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बच्चेदानी में कैंसर की शुरुआत होने पर शरीर में कई तरह के लक्षण देखने को मिलता है,99 फीसदी महिलाएं करती हैं इग्नोर
डेस्क ::–गर्भाशय का कैंसर, गर्भाशय में विकसित होता है। गर्भाशय कैंसर के लक्षण उसके प्रकार पर निर्भर होते हैं, एंडोमेट्रियल कैंसर या गर्भाशय सार्कोमा। गर्भाशय कैंसर से पीड़ित अधिकांश महिलाओं में लगभग 92 प्रतिशत महिलाओं को एंडोमेट्रियल कैंसर होता है। यह गर्भाशय की परत के ऊतकों में विकसित होता है, जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है। दूसरा प्राथमिक प्रकार गर्भाशय सार्कोमा यह दुर्लभ है और गर्भाशय की मांसपेशियों या अन्य ऊतकों में विकसित होता है।

*असामान्य रूप से वजाइनल डिस्चार्ज होना*

बच्चेदानी में कैंसर की स्थिति में मरीजों को असामान्य रूप से वजाइनल डिस्चार्ज हो सकता है। इस दौरान महिलाओं को पानी और ब्लड के धब्बे वाले डिस्चार्ज से लेकर योनि स्राव में अधिक ब्लड शामिल हो सकता है।


*पेशाब करने के दौरान काफी दर्द होना*

बच्चेदानी में कैंसर के शुरुआती दिनों में मरीजों को काफी ज्यादा परेशानी का अनुभव हो सकता है। कुछ लोगों को पेशाब के दौरान काफी दर्द का अनुभव हो सकता है। अगर आपको पेशाब के दौरान काफी दर्द हो रहा है, तो तुरंत जांच कराएं।

*असामान्य रूप से ब्लीडिंग होना*

गर्भाशय या बच्चेदानी में कैंसर की स्थिति में मरीजों को असामान्य रूप से ब्लीडिंग की शिकायत हो सकती है। अगर आपको बिना कारण ब्लीडिंग की शिकायत हो रही है, तो ऐसी स्थिति में एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लें। ताकि स्थिति की जांच समय पर हो सके।

*बिना वजह तेजी से वजन कम होना*

बिना प्रयास किए अगर आपका वजन तेजी से कम हो रहा है, तो यह गर्भाशय का कैंसर हो सकता है। अगर बिना किसी कारण के वजन कम हो रहा है, तो यह गंभीर हो सकता है। इस स्थिति में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत होती है, ताकि स्थिति की जांच हो सके।

*बच्चेदानी में हो सकता है पेल्विक में दर्द*

बच्चेदानी में कैंसर की स्थिति में मरीजों को पेल्विक एरिया में काफी ज्यादा दर्द हो सकता है। आमतौर पर दर्द यौन संबंध के दौरान कम होता है। कुछ लोगों को पेशाब करते समय दर्द या यूरिन ब्लैडर को खाली करने में कठिनाई महसूस होती है। जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है, पेल्विक क्षेत्र में द्रव्यमान या भारीपन की भावना हो सकती है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
चीन में मिले एक और वायरस के संकेत, परीक्षण करने में जुटे रिसर्चर

डेस्क :– कोविड 19 के कहर के बाद जब भी चीन में कोई नया वायरस फैलना शुरू होता है, तो उसके बाद दुनियाभर के लोगों की नजर इसपर टिक जाती है। हाल ही में चीन में हुई एक स्टडी की डिटेल्स को पब्लिश किया गया। रिसर्चर ने वेटलैंड नामक वायरस के बारे में कुछ खास जानकारियां प्रदान की। एक अंग्रेजी वेबसाइट पर पब्लिश की गई रिसर्च के बाद वेटलैंड वायरस की पहचान सबसे पहले 2019 में की गई थी, जब एक व्यक्ति को वेटलैंड पार्क में घूमते हुए एक कीट द्वारा लिया गया था और वह इस वायरस से संक्रमित हो गया था। इसी पार्क के नाम पर इस वायरस का नाम वेटलैंड वायरस रखा गया। बता दें कि वेटलैंड पार्क मंगोलिया देश में है। इस कीट के काटने के बाद व्यक्ति को बुखार, बदन दर्द जैसे लक्षण होने लगे और उसे अस्पताल में एडमिट किया गया। जिसके बाद धीरे-धीरे उस मरीज के शरीर के अंदर कई अंग भी काम करना बंद कर गए थे।


