कच्चातिवु द्वीप को लेकर गरमाई देश की सियासत, क्या समझौते में श्रीलंका को दे दिया गया था द्वीप, जानें पूरा मामला
#katchatheevu_issue_foreign_minister_jaishankar_blames_congress_giving_to_sri_lanka
लोकसभा चुनाव को लेकर देश का पारा चढ़ा हुआ है। पार्टियां एक दूसरे पर वार करने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहती। हर पार्टी को चुनाव में नए मुद्दे की तलाश है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने कच्चातिवु द्वीप का मुद्दा उछाल दिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने रविवार को कच्चातिवु द्वीप को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला था। इसके बाद से इस द्वीप को लेकर सियासत तेज हो गई है। वहीं, आज यानी सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनता को जानने का हक है कि कच्छतीवु को लेकर आखिर क्या हुआ था?
सबसे पहले जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने रविवार को कच्चातिवु द्वीप को लेकर क्या कुछ कहा।पीएम मोदी ने रविवार (31 मार्च) को अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर इसके बारे में लिखा और कहा कि नए तथ्यों से पता चलता है कि कितनी बेरहमी से कांग्रेस ने कच्चातिवु को श्रीलंका को दे दिया। पीएम मोदी ने भी कच्चातिवु पर बोलते हुए कांग्रेस और डीएमके पर हमला बोला। पीएम मोदी ने कहा कि बयानबाजी के अलावा, द्रमुक ने तमिलनाडु के हितों की रक्षा के लिए कुछ नहीं किया है। कच्चातिवु पर उभरते नए विवरणों ने डीएमके के दोहरे मानकों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। कांग्रेस और डीएमके पारिवारिक इकाइयां हैं। वे केवल इस बात की परवाह करते हैं कि उनके अपने बेटे और बेटियां बढ़ें। उन्हें किसी और की परवाह नहीं है। कच्चातीवु पर उनकी कठोरता ने हमारे गरीब मछुआरों और विशेष रूप से मछुआरों के हितों को नुकसान पहुंचाया है।
पीएम मोदी के बाद आज विदेश मंत्री जयशंकर ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे को उठाया। जयशंकर ने 1974 में हुए उस समझौते की बात दोहराते हुए कहा कि उस साल भारत और श्रीलंका के बीच एक समझौता हुआ था। दोनों देशों ने उसपर हस्ताक्षर किए थे। उसके बाद कांग्रेस की तब की सरकार ने एक समुद्री सीमा खींची और समुद्री सीमा खींचने में कच्चातिवु को सीमा के श्रीलंकाई पक्ष पर रखा गया। जयशंकर ने आगे कहा कि हम जानते हैं कि यह किसने किया, यह नहीं पता कि इसे किसने छुपाया। हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई।
जयशंकर ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले 20 वर्षों में, 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है और इसी समयकाल में 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका ने जब्त किया। पिछले पांच वर्षों में कच्चातिवु मुद्दा और मछुआरे का मुद्दा संसद में विभिन्न दलों द्वारा बार-बार उठाया गया है। यह संसद के सवालों, बहसों और सलाहकार समिति में सामने आया है। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे कई बार पत्र लिखा है और मेरा रिकॉर्ड बताता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को मैं इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुका हूं। यह एक जीवंत मुद्दा है जिस पर संसद और तमिलनाडु हलकों में बहुत बहस हुई है। यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच पत्राचार का विषय रहा है।
क्या है कच्चातिवु द्वीप का इतिहास
कच्चातिवू द्वीप का निर्माण 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हुआ था। यह कभी 17वीं शताब्दी में मदुरई के राजा रामानद के अधीन था। ब्रिटिश शासनकाल में यह द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया। 1921 में श्रीलंका और भारत दोनों ने मछली पकड़ने के लिए भूमि पर दावा किया और विवाद अनसुलझा रहा। आजादी के बाद इसे भारत का हिस्सा माना गया।
साल 1974 में 26 जून को कोलंबो और 28 जून को दिल्ली में दोनों देशों के बीच इस द्वीप के बारे में बातचीत हुई। इन्हीं दो बैठकों में कुछ शर्तों के साथ इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया। तब शर्त यह रखी गई कि भारतीय मछुआरे अपना जाल सुखाने के लिए इस द्वीप का इस्तेमाल कर सकेंगे और द्वीप में बने चर्च में भारत के लोगों को बिना वीजा के जाने की अनुमति होगी। समझौतों ने भारत और श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा चिह्नित कर दी। हालांकि इस समझौते का तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने तीखा विरोध किया था।
साल 1974 में 26 जून को कोलंबो और 28 जून को दिल्ली में दोनों देशों के बीच इस द्वीप के बारे में बातचीत हुई। इन्हीं दो बैठकों में कुछ शर्तों के साथ इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया। तब शर्त यह रखी गई कि भारतीय मछुआरे अपना जाल सुखाने के लिए इस द्वीप का इस्तेमाल कर सकेंगे और द्वीप में बने चर्च में भारत के लोगों को बिना वीजा के जाने की अनुमति होगी। समझौतों ने भारत और श्रीलंका की अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा चिह्नित कर दी।
मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा
साल 2008 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जिसमें उन्होंने कच्चातिवु द्वीप को लेकर हुए समझौते को अमान्य घोषित करने की मांग की। याचिका में कहा गया कि इस द्वीप को गिफ्ट में श्रीलंका को दे देना असंवैधानिक है। इसे लेकर तमिलनाडु की सियासत हमेशा से गर्म रही है। इसी मुद्दे को लेकर लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पीएम मोदी ने फिर से कांग्रेस को निशाने पर लिया है।
Apr 01 2024, 13:47