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राजस्थान से मध्य प्रदेश जा रही एक बोलेरो को पुलिस ने रोकी तो हैरान रह गए अधिकारी!

आपने बोलेरो में लोगों को सफर करते हुए अक्सर देखा होगा, लेकिन क्या कभी एक बोलेरो में 78 लोगों को सफर करते हुए देखा है. एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है, जिसमें राजस्थान से मध्य प्रदेश मेला देखने के लिए बेहिसाब लोग एक ही बोलेरो में भरकर जा रहे थे. बोलेरो को पुलिस ने रोका, तो उनके भी होश उड़ गए.

दरअसल मध्य प्रदेश के पोहरी क्षेत्र में मंगलवार को धार्मिक और पर्यटक स्थल मकर संक्रांति के अवसर पर धार्मिक मेले का आयोजन किया गया था. इस मेले में राजस्थान से एक बोलेरो में दर्शनार्थी मेले में शामिल होने जा रहे थे. इसी दौरान पोहरी टीआई रजनी चौहान भी वहां भ्रमण कर रही थीं. तभी उन्होंने उसे रोका, जिसमें 5 या 10 नहीं बल्कि 70 से भी ज्यादा लोग सवार थे.

बोलेरों में 78 लोग सवार

उन्होंने गाड़ी को रोका और सभी को गाड़ी से उतरवाया और उनकी गिनती शुरू की, तो एक बोलेरो के अंदर से 78 लोग निकले, जो खचाखच इसके भरे पड़े थे. इन 78 लोगों में महिलाएं, बच्चे और पुरुष सभी थे. ये सभी लोग बोलेरो में सामान भरने की जगह पर बैठे थे. यही नहीं कुछ लोग इनमें से बोलेरो की छत पर भी बैठे थे. इन लोगों में कई बहुत छोटे बच्चे भी थे.

पुलिस भी रह गई हैरान

बोलेरो में खचाखच भरे लोगों को देखकर खुद टीआई भी हैरान हो गईं. उन्होंने गाड़ी चालक की इस हरकत को देखकर उसी से पूछा कि बताओ आपका क्या करना चाहिए. इसके बाद जब गाड़ी में सवार यात्रियों ने पुलिस से गुहार लगाई तो गाड़ी को बिना कार्रवाई के छोड़ दिया गया. इसके साथ ही ड्राइवर को इस तरह की हरकत दोबारा न करने की बात कही गई.

सोशल मीडिया पर वायरल

टीआई ने बताया कि गाड़ी में सवार लोगों को दो से तीन बार में छुड़वाया गया. उनका कहना है कि अगर इतने लोगों के साथ कोई हादसा हो जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. इस दौरान का वीडियो सोशल मीडिया खूब वायरल हो रहा है. जिस बोलेरो में इतने लोग सवार थे. उसे आमतौर पर सामान लाने ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इसे बोलेरो लोडिंग गाड़ी कहा जाता है.

महाकुंभ से इस दिन वापस लौटेंगे नागा साधु, फिर इतने साल बाद यहां दिखेंगे दोबारा

2025 के महाकुंभ मेले का आगाज 13 जनवरी से हो चुका है और इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के दिन होगा. 26 फरवरी के बाद से अगले कुंभ तक फिर आपको नागा साधु नजर नहीं आएंगे. नागा साधु महाकुंभ के समापन के बाद वापस अपने-अपने आखाड़ों में लौट जाते हैं. प्रयागराज के बाद अगला कुंभ नासिक में गोदावरी नदी के तट पर लगेगा. जो कि 2027 में आयोजित किया जाएगा. यहां पिछली बार 2015 में जुलाई से सितंबर तक कुंभ मेला लगा था.

आखाड़े भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित होते हैं और ये नागा साधुओं वहां ध्यान, साधना और धार्मिक शिक्षाओं का अभ्यास करते हैं. वहीं कुछ नागा साधु काशी (वाराणसी), हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन या प्रयागराज जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों पर रहते हैं.

