/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs1/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs4/1694757395964642.png/home/streetbuzz1/public_html/testnewsapp/system/../storage/avatars/thumbs5/1694757395964642.png StreetBuzz दिल्ली:डबल होगी अटल पेंशन योजना! करोड़ों लोगों को होगा फायदा, बजट में हो सकती है घोषणा Delhincr
दिल्ली:डबल होगी अटल पेंशन योजना! करोड़ों लोगों को होगा फायदा, बजट में हो सकती है घोषणा

नई दिल्ली:- मोदी सरकार 23 जुलाई को आम बजट पेश करेगी। हर बार की तरह इस बजट पर लोगों की निगाहें टिकी हैं। इस बार बजट में कई एलान संभव है। इस बीच सरकार अटल पेंशन योजना में राहत भरी घोषणा कर सकती है।

बीते 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मता सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया था। तब सरकारी योजना में संशोधन के संकेत मिले थे। इस बार उम्मीद है कि अटल पेंशन योजना की रकम में बढ़ोतरी हो सकती है।दस हजार रुपये हो सकती है पेंशन

अटल पेंशन योजना को लेकर बजट में उम्मीद हैं। केंद्र सरकार पेंशन का दायरा बढ़ा सकती है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है अधिकतम पेंशन राशि पांच हजार रुपये से बढ़ाकर दस हजार रुपये किया जा सकता है। इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी है।

अंतरिम बजट से पहले प्रस्ताव

पिछले अंतरिम बजट से पहले भी उम्मीद जताई गई थी। हालांकि तब अटल पेंशन योजना को लेकर कोई एलान नहीं किया गया। ऐसे में एक बार फिर पेंशन लिमिट बढ़ने की उम्मीद जारी है।

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अटल पेंशन योजना की न्यूनतम पेंशन रकम को बढ़ा सकती है। पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण के चेयरमैन दीपक मोहंती ने केंद्र से पेंशन राशि में बढोत्तरी का अनुरोध भी किया था।

अटल पेंशन योजना का लाभ

मोदी सरकार ने अटल पेंशन योजना की शुरुआत 2015 में की थी। इसमें पांच हजार रुपये तक पेंशन मिलती है। 18 से 40 साल की आयु के सभी भारतीय इस स्कीम के लिए एलिजिबल हैं। इस सरकारी योजना में गारंटेड पेंशन के साथ कई फायदे मिलते हैं। इसमें निवेश करके 1.50 लाख रुपये तक टैक्स बचा सकते हैं।

यमुना के डूब क्षेत्र पर किसी भी अनाधिकृत निर्माण को हटाना होगा चाहे वह धार्मिक स्थल ही क्यों न होः हाईकोर्ट



नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा यमुना के डूब क्षेत्र को किसी भी सूरत में बचाना होगा. इसका अतिक्रमण करने वाला कोई भी निर्माण हो चाहे वो धार्मिक ही क्यों न हो, उसे हटाना होगा. 

कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने यमुना के डूब क्षेत्र में गीता कॉलोनी के पास बने पुराने शिव मंदिर को हटाने के डीडीए के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश में कोई भी दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति मंदिर का कोई भी वैध दस्तावेज दिखाने में असफल रहा है. 

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस बात को स्वीकार किया है कि मंदिर यमुना के डूब क्षेत्र में स्थित है. इसका मतलब साफ है कि मंदिर अनाधिकृत तरीके से ईको-सेंसिटिव जोन में अतिक्रमण कर बनाया गया. हमें यमुना के डूब क्षेत्र की रक्षा करनी होगी. किसी भी अनाधिकृत निर्माण को रोकना होगा चाहे वो धार्मिक स्थल ही क्यों न हों.

बता दें, याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी. जस्टिस धर्मेश शर्मा की सिंगल बेंच ने 29 मई को याचिका खारिज करते हुए कहा था कि भगवान शिव की हमें रक्षा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे खुद हमारी रक्षा करते हैं. सिंगल बेंच ने कहा था कि अगर यमुना का किनारा और डूब क्षेत्र अतिक्रमण मुक्त हो जाए तो भगवान शिव ज्यादा खुश होंगे.

