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दिल्ली का हिमाचल भवन होगा कुर्क, जानें हाईकोर्ट के फैसले से कैसे बढ़ी सुक्खू सरकार की परेशानी

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली के 27 सिकंदरा रोड मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया है। यह आदेश इसलिए दिया गया है क्योंकि सुखविंदर सिंह सुक्खू हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने वाली एक कंपनी को 64 करोड़ रुपये नहीं लौटा पाई। सुक्खू सरकार को हाईकोर्ट ने ये राशि चुकाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार ने हाईकोर्ट का ये आदेश नहीं माना।यह रकम अब ब्याज सहित 150 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने पारित किया, जिससे प्रदेश सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं और सचिवालय में हलचल मच गई है।

कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव को इस बात की तथ्यात्मक जांच करने का आदेश भी दिया कि किस विशेष अधिकारी अथवा अधिकारियों की चूक के कारण 64 करोड़ रुपये की सात प्रतिशत ब्याज सहित अवॉर्ड राशि कोर्ट में जमा नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों का पता लगाना इसलिए आवश्यक है क्योंकि ब्याज को दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों से व्यक्तिगत रूप से वसूलने का आदेश दिया जाएगा।

कोर्ट ने 15 दिन के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट अगली तिथि को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया। मामले पर सुनवाई छह दिसंबर को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 13 जनवरी 2023 को प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता की ओर से जमा किए गए 64 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तिथि से इसकी वसूली तक सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था।

सुक्खू सरकार एक गंभीर संकट

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार के लिए यह निर्णय एक गंभीर संकट का संकेत है, क्योंकि अदालत ने बिजली कंपनी को न केवल अपनी रकम वसूलने के लिए हिमाचल भवन को नीलाम करने का आदेश दिया है, बल्कि प्रारंभिक प्रीमियम के मामले में पार्षद और अधिकारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाए हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि प्रधान सचिव बिजली इस मामले की फैक्ट फाइंडिंग जांच करें और यह पता लगाएं कि कौन से अधिकारी जिम्मेदार थे जिन्होंने वक्त पर रकम नहीं जमा की। अदालत ने यह भी कहा कि ब्याज की रकम उन जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जाए।

क्या है मामला?

यह मामला सेली हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़ा है, जिसे मोजर बीयर कंपनी को लाहुल स्पीति में चिनाब नदी पर 400 मेगावाट के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए दिया गया था। लेकिन परियोजना नहीं लग पाई और मामला आर्बिट्रेशन में चला गया, जहां कंपनी के पक्ष में फैसला आया। आर्बिट्रेटर ने 64 करोड़ रुपये के प्रीमियम के भुगतान का आदेश दिया, लेकिन सरकार ने समय पर यह रकम जमा नहीं की, जिससे ब्याज सहित रकम बढ़कर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई। अदालत ने पहले ही सरकार को आदेश दिया था कि वह रकम जमा करे, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया। इस कारण हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया गया और अब नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

