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महाशिवरात्रि पर सद्गुरु के बुलावे पर ईशा योगा सेंटर पहुंचे डीके शिवकुमार, बढ़ती दिख रही नाराजगी

#shivkumar_for_attending_mahashivratri_event_of_sadhguru

कर्नाटक कांग्रेस के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। इस बीच कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश समिति के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की एक बात से फिर पार्टी की नाराजगी सामने आई है। दरअसल, कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पहले प्रयागराज महाकुंभ में स्नान किया और फिर यूपी की योगी सरकार की तारीफ की। इसके बाद बुधवार को महाशिवरात्रि के उत्सव पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा योगा सेंटर में गए। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हुए थे। ऑल इंडिया कांग्रेस समिति के सचिव पीवी मोहन ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की है।

पीवी मोहन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें उन्होंने शिवकुमार के महाशिवरात्रि के मौक पर ईशा फाउंडेशन के समारोह में शामिल होने और इसके लिए सद्गुरु को धन्यवाद करने पर उनकी आलोचना की। अपने पोस्ट में पीवी मोहन ने डीके शिवकुमार को टैग करते हुए लिखा, वह एक सेक्यूलर पार्टी के अध्यक्ष होकर राहुल गांधी का मजाक उड़ाने वाले शख्स का कैसे धन्यवाद कर सकते हैं।

पीवी मोहन ने कहा कि वह आलोचना नहीं कर रहे बल्कि अपने विचार साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जग्गी वसुदेव और ईशा फाउंडेशन की विचारधारा भाजपा और आरएसएस से मिलती है। हम इस विचारधारा के बिल्कुल विपरीत हैं। राहुल गांधी ने भी कई बार कहा है कि जो आरएसएस की विचारधारा को फॉलो करता है वह पार्टी छोड़ सकता है आरएसएस उन्होंने कहा कि उन्हें डीके शिवकुमार के वहां जाने से कोई समस्या नहीं है, लेकिन उनके एक्शन में पार्टी की वैल्यू झलकनी चाहिए।

दरअसल डीके शिवकुमार ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में महाशिवरात्रि के मौके पर कोयंबटूर के ईशा योगा सेंटर में उन्हें आमंत्रित करने पर सद्गुरु का आभार जताया। उन्होंने इस दौरान वहां अपना अनुभव शेयर किया और इन्विटेशन लेटर का एक फोटो पोस्ट किया।

वहीं, शिवकुमार महाशिवरात्रि के उत्सव पर सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा योगा सेंटर में गए। इस कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे हुए थे। इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि डीके शिवकुमार भी अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।

हालांकि, डीके शिवकुमार ने मीडिया में आई उन खबरों को खारिज कर दिया। डीके शिवकुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ईशा फाउंडेशन आने के लिए मेरी पहले ही आलोचना हो चुकी है। मुझे सद्गुरु ने आमंत्रित किया था, इसलिए मैं यहां आया। मैं जन्म से हिंदू हूं, जो सभी धर्मों से प्यार करता है। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं बीजेपी के करीब आ रहा हूं।

बता दें कि पहले ही कर्नाटक कांग्रेस के भीतर इस समय शिवकुमार और सिद्धारमैया गुटों में जबरदस्त खींचतान चल रही है। कर्नाटक कांग्रेस में जारी पावर स्ट्रगल के बीच कई मंत्री शिवकुमार को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। इनमें गणेश परमेश्वर, केएन राजन्ना और सतीश जारकीहोली जैसे मंत्री शामिल हैं, जो हाल ही में दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलेइन मंत्रियों की मांग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदलकर कोई नया चेहरा लाया जाए, क्योंकि शिवकुमार की कार्यशैली से कई नेता नाराज़ हैं। ये सभी सीएम सिद्धारमैया के करीबी माने जाते हैं और पार्टी हाईकमान पर दबाव बना रहे हैं।

भारत में कोई घर और जमीन नहीं, कभी सैलरी नहीं ली, क्यों पड़ी सैम पित्रोदा को ऐसा बोलने की जरूरत?