*कई बीमारियां फैलाते हैं कीट*

कीटों के काटने से सिर्फ वेटलैंड वायरस ही नहीं बल्कि कई प्रकार के वायरल व बैक्टीरियल इन्फेक्शन फैलते हैं, जिसमें लाइम डिजीज जैसी बीमारियां भी शामिल हैं। इसके अलावा भी कीटों से फैलने वाली बीमारियां भी ऐसी बहुत प्रकार की मिल जाती हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं।

*चीन में मिला मामला*

चीन में वेटलैंड वायरस के कुछ संकेत देखने को मिले हैं, जिसके बाद रिसर्चर काफी सावधान है। हालांकि, मरीज से लिए सैंपल पर अभी तक परीक्षण किए जा रहे हैं और वायरस में होने वाले जेनेटिक बदलाव का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। वेटलैंड वायरस नैरोवायरस परिवार में ऑर्थोनैरोवायरस जीनस का एक मेंबर है।
बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी मंदिर से पीएम मोदी द्वारा भेंट किया गया मुकुट मंदिर से चोरी

डेस्क:– बांग्लादेश के सतखीरा में स्थित मां काली के जेशोरेश्वरी मंदिर की बहुत मान्यता है। जब पीएम मोदी ने साल 2021 में बांग्लादेश का दौरा किया था तो उन्होंने उस मंदिर में मां काली का मुकुट भेंट किया था। अब खबर आई है कि पीएम मोदी द्वारा भेंट किया गया मुकुट मंदिर से चोरी हो गया है। सोने की परत चढ़ा चांदी का मुकुट गुरुवार दोपहर में मंदिर से चोरी हुआ।

मामले पर स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने बताया कि, 'हम चोर की पहचान करने के लिए मंदिर के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं'। पीएम मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान 27 मार्च, 2021 को जेशोरेश्वरी मंदिर का दौरा किया था। उस दिन उन्होंने प्रतीकात्मक संकेत के रूप में देवी के सिर की मूर्ति पर मुकुट रखा था। 'जेशोरेश्वरी' नाम का अर्थ है 'जेशोर की देवी'।

*51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है जेशोरेश्वरी मंदिर*

पीढ़ियों से मंदिर की देखभाल करने वाले परिवार के सदस्य ज्योति चट्टोपाध्याय ने बांग्लादेशी मीडिया को बताया कि यह मुकुट चांदी से बना था और इस पर सोने की परत चढ़ी हुई थी। चोरी हुआ मुकुट भक्तों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, जेशोरेश्वरी मंदिर को भारत और पड़ोसी देशों में फैली 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

*ऐसा है मंदिर का इतिहास*

माना जाता है कि सतखीरा के ईश्वरीपुर में स्थित इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अनारी नामक ब्राह्मण ने करवाया था। उन्होंने जशोरेश्वरी पीठ के लिए 100 दरवाजों वाला मंदिर बनवाया था। बाद में 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और अंततः राजा प्रतापादित्य ने 16वीं शताब्दी में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने कहा था कि भारत मंदिर में एक बहुउद्देशीय सामुदायिक हॉल का निर्माण कराएगा। उन्होंने कहा कि यह स्थानीय लोगों के लिए सामाजिक, धार्मिक और शैक्षिक आयोजनों के लिए उपयोगी होगा और साथ ही, यह चक्रवात जैसी आपदाओं के समय सभी के लिए आश्रय का काम भी करेगा।
अगर फ्लाइट से सफर के दौरान आपके बैग को नुकसान पहुंचता है तो आपको कैसे मुआवजा मिल सकता है? आईए जानते हैं

डेस्क:–हमें जब भी किसी जगह की यात्रा करनी होती है तो हम अपनी सुविधा अनुसार वाहन चुनते हैं। जैसे- कोई अपनी कार से जाना पसंद करता है, तो कोई ट्रेन से और कई लोग फ्लाइट से भी यात्रा करते हैं। बात अगर हवाई यात्रा की करें तो इससे सफर करने में सबसे पहला फायदा है समय का बचना। जहां आपको बस, ट्रेन आदि से सफर करने में ज्यादा समय लगता है तो वहीं फ्लाइट से आप बेहद कम समय में अपना सफर पूरा कर सकते हैं, लेकिन क्या इन सबके बीच आप ये जानते हैं कि अगर फ्लाइट से सफर के दौरान आपके बैग को नुकसान पहुंचता है तो आपको कैसे मुआवजा मिल सकता है? शायद नहीं, तो आप इस बारे में यहां जान सकते हैं।