दिल्ली के मंत्री गोपाल राय ने पीएम मोदी से लगाई गुहार, इस बात के लिए मांगी मदद
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* राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की वजह से सांस लेना दूभर हो रहा है। ग्रेप-4 लागू करने के बाद भी प्रदूषण पर कंट्रोल नहीं किया जा सका है। एक्यूआई लगातार बढ़ रहा है।दिल्ली के पर्यावण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि राजधानी में प्रदूषण को हटाने के लिए कृत्रिम बारिश की जरूरत है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कृत्रिम बारिश के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिखी है। साथ ही आप मंत्री ने आरोप लगाया है कि पिछले कई बार से चिट्ठी लिखी जा रही है, लेकिन केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली जिस तरह की मेडिकल इमरजेंसी से गुजर रही है, ऐसे में स्मॉग को तोड़ने के लिए कृत्रिम वर्षा या फिर तेज हवा की जरूरत है। राय ने कहा कि लगातार चिट्ठी लिखने और अपील के बावजूद केंद्र को एक मीटिंग बुलाने की भी फुर्सत नहीं है। दिल्ली सरकार के मंत्री ने कहा कि पिछले 3 दिनों से पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण है। लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो रहा है। ग्रेप 4 के नियम लगा दिए गए हैं। हमने वाहनों के प्रदूषण को रोकने के लिए प्राइवेट से लेकर कमर्शियल वाहनों तक पर पाबंदी लगाई है। पिछले साल समय कम था लेकिन इस बार हमने अगस्त में ही जरूरत पड़ने पर आर्टिफिशियल रेन कराने की तैयारी की थी। मंजूरी और बैठक के लिए मैंने पहली चिट्ठी 30 अगस्त को लिखी, दूसरी 10 अक्टूबर को और फिर तीसरी 23 अक्टूबर को लिखी, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। *पीएम मोदी करें हस्तक्षेप- गोपाल राय* मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अक्टूबर में लंबी गुहार के बाद केंद्रीय कृषि और पर्यावरण मंत्री के साथ ऑनलाइन मीटिंग हुई। आज दिल्ली एक मेडिकल इमरजेंसी से गुजर रही है। इस स्मॉग को तेज हवा या बारिश से ही तोडा था रहा है। आज भारत में बीजेपी की ऐसी केंद्र में सरकार बैठी है जो लगातार चिट्ठी लिखने और अपील करने के बावजूद मंत्री को एक मीटिंग बुलाने की फुर्सत नहीं है। मंजूरी मिलना बाद की बात है। अगर किसी विदेश के मंत्री से इतनी अपील की होती तो वो भी मीटिंग कर लेता। उन्होंने पीएम मोदी से अपील करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी इस मामले में हस्तक्षेप करिए, या तो बैठक करें या फिर इस समस्या का समाधान दीजिए। अगर समाधान नहीं है तो कृत्रिम बारिश के लिए बैठक कराई जाए।
राहुल गांधी पहुंचे स्वर्ण मंदिर, जानें किस बात को लेकर उठ रहे सवाल ?

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पंजाब में 20 अक्तूबर को चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। इससे पहले सोमवार को देर शाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर पहुंचे। राहुल गांधी श्री हरमंदिर साहिब में नतमस्तक हुए। इस दौरान उन्होंने जल सेवा की। वहीं उनके इस दौरे से एक महिला श्रद्धालु खासी नाराज दिखीं।दरअसल स्वर्ण मंदिर में राहुल गांधी को वीआईपी ट्रीटमेंट देने के लेकर एक लड़की ने आपत्ति जताई है।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार देर शाम स्वर्ण मंदिर में मत्था। माथा टेकने के बाद उन्होंने गुरबाणी कीर्तन सुना और संगत को पानी पिलाने की सेवा निभाई। इस दौरान राहुल गांधी के साथ गुरजीत सिंह औजला और पूर्व डिप्टी सीएम ओम प्रकाश सोनी समेत कई नेता थे। मंदिर परिसर में राहुल गांधी को वीआईपी ट्रीटमेंट देने को लेकर एक लड़की भड़क गई और मंदिर परिसर में ही उसने हंगामा मचा दिया। लड़की का आरोप था कि राहुल गांधी को स्वर्ण मंदिर में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया। लाइन में लगे लोगों को साइड करके राहुल गांधी को आगे बढ़ाया गया और उन्हें अलग से दर्शन कराया गया। 

आरोप लगाने वाली लड़की ने सवाल किया कि गुरु जी के दरबार में जब सब बराबर हैं तो राहुल गांधी को स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों दिया गया। लड़की ने कहा कि राहुल गांधी अगर वीआईपी हैं, तो स्पेशल ट्रीटमेंट गुरुघर के बाहर होगा। गुरुद्वारे के अंदर सब बराबर हैं।

