खड़गे ने एससी-एसटी-ओबीसी और अल्पसंख्यकों की छात्रवृत्ति में 'गिरावट' का लगाया आरोप, क्या कहते हैं आंकड़े
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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं की छात्रवृत्तियां छीन ली हैं। साथ ही खड़गे ने दावा किया कि बीजेपी का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ कमजोर वर्गों की आकांक्षाओं का मजाक उड़ाता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में ये दावा का।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को संबोधित करते हुए पोस्ट में लिखा कि 'देश के एससी, एसटी और ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं की छात्रवृत्तियों को आपकी सरकार ने हथियाने का काम किया है। सरकारी आंकड़े बातते हैं कि सभी वजीफों में मोदी सरकार ने लाभार्थियों की भारी कटौती तो की है, साथ ही साल-दर-साल फंड में औसतन 25 फीसदी कम खर्च किया है।'
लाभार्थियों की संख्या में चार साल में 94% की गिरावट
खरगे के मुताबिक, अल्पसंख्यक छात्रों को मिलने वाले प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लाभार्थियों की संख्या में पिछले चार बरस के दौरान 94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लाभार्थियों की संख्या पिछले चार बरस ही में 83 फीसदी तक घटी है। इसके अलावा, मेरिट कम मीन्स छात्रवृत्ति योजना, जो अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाती है, उसके लाभार्थियों की संख्या में चार बरस के भीतर 51 फीसदी तक की कमी आई है।
अब अगर सरकार के हवाले ही से सामने आए कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि जरूर स्कॉलरशिप के कई स्कीम्स में लाभार्थियों और बजट का आवंटन घटा हैः-
प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप एक साल में 40 फीसदी घटा
संसदीय समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए आवंटित बजट 1,378 करोड़ रुपये थी। जो 2024-25 में घटकर 326 करोड़ रुपये के करीब रह गई। वहीं, इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने महज 198 करोड़ रुपये के करीब का आवंटन प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिए किया है। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस बार का आवंटन 40 फीसदी तक घट गया है। अगर लाभार्थियों की बात की जाए तो 2021-22 में सरकार ने जहां 28 लाख 90 हजार छात्रों को ये स्कॉलरशिप दिया। तो 2023-24 में सरकार महज 4 लाख 91 हजार छात्रों को ही वजीफा दे सकी। लाभार्थियों और फंड में इतनी बड़ी गिरावट की वजह सरकार का क्लास 1 से लेकर 8 तक के छात्रों के लिए इस स्कीम को बंद करना रहा। अब ये स्कीम केवल नौवीं और दसवीं के छात्रों को दी जाती है। सरकार का कहना है कि 1 से लेकर 8 तक के छात्रों को पहले ही सरकार शिक्षा के अधिकार कानून के जरिये मदद कर रही है।
पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप का आवंटन 64 फीसदी घटा
वहीं, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप में सरकार ने 2023-24 में इस मद में 1145 करोड़ रुपये का आवंटन किया था मगर सरकार 1065 करोड़ ही खर्च कर पाई। वर्ष 2024-25 में सरकार ने ज्यादा खर्च किया, और यह बढ़कर 1,145 करोड़ रुपये तक पहुंचा। मगर इस 2025-26 के बजट में इस योजना के लिए बजट का आवंटन पिछले साल के मुकाबले 64 फीसदी तक घट चुका है। सरकार ने इस साल के बजट में महज 414 करोड़ रुपये के करीब का आवंटन किया है। ये पिछले साल के मुकाबले कम से कम सात सौ करोड़ रुपये कम है। इस तरह ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि फंड का आवंटन कम होने से लाभार्थियों की संख्या पर भी इसका असर पड़ेगा।
मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप 78 फीसदी तक घटा
ये वजीफा अल्पसंख्यक समुदाय के उन छात्रों को दिया जाता है जो ग्रैजुएशन या फिर पोस्ट ग्रैजुएशन प्रोफेशनल औऱ टेक्निकल कोर्स में करना चाहते हैं। 2020-21 में इस मद में जहां सरकार का बजट आवंटन 400 करोड़ था, वह अगले अकादमिक वर्ष में 325 करोड़ रुपये रह गया। वहीं ये आवंटन 2023-24 में 44 करोड़ जबकि 2024-25 में आवंटन घटकर महज 34 करोड़ रुपये के करीब रह गया। अगर इस बरस के आवंटन की बात की जाए तो यह पिछले बरस के मुकाबले 78 फीसदी तक घट चुका है। इस साल सरकार ने बजट में इस वजीफे के लिए महज 7 करोड़ रुपये के करीब का आवंटन किया है। पोस्ट-मैट्रिक वजीफे ही की तरह मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप के फंड में आवंटन घटने से इसके लाभार्थियों की संख्या पर भी असर पड़ेगा।
7 hours ago