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विश्व हृदय दिवस आज,कम उम्र में बढ़ रहे है हार्ट अटैक के मामले,जानिए कैसे रखें अपने दिल का ख्याल


हर साल 29 सितंबर को 'विश्व हृदय दिवस' (World Heart Day) मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हृदय से जुड़ी बीमारियों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। हाल के वर्षों में, हृदय रोग केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह युवाओं को भी तेजी से प्रभावित कर रहा है। खासकर कम उम्र में हार्ट अटैक के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अपनी जीवनशैली और स्वास्थ्य पर ध्यान दें।

कम उम्र में हार्ट अटैक के बढ़ते कारण:

1 अस्वस्थ जीवनशैली: आजकल की व्यस्त जीवनशैली में अधिकतर लोग असंतुलित खानपान, व्यायाम की कमी, और अनियमित दिनचर्या के शिकार हो रहे हैं। फास्ट फूड, प्रोसेस्ड भोजन, और मीठे पेय पदार्थों का अत्यधिक सेवन हृदय की सेहत के लिए हानिकारक होता है।

2 तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: अत्यधिक मानसिक तनाव, चिंता, और डिप्रेशन भी हृदय रोगों का प्रमुख कारण बन रहे हैं। करियर, रिश्ते और आर्थिक दबाव जैसे कारक युवाओं को बहुत जल्दी तनावग्रस्त कर देते हैं, जिससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।

3 धूम्रपान और शराब का सेवन: कम उम्र में धूम्रपान और शराब के सेवन की आदतें भी हृदय की सेहत पर बुरा प्रभाव डालती हैं। निकोटीन और अल्कोहल रक्तचाप को बढ़ाते हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा रहता है।

4 स्लीप एपनिया और अनिद्रा: नींद की कमी और स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं भी हृदय की सेहत को प्रभावित करती हैं। ये समस्याएं दिलl की धड़कनों को असामान्य बना सकती हैं, जिससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ जाता है।

5 अनुवांशिक कारण: अगर परिवार में किसी को हृदय रोग है, तो आने वाली पीढ़ियों में भी यह समस्या विकसित हो सकती है। अनुवांशिक कारणों से भी कम उम्र में हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।

हृदय को स्वस्थ रखने के उपाय:

1 स्वस्थ आहार का सेवन: अपने आहार में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, और हेल्दी फैट्स जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करें। तले-भुने, प्रोसेस्ड और अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थों से बचें। चीनी का सेवन कम करें और नमक की मात्रा को सीमित रखें।

2 नियमित व्यायाम करें: रोजाना 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे पैदल चलना, योग, साइकिलिंग, या जिम में कसरत करने से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त प्रवाह में सुधार होता है।

3 तनाव प्रबंधन: तनाव को कम करने के लिए ध्यान (मेडिटेशन), प्राणायाम, और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों का सहारा लें। पॉजिटिव सोच और स्वस्थ मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखें।

4 नींद का ध्यान रखें: हर दिन कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें। एक अच्छी नींद शरीर को पुनर्जीवित करती है और हृदय की धड़कनों को सामान्य बनाए रखती है।

5 धूम्रपान और शराब से दूर रहें: तंबाकू और शराब का सेवन बंद करें। यह आपके हृदय और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। धूम्रपान छोड़ने से हार्ट अटैक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

6 नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, और शुगर की जांच करवाते रहें। इससे किसी भी प्रकार की समस्या को समय रहते पहचाना जा सकता है और उचित उपचार किया जा सकता है।

निष्कर्ष:  

कम उम्र में हृदय रोग का बढ़ता खतरा एक गंभीर समस्या बन गया है। इसके लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, तनाव मुक्त जीवन, और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच करके हम हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं। 

इस विश्व हृदय दिवस पर, हम सभी को अपने दिल की सेहत के प्रति सजग रहने का संकल्प लेना चाहिए और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए।

मछली खाने के 5 अद्भुत लाभ, दिमाग को बनाएं सुपरफास्ट और रखें मानसिक स्वास्थ्य बेहतरीन

मछली एक बेहतरीन आहार है जो न सिर्फ स्वादिष्ट होती है, बल्कि इसके सेवन से शरीर और मस्तिष्क को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं कि मछली खाने से किस तरह दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज दौड़ता है और इसके और कौन-कौन से फायदे हैं:

1. ओमेगा-3 फैटी एसिड का बेहतरीन स्रोत

मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो मस्तिष्क के विकास और कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक होता है। यह तत्व न्यूरॉन्स के बीच संचार को बेहतर बनाता है, जिससे मेमोरी और कंसन्ट्रेशन क्षमता में सुधार होता है। नियमित रूप से मछली खाने से दिमाग की कार्यक्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति तेज होती है।

