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दिल्ली : भाजपा नेताओं ने (आप) मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया, केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति में अनियमितता के मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी और कहा कि मामला वैध है। अदालत ने यह भी कहा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एकत्र की गई सामग्री से पता चला है कि उन्होंने दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची थी और इसमें आम आदमी पार्टी के संयोजक के साथ-साथ व्यक्तिगत हैसियत से भी शामिल थे। निदेशालय ने खुलासा किया कि उन्होंने दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची और आम आदमी पार्टी के संयोजक के साथ-साथ व्यक्तिगत हैसियत से भी इसमें शामिल थे। अदालत ने ईडी द्वारा उनके खिलाफ अनुमोदक के बयान का उपयोग करने पर केजरीवाल की आपत्तियों को भी खारिज कर दिया और कहा, "अनुमोदनकर्ता को क्षमादान देना ईडी के अधिकार क्षेत्र में नहीं है क्योंकि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है। यदि आप एस्प देते हैं l केजरीवाल की यह दलील भी अदालत ने खारिज कर दी कि उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की जा सकती थी। "यह तय करना आरोपी का काम नहीं है कि जांच कैसे की जानी है। वह नहीं कर सकता।"  यह आरोपी की सुविधा के मुताबिक नहीं हो सकता. यह अदालत दो तरह के कानून नहीं बनाएगी - एक आम लोगों के लिए और दूसरा लोक सेवकों के लिए,'' अदालत ने कहा l
फिर उठी देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग, सड़कों पर उतरे सैकड़ों प्रदर्शनकारी, जमकर हो रहे प्रोटेस्ट

एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र की मांग तेज हो गई है। राजधानी की सड़कों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी इसके लिए नारे लगा रहे हैं। वे देश में फिर से राजशाही लागू करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, हिंदू राष्ट्र की मांग नेपाल में उठ रही है। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं। काठमांडू में मंगलवार को जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई। दर्जनों राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारी उस समय घायल हो गए जब वे एक प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गए और बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसके बाद पुलिस को लाठी, आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। यह विरोध प्रदर्शन दक्षिणपंथी समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) द्वारा बुलाया गया था। इसके हजारों कार्यकर्ता और राजशाही समर्थकों ने राजधानी में मार्च किया और 'राजशाही वापस लाओ, गणतंत्र को खत्म करो' के नारे लगाए। जिस सड़क को काठमांडू की लाइफलाइन कहा जाता है, वह सड़क विरोध प्रदर्शन में उमड़ी लोगों की भीड़ के बाद पूरी तरह जाम हो गई। प्रदर्शनकारी नेपाल की प्रशासनिक राजधानी सिंह दरबार की तरफ बढ़ने लगे। स्थानीय अधिकारियों ने क्षेत्र में निषेधाज्ञा को और बढ़ा दिया है, क्योंकि इन विरोध प्रदर्शनों की वजह से अक्सर झड़पें होती रहती हैं। मंगलवार को, आरपीपी अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र लिंगदेन जो प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे, उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र में आने से रोक दिया गया। वह निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए सेना मुख्यालय के पास भद्रकाली मंदिर के पास पहुंच गए थे। इसके बाद उनके समर्थकों ने दो जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया और फिर फरार हो गए। पुलिस की मोर्चाबंदी राजशाही समर्थकों का सामना नहीं कर सकी। ये सभी प्रदर्शनकारी राजशाही की बहाली और नेपाल को हिंदू राज्य घोषित करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे थे। चिरिंग लामा नाम के एक प्रदर्शनकारी ने एएनआई को बताया, “इस देश के संविधान को बदलने की जरूरत है, जो राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) की मांगों में से एक है. यदि हम संविधान बदल सकते हैं, नेपाल को एक हिंदू राष्ट्र बना सकते हैं, और राजशाही बहाल कर सकते हैं... यही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है जो वर्तमान परिदृश्य में इस राष्ट्र को बचा सकता है अन्यथा राष्ट्र की और भी दुर्गति हो जाएगी। जनता इस देश की और बुरी हालत नहीं देख सकती है, इसने लोगों को सड़क पर उतरने के लिए प्रेरित किया है और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया है।' आरपीपी द्वारा मंगलवार को यह विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को अपना 40-सूत्रीय मांगों का चार्टर सौंपने के एक महीने बाद बुलाया गया था। 9 फरवरी को राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की बहाली के अभियान की घोषणा करते हुए आरपीपी ने 9 अप्रैल (मंगलवार) को एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। संभावित तनाव और हिंसा के मद्देनजर, नेपाल पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) सहित लगभग 7 हजार पुलिसकर्मियों को विरोध स्थल और उसके आसपास तैनात किया गया था। 2006 में, नेपाल ने सदियों पुरानी संवैधानिक राजशाही को समाप्त कर दिया था. इसके बाद राजा ज्ञानेंद्र ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और आपातकाल लगाकर सभी नेताओं को नज़रबंद कर दिया था। इस दौरान आंदोलन, जिसे "पीपुल्स मूवमेंट II" भी कहा जाता है, में रक्तपात हुआ, सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई में दर्जनों लोग मारे गए। कई हफ्तों के हिंसक विरोध प्रदर्शन और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद, ज्ञानेंद्र ने हार मान ली और भंग संसद को बहाल कर दिया। नए लोकतंत्र की शुरुआत को लोकतंत्र के रूप में रेखांकित किया गया है। राजशाही खत्म होने के 18 साल के भीतर ही दक्षिणपंथी फिर से सड़क पर उतरकर इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।
फिर उठी देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग, सड़कों पर उतरे सैकड़ों प्रदर्शनकारी, जमकर हो रहे प्रोटेस्ट

एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र की मांग तेज हो गई है। राजधानी की सड़कों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी इसके लिए नारे लगा रहे हैं। वे देश में फिर से राजशाही लागू करने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, हिंदू राष्ट्र की मांग नेपाल में उठ रही है। राजधानी काठमांडू की सड़कों पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे हैं। काठमांडू में मंगलवार को जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। इस दौरान सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई। दर्जनों राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारी उस समय घायल हो गए जब वे एक प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गए और बैरिकेड्स तोड़ दिए। इसके बाद पुलिस को लाठी, आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। यह विरोध प्रदर्शन दक्षिणपंथी समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) द्वारा बुलाया गया था। इसके हजारों कार्यकर्ता और राजशाही समर्थकों ने राजधानी में मार्च किया और 'राजशाही वापस लाओ, गणतंत्र को खत्म करो' के नारे लगाए। जिस सड़क को काठमांडू की लाइफलाइन कहा जाता है, वह सड़क विरोध प्रदर्शन में उमड़ी लोगों की भीड़ के बाद पूरी तरह जाम हो गई। प्रदर्शनकारी नेपाल की प्रशासनिक राजधानी सिंह दरबार की तरफ बढ़ने लगे। स्थानीय अधिकारियों ने क्षेत्र में निषेधाज्ञा को और बढ़ा दिया है, क्योंकि इन विरोध प्रदर्शनों की वजह से अक्सर झड़पें होती रहती हैं। मंगलवार को, आरपीपी अध्यक्ष और पूर्व उप प्रधानमंत्री राजेंद्र लिंगदेन जो प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे थे, उन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र में आने से रोक दिया गया। वह निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए सेना मुख्यालय के पास भद्रकाली मंदिर के पास पहुंच गए थे। इसके बाद उनके समर्थकों ने दो जगहों पर सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया और फिर फरार हो गए। पुलिस की मोर्चाबंदी राजशाही समर्थकों का सामना नहीं कर सकी। ये सभी प्रदर्शनकारी राजशाही की बहाली और नेपाल को हिंदू राज्य घोषित करने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे थे। चिरिंग लामा नाम के एक प्रदर्शनकारी ने एएनआई को बताया, “इस देश के संविधान को बदलने की जरूरत है, जो राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) की मांगों में से एक है. यदि हम संविधान बदल सकते हैं, नेपाल को एक हिंदू राष्ट्र बना सकते हैं, और राजशाही बहाल कर सकते हैं... यही एकमात्र व्यवहार्य विकल्प है जो वर्तमान परिदृश्य में इस राष्ट्र को बचा सकता है अन्यथा राष्ट्र की और भी दुर्गति हो जाएगी। जनता इस देश की और बुरी हालत नहीं देख सकती है, इसने लोगों को सड़क पर उतरने के लिए प्रेरित किया है और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया है।' आरपीपी द्वारा मंगलवार को यह विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को अपना 40-सूत्रीय मांगों का चार्टर सौंपने के एक महीने बाद बुलाया गया था। 9 फरवरी को राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की बहाली के अभियान की घोषणा करते हुए आरपीपी ने 9 अप्रैल (मंगलवार) को एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। संभावित तनाव और हिंसा के मद्देनजर, नेपाल पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) सहित लगभग 7 हजार पुलिसकर्मियों को विरोध स्थल और उसके आसपास तैनात किया गया था। 2006 में, नेपाल ने सदियों पुरानी संवैधानिक राजशाही को समाप्त कर दिया था. इसके बाद राजा ज्ञानेंद्र ने सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया और आपातकाल लगाकर सभी नेताओं को नज़रबंद कर दिया था। इस दौरान आंदोलन, जिसे "पीपुल्स मूवमेंट II" भी कहा जाता है, में रक्तपात हुआ, सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई में दर्जनों लोग मारे गए। कई हफ्तों के हिंसक विरोध प्रदर्शन और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद, ज्ञानेंद्र ने हार मान ली और भंग संसद को बहाल कर दिया। नए लोकतंत्र की शुरुआत को लोकतंत्र के रूप में रेखांकित किया गया है। राजशाही खत्म होने के 18 साल के भीतर ही दक्षिणपंथी फिर से सड़क पर उतरकर इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं।
वाराणसी सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला, मध्यप्रदेश के इस दिग्गज ने किया PM मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान

लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं. लेकिन इस बार वाराणसी सीट पर बेहद दिलचस्प तस्वीर देखने को मिल रही है. वाराणसी लोकसभा सीट से जहां एक तरफ किन्नर महामंडलेश्‍वर हिमांगी सखी और मृतक लाल बिहारी प्रधानमंत्री के खिलाफ ताल ठोंक दी है, वहीं दूसरी तरफ अब मध्य प्रदेश के एक पूर्व IPS अधिकारी ने भी पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व आईपीएस अधिकारी मैथिलीशरण गुप्त ने वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पूर्व IPS ने बनारस के अलावा झांसी और भोपाल से भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. आईपीएस अधिकारी मैथिलीशरण गुप्त 2021 में रिटायर हुए थे. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिए सभी सात चरणों में चुनाव होंगे. वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में 1 जून को सातवें चरण में मतदान होगा. इसी सीट से नरेंद्र मोदी ने 2014 में चुनाव लड़कर प्रधानमंत्री बने थे. 2019 में फिर यहीं से चुनाव लड़े और अब तीसरी बार मैदान में हैं.
मप्र में भाजपा के दिग्गज नेताओं ने संभाली कमान, सिंधिया-शिवराज लगा रहे पूरा दम! CM मोहन यादव का MP की इस सीट पर फोकस