पंजाब में 20 नवंबर को चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नेता राहुल गांधी सोमवार रात को अमृतसर पहुंचे थे।उपचुनाव मतदान से पहले श्री हरमंदिर साहिब माथा टेकने के लिए पहुंचे राहुल गांधी ने पंजाब के वोटरों को संदेश दिया कि कांग्रेस पंजाब, पंजाबियों व सिखों के साथ है। कांग्रेस हमेशा ही पंजाब की भलाई व विकास के लिए काम करती रही है। आज भी यह पंजाब और पंजाबियों के लिए पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने यह संदेश देने का भी प्रयास किया कि कांग्रेस पार्टी सिखों की दुश्मन पार्टी नहीं है।

*जी 20 समिट में मोदी-बाइडेन के बीच मुलाकात, हाथों में हाथ डाले दिखे दोनों नेता, कुछ ऐसी रही मुलाकात
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए ब्राजील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में हैं। सोमवार को 19वीं जी20 समिट की शुरुआत हो गई है। जी20 समिट दो दिन 18 और 19 नवंबर को होगी। पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दुनिया के बाकी वर्ल्ड लीडर्स वेन्यू पर पहुंचे, जहां ब्राजीली राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा और उनकी पत्नी ने मेहमानों का स्वागत किया। समिट के दौरान पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक-दूसरे से मुलाकात की।यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद उनकी पहली मुलाकात थी। मोदी ने मुलाकात की एक तस्वीर के साथ सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “रियो डी जेनेरियो में जी 20 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ। उनसे मिलकर हमेशा खुशी होती है।” फोटो में मोदी और बाइडेन एक-दूसरे का हाथ थाम कर चर्चा करते नजर आ रहे हैं। हालांकि, यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि मोदी और बाइडेन के बीच क्या बातचीत हुई। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और बाइडेन के बीच द्विपक्षीय बैठक को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है। अगर जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं के बीच कोई पूर्व-निर्धारित वार्ता नहीं होती है, तो यह संक्षिप्त मुलाकात अगले साल बाइडेन द्वारा रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी राष्ट्रपति पद सौंपने से पहले उनकी अंतिम आमने-सामने की मुलाकात हो सकती है। अमेरिका में हाल में खत्म हुए राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई है। वैसे बाइडन चुनावी रेस से बीच में बाहर हो गए थे, लेकिन मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस चुनावी मैदान में थीं और उन्हें ट्रंप ने हरा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राज़ील में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के अलावा फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और ब्रिटेन के पीएम केर स्टार्मर से भी मुलाकात की। तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की हैं।
भारत में मेटा पर लगा 213 करोड़ का जुर्माना, यूजर्स के डेटा से जुडा है मामला

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फेसबुक और वाट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने सोमवार को 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। मेटा पर सीसीआई ने यह जुर्माना 2021 में वाट्सऐप प्राइवेसी अपडेट के संबंध में अनुचित व्यावसायिक तरीकों को अपनाने पर लगाया है। वहीं दूसरी ओर व्हाट्सएप पर मेटा की दूसरी कंपनियों के साथ डेटा शेयर करने पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही, सीसीआई ने मेटा को प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार को रोकने और इस तरह की हरकत से दूर रहने का भी निर्देश दिया है।

एक आदेश में कहा गया कि प्रतिस्पर्धा नियामक ने सोमवार को मेटा पर अपनी दबदबे का दुरुपयोग करने के लिए 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। सीसीआई ने डॉमिनेंस का दुरुपयोग करने के खिलाफ आदेश पारित करते हुए कहा कि यह जुर्माना इस बात से जुड़ा है कि व्हॉट्सएप की 2021 की निजता नीति को कैसे लागू किया गया, उपयोगकर्ता डेटा कैसे जमा किया गया और इसे मेटा की अन्य कंपनियों के साथ साझा किया गया।