*बैग से जुड़े नियम जान लें*

आप अगर देखेंगे तो पाएंगे कि फ्लाइट में बैग को लेकर एक नियम है। इस नियम के तहत आपको बड़े बैग को लगेज सेक्शन में रखवाना होता है। फिर आपको ये बैग फ्लाइट लैंड होने के बाद वापस मिलता है। जबकि, छोटे बैग को आप अपने साथ कैबिन में ले जा सकते हैं। इन दोनों ही बैग के लिए वजन तय हैं।

कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें ये देखने को मिलता है कि जो बैग लगेज सेक्शन में रखवाए हैं, उनका रखरखाव ठीक से नहीं होता जिसके कारण बैग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में यात्रियों के बैगों को नुकसान पहुंचता है जिससे उनके बैग के अलावा अंदर रखा सामान भी टूट जाता है। ऐसा ही एक ताजा मामला हाल ही में भारतीय हॉकी टीम की सदस्य रानी रामपान के हाथ हुआ जिसमें उनका बैग डैमेज हो गया।

हॉकी टीम की सदस्य रानी ने अपनी बात सोशल मीडिया पर बताई और इसे एयरलाइंस कंपनी तक पहुंचाया। ऐसे में आपके लिए भी ये जानना जरूरी हो जाता है कि अगर कभी फ्लाइट में यात्रा के दौरान आपके बैग के साथ ऐसा होता है, तो आपको क्या करना चाहिए। सबसे पहले तो ये जान लें कि इसके लिए आप मुआवजा ले सकते हैं।

*कितना मुआवजा ले सकते हैं आप?*

दरअसल, नागर विमानन मंत्रालय के नियमों के मुताबिक, अगर किसी यात्री का बैग क्षतिग्रस्त होता है तो एयरलाइन कंपनी को यात्री को 20 हजार रुपये तक का मुआवजा देना होता है। बस इसके लिए ध्यान रखें कि घरेलू उड़ानों की फ्लाइट लैंड होने के 24 घंटे के अंदर आपको शिकायत करनी होती है।

अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट से यात्रा करने वाले यात्रियों को लैंड करने के 8 दिनों के भीतर अपनी शिकायत दर्ज करवानी होती है। एयरलाइन कंपनी अगर आपके बैग के नुकसान की जिम्मेदारी लेने से मना करती है या मुआवजा नहीं देती है आदि। फिर आप नागरिक उड्डयन प्राधिकरण यानी सीएए से संपर्क करके अपनी बात रख सकते हैं।
तीन तरीके से करें अनार के छिलके का प्रयोग, सबसे अलग दिखेंगे आप
डेस्क:– चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए लोग पैसा पानी की तरह बहा देते हैं। मार्केट के महंगे ब्यूटी प्रोडक्ट्स खरीदने से भी गुरेज नहीं करते हैं। हालांकि न के बराबर खर्च में भी ग्लोइंग स्किन हासिल की जा सकती है। अनार के छिलके स्किन की खूबसूरती बढ़ाने में मदद करते हैं। अनार सेहत के लिए बेहद लाभकारी है, ये हम सभी जानते हैं, लेकिन कम लोगों को ये पता होगा कि अनार के छिलके चेहरे का निखार लाने में मदद कर सकते हैं।

हममें से ज्यादातर लोग अनार के छिलकों को बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन ये बड़े काम के होते हैं। इनमें पोषक तत्वों का भंडार छिपा है। आइए जानते हैं अनार के छिलके के स्किन से जुड़े फायदे और उपयोग के तरीके।

*अनार के छिलकों के फायदे*

मुहांसे और पिंपल्स: अनार के छिलकों में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुहांसों पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारते हैं और त्वचा को साफ करते हैं। अनार के छिलकों के पाउडर का फेस पैक हफ्ते में दो बार यूज कर सकते हैं।

काले धब्बे और निशान: चेहरे पर काले धब्बे और निशान उम्र से ज्यादा बूढ़ा दिखाते हैं। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा कोशिकाओं को नवीनीकृत करने में मदद करते हैं। इससे काले धब्बे और निशान कम होते हैं।