2. मानसिक तनाव और डिप्रेशन को कम करे

मछली में पाए जाने वाले पोषक तत्व तनाव और डिप्रेशन को कम करने में भी मददगार होते हैं। ओमेगा-3 के सेवन से मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामिन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो मूड को बेहतर बनाने और तनाव को दूर करने में सहायक होते हैं। इस प्रकार, मछली खाने से दिमाग सकारात्मक विचारों की ओर प्रेरित होता है।

3. याददाश्त को बनाए मजबूत

मछली का सेवन याददाश्त को मजबूत बनाने में भी सहायक है। खासतौर पर वृद्धावस्था में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए मछली खाना फायदेमंद होता है। इसमें उपस्थित ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने का कार्य करता है, जिससे याददाश्त में सुधार होता है।

4. शरीर और मस्तिष्क की थकान को दूर करे

मछली में मौजूद प्रोटीन, विटामिन डी और बी12 जैसे पोषक तत्व शरीर और दिमाग की थकान को दूर करने में सहायक होते हैं। यह न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि मानसिक थकान को भी कम करता है। इससे ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में वृद्धि होती है और दिमाग चुस्त-दुरुस्त बना रहता है।

5. नेत्र स्वास्थ्य में सुधार

मछली के सेवन से नेत्रों की कार्यक्षमता भी बढ़ती है। इसमें पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने और दृष्टि-संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक होता है। इसके सेवन से व्यक्ति को आंखों की थकान कम महसूस होती है और दृष्टि भी तेज होती है।

निष्कर्ष

मछली एक संपूर्ण आहार है जो शरीर और मस्तिष्क के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसे अपने आहार में शामिल करके न केवल आप अपनी दिमागी ताकत को बढ़ा सकते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवनशैली को भी अपना सकते हैं। तो, अगर आप चाहते हैं कि आपका दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज दौड़े, तो नियमित रूप से मछली का सेवन जरूर करें।

जयंती पर विशेष: स्वर कोकिला लता मंगेशकर संघर्ष, समर्पण और संगीत की मिसाल


नयी दिल्ली : लता मंगेशकर की 28 सितंबर को 95वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 6 फरवरी, 2022 को उनका निधन हो गया था। लता भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज आज भी अमर है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लता की जिंदगी कई उतार-चढ़ाव से होकर गुजरी थी।

उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से हैं जो उन्होंने खुद बायोग्राफी लता सुरगाथा में बताए थे...

बचपन

टीचर की बात सुनकर आया गुस्सा, छोड़ दिया स्कूल ये बात गलत थी कि मैं कभी स्कूल नहीं गईं। मैं एक बार स्कूल गई थी। घर के नजदीक एक मराठी मीडियम का स्कूल था जहां मेरी फुफेरी बहन बसंती पढ़ती थी। एक दिन मैं उसके साथ स्कूल गई तो टीचर ने पूछा- तुम कौन हो? मैंने जवाब दिया- मैं दीनानाथ मंगेशकर की बेटी हूं। ये बात सुनकर वो बोले कि वो तो बड़े महान गायक हैं। तुम्हें कुछ गाना आता है?

मैंने उन्हें गाना सुनाया जिसके बाद उन्होंने मुझे स्कूल में दाखिला दे दिया। मैं स्कूल के पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा को लेकर गई, जो केवल दस महीने की थी। टीचर ने कहा कि स्कूल में इतने छोटे बच्चों को लाने की इजाजत नहीं। यह बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैं क्लास बीच में छोड़कर घर आ गई।'

उसके बाद मैंने स्कूल का मुंह कभी नहीं देखा। मैंने घर पर ही आसपास के लोगों की मदद से पढ़ाई की। मराठी, हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत और उर्दू भी सीखी

13 साल की उम्र में घर चलाने के लिए फिल्मों में आईं 'ये 1942 की बात है। उस समय मेरे पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था। 13 साल की उम्र में पूरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई थी। ऐसे में न चाहते हुए भी मुझे फिल्मों में काम करना पड़ा। घर में मां के अलावा चार भाई-बहनों की परवरिश एक चुनौती थी, जिसके लिए फिल्मों में काम करने का रास्ता ही मुझे ठीक लगा। मास्टर विनायक ने मुझे अपनी पहली फिल्म मंगलागौर में अभिनेत्री की छोटी बहन का रोल दिया।

शूटिंग के दौरान मास्टर विनायक का स्टूडियो के साथ झगड़ा हो गया और उन्होंने फिल्म छोड़ दी। इस फिल्म को फिर डायरेक्टर आर.एस. जुन्नारदेव ने पूरा किया था। 1942 से 1947 तक मैंने पांच फिल्मों में काम किया। इनमें माझे झोल (1943), गजाभाऊ (1944), बड़ी मां (1945), जीवन यात्रा (1946), सुभद्रा (1946) और मंदिर (1948) शामिल थीं।'

