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पतंजलि विज्ञापन मामला: सुप्रीम कोर्ट ने 'अनैतिक आचरण' पर (आईएमए ) को फटकार लगाई

पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई करते हुए, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को याचिकाकर्ता, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को उसके डॉक्टरों द्वारा कथित तौर पर एलोपैथी में "महंगी और अनावश्यक" दवाओं का समर्थन करने पर फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तीखे शब्दों में टिप्पणी करते हुए देश के डॉक्टरों के प्रमुख संघ से कहा कि ''चार उंगलियां'' उन पर भी उठ रही हैं।

" (आईएमए) के डॉक्टर भी एलोपैथिक क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं। यदि ऐसा हो रहा है, तो हमें (आईएमए) पर हमला क्यों नहीं करना चाहिए?" सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से पूछा.

सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए से मरीजों को दी जाने वाली "महंगी और अनावश्यक" दवाओं के संबंध में कथित "अनैतिक कृत्यों" के संबंध में अपना रुख बदलने को कहा। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा, "आईएमए के कथित अनैतिक आचरण के संबंध में कई शिकायतें हैं। "सुप्रीम कोर्ट ने यह भी देखा कि एफएमसीजी कंपनियां शिशुओं, स्कूल जाने वाले बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले उत्पादों के विज्ञापन प्रकाशित करके जनता को धोखा दे रही हैं।

अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को मामले में पक्षकार बनाने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालयों को पिछले तीन वर्षों में भ्रामक विज्ञापनों पर उनके द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को इसके प्रति जागना चाहिए।

पतंजलि के खिलाफ क्या है मामला?

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ बदनामी भरा अभियान चलाने के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अदालत का रुख किया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि ने शपथपत्र दिया था कि वे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने से परहेज करेंगे। हालाँकि, इस साल की शुरुआत में, अदालत ने उन्हें अपने उपक्रम का उल्लंघन करते हुए पाया। जिसके बाद में कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की।

16 अप्रैल को, शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव और बालकृष्ण को "एलोपैथी को नीचा दिखाने" के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी और उन्हें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन मामले में अवमानना कार्यवाही में एक सप्ताह के भीतर "सार्वजनिक माफी मांगने और पश्चाताप दिखाने" की अनुमति दी। आज, कंपनी ने अदालत को सूचित किया कि उसने 60 से अधिक समाचार पत्रों में अपना माफीनामा प्रकाशित किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण को अखबारों में प्रकाशित माफी को रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया।

पतंजली के फिर “सुप्रीम” फटकार, अखबार में छपे बाबा रामदेव के माफीनामे पर कोर्ट ने कही ये बात*
#patanjali_misleading_ad_case एलोपैथी दवाओं के खिलाफ विज्ञापन और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा अपनी दवाओं के लिए ‘भ्रामक दावों’ पर अदालत की अवमानना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने जब इस मामले की सुनवाई की।कोर्ट रूम में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे। आज की सुनवाई में भी बाबा रामदेव को राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने उन्हें 30 अप्रैल को फिर मौजूद रहने को कहा है। *कोर्ट ने माफी के आकार पर उठाए सवाल* योगगुरु रामदेव की मौजूदगी में पतंजलि की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा दिया है।अखबार में सोमवार को माफीनामा का विज्ञापन दिया गया था। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आपने किस साइज में विज्ञापन दिया है। जस्टिस कोहली ने कहा कि आपने कुछ नहीं किया। जस्टिस कोहली ने कहा कि एक सप्ताह बाद कल क्यों किया गया। क्या माफी का आकार आपके सभी विज्ञापनों में समान है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसकी कीमत दस लाख है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा कि अखबार में छपी आपकी माफी अयोग्य है। कोर्ट ने अतिरिक्त विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया। * ‘माफीनामा वाले एड को रिकॉर्ड पर लाइए’* सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पतंजलि की तरफ से बताया कि उनकी तरफ से माफीनामा प्रकाशित किया गया है। हालांकि ये बात रिकॉर्ड पर नहीं है। इसके बाद मुकुल रोहतगी ने कहा कि आज ही वो इसे रिकॉर्ड पर डालेंगे। इस पर बेंच ने कहा कि मामला केवल पतंजलि तक ही नहीं है, बल्कि दूसरे कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को साफ तौर पर कहा कि माफीनामे का नया विज्ञापन भी पतंजलि को प्रकाशित करना होगा और उसे भी रिकॉर्ड पर लाना होगा। इससे पहले 19 अप्रैल को सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद को भ्रामक विज्ञापन मामले में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण दोनों मौजूद थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी थी।न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने उनकी माफी का संज्ञान लिया, लेकिन यह स्पष्ट किया था कि इस स्तर पर रियायत देने का फैसला नहीं किया है।
ताकतवर बनने की रेसःसेना और हथियार पर खर्च करने वाले देशों में चौथे स्थान पर भारत

