छठ घाटों में शुरू हुआ सफाई अभियान!
रिपोर्ट/प्रमोद
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गुमला। जिले में आस्था के महापर्व छठ को लेकर तालाबों, घाटों की सफाई का काम जारी है। इस क्रम में शहरी क्षेत्र के छठ घाटों की सफाई का काम शुरू किया गया है। नगर परिषद क्षेत्र में 4 प्रमुख छठ तालाबों क्रमशः भट्ठी तालाब, वन तालाब, मुरली बगीचा एवं चेटर तालाब की साफ-सफाई का कार्य नगर परिषद द्वारा तीव्र गति से किए जा रहें है। नगर परिषद के प्रशासक सार्जेन मरांडी ने बताया कि अगले दो दिनों के भीतर सभी तालाबों की साफ-सफाई, बैरिकेडिंग, एवं अन्य आवश्यक कार्य पूरे कर दिए जाएंगे, ताकि श्रद्धालुओं को पर्व के दौरान कोई असुविधा न हो। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि पर्व के दौरान स्वच्छता एवं सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें और प्रशासन का सहयोग करें।इसके साथ ही जिले में लगे आदर्श आचार संहिता का भी पालन करते हुए ही त्योहारों को मनाएं।![]()






विधानसभा चुनाव में नाम वापस लेने और चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद दलों में मुकाबला रोचक मोड़ की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है।चुनाव को लेकर मुकाबले में उतरी भाजपा, जेएमएम सहित निर्दलीय प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर ताल ठोक रहे हैं। गुमला विधानसभा सीट अनु जनजाति के लिए आरक्षित है और इस सीट पर मुकाबला हमेशा रोचक रहा है। इस सीट पर प्रारंभ से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस का कब्जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ दशक से यहां भाजपा और जेएमएम का कब्जा रहा है। यह इसलिए कि इस सीट पर कांग्रेस जेएमएम के गठबंधन के बाद यह सीट जेएमएम के खाते में है और इस बार भी इस सीट पर जेएमएम ही चुनाव मैदान में है। हालाकि इस बार गठबंधन में टिकट बंटवारे को लेकर दलों में नाराजगी है और गठबंधन के साथ भाजपा में भी बागी उम्मीदवारों की लंबी लाइन है। इस सीट पर वैसे कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है लेकिन जेएमएम को लेकर गठबंधन में भी सबकुच ठीक नहीं है। यह बात अलग है कि जेएमएम के बागी उम्मीदवारों ने नाम वापस ले लिया है। लेकिन अंदर से आ रही खबरें जेएमएम के लिए खतरे की घंटी है। वहीं भाजपा के बागी उम्मीद्वार भी इस सीट पर अपनी जीत को लेकर ताल ठोक रहे हैं। यह भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन भाजपा अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है और जोड़ घटाव में जुटी है। जबकि भाजपा में टिकट को लेकर नाराज चल रहे वैसे कई लोग हैं जिन्होंने इस चुनाव में किनारा कर लिया है और उन्हें कोई मनाने वाला भी नहीं है। ऐसा इसलिए कि लोकसभा चुनाव की तर्ज पर विधान सभा चुनाव लड़ने उतरी भाजपा ने अपने टीम में कोई खास बदलाव नहीं किया है। जिस टीम के कारण पार्टी को लोकसभा में करारी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी ने फिर उसी टीम के भरोसे विधान सभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जबकि पहले से ही उम्मीद्वार को लेकर लोगों के बीच जो नाराजगी है वह अलग उपर से पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी ने एक बार फिर पार्टी की जीत पर सवाल तो खड़ा कर ही दिया है। वहीं भाजपा के बागी उम्मीद्वार पर्चा दाखिल करने से लेकर अबतक यानी चुनाव के अब शेष 10 दिन बचे हैं। भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। अचानक बागी के पक्ष में लोगों और युवाओं का रुझान बढ़ता दिखाई दे रहा है। अबतक के आकलन के अनुसार इस सीट पर अब मुकाबला रोचक और त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है। ऐसे में अब इस सीट पर चुनावी जंग में उतरी भाजपा जेएमएम के लिए कहीं ना कहीं परेशानी तो जरूर है। चूंकि उपरोक्त दोनों ही दलों को लेकर लोगों में जो चल रहा है उससे लोग अब तीसरे विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं और अगर ऐसा हुआ तो इस सीट पर परिणाम इतिहास रचने वाला हो सकता है। बहरहाल चुनाव में जीत किसी की भी हो लेकिन इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले ने चुनावी जायका को जरूर चटपटा बना दिया है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। इस दौरान जगह जगह बैठकों का दौर जारी है।