#sampitrodadismissesbjpleader_allegations

भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा पर 150 करोड़ की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का आप लगा है। सैम पित्रोदा पर कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने 150 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कब्जे का आरोप लगाया है। इस पर पित्रोदा ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा- भारत में मेरे पास कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।

भाजपा नेता एनआर रमेश ने आरोप लगाया है कि वन विभाग के अधिकारियों समेत पांच सीनियर सरकारी अधिकारियों की मदद से सैम पित्रोदा ने बेंगलुरु के येलहंका में 150 करोड़ रुपये की 12.35 एकड़ क सरकारी जमीन अवैध रूप से हासिल की है। उन्होंने लीज की अवधि खत्म होने के बाद भी जमीन वापस नहीं की। जमीन की वैल्यू 150 करोड़ रुपए है। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के पूर्व पार्षद रमेश ने ईडी और कर्नाटक लोकायुक्त से इस मामले में शिकायत की है।

भारतीय ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने भाजपा नेता एन आर रमेश के आरोप का जवाब दिया है। पित्रोदा ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर एक बयान में कहा, हाल ही में भारतीय मीडिया में टेलीविजन और प्रिंट दोनों पर आई खबरों के मद्देनजर, मैं साफ तौर पर कहना चाहता हूं कि मेरे पास भारत में कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।

कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकारी-पित्रोदा

अमेरिका में रह रहे कांग्रेस नेता ने कहा, इसके अलावा भारत सरकार के साथ काम करने के दौरान- चाहे 1980 के दशक में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ या 2004 से 2014 तक डॉ मनमोहन सिंह के साथ- मैंने कभी कोई सैलरी नहीं ली। पित्रोदा ने कहा, मैं साफ तौर पर यह बात रिकॉर्ड में रखना चाहता हूं कि मैंने अपने पूरे जीवन में - 83 साल में - भारत में या किसी अन्य देश में कभी भी कोई रिश्वत नहीं दी या स्वीकार नहीं की। यह पूर्ण सत्य है।

भाजपा नेता का आरोप

बीजेपी नेता रमेश ने अपनी शिकायत में कहा कि पित्रोदा ने 23 अक्टूबर 1993 को मुंबई महाराष्ट्र के को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रजिस्ट्रार ऑफिस में फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (एफआरएलएचटी) नाम से एक ऑर्गनाइजेशन रजिस्टर किया था। पित्रोदा ने कर्नाटक राज्य वन विभाग से औषधीय जड़ी-बूटियों के संरक्षण और रिसर्च के लिए एक रिजर्व वन क्षेत्र को लीज पर देने का अनुरोध किया।

पित्रोदा के अनुरोध पर विभाग ने 1996 में बेंगलुरु के येलहंका के पास जरकबांडे कवल में बी ब्लॉक में 12.35 एकड़ आरक्षित वन भूमि को पांच साल की लीज पर दे दिया। एफआरएलएचटी को दी गई शुरुआती पांच साल की लीज 2001 में खत्म हो गई थी, जिसके बाद कर्नाटक वन विभाग ने इसे अगले 10 सालों के लिए बढ़ा दिया।

पित्रोदा के मुंबई में एफआरएलएचटी को दी गई लीज 2 दिसंबर 2011 को खत्म हो गई थी और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। जब लीज समाप्त हो गई, तो राज्य वन विभाग को इस 12.35 एकड़ की बहुमूल्य सरकारी जमीन को वापस लेना था, जिसकी अब कीमत 150 करोड़ रुपए से ज्यादा है। रमेश ने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारियों ने पिछले 14 सालों में इस जमीन को वापस लेने का कोई प्रयास नहीं किया।

क्या बुआ ममता बनर्जी से नाराज हैं भतीजे अभिषेक बनर्जी? बीजेपी ज्वाइन करने की अटकलों पर भी दिया जवाब

