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*15 फरवरी 2024 से शुरू होने वाला CBSE बोर्ड की परीक्षा भी किसान आंदोलन से प्रभावित,बोर्ड ने जारी किया एडवाइजरी*

नई दिल्ली: दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं गुरुवार, 15 फरवरी 2024 से शुरू हो रही हैं. दिल्ली में ट्रैफिक कि स्थिति को देखते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों, अभिभावकों और छात्रों के लिए एक सलाह पत्र जारी किया है.

 जिसमें सभी छात्रों को सुबह 10.00 बजे या उससे पहले अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंचने का निर्देश दिया गया है.

दिल्ली में मौजूदा स्थिति के यातायात संबंधी समस्याएं होने कि संभावना है. इसके कारण परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में देरी हो सकती है. इसलिए,सभी छात्रों को सलाह दी जाती हैं कि वे अपने घरों से जल्दी निकलें ताकि वे CBSE द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार समय पर परीक्षा केंद्र पहुंच सकें.

CBSE के सलाह पत्र में आगे लिखा है कि परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए विद्यार्थी अगर मेट्रो सेवाओं का उपयोग करेंगे तो जाम से बच सकते हैं. मेट्रो कि सभी सेवाएं सुचारू रूप से चल रही हैं. इसके अलावा CBSE ने पूरे भारत और दूसरे देशों में रह रहे सीबीएसई के सभी छात्रों से भी अनुरोध किया जाता है कि वे स्थानीय परिस्थितियों, यातायात, मौसम की स्थिति, दूरी आदि को ध्यान में रखते हुए सुबह 10.00 बजे या उससे पहले परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए अपनी यात्रा की योजना बनाएं. 

केवल उन्ही छात्रों को प्रवेश की अनुमति दी जाएगी जो सुबह 10.00 बजे परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर लेंगे. इसके बाद किसी भी छात्र को परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

CBSE ने अपने सलाह पर में सभी स्कूलों से अनुरोध किया है कि वे अभिभावकों और छात्रों की मदद करें और उनका मार्गदर्शन करें. छात्रों इस सलाह का ध्यान रखें ताकि सभी परीक्षा के दिनों में समय से पहले या समय पर पहुंच कर सुगम तरीके से परीक्षा दे सकें.गौरतलब है कि इस साल भारत और विदेश के 26 देशों से 39 लाख से अधिक विधार्थी CBSE की परीक्षा देंगे. दिल्ली में 877 परीक्षा केंद्रों से 5,80,192 छात्र बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होंगे.

*स्वामीनाथन आयोग के सिफारिश को लागू करने से कांग्रेस ने 2010 में ही कर दिया था इनकार, आज किसान कर रहे हैं आंदोलन*

नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसानों को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आश्वासन दिया है कि जब केंद्र में उनकी सरकार बनेगी तब एमएसपी की मांग पूरी की जाएगी, लेकिन सच यह भी है कि वर्ष 2010 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को खारिज कर दिया गया था।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी कांग्रेस के कार्यकाल में ही वर्ष 2006-7 में सौंपी थी। वर्ष 2010 में राज्यसभा में भाजपा सांसद प्रकाश जावडेकर के संबंधित एक प्रश्न पर केंद्र सरकार की तरफ से जवाब देते हुए कृषि मंत्रालय में तत्कालीन खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के राज्यमंत्री केवी थामस ने कहा था कि इससे एमएसपी एवं उत्पादन लागत के बीच का संतुलन बिगड़ सकता है।

क्या थी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें?

जावडेकर ने पूछा था कि क्या सरकार ने किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है? इसपर जवाब देते हुए थामस ने कहा था कि आयोग की सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने तर्क दिया था कि एमएसपी की सिफारिश कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के मानकों के साथ जरूरतों के आधार पर विचार करते हुए की जाती है। 

आयोग ने कृषि लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत की वृद्धि करने का सुझाव दिया है। इससे बाजार की व्यवस्था खराब हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में कथित अमानवीय स्थितियों से संबंधित मामले में दायर आवेदन में बताया गया कि बंगाल की जेलों में चार साल में 62 बच्चों ने लिया जन्म

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी गई है कि पिछले चार वर्षों में बंगाल की जेलों में 62 बच्चों का जन्म हुआ और जेल जाने से पहले ही यह महिला कैदी गर्भवती थीं। जेलों में अमानवीय स्थितियों के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल न्याय मित्र के रूप में कोर्ट की सहायता कर रहे हैं।

उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें पुलिस अधिकारियों द्वारा पश्चिम बंगाल में हिरासत में रहते हुए महिला कैदियों से पैदा हुए बच्चों के संबंध में जानकारी मिली थी। 