सिंगल बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने मंदिर के भगवान को इस मामले में पक्षकार बनाकर मामले को एक दूसरा रंग देने की कोशिश की. सिंगल बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता की दलील है कि मंदिर में रोजाना पूजा की जाती है. विशेष अवसरों पर खास आयोजन होते हैं, लेकिन इस सबसे ये सार्वजनिक महत्व का विषय नहीं हो सकते हैं.

याचिका प्राचीन शिव मंदिर एवं अखाड़ा समिति ने दायर किया था. मंदिर गीता कालोनी में यमुना किनारे ताज एन्क्लेव में स्थित है. याचिका में डीडीए की ओर से मंदिर को हटाने के आदेश को चुनौती दी गई थी. 

सिंगल बेंच ने कहा था कि ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया जिससे पता चले कि मंदिर सार्वजनिक उपयोग के लिए है और वो मंदिर समिति के निजी उपयोग के लिए नहीं है।

जय संतोषी मां फिल्म के निर्माता सतराम रोहरा का निधन, शोक की लहर


जय संतोषी मां फिल्म के निर्माता सतराम रोहरा का आज निधन हो गया.सतराम रोहरा का जन्म 16 जून, 1939 को सिंध (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। सतराम फिल्म निर्माता होने के साथ-साथ गायक भी थे। उन्होंने बतौर फिल्म निर्माता साल 1966 में रिलीज हुई 'शेरा डाकू' और 1973 में आई संजीव कुमार, मुमताज बेगम और एके हंगल की फिल्म 'रॉकी मेरा नाम' का निर्माण किया था।आज उनके निधन से शोक की लहर है.

 साल 1975 को जय माँ संतोषी माँ रिलीज हुई थी फिल्म जय संतोषी मां ने फिल्म पंडितों के सारे समीकरण ही बदल दिए थे । साल 1975 में कमाई करने के मामले में ये फिल्म शोले के बाद दूसरे नंबर पर रही। इसे बनाने वाले निर्माता सतराम रोहरा के निधन की खबर आते ही लोगों में इस फिल्म की चर्चाएं फिर शुरू हो गई हैं। चलिए आपको बताते हैं इस फिल्म का पूरा बाइस्कोप।

बंबई तब दादर के आगे बांद्रा और जुहू तक भी बमुश्किल ही आ पाया था और, अंधेरी तक आने में तो लोग दस बार सोचते थे। लेकिन, एक दिन लोगों ने देखा तो पाया कि बैलगाड़ियों की लंबी कतारें वसई विरार की तरफ से और मध्य मुंबई में कल्याण औऱ ठाणे की तरफ से आती ही चली जा रही हैं। लोगों को पता चला कि कोई फिल्म लगी है शहर में, नाम है, जय संतोषी मां। इसी फिल्म ने पहले शो में कमाए थे सिर्फ 56 रुपये, दूसरे में सिर्फ 64 रुपये, इवनिंग शो की कमाई रही मात्र 98 रुपये और नाइट शो का कलेक्शन बमुश्किल सौ रुपये छू पाया था। 

लेकिन, रिलीज के पहले सोमवार की सुबह से जो हलचल शुरू हुई तो महीनों तक फिर जहां-जहां जय संतोषी मां लगी थी वहां के सफाई करने वाले तक मालदार हो गए, शो के बीच उछाली गई रेजगारियां बटोर बटोर कर।

ये उन दिनों की बात है जब जोधपुर में मंडोर के पास संतोषी मां का एक मंदिर हुआ करता था। लोगों को पता भी नहीं था कि ऐसी कोई देवी पुराणों में हैं भी। खुद इस फिल्म में संतोषी मां का किरदार करने वाली अभिनेत्री अनीता गुहा को नहीं पता था कि ऐसी कोई देवी हैं। साल 2006 में स्टार गोल्ड पर फिल्म जय संतोषी मां पहली बार दिखाई जाने वाली थी और फिल्म के प्रसारण से पहले चैनल वालों ने अनीता गुहा को खोज निकाला औऱ उनके खूब इंटरव्यू भी कराए। बांद्रा के उनके फ्लैट के सामने हालांकि किसी जमाने में लोगों का हुजूम उमड़ता था, उनके दर्शन करने के लिए। उन्होंने तब बताया भी था कि कैसे लोग अपने बच्चे उनकी गोद में आशीर्वाद पाने के लिए डाल दिया करते थे।