#indiabecomesfourthcountryinworldtospendon_army

एक तरह रूस-युक्रेन युद्ध तो दूसरी तरफ इजराइल और गाजा के बीच जंग। इस बीच अब एक और युद्ध की आटह सुनी जा रही है। ईरान और इजराइल के बीच भी एक चिनगारी सुलग रही है, जो कभी भी भीषण आग का गोला बन सकती है। ऐसे में दुनियाभर के देश खुद को ताकतवर दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं। दुनिया में हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साजो-सामान पर विभिन्न देश इस समय जितना खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ। स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की सोमवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट यानी सिपरी का कहना है कि दुनिया में इस वक्त घातक हथियारों, गोला-बारूद और सैन्य साज-ओ-सामान पर तमाम देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं किया गया। सिपरी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। वहीं 2022 में यह खर्च 22.4 खरब डॉलर था। दुनिया का बढ़ता सैन्य खर्च यह भी साबित करता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर बढ़ती जा रही है।

अमेरिका शीर्ष पर तो चीन दूसरे स्थान पर

सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी शीर्ष पर है। 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37% से भी ज्यादा है। दूसरे नंबर पर चीन है, जिसका खर्च अमेरिका से लगभग एक तिहाई है। उसने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12% है। यह 2022 से 6% ज्यादा है। इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया। 

रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा

इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर रूस है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, उसके बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है।

2023 में भारत ने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए

भारत वर्ष 2023 में अपनी सेना पर सबसे ज्यादा खर्च वालों की लिस्ट में दुनिया का चौथा बड़ा देश है। जिसने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए। 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी और 2014 के मकाबले 44 फीसदी बढ़ाया है। पिछले साल भारत ने 83.6 बिलियन का रक्षा बजट रखा था। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भारत ने अपने रक्षा बजट का ज्यादा हिस्सा मेक इन इंडिया आर्म्स पर खर्च किया है। इस तरह भारत की सैन्य हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता पर कम हुई है। रिपोर्ट में कहा गया कि रक्षा बजट बढ़ाने का शुरुआती मकसद जवानों की संख्या और ऑपरेशन पर खर्च बढ़ाना था, जो कि कुल बजट का 80 फीसदी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के बढ़ते सैन्य खर्च और क्षेत्र में बढ़ते तनाव ने पड़ोसी मुल्कों के भी खर्च को बढ़ा दिया है।

वैश्विक सैन्य खर्च में बढ़ोतरी का लगातार नौवां साल

रिपोर्ट के मुताबिक 2009 के बाद एक साल में वैश्विक सैन्य खर्च में यह सबसे बड़ी वृद्धि है और लगातार नौवां साल है, जब खर्च बढ़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध की भी इस वृद्धि में बड़ी भूमिका है। सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो का कहना है कि बढ़ते सैन्य खर्च से संकेत मिलता है कि दुनिया सुरक्षा के लिए कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है।

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ में पहली बार दी गई इंसुलिन, आप बोली-इसके लिए भी जाना पड़ा कोर्ट

#cm_arvind_kejriwal_given_insulin_for_first_time_in_tihar

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ में पहली बार इंसुलिन दी गई। केजरीवाल का शुगर लेवल 320 तक पहुंच गया था। इसके बाद उन्हें इंसुलिन दी गई। आम आदमी पार्टी ने इसकी जानकारी दी है। बता दें कि एक दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल प्रशासन को खत लिखकर इंसुलिन की मांग की थी। 

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर कहा कि “हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर खुशखबरी मिली है। उन्होंने कहा कि खबर आ रही है आखिर जेल प्रशासन ने मुख्यमंत्री जी को बढ़ते हुए शुगर के लिए इंसुलिन दे दी। आज देश की राजधानी के मुख्यमंत्री को एक इंसुलिन के लिए भी कोर्ट जाना पड़ रहा है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा और केंद्र सरकार के अधीन अफसर कहते हैं सभी कैदी एक समान हैं। क्या इंसुलिन के लिए सभी तिहाड़ के कैदी कोर्ट जाते हैं?“