कुंभ के बाद कहां जाते हैं नागा साधु

कुंभ में ज्यादातर नागा साधु दो विशेष अखाड़ों से आते हैं. एक अखाड़ा है वाराणसी का महापरिनिर्वाण अखाड़ा और दूसरा है पंच दशनाम जूना अखाड़ा. इन दोनों अखाड़ों के नागा साधु कुंभ का हिस्सा बनते हैं. हाथों में त्रिशूल, शरीर पर भस्म, रुद्राक्ष, की माला और कभी-कभी जानवरों की खाल को शरीर पर लपेटे ये साधु कुंभ आते हैं.

कुंभ का पहला शाही स्नान नागा साधु करते हैं और उसके बाद ही अन्य श्रद्धालुओं को कुंभ स्नान की अनुमति होती है. नागा साधु अन्य दिनों में दिगम्बर स्वरूप यानी निर्वस्त्र नहीं रहते हैं. समाज में दिगम्बर स्वरूप स्वीकार्य नहीं है इसीलिए यह साधु कुंभ के बाद गमछा पहनकर आश्रमों में निवास करते हैं. दिग्मबर का अर्थ है धरती और अम्बर. नागा साधुओं का मानना है कि धरती उनका बिछौना और अम्बर उनका ओढ़ना है. इसीलिए वे कुंभ की अमृत वर्षा के लिए नागा स्वरूप में आते हैं.

ध्यान और साधना करते हैं

जब कुंभ की समाप्ति हो जोती है तो इसके बाद नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाते हैं. इन अखाड़ों में नागा साधु ध्यान और साधना करते हैं, साथ ही धार्मिक शिक्षा भी देते हैं. इनकी तपस्वी जीवनशैली होती है. बहुत से नागा साधु हिमालयों, जंगलों और अन्य एकांत स्थानों में तपस्या करने चले जाते हैं. वहीं, बहुत से नागा साधु शरीर पर भभूत लपेटे हिमालय तपस्या करने जाते हैं. यहां वे कठोर तप करते हैं, फल व फूल खाकर जीवन निर्वाह करते हैं.

कब और कहां पड़ता है कुंभ?

प्रयागराज: ऐसी मान्यता है कि जब सूर्य मकर राशि और गुरु वृष राशि में होते हैं तब गंगा, युमना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र तट पर महाकुंभ लगता है. हरिद्वार: कहा जाता है कि जब कुंभ राशि में गुरु और मेष राशि में सूर्य हो तब गंगा के तट पर कुंभ पड़ता है. नासिक: मान्यता है कि जब सिंह राशि में गुरु और सूर्य हो तब नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ लगता है. उज्जैन: कहा जाता है कि जब सिंह राशि में गुरु और मेष राशि में सूर्य हो तब उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर कुंभ लगता है.

महाकुंभ में सबसे पहले नागा क्यों करते हैं शाही स्नान : जानें 265 साल पुराने इस परंपरा के पीछे की कहानी

प्रयागराज में 45 दिवसीय महाकुंभ के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई. दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में 6 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. माना जा रहा है कि तीसरे शाही स्नान पर 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचेंगे. शागी स्नान सबसे पहले नागा साधु करते हैं. उसके बाद बाकी लोगों को शाही स्नान करने की अनुमति होती है. आपके भी मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर नागा साधु ही क्यों सबसे पहले शाही स्नान करते हैं? तो चलिए बताते हैं 265 साल पुराना वो किस्सा.

यदुनाथ सरकार अपनी किताब ‘द हिस्ट्री ऑफ दशनामी नागा संन्यासीज’ में लिखते हैं- ‘कुंभ में पहले स्नान करने को लेकर हमेशा से विवाद होते रहे हैं. नागा साधुओं और वैरागी साधुओं के बीच खूनी जंग हुई है. 1760 के हरिद्वार कुंभ के दौरान पहले स्नान को लेकर नागा और वैरागी आपस में लड़ गए. दोनों ओर से तलवारें निकल आईं. सैकड़ों वैरागी संत मारे गए.

1789 के नासिक कुंभ में भी फिर यही स्थिति बनी और वैरागियों का खून बहा. इस खूनखराबे से परेशान होकर वैरागियों के चित्रकूट खाकी अखाड़े के महंत बाबा रामदास ने पुणे के पेशवा दरबार में शिकायत की. 1801 में पेशवा कोर्ट ने नासिक कुंभ में नागा और वैरागियों के लिए अलग-अलग घाटों की व्यवस्था करने का आदेश दिया. नागाओं को त्र्यंबक में कुशावर्त-कुंड और वैष्णवों को नासिक में रामघाट दिया गया. उज्जैन कुंभ में वैरागियों को शिप्रा तट पर रामघाट और नागाओं को दत्तघाट दिया गया.