त्वचा को टाइट करता है: जिन लोगों की स्किन ढीली होने लगती है, उनके लिए अनार के छिलके काफी असरदार हो सकते हैं। अनार के छिलके में एंटी-एजिंग गुण होते हैं जो त्वचा को टाइट करके झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करते हैं।

त्वचा को पोषण देता है: अनार के छिलकों में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व होते हैं। इसके चलते अनार के छिलकों को त्वचा पर अप्लाई करने से स्किन को भरपूर पोषण मिलता है। इससे त्वचा को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।

तेल को नियंत्रित करता है: कई लोगों की ऑयली स्किन होती है। हर वक्त चेहरे पर तेल सा महसूस होता है। इस स्थिति में अनार के छिलकों का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। अनार के छिलके त्वचा में अतिरिक्त तेल को सोखने में मदद करते हैं जिससे त्वचा चिकनी और मुलायम रहती है।

*अनार के छिलकों का उपयोग कैसे करें?*

पाउडर बनाएं: सूखे अनार के छिलकों को पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को दही या शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें।

पेस्ट बनाएं: अनार के छिलकों को पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें।

टोनर: अनार के छिलकों को उबालकर पानी तैयार करें। इस पानी से चेहरे को धोएं या टोनर के रूप में इस्तेमाल करें।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
अगर आप अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं तो आप अपने बचत के पैसों को अटल पेंशन योजना में निवेश कर सकते हैं

डेस्क :– अगर आप अपने रिटायरमेंट के बाद के जीवन की अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं करते हैं तो इस स्थिति में 60 की उम्र के बाद आपको आर्थिक स्तर पर कई तरह की दिक्कतें परेशान कर सकती हैं। इस कारण कई लोग नौकरी करते समय अपनी आमदनी में से कुछ पैसों की बचत करके बैंक में जमा करने लगते हैं। गौर करने वाली बात है कि आज के समय महंगाई की रफ्तार जिस तेजी से बढ़ रही है उसे देखते हुए आपको अपने बचत के पैसों को किसी अच्छी जगह निवेश करना चाहिए। अगर आप अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं तो आप अपने बचत के पैसों को अटल पेंशन योजना में निवेश कर सकते हैं। अटल पेंशन योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही एक शानदार स्कीम है। इस स्कीम का उद्देश्य व्यक्ति की रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को आर्थिक स्तर पर सुरक्षित करना है।

अटल पेंशन योजना में 18 से लेकर 40 साल तक की उम्र के व्यक्ति आवेदन करके निवेश शुरू कर सकते हैं। आप जिस उम्र में आवेदन करते हैं उसी के आधार पर निवेश राशि को तय किया जाता है।

अगर आप 18 साल की उम्र में इस स्कीम में आवेदन करते हैं तो आपको हर महीने 210 रुपये का निवेश इस स्कीम में करना है। यह निवेश आपको पूरे 60 की उम्र होने तक करना है। 60 की उम्र के बाद आपको अटल पेंशन योजना के अंतर्गत हर महीने 5 हजार रुपये की पेंशन मिलती है।

*ऐसे खुलवाएं अटल पेंशन योजना में खाता*

अटल पेंशन योजना में खाता खुलवाने की प्रक्रिया काफी आसान है। इसमें आपको किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा। स्कीम में खाता खुलवाने के लिए आपको अपने नजदीकी बैंक शाखा में जाना होगा। वहां आपको अटल पेंशन योजना के लिए उपलब्ध फॉर्म को भरना है।

इस दौरान आपको फॉर्म के साथ सभी जरूरी दस्तावेजों को भी अटैच करना है। यह सब करने के बाद आपको इसे बैंक में जमा कर देना है। फॉर्म और दस्तावेजों की जांच करने के बाद बैंक अधिकारी आपका अटल पेंशन योजना में खाता खोल देगा।
कश्मीर कभी मीठे पानी की झील थी, ये वो दौर था जब यहां एक भी शख्स नहीं रहता था।NASA ने दिए सबूत

डेस्क :– हिमालय के तराई क्षेत्र की सबसे खूबसूरत घाटी कश्मीर कभी मीठे पानी की झील थी। ये वो दौर था जब यहां एक भी शख्स नहीं रहता था। पहाड़ों से घिरी ये झील धीरे-धीरे खत्म हो गई। ये सब हुआ इंसानों के बढ़ते हस्तक्षेप से। अब घाटी में कुछ झीलें हैं, लेकिन उन पर भी संकट मंडरा रहा है। यह हैरान करने वाला दावा NASA ने किया है।