आप नेता ने कहा “क्या सभी कैदियों को बीमारी की दवाई के लिए कोर्ट जाना पड़ता है? क्या सभी कैदियों को इंसुलिन के लिए एक हफ्ता टीवी और अखबार में बहस करनी पड़ती है? सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज साफ हो गया मुख्यमंत्री सही थे, उन्हें इंसुलिन की जरूरत थी। मगर भाजपा की केंद्र सरकार के अधीन अधिकारी जानबूझकर उनका इलाज नहीं कर रहे थे। उन्होंने पूछा कि अगर इंसुलिन की जरूरत नहीं थी तो अब क्यों दे रहे हैं? यह इसलिए क्योंकि पूरी दुनिया इनपर लानत भेज रही है।“

वहीं, तिहाड़ जेल के अधिकारी ने कहा कि कल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में कम खुराक वाली इंसुलिन दी गई। कल उनका शुगर लेवल 217 था. एम्स टीम ने कहा था कि स्तर 200 पार होने पर उन्हें कम खुराक वाली इंसुलिन दी जा सकती है।

इससे एक दिन पहले ही अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल प्रशासन को चिठ्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने जेल प्रशासन पर गलत बयान देने का आरोप लगाया है। तिहाड़ प्रशासन का पहला बयान ‘अरविंद केजरीवाल ने इंसुलिन का मुद्दा कभी नहीं उठाया’ यह सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि वह पिछले 10 दिन से लगातार इंसुलिन का मुद्दा उठा रहे हैं। जब भी कोई डॉक्टर देखने आया, तो उन्हें बताया कि उनका शुगर लेवल बहुत हाई है। मैंने ग्लूको-मीटर की रीडिंग दिखाकर बताया कि दिन में तीन बार पीक आती है और शुगर लेवल 250-320 के बीच जाता है। मैंने बताया कि फास्टिंग का शुगर लेवल रोज 160-200 पर है। मैंने रोज इंसुलिन की मांग की है। लेकिन यह झूठा बयान कैसे दे सकते हैं कि केजरीवाल ने कभी इंसुलिन का मुद्दा नहीं उठाया।

कैसे हुई मुख्तार अंसारी की मौत, क्या दिया गया जहर? विसरा रिपोर्ट में सामने आया सच

#mukhtar_ansari_viscera_report

बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके परिजनों ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। भाई अफजाल अंसारी का आरोप था कि मुख्तार की मौत जहर दिए जाने से हुई। इन आरोपों के बीच अब इस मामले में जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। मुख्तार के निधन के बाद विसरा जांच रिपोर्ट में जहर नहीं दिए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक की वजह से अंसारी की मौत हुई।बता दें कि 28 मार्च की देर रात जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

माफिया डॉन मुख्‍तार अंसारी की मौत के मामले में विसरा जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। विसरा जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई है। इस रिपोर्ट को न्यायिक जांच टीम को सौंपा गया है।भाई सांसद अफजाल अंसारी ने मुख्तार को जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। मुख्तार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहर से मौत की बात नहीं कही गई थी। आरोपों को देखते हुए मुख्तार की मौत की प्रशासिनक और न्यायिक जांच शुरू की थी, जिसके बाद विसरा को जांच के लिए लखनऊ के फॉरेंसिक लैब भेजा था।

इससे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुख्तार अंसारी की मौत की पुष्टि हार्ट अटैक से हुई थी।हालांकि, उन्हें खाने में धीमा जहर दिए जाने का आरोप लगाए गए थे।आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मुख्तार के विसरा को जांच के लिए लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। विसरा जांच रिपोर्ट में भी जहर न होने की पुष्टि हुई है। इस मामले में अभी कोई भी अधिकारी का कोई बयान सामने नहीं आया है।