#abhishekbanerjeeonrumorsofjoiningbjp

तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की अपनी बुआ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मतभेद की चर्चा है। इस बीच ऐसी अफवाहें थीं कि अभिषेक बनर्जी भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने वाले हैं। इस बीच अभिषेक ने बड़ा बयान दिया है। अभिषेक बनर्जी ने अपनी बुआ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मतभेद की अटकलों को महज अफवाह करार दिया है। उन्होंने ममता के प्रति अपनी वफादारी का दावा किया। उन्होंने कोलकाता में पार्टी सम्मेलन में कहा, मैं टीएमसी का वफादार सिपाही हूं और मेरी नेता ममता बनर्जी हैं।

भाजपा का दिमाग ठिकाने नहीं आया- अभिषेक

अभिषेक ने कहा कि बाजार में फैलाया जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी भाजपा में जा रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी नई पार्टी ला रहे हैं। ये सब बेकार की बातें हैं। मेरा गला काट भी दिया जाए तो भी ममता बनर्जी ज़िंदाबाद की आवाज निकलेगी। भाजपा 18 से 12 पर आ गयी है पर दिमाग ठिकाने नहीं आया, अभी तक बंगाल के लोगों के पैसे नहीं दे रहे हैं।

अभिषेक का बीजेपी पर तंज

अभिषेक ने कहा कि बीजेपी के पास ईडी, सीबीआई, आईटी है, लेकिन बीजेपी के पास टीएमसी जैसा समर्थक नहीं है। हमने वोटर लिस्ट देखी है, हम लोगों को वोटर लिस्ट के बारे में चेतावनी दे रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा है कि हम 197 वोटों से जीतेंगे। मेरा मानना है कि हम 215 सीटों से जीतेंगे। लोगों के पास जाओ, पार्टी सुप्रीमो के आदेश का इंतजार मत करो। सोचो और मानो कि पार्टी तुम्हारी है। ममता चौथी बार सीएम बनेंगी।

अभी मैदान में उतरो, मैं मैदान में रहूंगा। हमें अपनी सीटें बढ़ानी हैं। साजिश मत करो, व्हाट्सएप की राजनीति का कोई फायदा नहीं है। हम विपक्ष को एक चुटकी भी जमीन नहीं देंगे। हम 215 से ज्यादा सीटों से जीतेंगे।

140 करोड़ देशवासियों की आस्था, एकता का महायज्ञ संपन्न”, महाकुंभ के समापन पर पीएम मोदी का ब्लॉग

#mahakumbh_2025_concludes_pm_modi_blog

प्रयागराज में 13 फरवरी से शुरू हुआ महाकुंभ महाशिवरात्रि पर समाप्त हो चुका है. 45 दिनों तक चले इस कुंभ में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किए। यह संख्या देश की लगभग आधी आबादी है। महाकुंभ में इस बार 20 लाख से अधिक लोगों ने कल्पवास किया, इस दौरान नेपाल, भूटान, अमेरिका, इंग्लैंड, जापान समेत कई देशों से लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। प्रयागराज महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्लॉग लिखकर “मन की बात” कही है। महाकुंभ के सफल आयोजन की तारीफ करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ।

अपने ब्लॉग में पीएम मोदी ने लिखा, "महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है।

पीएम ने कहा है, जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में देखा।

22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देशभक्ति की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी।

एकता और समरसता की वो प्रेरणा-पीएम मोदी

तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।

बीते 45 दिन, प्रतिदिन, मैंने देखा, कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढ़े जा रहे हैं। संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था- संगम में स्नान। मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास के भाव से भर रही थी।

इस विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं-पीएम मोदी

प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।

पूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर, त्रिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों की संख्या में लोग जुटे। इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंत्रण था, ना ही किस समय पहुंचना है, उसकी कोई पूर्व सूचना थी। बस, लोग महाकुंभ चल पड़े...और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए।

मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता-पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने लिया कि मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता…स्नान के बाद असीम आनंद और संतोष से भरे वो चेहरे नहीं भूल सकता। महिलाएं हों, बुजुर्ग हों, हमारे दिव्यांग जन हों, जिससे जो बन पड़ा, वो साधन करके संगम तक पहुंचा। मेरे लिए ये देखना बहुत ही सुखद रहा कि बहुत बड़ी संख्या में भारत की आज की युवा पीढ़ी प्रयागराज पहुंची। भारत के युवाओं का इस तरह महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए आगे आना, एक बहुत बड़ा संदेश है। इससे ये विश्वास दृढ़ होता है कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायित्व समझती है और इसे लेकर संकल्पित भी है, समर्पित भी है।

आगे लिखा कि इस महाकुंभ में प्रयागराज पहुंचने वालों की संख्या ने निश्चित तौर पर एक नया रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन इस महाकुंभ में हमने ये भी देखा कि जो प्रयाग नहीं पहुंच पाए, वो भी इस आयोजन से भाव-विभोर होकर जुड़े। कुंभ से लौटते हुए जो लोग त्रिवेणी तीर्थ का जल अपने साथ लेकर गए, उस जल की कुछ बूंदों ने भी करोड़ों भक्तों को कुंभ स्नान जैसा ही पुण्य दिया। कितने ही लोगों का कुंभ से वापसी के बाद गांव-गांव में जो सत्कार हुआ, जिस तरह पूरे समाज ने उनके प्रति श्रद्धा से सिर झुकाया, वो अविस्मरणीय है।

मणिपुर में लगातार लौटाए जा रहे लूटे गए हथियार, राज्यपाल की अपील के बाद हो रहा सरेंडर

#weaponsarebeingreturnedcontinuouslyinmanipur

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ही हथियारों का सरेंडर जारी है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद लूटे गए हथियार और बड़ी मात्रा में गोला बारूद लौटाए जा रहे हैं। मणिपुर में 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाया था। जिसके बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए हथियार और गोलियां लौटाने की अपील की थी।

बुधवार को पुलिस ने बताया कि 87 तरह के हथियार, गोला-बारूद और अलग-अलग सामान लोग स्वेच्छा से सरेंडर कर रहे हैं। इंफाल ईस्ट, बिश्नुपुर, थौबल, कांगपोकपी, जिरीबाम, चुराचांदपुर और इंफाल वेस्ट जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं।

कौन से जिले से कितने हथियार सरेंडर हुए

• इंफाल वेस्ट: सबसे ज्यादा हथियार इंफाल वेस्ट जिले से सरेंडर किए गए हैं। इनमें 12 सीएमजी मैगजीन के साथ, दो 303 राइफल मैगजीन के साथ, दो SLR राइफल मैगजीन के साथ, चार 12 बोर सिंगल बैरल, एक आईईडी और गोला-बारूद शामिल हैं।

• जिरीबाम: पांच 12 बोर डबल बैरल, एक 9mm कार्बाइन मैगजीन के साथ, गोला-बारूद और ग्रेनेड सरेंडर किए गए।

• कांगपोकी: एक एके 47 राइफल 2 मैगजीन के साथ, एक .303 राइफल, एक Smith & Wesson रिवॉल्वर, एक .22 पिस्टल मैगजीन के साथ, एक सिंगल बैरल राइफल, तीन इम्प्रोवाइज्ड मॉर्टर, 9 मॉर्टर बम, ग्रेनेड और अन्य चीजें सरेंडर किए गए।

• बिश्नुपुर: 6 SBBL गन , एक राइफल, 3 DBBL, एक .303 राइफल मैगजीन के साथ, एक कार्बाइन SMG वन मैगजीन के साथ और 15 लाइव राउंड, गोला-बारूद और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• थौबल: एक सब मशीन गन 9एमएम कार्बाइन 1A मैगजीन के साथ, एक रॉयट गन और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• इंफाल ईस्ट: 2 कार्बाइन, एक एसएलआर दो मैगजीन के साथ, एक लाइव राउंड, 2 लोकल कार्बाइन मैगजीन, 4 इन्सास राइफल मैगजीन, बड़ी संख्या में गोला-बारूद सरेंडर की गई।