फिल्म की कहानी सत्यवती नाम की एक महिला की है जिसको उसके ससुराल वाले बहुत कष्ट देते हैं और फिर संतोषी मां की कृपा से उसके जीवन में सब ठीक हो जाता है। सत्यवती के पति बिरजू का रोल करने वाले यानी कि फिल्म के हीरो आशीष कुमार की मानें तो उन्होंने ही इस फिल्म का आइडिया फिल्म के प्रोड्यूसर सतराम रोहरा को दिया था। 

आशीष के बच्चे नहीं थे और तभी उनकी पत्नी ने संतोषी मां के सोलह शुक्रवार व्रत रखने शुरू किए। व्रत के बीच में ही आशीष की पत्नी गर्भवती हो गईं तो बाकी के व्रतों की कथाएं आशीष ने अपनी पत्नी को सुनाई।

अपने घर में बिटिया के जन्म के बाद आशीष ने ये बात सतराम के गुरु और फाइनेंसर सरस्वती गंगाराम को सुनाई जिन्होंने फिल्म शुरू करने के लिए 50 हजार रुपये दिए थे। बाद में फिल्म से उस समय के चर्चित फिल्म वितरक केदारनाथ अग्रवाल जुड़े और उन्होंने तब तक शूट हो चुकी फिल्म के अधिकार 11 लाख रुपये एडवांस देकर खरीद लिए। फिल्म कुल 12 लाख में बनी और इसने बॉक्स ऑफिस पर अब तक कमाए हैं करीब 25 करोड़ रुपये। ये अलग बात है कि फिल्म के हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर बनने के बाद भी न इसके वितरक के हाथ कुछ लगा और न ही इसके निर्माता के। यहां तक कि फिल्म के निर्माता सतराम रोहरा ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया था।

फिल्म में संतोषी मां का रोल करने वाली अनीता गुहा रातोंरात स्टार बन गईं। इससे पहले वह सीता मैया के रोल तीन फिल्मों में कर चुकी थीं। वह फिल्म आराधना में राजेश खन्ना की मां भी बन चुकी थीं और फिर उनके जीवन में संतोषी मां का आशीर्वाद आ गया। इस पूरी फिल्म में जब तक उन्होंने शूटिंग की, हमेशा व्रत रखकर ही काम किया। इस बारे में तब अनीता ने बताया था कि पहले दिन की शूटिंग बहुत अफरातफरी में हुई। हम सब लोग सुबह से मेकअप कराकर रेडी थे लेकिन पहला शॉट काफी देर से हुआ। इस चक्कर में पहले ब्रेकफास्ट और फिर लंच मिस हो गया। शाम को इसका एहसास हुआ औऱ निर्देशक विजय शर्मा ने कुछ खाने को कहा तो मुझे लगा कि खाने लगी तो चेहरे का मेकअप फिर से कराना होगा तो मैंने कहा कि अब काम खत्म करके ही खाती हूं। 

तो पूरा दिन उस दिन बिना कुछ खाए पीये ही निकल गया। फिर मैंने सोचा कि हो सकता हो कि इसमें भी ईश्वर की कुछ इच्छा रही हो तो इसके बाद मैंने जितने दिन शूटिंग की, बिना कुछ खाए पीये ही शूटिंग की।

लेकिन, जैसा कि हर कालजयी किरदार करने वाले के साथ होता है वैसा ही अनीता गुहा के साथ भी हुआ, इस फिल्म के बाद उन्हें भी दीपिका चिखलिया और अरुण गोविल की तरह धार्मिक रोल ही ऑफर होने लगे। जबकि वह जय संतोषी मां फिल्म से पहले राजेंद्र कुमार की फिल्म गूंज उठी शहनाई में फिल्मफेयर का बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर फीमेल का नॉमीनेशन जीत चुकी थीं। फिल्म जय संतोषी मां चली तो बस ईश्वर के ही चमत्कार से। फिल्म की कहानी अच्छी लिखी गई थी। गांव गरीब के संतोष की कहानी थी। उस समय के सामाजिक हालात से जूझ रहे आम आदमी को संतोष देने की कहानी थी। गरीब इसी बात में खुश हो जाता कि कोई ऐसी भी देवी हैं जो सिर्फ गुड़ चने का प्रसाद पाकर ही खुश हो जाती हैं।