संघर्ष

गरीबी में लता ने पहनी थी 12 रुपए की साड़ी। ये बात किसी को मालूम नहीं होगी कि 1947-48 के दौरान राशन की दुकान पर साड़ियां मिलती थीं। जब मैंने काम करना शुरू किया तो मेरे हालात अच्छे नहीं थे। ऐसे में राशन की दुकान में जो साड़ियां मिलती थीं, मैं उन्हें पहना करती थी।

'ये साड़ियां कॉटन की होती थीं, जिनके किनारों पर एक पतला सा लाल बॉर्डर होता था। उस समय वे साड़ियां 12 रुपए में मिलती थीं। मैं उन्हें खरीदकर लाती और अपने हाथ से खुद धोती और सूखने के बाद उन्हें सिरहाने रखकर सोती थी।

सिरहाने दबे होने से साड़ियां सुबह ऐसी हो जाती थीं कि जैसे उन पर इस्त्री की हो। मेरे पास तब इतने पैसे भी नहीं थे कि साड़ियों को इस्त्री करवाकर उन्हें पहन सकूं।'

परिवार

चाचा ने कहा- परिवार का नाम खराब कर देगी ये लड़की '14 साल की उम्र में मैं कोल्हापुर से मुंबई एक शो में गाने के लिए अपनी मौसी के साथ गई थी। यहां मैं अपने चाचा कमलनाथ मंगेशकर के घर रुकी थी। घर पहुंचते ही मैं रियाज करने लग गई। मेरी यही कोशिश थी कि पिताजी के नाम पर कोई सवाल ना उठाए।

मगर चाचाजी मुझसे नाराज थे। उन्होंने मुझे देखकर कहा, ये लड़की भाई दीनानाथ मंगेशकर का नाम खराब कर देगी। कहां वो एक सुधी गायक और कहां ये लड़की। ये लड़की ठीक से गा नहीं पाएगी और पूरे खानदान का नाम मिट्टी में मिल जाएगा।

चाचा के जैसी ही सोच मेरी बुआ विजय की भी थी। उन लोगों की ये बात सुन मैं बहुत आहत हुई और रोने लगी। तब मौसी ने मुझे समझाया कि किसी की बिना सुने बस मैं अपनी गायकी पर ध्यान दूं।

अगले दिन मैंने अपनी परफॉर्मेंस दी। उस शो में दर्शक के तौर पर एक्ट्रेस ललिता पवार भी मौजूद थीं। उन्हें मेरा गाना बहुत पसंद आया। ललिता पवार ने मुझे इनाम में सोने की बालियां भेंट कीं।'

कामयाबी

जब जवाहर लाल नेहरु बोले-इस लड़की ने रुला दिया '1962 में चीन के आक्रमण के दौरान पं. प्रदीप (कवि प्रदीप) ने देशभक्ति गीत 'ए मेरे वतन के लोगो' लिखा। उन्होंने मुझसे गुजारिश की थी कि मैं 26 जनवरी, 1963 को गणतंत्र दिवस के मौके पर इस गीत को गाऊं। जब मैंने ये गाना वहां गाया तो जवाहरलाल नेहरु अपने आंसू रोक नहीं पाए।

गाने के बाद मैं स्टेज के पीछे कॉफी पी रही थी तभी निर्देशक महबूब खान ने मुझसे आकर कहा कि तुम्हें पंडितजी बुला रहे हैं।

नेहरू के सामने उन्होंने ले जाकर कहा, ‘ये रही हमारी लता। आपको कैसा लगा इसका गाना?’

नेहरू ने कहा,

बहुत अच्छा। इस लड़की ने मेरी आंखों में पानी ला दिया।

इतना कहकर उन्होंने मुझे गले लगा लिया।

विवाद

रफी के बारे में कहा : उन्हें गलतफहमी हो गई थी 'रॉयल्टी को लेकर मोहम्मद रफी से झगड़े पर लता ने कहा था- मैं इसे विवाद या झगड़े से ज्यादा सिद्धांत की लड़ाई के तौर पर देखती हूं।

जब मैंने यह मुद्दा उठाया था तो मुझे अपने भविष्य की चिंता होने लगी थी।लगता था अभी तो गला चल रहा है तो काम मिल रहा है मगर कल का क्या?