नासा की अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी ने दावा किया है 4.5 मिलियन साल पहले कश्मीर घाटी कभी 84 मील लंबी और 20 मील चौड़ी झील थी। पहाड़ों से घिरी ये झील दुनिया की सबसे ऊंची और बड़ी झीलों में शुमार थी, जो समुद्र तल से औसतन 6000 फीट की ऊंचाई पर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत थी। नासा के मुताबिक घाटी का कटोरे जैसा आकार और उसके तल पर रेतीले, मिट्टी जैसे तलछट इस बात का सबूत हैं।

*धरती से ऐसी दिखती है कश्मीर घाटी*

नासा की अर्थ ऑब्ज़र्वेटरी ने कश्मीर घाटी की जो तस्वीर ली है, उसमें आसमान से यह पूरी तरह झील की तरह दिखती है, जिसके ऊपर धुंध के बादल छाए नजर आते हैं।इसमें आसपास बर्फ पर जमी दिख रही है, नासा के मुताबिक ऐसा तब होता है जब जमीन ठंडी होती है। ऊपर धरती से यह बर्फ पाउडर की तरह नजर आती है। अर्थ ऑब्जर्वेटरी के अनुसार, तस्वीर जिस दिन ली गई उस दिन वायु प्रदूषण का उच्च स्तर था।

*अब कई छोटी झीलों का घर है कश्मीर*

कश्मीर घाटी पर लाइव साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब कश्मीर घाटी झील नहीं रही, अब यह कई छोटी झीलों का घर है। हालांकि अब ये झीलें मानव संबंधित तनावों को महसूस कर रही हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में उपग्रह से ली गई तस्वीरों से पता चला है कि कश्मीर घाटी की ज्यादातर झीलें यूट्रोफिकेशन से प्रभावित हैं, यानी जलीय जीवों के लिए जहर बन चुकी हैं।

*क्या होता है यूट्रोफिकेशन*

यूट्रोफिकेशन वह अवस्था है, जिसमें शहरीकरण की वजह से कई तरह के तत्व झीलों में जातें हैं। ये कई तरह के शैवाल बनाते हैं, इससे झीलों की सतह पर पौधे बढ़ जाते हैं, जिससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और पानी जलीय जीवों के लिए जहर बन जाता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि घाटी की सबसे बड़ी झील वुलर पिछले एक दशक से काफी हद तक यूट्रोफिकेशन से पीड़ित थी। अन्य झीलों का भी यही हाल हो रहा है।
रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर है. बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।पीएम मोदी ने जताया दुख
डेस्क :–देश के मशहूर उद्योगपति रतन टाटा के निधन से देश में शोक की लहर है। बुधवार देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने दुख जताया है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि रतन टाटा एक दूरदर्शी कारोबारी नेता थे, एक दयालु आत्मा और असाधारण इंसान थे। पीएम मोदी ने लिखा है कि उन्होंने अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिए एक अटूट प्रतिबद्धता के कारण कई लोगों के बीच अपनी जगह बनाई।

वहीं रतन टाटा के निधन पर राजनाथ सिंह ने शोक जताया है। उन्होंने कहा है कि रतन टाटा भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज थे। उनके निधन से दुखी हूं. वहीं उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने रतन टाटा के निधन पर लिखा है- ‘मैं रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं। भारत की अर्थव्यवस्था एक ऐतिहासिक छलांग के शिखर पर खड़ी है। और हमारे इस पद पर बने रहने में रतन के जीवन और काम का बहुत योगदान है. होम मिनिस्टर अमित शाह ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है।

*रतन टाटा रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे : राहुल गांधी*

लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रतन टाटा के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि रतन टाटा दूरदृष्टि वाले व्यक्ति थे। उन्होंने व्यापार र परोपकार दोनों पर अमिट छाप छोड़ी है।उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं।

*रतन टाटा के निधन से दुखी हूं: ममता बनर्जी*

उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर ममता बनर्जी ने लिखा है- टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा के निधन से दुखी हूं। टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष भारतीय उद्योगों के अग्रणी नेता और सार्वजनिक-उत्साही परोपकारी व्यक्ति थे। उनका निधन भारतीय व्यापार जगत और समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति होगी। उनके परिवार के सभी सदस्यों और सहकर्मियों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