फिल्म जय संतोषी मां शुरू होती है रक्षा बंधन के त्योहार से जहां भगवान गणेश के दोनों बेटे एक बहन की जिद करते हैं। भगवान गणेश और उनकी पत्नियों ऋद्धि व सिद्धि की इस संतान का नाम नारद रखते हैं, संतोषी। फिल्म इसके बाद देवलोक से सीधे मृत्युलोक आती है जहां सत्यवती मंदिर में मां संतोषी की आरती करते दिखती हैं। फिल्म की कहानी दोनों लोकों में समानांतर चलती रहती है। फिल्म को सबसे ज्यादा मदद मिली अपने संगीत से। कवि प्रदीप के लिखे गीतों को संगीतकार सी अर्जुन ने बहुत ही मौलिक और लोकगीतों के अनुरूप धुनें दीं। खुद कवि प्रदीप ने फिल्म में दो गाने गाए। 

मन्ना डे और महेंद्र कपूर की आवाजें फिल्म के किरदारों पर बिल्कुल फिट बैठीं और सोने पर सुहागा बनी उषा मंगेशकर की आवाज। फिल्म की हीरोइन कानन कौशल के लिए गाए उनके सारे गीत सुपरहिट रहे।

फिल्म जय संतोषी मां के सामाजिक-आर्थिक असर पर बाकायदा लोगों ने शोध पत्र लिखे हैं। इस फिल्म ने देवी संतोषी का इतना प्रचार भारत और विदेश में किया कि उनकी तस्वीरों और व्रत कथाओं का एक अलग से कारोबार विकसित हो गया। पूरे देश में जहां तहां संतोषी माता के मंदिर बने। लोग श्रद्धा पूर्वक उनकी पूजा करने लगे और इसी फिल्म ने पहली बार देश में लोगों को धर्म का कारोबार करने का चस्का भी लगाया। देश में भगवान का रास्ता बताने के नाम पर मंडली जमाने वाले तमाम बाबा खुद ही भगवान कहलाकर अपनी पूजा कराने लगे। फिल्म का ये दुरुपयोग शायद देवी संतोषी मां ने भी नहीं सोचा था। तभी तो फिल्म से जुड़े सभी लोगों के साथ कुछ न कुछ अनिष्ट होता चला गया।

फिल्म जय संतोषी मां में संतोषी माता बनीं अनीता गुहा को सफेद दाग की बीमारी हुई और इसके चलते उनका अपने घर से बाहर आना बाद के दिनों में काफी कम हो गया। पति माणिक दत्त का असामयिक निधन होने के बाद वह बहुत ही गुमनाम सी जिंदगी जीते हुए 2007 में दुनिया छोड़ गईं। कानन कौशल को भी फिल्म के बाद ज्यादा कोई खास मदद नहीं मिली। उन्होंने अपने करियर में 60 हिंदी और 16 गुजराती फिल्में की लेकिन उनकी कोई पहचान नहीं बन सकी। फिल्म निर्माता सतराम रोहरा दिवालिया होने के बाद बहुत मुसीबत में रहे और अब इस दुनिया को अलविदा कह गए।

फिल्म के वितरक केदारनाथ अग्रवाल के पास भी फिल्म की कमाई की रकम नहीं पहुंची। उनके भाइयों पर आरोप लगा कि वे सारी रकम बीच में ही ले उड़े। बताते हैं कि उनको बाद में फालिज मार गया। फिल्म के हीरो आशीष कुमार और फिल्म वितरक केदारनाथ अग्रवाल के भागीदार संदीप सेठी के बीच फिल्म की कमाई को लेकर लंबा विवाद चला। 