मध्य प्रदेश में पहले चरण में 6 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है, ऐसे में बीजेपी ने इन सीटों पर प्रचार तेज कर दिया है. पीएम मोदी की सभाओं के बाद अब स्थानीय नेताओं ने मोर्चा संभाल लिया है, बुधवार को बीजेपी का धुंआधार प्रचार जारी रहेंगा. सीएम मोहन यादव छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर प्रचार की कमान संभालेंगे. वहीं उनके मंत्रिमंडल के सभी मंत्री भी आज प्रचार में जुटे हैं, इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आज गुना लोकसभा सीट पर प्रचार करेंगे, जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी अब अपनी सीट खजुराहों में पूरी तरह से एक्टिव नजर आ रहे हैं. बीजेपी का इस बार सबसे ज्यादा फोकस छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर बना हुआ है, सीएम मोहन यादव खुद छिंदवाड़ा में आज चार चुनावी संभाएं करेंगे, मुख्यमंत्री आज छिंदवाड़ा के साथ जुन्नारदेवु , परासिया और अहीरवाड़ा में चुनावी सभाएं करेंगे. बीजेपी कमलनाथ के गढ़ में लगातार कांग्रेस को घेरने में जुटी है. खास बात यह है कि एक तरफ बीजेपी छिंदवाड़ा में पूरा जोर लगा रही है तो कांग्रेस ने भी एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. नकुलनाथ और कमलनाथ दोनों ही नेता छिंदवाड़ा में एक्टिव बने हुए हैं, जिससे छिंदवाड़ा की सियासी जंग रोचक होती जा रही है. सीएम मोहन यादव के अलावा मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद सिंह पटेल भी आज छिंदवाड़ा के दौरे पर रहेंगे. क्योंकि बीजेपी ने छिंदवाड़ा में कैलाश विजयवर्गीय को प्रभारी बनाया है तो प्रहलाद सिंह पटेल का भी यहां फोकस माना जाता है, ऐसे में दोनों सीनियर मंत्री भी छिंदवाड़ा में एक्टिव हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना लोकसभा सीट पर पूरा जोर लगा रहे हैं. सिंधिया आज गुना में अलग-अलग जगहों पर प्रचार करेंगे. सिंधिया के साथ-साथ उनका परिवार भी चुनाव में पूरी तरह से एक्टिव है, बेटा महाआर्यमान सिंधिया और पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया भी गुना-अशोकनगर और शिवपुरी जिले में एक्टिव हैं. बता दें कि यह सीट भी प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट बनी हुई है, कांग्रेस ने इस बार यहां सिंधिया के खिलाफ राव यादवेंद्र सिंह को उतारा है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी आज मध्य प्रदेश के दौरे पर रहेंगे, सीएम साय आज मंडला लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते के समर्थन में सभा करेंगे. सीएम साय मंडला और डिंडौरी कुलस्ते का मुकाबला यहां कांग्रेस के सीनियर विधायक ओमकार सिंह मरकाम से हैं, यह सीट भी इस बार दिलचस्प मानी जा रही है. क्योंकि बीजेपी ने आदिवासी सीटों पर भी विशेष फोकस कर रखा है, ऐसे में सीएम साय का दौरा भी अहम माना जा रहा है. वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी खजुराहो में एक्टिव हो गए हैं, वीडी शर्मा आज कटनी के दौरे पर रहेंगे. इसके अलावा लोकसभा प्रदेश प्रभारी डॉ महेन्द्र सिंह सीहोर में, सह प्रभारी सतीश उपाध्याय शहडोल में पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा राजगढ़ लोकसभा सीट पर प्रचार करेंगे.
लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की 10वीं लिस्ट जारी, इस बार कट गए इन सांसदों के टिकट

#bjpreleasesits10thlistofcandidatesforloksabhaelections 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। उनमें यूपी के सात हैं। बाकी दो उम्मीदवारों में एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल से और एक चंडीगढ़ से हैं। वहीं बीजेपी की इस सूची में कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया है।

दिलचस्‍प बात यह है कि भाजपा ने आसनसोल सीट पर नया उम्‍मीदवार दिया है। पहले इस सीट से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब उनकी जगह एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया गया है।पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी थीं। भाजपा ने पहले यहां से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाने की घोषणा की थी।टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिए थे। जिसके बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया है। यहां अहलूवालिया का मुकाबला टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। 

डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह पर खेला दांव

सूची में सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह भाजपा उम्मीदवार होंगे। इसके अलावा बलिया से पार्टी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। यहां से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया है।

प्रयागराज की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदला

प्रयागराज जिले की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं। मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केसरी देवी पटेल को टिकट नहीं दिया गया है। इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी को मौका दिया गया है। नीरज भाजपा के दिग्गज नेता रहे केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। केशरी नाथ पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवीण अभी फूलपुर से विधायक हैं।कौशांबी लोकसभा सीट से पार्टी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को टिकट दिया गया है। सोनकर यहां से मौजूदा सांसद हैं। इसके अलावा मछलीशहर से मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उतारा गया है। वहीं, गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

किरण खेर का टिकट कटा

वहीं, चंडीगढ़ से इस बार किरण खेर का टिकट कट गया है। पार्टी ने चंडीगढ़ से किरण खेर की जगह संजय टंडन को मौका दिया है।