कोर्ट के निर्देश के लिए दायर एक आवेदन में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश महिला कैदी उस समय पहले से ही गर्भवती थीं जब उन्हें जेलों में लाया गया था।

कुछ मामलों में महिला कैदी पैरोल पर बाहर गई थीं

कुछ मामलों में महिला कैदी पैरोल पर बाहर गई थीं और उम्मीद से वापस लौट आईं। गौरव अग्रवाल ने जेलों में प्रचलित कथित अमानवीय स्थितियों से संबंधित एक मामले में आवेदन दायर किया। उन्होंने कहा कि जेलों या महिलाओं के लिए बैरक में सुरक्षा उपायों को समझने के लिए उन्होंने राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के जेल अधिकारियों के साथ चर्चा की।

कोर्ट ने महिला कैदियों के गर्भवती होने के आरोपों पर संज्ञान लिया था

सुप्रीम कोर्ट ने नौ फरवरी को पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदियों के गर्भवती होने के आरोपों पर संज्ञान लिया था। इसके बाद कोर्ट ने गौरव अग्रवाल को इस पर गौर करने और एक रिपोर्ट सौंपने को कहा था।

किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 16 फरवरी को किया भारत बंद का आह्वान

नई दिल्ली।किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया है। एसकेएम ने अन्य किसान संगठनों और किसानों से इस भारत बंद में शामिल होने का अनुरोध किया है।

बता दें कि मंगलवार से किसानों का दिल्ली चलो मार्च शुरू हुआ है और प्रदर्शनकारी किसानों व सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प देखने को मिली। झड़प में कई जवानों के घायल होने की खबर है।

कितने बजे तक रहेगा भारत बंद?

संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद 16 फरवरी को सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा। इसके अलावा देशभर के किसान मुख्य सड़कों को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक जाम करेंगे। इस दौरान, खासकर पंजाब में शुक्रवार को ज्यादातर राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग चार घंटे के लिए पूरी तरह से बंद रहेंगे।

क्या है किसानों की मांगें?

दरअसल, किसान जिन मांगों को लेकर भारत बंद का आह्वान कर रहे हैं, उनमें किसानों के लिए पेंशन, फसलों के लिए एमएसपी, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और श्रम कानूनों में संशोधन को वापस लेने समेत अन्य मांगें शामिल हैं। इसी वजह से भारत बंद का आह्वान किया गया है। वहीं, पीएसयू का निजीकरण नहीं करना, कार्यबल का अनुबंधीकरण नहीं करना, रोजगार की गारंटी देना आदि किसानों की मांग में शामिल हैं।

भारत बंद के दौरान किन सेवाओं पर पड़ेगा असर?

भारत बंद दौरान परिवहन, कृषि गतिविधियां, मनरेगा ग्रामीण कार्य, निजी कार्यालय, दुकानें और ग्रामीण औद्योगिक व सेवा क्षेत्र के संस्थान बंद रहेंगे। हालांकि, हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस का संचालन, विवाह, मेडिकल दुकानें, बोर्ड परीक्षा देने जा रहे छात्र आदि को नहीं रोका जाएगा।

हेल्थ टिप्स:आइये जानते हैं मटर और मेथी आप के स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है,जानने के लिए पढिये हेल्थ टिप्स... .


 

शरीर का सही ढंग से देखभाल करना बेहद आवश्यक है। अभी ठंड का मौसम है। ऐसे में थोड़ी सी लापरवाही से सर्दी होने का खतरा बना रहता है। सर्दी से बचने के लिए लोग कई प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल भी करते हैं। हम आपको कुछ ऐसी प्राकृतिक चीजों के बारे में बताएंगे जो न सिर्फ आपको सर्दी से छुटकारा दिलाएगा, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को भी आपके पास फटकने नहीं देगा। 

मेथी


मेथी की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सेवन सर्दियों में अधिक होता है। इसका सेवन आप सब्जी, पराठे, साग के रूप में कर सकते हैं। इसमें विटामिंस, आयरन, मिनरल्स और फाइबर्स अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं। 

मेथी कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने के अतिरिक्त शुगर लेवल को कम करने में मदद करती है। अगर आप प्रतिदिन 200 से 300 ग्राम मेथी खाते हैं तो आप कई बीमारियों से बच सकते हैं।

मटर बचाता है पेट के कैंसर से


मटर को किसी भी रूप में खाएं चाहे पुलाव में अथवा सब्जी में। इसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है। मटर बहुत फायदेमंद होता है। 100 ग्राम मटर से आप 60 कैलरीज ऊर्जा ग्रहण करते हैं। इसमें कैलरीज कम होती हैं और न्यूट्रिशंस बहुत ज्यादा। हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार मटर पेट के कैंसर को काफी हद तक कम कर देता है।

क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के मृत्युदंड प्रविधान के तहत कोई मुकदमा चलाया गया है ? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल...!

