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जम्मू कश्मीर के रामबन से राहुल ने पीएम मोदी पर जोरदार हमला, बोले-पहले छाती चौड़ी करके आते थे, अब कंधे झुक गए
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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का बुधवार से स्टार प्रचार शुरू हो गया। पार्टी ने पहले चरण में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को उतारा है।लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज यानी बुधवार को रामबन और अनंतनाग जिलों में दो जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं।

राहुल गांधी बुधवार को सबसे पहले रामबन पहुंचे। यहां के गूल इलाके के संगलदान में राहुल ने एक रैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी छाती चौड़ी कर के आते थे, अब उनके कंधे झुक गए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि

*जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा*
राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए। सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि 1947 में हमने राजाओं को हटाकर लोकतांत्रिक सरकार बनाई, हमने देश को संविधान दिया। आज जम्मू-कश्मीर में राजा हैं, उनका नाम एलजी है। हम राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे।

*राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर की जनता से किए 5 बड़े वादे*
राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि एक राज्य को खत्म कर दिया गया और लोगों के अधिकार छीन लिए गए. सबसे पहले जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस करना होगा क्योंकि सिर्फ आपका राज्य ही नहीं छीना गया है, आपके अधिकार, आपकी संपत्ति, सब कुछ आपसे छीना जा रहा है।
1. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार सत्ता में आने वाली है। हम सभी सरकारी रिक्तियों को भरेंगे, हम आयु सीमा को 40 तक बढ़ाएंगे। दिहाड़ी मजदूरों को नियमित किया जाएगा।"
2. कश्मीर में हमारी सरकार बनेगी और आपके लिए पूरे दिल से काम किया जाएगा। यह एक खूबसूरत जगह है, चुनाव के बाद मुझे फिर से यहां आना होगा। संगलदान एक बहुत अच्छी जगह है। मैं यहां कम से कम 2 से 3 दिन बिताना चाहता हूं।
3. राहुल गांधी ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के रामबन में चुनावी रैली में कहा- देश में भाजपा और RSS के लोग नफरत और हिंसा फैसला रहे हैं। वे देश को बांटने का काम कर रहे हैं हम इसे जोड़ेंगे।
4. राहुल ने कहा- जम्मू-कश्मीर से स्टेटहुड छीना गया, हम इसे वापस देंगे।
5. यहां राजा का शासन है। यहां के राजा उप-राज्यपाल (LG) हैं। पहले राज्य केंद्र शासित प्रदेश को राज्य बनाया जाता है। मोदी जी राज्यों को केंद्र शासित प्रदेश बना रहे हैं।
पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने राहुल गांधी से की मुलाकात, क्या कांग्रेस ने दिया टिकट का ऑफर?
#vinesh_phogat_bajrang_punia_meet_rahul_gandh

राजनीति में मुलाकातों के बड़े मायने होते हैं। ये मुलाकात तब और खास हो जाते हैं, जब चुनावी खेल होने हो। हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। राहुल से मिलने के बाद वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी मिले। इस मुलाकात के बाद दोनों पहलवानों के चुनाव लड़ने के संकेत मिल रहे हैं। यही नहीं, खबरें ये भी मिल रही हैं कि कांग्रेस, बजरंग पूनिया को बादली और विनेश फोगाट को जुलाना से चुनावी मैदान में उतारने जा रही है।

*विनेश को दो सीटों का ऑपशन*
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने विनेश फोगाट से संपर्क किया है और उनकी इच्छा पूछी गई है कि वह किस सीट से लड़ना चाहती हैं। फिलहाल कांग्रेस ने उन्हें दो सीटों में से किसी एक का ऑप्शन दिया है। पहली है बधरा और दूसरी दादरी। दोनों सीटें चरखी दादरी में ही आती हैं। इसमें से दादरी सीट पर बबीता फोगाट भाजपा के टिकट पर 2019 में चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, वह तीसरे नंबर पर रहीं थी। निर्दलीय रहे सोमबीर सांगवान यहां से चुनाव जीते थे। कांग्रेस चौथे स्थान पर रही थी। अब सोमबीर कांग्रेस में हैं। अगर विनेश यहां से चुनाव लड़ती हैं तो फिर इस सीट पर दो बहनों के बीच मुकाबला होगा। हालांकि, कांग्रेस ने विनेश को साफ तौर पर कहा है कि वो जिस सीट पर भी कहेंगी, उन्हें टिकट मिल जाएगा।