*चंद्रबाबू नायडू ने जताया दुख कहा- हमने व्यापारिक दिग्गज खो दिया*

आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने रतन टाटा के निधन पर लिखा कि- ‘ कुछ ही लोगों ने अपनी दूरदर्शिता और निष्ठा से इस दुनिया पर रतन टाटा जैसी स्थायी छाप छोड़ी है। आज, हमने न केवल एक व्यापारिक दिग्गज को खो दिया है, बल्कि एक सच्चे मानवतावादी को भी खो दिया है, जिनकी विरासत औद्योगिक परिदृश्य से परे हर उस दिल में बसती है, जिसे उन्होंने छुआ. मैं उनके निधन से दुखी हूं।

*राष्ट्रपति ने जताई शोक संवेदना*

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने रतन टाटा निधन पर दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि- भारत ने एक ऐसे आइकन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट विकास को राष्ट्र निर्माण और उत्कृष्टता को नैतिकता के साथ जोड़ा। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित, उन्होंने टाटा की महान विरासत को आगे बढ़ाया और इसे और अधिक प्रभावशाली वैश्विक उपस्थिति दी। मैं उनके परिवार, टाटा समूह की पूरी टीम और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं।

*कांग्रेस पार्टी ने जताई शोक संवेदना*

रतन टाटा के निधन पर कांग्रेस पार्टी ने शोक संवेदना जाहिर की है। भारतीय उद्योग जगत के दिग्गज और भारत के कॉर्पोरेट परिदृश्य को आकार देने वाले परोपकारी व्यक्ति, पद्म विभूषण श्री रतन टाटा के निधन से कांग्रेस पार्टी को गहरा दुख हुआ है।

*गूगल सीईओ ने रतन टाटा को दी श्रद्धांजलि*

गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने ट्वीट किया, उन्होंने लिखा- ‘रतन टाटा के साथ गूगल में मेरी आखिरी मुलाकात में हमने वेमो की प्रगति के बारे में बात की और उनका विजन सुनना प्रेरणादायक था । वे एक असाधारण व्यवसाय और परोपकारी विरासत छोड़ गए हैं।

*रतन टाटा के निधन पर सीएम आतिशी ने जताया दुख*

दिल्ली की सीएम आतिशी ने रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि- रतन टाटा ने नैतिक नेतृत्व का उदाहरण पेश किया, हमेशा देश और लोगों के कल्याण को सबसे ऊपर रखा। उनकी दयालुता, विनम्रता और बदलाव लाने के जुनून को हमेशा याद रखा जाएगा. उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं।

*योगी आदित्यनाथ ने जताया दुख*

भारत के प्रख्यात उद्योगपति, ‘पद्म विभूषण’ श्री रतन टाटा जी का निधन अत्यंत दुःखद है। वह भारतीय उद्योग जगत के महानायक थे  उनका जाना उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका सम्पूर्ण जीवन देश के औद्योगिक और सामाजिक विकास को समर्पित था। वे सच्चे अर्थों में देश के रत्न थे।
अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा के उपचुनाव के लिए पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी घोषित किया

डेस्क:– मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव ने तेज प्रताप सिंह यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। बता दें तेज प्रताप सिंह यादव ने अपना राजनीतिक करियर वर्ष 2004 में शुरू किया था। खास बात ये भी है कि तेज प्रताप का लालू प्रसाद यादव से खास रिश्ता भी है।

दरअसल, 2015 में लालू प्रसाद यादव की छोटी बेटी राजलक्ष्मी से उनका विवाह हुआ था। यह शादी खूब चर्चा में रही थी। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी भी वर-वधू को आशीष देने पहुंचे थे। तेज प्रताप यादव मुलायम की परंपरागत सीट मैनपुरी से सांसद रहे हैं। वो मुलायम यादव के बड़े भाई रतन के पोते हैं।

*मैनपुरी से रहे सांसद*

36 वर्षीय तेज प्रताप यादव मैनपुरी सीट से 2014 में सांसद रह चुके हैं, उन्होंने 3.12 लाख वोटों से जीत हासिल की थी। जबकि इससे पहले वो 2011 में निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुने जा चुके हैं।

तेज प्रताप सिंह यादव की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली पब्लिक स्कूल नोएडा में हुई है, जबकि एमिटी विवि से बीकॉम किया है। इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम के लीड्स विवि से एमएससी (प्रबंधन) की उपाधि ली है। जबकि स्थानीय राजनीति में वो सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

आइए जानते हैं कैसे उमर की किस्मत का सितारा चमका और अब कितनी बड़ी चुनौती उनके सामने है?