इसके बाद भी हरिद्वार और प्रयाग में पहले स्नान को लेकर विवाद जारी रहा. कुंभ पर अंग्रेजों के शासन के बाद तय किया गया कि पहले शैव नागा साधु स्नान करेंगे, उसके बाद वैरागी स्नान करेंगे. इतना ही नहीं, शैव अखाड़े आपस में ना लड़ें, इसलिए अखाड़ों की सीक्वेंसिंग भी तय की गई. तब से लेकर आज तक यही परंपरा चल रही है.

क्यों करते हैं पहले नागा स्नान?

वहीं, धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जब देवता और असुर समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की रक्षा के लिए एक-दूसरे से संघर्ष कर रहे थे, तो अमृत की 4 बूंदे कुंभ के 4 जगहों (प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक) पर गिर गई. इसके बाद यहां महाकुंभ मेले की शुरुआत की गई. नागा साधु भोले बाबा के अनुयायी माने जाते हैं और वह भोले शंकर की तपस्या और साधना की वजह से इस स्नान को नागा साधु सबसे पहले करने के अधिकारी माने गए. तभी से यह परंपरा चली आ रही कि अमृत स्नान पर सबसे पहला हक नागा साधुओं का ही रहता है. नागा का स्नान धर्म और आध्यत्मिक ऊर्जा की केंद्र माना जाता है.

एक अलग मान्यता के मुताबिक, ऐसा भी कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब धर्म की रक्षा के लिए नागा साधुओं की टोली बनाई, तो अन्य संतों ने आगे आकर धर्म की रक्षा करने वाले नागा साधुओं को पहले स्नान करने को आमंत्रित किया. चूंकि नागा भोले शंकर के उपासक है, इस कारण भी इन्हें पहले हक दिया गया. तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है.

‘संस्कृति का महाकुम्भ’

14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई थी. दस देशों का 21 सदस्यीय दल संगम में स्नान करने के लिए पहुंचा. इससे पहले विदेशी दल ने रात्रि में अखाड़ों के संतो के दर्शन भी किए. महाकुम्भ में 16 जनवरी से 24 फरवरी तक ‘संस्कृति का महाकुम्भ’ होगा. मुख्य मंच गंगा पंडाल का होगा, जिसमें देश के नामचीन कलाकार भारतीय संस्कृति का प्रवाह करेंगे.

जम्मू जाने वाली 65 ट्रेनें मार्च तक रद्द, माता वैष्णो देवी के दर्शन पर जाने वाले श्रद्धालुओं को होगी परेशानी

आप अगर माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए ट्रेन से जाने का प्लान बना रहे हैं तो जरा ये खबर पढ़ लीजिए. जम्मू जाने वाली 65 ट्रेनों को रद्द किया गया है. वहीं, 6 गाड़ियों को री-शेड्यूल किया जा रहा है. ऐसे में माता वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो सकती है. जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पर चल रहे विकास कार्य के चलते रेलवे ने मार्च तक 65 ट्रेनों को रद्द किए जाने का निर्णय लिया है. इसके चलते अगले दो महीने तक यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.

जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पर विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं. इसके चलते यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्टेशन पर यात्रियों को सर्दी के साथ अव्यवस्थाओं से रूबरू होना पड़ रहा है. फिरोजपुर रेलवे डिविजन ने प्रेस नोट जारी कर जानकारी दी कि है कि जम्मू तवी रेलवे स्टेशन पर री डेवलपमेंट काम के चलते करीब 65 ट्रेनें अलग अलग तारीखों पर रद्द की गई और कईयों को रिश्डयूल किया गया है.

रद्द रहने वाली ट्रेनों में जम्मू तवी-बाड़मेर (14662) है, इसे 15 जनवरी से 6 मार्च तक रद्द किया है. इसके अलावा ट्रेन संख्या 14661 बाड़मेर-जम्मू तवी को 18 जनवरी से 9 मार्च तक के लिए केंसल किया गया है. ट्रेन संख्या 74909 और 74910 पठानकोट-उधमपुर-पठानकोट 15 जनवरी से 6 मार्च तक नहीं चलेगी. ट्रेन संख्या 12355 पटना-जम्मू तवी और 12356 जम्मू तवी-पटना जनवरी में 14, 18, 21, 25, 28, फरवरी महीने में 1, 4, 8, 11, 15, 18, 22, 25 और मार्च में 1 और 4 को रद्द रहेंगी.