*पुनिया किस सीट से लड़ेंगे चुनाव?*
वहीं, दूसरी तरफ बजरंग पूनिया ने कांग्रेस से बादली विधानसभा सीट मांगी है। इस सीट पर सीटिंग विधायक कुलदीप वत्स को टिकट फाइनल कर दिया है। कुलदीप ब्राम्हण नेता हैं। ऐसे में कांग्रेस कुलदीप का टिकट काटकर ब्राह्मणों को नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए बजरंग को बहादुरगढ़ और भिवानी का ऑप्शन दिया है। साथ ही हरियाणा की किसी भी जाट बाहुल्य सीट का ऑप्शन भी दिया गया है। अब गेंद बजरंग पूनिया के पाले में है कि वो किस सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं।

*राजनीति में आने को लेकर क्या कहा चुकीं हैं विनेश?*
पेरिस ओलंपिक में वजन के कारण विनेश फोगाट पदक से चूक गई थीं। जब वे भारत लाैटीं थीं तो उन्हें हरियाणा कांग्रेस के नेता दीपेंद्र हुड्डा भी मिलने पहुंचे थे। तभी से उनके राजनीति में आने की चर्चाएं तेज हो गई थी। वहीं, 27 अगस्त 2024 को हरियाणा के जींद में एक कार्यक्रम में विनेश फोगाट ने राजनीति में आने को लेकर कहा था कि वह इसे लेकर दबाव में हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपने बुजुर्गों से इस बारे में सलाह-मशविरा करेंगी। विनेश ने कहा था कि जब उनका मन स्थिर और साफ होगा तब वह सोचेंगी कि आगे क्या करना है। विनेश ने पेरिस ओलंपिक में अयोग्य करार दिए जाने के बाद पहलवानी से सन्यांस ले लिया था।