इसी वजह से मैंने म्यूजिक कंपनियों से कहा कि उन्हें सिंगर्स को गानों के एवज में रिकॉर्ड की बिक्री पर प्रॉफिट का कुछ अंश देना चाहिए। इस पर विवाद होने लगा।

रफी साहब ने कहा कि जब हमने एक बार गाने के पैसे ले लिए तो फिर और पैसे मांगने का क्या मलतब है? मैंने तर्क दिया कि एक बार हमने गाना गा लिया, लेकिन उन फिल्मों के रिकॉर्ड तो सालों बनते और बिकते रहते हैं, जिनका मुनाफा रिकॉर्ड कंपनियों और फिल्म प्रोड्यूसर्स को जाता रहेगा, जबकि पीछे की मेहनत तो हमारी है।

कंपनियां मुनाफा कमाती रहेंगी और सिंगर्स बदहाली की जिंदगी जीने को मजबूर रहते हैं। मुकेश, मन्ना डे, तलत महमूद और किशोर कुमार तो इस बात के समर्थन में थे, लेकिन रफी साहब, आशा जी और कुछ सिंगर्स को ये बात नहीं जमी। मुझे लगता था कि रफी साहब को मुद्दे की पूरी जानकारी नहीं थी और उन्हें गलतफहमी हो गई थी। इसका नतीजा ये रहा कि मैंने और रफी साहब ने सालों तक साथ में गाना नहीं गाया।'

वर्कप्लेस पर उठाई आवाज, छोड़ दी रिकॉर्डिंग 'किस्सा 1949 का है। मैं फिल्म चांदनी रात के गाने 'हे छोरे की जात बड़ी बेवफा' की रिकॉर्डिंग कर रही थी। नौशाद इस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे। मेल प्लेबैक सिंगर जीएम दुर्रानी थे।

अपनी लाइन गाने के बाद दुर्रानी शरारत करने लगते। नौशाद जी ने उन्हें समझाया कि इससे रिकॉर्डिंग में अड़चन आ रही है, ऐसा न करें।

एक ब्रेक के बाद गाने की रिकॉर्डिंग शुरू हुई तो दुर्रानी की हरकतें बढ़ गईं। उन्होंने मेरी सफेद साड़ी पहनने का मजाक उड़ाते हुए कहा, तुम सफेद चादर लपेटकर क्यों आती हो, रंगीन कपड़े क्यों नहीं पहनती हो?

इसके अलावा उन्होंने मेरी ज्वेलरी पर भी सवाल उठाए। मैंने रिकॉर्डिंग बीच में बंद कर दी। मैं सोचती थी कि जीएम दुर्रानी मेरे कपड़ों और ज्वेलरी से ज्यादा मेरी गायकी पर फोकस करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद मैंने तय कर लिया कि मैं उनके साथ कभी काम नहीं करूंगी।'

आज का इतिहास: विश्व बैंक ने भारत को बताया था विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था


नयी दिल्ली : 28 सितंबर का इतिहास महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2004 में आज ही के दिन विश्व बैंक ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहा था।

2007 में 28 सितंबर को ही नेशनल एयरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिशस्ट्रशन (नासा) ने विशेष यान डॉन का प्रक्षेपण किया था। 2006 में आज ही के दिन जापान के नव निर्वाचित और 90वें प्रधानमंत्री के रूप में शिंजो एबे ने शपथ ली थी।

2009 में आज ही के दिन स्टार खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा पैन पैसिफिक ओपन के पहले राउंड में हार के बाद बाहर हुई थीं।

2007 में 28 सितंबर को ही नेशनल एयरोनॉटिक्स स्पेस एडमिनिशस्ट्रशन (नासा) ने विशेष यान डॉन का प्रक्षेपण किया था।

2007 में आज ही के दिन मेक्सिको के तटीय क्षेत्रों में आए चक्रवर्ती तूफान लोरेंजो ने भारी तबाही मचाई थी।

2006 में 28 सितंबर को ही तालिबान ने लादेन के जीवित होने की घोषणा की थी।

2006 में आज ही के दिन जापान के नव निर्वाचित और 90वें प्रधानमंत्री के रूप में शिंजो एबे ने शपथ ली थी।

2004 में 28 सितंबर को ही विश्व बैंक ने भारत को विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहा था।

2001 में आज ही के दिन अमेरिका व ब्रिटिश सेना एवं सहयोगियों ने ‘ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम’ शुरू किया था।

2000 में 28 सितंबर को ही सिडनी ओलंपिक में 200 मीटर की दौड़ के स्वर्ण पदक का ख़िताब मोरियाना जोंस तथा केंटेरिस ने जीता था।

1997 में आज ही के दिन अमेरिकी अंतरिक्ष शटल अटलांटिक रूसी अंतरिक्ष केंद्र ‘मीर’ से जुड़ा था।

1994 में 28 सितंबर को ही एतोमिया के जल पोत के तुर्क सागर में डूबने से 800 लोगों की जान चली गई थी।

1958 में आज ही के दिन फ्रांस में संविधान लागू हुआ था।

1950 में 28 सितंबर को ही इंडोनेशिया संयुक्त राष्ट्र का 60 वां सदस्य बना था।

1928 में आज ही के दिन अमेरिका ने चीन की राष्ट्रवादी च्यांग काई-शेक की सरकार को मान्यता दी थी।

1923 में 28 सितंबर के दिन ही इथोपिया ने राष्ट्र संघ की सदस्यता छोड़ दी थी।

28 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1982 में आज ही के दिन बालीवुड अभिनेता रणबीर कपूर का जन्म था।

