6400 करोड़ खर्चा करने के बाद भी हर घर नल जल योजना विफल,हर घर तक नहीं पहुंचा कनेक्शन
रांची ; झारखंड में जल जीवन मिशन का हाल बदहाल रहा है। 2019 में शुरू हुई केंद्र प्रायोजित योजना में 6400 करोड़ से अधिक की राशि खर्च भी कर दी गयी । पर 29 लाख घरों तक पीने का पानी नहीं पहुंच पाया.
झारखंड के दो जिले पाकुड़ और गोड्डा का प्रदर्शन देश भर में सबसे फिसड्डी रहा है । योजना में सबसे खराब स्थिति पाकुड़ जिले की है, जहां 2.27 लाख से अधिक कनेक्शन दिया जाना था, यहां 13 फीसदी से भी कम कनेक्शन पेयजल और स्वच्छता विभाग की तरफ से दिये गये.
गोड्डा में 3.03 लाख कनेक्शन की जगह 19 फीसदी ही फिजिकली कनेक्शन दिये गये, जामताड़ा, कोडरमा और पश्चिमी सिंहभूम जिले की स्थिति भी खराब ही है.
केंद्र से मिलता है 45 फीसदी अनुदान
हर घर नल जल योजना में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से 45 फीसदी राशि योजना के लिए दी जाती है, वहीं राज्य सरकार भी इतनी ही राशि स्टेट फंड से उपलब्ध कराती है । आंकड़े बताते हैं कि केंद्र ने हर घर नल जल योजना के तहत 3140 करोड़ रुपये झारखंड को दिये, राज्य सरकार ने पांच वर्षों में 3291 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.
62 लाख 31 हजार घरों तक योजना के तहत स्वच्छ पीने का पानी पहुंचाना था । इसमें से 50 फीसदी योजनाएं भी पूरी नहीं हो पायी हैं. हर घर नल जल योजना में 10 फीसदी राशि ग्रामीण जलापूर्ति समिति और जिनके घर में पीने का पानी का कनेक्शन दिया गया है, उन्हें बतौर मेंटेनेंस के रूप में देना जरूरी है.
दिसंबर 2024 में हर घर नल जल योजना समाप्त हो रही है. ऐसे में अगले छह महीने में 46 फीसदी घरों में पीने का पानी का कनेक्शन कैसे मिलेगा, यह सरकार के लिए बड़ी चुनौती है ।
सबसे खराब स्थिति सिंगल विलेज स्कीम की है
झारखंड में सबसे दयनीय स्थिति हर घर नल जल योजना के तहत सिंगल विलेज स्कीम की है । केंद्र सरकार ने झारखंड से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि इसके लिए अब अनुदान नहीं दिया जायेगा. राज्य भर में सिंगल विलेज स्कीम के तहत लगभग एक लाख योजनाएं ली गयी हैं. इसमें से 90 फीसदी योजनाएं अब तक पूरी नहीं हुई हैं.
नतीजतन पेयजल और स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख बृजनंदन कुमार के निर्देश पर सभी प्रमंडलों के कार्यपालक अभियंताओं का वेतन रोक दिया गया है। पेयजल और स्वच्छता विभाग के राज्य भर में 39 प्रमंडल हैं. इसमें से 30 से अधिक ग्रामीण इलाकों से जुड़े हैं.
अभियंता प्रमुख के इस कार्रवाई के बाद योजना से जुड़े कनीय अभियंता, सहायक अभियंता समेत अन्य फील्ड स्टाफ का पेमेंट भी कई जगह रोक दिया गया है. कई प्रमंडलों के कार्यपालक अभियंता यह कह रहे हैं कि उनके नीचे के अधिकारी और कर्मियों को लंबित योजनाओं का काम पूरा करने को कहा गया है, ताकि वेतन भुगतान सुनिश्चित हो सके.
Jun 17 2024, 15:23