कैसे हुई मुख्तार अंसारी की मौत, क्या दिया गया जहर? विसरा रिपोर्ट में सामने आया सच*
#mukhtar_ansari_viscera_report बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके परिजनों ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। भाई अफजाल अंसारी का आरोप था कि मुख्तार की मौत जहर दिए जाने से हुई। इन आरोपों के बीच अब इस मामले में जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। मुख्तार के निधन के बाद विसरा जांच रिपोर्ट में जहर नहीं दिए जाने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार हार्ट अटैक की वजह से अंसारी की मौत हुई।बता दें कि 28 मार्च की देर रात जेल में बंद मुख्तार अंसारी की मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। माफिया डॉन मुख्‍तार अंसारी की मौत के मामले में विसरा जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। विसरा जांच रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं हुई है। इस रिपोर्ट को न्यायिक जांच टीम को सौंपा गया है।भाई सांसद अफजाल अंसारी ने मुख्तार को जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। मुख्तार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी जहर से मौत की बात नहीं कही गई थी। आरोपों को देखते हुए मुख्तार की मौत की प्रशासिनक और न्यायिक जांच शुरू की थी, जिसके बाद विसरा को जांच के लिए लखनऊ के फॉरेंसिक लैब भेजा था। इससे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मुख्तार अंसारी की मौत की पुष्टि हार्ट अटैक से हुई थी।हालांकि, उन्हें खाने में धीमा जहर दिए जाने का आरोप लगाए गए थे।आरोपों को गंभीरता से लेते हुए मुख्तार के विसरा को जांच के लिए लखनऊ फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। विसरा जांच रिपोर्ट में भी जहर न होने की पुष्टि हुई है। इस मामले में अभी कोई भी अधिकारी का कोई बयान सामने नहीं आया है।
एक बार फिर देश के सामने आई ‘तानाशाह‘ की असली सूरत, बीजेपी प्रत्याशी के निर्विरोध जीत पर राहुल गांधी का तंज

#rahul_gandhi_slams_bjp_and_pm_narendra_modi 

लोकसभा चुनाव 2024 के तहत 7 मई को सूरत में वोटिंग होनी है। हालांकि कांग्रेस प्रत्‍याशी की एक चूक के चलते पार्टी ने बिना लड़े ही यह सीट गंवा दी। वहीं, बीजेपी के मुकेश दलाल इस सीट से निर्विरोध चुन लिए गए हैं। इस नतीजे के बाद अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा प्रत्याशी की जीत पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस जीत को “तानाशाही” बताते हुए तंज कसा है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा, ''तानाशाह की असली 'सूरत’ एक बार फिर देश के सामने है। जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है। मैं एक बार फिर कह रहा हूं- यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है।''

वहीं, कांग्रेस नेता और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए सूरत में बीजेपी उम्मीदवार की निर्विरोध जीत के पीछे का क्रोनोलॉजी समझाया है। रमेश ने कहा है कि पहले सूरत जिला चुनाव अधिकारी ने कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभाणी के नामांकन में खामियां गिनाते हुए उसे रद्द कर दिया। अधिकारी ने तीन प्रस्तावकों के हस्ताक्षर के सत्यापन में खामी बताया। कुछ इसी तरह से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला के नामांकन को भी खारिज कर दिया गया। दो नामांकन खारिज होने के बाद कांग्रेस पार्टी यहां बिना उम्मीदवार के रह गई।

जयराम रमेश ने आगे कहा कि बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया। 7 मई को होने वाले मतदान से करीब दो सप्ताह पहले ही बीजेपी उम्मीदवार को निर्विरोध जिता दिया गया।उन्होंने कहा कि MSME मालिकों और व्यवसायियों की परेशानियों एवं गुस्से को देखते हुए बीजेपी इतनी डर गई है कि वह सूरत लोकसभा के मैच को फिक्स करने का प्रयास कर रही है।उन्होंने कहा कि सूरत की सीट बीजेपी 1984 के लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार जीतते आ रही है। मौजूदा वक्त में हमारे चुनाव, हमारा लोकतंत्र, बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान सब कुछ खतरे में हैं। इस बात को दोहरा रहा हूं कि यह हमारे जीवन काल का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है।

अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस के उम्‍मीदवार ने ऐसी क्‍या गलती कर दी जो बीजेपी के मुकेश दलाल की झोली में यह सीट बिना कुछ करे ही आ गई। दरअसल, गुजरात में सूरत सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी की दावेदारी रद्द कर दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया क्‍योंकि जिला रिटर्निंग अधिकारी ने उनके नामांकन पर प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में कथित विसंगतियां पाई। इस निर्णय के कारण उसी सीट के लिए कांग्रेस के सब्स्टीट्यूट उम्‍मीदवार (स्थानापन्न) सुरेश पडसाला का नामांकन फॉर्म भी खारिज हो गया है।