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि से कहा कि हमें बताएं कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के मृत्युदंड प्रवधान के तहत कोई मुकदमा चलाया गया है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मौत की सजा के प्रावधान को खत्म करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि कुछ डाटा होना जरूरी है कि क्या इस प्रावधान के तहत अपराध हुए हैं।सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या इस प्रावधान के तहत दोषसिद्धि का एक भी उदाहरण है।

जवाब में वकील ने कहा कि उनके पास इससे जुड़ा डाटा नहीं है। इसके बाद पीठ ने वेंकटरमणि से जानकारी देने और इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने को कहा। वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि मामला 2019 से लंबित है और भारत संघ द्वारा आज तक कोई प्रतिक्रिया दायर नहीं की गई है।

पीठ ने कहा कि क्या कोई एक भी उदाहरण है, जहां दोषसिद्धि हुई है। क्या आप इस प्रविधान के तहत किसी अभियोजन का पता लगाने के लिए अपने कार्यालयों का उपयोग कर सकते हैं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (2) ऐसे मामले में अनिवार्य मौत की सजा का प्रावधान करती है, जहां अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के एक निर्दोष सदस्य को दोषी ठहराया जाता है और झूठे आरोप के चलते फांसी दी जाती है।

*चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर सख्ती लिए किया दिशा-निर्देश जारी , झूठी-भ्रामक जानकारियों पर अब रखी जायेगी नजर*

नई दिल्ली। चुनावों में फैलायी जाने वाली झूठी व भ्रामक जानकारियों पर रोकथाम के लिए चुनाव आयोग ने अब इंटरनेट मीडिया पर और सख्ती बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके तहत प्रत्येक जिले अब इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने के लिए एक प्रभावी टीम तैनात होगी।

कौन होंगे इसके अधिकारी?

जिसका मुखिया एसडीएम रैंक का कोई अधिकारी या फिर कम से कम दस सालों का आइटी क्षेत्र से जुड़ा अनुभव रखने वाला जिले का कोई अन्य अधिकारी होगा।जो चुनाव के दौरान प्रत्येक राजनीतिक हलचल के साथ प्रत्याशियों, उनके परिजनों और राजनीतिक दलों से जुड़े पदाधिकारियों के इंटरनेट मीडिया से जुड़े सभी प्लेटफार्मों पर उनके खातों पर नजर रखेगा।

लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी

चुनाव आयोग की यह पहल लोकसभा चुनाव से पहले की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जिसमें आयोग ने मीडिया के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने के लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए है। जिसमें प्रत्येक जिला स्तर से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर चुनावों के दौरान फैलायी जाने वाली झूठी व भ्रामक जानकारियों को लगाम लगाने को कहा गया है।

चुनाव आयोग ने दिशा-निर्देश किए जारी

इतना ही नहीं, आयोग ने ऐसे किसी भी भ्रामक या फिर झूठी जानकारियों पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए है। चुनाव आयोग का मानना है कि निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव के साथ पूरी चुनावी प्रक्रिया पर विश्वसनीयता के लिए जरूरी है कि चुनाव से जुड़ी प्रत्येक झूठी व भ्रामक खबरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। आयोग ने इसके साथ ही चुनाव के दौरान प्रत्याशियों की ओर से भरे जाने वाले शपथ- पत्र में भी मोबाइल, फोन व मेल आइडी के साथ अपने और अपने परिजनों के भी इंटरनेट मीडिया से जुड़े खातों की जानकारी साझा करने के लिए कहा है।

चुनावी प्रक्रिया पहले से अधिक पारदर्शी

इसके साथ ही जिला स्तर पर राजनीतिक दलों से जुडे प्रत्येक पदाधिकारी के भी इंटरनेट मीडिया से जुड़े खातों की जानकारी रखी जाएगी। आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चुनाव के दौरान झूठी और भ्रामक जानकारियों के फैलाने के पीछे प्रत्याशियों के साथ उनके परिजनों या फिर राजनीतिक दलों से जुड़े पदाधिकारियों की अहम भूमिका देखने को मिलती है।

गौरतलब है कि चुनाव के दौरान झूठी और भ्रामक जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को पहले से ही काफी पारदर्शी बनाया है। इसमें रैली से लेकर प्रचार से जुड़ी अनुमति देने की आनलाइन व्यवस्था तैयार की है। जिसमें पहले आओ और पहले पाओ की व्यवस्था लागू की गई।

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के चार दोषियों की सजा दिल्ली हाई कोर्ट ने की निलंबित,दोषी इस मामले में 14 वर्षों से थे जेल में बंद

नई दिल्ली: पिछले 14 वर्षों से जेल में बंद टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के चार दोषियों की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया है.