गुमला सीट पर चुनाव मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री सहित वर्तमान जेएमएम विधायक प्रत्याशी की प्रतिष्ठा दांव पर है। चुनाव को लेकर जंग में उतरी भाजपा और जेएमएम के लिए इस सीट पर चुनाव जितना किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन भाजपा के लिए सवाल है कि लोकसभा की हार से विधानसभा में पार्टी ने सबक नहीं सीखा तो पार्टी को फिर यह सीट गंवानी पड़ सकती है। कहने का अर्थ पुरानी टीम जिसके रहते पार्टी ने कभी चुनाव नहीं जीता। यही नहीं संगठन में पहले से ही इतना विवाद और ऊपर से टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी में बगावती तेवर यह संकेत दे रहे हैं कि भाजपा को चुनाव जीतना है तो सही लोगों के हाथ कमान देनी होगी नहीं तो ऐसे खेवनहारों के भरोसे चल रही इस नैय्या का पार लगना। मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। लेकिन अब अपने नीति सिद्धांतों से भटक चुकी पार्टी को नसीहत देना भी भैंस के आगे बीन बजाने जैसा है। पार्टी में कोई किसी की सुनने वाला नहीं है जितने लोग उतने मालिक जाहिर है संगठन में बिखराव होना लाजमी है। चुनाव है और पार्टी के जिला मुख्यालय का चुनाव कार्यालय देखिए। सुबह करीब 11 बजे का यह नजारा है। राष्ट्रीय पार्टी का चुनाव कार्यालय और वह भी वीरान,चाय पानी की बात तो छोड़िए कोई एक व्यक्ति नहीं जो आने वाले का नाम पता कारण पूछे। चुनाव होने में अब शेष 12 दिन हैं और चुनाव कार्यालय की खामोशी बयां कर रही है अंदर सबकुछ ठीक ठाक नहीं है।बहरहाल चुनाव में जीत किसी की हो लेकिन भाजपा में कार्यकर्ता कम नेता अधिक होने से पार्टी को विजय दिला पाना थोड़ा मुश्किल लग रहा है!
गुमला। विधानसभा चुनाव को लेकर पुलिस मुस्तैद नजर आ रही है। इसी क्रम में जिले के डुमरी थाना इलाके के जैरागी गांव से पुलिस ने एक व्यक्ति को मादक पदार्थ और नकदी के साथ गिरफ्तार किया है। मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एसडीपीओ ललित मीणा ने बताया कि 26 अक्टूबर को दोपहर पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि जैरागी गांव में सतीश कुमार प्रसाद के द्वारा मादक पदार्थ गांजा का खरीद बिक्री किया जा रहा है ।सूचना का सत्यापन एवं आवश्यक कार्रवाई करने के लिए उच्च पदाधिकारी को सूचित करते हुए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी चैनपुर के नेतृत्व में एक छापामारी दल का गठन किया गया जिसके बाद छापामारी दल में शामिल सभी जवान गांव पहुंचे तो वहां एक व्यक्ति को घर में उपस्थित पाया गया उस व्यक्ति से उसका नाम, पता पूछने पर उसने अपना नाम सतीश कुमार प्रसाद बताया उसके बाद मादक पदार्थ गांजा की खरीद बिक्री करने से संबंधित पूछताछ किया गया पूछताछ के क्रम में गतिविधि संदिग्ध होने के पश्चात आरोपी के घर का तलाशी लेने हुए नोटिस दिया गया तथा घर का तलाशी लिया गया तलाशी के क्रम में घर के कमरे से एक सफेद प्लास्टिक भूरा रंग के सिल्वर टेप से लपेटा हुआ एवं सफेद प्लास्टिक में बंधा हुआ चार पैकेट गांजा बरामद किया गया। जिसका कुल वजन 3.58 किलोग्राम था साथ ही एक काले रंग के बैग से कुल 90,630 रुपया भी बरामद किया गया जो गांजा बेचकर जमा किया गया था पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी को हिरासत में भेज दिया है!