लोकसभा चुनाव 2024: फैजाबाद में रामजी कराएंगे “बेड़ा पार” या पिछड़ा वर्ग तय करेगा चुनावी नतीजा ?*
#loksabha_election_faizabad_parliament_constituency * *फैजाबाद में किसे मिलेगी श्रीराम का आशीर्वाद?* *रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तय करेगी नतीजा?* *या, जातीय समीकरण साधने से होगा बेड़ा पार* *हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर* *पिछड़ी जाति तय करेंगे सीट का नतीजा* *मंदिर और विकास है अहम मुद्दा* राम मंदिर के मुद्दे ने देश को नई सियासी तासीर दी है। यह देश की राजनीति के लिए बड़ा मुद्दा है। इस बार के आम चुनाव पर अयोध्‍या के नव निर्मित और भव्य राम मंदिर का काफी असर देखने को मिल सकता है। ऐसे में फैजाबाद लोकसभा सीट इस चुनावी रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका में रहने वाला है। इस मुद्दे के साथ ही अयोध्या के विकास का मुद्दा और यहां के जातीय समीकरण भी सियासत की दिशा तय करते रहे हैं। यही वजह है कि राम मंदिर की लहर के बाद भी यहां सपा और बसपा जीतने में सफल रही हैं। यूं तो यहां कम्युनिस्ट पार्टी भी खाता खोल चुकी है लेकिन सबसे ज्यादा सात बार कांग्रेस ने ही जीत दर्ज है। उसके बाद भाजपा यहां से पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी घमासान में भगवान राम किस पार्टी पर अपना आशीर्वाद बरसाएंगे? *मंदिर और विकास अहम मुद्दा* बात फैजाबाद सीट के चुनावी मुद्दों की करें तो यहां पर राम मंदिर के साथ ही अयोध्या और आसपास का विकास अहम मुद्दा रहा है। वर्षों से इस पर राजनीति तो होती रही और सरकारें बनती-बिगड़ती रहीं लेकिन अयोध्या नहीं बदली। इस विकास के नाम पर भी राजनीति हुई लेकिन बदलाव नहीं हुआ। अब राम मंदिर बनने के बाद यह एक बार फिर से बड़ा मुद्दा है। मंदिर के साथ ही सरकार ने जो और योजनाएं शुरू की हैं, उससे लोगों को उम्मीद जागी है। अयोध्या और आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए काम किए जा रहे हैं। हवाई अड्डा शुरू हो चुका है। नई अयोध्या बस रही है। कई बड़े हाउसिंग प्रॉजेक्ट और होटलों का निर्माण के लिए सैकड़ों प्रस्ताव आए हैं। घाटों की मरम्मत और उसका सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। *जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम* मंदिर और विकास के साथ ही यहां जीत के लिए जातीय समीकरण बहुत अहम हैं। यहां करीब 1.50 लाख मुस्लिम वोटर हैं। हिंदू वोटरों में सबसे ज्यादा 7.20 लाख ओबीसी वोटर हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा यादव हैं। उसके बाद फिर कुर्मी, पाल सहित कई जातियां हैं। एससी वोटरों की संख्या 4.70 लाख है तो सामान्य वोटर भी कम नहीं हैं। इनकी संख्या 5.65 लाख है। ऐसे में ओबीसी वोटरों की संख्या ज्यादा होने के कारण उन पर सभी दलों की खास निगाह रहती है। फैजाबाद सीट में पांच विधान सभाएं हैं। इनमें से अयोध्या, रुदौली, मिल्कीपुर और बीकापुर फैजाबाद जिले में आती हैं। वहीं दरियाबाद बाराबंकी जिले में है। ऐसे में भौगोलिक दृष्टि से प्रत्याशियों के सामने वोटरों को साधने की चुनौती भी रहती है।
बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- हम अंधे नहीं, अगली कार्यवाही के लिए रहें तैयार

#patanjalimisleadingadssupremecourthearingslamsbabaramdevacharyabalkrishna 

पंतजलि के खिलाफ दर्ज भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी और उन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाया। शीर्ष अदालत ने दोनों को फटकारते हुए कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम माफीनामा स्वीकार करने से इनकार करते हैं। वहीं, यह भी कहा कि वह केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं है। 

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह विज्ञापन के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। योग गुरु रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी गई माफी से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हैं और उसने फिर से जमकर फटकार लगाई है। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव की तरफ से दलीलें रखीं। वकील मुकुल ने कहा कि बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सार्वजनिक माफी मांगेंगे। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'माफी सिर्फ कागजों के लिए हैं। हम इसे जानबूझकर आदेश की अवहेलना मानते हैं। समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि न्यायालय के आदेश का उल्लंघन न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कानून जानते हैं। पिछले हलफनामे में हेरफेर किया गया। यह बहुत ही गंभीर है। एक तरफ छूट मांग रहे हैं और वो भी उल्लंघन करके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा समाज में एक संदेश जाना चाहिए