कांग्रेस इस बार हरियाणा के विधानसभा चुनाव में बीते कुछ वर्षों में पार्टी को जितना नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई करने की तैयारी में है। वो चाह रही है कि इस चुनाव में उन सीटों को भी जीता जाए जहां बीते लंबे समय से पार्टी का खाता नहीं खुला है। इसके लिए ग्राउंड लेवल से लेकर टॉप लेवल तक, तैयारियों को आखिरी रूप भी दिया जा रहा है।
हरियाणा विस चुनावः क्यों आप का साथ चाहती है कांग्रेस, गठबंधन के पीछे मजबूरी या रणनीति?*
#haryana_chunav_2024_aap_congress_alliance_reason हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। इसके लिए दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता शीघ्र ही मुलाकात कर गठबंधन की संभावनाएं तलाश सकते हैं। कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए एक कमेटी भी बनाई है, जो की आम आदमी पार्टी से गठबंधन की संभावनाओं को लेकर चर्चा करेगी। अहम बात यह कि हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा ने प्रदेश में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन अब गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी से मीटिंग का दौर चल रहा है। ऐसे में सवाल है कि कांग्रेस के सामने राजनीतिक मजबूरी है या खास रणनीति के तहत गठबंधन चाहती है? हरियाणा में अब तक एकला चलो की नीति पर काम कर रही कांग्रेस ने अचानक आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का फैसला किया है। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में राहुल गांधी ने आप से गठबंधन करने पर पार्टी नेताओं से राय मांगी है. इसके बाद से पार्टी नेता गठबंधन का फॉर्मूला तलाशने में जुट गए हैं, जिसमें लिए स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन, प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा शामिल हैं। *वोटों का बंटवारा रोकने की कवायद* अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के लिए आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन मजबूरी है? दरअसल, कांग्रेस इस बात से फिक्रमंद है कि इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) -बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) गठबंधन और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)-आज़ाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन से कांग्रेस को मिलने वाले दलित वोटों में सेंध लग सकती है. आखिरकार इसका खामियाजा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। लिहाजा कांग्रेस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसलिए कांग्रेस वोटों का बंटवारा रोकने के लिए आप से भी डील करने पर विचार कर रही है। *भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी वोट बंट जाने का डर* आम आदमी पार्टी की अभी दिल्ली और पंजाब में सरकार है और अब पार्टी की नजर हरियाणा पर है। बताया जा रहा है कि कुरुक्षेत्र सहित पंजाब से सटे जिलों में आम आदमी पार्टी का प्रभाव हो सकता है। अभी आप सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है। अगर पार्टी ऐसा करती है तो भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी वोट बंट जाएंगे, जो कांग्रेस के साथ आप के लिए नुकसानदेह है। इसके साथ ही इंडिया गठबंधन पर भी असर पड़ेगा। *विपक्षी एकता का संदेश देने की कोशिश* एक वजह ये भी बताई जा रही है कि राहुल गांधी विपक्षी एकता को जिंदा रखना चाहते हैं। वो ये मैसेज देना चाहते हैं कि विपक्ष पूरी तरह से एकजुट है। *कांग्रेस और आप, दोनों को फायदा?* हरियाणा में यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गंठबंधन होगा तो कुछ हद तक दोनों ही पार्टियो को फायदा होगा। कांग्रेस पांच सीटें आम आदमी पार्टी को देना चाहती है, ताकि नॉन जाट वोट भी कांग्रेस को मिल सके। वहीं, आम आदमी पार्टी 10 सीटें मांग रही है, लेकिन यदि उसका एक भी प्रत्याशी जीत हासिल करता है तो आम आदमी पार्टी के लिए फायदे का सौदा होगा और हरियाणा में भी उसकी एंट्री हो जाएगी। इसके अलावा, यदि पार्टी कोई भी सीट जीतती भी नहीं है तो गठबंधन में चुनाव लड़ने से उसका वोट शेयर बढ़ जाएगा, जिसका उसे सियासी तौर पर लाभ मिलेगा।
केन्द्र ने बढ़ाई दिल्ली एलजी की शक्तियां, अब मिला बोर्ड-आयोग में नियुक्ति का अधिकार*