गुमला के घाघरा से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। एक मां ने पति की प्रताड़ना से तंग आकर अपने दो मासूम बच्चों को कुएं में फेंक दिया। इस घटना मे दोनों बच्चों की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी महिला को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार सुलेखा देवी करमा मनाने के लिए अपने नानी घर सरांगो गई थी। जहां से वह शुक्रवार को दोनों बच्चे को लेकर निकली और लगभग 10 किलोमीटर दूर कोटामाटी गांव पहुंची जहां स्थित कुएं में दोनों बच्चों को डाल दिया। इसकी भनक ग्रामीणों को मिली जिसके बाद लोगों ने इसकी सूचना घाघरा थाना पुलिस को दी। जानकारी के बाद पुलिस घटनास्थल पहुंची और शवों को निकालने के प्रयास में जुट गई है। वहीं ग्रामीणों ने आरोपी महिला को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस के पूछने पर सुलेखा ने बताया कि उसका पति संजय उरांव जो खरका का रहने वाला है दोनों लिव इन में रहते थे।
विधानसभा सभा चुनाव का विगुल बज चुका है.पहले चरण के लिए होने वाले चुनाव के लिए प्रत्याशिओं की घोषणा भी हो चुकी है. ऐसे में नेता अपने अपने इलाके में जन संपर्क अभियान में जुटे हुए हैं. भाजपा गुमला विधानसभा सीट से निवर्तमान सांसद सुदर्शन भगत को आजमाना चाहती है और उसने इसके लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि सुदर्शन भगत के लिए यह सीट नई नहीं है. वर्ष 2000 में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार सुदर्शन भगत को टिकट देकर जीत दिलाया था. हालांकि उसके बाद हुए चुनाव में उन्हें पराजय का भी सामना करना पड़ा था.इस बीच लगातार तीन बार सांसद रहे सुदर्शन भगत को पार्टी ने वर्ष 2024के लोक सभा चुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं बनाया और उनकी जगह राज्य सभा सांसद समीर उरांव को लोकसभा की सीट से चुनाव लड़ाया था. लेकिन पार्टी में भारी अंतर कलह के कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. एक बार दोबारा पार्टी ने अपने पूर्व सांसद पर भरोसा किया है और उन्हें इस सीट पर विधानसभा का प्रत्याशी बनाया है. हालांकि अभी चुनाव के लिए सुदर्शन भगत ने नामांकन दाखिल नहीं किया है.लेकिन पिछले चुनावों में मिली हार और पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी को लेकर कहीं ना कहीं यह भय तो उम्मीदवारों के बीच जरूर है और उम्मीदवार इस दूरी को पाटने की कोशिश भी में हैं.शायद यही वजह है कि पूर्व सांसद ने कभी सांसद रहते आशियाना नहीं बनाया लेकिन अचानक चुनाव से पहले आशियाना ढूंढने का अर्थ है.अब चुनाव तक नेताजी यहीं से पुरे चुनावी कार्यक्रम को संचालित करेंगे. बहरहाल सवाल कई हैं. लेकिन जबाब शून्य है. अब देखना है कि सुदर्शन का चक्र इस चुनावी संग्राम में कितना कारगर साबित हो पाता है!
Nov 07 2024, 21:32
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