डेस्क:–  नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री होंगे। लोकसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने राज्य की दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ा और जीता भी। न तो उमर की जीत आसान रही है और न ही अब राज्य में मिलने वाली नई चुनौतियों से निपटना आसान होगा।

‘शांति बनाए रखिए, मैं फिर लौटूंगा’, यह वो लाइन है जो उमर अब्दुल्ला ने 10 साल पहले सोशल मीडिया X पर पोस्ट की थी। पोस्ट वायरल भी हो रही है और उनकी दमदार वापसी को बता रही है। वही उमर अब्दुल्ला जो अब जम्मू-कश्मीर में रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं। राज्य में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वह पहले मुख्यमंत्री होंगे।विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भी साफ कर दिया है कि उमर अब्दुल्ला ही जम्मू कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे।

लोकसभा चुनाव में हार के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने गांदरबल और बडगाम सीट पर चुनाव लड़ा और जीता भी। गांदरबल विधानसभा सीट पर पीडीपी के बशीर अहमद मीर को 10574 वोटों को मात दी। गंदेरबल अब्दुल्ला परिवार का गढ़ है.जीत के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा है, पिछले 5 सालों में नेशनल कॉन्फ्रेंस को खत्म करने की कोशिश की गई, लेकिन जो हमें खत्म करने आए थे मैदान में उनका कोई नामोनिशान नहीं रहा।

*अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी*

उमर के बयान से साफ है कि अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी इतिहास रचने जा रही है. परिवार के राजनीतिक इतिहास की शुरुआत 70 के दशक में हुई । साल 1977 में पार्टी ने 47 सीटें हासिल करके दादा शेख अब्दुल्ला ने राज्य की कमान संभाली। 1982 में उनके निधन के बाद उनके बेटे और उमर के पिता फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने और लम्बी राजनीतिक पारी खेली। अब उमर अब्दुल्ला के हाथों में राज्य की कमान होगी। चुनावी हलफनामे के मुताबिक उमर के पास कुल 54.45 लाख रुपए की संपत्ति है. उनके पास मात्र 95,000 रुपए की नकद धनराशि है।

*प्रचंड बहुमत के साथ राजनीति में आगाज*

उमर की शुरुआती पढ़ाई श्रीनगर के बर्न हॉल स्कूल से हुई। इसके बाद हिमाचल प्रदेश के लॉरेंस स्कूल पहुंचे। हायर एजुकेशन के लिए मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज गए और कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। उमर के राजनीतिक करियर का आगाज साल 1996 में हुआ, जब नेशनल कॉन्फ्रेंस राज्य में प्रचंड बहुमत के साथ लौटी। उन्होंने कहा था, पार्टी की जीत के बाद मैंने राजनीति को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. राजनीति में कदम रखने के 2 साल बाद ही दिल्ली का रास्ता का तय किया।

1998 में उन्हें पिता फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा का चुनाव लड़वाया। उमर ने चुनाव लड़ा भी और जीता भी. इस जीत के साथ 2001 में सबसे कम उम्र के विदेश मंत्री होने का रिकॉर्ड भी बनाया। हालांकि, उन्होंने मात्र 17 महीने बाद दिसम्बर 2002 में पद से इस्तीफा दे दिया।

इसी के साथ उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिली. साल 2002 में उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष बनाया गया। इसी साल विधानसभा चुनाव हुए और वो गांदरबल विधानसभा सीट से मैदान में उतरे। परिणाम निराशानजक रहे. उमर करीब 2 हजार वोटों से हार गए। बेटे की हार के बाद पिता फारूक ने हार की जिम्मेदारी ली। इस हार की कई वजह बताई गईं। आलोचकों ने यह भी कहा कि उमर अब्दुल्ला विदेश से पढ़ाई करके आए हैं और राज्य के लोग उन्हें बाहरी मानते हैं।