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राष्ट्रपति ने दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना के अधिकार बढ़ा दिए हैं। उन्होंने अब दिल्ली के किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग और वैधानिक निकाय में सदस्यों को बनाने और नियुक्त करने की शक्ति मिल गई है। इससे पहले यह अधिकार दिल्ली सरकार के पास थे। सरकार ने इसका गजट भी जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि दिल्ली के उपराज्यपाल ऐसे प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या वैधानिक निकायों में सदस्यों की नियुक्ति भी कर सकते हैं। मंत्रालय ने यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 239 के खंड (1) के साथ पठित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली शासन अधिनियम, 1991 (1992 का 1) की धारा 45डी के तहत जारी की है। गृह मंत्रालय की ओर से जो गजट जारी किया गया है, उसके मुताबिक अब दिल्ली एलजी के पास किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या किसी भी वैधानिक निकाय के गठन के लिए अधिकार होगा। इसके लावा वह ऐसे किसी भी प्राधिकरण बोर्ड, आयोग और निकाय में किसी भ्सी सरकारी अधिकारी या पदेन सदस्य की नियुक्ति कर सकेंगे। इसके लिए वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम की धारा 45 घर के तहत राष्ट्रपति की शक्तियां प्राप्त होंगीं। इस संबंध में गजट अधिसूचना प्रकाशित होने के तुरंत बाद उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) वार्ड समिति चुनावों के लिए पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति कर दी, क्योंकि महापौर शैली ओबेरॉय ने इससे पहले यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था कि उनकी अंतरात्मा उन्हें अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं देती। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल वीके के बीच अधिकारों को लेकर लंबे समय से खींचतान चल रही है। केंद्र के इस आदेश के बाद केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार के बीच नए सिरे से टकराव की संभावना है।
कांग्रेस का मिशन कश्मीरःराहुल गांधी आज रामबन और अनंतनाग में करेंगे रैली*
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जम्मू-कश्मीर में करीब 10 साल बाद एक बार फिर से विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले फेज की 24 सीटों पर 18 सितंबर को वोटिंग होगी। वहीं, विधानसभा चुनाव के लिए पहले फेज की वोटिंग से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पूरी तरह से एक्टिव हो गए हैं। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बुधवार को प्रचार के लिए दिल्ली से श्रीनगर के लिए निकल चुके हैं। राहुल की पहली रैली रामबन के गूल में 12 बजे और दूसरी अनंतनाग के डूरू में 1.30 बजे से होगी। राहुल गांधी आज पूरा दिन कश्मीर में ही बिताएंगे. दिल्ली से जम्मू पहुंचने के बाद वह विमान से रामबन जिले के गुल में पहुंचेंगे, जहां 11:30 बजे उन्हें रैली संबोधित करनी है। वह बनिहाल से चुनाव लड़ रहे पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विकार रसूल वानी के लिए प्रचार करेंगे। इसके बाद वह दोपहर 1 बजे अनंतनाग जिले के डुरु जाएंगे, जहां वह कांग्रेस के महासचिव और पूर्व मंत्री गुलाल अहमद मीर के समर्थन में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। शाम को वह दिल्ली लौट आएंगे। *कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ लड़ेंगी चुनाव* जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी। दोनों पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है। कुल 90 विधानसभा सीटों में से नेशनल कॉन्फ्रेंस 51 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस 32 सीटों पर फाइट करेगी, जबकि पांच सीटों पर फ्रेंडली फाइट होगी। इसके अलावा दो सीट सहयोगी दल सीपीआईएम और पैंथर्स के लिए छोड़ी गई है। *कब-कब हैं चुनाव?* जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का आयोजन कुल तीन फेज में होगा। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। वहीं, चुनाव आयोग की ओर से विधानसभा चुनाव के परिणाम 4 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
भारत ने पैरालंपिक खेलों में तोड़ा अब तक का रिकॉर्ड, बनाया सबसे ज्यादा मेडल जीतने का कीर्तिमान*