आशीष ने फिल्म की कहानी पर नाटक बनाया कथा संतोषी मां की, ये नहीं चला। फिर फिल्म बनाई, सोलह शुक्रवार, ये भी फ्लॉप रही। जय संतोषी मां की कहानी पर इसी नाम से ही साल 2006 में भी एक फिल्म आई जिसमें हीरोइन थीं नुसरत भरुचा। ये फिल्म भी फ्लॉप रही।

नौसेना में फायरमैन, एमटीएस, कुक समेत 741 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी, आवेदन 20 जुलाई से


नई दिल्ली:- इंडियन नेवी में सेवाएं देने के इच्छुक युवाओं के लिए बेहतरीन मौका है। भारतीय नौसेना की ओर से इंडियन नेवल सिविलियन एंट्रेंस टेस्ट (INCET-01/2024) के तहत कुल फायरमैन, एमटीएस, कुक समेत 741 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना जारी कर भर्ती का एलान किया गया है। 

अधिसूचना के मुताबिक इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 20 जुलाई 2024 से शुरू की जाएगी जो निर्धारित अंतिम तिथि 2 अगस्त 2024 तक जारी रहेगी।

योग्य एवं पात्र अभ्यर्थी इन डेट्स के बीच ऑनलाइन माध्यम से इंडियन नेवी की ऑफिशियल वेबसाइट joinindiannavy.gov.in पर जाकर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण कर सकेंगे।

क्या है योग्यता

इस भर्ती में भाग लेने के लिए अभ्यर्थी का पदानुसार 10वीं के साथ आईटीआई/ संबंधित क्षेत्र में डिप्लोमा/ इंजीनियरिंग डिप्लोमा/ ग्रेजुएशन आदि उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसके साथ ही अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से कम और अधिकतम आयु पदानुसार 25/ 27/ 30 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 

आरक्षित श्रेणी से आने वाले उम्मीदवारों को नियमानुसार छूट दी जाएगी।इंडियन नेवी की ओर से इस भर्ती के माध्यम से कुल 741 रिक्त पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। पदानुसार भर्ती विवरण निम्नलिखित है -

चार्जमैन: 29 पद

साइंटिफिक असिस्टेंट: 4 पद

ड्राफ्ट्समैन (कस्ट्रक्शन): 2 पद

फायरमैन: 444 पद

फायर इंजन ड्राइवर: 58 पद

ट्रेड्समैन मेट: 161 पद

पेस्ट कंट्रोल वर्कर: 18 पद

कुक: 9 पद

मल्टी टास्किंग स्टाफ (MTS/ मिनिस्ट्रियल): 16 पद

एप्लीकेशन फीस

इस भर्ती में फॉर्म भरने के साथ ही जनरल, ओबीसी एवं ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों को 295 रुपये का भुगतान करना होगा। फीस का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकेगा। एससी, एसटी एवं महिला अभ्यर्थी इस भर्ती में शामिल होने के लिए निशुल्क एप्लीकेशन फॉर्म भर सकते हैं। भर्ती से जुड़ी विस्तृत डिटेल के लिए अभ्यर्थी एक बार ऑफिशियल नोटिफिकेशन का अवलोकन अवश्य कर लें।

मशीन से अपने आप निकलेगा गोलगप्पा.. ये ऑटोमैटिक तरीका सोशल मीडिया पर मचा रहा धूम

  

बेंगलुरु में गोलगप्पे की ऑटोमेटिक वेंडिंग मशीन इन दिनों चर्चा में है. सोशल मीडिया पर यह मशीन धूम मचा रही है. हाल ही में एक यूजर ने इंस्टाग्राम पर इसकी तस्वीर शेयर की है.हालांकि बेंगलुरु में इस तरह की वेंडिंग मशीनें और स्टॉल असामान्य नहीं हैं, लेकिन इस स्टॉल के नाम ने लोगों का ध्यान खींचा है.

कई फ्लेवर वाले पानी

"WTF - What The Flavours" नाम के इस स्टॉल में एक वेंडिंग मशीन है जिसमें कई फ्लेवर वाले पानी के नल लगे हैं. यूजर का कहना है कि ये मशीन स्वच्छता और पसंद का फ्लेवर चुनने की सुविधा देती है. यूजर ने लिखा है कि "HSR 2050 में रह रहा है."