राज्यपाल की अपील का असर

इससे पहले राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को 7 दिन के भीतर स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने की 20 फरवरी को अपील की थी। इसके साथ ही गवर्नर ने यह आश्वासन भी दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार छोड़ने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने रविवार को कहा था कि अगर कोई हथियार त्यागना चाहता है तो लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने के लिए दिया गया 7 दिन का समय पर्याप्त है।

13 फरवरी को मणिपुर में लगा था राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में पिछले 2 साल से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। मणिपुर में नेतृत्व संकट के बीच कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।

अंतरराष्ट्रीय सहायता पर जीवित’: भारत ने जिनेवा बैठक में कश्मीर पर टिप्पणी को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की और उसे अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर एक असफल देश बताया। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के क्षितिज त्यागी ने कहा कि यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

क्षितिज त्यागी ने कहा, “यह देखना दुखद है कि पाकिस्तान के नेता और प्रतिनिधि अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं। पाकिस्तान ओआईसी को अपना मुखपत्र बताकर उसका मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस परिषद का समय एक असफल देश द्वारा बर्बाद किया जा रहा है जो अस्थिरता पर पनपता है और अंतरराष्ट्रीय सहायता पर जीवित रहता है।” भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने जोर देकर कहा कि जम्मू और कश्मीर, लद्दाख के साथ, हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहेगा, उन्होंने इन क्षेत्रों में प्रगति की ओर इशारा किया।

त्यागी ने कहा, "जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग बने रहेंगे। पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति अपने आप में बहुत कुछ कहती है। ये सफलताएँ दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता में लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं।" उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के प्रति अपने अस्वस्थ जुनून से बाहर निकलना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए जो उसके नागरिकों को प्रभावित करते रहते हैं। उन्होंने कहा, "भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।"

त्यागी की यह टिप्पणी संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने 19 फरवरी को कहा था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के गलत सूचना अभियानों की कड़ी निंदा की थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बहुपक्षवाद के अभ्यास और वैश्विक शासन में सुधार पर खुली बहस में भारत के वक्तव्य के दौरान हरीश ने कहा, "पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने अपने वक्तव्य में भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का उल्लेख किया है। मैं फिर से पुष्टि करना चाहूंगा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग रहा है, है और हमेशा रहेगा।"

महाशिवरात्रि पर साउथ एशियन विवि की मेस में परोसा नॉनवेज, जमकर हुआ बवाल

#fight_between_students_in_the_mess_of_south_asian_university

दिल्ली की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) में छात्रों के दो गुटों के बीच जमकर बवाल हुआ है। ये विवाद हुआ महाशिवरात्रि के मौके पर यूनिवर्सिटी की मेस में नॉन वेज खाना परोसने को लेकर। यूनिवर्सिटी के मेस में नॉनवेज परोसने को लेकर स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों के बीच हाथापाई हो गई। मारपीट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। दोनों छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।

एसएफआई का कहना है कि एबीवीपी के सदस्यों ने महाशिवरात्रि पर मांसाहार न परोसने की उनकी मांग नहीं मानी। इसके बाद एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी के मेस में छात्रों पर हमला किया। एसएफआई का आरोप है कि एबीवीपी के लोगों ने मांसाहार परोसे जाने पर छात्र-छात्राओं और भोजनालय कर्मियों के साथ मारपीट की। एसएफआई ने विश्वविद्यालय प्रशासन से हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

