महाकुंभ में भगदड़ का दर्दनाक मंजर: बेटी ने मां के साथ ली आखिरी सेल्फी, फिर मिली लाश
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प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ में एमपी के छतरपुर जिले के बकस्वाहा ब्लॉक में सुनवाहा गांव की एक श्रद्धालु की मौत हो गई. जबकि उनकी बेटी घायल है. यूपी प्रशासन ने महिला के शव एवं परिजनों को बकस्वाहा के लिए रवाना कर दिया है. वहीं भगदड़ में जान गवाने वाली महिला की बेटी ने कहा कि जब भी आंखें बंद करती हूं तो भगदड़ का मंजर दिखाई देता है.
बकस्वाहा के तहसीलदार भरत पांडेय ने महिला श्रद्धालु हुकुमबाई (45) पति स्व. रमेश लोधी निवासी सुनवाहा की मौत की पुष्टि करते हुए शासन से स्वेच्छानुदान मद से सहायता उपलब्ध कराने की बात कही है. जानकारी के अनुसार सुनवाहा गांव से 15 श्रद्धालु ट्रेन से प्रयागराज के लिए रवाना हुए थे. वहां मंगलवार को देर रात भगदड़ से हादसा हो गया. तहसीलदार के मुताबिक, परिवार के अन्य सदस्य सुरक्षित हैं. इसी परिवार के रतन भी घायल हुए हैं.
हुकुमबाई के परिजन नारायण सिंह ने कहा कि हम महाकुंभ के लिए 15 से 16 लोग सुनवाहा गांव से 27 जनवरी सोमवार की दोपहर 1.30 बजे कुरैशी बस से रवाना हुई थे. हमारी टोली में 7 महिलाएं, 7 पुरुष व एक बेटी दीपा थी. दमोह में रात 9 बजे प्रयागराज के लिए ट्रेन मिली. 28 जनवरी की सुबह करीब साढ़े 10 बजे हम सभी प्रयागराज पहुंचे और कुंभ के स्थान से करीब दो किलोमीटर दूर खंबा नंबर 47 के पास रुके हुए थे. मंगलवार की सुबह कुंभ के नैनी स्थान में नहाया और नहाने के बाद अपने स्थान पर वापस आ गए थे. इसके बाद मंगलवार, बुधवार की दरमियानी रात करीब एक बजे पुलिस ने हमें अपने स्थान से उठने के लिए बोला व स्नान करने जाने के लिए कहा. जब हम सभी रास्ते में जा रहे थे, तभी भीड़ ज्यादा होने की वजह से 7 से 8 लोग बिछड़ गए.
देखते ही देखते मची भगदड़
खंभा नंबर 155 के पास भीड़ होने के कारण हमारे ही परिवार की हुकुमबाई और उनकी 20 वर्षीय बेटी दीपा बिछड़ गईं. देखते ही देखते वहां एकदम से अफरातफरी मचने लगी और भगदड़ होने लगी. स्नान करके लौट रहे हजारों लोगों को भागते हुए आते देखा तो हम लोगों किनारे होने का प्रयास किया. इस बीच कई महिलाएं नीचे गिर गईं. लोग एक-दूसरे के ऊपर से पैरों से कुचल कर भागने लगे. काफी भगदड़ होने के वजह से कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें, लेकिन हम जितने लोग थे, सभी बचते-बचाते एक किनारे खड़े हो गए.
‘मां बोल नहीं रही है’
कुछ समय बाद हुकुम बाई की बेटी का कॉल आया और उसने बताया कि मां बोल नहीं रही है. तब हम लोग दीपा के बताए हुए स्थान पर पहुंचे तो हुकुम बाई अचेत अवस्था में जमीन में पड़ी हुई थी, और बेटी दीपा पास में बैठी रो रही थी. अस्पताल लेकर पहुंचे तो हुकुम बाई को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. शाम करीब 5 बजे प्रशासन ने एंबुलेंस की व्यवस्था कर मृतक हुकुम बाई के शव के साथ बेटी दीपा और 6 अन्य लोगों को गांव के लिए रवाना कर दिया है, साथ में कोई एक अधिकारी है.
बेटी दीपा रोते हुए बोली कि आंखें बंद करती हूं तो भगदड़ का मंजर दिखाई देता है. हम सभी 15-16 लोग रात में करीब एक बजे एक-दूसरे से बिछड़ गए थे. मां हुकुमबाई मेरे साथ थी, तभी अचानक भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे को कुचलकर भागने लगे. मैं नीचे गिर गई और कुछ लोग मेरे ऊपर से पैर रखकर निकल गए. मां से यह सब नहीं देखा गया वो संघर्ष करने लगीं. उन्होंने मुझे बचाने का प्रयास किया. इस बीच मां गिर गई, मां के ऊपर से भी सैकड़ों लोग पैर रखकर निकल गए. इससे मां जख्मी होकर बेहोश हो गई.
‘अब मां भी चली गई’
इस घटना में मुझे भी सीने व हाथ-पैर में चोटें आई हैं, लेकिन मां की मौत के कारण वह अपने सारे दर्द भूल गई. जब अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने बताया कि मां नहीं रहीं. कुछ पल में सब कुछ खत्म सा हो गया. वह मंजर आंखों में ओझल नहीं हो रहा है. आंखे बंद करती हूं तो भगदड़ का मंजर दिखाई देता है. पिता पहले ही नहीं थे, मां भी चली गई. वो आखिरी तस्वीर बेटी दीपा ने मां के साथ कुंभ स्नान के दौरान मंगलवार को सेल्फी ली थी, लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. बेटी को बचाने में मां की जान चली गई.
Jan 30 2025, 17:38