वहीं दूसरी ओर सीसीआई ने व्हाट्सएप को अपने प्लेटफॉर्म पर कलेक्ट किए गए यूजर डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए अन्य मेटा प्रोडक्ट्स या कंपनियों के साथ पांच साल की अवधि के लिए शेयर ना करने का भी निर्देश दिया है। यह रोक 5 साल के लिए लगाई गई है।विज्ञापन के अलावा दूसरे मकसद से वट्सऐप यूजर डेटा शेयर करने के मामले में वट्सऐप पॉलिसी में मेटा की दूसरी कंपनियों के साथ शेयर किए गए डेटा की विस्तृत जानकारी देनी होगी। इसमें बताना होगा कि किस उद्देश्य से डेटा साझा किया गया। हर डेटा की साझेदारी का मकसद साफ करना होगा।

सीसीआई ने मार्च 2021 में व्हाट्सएप की रिवाइज्ड प्राइवेसी पॉलिसी की जांच शुरू की, जिसने डेटा कलेक्शन के विस्तारित दायरे के साथ-साथ फेसबुक (अब मेटा) और उसकी कंपनियों के साथ अनिवार्य डेटा शेयरिंग को सक्षम बनाया। इससे पहले, 2016 से यूजर्स के पास यह तय करने का विकल्प था कि उन्हें अपना डेटा कंपनी के साथ शेयर करना है या नहीं। जनवरी 2021 से यूजर्स के लिए लागू होने वाली पॉलिसी फरवरी 2021 से प्रभावी होने वाली थी। व्हाट्सएप को चालू रखने के लिए यूजर्स को नई शर्तों को स्वीकार करने की आवश्यकता थी।

उसके बाद इसको लेकर काफी आलोचना की गई और मेटा ने इस रोलआउट को कैंसल कर दिया था। व्हाट्सएप ने बाद में स्पष्टीकरण भी जारी किया जिसमें कहा गया कि पॉलिसी अपडेट यूजर्स के अपने दोस्तों या परिवार के साथ पर्सनल मैसेज की प्राइवेसी को प्रभावित नहीं करेगा और इस बात पर जोर दिया कि बदलाव एप्लिकेशन द्वारा पेश की गई वैकल्पिक व्यावसायिक सुविधाओं से संबंधित थे।साढ़े तीन साल से अधिक की जांच के बाद, सीसीआई ने पाया कि व्हाट्सएप की ‘टेक-इट-या-लीव-इट’ पॉलिसी अपडेट फेयर नहीं थी।

भारत से FTA वार्ता फिर शुरू करेगा ब्रिटेन, मोदी-स्टार्मर मुलाकात के बाद डाउनिंग स्ट्रीट का बड़ा एलान, क्या है इसका मतलब?

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ब्राजील में चल रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिटेन ने नए साल में भारत के साथ फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने की बात कही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने पीएम मोदी से मीटिंग के बाद इस बात की घोषणा कर दी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी की तलाश करेगा, जिसमें व्यापार समझौता और सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना शामिल है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के प्रवक्ता ने कहा, ब्रिटेन भारत के साथ एफटीए पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है, जो दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है। डाउनिंग स्ट्रीट ने स्टार्मर के हवाले से एक बयान में कहा, भारत के साथ एक नए एफटीए से ब्रिटेन में रोजगार और समृद्धि बढ़ेगी और यह हमारे देश में विकास और अवसर लाने के हमारे मिशन को एक कदम आगे ले जाएगा।

पीएम मोदी ने भी पहल को सराहा

प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन की तरफ से किए गए इस ऐलान का स्वागत किया और कहा कि भारत के लिए, यू.के. के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी अत्यधिक प्राथमिकता वाली है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मोदी ने कहा कि हम व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करना चाहते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने भी कहा कि द्विपक्षीय बैठक ने भारत-यू.के. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को नई गति दी है।

भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

आपको बता दें, कि भारत और यूके जनवरी 2022 से मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं और इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान से बातचीत रुकी हुई है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जून तक 12 महीनों में द्विपक्षीय व्यापार संबंध 42 बिलियन ब्रिटिश पाउंड के बराबर था। मुक्त व्यापार समझौते से इस आंकड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यू.के. में लेबर पार्टी की सरकार घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साधन के रूप में व्यापार अनुकूल संदेश को उजागर करने में दिलचस्पी रखती है।