वहीं, एबीवीपी ने घटना पर कहा, महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर साउथ एशियन यूनिवर्सिटी में बड़ी संख्या में छात्रों ने उपवास रखा। अपनी धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए इन छात्रों ने मेस प्रशासन से पहले ही अनुरोध किया था कि इस खास दिन पर उनके लिए सात्विक भोजन की व्यवस्था की जाए। मेस प्रभारी से इस मामले पर चर्चा करने के बाद करीब 110 छात्रों ने उपवास के भोजन की मांग की। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय ने दो मेस हॉल में से एक में सात्विक भोजन की व्यवस्था की, ताकि छात्र अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भोजन कर सकें। वामपंथी गुंडों ने जानबूझकर धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया। जब मेस में सात्विक भोजन परोसा जा रहा था, तो एसएफआई से जुड़े लोगों ने जबरन नॉनवेज भोजन परोसने का प्रयास किया।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कहा कि विश्वविद्यालय में स्थिति शांतिपूर्ण है और उसे कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। इसमें यह भी कहा गया कि विश्वविद्यालय द्वारा आंतरिक जांच की जा रही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक साउथ एशियन यूनिवर्सिटी से दोपहर करीब 3.45 बजे मैदानगढ़ी पुलिस स्टेशन में झगड़े की पीसीआर कॉल मिली। जब हम मौके पर पहुंचे तो मेस में दो गुटों के बीच झगड़ा हो रहा था।

खड़गे ने एससी-एसटी-ओबीसी और अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति में 'गिरावट' का लगाया आरोप, क्या कहते हैं आंकड़े

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं की छात्रवृत्तियां छीन ली हैं। साथ ही खड़गे ने दावा किया कि बीजेपी का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ कमजोर वर्गों की आकांक्षाओं का मजाक उड़ाता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में ये दावा का।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए पोस्ट में लिखा कि 'देश के एससी, एसटी और ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं की छात्रवृत्तियों को आपकी सरकार ने हथियाने का काम किया है। सरकारी आंकड़े बातते हैं कि सभी वजीफों में मोदी सरकार ने लाभार्थियों की भारी कटौती तो की है, साथ ही साल-दर-साल फंड में औसतन 25 फीसदी कम खर्च किया है।'

लाभार्थियों की संख्या में चार साल में 94% की गिरावट

खरगे के मुताबिक, अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाले प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लाभार्थियों की संख्या में पिछले चार बरस के दौरान 94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लाभार्थियों की संख्या पिछले चार बरस ही में 83 फीसदी तक घटी है। इसके अलावा, मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति योजना, जो अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाती है, उसके लाभार्थियों की संख्या में चार बरस के भीतर 51 फीसदी तक की कमी आई है।

अब अगर सरकार के हवाले ही से सामने आए कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि जरूर स्कॉलरशिप के कई स्कीम्स में लाभार्थियों और बजट का आवंटन घटा हैः-

प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप एक साल में 40 फीसदी घटा

संसदीय समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए आवंटित बजट 1,378 करोड़ रुपये थी। जो 2024-25 में घटकर 326 करोड़ रुपये के करीब रह गई। वहीं, इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने महज 198 करोड़ रुपये के करीब का आवंटन प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए किया है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस बार का आवंटन 40 फीसदी तक घट गया है। अगर लाभार्थियों की बात की जाए तो 2021-22 में सरकार ने जहां 28 लाख 90 हजार छात्रों को ये स्कॉलरशिप दिया। तो 2023-24 में सरकार महज 4 लाख 91 हजार छात्रों को ही वजीफा दे सकी। लाभार्थियों और फंड में इतनी बड़ी गिरावट की वजह सरकार का क्लास 1 से लेकर 8 तक के छात्रों के लिए इस स्कीम को बंद करना रहा। अब ये स्कीम केवल नौवीं और दसवीं के छात्रों को दी जाती है। सरकार का कहना है कि 1 से लेकर 8 तक के छात्रों को पहले ही सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के जरिये मदद कर रही है।

पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप का आवंटन 64 फीसदी घटा

वहीं, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में सरकार ने 2023-24 में इस मद में 1145 करोड़ रुपये का आवंटन किया था मगर सरकार 1065 करोड़ ही खर्च कर पाई। वर्ष 2024-25 में सरकार ने ज्यादा खर्च किया, और यह बढ़कर 1,145 करोड़ रुपये तक पहुंचा। मगर इस 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए बजट का आवंटन पिछले साल के मुकाबले 64 फीसदी तक घट चुका है। सरकार ने इस साल के बजट में महज 414 करोड़ रुपये के करीब का आवंटन किया है। ये पिछले साल के मुकाबले कम से कम सात सौ करोड़ रुपये कम है। इस तरह ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि फंड का आवंटन कम होने से लाभार्थियों की संख्या पर भी इसका असर पड़ेगा।

मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप 78 फीसदी तक घटा

ये वजीफा अल्पसंख्यक समुदाय के उन छात्रों को दिया जाता है जो ग्रैजुएशन या फिर पोस्ट ग्रैजुएशन प्रोफेशनल औऱ टेक्निकल कोर्स में करना चाहते हैं। 2020-21 में इस मद में जहां सरकार का बजट आवंटन 400 करोड़ था, वह अगले अकादमिक वर्ष में 325 करोड़ रुपये रह गया। वहीं ये आवंटन 2023-24 में 44 करोड़ जबकि 2024-25 में आवंटन घटकर महज 34 करोड़ रुपये के करीब रह गया। अगर इस बरस के आवंटन की बात की जाए तो यह पिछले बरस के मुकाबले 78 फीसदी तक घट चुका है। इस साल सरकार ने बजट में इस वजीफे के लिए महज 7 करोड़ रुपये के करीब का आवंटन किया है। पोस्ट-मैट्रिक वजीफे ही की तरह मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप के फंड में आवंटन घटने से इसके लाभार्थियों की संख्या पर भी असर पड़ेगा।

भारत ने पाकिस्तान को बताया “असफल राष्ट्र”, संयुक्त राष्ट्र में पड़ोसी देश को धो डाला

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भारत ने अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक बार फिर जमकर क्लास लगाई है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर आए दिन आरोप लगाता रहा है। इस पर भारत ने भी वैश्विक मंच से पाकिस्तान को “असफल राष्ट्र” करार दिया। भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की बैठक में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है।

पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप

यूएन में भारत के स्थायी मिशन के अधिकारी क्षितिज त्यागी ने जेनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में अपनी बात रखी। भारत ने पाकिस्तान पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और उसे एक असफल राष्ट्र बताया जो केवल अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा कश्मीर और भारत के बारे में झूठ फैलाता आ रहा है। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि पाकिस्तान के नेता अपने सैन्य-आतंकवादी परिसर से झूठ फैलाना जारी रखते हैं।

पाकिस्तान को अपने हालात देखने की सलाह

पाकिस्तान ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर संगठन का मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संगठन का समय एक असफल राज्य द्वारा बर्बाद किया जा रहा है। पाकिस्तान पहले अपने यहां के हालात देखे क्षितिज त्यागी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए आरोपों पर कहा- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे। पाकिस्तान को भारत के बजाय अपने देश के हालात बदलना चाहिए।

पाखंड की बू आती है-भारत

त्यागी ने ये भी कहा, इनकी (पाकिस्तान) बयानबाजी में पाखंड की बू आती है। इसकी हरकतें अमानवीय हैं और ये शासन व्यवस्था चलाने में अक्षमता हैं। भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत के रुख की पुष्टि करते हुए त्यागी ने इस बात पर जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के साथ हमेशा भारत का अभिन्न अंग रहे हैं। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने इन क्षेत्रों में हुए कामों की ओर ध्यान भी दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति हुई है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जख्मी क्षेत्र में सरकार की ओर से सामान्य स्थिति लाने की प्रतिबद्धता पर लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। पाकिस्तान को भारत के प्रति अपनी नफरत से आगे बढ़ना चाहिए और उन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। भारत अपने लोगों के लिए लोकतंत्र, प्रगति और सम्मान सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। ये ऐसे मूल्य हैं, जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों के हनन का आरोप