*राजनीति से दूरी बनाते-बनाते आखिर आ ही गए चुनावी अखाड़े में*

उमर राजनीति में नहीं आना चाहते थे. यह बात वो अपने इंटरव्यू में पहले ही कह चुके थे। पिता फारूक अब्दुल्ला ने भी इस पर मुहर लगाते हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि वो बेटे को कभी भी राजनीति के अखाड़े में नहीं लाना चाहते थे। उन्होंने कहा, जब मैं राजनीति में आना चाहता था तो मेरे पिता ने भी इससे दूर रहने की सलाह दी थी। उनका कहना था कि अगर तुम इस नदी में कूदे तो कभी बाहर नहीं निकल पाओगे। मेरी पत्नी भी उमर के राजनीति में आने का विरोध करती रही है। एक बार जब मैंने उनसे उमर के राजनीति में आने की बात कही तो उनका कहना था ऐसा मेरी मौत के बाद भी संभव हो पाएगा।

2008 के जम्मू-कश्मीर विधान सभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 2009 में उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए जाना गया।

2015 में मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की राजनीति में राज्य की आवाज बुलंद करते रहे। उन्होंने लगातार जम्मू-कश्मीर की अनुच्छेद 370 की बहाली की वकालत की, जिसे अगस्त 2019 में रद्द कर दिया गया था।

*कैसे चमका सितारा?*

राज्य में पीडीपी के कमजोर होने का फायदा उमर अब्दुला की पार्टी और गठबंधन को मिला. वहीं, इंजीनियर रशीद बड़ा फैक्टर नहीं साबित हुए. विश्लेषकों का कहना है कि लोकसभा में उनकी जीत की वजह तात्कालिक माहौल था । रशीद की अगुआई वाली पार्टी अवामी इत्तेहाद पार्टी और जमात-ए-इस्लामी के उम्मीदवार चुनाव में कोई खास असर नहीं दिखा सके. अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) ने चुनाव 44 उम्मीदवार मैदान उतारे. उनके भाई और प्रवक्ता फिरदौस बाबा समेत कई प्रमुख कैंडिडेट असफल रहे। कई की तो जमानत भी जब्त हो गई. अफजल गुरु के भाई एजाज अहमद गुरु को सोपोर विधानसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। वहीं, भाजपा की गुज्जर वोटर साधने के लिए बनाई गई रणनीति काम नहीं आई. इसका फायदा उमर की पार्टी और गठबंधन को मिला।

*अब सबसे बड़ी चुनौती*

मुख्यमंत्री बनने के बाद उमर अब्दुल्ला की राह आसान कतई नहीं होगी. जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा, उमर को केंद्रीय गृह मंत्रालय और उपराज्यपाल (LG ) से निपटना होगा. विधानसभा चुनावों से पहले उमर ने कहा था, जब तक जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता, वह चुनाव नहीं लड़ेंगे.

उमर ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में कहा था, “मैं LG के प्रतीक्षा कक्ष के बाहर बैठकर उनसे यह नहीं कहने वाला हूं कि, ‘सर, कृपया फाइल पर दस्तखत कर दीजिए’

लव स्टोरी… होटल में मुलाकात से पत्नी से अलगाव तक
उमर अब्दुल्ला और उनकी पत्नी पायल नाथ से तलाक की खबरें कई बार सुर्खियां बन चुकी हैं. दोनों की लव स्टोरी की शुरुआत तब हुई जब दोनों दिल्ली के ओबेराय होटल में काम किया करते थे। पायल नाथ सिख फैमिली से थीं और उनके पिता मेजर रामनाथ सेना से रिटायर्ड रहे हैं. दोनों ने 1994 में लव मैरिज की. जोड़ी चर्चा में रहती थी क्योंकि ऐसा बहुत कम ही होता था कि उमर किसी कार्यक्रम में बिना पत्नी के पहुंचें।

दोनों ही शादी हुई और कश्मीर की राजनीति में व्यस्तता बढ़ने के कारण उमर का दिल्ली आना बहुत कम हो पाता था। शादी के बाद पायल बहुत कम समय तक कश्मीर में रहीं। धीरे-धीरे दोनों के बीच तल्खियां बढ़ने लगीं और 2011 में दोनों अलग हो गए. दोनों के दो बेटे हैं जाहिर और जमीर। दोनों पायल के साथ दिल्ली में रहते हैं।