पटना कॉलेज 163वां स्थापना दिवस आज, जानिए इसका गौरवशाली इतिहास
डेस्क : कभी बिहार, झारखंड, ओडिसा और नेपाल का एकमात्र सबसे पुराना माना जानेवाला पटना कॉलेज परंपरा और प्रगति के विभिन्न पड़ावों को पार करता हुआ आज गुरुवार को 162 वर्ष का हो गया। आज गुरुवार को कॉलेज 163वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। इस कॉलेज के कीर्तिमानों का एक लंबा इतिहास रहा है।
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सच्चिदानंद सिन्हा, जयप्रकाश नारायण समेत कई महापुरुषों के व्यक्तित्व निर्माण में पटना कॉलेज की प्रमुख भूमिका रही है। बिहार के शैक्षिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक गतिविधियों का यह कॉलेज न सिर्फ केंद्र रहा है, बल्कि उत्प्रेरक भी रहा है। स्थापना के 163वें वर्ष में प्रवेश करने पर आयोजित समारोह के दौरान फिर से कुछ नया इतिहास रचे जाने की उम्मीद है।
पटना कॉलेज का 163वां स्थापना दिवस समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा। समारोह का उद्घाटन पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एलएल राम और वर्तमान कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह करेंगे। कार्यक्रम को लेकर कॉलेज ने पूरी तैयारी कर ली है। आयोजन सेमिनार हॉल में किया जाएगा। समारोह को लेकर पटना कॉलेज को दुल्हन की तरह सजाया गया है। इनके अलावा इस कॉलेज में पढ़े कई पूर्ववर्ती छात्र भी भाग लेंगे। पटना कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हम कॉलेज के 163वां स्थापना दिवस मना रहे है। कॉलेज पुरानी परंपरा की जीवंत करने में लगा हुआ है। नये-नये काम होंगे।
बतातें चलें कि नौ जनवरी 1863 को कॉलेज की स्थापना की गयी थी। 1863 से लेकर 1917 तक यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा था। पटना कॉलेज में बीए की पढ़ाई 1867 से शुरू हुई। उस समय वकालत, विज्ञान, इंजीनियरिंग और कला की पढ़ाई होती थी। बाद में सायंस कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज में इन विषयों की पढ़ाई होने लगी. ये सभी कॉलेज पटना कॉलेज से ही निकले। इसलिए पटना कॉलेज को मदर बोर्ड भी कहा जाता है। पटना विश्वविद्यालय भी पटना कॉलेज से ही बनी।
पटना कॉलेज ने सैकड़ों विद्वान, प्रशासक, देशभक्त, अधिकारी, वकील, जज, पत्रकार, लेखक पैदा किये हैं। जिनमें बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण, जयप्रकाश नारायण, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’, अनुग्रह नारायण सिन्हा, सच्चिदानंद सिन्हा, डॉ टीपी सिंह, सर सुल्तान अहमद, इतिहासकार राम नारायण शर्मा, सैयद हसन अस्करी, योगेंद्र मिश्र, जगदीश चंद्र झा, गोरखनाथ सिंह, पंडित राम अवतार शर्मा, बलिराम भगत, टीपी सिंह, मुचकुंद दूबे, आरएस शर्मा, यशवंत सिन्हा, प्रो पी दयाल, अंजनी कुमार सिंह, डॉ अजीमुद्दीन अहमद, अरबी सर यदुनाथ सरकार, डॉ सुविमल चंद सरकार, डॉ डीएम दत्त, जेपी नड्डा व अन्य कई नाम शामिलि है।
वहीं इस कॉलेज ने शिक्षा के क्षेत्र में कॉलेज ने अनेक रत्नों दिये। कलीमुद्दीन अहमद, अख्तर औरेनवी अहमद और एस सदरूद्दीन अहमद उर्दू के विद्वान थे। बंगला साहित्य के जानेमाने हस्ती थे सरदींदु बनर्जी। भवानीचरण भट्टाचार्या और अमीया चक्रवर्ती अंग्रेजी के प्रसिद्ध ज्ञाता थे। रामाधारी सिंह दिनकर। शसमसुद्दीन अहमद हफीद और सैयद हसन उर्दू के, इकवाल हुसैन फासरी के, हरि मोहन झा मैथिली के, जनार्दन झा हिंदी कविता के, रमानाथ झा मैथिली के इतिहास के क्षेत्र में, सुभद्र झा मैथिली आलोचना के लिए, प्राणनाथ महंती उड़ीया भाषा के क्षेत्र में, खड्गमन मल्ल नेपाली लेख में, उपन्यासकार कृपनाथ मिश्र, बंगला कवि कलिंदी चरण पाणिग्रही एवं बैकुंठ नाथ पटनायक, हिंदी के विश्वनाथ प्रसाद, बंगला साहित्यकार एवं कवि आनंद शंकर रे, बंगला पत्रकार मनिंद्र चंद्र समाद्दार, हिंदी ड्रामा विशेषज्ञ देवेंद्र नाथ वर्मा, हिंदी कवि नलिन विलोचन शर्मा, साहित्यकार दिवाकर प्रसाद विद्यार्थी, साहित्यकार धर्मेंद्र ब्रह्मचारी, उर्दू के साहित्यकार अब्दुल बदूद आदि विद्यानों ने पटना कॉलेज का नाम जिस रूप में रौशन किया है। वह कॉलेज के लिए अब तक गौरव की बात है। जानेमाने इतिहासकार प्रो रामशरण शर्मा, प्रो सय्यद हसन अस्करी, प्रो केके दत्त, राजनीति शास्त्रत्त् के विद्वान प्रो मेनन, प्रो फिलिप्स और अर्थशास्त्रत्त् के प्रोफेसर बाथेजा जैसे शिक्षक यहां की गरिमा में चार चांद लगाते थे।
Jan 10 2025, 09:20