ऑटोमैटिक मशीनों पर शंका

कुछ लोगों को इस तरह की ऑटोमैटिक मशीनों पर शंका है. एक यूजर ने पूछा, "तो जो पानी पूरी का पानी बच जाता है, क्या उसे दोबारा इस्तेमाल किया जाता है या फेंक दिया जाता है?" वहीं दूसरे यूजर ने कहा, "बहुत ज्यादा मशीन जैसा लग रहा है, मेरी राय में ज़्यादा लुभावना नहीं है. अगर अच्छा डिज़ाइन किया जाए तो बेहतर हो सकता है..

लोग कर रहे कमेंट

प्रदीप नाम के एक अन्य यूजर ने कहा, "बिननीपेट के ईटीए मॉल में तो कम से कम पांच साल पहले ही ऑटोमैटिक पनी पूरी वेंडिंग मशीन थी. मुझे नहीं पता कि ये अभी तक इतना ज्यादा लोकप्रिय क्यों नहीं हुआ. चूंकि अब इसे 'एचएसआर का आविष्कार' माना जा रहा है, तो इसे और जगहों पर भी लगाया जा सकता है."

स्ट्रीट फूड पर उठ रहे सवाल

हाल ही में कर्नाटक में स्ट्रीट फूड, खासकर पानी पूरी को लेकर स्वच्छता को लेकर काफी सवाल उठे थे. खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा कराए गए सैंपल जांच में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए थे. 260 सैंपल में से 41 में कृत्रिम रंग और कैंसर पैदा करने वाले कार्सिनोजेनिक तत्व पाए गए थे. बाकी 18 सैंपल खाने के लायक नहीं थे. इन नतीजों ने शहरों में खूब खाए जाने वाले स्ट्रीट फूड की गुणवत्ता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

अपने बेटे की मौत की दुआ करती माँ उसकी मौत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरबाजा खटखटाया

 हर मां अपनी ममता के लिए जानी जाती है। अपनी संतान के हर दुख की घड़ी को वह अपना समझती है। उसके लिए सब कुछ निछावर कर देती है।

उसके सुखद जीवन के लिए सदा दुआ करती है, लेकिन दिल्ली से सटे गाजियाबाद की रहने वाली एक मां प्रत्येक दिन अपने बेटे की मौत के लिए दुआ मांग रही है, क्योंकि वह पिछले 11 सालों से लगातार बिस्तर में पड़ा है।

उसकी सिर्फ सांसें चल रही हैं और उसकी जिंदगी की और कोई निशानी भी नहीं बची है। बिस्तर पर पड़े-पड़े उसका शरीर भी अब धीरे-धीरे कंकाल में बदलता जा रहा है, लेकिन मौत है कि उसे आती नहीं। इसीलिए मां ने मायूस होकर और अपने बेटे की मौत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

 बनना चाहता था इंजीनियर

बेटे की देखरेख करने वाली उनकी मां निर्मला का कहना है कि जब बिस्तर में ही पड़े-पड़े सड़े तो फिर ऐसी जिंदगी का फायदा ही क्या है। जो हरीश की तकलीफ और स्थिति है, अब और नहीं देखा जाता। हाथ और पैर बिल्कुल डेढ़े हो गए हैं। इसे अब भगवान अपने आप ही मुक्ति दे दें। भगवान इसे ठीक करें हम नहीं बोल रहे पर इसे अब मुक्ति ही दे दें।

परिजनों ने बताया कि हरीश की जिंदगी 11 साल पहले पूरी तरह से गुलजार थी। वह इंजीनियर (Engineer) बनना चाहता था। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने साल 2013 में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था।

बालकनी से गिरकर हो गया था बेहोश

अपनी पढ़ाई के दौरान वह यूनिवर्सिटी के पास ही मोहाली में एक हॉस्टल nमें रहता था। उसका कमरा चौथी मंजिले पर था।

एक दिन वह कॉलेज से आकर अपने हॉस्टल की बालकनी पर था और उसी बीच अचानक बालकनी से नीचे गिर पड़ा। इससे उसके सिर पर गंभीर चोटें आई थी। वह होश में नहीं था लेकिन उसकी सांसें चल रही थी।