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पेरिस पैरालंपिक में भारतीय दल ने शानदार प्रदर्शन किया है। हमारे एथलीट ने धमाका करते हुए पिछले रिकॉर्ड को तोड़ डाला है। पिछले दो दिन में भारत ने 13 मेडल जीते हैं। भारत ने पेरिस में पदकों की संख्या 20 तक पहुंचा दी है और इसी के साथ पैरालंपिक में अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ा डाला। टोक्यो में भारतीय खिलाड़ियों ने कुल 19 पदक जीते थे। पैरालंपिक खेलों में भारत की भागीदारी का इतिहास 64 साल पुराना है। भारत इसमें 1960 से हिस्सा लेता आ रहा है। लेकिन, साल 2024 में जो हुआ है वो एक नया इतिहास है। जो पेरिस में हुआ वो पहले किसी पैरालंपिक गेम्स में देखने को नहीं मिला। भारत ने यहां 64 सालों का रिकॉर्ड तोड़ा है। दरअसल, भारत ने पेरिस में 20 मेडल का आंकड़ा छूने के साथ ही एक पैरालंपिक गेम्स में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का नया इतिहास रच दिया है। भारत के खाते में अब कुल 20 मेडल हो गए हैं। इनमें 3 गोल्ड मेडल, 7 सिल्वर मेडल और 10 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। पेरिस से पहले भारत ने टोक्यो 2020 में पैरालंपिक गेम्स में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने कुल 19 मेडल जीते थे। लेकिन, अब पेरिस में पहले 6 दिनों के भीतर ही भारतीय पैराएथलीटों ने पैरालंपिक गेम्स के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड चकनाचूर कर दिया है। ये रिकॉर्ड जीते मेडल की संख्या का तो है ही लेकिन उससे भी बढ़कर एथलेटिक्स में मिली अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी का भी है। पेरिस पैरालंपिक में भारत ने एथलेटिक्स में अपनी सफलता की नई कहानी लिखी है। उसने यहां एथलेटिक्स में वो किया है, जो पहले इस खेल में तो क्या पैरालंपिक खेलों के इतिहास में दूसरे किसी भी खेल में नहीं किया. पैरालंपिक खेलों में पहली बार एथलेटिक्स में भारत के मेडल की संख्या ने दहाई के आंकड़े को छूआ है। *पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के मेडल विजेता खिलाड़ी* 1. अवनि लेखरा (शूटिंग)- गोल्ड मेडल, महिला 10 मीटर एयर राइफल (SH1) 2. मोना अग्रवाल (शूटिंग)- कांस्य मेडल, महिला 10 मीटर एयर राइफल (SH1) 3. प्रीति पाल (एथलेटिक्स)- कांस्य मेडल, महिला 100 मीटर रेस (T35) 4. मनीष नरवाल (शूटिंग)- सिल्वर मेडल, पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) 5. रुबीना फ्रांसिस (शूटिंग)- कांस्य मेडल, महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1) 6. प्रीति पाल (एथलेटिक्स)- कांस्य मेडल, महिला 200 मीटर रेस (T35) 7. निषाद कुमार (एथलेटिक्स)- सिल्वर मेडल, पुरुष हाई जंप (T47) 8. योगेश कथुनिया (एथलेटिक्स)- सिल्वर मेडल, पुरुष डिस्कस थ्रो (F56) 9. नितेश कुमार (बैडमिंटन)- गोल्ड मेडल, पुरुष सिंगल्स (SL3) 10. मनीषा रामदास (बैडमिंटन)- कांस्य मेडल, महिला सिंगल्स (SU5) 11. थुलासिमथी मुरुगेसन (बैडमिंटन)- सिल्वर मेडल, महिला सिंगल्स (SU5) 12. सुहास एल यथिराज (बैडमिंटन)- सिल्वर मेडल, पुरुष सिंगल्स (SL4) 13. शीतल देवी-राकेश कुमार (तीरंदाजी)- कांस्य मेडल, मिक्स्ड कंपाउंड ओपन 14. सुमित अंतिल (एथलेटिक्स)- गोल्ड मेडल, पुरुष जैवलिन थ्रो (एफ 64 वर्ग) 15. नित्या श्री सिवन (बैडमिंटन)- कांस्य मेडल, महिला सिंगल्स (SH6) 16. दीप्ति जीवनजी (एथलेटिक्स)- कांस्य मेडल, महिला 400m (T20) 17. मरियप्पन थंगावेलु (एथलेटिक्स पुरुष ऊंची कूद)- कांस्य मेडल, (T63) 18. शरद कुमार (एथलेटिक्स पुरुष ऊंची कूद)- स‍िल्वर मेडल, (T63) 19 अजीत सिंह (एथलेटिक्स पुरुष भाला फेंक)- स‍िल्वर मेडल, (F46) 20 सुंदर सिंह गुर्जर (एथलेटिक्स पुरुष भाला फेंक)- कांस्य मेडल, (F46)
पीएम मोदी का ब्रुनेई दौरा कितना अहम, अमेरिका-रूस जैसे मुल्कों से डील के बाद भारत के लिए ये छोटा से देश क्यों है खास?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को ब्रुनेई पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई सुल्तान हाजी हसनल बोलकिया के निमंत्रण पर 3 और 4 सितंबर को ब्रुनेई की यात्रा पर हैं। करीब साढ़े चार लाख की आबादी वाले ब्रुनेई का प्रधानमंत्री मोदी का दौरा ऐतिहासिक है। पीएम मोदी की ब्रुनेई की यह पहली यात्रा है। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की ब्रुनेई का पहला द्विपक्षीय दौरा होगा। यह यात्रा उस वक्त हो रही है जब दोनों देश अपने राजनीयिक संबंधों की स्थापना के 40वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रुनेई रवाना होने से पहले एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “आज, मैं ब्रुनेई दारुस्सलाम की अपनी पहली द्विपक्षीय यात्रा पर जा रहा हूं। हम अपने राजनयिक संबंधों के 40 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। मैं महामहिम सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया और शाही परिवार के अन्य सम्मानित सदस्यों के साथ अपनी बैठकों को लेकर उत्सुक हूं, ताकि हमारे ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकें।”