खासबात यह है कि नीलेश कुंभानी के चुनावी दौड़ से बाहर होने के बाद चुनाव लड़ रहे अन्‍य विरोधी दल के उम्‍मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया। ऐसे में अब बीजेपी के मुकेश दलाल के खिलाफ एक भी ऐसा प्रत्‍याशी नहीं है जो चुनाव लड़ रहा है। यही वजह है कि उनका चुनाव जीतना तय हो गया है। जब उनके विरोध में कोई दूसरा प्रत्‍याशी है ही नहीं तो ऐसे में सात जून को वोटिंग की प्रक्रिया को अंजाम नहीं दिया जाएगा।

मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंची कांग्रेस, कुल 17 शिकायतें दर्ज कराई, जानें पूरा मामला

#congress_asks_election_commission_to_take_action_against_pm_narendra_modi 

लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण की वोटिंग के पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है।राजस्थान में दिए गए पीएम मोदी के बयान 'कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी' पर कांग्रेस बिफरी हुई है। इसको लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग से शिकायत की है। पार्टी ने आयोग से कार्रवाई करने का आग्रह किया है। कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से कहा कि प्रधानमंत्री का बयान विभाजनकारी और दुर्भावनापूर्ण है, जिससे चुनाव आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है।

पीएम मोदी के बयान के विरोध में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, सलमान खुर्शीद और गुरदीप सप्पल चुनाव आयोग से मिले और 17 शिकायतें दर्ज कराई।इस मामले में अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि हमने चुनाव आयोग के सामने 17 शिकायतें दर्ज कराई हैं। उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। वो कांग्रेस को घोषणापत्र को लेकर झूठ फैला रहे हैं। उनके बयान पर चुनाव आयोग को सख्त एक्शन लेना चाहिए।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कह कि मैं इसे भद्दा मानता हूं। एक समुदाय का नाम के साथ विवरण है। ये स्पष्ट रूप से कहा गया कि ये समुदाय उस संसाधन को हड़प लेगा। अब देश की संविधानिक स्मिता का प्रश्नचिह्न है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, सत्तारूढ़ दल की जो आपने तस्वीर लगाई है, वह सिर्फ धर्म की बात करता है। हम धर्म की बात सिर्फ घर में करते हैं और उसे लेकर वोट नहीं मांगने जाते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को पीएम के बयान पर कार्रवाई करनी चाहिए। आप चुनाव की नई तारीख निकालें। इस चुनाव को सख्त करने की मांग की है।

बताते चलें कि रविवार को पीएम मोदी राजस्थान के बांसवाड़ा में थे। यहां वो चुनावी सभा संबोधित कर रहे थे। इसमें उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। इसी कड़ी में उन्होंने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र भी किया। पीएम मोदी ने दावा किया कि सिंह ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। इस बयान के जरिए ही पीएम ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा, अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी। ये शहरी-नक्सली मानसिकता माताओं-बहनों के मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी।

राजस्थान में पीएम मोदी की चुनावी जनसभा में संबोधन के बाद मचा सियासी संग्राम, डिटेल में पढ़िए, पक्ष और विपक्ष के तर्क

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राजस्थान के बांसवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए वक्तव्य के बाद देश में सियासी दल मच गया है। पीएम मोदी ने संबोधन के दौरान न केवल हिंदू धर्म की बात करते नजर आए बल्कि उन्होंने मुस्लिमों को ‘घुसपैठिये’ बताते हुए कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन सत्ता में आया तो उन्हें ‘मंगलसूत्र बेचने को मजबूर कर’ उनकी संपत्ति को ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों दे दिया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘ हमारे आदिवासी परिवारों में चांदी होती है उसका हिसाब लगाया जाएगा, जो बहनों का सोना है, और जो संपत्तियां हैं, ये सबको समान रूप से वितरित कर दी जाएंगी, क्या ये आपको मंज़ूर है? आपकी संपत्ति सरकार को लेने का अधिकार है क्या? क्या आपकी मेहनत करके कमाई गई संपत्ति को सरकार को ऐंठने का अधिकार है क्या?’

