं।

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की 10 दिवसीय विपश्यना साधना शुरू हो गई है, जो 15 मार्च को खत्म होगी। 5 मार्च से 15 मार्च तक केजरीवाल होशियारपुर के महिलांवाली गांव के पास आनंदगढ़ में धम्म-धजा विपश्यना योग केंद्र में ध्यान करेंगे। ये केंद्र शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है।अरविंद केजरीवाल के इस पंजाब दौरे को लेकर काफी सियासी हंगामा भी मच गया है। रिपोर्टस के मुताबिक उनके काफिले में तीन दर्जन से अधिक गाड़ियां थीं और सुरक्षा के लिए पंजाब पुलिस के 100 जवानों को तैनात किया गया था। उनके लाव-लश्कर पर अब राजनीति गरमा गई है।

वीआईपी महाराजा की तरह चलते हैं- सिरसा

बीजेपी और कांग्रेस ने इसे वीवीआईपी विपश्यना बताते हुए अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है।बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने सवाल उठाया कि पंजाब के टैक्सपेयर्स के पैसे का इस्तेमाल केजरीवाल की विपश्यना के लिए क्यों किया जा रहा है? सिरसा ने एक्स पर लिखा कि अरविंद केजरीवाल कभी वैगनआर में एक आम आदमी होने का दिखावा करते थे, अब बुलेटप्रूफ लैंड क्रूजर, 100 से अधिक पंजाब पुलिस कमांडो, जैमर और एम्बुलेंस के एक भव्य काफिले में वीआईपी महाराजा की तरह चलते हैं। वह भी विपश्यना के लिए, जो शांति के लिए एकांतवास होता है।

वीआईपी संस्कृति को छोड़ नहीं पा रहे- वीरेंद्र सचदेवा

अरविंद केजरीवाल के 10 दिवसीय विपश्यना मेडिटेशन को लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि वे आलीशान जीवनशैली और वीआईपी संस्कृति को छोड़ नहीं पा रहे हैं। यह विपश्यना नहीं, बल्कि विलासिता है। यह करदाताओं के पैसे को लूटने का एक माध्यम मात्र है। यह भोग विलास और सुविधाओं की चाहत है, जिसे वे छोड़ नहीं पा रहे हैं। पंजाब के लोगों को लूटना अब उनके दिमाग में है। उन्हें विपश्यना करने के बजाय पश्चाताप करने की जरूरत है।

कांग्रेस ने भी दागे सवाल

कांग्रेस पार्टी ने भी केजरीवाल पर हमला बोला। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने तंज कसते हुए कहा कि शायद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार नहीं पचा पाए। तिवारी ने कहा कि वह शांति की तलाश और अपने स्वास्थ्य के लिए विपश्यना कर रहे हैं। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि जीत और हार राजनीति का हिस्सा है। अगर आप 100 कारों के काफिले के साथ यात्रा करते हैं, कांग्रेस की आलोचना सही है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सत्ता के इतने आदी हो गए हैं और मैं इसे 'ऐय्याशी' कहूंगा क्योंकि वह इससे बाहर नहीं आ पा रहे हैं। आप एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं, खड़गे भी अध्यक्ष हैं। क्या आपने कभी खड़गे के काफिले में 2-4 से ज्यादा गाड़ियां देखी हैं? वह दिल्ली में हार गए, फिर भी उन्होंने यह भ्रम नहीं छोड़ा कि वह किसी तरह के राजा या सम्राट हैं।

ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी, भारत पर क्या होगा असर?

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका 2 अप्रैल से दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने जा रहा है। रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब है जो अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाता है, अमेरिका भी उस देश पर उतना ही टैरिफ लगाएगा। इसका मतलब है कि कई देशों को अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाले सामान पर ज्यादा टैरिफ देना होगा। रेसिप्रोकल टैरिफ भारत के लिए भी काफी नुकसानदेह साबित हो सकता है। भारत के कई उद्योगों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा।

अमेरिकी संसद को संबोधित करते हुए भी डोनाल्ड ट्रंप ने भारत का नाम लिया है और पारस्परिक टैरिफ लगाने की बात कही है। ट्रंप ने कहा, "अन्य देशों ने दशकों से हमारे खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल किया है। अब उन अन्य देशों के खिलाफ उनके हथियार का ही इस्तेमाल करने की हमारी बारी है। औसतन यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, भारत और अनगिनत अन्य देश हमसे बहुत अधिक टैरिफ वसूलते हैं। उनकी तुलना में हम उनसे कम टैरिफ लेते हैं। यह बिल्कुल अनुचित है। अगले महीने से भारत के ऊपर अमेरिका का पारस्परिक टैरिफ सिस्टम शुरू हो जाएगा, यानि अमेरिकी सामानों पर भारत जितना टैरिफ लगाएगा, अमेरिका भी भारतीय सामानों पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।

चीन से लेकर कनाडा तक डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं लेकिन भारत शांति का द्वीप बना हुआ है। ट्रंप के टैरिफ से दुनिया में उथल-पुथल है, जबकि डोनाल्ड ट्रंप पहले ही स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत को बड़ा झटका दे चुके हैं फिर भी भारत शांत है।