1982 में 28 सितंबर के दिन ही प्रसिद्ध भारतीय निशानेबाज़ अभिनव बिंद्रा का जन्म हुआ था।

1949 में आज ही के दिन भारत के 41वें मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मल लोढ़ा का जन्म हुआ था।

1929 में 28 सितंबर को ही भारतीय गायिका लता मंगेशकर का जन्म हुआ था।

1907 में आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जन्म हुआ था।

28 सितंबर को हुए निधन

1895 में आज ही के दिन फ्रांस के प्रसिद्ध जैव वैज्ञानिक लुईस पाश्चर का निधन हुआ था।

1953 में 28 सितंबर को ही प्रसिद्ध अमेरिकी खगोलशास्त्री एडविन हब्बल का निधन हुआ था।

2008 में आज ही के दिन हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार शिवप्रसाद सिंह का निधन हुआ था।

2012 में 28 सितंबर के दिन ही भारत के पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्र का निधन हुआ था।

2015 में आज ही के दिन हिंदी के प्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल का निधन हुआ था।

दिवाली से पहले केंद्र सरकार का श्रमिकों को तोहफा, बढ़ाई न्यूनतम मजदूरी; नई दरें 1 अक्टूबर से लागू

नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने परिवर्तनीय महंगाई भत्ते (वीडीए) में संशोधन करके असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की मजदूरी में वृद्धि की है। इसका उद्देश्य श्रमिकों को जीवन-यापन की बढ़ती लागत से निपटने में मदद करना है। नई मजदूरी दरें एक अक्टूबर, 2024 से प्रभावी होंगी। पिछला संशोधन अप्रैल, 2024 में किया गया था।

श्रमिकों को मिलेगा इसका लाभ

केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के अंतर्गत भवन-निर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, स्वीपिंग, क्लीनिंग, हाउसकीपिंग, खनन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा। न्यूनतम मजदूरी दरों को अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और उच्च कुशल के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर ए, बी और सी श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।

श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी

संशोधन के बाद भौगोलिक क्षेत्र-ए में निर्माण, झाड़ू लगाने, सफाई करने, लोडिंग और अनलोडिंग में लगे अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दर 783 रुपये प्रतिदिन (20,358 रुपये प्रति माह), अर्धकुशल श्रमिकों के लिए 868 रुपये प्रतिदिन (22,568 रुपये प्रति माह) होगी।

श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई

वहीं, कुशल श्रमिकों के लिए मजदूरी दर 954 रुपये प्रतिदिन (24,804 रुपये प्रति माह) और उच्च कुशल श्रमिकों के लिए 1,035 रुपये प्रतिदिन (26,910 रुपये प्रति माह) होगी। केंद्र सरकार औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई में छह महीने की औसत वृद्धि के आधार पर वर्ष में दो बार वीडीए में संशोधन करती है, जो एक अप्रैल और एक अक्टूबर से प्रभावी होता है।

ग्रेटर नोएडा से दिल दहलाने वाली वारदात आई सामने हैवान पति ने सात माह की गर्भवती पत्नी की गला रेत कर की हत्या,गर्भ में पल रहे भ्रूण की भी मौत।


दिल्ली:- ग्रेटर नोएडा में बिसरख कोतवाली क्षेत्र के रोजा जलालपुर गांव में एक सात महीने की गर्भवती महिला की धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी गई। पेट में पल रहे भ्रूण की भी मौत हो गई।

पीड़ित परिजनों ने ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज की मांग पूरी न होने पर हत्या करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। पुलिस ने पीड़ित स्वजन को समझा-बुझाकर शांत किया। 

हत्या करने के बाद आरोपित पुलिस को भी गुमराह करने में लगे रहे। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो सच सामने आ गया।वहीं, पुलिस ने जांच कर मृतका के पति व देवर को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद किया है।

डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि मृतक महिला नीरज अपने पति अर्जुन सिंह के साथ रोजा जलालपुर गांव में रहती थी। रात करीब साढ़े नौ बजे पति अर्जुन ने अपने स्वजनों के साथ मिलकर महिला की धारदार हथियार से लगा रेतकर हत्या कर दी। वह सात महीने की गर्भवती थी। हत्या करने के बाद आरोपितों ने पुलिस को अज्ञात लोगों के हमला करने की सूचना दी।

सूचना पर पहुंची पुलिस ने महिला को नजदीकी अस्पताल भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद पुलिस की फोरेंसिक व डाग स्क्वायड टीम ने भी मौके पर पहुंच कर जांच की। पुलिस ने महिला के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है

महिला के पिता विजयपालने दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए पति अर्जुन, देवर अजय, ससुर विपती राम व महिला पूजा देवी के खिलाफ शिकायत दी है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने पति अर्जुन व देवर अजय को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में आरोपितों ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया। पुलिस ने आरोपितों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त चाकू, मोटरसाइकिल व दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं।