इनके अलावा केंसल ट्रेनों में गाड़ी संख्या22941 और 22942 इंदौर-एमसीटीएम उधमपुर-इंदौर भी शामिल है. ये जनवरी में 20, 22, 27, 29, फरवरी में 3, 5, 10, 12, 17, 19, 24, 26 और मार्च में 3 और 5 को रद्द रहेगी. गाड़ी संख्या 20847-20848 दुर्ग-एमसीटीएम उधमपुर 15, 17, 22, 24, 29, 31 जनवरी, फरवरी में 5, 7, 12, 14, 19,21, 25 और 28 को केंसल की गई है. ट्रेन संख्या 22317 सियालदह-जम्मू तवी 24 फरवरी से 3 मार्च और गाड़ी संख्या 22318 जम्मू तवी-सियालदह 26 फरवरी से पांच मार्च तक रद्द रहेगी.

जम्मू तवी रेलवे स्टेशन आने वाली गाड़ी संख्या 22705 और 22706 त्रिपुरा-जम्मू-त्रिपुरा को जनवरी में 14,17,21,24, 28,31 फरवरी में 4, 7, 11, 14, 18, 21, 25 और 28 को रद्द किया गया है. गाड़ी संख्या 12210 और 11209 काठगोदाम-कानपुर सेंट्रल एक्सप्रेस तीन व चार मार्च, गाड़ी संख्या 12587 और 12588 गोरखपुर-जम्मूतवी एक्सप्रेस तीन व आठ मार्च, गाड़ी संख्या 15098 और 15097 जम्मू तवी-भागलपुर एक्सप्रेस चार और छह मार्च को केंसल रहेगी.

भारत ने स्पेस में रचा नया इतिहास, ISRO के SpaDeX ने पूरा किया डॉकिंग प्रोसेस

भारत ने अंतरिक्ष में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इसरो के स्पैडेक्स मिशन ने ऐतिहासिक डॉकिंग सफलता हासिल की. इसरो ने पहली बार पृथ्वी की कक्षा में दो उपग्रह सफलतापूर्वक स्थापित किए. इसके साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला अमेरिका, रूस , चीन के बाद चौथा देश बन गया है. यह वाकई ​​भारत के लिए गर्व का पल है. पीएम मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए इसरो को बधाई दी है.

ISRO ने कहा- यह एक ऐतिहासिक क्षण है

वहीं, इसरो ने भी इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए अपनी पूरी टीम को बधाई दी है. एजेंसी ने कहा कि स्पैडेक्स मिशन के डॉकिंग की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई. यह एक ऐतिहासिक क्षण है. 15 मीटर से 3 मीटर होल्ड पॉइंट तक लाने का प्रोसेस पूरा हुआ. स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक कैप्चर किया गया. भारत अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग हासिल करने वाला चौथा देश बन गया.

12 जनवरी को पूरा हुआ था इसका ट्रायल

दरअसल, रविवार 12 जनवरी को स्पैडेक्स के दोनों उपग्रह चेजर और टारगेट एक दूसरे के बेहद करीब आ गए थे. दोनों सैटेलाइट्स को पहले 15 मीटर और फिर 3 मीटर तक करीब लाया गया था. इससे एक दिन पहले यानी शनिवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पेडेक्स) मिशन में शामिल दोनों उपग्रहों के बीच की दूरी 230 मीटर थी. इससे पहले इस मिशन को दो से तीन बार से लिए स्थगित भी किया गया था.

इसरो ने इस मिशन को 30 दिसबंर कोलॉन्चकिया था

स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करना है, जो भारत के भविष्य के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है. अब ये मिशन अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रयान-4 की सफलता तय करेगा. इसरो ने इस मिशन को 30 दिसबंर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर सेPSLV-C60 रॉकेट की सहायता से सफलतापूर्वक लॉन्च किया था.