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ज्यादा समय तक शांति देखने को नहीं मिलेगी। भारत लंबे समय तक प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। भारत को अप्रैल महीने में टैरिफ युद्ध में फंसा लिया जाएगा जब पारस्परिक टैरिफ फैसला लागू हो जाएगा।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए कहा गया है कि "भारतीय अधिकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी भरे पारस्परिक शुल्क से बचने के लिए कारों और रसायनों सहित कई तरह के आयातों पर शुल्क कम करने के तरीके तलाश रहे हैं। नई दिल्ली में अधिकारी ऑटोमोबाइल, कुछ कृषि उत्पादों, रसायनों, महत्वपूर्ण फार्मास्यूटिकल्स, साथ ही कुछ चिकित्सा उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए शुल्क कम करने पर चर्चा कर रहे हैं।"

भारत को नुकसान का अनुमान

एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 100% टैरिफ भारत पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है, जिससे भारतीय निर्यातकों को लगभग 7 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। अमेरिका के पारस्परिक टैरिफ को लेकर ऑटो इंडस्ट्री और कृषि इंडस्ट्री के कारोबारी टेंशन में हैं। यह टैरिफ खासतौर से ऑटोमोबाइल, कृषि, रसायन, धातु उत्पाद, आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य उत्पादों जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करेगा।

पीयूष गोयल अमेरिका दौरे पर

दूसरी तरफ, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इन मुद्दों पर चर्चा करने और संभावित व्यापार समझौतों पर बातचीत के लिए अमेरिका की यात्रा की है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पहले ही कुछ वस्तुओं पर टैरिफ कम किए हैं और ऊर्जा आयात बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा उपकरणों की खरीद भी बढ़ाई है ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव को कम हो सके। बता दें कि इससे पहले पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 2025 की आखिर तक व्यापार समझौते के पहले खंड पर काम करने पर सहमति जताई है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार करना है।

स्टालिन ने परिसीमन को लेकर की सर्वदलीय बैठक, बोले- दक्षिण के राज्य जॉइंट एक्शन कमेटी बनाएं, भाजपा का किनारा

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को लोकसभा सीटों के परिसीमन पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक पार्टियों को मिलाकर एक जॉइंट एक्शन कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा। सर्वदलीय बैठक में मुख्य विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम, कांग्रेस और वामपंथी दल, अभिनेता से नेता बने विजय की तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) समेत अन्य ने बैठक में हिस्सा लिया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य कुछ पार्टी इस बैठक से खुद को किनारा करते हुए नजर आई।

स्टालिन ने परिसीमन के मुद्दे पर दक्षिण भारतीय राज्यों के राजनीतिक पार्टियों को मिलाकर एक जॉइंट एक्शन कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा। स्टालिन ने कहा कि अगर संसद में सीटें बढ़ती है तो 1971 की जनगणना को आधार बनाया जाए। उन्होंने यह भी मांग करते हुए कहा कि 2026 के बाद अगले 30 साल तक लोकसभा सीटों के बाउंड्री करते समय 1971 की जनगणना को ही मानक माना जाए।

स्टालिन ने कहा कि अगर संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो हमें 22 अतिरिक्त सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि, मौजूदा आबादी के हिसाब से हमें सिर्फ 10 अतिरिक्त सीटें मिलेंगी, जिसका मतलब है कि हम 12 सीटें खो देंगे। यह भारतीय लोकतंत्र में तमिलनाडु के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि परिसीमन के जरिए तमिलनाडु की आवाज को दबाया जा रहा है। अपने लोगों के हितों की रक्षा करने में हमारे राज्य की ताकत को कम किया जा रहा है। हम परिसीमन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह पिछले 50 वर्षों में सामाजिक और आर्थिक कल्याण योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की सजा नहीं होनी चाहिए। इस सर्वदलीय बैठक में मांग की गई है कि 2026 की जनगणना के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया नहीं की जानी चाहिए।

इसके अलावा स्टालिन ने केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को तमिलों का दुश्मन करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार वोट की खातिर तमिल भाषा के प्रति केवल दिखावटी प्रेम रखती है। स्टालिन ने आरोप लगाया कि भाजपा दावा करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिल को बहुत सम्मान देते है और त्रिभाषा फार्मूला राज्यों की भाषाओं के विकास के लिए है, लेकिन तमिल और संस्कृत के लिए धन के आवंटन में अंतर से यह स्पष्ट है कि वे तमिल के दुश्मन हैं। उन्होंने आरोप लगाया, 'केंद्र सरकार पूरी तरह से भाषाई आधिपत्य की भावना के साथ काम कर रही है और वोट की खातिर तमिल को केवल दिखावटी समर्थन दे रही है। ट्राई लैंग्वेज को लेकर केंद्र पर हमला करते हुए स्टालिन ने कहा कि अगर भाजपा का यह दावा सच है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री को तमिल से बहुत प्यार है, तो यह कभी भी काम में क्यों नहीं दिखता?