पांच साल पहले हुई थी शादी

अलीगढ़ के पहाड़ीपुर के विजपाल सिंह ने बताया कि उन्होंने पांच साल पहले अपनी बेटी की शादी मूलरूप से नगला अशू थाना खैर अलीगढ़ के अर्जुन के साथ की थी। इस समय वह ग्रेनो वेस्ट के रोजा जलालपुर गांव स्थित एक सोसायटी में रह रहा है।पीड़ित ने बताया कि बेटी की शादी धूमधाम से की, कार के साथ काफी दान दहेज दिया गया, लेकिन दहेज के लोभियों को शादी रास नहीं आई। शादी के कुछ दिन बाद से ही ससुराल पक्ष के लोग दो लाख रुपये की मांग कर रहे थे। मांग पूरी न होने पर आरोपितों ने उसकी बेटी की गला रेतकर हत्या की है।

पुलिस को दी थी हमले की सूचना

हत्या करने के बाद आरोपितों ने पुलिस को गुमाराह करने के लिए हमले की सूचना दी। आरोपित पति ने पुलिस को बताया कि वह साप्ताहिक बाजार जा रहे थे। तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। चाकू से पत्नी की गला रेत दिया। उस पर भी हमला किया। हमले में वह भी घायल हो गया। जांच की तो पता चला कि वारदात को घर से चंद कदमों की दूरी पर ही अंजाम दिया गया। जिस रास्ते में हत्या की वह बाजार ही नहीं जाता था। आरोपितों ने अपने मोबाइल फोन की काल डिटेल को भी डिलीट कर दिया था।

आज का इतिहास:2006 में 25 सितंबर को ही तिब्बती ‘धर्मगुरु’ दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की हुई थी मांग

 

नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 25 सितंबर का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई हैं।

महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि 2015 में सिंगापुर में प्रदूषण की वजह से स्कूलों को बंद करना पड़ा था।

 2006 में आज ही के दिन दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की मांग की गई थी।

2015 में आज ही के दिन सिंगापुर में प्रदूषण की वजह से स्कूलों को बंद करना पड़ा था।

2008 में 25 सितंबर के दिन ही चीन ने अंतरिक्ष यान ‘शेंझो 7’ का प्रक्षेपण किया था।

2007 में आज ही के दिन पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के नेतृत्‍व वाली नेपाली कांग्रेस (डेमोक्रेटिक) पार्टी का कांग्रेस में विलय हुआ था।

2006 में 25 सितंबर को ही तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भारतीय नागरिकता देने की मांग की गई थी।

2006 में आज ही के दिन अंतरिक्ष की सैर पर निकली ईरान की पहली महिला अनुशेह अंसारी ने देश के इतिहास में नया अध्याय रचा दिया था।

2003 में 25 सितंबर के दिन ही गयूम ने मालदीव के राष्ट्रपति का चुनाव छठी बार जीता था।

2001 में आज ही के दिन सऊदी अरब ने तालिबान मिलिशिया से संबंध तोड़ा था।

1999 में 25 सितंबर को ही आठवें सैफ खेलों का काठमांडू में उद्घाटन हुआ था।

1992 में 25 सितंबर को ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ‘मार्स ऑब्जर्वर स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में भेजा था।

1981 में आज ही के दिन मध्य अमेरिकी देश बेलीज संयुक्त राष्ट्र में शामिल हुआ था।

1955 में 25 सितंबर को ही रॉयल जॉर्डन वायु सेना की स्थापना हुई थी।

1897 में आज ही के दिन ब्रिटेन में पहली बस सेवा की शुरुआत हुई थी।

1846 में 25 सितंबर को ही अमेरिकी सेना ने मेक्सिको के मोंटेरी पर कब्जा किया था।

1654 में आज ही के दिन इंग्लैंड और डेनमार्क ने व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

1639 में 25 सितबंर के दिन ही अमेरिका में पहली ‘प्रिंटिंग प्रेस’ की शुरुआत हुई थी।

1524 में आज ही के दिन वास्कोडिगामा आखिरी बार वायसराय बनकर भारत आए थे।

24 सितंबर का इतिहास को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1914 में आज ही के दिन भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल का जन्म हुआ था।

1920 में 25 सितंबर को ही भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन का जन्म हुआ था।

1939 में 25 सितंबर के दिन प्रसिद्ध अभिनेता एवं फिल्म निर्माता-निर्देशक फिरोज खान का जन्म हुआ था। 

1977 में आज ही के दिन जानी-मानी अभिनेत्री दिव्या दत्ता का जन्म हुआ था।

25 सितंबर को हुए निधन

1294 में 25 सितंबर के दिन ब्रिटेन के दार्शनिक और रसायनशास्त्री रोजर बेकन का निधन हुआ था।