 कोर्ट ने कहा कि सजा को चुनौती देने वाली दोषियों की अपील पर फैसला होने तक सजा निलंबित रहेगी. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने जिन दोषियों की सजा को निलंबित किया है उनमें रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि चारों दोषी करीब 14 वर्षों से जेल में बंद हैं, ऐसे में इनकी सजा निलंबित की जाती है.

बता दें कि 25 नवंबर 2023 को साकेत कोर्ट ने सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले के चार दोषियों को उम्रकैद और एक दोषी को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलबीर मालिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. साथ ही कोर्ट ने चारों पर हत्या के लिए 25 हजार रुपये और मकोका के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 

इसके आलावा कोर्ट ने अजय सेठी को तीन साल की कैद की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

साकेत कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक को टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का दोषी पाया था. कोर्ट ने इन चारों आरोपियों को मकोका की धारा 3(1)(i) का भी दोषी पाया था. इस मामले के चौथे आरोपी अजय सेठी को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 और मकोका की धारा 3(2) और 3(5) के तहत दोषी पाया था.बता दें कि सौम्या विश्वनाथन की हत्या 30 सितंबर 2008 की रात में अपने दफ्तर से लौटते वक्त नेल्सन मंडेला रोड पर कर दी गई थी. पुलिस के मुताबिक, हत्या का मकसद लूटपाट था. वहीं, रवि कपूर और अमित शुक्ला 2009 में आईटी एक्जीक्यूटिव जिगिषा घोष मर्डर केस में दोषी करार दिया गया था.

*प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के संदिग्ध मास्टर ट्रेनर केरल से गिरफ्तार, NIA ने अब तक 60 लोगों के खिलाफ किया है आरोपपत्र दाखिल*

नई दिल्ली। एनआईए ने प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के एक संदिग्ध मास्टर ट्रेनर को केरल में उसके घर से गिरफ्तार किया है। एनआईए के प्रवक्ता ने कहा कि गिरफ्तार आरोपित जफर भीमंतविदा 2022 में दर्ज प्रतिबंधित संगठन की साजिश से संबंधित एक मामले में वांछित था। मामले में यह 59वीं गिरफ्तारी है।

अब तक 60 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल

इस मामले में एनआईए ने अब तक 60 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं। एनआईए ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि भीमंतविदा पीएफआई मशीनरी का हिस्सा था जो 2047 तक देश में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए काम कर रहा था।

उस पर पीएफआई मास्टर ट्रेनर होने का संदेह था, जो कैडरों को हथियार प्रशिक्षण देकर उन्हें संगठन के सदस्यों के रूप में काम करने के लिए तैयार करने में लगा था। ऐसी टीम या दस्ते को लक्षित हमलों को अंजाम देने और पीएफआई नेतृत्व के आदेशों के क्रियान्वयन में बल प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

अन्य आरोपियों की जा रही छानबीन

अधिकारी ने कहा कि वह पहले भी केरल में विभिन्न हत्या के प्रयास और हमले के मामलों में शामिल था। जांच अब भी जारी है और साजिश में शामिल अन्य फरार आरोपितों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।

*अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को देनी होगी अपनी संपत्ति की जानकारी, सरकार बनाने जा रही है इसके लिए नियम*

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की जानकारी घोषित करनी होगी। सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों द्वारा संपत्ति की घोषणा के लिए वैधानिक प्रावधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है।

शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ किया जा रहा परामर्श

कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने कहा कि इस संबंध में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया गया है और इस मुद्दे पर उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार है। कार्रवाई रिपोर्ट में दर्ज सरकार की प्रतिक्रिया के आधार पर कानून और कार्मिक विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने न्याय विभाग से इस मामले में वैधानिक प्रविधान के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के साथ परामर्श प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा है।

समिति ने क्या कहा है?

न्यायिक प्रक्रियाओं और सुधारों पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई थी। अपनी पिछली रिपोर्ट में सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा था कि सामान्य प्रथा के रूप में सभी संवैधानिक पदाधिकारियों और सरकारी सेवकों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का वार्षिक रिटर्न अवश्य दाखिल करना चाहिए।

प्रणाली में आएगी विश्वसनीयता

राजकोष से वेतन पाने वाले किसी भी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना चाहिए। समिति ने यह भी कहा था कि उच्च न्यायपालिका-उच्चतम न्यायालय और 25 हाई कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा से प्रणाली में विश्वसनीयता आएगी।

समिति ने सरकार को उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य बनाने के लिए उचित कानून लाने की सिफारिश की है। अपनी प्रतिक्रिया में सरकार ने कहा कि समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर न्याय विभाग नियम बनाने का प्रस्ताव कर रहा है।