वहीं इस घटना के बाद उसे आनन-फानन में PGI चंडीगढ़ ले जाया गया। इस संबंध में मोहाली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है उस समय हरीश के परिवार वालों ने आरोप लगाया था कि उनके बेटे को जान-बूझकर बालकनी से कुछ लड़कों ने धक्का देकर गिराया था।

इलाज में खराब हो गई घर की हालत

चंडीगढ़ PGI में उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। यहां तक कि डॉक्टरों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। अंत में डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया।

इसके पश्चात घरवालों ने उसे दिल्ली के ही राम मनोहर लोहिया अस्पताल उसके बाद लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल और उसके बाद फिर फोर्टिस अस्पताल भर्ती कराया।

मगर कुछ भी फायदा नहीं हुआ। बेटे के इलाज के कारण घर की माली हालत दिनों-दिन और भी खराब होती चली गई।

आज ही के दिन 1969 में 14 निजी बैंकों का प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था राष्ट्रीयकरण

नयी दिल्ली : देश के बैकिंग इतिहास में 19 जुलाई को महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई, 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था। इन बैंकों पर अधिकतर बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा था। राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर 1980 में आया, जिसके तहत सात और बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया।

देश-दुनिया के इतिहास में 19 जुलाई की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1827 : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत मंगल पांडे का जन्म।

1848 : न्यूयॉर्क के सिनिका फॉल्स में पहले महिला अधिकार सम्मेलन का आयोजन।

1870 : फ्रांस ने पर्शिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।

1900 : फ्रांस की राजधानी पेरिस में पहली मेट्रो रेल चली। दुनिया की पहली मेट्रो सेवा लंदन में शुरू हो चुकी थी।

1940 : एडोल्फ हिटलर ने ग्रेट ब्रिटेन को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

1969 : अपोलो द्वितीय के अंतरिक्ष यात्री नील आर्म स्ट्रांग और एडविन एल्ड्रीन ने यान से बाहर निकलकर चंद्रमा की कक्षा में चहलकदमी की।

1969 : भारत सरकार ने देश के चौदह बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।

1974 : क्रांतिकारी उधम सिंह की अस्थियों को लंदन से नई दिल्ली लाया गया।

2001: नेपाल के प्रधानमंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला ने अपने पद से इस्तीफा दिया।

2003 : रूस के अंतरिक्ष यात्री यूरी माले थान्को अंतरिक्ष में शादी रचाने वाले पहले व्यक्ति बने।

2004 : तीन बार टाले जाने के बाद दुनिया के सबसे बड़े दूरसंचार उपग्रह को लेकर एरियन-5 फ्रेंच गुयाना के कोरू प्रक्षेपण केन्द्र से रवाना।

2005 : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिकी कांग्रेस को सम्बोधित किया।

2008 : अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में लक्ष्य निर्धारित कर लम्बी दूरी तक मार कर सकने में सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया।

यूट्यूबर 'सवुक्कू' शंकर को सुप्रीम कोर्ट से मिली रिहाई, गुंडा एक्ट के तहत सेंट्रल जेल में थे बंद

नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूट्यूबर सवुक्कू शंकर को रिहा करने का आदेश दिया है। शंकर गुंडा एक्ट के तहत कोयंबटूर सेंट्रल जेल में बंद हैं। इस मामले में जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस एहानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि वह मामले का गुण-दोष के आधार पर फैसला नहीं करेंगे, क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट इस मामले पर विचार कर रहा है।

पीठ ने कहा कि विशेष तथ्यों को देखते हुए याचिकाकर्ता को तब तक रिहा किया जाना चाहिए, जब तक कि हिरासत के खिलाफ मामला हाईकोर्ट की तरफ से तय नहीं हो जाता। पीठ ने इस दौरान स्पष्ट किया कि उसका आदेश केवल हिरासत के मामलों से संबंधित है। 

पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता किसी अन्य मामले में जेल में हैं, तो यह आदेश उस पर प्रभावी नहीं होगा।