1955 में आज ही के दिन भारत की प्रथम महिला चिकित्सक रुक्माबाई का निधन हुआ था।

1989 में 25 सितंबर को ही साहित्यकार एवं स्वतंत्रता सेनानी सुदर्शन सिंह चक्र का निधन हुआ था।

2010 में आज ही के दिन हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार कन्हैयालाल नंदन का निधन हुआ था।

हैवान बना पति घर में सो रही पत्नी और 3 साल के बेटे को गंडासे से काट डाला, बच्चे की मौत, पत्नी गंभीर


फिरोजाबाद :- नगला खंगर इलाके में एक सनकी युवक ने घर में सो रही पत्नी और 3 साल के बेटे को गंडासे से काट डाला.चीख-पुकार सुनकर लोगों ने पुलिस को जानकारी दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर गंभीर रूप से घायल मां-बेटे को अस्पताल पहुंचाया. यहां चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया, जबकि महिला की हालत गंभीर बनी हुई है. वारदात के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया. पुलिस घटना की जांच कर रही है।

नगला खंगर थाना क्षेत्र में जैमतपुर गांव है. यहां का नरेंद्र बाहर नौकरी करता है. वह परिवार को भी साथ ही रखता था. परिवार में पत्नी रेनू (26) और 3 साल का बेटा किट्टू हैं. सोमवार की रात किसी बात को लेकर नरेंद्र का पत्नी से विवाद हो गया. इसके बाद पत्नी बेटे के साथ सोने चली गई. 

रात में किसी समय नरेंद्र हाथ में गंडासा लेकर परिवार पर टूट पड़ा. उसने पहले पत्नी पर हमला किया. गंभीर चोट के कारण पत्नी जमीन पर गिर गई. इसके बाद उसने किट्टू पर भी कई वार कर दिए।

इसके बाद फरार हो गया. चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोगों ने पुलिस को जानकारी दी. कुछ ही देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने गंभीर रूप से घायल मां-बेटे को शिकोहाबाद के संयुक्त चिकित्सालय भिजवाया।

यहां डॉक्टरों ने किट्टू को मृत घोषित कर दिया. पुलिस ने किट्टू के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. जबकि रेनू का मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है. उसकी हालत गंभीर बनी हुई है.

घटना की जानकारी मिलने के बाद रेनू के मायके वाले भी मौके पर पहुंच गए. घटना के पीछे की असल वजह सामने नहीं आ पाई, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार नरेंद्र शराब पीने का आदी है. 

पत्नी इसका विरोध करती थी, इसे लेकर आए दिन घर में विवाद होता रहता था. थाना प्रभारी नगला खंगर गिरीश कुमार ने बताया कि आरोपी नरेंद्र की तलाश की जा रही है. जल्द ही उसे पकड़ लिया जाएगा।

आज का इतिहास: 2014 में आज ही के दिन इसरो के ‘उपग्रह मंगलयान’ ने मंगल ग्रह की कक्षा में किया था प्रवेश


 

नयी दिल्ली : 24 सितंबर का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2014 में आज ही के दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था। 

2009 में 24 सितंबर के दिन ही देश के पहले चन्द्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी खोज निकाला था।

2014 में आज ही के दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह मंगलयान ने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था।

2009 में 24 सितंबर के दिन ही देश के पहले चन्द्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी खोज निकाला था।

2008 में आज ही के दिन मद्रास उच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी और दो अन्य दोषियों की समय पूर्व रिहाई संबंधित याचिका खारिज की थी।

2008 में 24 सितंबर के दिन ही चीन और नेपाल ने दूरसंचार के क्षेत्र में एक अहम अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किया था।

2005 में आज ही के दिन आई.ए.ई.ए. ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे को सुरक्षा परिषद को सौंपने का निर्णय लिया था।

2003 में 24 सितंबर के दिन ही फ्रांस के राष्ट्रपति जैक्स शिराक ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का समर्थन किया था।

1996 में 24 सितंबर के दिन ही अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

1990 में आज ही के दिन पूर्वी जर्मनी ने खुद को वारसा संधि से अलग किया था।

1978 में 24 सितंबर के दिन ही पूर्व सोवियत संघ ने भूमिगत परमाणु परीक्षण किया था।

1965 में आज ही के दिन यमन को लेकर सऊदी अरब और मिस्र के बीच समझौता हुआ था।

1948 में 24 सितंबर के दिन ही होंडा मोटर कंपनी की स्थापना हुई थी। 

1932 में आज ही के दिन डॉ. भीमराव आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच पुणे की यरवडा सेंट्रल जेल में दलितों के लिए विधानसभाओं में सीटें सुरक्षित करने को लेकर एक विशेष समझौता हुआ था।

24 सितंबर को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1971 में आज ही के दिन भारत के प्रथम प्रसिद्ध तीरंदाज लिम्बा राम का जन्म हुआ था।