मोदी ने उनके पूर्ववर्ती और 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का हवाला देते हुए कहा, ‘पहले जब उनकी सरकार थी, उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे- जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बांटेंगे. घुसपैठियों को बांटेंगे. आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको ये मंजूर है ये?’

मोदी यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कांग्रेस के घोषणा पत्र का उल्लेख करते हुए कहा, ‘… ये कांग्रेस का घोषणा पत्र कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे, और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह ने कहा था कि संपत्ति पर पहला हक़ मुसलमानों का है. … ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओं-बहनों- ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे, ये यहां तक जाएंगे.’

नरेंद्र मोदी और भाजपा ने अब तक अपने चुनाव प्रचार अभियान में धर्म, आस्था, राम मंदिर और राम का कई बार जिक्र किया है और सीधे तौर पर इनके नाम पर लोगों से उन्हें वोट देने के लिए कहा है. हालांकि, निर्वाचन आयोग पूरी तरह इस पर चुप्पी बनाए हुए है.

क्या असल में मनमोहन सिंह ने ऐसा बयान दिया था?

नरेंद्र मोदी अक्सर यही समान दावा करते रहे हैं, जिसका खंडन साल 2006 में, जब मोदी ने पहली बार यह कहा था, तब ही खुद डॉ. मनमोहन सिंह के पीएमओ द्वारा किया गया था. पीएमओ का कहना था कि ‘प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं पर बयान की जानबूझकर गलत व्याख्या की गई है और इससे ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसे आसानी से टाला जा सकता था.’ इसने यह भी जोड़ा था कि ‘इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ हिस्सों में भी प्रधानमंत्री की टिप्पणियों को संदर्भ से परे ले जाया गया है, जिससे इस बेबुनियाद विवाद को बढ़ावा मिला.’

अल्पसंख्यकों को सशक्त बनाने की जिस बात को लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा था, वो इस तरह था, ‘मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं: कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण निवेश, और सामान्य बुनियादी ढांचे के लिए सार्वजनिक निवेश की जरूरतों के साथ-साथ एससी/एसटी, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यक और महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम हों. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए घटक योजनाओं को दोबारा खड़ा करने की आवश्यकता होगी. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों में समान रूप से साझा करने का अधिकार मिले. संसाधनों पर पहला दावा उनका होना चाहिए. केंद्र के पास अनगिनत अन्य जिम्मेदारियां भ्ही हैं, जिन्हें समग्र संसाधनों की उपलब्धता के हिसाब से देखना होगा.

इसे लेकर स्पष्टीकरण देते हुए तत्कालीन पीएमओ ने कहा था, ‘… यह देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का ‘संसाधनों पर पहले दावे’ का संदर्भ ऊपर सूचीबद्ध की गई सभी ‘प्राथमिकता’ वाले क्षेत्रों को लेकर है, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाएं, बच्चे और अल्पसंख्यकों के उत्थान के कार्यक्रम शामिल हैं.’

विपक्ष ने कहा- नफ़रत के बीज बो रहे हैं मोदी

नरेंद्र मोदी के बयान के बाद विपक्ष और कांग्रेस ने इस बयान का विरोध किया. पार्टी के मीडिया और पब्लिसिटी प्रभारी पवन खेड़ा ने ट्विटर (अब एक्स) पर जारी एक वीडियो बयान में कहा, ‘प्रधानमंत्री ने आज फिर झूठ बोला, एक चुनाव जीतने के लिए आप झूठ पर झूठ परोसते जाएंगे जनता को. आपकी गारंटियां, वादे झूठे हैं, आप देश को हिंदू, मुस्लमान के नाम पर झूठ बोलकर बांट रहे हैं. प्रधानमंत्री को चुनौती है कि हमारे घोषणा पत्र में कहीं भी हिंदू मुसलमान लिखा हो तो दिखा दें. … इस तरह का हल्कापन आपकी मानसिकता में, आपके राजनीतिक संस्कारों में है. हमने तो युवाओं, महिलाओं, किसानों, आदिवासियों, मध्यमवर्ग, श्रमिकों को न्याय की बात कही है. आपको इस से भी आपत्ति है?’

खेड़ा मोदी के इससे पहले कांग्रेस के घोषणा पत्र को ‘मुस्लिम लीग’ से जोड़ने का जिक्र कर रहे थे.

इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी के बयान पर कहा कि भारत के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने पद की गरिमा को इतना नहीं गिराया, जितना मोदी जी ने गिराया है.

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘आज मोदी जी के बौखलाहट भरे भाषण से दिखा कि प्रथम चरण के नतीजों में ‘इंडिया’ जीत रहा है. मोदी जी ने जो कहा वो हेट स्पीच तो है ही, ध्यान भटकाने की एक सोची समझी चाल है. प्रधानमंत्री ने आज वही किया जो उन्हें संघ के संस्कारों में मिला है. सत्ता के लिए झूठ बोलना, बातों का अनर्गल संदर्भ बनाकर विरोधियों पर झूठे आरोप मढ़ना यह संघ और भाजपा की प्रशिक्षण की ख़ासियत है.’

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘देश की 140 करोड़ जनता अब इस झूठ के झांसे में नहीं आने वाली. हमारा घोषणा पत्र हर एक भारतीय के लिए है.सबकी बराबरी की बात करता है. सबके लिए न्याय की बात करता है. कांग्रेस का न्याय पत्र सच की बुनियाद पर टिका है, पर लगता है गोएबल्स रूपी तानाशाह की कुर्सी अब डगमगा रही है.’

इसी बीच, यूथ कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने पीएम मोदी के इस बयान को लेकर निर्वाचन आयोग की चुप्पी पर सवाल उठाया.

उन्होंने पीएम मोदी के बयान का वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, ‘ ये देश का दुर्भाग्य है कि ये व्यक्ति इस देश का प्रधानमंत्री है, और उससे भी बड़ी त्रासदी है कि भारत का चुनाव आयोग अब जिंदा नही रहा.. हार की बौखलाहट के चलते खुलेआम भारत के प्रधानमंत्री नफरत का बीज बो रहे है, मनमोहन सिंह जी के 18 साल पुराने अधूरे बयान को मिसकोट करते हुए ध्रुवीकरण कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग (मोदी का परिवार) नतमस्तक है.’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मांगा समय, पार्टी के घोषणा पत्र को पीएम को समझाने की है इच्छा...

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए समय मांगा है। दरअसल, खरगे अपनी पार्टी के घोषणा पत्र को लेकर पीएम मोदी से मिलने की इच्छा को जाहिर किया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। वेणुगोपाल ने बताया कि खरगे जी पार्टी के घोषणा पत्र पर दिए गए बयानों को लेकर पीएम मोदी से बात करेंगे। इस दौरान वो ‘न्याय पत्र’ को लेकर अपना पक्ष रखेंगे।

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने इसी महीने की पांच तारीख को अपना घोषणा पत्र जारी किया था। कांग्रेस ने अपने इस घोषणा पत्र का नाम ‘न्याय पत्र’ दिया था। अपने घोषणा पत्र में पार्टी ने महिला, किसान, बेरोजगार और नौजवानों सभी का ख्याल रखा है। मगर प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र पर जमकर हमला बोला।

कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में पूरी तरह मुस्लिम लीग की छाप है और इस मुस्लिम लीग वाले घोषणा-पत्र में जो कुछ हिस्सा बचा-खुचा रह गया, उसमें वामपंथी पूरी तरह हावी हो चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि तुष्टिकरण के दलदल में कांग्रेस इतना डूब गई है कि उससे कभी बाहर नहीं निकल सकती। उसने जो घोषणा पत्र बनाया है, वो कांग्रेस का नहीं, बल्कि मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र लगता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस में अर्बन नक्सलवाद सोच आज भी जिंदा है। कांग्रेस में अपने घोषणा पत्र में कहा है उनकी सरकार बनी तो माताओं-बहनों के आभूषण और निजी संपत्ति भी घुसपैठियों को बांट देगी। पीएम मोदी ने इस बयान की कांग्रेस ने निंदा की।

पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो में ये कहां लिखा है- हम लोगों की संपत्ति बांट देंगे? पीएम मोदी लोगों को झूठे और गैर-जरूरी मुद्दों में उलझा रहे हैं। बौखलाहट में लगातार झूठ बोल रहे हैं। पीएम मोदी ने इन्ही बयानों को लेकर खरगे ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है। इस दौरान खरगे पीएम मोदी को घोषणा पत्र की एक-एक चीज समझाएंगे। बता दें कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र 30 लाख सरकारी नौकरी, MSP कानून, जाति जनगणना सहित कई बड़े वादे किए थे।