हाईकोर्ट के फैसले को दी गई थी चुनौती 

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ सुनवाई कर रही है, जिसमें यूट्यूबर सवुक्कू शंकर की मां की तरफ से गुंडा अधिनियम के तहत उनकी हिरासत को चुनौती देते हुए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्थगित कर दिया गया था।

कल है आषाढ़ माह की पूर्णिमा, जानिए तिथि स्नान दान का शुभ मुहूर्त और महत्व


 

नयी दिल्ली : आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा और आषाढ़ी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं को याद कर उनकी पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व होता है।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा नदी या अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन दान करने से धन-धान्य में बरकत होती है। 

शास्त्रों में आषाढ़ पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस साल आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा कौनसे दिन मनाया जाएगा और स्नान-दान के लिए क्या शुभ मुहूर्त रहेगा।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान-दान करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन गंगा नदी या अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन दान करने से धन-धान्य में बरकत होती है। शास्त्रों में आषाढ़ पूर्णिमा का खास महत्व बताया गया है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। 

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं इस साल आषाढ़ पूर्णिमा यानी गुरु पूर्णिमा कौनसे दिन मनाया जाएगा और स्नान-दान के लिए क्या शुभ मुहूर्त रहेगा।

आषाढ़ पूर्णिमा 2024 तिथि और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 20 जुलाई 2024 को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर होगा। पूर्णिमा तिथि समाप्त 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 46 पर होगी। उदया तिथि के अनुसार, आाषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई, रविवार को मनाई जाएगी। आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करने के लिए शुभ मुहूर्त 21 जुलाई को सुबह 9 बजकर 1 मिनट से सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 44 मिनट से दोपह 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। तीसरा और आखिरी मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 9 मिनट से दोपहर 3 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।

आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व 

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन गरीब और जरूरतमंदों को अन्न,धन और वस्त्र का दान करें। अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष या चंद्रमा कमजोर है तो पूर्णिमा के दिन सफेद चीजें जैसे- दूध, दही, चांदी, चीनी, चावल और सफेद मिठाई का दान करें। इसके साथ ही चंद्रमा की पूजा कर उनके मंत्रों का जाप करें। इन उपायों को करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।

गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व क्या है?

गुरु भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा हैं और उस संस्कृति को याद रखने के लिए ही आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का नाम दिया गया है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, गुरु पूर्णिमा के दिन वेद व्यास जी ने वेदों का संकलन किया था और कई पुराणों, उप पुराणों व महाभारत की रचना भी इसी दिन पूर्ण हुई थी, इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा सभी गुरुओं को याद करने का, उन्हें नमन करने का दिन है। शास्त्रों में गुरु को भगवान से भी ऊंचा दर्जा दिया गया है।

स्वाति मालीवाल केस: CM केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ 500 पेज की चार्जशीट दाखिल 50 गवाहों के नाम दर्ज

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार के खिलाफ AAP सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के मामले में 500 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया.

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट गौरव गोयल के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया गया. कोर्ट अब इस मामले में 30 जुलाई को सुनवाई करेगा.बिभव कुमार पर 13 मई को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद मालीवाल पर हमला करने का आरोप है.  

कार्यवाही के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपपत्र करीब 500 पन्नों का है. इसमें करीब 50 गवाहों के बयान भी हैं.

अंतिम रिपोर्ट आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दायर की गई है, जिसमें धारा 201 (अपराध के सबूत मिटाना), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354 बी (महिला के कपड़े उतारने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (किसी भी शब्द, हावभाव या वस्तु का इस्तेमाल कर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) शामिल है.

बता दें, 16 मई को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज होने के बाद 18 मई को बिभव कुमार को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में स्वाति मालीवाल ने 17 मई को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया था. घटना 13 मई की है. दिल्ली पुलिस ने 16 मई को स्वाति मालीवाल का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज किया था.

महिला एडीसीपी स्तर की अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम मामले की जांच कर रही है. 

पिछले शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने बिभव कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनका काफी प्रभाव है. न्यायाधीश ने कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो गवाहों को प्रभावित या सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है।