चंद्रयान-4 की सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किए गए इस मिशन में दो छोटे उपग्रह शामिल हैं. इनमें से प्रत्येक का वजन लगभग 220 किलोग्राम है. इसरो के लिए ये मिशन एक बहुत बड़ा एक्सपेरिमेंट है. यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और चंद्रयान-4 की सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा. चंद्रयान-4 मिशन में इसी डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल होगा. नासा की तरह अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने में इसी मिशन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इंसानों को चंद्रमा पर भेजने के लिए भी ये टेक्नोलॉजी जरूरी है.

अयोध्या में महाकुंभ जैसा नजारा, दर्शन को पहुंचे लाखों श्रद्धालु

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में महाकुंभ जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. यहां रामलला के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है. जहां एक तरफ प्रयागराज में लगे महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है और पूरी दुनियां सनातन के इस महापर्व में उमड़े श्रद्धालुओं की संख्या को देख कर अचंभित है, वहीं वैसा ही नजारा अयोध्या धाम में भी देखने को मिल रहा है. कुंभ में शाही स्नान के बाद उत्तर प्रदेश में अन्य तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की आमद में भारी संख्या में इजाफा हुआ है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ पर्व के दौरान प्रदेश के सभी तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका व्यक्त की थी. अयोध्या धाम में भी जिला प्रशासन ने महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की आशंका जताई थी. ठीक वैसा ही हुआ है. 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा और 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शाही स्नान के बाद अयोध्या में 15 जनवरी और आज यानी 16 जनवरी को श्रद्धालुओं की भीड़ का रैला देखने को मिल रहा है.

5 जोन और 12 सेक्टर में बांटा

अयोध्या धाम में श्रद्धालुओं का आवागमन जारी है. सरयू तट, हनुमानगढ़ी, राम मंदिर, राम पथ पर भारी तादात में श्रद्धालु देखे जा रहे हैं. यही नहीं राम नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ को मैनेज करने के लिए पूरे मेला क्षेत्र को 5 जोन 12 सेक्टर में बांटा गया है. जगहजगह यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए बैरिकेडिंग की गई है. भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा बैकअप प्लान की भी रूप रेखा तैयार की गई है.

हनुमान गढ़ी में दर्शन के लिए लगी लंबी कतार

15 जनवरी को राम नगरी में पूरे दिन बाहरी तादात में श्रद्धालुओं का आगमन हुआ. सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी में दर्शन के लिए छोटी देवकाली चौराहे के समीप मौर्य मिष्ठान तक श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई.रामपथ के निवासियों का कहना है कि अपने जीवनकाल में हनुमान गढ़ी में दर्शन हेतु इतनी लंबी कतार उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. वहीं, राम मंदिर में भी पूरे दिन श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा.

एसएसपी ने संभाला मोर्चा

भीड़ में मोर्चा संभालने के लिए जिले के पुलिस कप्तान राज करण नैयर को खुद ग्राउंड पर उतरना पड़ा. राम पथ, लता मंगेशकर चौक, हनुमानगढ़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एक-एक घंटे पर इन जगहों पर पैदल मार्च किया तथा व्यवस्थाओं को परखा. इस दौरान पूरे दिन श्रद्धालु नाचते गाते राम नाम का कीर्तन करते हुए सरयू घाट से राम मंदिर और हनुमानगढ़ी तक देखें गए.

मुकेश अंबानी का सैनिकों को तोहफा, सियाचिन ग्लेशियर पर भी मिलेगी 5G कनेक्टिविटी

रिलायंस जियो अपने कस्टमर्स को बेहतर कनेक्टिविटी और देश के हर कोने तक पहुंचने पर काम कर रहा है. अब जियो ने दुनिया के सबसे ऊंचे वॉर जोन में भी अपनी 5G सर्विस शुरु कर दी है. भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स’ ने एक अपनी एक्स पोस्ट में इस बात की जानकारी दी है. जियो टेलीकॉम और भारतीय सेना ने मिलकर दुनिया के सबसे ऊंचे वॉर जोन सियाचिन ग्लेशियर पर पहला 5G मोबाइल टॉवर इंस्टॉल कर दिया है.