इससे पहले यूएनएचआरसी को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के कानून, न्याय और मानवाधिकार मंत्री आजम नजीर तरार ने दावा किया कि कश्मीर में लोगों के अधिकारों का लगातार हनन हो रहा है। यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।

भाषा विवाद के बाद स्टालिन परिसीमन को लेकर परेशान, लोकसभा में सीटें घटने के दावे पर अमित शाह का जवाब
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के इस दावे को खारिज कर दिया कि अगर जनसंख्या जनगणना के आधार पर परिसीमन किया गया तो राज्य में आठ लोकसभा सीटें कम हो जाएंगी।केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कोयंबतूर समेत तीन जिलों में भाजपा कार्यालयों का उद्घाटन करते हुए यह भरोसा दिया। बता दें कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 2026 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में हिंदी विरोध के साथ-साथ परिसीमन में सीटें कम होने की आशंका को बड़ा मुद्दा बनाने का संकेत दिया है। इसके लिए डीएमके ने पांच मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र की ओर से तमिलनाडु के साथ किसी भी तरह के अन्याय से इनकार किया और इस प्रकार के आरोपों को ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया। इसके साथ ही शाह ने मुख्यमंत्री स्टालिन पर परिसीमन को लेकर गलत सूचना अभियान फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि जब परिसीमन यथानुपात आधार पर किया जाएगा तो तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य में संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी नहीं होगी।

शाह ने इस मुद्दे पर तमिलनाडु सरकार द्वारा बुलाई गई 5 मार्च की सर्वदलीय बैठक के बारे में कहा कि वे परिसीमन पर एक बैठक करने जा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम दक्षिण के साथ कोई अन्याय नहीं होने देंगे। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि परिसीमन के बाद कोई भी दक्षिणी राज्य एक सीट भी नहीं गंवाएगा। बीजेपी ने स्टालिन के इस कदम को नकली डर बताया है।

स्टालिन ने आशंका जताई थी कि यह परिसीमन दक्षिणी राज्यों के हित में नहीं होगा, जिन्होंने जनसंख्या को नियंत्रित किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, परिसीमन के बाद तमिलनाडु की लोकसभा सीटें 39 से घटकर 31 हो सकती हैं। स्टालिन ने परिसीमन को दक्षिणी राज्यों के सिर पर लटकती तलवार बताया है और अन्य दक्षिणी राज्यों से भी केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ विरोध करने की अपील की है। एमके स्टालिन ने कहा है कि तमिलनाडु की सीटों की संख्या कम करना तमिलनाडु के अधिकारों के हनन के समान है और यह न केवल राज्य बल्कि पूरे दक्षिण भारत को प्रभावित करता है। उन्होंने दक्षिण के विभिन्न राजनीतिक दलों को इस कदम का विरोध करने के लिए पत्र भी लिखा है। दक्षिण के बीआरएस और कांग्रेस ने भी इस कदम का विरोध किया है।

लोकसभा में फिलहाल 543 सीटें हैं। माना जा रहा है कि यदि सीटों का परिसीमन हुआ तो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और राजस्थान में लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ जाएगी। वहीं दक्षिण भारत के कुछ राज्य केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक को कुछ सीटें गंवानी पड़ सकती है। जनसंख्या के अनुपात में सीटें बंटी तो केरल में लोकसभा सीटें 20 से घटकर 19 हो जाएगी। यूपी में 14 सीटों का इजाफा हो सकता है। बिहार और एमपी में भी सीटें बढ़ेंगी। कुल कितनी सीटें बढ़ेंगी या घटेंगी यह परिसीमन के बाद ही तय होगा। वहीं सवालों के बीच सरकार की ओर से कहा गया है कि सीटें कम नहीं होंगी