1963 में 24 सितंबर के दिन ही वरिष्‍ठ टेलीविज़न पत्रकार पंकज पचौरी का जन्म हुआ था।

1950 में आज ही के दिन भूतपूर्व प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी मोहिन्दर अमरनाथ का जन्म हुआ था।

1940 में 24 सितंबर के दिन ही भारत की प्रसिद्ध महिला तैराक आरती साहा का जन्म हुआ था।

1925 में आज ही के दिन भारतीय, चिकित्साशास्त्र के वैज्ञानिक औतार सिंग पैंटल का जन्म हुआ था।

1861 में 24 सितंबर के दिन ही महिला अधिकारों की बुलंद आवाज भिकाजी कामा का जन्‍म हुआ था।

1856 में आज ही के दिन हिंदी खड़ी बोली और ‘भारतेन्दु युग’ के उन्नायक प्रताप नारायण मिश्र का जन्म हुआ था।

24 सितंबर को हुए निधन

2006 में आज ही के दिन दक्षिण भारतीय अभिनेत्री और मशहूर भरतनाट्यम नृत्यांगना, नृत्य की महान् रोशनी (नृत्यापेरोली) के नाम से मशहूर पद्मिनी का निधन हुआ था।

साइकोलॉजी के अनुसार जानिए खुशहाल जीवन के 7 सरल उपाय


मानव मनोविज्ञान यह समझने में मदद करता है कि हम किस तरह से सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं। खुशी और संतोष जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं, और साइकोलॉजी के अनुसार, कुछ सरल उपाय हमें खुश और संतुष्ट जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे सात उपाय, जो हमें मानसिक रूप से सशक्त और खुशहाल बना सकते हैं:

1 आभार व्यक्त करें (Practice Gratitude)

आभार का अभ्यास करने से मानसिक संतुलन बना रहता है। जब हम उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनके लिए हम आभारी हैं, तो हमारी सोच सकारात्मक हो जाती है। रोज़ाना दिन के अंत में कुछ मिनट निकालकर उन चीज़ों के बारे में सोचें जिनके लिए आप आभारी हैं, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों।

2 सकारात्मक संबंध बनाए रखें (Build Positive Relationships)

स्वस्थ और सकारात्मक रिश्ते जीवन में खुश रहने का मुख्य कारण हैं। दोस्तों और परिवार के साथ अच्छे रिश्ते मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। समय-समय पर अपने प्रियजनों से संपर्क बनाए रखें, उनके साथ समय बिताएं और संवाद करें। इससे अकेलापन और तनाव कम होता है।

3 माइंडफुलनेस का अभ्यास करें (Practice Mindfulness)

माइंडफुलनेस का अर्थ है वर्तमान क्षण में पूरी तरह से उपस्थित रहना। ध्यान और सांस लेने की तकनीकें माइंडफुलनेस को बढ़ाती हैं और चिंता व तनाव को कम करती हैं। दिन में कुछ समय निकालकर ध्यान लगाएं और अपने विचारों को नियंत्रित करें। इससे मानसिक स्पष्टता और शांति मिलती है।

4 स्वास्थ्य का ध्यान रखें

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आपस में गहरा संबंध है। नियमित व्यायाम, स्वस्थ भोजन और पर्याप्त नींद जीवन में खुशी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने से मन भी खुश और संतुलित रहता है।

5 लक्ष्य निर्धारित करें और पूरा करें (Set and Achieve Goals)

छोटे और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करके उन्हें हासिल करना जीवन में संतोष और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। जब हम अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं, तो हमें एक संतोष और उपलब्धि की भावना होती है। ध्यान रखें कि आपके लक्ष्य व्यावहारिक और प्राप्य हों।

6 दूसरों की मदद करें (Help Others)

दूसरों की मदद करने से न केवल उन्हें लाभ होता है, बल्कि हमें भी अंदर से खुशी मिलती है। जब आप किसी की मदद करते हैं, तो आपके अंदर आत्मिक संतोष उत्पन्न होता है। छोटे-छोटे नेक काम, जैसे किसी की परेशानी सुनना या किसी ज़रूरतमंद की सहायता करना, खुशी के स्रोत बन सकते हैं।

7 नकारात्मक सोच से बचें (Avoid Negative Thinking)

नकारात्मक विचार मन को अशांत और बेचैन करते हैं। नकारात्मक सोच की जगह सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने से जीवन में खुशी आती है। अपने दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचारों को चुनौती दें और सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करें।

इन सात उपायों का पालन करने से आप न केवल मानसिक रूप से मजबूत बन सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में अधिक खुशी और संतोष भी पा सकते हैं। साइकोलॉजी इस बात पर जोर देती है कि खुश रहने के लिए हमें अपने मन और शरीर दोनों का ध्यान रखना ज़रूरी है।