इस छोटे से मुल्क के साथ क्यों खास है संबंध?

पीएम मोदी करीब 24 घंटे तक ब्रनेई में रहेंगे। इस दौरान वह कई अहम बैठकों और मुलाकातों में शिरकत करेंगे। अब सवाल ये पैदा हो रहा है कि अमेरिका, रूस जैसे मुल्कों के साथ डील करने वाले पीएम मोदी इन छोटे से मुल्क में इतना समय क्यों बिता रहे हैं। दरअसल, भारत बीते कुछ समय से अपनी विदेश नीति को दक्षिण पूर्व एशियाई देशों पर केंद्रित कर रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से बेहद समृद्ध इन मुल्कों के साथ साझेदारी को और ऊंचाई पर पहुंचाकर देश का आर्थिक विकास करना है। साथ ही इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव को काउंटर करना है।

चीन के करीबी मुल्कों में अपनी पकड़ होगी मजबूत!

दरअसल, इसकी भौगिलिक स्थिति काफी अहम है। यह दक्षिण-पूर्वी एशिया, बोर्नियो द्वीप के उत्तरी तट के साथ, दक्षिण चीन सागर और मलेशिया की सीमा पर स्थित है। दक्षिण चीन सागर के जरिए हिंद और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के करीब है। यह दक्षिण चीन सागर के करीब है। यहीं से हिंद प्रशांत क्षेत्र में समुद्री व्यापार का सबसे अहम मार्ग गुजरता है। ऐसे में पीएम मोदी ब्रुनेई के साथ आर्थिक से साथ-साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना चाहते हैं। इससे भारत को भौगोलिक रूप से चीन के करीबी मुल्कों में अपनी पकड़ बनाने में मदद मिलेगी।

यूक्रेन पर रूस का बड़ा हमला, बैलिस्टिक मिसाइल अटैक में 41 की मौत

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रूस ने मंगलवार को यूक्रेन के पोल्तावा शहर में 2 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। रूस ने कब्जे वाले क्रीमिया क्षेत्र से 3 इस्कंदर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिसमें से 2 मिसाइलों ने एक मिलिट्री स्कूल और अस्पताल को चपेट में लिया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने दावा किया है कि इस हमले में 41 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 180 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अपने टेलीग्राम चैनल के जरिए बताया है कि एक हमला पोल्तावा के मिलिट्री कॉलेज में हुआ, जिसमें कम से कम 41 लोग मारे गए हैं। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अलर्ट सायरन बजने और मिसाइल अटैक होने में बेहद कम समय का अंतर था। लोग बॉम्ब शेल्टर की तरफ जा ही रहे थे कि उन पर हमला हो गया। रेस्क्यू टीम ने 25 लोगों को बचा लिया जिनमें से 11 मलबे के नीचे दबे थे।