मामले पर जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमें माफी को उसी तिरस्कार के साथ क्यों नहीं लेना चाहिए जैसा कि अदालती उपक्रम को दिखाया गया है? हम आश्वस्त नहीं हैं। अब इस माफी को ठुकराने जा रहे हैं। रोहतगी ने कहा कि कृपया 10 दिनों के बाद सूचीबद्ध करें, अगर कुछ और है तो मैं कर सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में इतना उदार नहीं होना चाहते। अब समाज में एक संदेश जाना चाहिए।

सरकार की ओर से दर्ज हलफनामे में यह कहा गया?

वहीं मामले को लेकर सरकार के आयुष मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानों की आलोचना की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान, पतंजलि को कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था। पतंजलि को मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीन या किसी भी दवाई के लिए अनिवार्य टेस्ट की जरूरतों की याद दिलाई गई थी। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से भी कहा गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह कोविड-19 के खिलाफ कोरोनिल की प्रभावकारिता के बारे में दावों का विज्ञापन न करें।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को भी लपेटे में लिया था। कोर्ट ने पूछा था कि जब पतंजलि ने कोविड के दौरान आधुनिक चिकित्सा को खारिज कर दिया था, तब केंद्र सरकार ने इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की थी।

तेजस्वी यादव के लंच पर बीजेपी को क्यों एतराज?

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पूरे देश के तापमान में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी जा रही है। एक तरफ सूरज की तपिश ने तापमान बढ़ाया है, तो दूसरी तरफ सियासी हलचल से पारा चढता ही जा रहा है। लोकसभा चुनाव के माहौल में नेता एक दूसरे पर वार करने के लिए मुद्दों की तलाश में हैं। इस बीच, लालू प्रसाद यादव के बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक घमासान को न्योता दे दिया है। दरअसल, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। इस तस्वीर में तेजस्वी यादव मछली खाते हुए दिखाई दे रहे हैं। तेजस्वी यादव की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी वायरल हो रही है। अब, भारतीय जनता पार्टी को बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लंच से एतराज हो रहा है। बीजेपी ने इसे मुद्दा बना दिया है और आरजेडी नेता पर निशाना साधा है।

लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में वो चुनाव प्रचार के लिए जा रहे हैं। साथ में उनके नए-नए बने पार्टनर मुकेश सहनी भी हैं। दोनों हेलीकॉप्टर में लंच यानी दोपहर के भोजन का आनंद ले रहे हैं। लेकिन इसी भोजन को लेकर तेजस्वी यादव घिर गए हैं।

दरअसल, तेजस्वी ने नवरात्रि के पहले ही दिन मछली खाने का वीडियो पोस्ट किया है। सनातन धर्म में नवरात्रि के 9 दिन माता के माने जाते हैं और इन दिनों लोग मीट-मछली तो दूर प्याज भी खाना छोड़ देते हैं। ऐसे समय में तेजस्वी यादव के मछली खाने को लेकर बीजेपी हमलावर है।

बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा, कुछ लोग खुद को सनातन का बेटा बताते हैं लेकिन सनातन के मूल्यों को स्वीकार नहीं कर पाते। मुझे खाने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन आप नवरात्रि में मछली खाने का वीडियो पोस्ट करके जो दिखाना चाहते हैं, वह तुष्टिकरण की राजनीति है, किसी को अपने धर्म, मूल्यों, राष्ट्र और समाज पर गर्व होना चाहिए लेकिन उन्हें नीचा दिखाना धर्मनिरपेक्षता का मतलब नहीं है। विजय सिन्हा ने आगे कहा कि तेजस्वी सिर्फ वोट के लिए सावन में मटन और नवरात्रि में मछली खाते हैं। ये लोग धर्म का अपमान करते हैं।

वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसे सनातन का अपमान बताया और कहा कि बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं। गिरिराज सिंह ने कहा, तेजस्वी यादव ‘चुनावी सनातनी’ हैं। वे सनातन का मुखौटा पहनकर तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं। बता दें कि नवरात्रि के दौरान अधिकांश हिंदू नौ दिनों के त्योहार के दौरान प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन खाने से बचते हैं।

