टूटी फूटी झोपड़ी में रहने को विवश तिलैया बस्ती के विरहोर

कोडरमा/झुमरीतिलैया
जिस राज्य की परिकल्पना आदिम जनजाति के विभिन्न समुदायों के उत्थान के लिए की गई, उस राज्य में आज भी आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। ये हाल कोडरमा के झरनाकुंड बिरहोर टोला का है। झरनाकुंड का यह बिरहोर टोला झुमरी तिलैया नगर परिषद क्षेत्र के अंतर्गत आता है और शहरी क्षेत्र में है, लेकिन यहां की स्थिति देख इसका अंदाजा लगाना कठिन है। पिछड़ा जीवन शैली और समाज की मुख्य धारा से ये बिरहोर आज भी कोसों दूर नजर आते हैं। यहां के रहने वाले लोगों की माने तो आसपास में सक्षम लोगों को घर मकान मिल रहे हैं, लेकिन उनकी उपेक्षा हो रही है। टूटी फूटी छत, खरपतवार से ढके मकान, तिरपाल के जरिए अस्थाई निर्माण, पानी की समस्या, रोजगार का अभाव। ये हाल कोडरमा के झुमरी तिलैया नगर परिषद क्षेत्र के झरनाकुंड बिरहोर टोला में रहने वाले आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों की है। इन परिवारों के उत्थान के लिए सरकार की ओर से ढेरो योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन उन योजनाओं का लाभ इन तक नहीं पहुंच रहा है। जिसके कारण ये आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहने वाले इस बिरहोर टोला के बिरहोर परिवारों का हाल जानने के बाद उपायुक्त मेघा भारद्वाज ने जल्द ही इन तक मूलभूत सुविधाएं बहाल करने की बात कही है, लेकिन इस बिरहोर टोला के शहरी क्षेत्र में होने के कारण उनके पास भी कुछ विभागीय मजबूरियां है। हालांकि इस बाबत बिभाग को लिखा गया है जल्द ही इन लोहा को आवास मुहैया कराई जाएगी
Feb 10 2024, 15:18
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