जेलेंस्की ने कहा कि रूस ने उनके एक एजुकेशनल इंस्टिट्यूट और अस्पताल को निशाना बनाया। इस दौरान एक इमारत को काफी नुकसान पहुंचा। कई नागरिक इमारत के मलबे के नीचे दब गए। हमले के बाद पोल्तावा में तीन दिन के शोक की घोषणा की है। जेलेंस्की ने कहा है कि उन्होंने इस हमले को लेकर पूर्ण जांच के निर्देश दे दिए हैं।

जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी हमलावरों को इसका खामियाजा भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के वो सभी देश जो इस युद्ध को रोकने की ताकत रखते हैं, हम उनसे अपील कर रहे हैं कि यूक्रेन को एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइलों की जरूरत है। लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें ही यूक्रेन को रूस के आक्रमण से बचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से देरी का हर दिन अधिक से अधिक लोगों की जान ले रहा है।

इससे पहले रूसी सेना ने रविवार को यूक्रेन के खारकीव में घातक हमले किए थे जिसमें 5 बच्चों समेत कम से कम 47 लोगों की मौत हो गई थी। यूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक ये 47 मौतें खारकीव के एक मॉल पर हुए रूसी मिसाइलों के हमलों में हुईं। खारकीव में रूसी हमलों के बाद यूक्रेन की राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अपने पश्चिमी सहयोगियों से चर्चा की थी और उनकी तरफ से दी गई मिसाइलों से रूस पर हमला करने की इजाजत मांगी थी। यूक्रेन का कहना है कि वह रूस के और अंदरूनी इलाकों में हमला करना चाहता है।

वहीं, रूसी अधिकारियों की तरफ से भी कहा गया था कि यूक्रेन ने करीब 158 ड्रोन रूसी शहरों पर दागे हैं, जिसके बाद मॉस्को ऑयल रिफाइनरी और कोनाकोवो पावर स्टेशन में आग लग गई। पिछले हफ्ते रूस के शहर सरतोवा की बिल्डिंग पर एक यूक्रेनी ड्रोन से हमला किया गया था, इस हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से हुई थी।

बंगाल में एंटी-रेप बिल पास, ऐसा करने वाला बंगाल बना पहला राज्य, बलात्कारियों को 10 दिन में सजा का प्रावधान

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने आज मंगलवार (3 सितंबर) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार द्वारा पेश किए गए बलात्कार विरोधी 'अपराजिता' विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित केंद्रीय कानूनों में संशोधन लाने वाला पहला राज्य बन गया है।

इस विधेयक को राज्यपाल सी वी आनंद बोस और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे 'ऐतिहासिक' और 'आदर्श' बताते हुए कहा कि यह विधेयक 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर को श्रद्धांजलि है, जिसकी पिछले महीने सरकारी आरजी कर मेडिकल सेंटर में बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। 'अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) 2024' में बलात्कार और यौन अपराधों के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है, यदि उनके कृत्यों के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह अचेत अवस्था में चली जाती है। इसके अलावा, इसमें बलात्कार के दोषियों के लिए बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया है।

विधेयक पर चर्चा के दौरान, ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से आग्रह किया कि वे राज्यपाल से विधेयक पर सहमति देने की अपील करें। ममता ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की गई है और बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए सामाजिक सुधार की आवश्यकता है। ममता ने यह भी कहा कि विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए, ताकि इसे लागू किया जा सके। ममता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध दर असामान्य रूप से अधिक है, जबकि पश्चिम बंगाल में महिलाओं को अदालतों में न्याय मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि BNS पारित करने से पहले पश्चिम बंगाल से परामर्श नहीं किया गया, और उन्होंने केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद इस पर चर्चा की इच्छा व्यक्त की। भाजपा ने विधेयक का स्वागत किया, लेकिन भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए पहले से ही कड़े प्रावधान होने की बात कही। पार्टी के नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने विधेयक में सात संशोधनों की मांग की और इसका तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की बात की।