भारत ने चीन को दी बड़ी चोट! ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद म्यांमार के सिटवे में दूसरा विदेशी बंदरगाह करेगा ऑपरेट

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भारत ने चीन को करारी चोट दी है। पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत को बड़ी सफलता हासिल हुई है। भारत की इस कामयाबी से चीन को मिर्ची लगना तय है। दरअसल, भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद एक और देश के बंदरगाह पर परिचालन का नियंत्रण हासिल किया है। भारत ने अब म्यांमार के सिटवे में अपना दूसरा विदेशी बंदरगाह संचालित करने का अधिकार सुरक्षित कर लिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने सिटवे में कलादान नदी पर स्थिति पूरे बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।

विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद आईजीपीएल को कलादान नदी पर बंदरगाह संचालन का प्रबंधन मिल गया है। इसे समुद्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। भारत और म्यांमार ने 2008 में सिटवे बंदरगाह समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इस परियोजना को लागू होने में 15 साल लग गए। कुल मिलाकर, इस सौदे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भारत को कई बाधाओं से गुजरना पड़ा है। 

भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी

सितवे बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने म्यांमार को 500 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था औऱ इस बंदरगाह की नींव रखी थी। इस अनुदान के माध्यम से, भारत ने अपने संबंधों को मजबूत किया और व्यापारिक महत्वपूर्णता बढ़ाने का प्रयास किया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, भारत और म्यांमार के बीच भावी व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। इस बंदरगाह से भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी और अपनी स्थिति को म्यामांर में मजबूत कर लिया है।

म्यांमार के सितवे बंदरगाह से भारत को ये फायदा

पोर्ट भारत के मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता से म्यांमार के पश्चिमी तट तक समुद्री रास्ता तैयार किया गया है। भारत को इससे सबसे बड़ा फायदा होगा कनेक्टिविटी को लेकर क्योंकि अब सितवे बंदरगाह को भारत के मिजोरम राज्य से जोड़ दिया जाएगा और ये काम कलादान नदी पर बनने वाली मल्टीमॉडल ट्रांजिट कनेक्टिविटी परियोजना के तहत किया जाएगा। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल), सितवे बंदरगाह के विकास के लिए तमाम संसाधनों को जुटाएगा। सितवे बंदरगाह का विकास करके भारत चारों ओर से घिरे अपने पूर्वोत्तर राज्यों को विकसित करेगा और ये केंद्र की मोदी सरकार की सबसे बड़ी रणनीति है।

मिजोरम तक जोड़ने वाले इस रूट के तैयार होने के बाद भारत के लिए उत्तर पूर्व में मौजूद राज्यों तक सप्लाई पहुंचाने में आसान होगी। इस लिंक के खुलने से न केवल पूर्वोत्तर राज्यों में माल भेजने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान होगा, बल्कि कोलकाता से मिजोरम और उससे आगे तक की लागत और दूरी को भी काफी कम कर देगा। 

वहीं, दूसरी तरफ इससे इससे भूटान और बांग्लादेश के बीच स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता भी कम हो जाएगी। इससे म्यांमार के पलेतवा तक लगभग 158 किलोमीटर का जलमार्ग बनेगा और इसके आगे होते हुए पलेतवा के ही ज़ोरिनपुई तक लगभग 109 किमी का सड़क भी बनाई जाएगी। इस कनेक्टिविटी को जमकर फायदा होगा और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार की संभावना भी बढ़ जाएगी। सितवे बंदरगाह से भारत की सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अभी जो निर्भरता है वो भी काफी हद तक घट जाएगी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकेन नेक के नाम से भी जाना जाता है और ये भारत का महत्वपूर्ण कॉरिडोर है। जाहिर है, उत्तर पूर्व के लिए एक और रास्ता मिलने से चीन को मिर्ची लगना तय है।

चीन भी म्यांमार के रास्ते हिंद महासागर तक अपनी पहुंच बनाने में जुटा हुआ है। जिसको लेकर चीन-म्यांमार इकॉनमिक कॉरिडोर का निर्माण कार्य जारी है। इस इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए चीन की हिंद महासागर तक पहुंच बन जाएगी। चीन ने रखाइन प्रांत के कयोकप्यू में एक बड़े बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्र के निर्माण की योजना बनाई है। इस लिहाज से फिलहाल भारत ने बाजी मार ली है।