15 जनवरी को सेना दिवस है इससे ठीक पहले सियाचिन ग्लेशियर पर 4G और 5G सर्विस शुरु कर जियो ने सेना को बढ़िया तोहफा दिया है. जियो देश का पहला ऑपरेटर है जिसने सियाचिन ग्लेशियर पर सर्विस शुरु कर अचीवमेंट हासिल की है.

जियो 5जी टावर

इतनी ऊंचाई पर टावर लगाना काफी मुश्किल होता है. जियो ने अपनी स्वदेशी फुल-स्टैक 5G टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. ये 5जी टावर उत्तरी ग्लेशियर पर इंस्टॉल किया गया है. इस एरिया में टेपंरेचर 50°C से गिर जाता है. यहां पर ठंडी हवाएं और बर्फीले तूफान आते रहते हैं.

जियो देगा प्रीमियम यूट्यूब सब्सक्रिप्शन

इसके अलावा जियो यूजर्स के लिए एक और खुशखबरी है. अब Reliance Jio अपने यूजर्स को फ्री यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्रिप्शन भी देने वाली है. ये सब्सक्रिप्शन दो साल की वैलिडिटी का होगा. जियो ने फ्री यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्रिप्शन देने का एलान कर दिया है. हालांकि इसका फायदा सलेक्टेड JioFiber और Jio AirFiber यूजर्स को मिलेगा.

JioFiber और JioAirFiber में यूट्यूब सब्सक्रिप्शन

JioFiber और JioAirFiber के कई प्लान्स में आपको फ्री प्रीमियम यूट्यूब सब्सक्रिप्शन मिलता है. कंपनी के 888 रुपये, 1,499 रुपये, 2,499 रुपये, 3,499 रुपये और 1,199 रुपये, वाले पोस्टपेड प्लान में आपको ये बेनिफिट मिलता है. इन प्लान्स में आपको फ्री में YouTube प्रीमियम ऑफर किया जाता है. इसका मतलब आप इन प्लान्स को लेकर यूट्यूब पर कोई भी कंटेंट बिना किसी ऐड और रुकावट के देख सकते हैं.

मौसम विभाग के 150 साल पूरे होने पर पीएम मोदी ने लॉन्च किया 'मिशन मौसम'

भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया. साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौसम वैज्ञानिकों से भूकंप की चेतावनी देने वाला तंत्र विकसित करने के लिए कहा. ताकि समय रहते इससे देश को होने वाले नुकसान को रोका या कम किया जा सके. साथ ही पीएम ने कहा कि जहां पिछली सरकारों में प्राकृतिक आपदाओं में हजारों लोगों की जान जाने पर उसे नियति कहकर टाल दिया जाता था, वहीं आज मौसम से जुड़ा हर अपडेट व्हाट्सऐप पर मिल जाता है. यहा कारण है कि पिछले 10 सालों में कई साइक्लोन आए पर जनहानि या तो जीरो रही या सबसे कम.

भारतीय वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा कि आज हमारा Flash Flood Guidance System भारत के पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका को भी सूचनाएं दे रहा है. साथ ही अगर हमारे पड़ोस में कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो भारत सबसे पहले मदद के लिए मौजूद रहता है, जिससे दुनिया में भारत को लेकर भरोसा भी बढ़ा है.

पीएम ने सुनाया मौसम से जुड़ा एक किस्सा

भारतीय मौसम विभाग की स्थापना 1875 में मकर संक्रांति के ही करीब 15 जनवरी को हुई थी. आज के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मिशन मौसम लांच करने के साथ ही आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया. मिशन मौसम का मकसद देश को मौसम के लिए तैयार होने, देश को क्लाइमेट-स्मार्ट बनाने, वेदर मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर नेक्स्ट जनरेशन रडार, सैटेलाइट और हाई-पर्फॉर्मिंग सुपर कंप्यूटर विकसित करना है. ताकि देश को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और प्राकृतिक आपदा से बेहतर तरीके से निपटने में मदद मिल सके.

विजन 2047 दस्तावेज में मौसम के पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की योजनाएं शामिल है. ये दस्तावेज मॉडर्न वेदर मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए मददगार होगा. इस मौके पर पीएम ने अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हुए मौसम विभाग के पूर्वानुमान करने की तकनीक की तारीफ की.