अधिकारी ने कहा कि इस कानून का तत्काल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और उन्होंने इस पर परिणाम की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि विपक्ष समर्थन देगा, लेकिन विधेयक को तुरंत लागू करने की गारंटी दी जानी चाहिए। यह विशेष सत्र कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच बुलाया गया था।

बता दें कि, इस बिल में दोषियों के लिए दस दिन में फांसी का प्रावधान है। लेकिन इसपर सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिर 10 दिन के अंदर किसी को दोषी कैसे साबित किया जाएगा ? संदेशखाली का TMC नेता शेख शाहजहां, जो कई महीनों से जेल के अंदर है, अब तक उस पर दोष साबित नहीं हो पाया है, जबकि उस पर कई महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। लेकिन, अब ममता सरकार दावा कर रही है कि वो 10 दिन में बलात्कारियों को फांसी देगी, जबकि शेख शाहजहां को पकड़ने में ही बंगाल पुलिस को 50 दिन से अधिक लग गए थे, वो भी कोलकाता हाई कोर्ट की फटकार के बाद पकड़ा गया था। मौजूदा कोलकाता के मामले में भी बंगाल पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं, सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं, CBI ने कोर्ट में खुद कहा है कि अपराध के 5 दिन बाद जब जांच उनके हाथ में आई, तब तक सबकुछ बदल गया था, सैकड़ों लोगों की भीड़ क्राइम सीन तक घुस आई थी, हॉस्पिटल में निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था, यहाँ तक कि मृतका की डायरी के पन्ने भी फ़टे हुए मिले हैं, जिनमे अहम सुराग हो सकते थे। ऐसे में ये तो वक़्त ही बताएगा कि ममता सरकार बलात्कारियों को 10 दिन में फांसी दिलवा पाती है या नहीं ? या फिर ये कानून सिर्फ मौजूदा मामले में अपनी सरकार को डिफेंड करने का एक शिगूफा साबित होता है।

विधायकों-सांसदों के लिए कोई योग्यता की जरूरत नहीं, हाई कोर्ट बोला- ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में इस बात पर खेद व्यक्त किया कि अब तक विधायकों और सांसदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य नहीं किया गया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा विधायकों और सांसदों के लिए न्यूनतम योग्यता को अनिवार्य न करने पर जताए गए खेद को अब तक दूर नहीं किया गया है।

जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने इस मामले में संविधान सभा में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के 26 नवंबर 1949 को दिए गए संबोधन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून बनाने वालों की बजाय कानून को प्रशासित करने वालों के लिए उच्च योग्यता पर जोर देना सही नहीं है। कोर्ट ने इस संदर्भ में कहा कि लगभग 75 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी सांसद या विधायक बनने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। यह टिप्पणी एक आपराधिक शिकायत को खारिज करते हुए की गई, जिसमें आरोप था कि बीजेपी नेता और पूर्व विधायक राव नरबीर सिंह ने अपने नामांकन पत्र में शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी दी थी। RTI कार्यकर्ता हरिंदर ढींगरा ने आरोप लगाया था कि नरबीर सिंह ने 2005 में दावा किया था कि उन्होंने हिंदी विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से स्नातक किया था, जबकि यूजीसी ने जानकारी दी थी कि ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है।

कोर्ट ने शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने सही कारणों के आधार पर यह निर्णय लिया था। अदालत ने पाया कि नरबीर सिंह के पास 2005 और 2014 में नामांकन दाखिल करते समय स्नातक की डिग्री थी और इसलिए उन्हें गलत घोषणा करने का दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आज भी विधायकों और सांसदों के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है। इस मामले ने यह सवाल भी उठाया कि जब एक छोटी सी नौकरी के लिए भी शैक्षणिक योग्यता मांगी जाती है, तो फिर किसी विधायक या सांसद के लिए न्यूनतम योग्यता का प्रावधान क्यों नहीं है? आखिरकार, इन्हीं विधायकों और सांसदों में से कोई मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनता है, और क्या कोई अयोग्य व्यक्ति सही तरीके से राज्य या देश चला सकता है?