यह घोषणा दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को गहरा करने के लिए नए सिरे से प्रयास को दर्शाती है। डाउनिंग स्ट्रीट ने भारत के साथ एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित करने के यूके के इरादे को सामने रखा है, जिसमें व्यापक व्यापार समझौते और सुरक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और जलवायु परिवर्तन में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का प्रहार, AQI 500 पार, ठंड और कोहरे का भी कहर*
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दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में घने कोहरे के साथ ठंड शुरू हो गई है। मंगलवार को भी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी के कुछ जिलों में सुबह के समय बेहद कम विजिबिलिटी दर्ज की गई। दिल्ली में तो कोहरे और ठंड के साथ ही प्रदूषण का ट्रिपल अटैक दिख रहा है। दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई है। वायु प्रदूषण से दिल्लीवालों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसा लग रहा है कि पूरा दिल्ली-एनसीआर गैस चैंबर बन चुका है। देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में एक्यूआई 500 या उससे ज्यादा तक पहुंच चुका है। मंगलवार को सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 498 तक पहुंच गया। दिल्ली के अधिकांश इलाकों का एक्यूआई 500 के पार आनंद विहार 500 अशोक विहार 500 बवाना 500 नरेला 500 पालम 500 नेहरू नगर 500 मुंडका 500 ओखला 500 करणी सिंह शूटिंग रेंज 500 द्वारका 500 मथुरा रोड 499 दिलशाद गार्डन 498 जे एल एन 500 नार्थ कैंपस 500 आयानगर 498 जहांगीरपुरी 500 नजफगढ़ 499 लोधी रोड 498 मेजर ध्यान चंद स्टेडियम 500 विशेषज्ञों के मुताबिक, एक्यूआई का 500 के करीब होना बताता है कि हवा में विषैले कणों की मात्रा इतनी अधिक हो गई है कि यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनकी उम्र कम या ज्यादा है और जिन्हें सांस की बीमारियां हैं। प्रदूषण के इस खतरनाक स्तर के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वायु प्रदूषण को लेकर हालात बहुत ही चिंताजनक हो गए हैं। लोग अब मास्क पहनकर घर से बाहर निकल रहे हैं, ताकि वह प्रदूषण से बच सकें। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक्यूआई 450 के पार पहुंच जाने के बाद दिल्ली व एनसीआर में चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों को लागू करने का आदेश दिया है। जिनमें ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध तथा सार्वजनिक परियोजनाओं में निर्माण गतिविधियों को स्थगित करना शामिल है। दिल्ली, हरियाणा के बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) जिला प्रशासन ने सोमवार रात को सभी विद्यालयों में 12वीं कक्षा तक की प्रत्यक्ष कक्षाएं स्थगित करने का आदेश दिया और कहा कि क्षेत्र में खराब वायु गुणवत्ता के कारण पढ़ाई ऑनलाइन जारी रहेगी।
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिल्ली-एनसीआर में स्कूलों को बंद करने के आदेश

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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति लगातार गहराती जा रही है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि कोर्ट रूम के अंदर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 990 से ऊपर है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर एक्यूआई 400 से नीचे चला जाता है, तब भी जीआरएपी का चौथा चरण उसके अगले आदेश तक लागू रहेगा और उसने सभी एनसीआर राज्यों को जीआरएपी का चौथा चरण लागू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एनसीआर में भी सभी स्कूल कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य और केंद्र का संवैधानिक दायित्व है कि नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रैप चरण 3 और 4 के सभी खंडों के अलावा, सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाने चाहिए कि स्थिति सामान्य हो जाए। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष गुरुवार तक आदेश के पालन को लेकर हलफनामा दाखिल करें। शुक्रवार को सुनवाई होगी।

