भारत ने चीन को दी बड़ी चोट! ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद म्यांमार के सिटवे में दूसरा विदेशी बंदरगाह करेगा ऑपरेट
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भारत ने चीन को करारी चोट दी है। पड़ोसी देशों पर चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत को बड़ी सफलता हासिल हुई है। भारत की इस कामयाबी से चीन को मिर्ची लगना तय है। दरअसल, भारत ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के बाद एक और देश के बंदरगाह पर परिचालन का नियंत्रण हासिल किया है। भारत ने अब म्यांमार के सिटवे में अपना दूसरा विदेशी बंदरगाह संचालित करने का अधिकार सुरक्षित कर लिया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने सिटवे में कलादान नदी पर स्थिति पूरे बंदरगाह के संचालन को संभालने के लिए इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल) के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।
विदेश मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद आईजीपीएल को कलादान नदी पर बंदरगाह संचालन का प्रबंधन मिल गया है। इसे समुद्र में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। भारत और म्यांमार ने 2008 में सिटवे बंदरगाह समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और इस परियोजना को लागू होने में 15 साल लग गए। कुल मिलाकर, इस सौदे को अंजाम तक पहुंचाने के लिए भारत को कई बाधाओं से गुजरना पड़ा है।
भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी
सितवे बंदरगाह के विकास के लिए भारत ने म्यांमार को 500 मिलियन डॉलर का अनुदान दिया था औऱ इस बंदरगाह की नींव रखी थी। इस अनुदान के माध्यम से, भारत ने अपने संबंधों को मजबूत किया और व्यापारिक महत्वपूर्णता बढ़ाने का प्रयास किया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, भारत और म्यांमार के बीच भावी व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। इस बंदरगाह से भारत ने एशिया में अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी चीन को कड़ी चुनौती दी और अपनी स्थिति को म्यामांर में मजबूत कर लिया है।
म्यांमार के सितवे बंदरगाह से भारत को ये फायदा
पोर्ट भारत के मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कोलकाता से म्यांमार के पश्चिमी तट तक समुद्री रास्ता तैयार किया गया है। भारत को इससे सबसे बड़ा फायदा होगा कनेक्टिविटी को लेकर क्योंकि अब सितवे बंदरगाह को भारत के मिजोरम राज्य से जोड़ दिया जाएगा और ये काम कलादान नदी पर बनने वाली मल्टीमॉडल ट्रांजिट कनेक्टिविटी परियोजना के तहत किया जाएगा। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईजीपीएल), सितवे बंदरगाह के विकास के लिए तमाम संसाधनों को जुटाएगा। सितवे बंदरगाह का विकास करके भारत चारों ओर से घिरे अपने पूर्वोत्तर राज्यों को विकसित करेगा और ये केंद्र की मोदी सरकार की सबसे बड़ी रणनीति है।
मिजोरम तक जोड़ने वाले इस रूट के तैयार होने के बाद भारत के लिए उत्तर पूर्व में मौजूद राज्यों तक सप्लाई पहुंचाने में आसान होगी। इस लिंक के खुलने से न केवल पूर्वोत्तर राज्यों में माल भेजने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान होगा, बल्कि कोलकाता से मिजोरम और उससे आगे तक की लागत और दूरी को भी काफी कम कर देगा।
वहीं, दूसरी तरफ इससे इससे भूटान और बांग्लादेश के बीच स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता भी कम हो जाएगी। इससे म्यांमार के पलेतवा तक लगभग 158 किलोमीटर का जलमार्ग बनेगा और इसके आगे होते हुए पलेतवा के ही ज़ोरिनपुई तक लगभग 109 किमी का सड़क भी बनाई जाएगी। इस कनेक्टिविटी को जमकर फायदा होगा और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में व्यापार की संभावना भी बढ़ जाएगी। सितवे बंदरगाह से भारत की सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अभी जो निर्भरता है वो भी काफी हद तक घट जाएगी। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकेन नेक के नाम से भी जाना जाता है और ये भारत का महत्वपूर्ण कॉरिडोर है। जाहिर है, उत्तर पूर्व के लिए एक और रास्ता मिलने से चीन को मिर्ची लगना तय है।
चीन भी म्यांमार के रास्ते हिंद महासागर तक अपनी पहुंच बनाने में जुटा हुआ है। जिसको लेकर चीन-म्यांमार इकॉनमिक कॉरिडोर का निर्माण कार्य जारी है। इस इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए चीन की हिंद महासागर तक पहुंच बन जाएगी। चीन ने रखाइन प्रांत के कयोकप्यू में एक बड़े बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्र के निर्माण की योजना बनाई है। इस लिहाज से फिलहाल भारत ने बाजी मार ली है।
Apr 10 2024, 16:13