पीएम ने कहा कि सोमवार को वो सोनमर्ग में थे, जिसका कार्यक्रम जल्दी बना था लेकिन मौसम विभाग की सारी जानकारियों से पता चला कि मेरे लिए वो समय उचित नहीं है. फिर मौसम विभाग ने मुझे बताया कि साहब 13 तारीख ठीक है. तब कल मैं वहां गया, माइनस 6 डिग्री टेंपरेचर था लेकिन जितना समय मैं वहां रहा, एक भी बादल नहीं था. धूप खिली हुई थी. मौसम विभाग की सूचना के कारण इतनी सरलता से मैं कार्यक्रम करके लौटा.

पीएम की स्पीच की मुख्य बातें

मौसम विभाग के Early Warning for All सुविधा की पहुंच आज देश की 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी तक हो रही है. कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पिछले 10 दिन और आने वाले 10 दिन के मौसम की जानकारी ले सकता है. मौसम से जुड़ी भविष्यवाणी सीधे व्हाट्सऐप पर भी पहुंच जाती है. मेघदूत मोबाइल एप से देश की सभी स्थानीय भाषाओं में जानकारी मिलती है.

10 साल पहले देश के सिर्फ 10% किसानों और पशुपालकों को मौसम से जुड़ी जानकारी मिलती थी. आज ये संख्या 50% से ज्यादा हो गई है. यहां तक कि बिजली गिरने की जानकारी भी मोबाइल पर मिलती है. देश के लाखों समुद्री मछुआरों को जो समंदर में जाते हैं, उनको रियल टाइम अपडेट मिल रहा है.

पिछले 10 सालों में मौसम विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी में विस्तार हुआ है.

इसका उदाहरण Doppler Weather Radar, Automatic Weather Stations, Runway weather Monitoring Systems, District-wise Rainfall Monitoring stations हैं.

मौसम विज्ञान को भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी और डिजिटल टेक्नोलॉजी का भी पूरा फायदा मिल रहा है. आज देश के पास अंटार्टिका में मैत्री और भारती नाम के 2 मौसम संबंधी वेधशालाएं हैं.

पिछले साल अर्क और अरुणिका सुपर कंप्यूटर्स शुरू किए गए हैं.

इससे मौसम विभाग की विश्वसनीयता भी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ी है. भविष्य में भारत, मौसम की हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे, भारत एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बनें, इसके लिए हमने मिशन मौसम भी लॉन्च किया है. मिशन मौसम Sustainable Future और Future Readiness को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.

बता दें कि आज के इस कार्यक्रम के लिए 1875 में अविभाजित भारत का हिस्सा रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों को भी न्योता दिया था. हालांकि, बांग्लादेश ने सरकारी खर्चे पर गैर जरूरी विदेशी यात्रा पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया. पर बाकि देशों ने आने की रजामंदी दी थी. हालांकि ऐने मौके पर कुछ वजहों से इन देशों के प्रतिनिधि भारत नहीं पाए. कुछ देशों के दिल्ली स्थित दूतावास के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में शिरकत की.

मकर संक्रांति पर अमित शाह ने उड़ाई पतंग, गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर को किया सलाम

गृह मंत्री अमित शाह का मकर संक्रांति के मौके पर काइट फ्लाइंग का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. उन्होंने इस खास मौके पर अहमदाबाद के मेमनगर क्षेत्र स्थित शांति निकेतन अपार्टमेंट की छत से पतंग उड़ाई, जो गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है. अमित शाह ने इस परंपरागत पर्व को बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया, और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर पतंगबाजी का आनंद लिया. उनके साथ उनकी पत्नी सोनलबेन और बेटा जय शाह भी इस मौके पर उपस्थित थे.

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को गुजरात में तीन दिन की यात्रा की शुरुआत की. इस दौरान, उन्होंने अहमदाबाद में मकर संक्रांति के मौके पर स्थानीय लोगों के साथ पतंग उड़ाई और गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर को सराहा. अमित शाह के इस उत्सव में शामिल होने से न केवल गुजरातवासियों में खुशी का माहौल था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार और नेताओं का लोक संस्कृति के प्रति कितना सम्मान है. इस दौरान, अमित शाह ने मकर संक्रांति के मौके पर स्थानीय जनता से मिलकर उन्हें इस पर्व की शुभकामनाएं दी.