ग्रैप 4 की निगरानी के लिए टीम गठित करने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर सरकारों को ग्रैप चरण 4 को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही अदालत ने सभी एनसीआर राज्यों को ग्रैप 4 के तहत जरूरी कामों की निगरानी के लिए तत्काल टीमों का गठन करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि वे ग्रैप 4 में दिए गए कदमों पर तुरंत निर्णय लें और अगली सुनवाई की तारीख से पहले उन्हें उसके समक्ष रखें। कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर सरकारों को इस कदम के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का भी निर्देश दिया।

12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए

कोर्ट ने एनसीआर राज्यों को आदेश दिया कि 12वीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर दिया जाए और सभी कक्षाओं को ऑनलाइन मोड में संचालित किया जाए। कोर्ट ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्राथमिकता होनी चाहिए और यह जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है कि वे प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करें।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग पर भी सवाल

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि एक्यूआई 400 पार करने के बावजूद ग्रैप स्टेज 3 और स्टेज 4 को लागू करने में देरी हुई। कोर्ट ने कहा कि 12 नवंबर को एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया था, लेकिन ग्रैप स्टेज 3, 14 नवंबर को लागू किया गया और स्टेज 4 आज सुबह ही प्रभावी हो पाया।

बता दें कि रविवार को ही दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर 460 एक्यूआई की सीमा को पार कर गया था। हालात को देखते हुए उसी समय केंद्र सरकार की समिति ने दिल्ली एनसीआर में ग्रैप-4 लागू करने के आदेश जारी कर दिए थे. यह आदेश आज सोमवार की सुबह आठ बजे से लागू किए गए हैं। इस आदेश के तहत दिल्ली एनसीआर में पहली से 6 वीं तक के स्कूलों को तत्काल बंद करने और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई करने के आदेश दिए गए थे। साथ ही कई तरह की अन्य पाबंदियां भी लागू की गई थी।

पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति से गुजारिश, जानें पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका को राष्ट्रपति के समक्ष रखे जाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को सोमवार को यह निर्देश दिया। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी के मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।

पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या मामले में राजोआना को फांसी की सजा दी गई है और उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। राओआना ने दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सजा कम करने और रिहाई की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि अगर दया याचिका पर तय समय में विचार नहीं किया गया तो वह याचिकाकर्ता को राहत देने की गुहार पर विचार करेगा।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया कि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इस पर जस्टिस गवई ने निराशा जाहिर करते हुए कहा कि स्पेशल बेंच सिर्फ इसी मामले की सुनवाई के लिए बैठी थी क्योंकि केंद्र ने कहा था कि वह जवाब दाखिल करेगा। बेंच में शामिल जस्टिस विश्वनाथ ने मौखिक तौर पर टिप्पणी में कहा कि केंद्र मामले को बेहद ढीले-ढाले तरीके से देख रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा पर है, हम भारत के राष्ट्रपति के सचिव को निर्देश देते हैं कि वह इस मामले को आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने के अनुरोध के साथ राष्ट्रपति भवन के समक्ष रखें। पीठ ने कहा कि पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि संघ राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मृत्युदंड की सजा काट रहा है, हम सचिव को निर्देश देते हैं कि वे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष रखें और उनसे आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने का अनुरोध करें।

राजोआना की ओर से दायर की याचिका में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की गई है। राजोआना का कहना है कि वो 29 साल से जेल में हैं, दया याचिका 12 साल से लंबित है। पिछली सुनवाई में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राजोआना की दया याचिका लंबित है। हम इस पर जवाब दाखिल करेंगे।

राजोआना को 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था। इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह तथा 16 अन्य लोग मारे गए थे। एक विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई, 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष तीन मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया।

कौन हैं मोजतबा खामेनेई? जो बन सकते हैं ईरान के अगले सुप्रीम लीडर

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दुनिया के सबसे बड़े इस्लामिक देशों में से एक ईरान में बड़ी हलचल देखने को मिल रही है। पहले तो ये देश इजरायल के साथ युद्ध में व्यस्त है। इजराइल से जंग के बीच ईरान की राजनीति में एक बड़े बदलाव के संकेत मल रहे हैं। अचानक से सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई द्वारा अपने बेटे मोजतबा को उत्तराधिकारी बनाए जाने की खबर ने सब को चौंका दिया है।

