3 अक्टूबर से शुरू हो रही है शारदीय नवरात्रि, इस सरल विधि से करें घट स्थापना, ये है शुभ समय!
2 अक्टूबर को साल के अंतिम सूर्य ग्रहण का प्रभाव कहां दिखेगा, यहां जानें सही समय और तारीख
रिपोर्टर जयंत कुमार
रांची : हिन्दुओं धर्म का सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि कल यानि 3 अक्टूबर से शुरू होने वाला है। नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाएगी।आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि का प्रारंभ होता है। इस साल की शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है। 11 अक्टूबर को नवमी पूजन के बाद नवरात्रि की समाप्ति हो जाएगी।
नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर दुर्गा मां का आवाहन किया जाता है और फिर भक्ति-भाव से पूरे 9 दिनों तक उनके 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।
पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त से ही कलश स्थापना कर सकते है। आचार्य रवि पांडे ने बताया कि 3 अक्टूबर की सुबह पहला मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक है। सुबह में घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा।
वही दूसरा शुभ मुहूर्त- 3 अक्टूबर की दोपहर में अभिजीत मुहूर्त है। यह बहुत ही शुभ माना जाता है। यह सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस बीच कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं। दोपहर में आपको 47 मिनट का शुभ समय मिलेगा।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा श्रद्धा भाव से लोग करते हैं। नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित करने का खास महत्व है। आचार्य रवि पांडे के अनुसार, नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से जीवन और मन में व्याप्त अंधकार दूर हो सकती है। इसे जिंदगी से अंधेरे को दूर करने का प्रतीक माना गया है। आप घर पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करने वाले हैं तो अखंड ज्योति अवश्य जलाएं।
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करने से माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर मनोकामना पूरी होती है।
• भगवान गणेश का आवाहन करें और देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, हालांकि नारंगी और लाल कलर की रंग भी देवी को सबसे प्रिय है।
• घट स्थापना के बाद षोडोपचार विधि से मां शैलुपत्री की विधि-विधान से पूजा करें।
•मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
• मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें।
मां शैलपुत्री के इस इस मंत्र का करें जाप
ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को कहां दिखेगा
अब बात करते हैं इस साल के सबसे अंतिम सूर्य ग्रहण आज 2 अक्टूबर को लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण 6 घंटे 4 मिनट तक रहेगा। इस सूर्य ग्रहण के दिन सर्व पितृ अमावस्या है, जो अश्विन अमावस्या तिथि को पड़ता है। 2 अक्टूबर को रात 9 बजकर 13 मिनट पर लगेगा। यह सूर्य ग्रहण 3 अक्टूबर गुरुवार को तड़के 3 बजकर 17 मिनट पर खत्म होगा। अब सवाल है कि क्या भारत में सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा या नहीं, तो आपको बता दें कि जिस समय सूर्य ग्रहण लग रहा होगा, उस समय भारत में अंधेरा रहेगा। ऐसे में भारत में सूर्य ग्रहण नहीं दिखेगा।
Oct 06 2024, 13:56