विकास के कामों का करेंगे शुभारंभ

अपने गुजरात दौरे के पहले दिन, अमित शाह ने अहमदाबाद के जमालपुर इलाके में स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए और पूजा अर्चना की. इसके अलावा, उन्होंने घाटलोडिया क्षेत्र में 920 मकानों और एक नए पुलिस थाने की इमारत का शिलान्यास किया. शाह ने यहां के कुछ महत्वपूर्ण विकास कार्यों की नींव रखी और गुजरात में जारी विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने का संदेश दिया.

वडनगर शहर का करेंगे दौरा

अमित शाह का गुजरात दौरा 16 जनवरी तक चलेगा, जिसमें वे मेहसाणा जिले के वडनगर शहर का दौरा करेंगे. यहां वे कई परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिनमें एक म्यूज़ियम और एक खेल परिसर प्रमुख हैं. इसके अलावा, वे शहर स्थित साइंस कॉलेज में एक सभा को संबोधित करेंगे और हाटकेश्वर मंदिर में दर्शन करेंगे. इसके साथ ही, वे गांधीनगर स्थित गणपत विश्वविद्यालय के 18वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे. अमित शाह अहमदाबाद के सरदार पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ‘फास्ट-ट्रैक इमिग्रेशन’ कार्यक्रम की शुरुआत भी करेंगे, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर यात्रियों की प्रक्रिया को सरल बनाना है.

मकर संक्रांति पर कितने करोड़ लोगों ने लगाई संगम में डुबकी, आ गया आंकड़ा

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति के मौके पर मंगलवार को 2.50 करोड़ से अधिक लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है. इस मौके पर सभी 13 अखाड़ों से जुड़े साधु संतों ने अमृत स्नान किया. मेला प्रशासन ने सुबह तीन बजे से शाम को तीन बजे तक संगम में डुबकी लगाने वालों का आंकड़ा जारी किया है. इसमें दावा किया है कि इतने समय में करीब 2.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई है. वहीं देर शाम तक और 50 लाख श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की संभावना है.

मेला प्रशासन के मुताबिक परंपरा के तहत सबसे पहले अखाड़ों ने अमृत स्नान किया. सबसे पहले सन्यासी अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु अमृत स्नान के लिए निकले. इसके बाद श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने हर हर महादेव के नारे लगाते हुए अमृत स्नान करने पहुंचे. अमृत स्नान संपन्न होने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी ने मीडिया से बात की. उन्होंने बताया कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है. वहीं जब 12 पूर्ण कुंभ पूरे होते हैं तो 144 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है.

सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने किया शाही स्नान

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाने का अवसर सौभाग्यशाली लोगों को ही मिल पाता है. इस पवित्र मौके पर महानिर्वाणी अखाड़े से ही 68 महामंडलेश्वर और हजारों की संख्या साधु संतों ने अमृत स्नान किया है. इसी प्रकार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी की अगुवाई में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया. उनके पीछे अखाड़ों के ध्वज और फिर आराध्य देवता कार्तिकेय स्वामी और सूर्य नारायण की पालकी चल रही थी.

नागा सन्यासियोंं के बीच कैलाशानंद गिरी का रथ

वहीं सबसे पीछे नागा सन्यासियों की टोली थी. इनके बीच में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि रथ पर सवार होकर चल रहे थे. इस दौरान अखाड़ा परिषद के के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने बताया कि निरंजनी के 35 महामंडलेश्वरों के अलावा हजारों की संख्या में नागा सन्यासियों ने इस मौके पर अमृत स्नान किया है. इस मौके पर निरंजनी अखाड़े की साध्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अमृत स्नान किया. मेला प्रशासन के मुताबिक निरंजनी और आनंद अखाड़े के बाद जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंचअग्नि अखाड़े के हजारों साधु संतों ने संगम में डुबकी लगाई.

निर्मल अखाड़े आखिर में किया अमृत स्नान

जूना के साथ ही किन्नर अखाड़े के संतों ने भी अमृत स्नान किया. सन्यासी अखाड़ों के स्नान करने बाद तीन बैरागी अखाड़ों- श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के साधु संत स्नान करने पहुंचे. इनके बाद उदासीन अखाड़ों- पंचायती नया उदासीन और पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े के साधु संतों ने स्नान किया.सबसे आखिर में श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने डुबकी लगाई.