ईरान इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया है।बताया जा रहा है कि यह फैसला 26 सितंबर को हुई एक सीक्रेट बैठक में लिया गया। दरअसल, वर्तमान में अयातुल्लाह अली खामेनेई की उम्र 85 वर्ष है। वह लंबे समय से गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रहहे हैं। ऐसे में वह ईरान के सर्वोच्च नेता का पद छोड़ने की योजना बना रहे हैं, ताकि मोजतबा उनके जीवनकाल में ही देश का नेतृत्व संभाल सकें।

सर्वसम्मति से नेता चुने गए मोजतबा

इजराइली मीडिया आउटलेट वाईनेट न्यूज ने ईरान इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई को एक गुप्त बैठक के दौरान कथित तौर पर उनके पिता के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 26 सितंबर को सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के अनुरोध पर ईरान के विशेषज्ञों की सभा के 60 सदस्यों की बैठक बुलाई गई थी, जिन्होंने उन्हें अपने उत्तराधिकार के संबंध में तत्काल और गोपनीय निर्णय लेने का निर्देश दिया था। सर्वसम्मति से, सभा ने खामेनेई के बेटे मोजतबा को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना।

सार्वजनिक विरोध से बचने के लिए गुप्त बैठक

ईरान इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि सार्वजनिक विरोध से बचने के लिए इस फैसले को गुप्त रखा गया था। इसमें कहा गया है, व्यापक सार्वजनिक विरोध के डर से विधानसभा ने निर्णय पर अधिकतम गोपनीयता बनाए रखने का संकल्प लिया और सदस्यों को किसी भी लीक के लिए गंभीर परिणामों की चेतावनी दी गई थी।

परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी

ऐसा माना जा रहा है कि अलोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ संभावित सार्वजनिक प्रतिक्रिया के डर ने इन चरम उपायों को लागू किया गया। बैठक के बारे में कोई भी जानकारी लीक होने पर विधानसभा सदस्यों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी गई थी।

एक महीने तक छिपाकर रखा गया फैसला

देश में अशांति को रोकने के लिए असेंबली के विचार-विमर्श का विवरण एक महीने से अधिक समय तक छिपाया गया था। मोजतबा के चयन ने उनके सरकारी अनुभव और आधिकारिक भूमिकाओं की कमी के कारण चिंताएं पैदा की हैं। हालांकि, पिछले दो वर्षों में, उन्हें शासन के आंतरिक कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए लगातार तैनात किया गया है, जो सत्ता के सुचारू हस्तांतरण को सुनिश्चित करने के लिए अली खामेनेई द्वारा एक सुनियोजित प्रयास का संकेत देता है।

कौन है मोजतबा खामेनेई?

मोजतबा खामेनेई अयातुल्लाह अली खामेनेई के दूसरे बेटे हैं। उनका जन्म 8 सितंबर, 1969, मशहद ईरान में हुआ था। उन्होंने धर्मशास्त्र की पढ़ाई की और 1999 में मौलवी बनने की पढ़ाई की। मोजतबा की पहचान एक धार्मिक और राजनीतिक व्यक्ति के रूप में है। वह सर्वोच्च नेता के कार्यालय में एक कमांडिंग ऑफिसर की भूमिका निभाते हैं। 2005 और 2009 में ईरान के चुनावों में मोजतबा महमूद अहमदीनेजाद के समर्थक थे और कथित तौर पर 2009 में अहमदीनेजाद की जीत में भी उनका हाथ था। अहमदीनेजाद की जीत के बाद जून 2009 में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए, जिसमें मोजतबा ने कथित तौर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों को दबाने वालों का नेतृत्व किया। हालांकि, बाद में अहमदीनेजाद के साथ उनके संबंध खराब हो गए जब उन्होंने मोजतबा खामेनेई पर सरकारी खजाने से धन के गबन का आरोप लगाया।