जब कांग्रेस के शासनकाल में एक ही दिन में निलंबित कर दिए गए थे 63 विपक्षी सांसद, जानिए 34 साल पुराना इतिहास
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संसद के शीतकालीन सत्र से सांसदों के निलंबन की कार्रवाई लगातार जारी है। इसकी वजह है संसद की सुरक्षा में सेंधमारी पर केंद्रीय गृहमंत्री के बयान की मांग कर रहे विपक्ष का हंगामा। लोकसभा में तख्तियां दिखाने और सदन की अवमानना करने को लेकर आज यानी मंगलवार को लोकसभा से 49 सांसदों को सस्पेंड किया गया है। इसके साथ ही संसद से अब तक 141 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। इससे पहले सोमवार को स्पीकर ओम बिरला ने विपक्ष के 33 सांसदों को पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया। वहीं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 45 सांसदों को निलंबित कर दिया।इस तरह राज्यसभा और लोकसभा में सोमवार को कुल 78 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है।इससे पहले शुक्रवार को दोनों सदनों से कुल 14 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। इस तरह इस सत्र में अब तक 141 सांसद निलंबित हो चुके हैं।
भारत के संसदीय इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। बीते सात दशक में इस तरह की सबसे बड़ी कार्रवाई 1989 में हुई थी।हालांकि, उस वक्त निलंबित सांसदों की कुल संख्या मौजूदा संख्या की आधी भी नहीं थी। राजीव गांधी सरकार के कार्यकाल का वो किस्सा खासा चर्चित है। उस दौरान आखिर ऐसी क्या बात हो गई थी कि इतनी बड़ी संख्या में सांसद सस्पेंड हो गए थे।आइए जानते हैः
1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और कांग्रेस के पास प्रचंड बहुमत था।अक्तूबर, 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद हुए चुनाव हुए तो कांग्रेस 543 सीटों में 414 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई।सरकार बनने के चंद वर्षों के बाद ही विवाद राजीव सरकार का पीछा करने लगे।
दरअसल, मार्च 1986 में भारत और स्वीडन के बीच बोफोर्स तोप सौदा हुआ। हॉवित्जर तोप की सप्लाई के लिए हुआ यह सौदा घोटाले के आरोपों से घिर गया।1989 आते-आते विपक्ष राजीव सरकार के खिलाफ एकजुट हो चुका था। मार्च 1989 में संसद का बजट सत्र चल रहा था। राजीव गांधी के नेतृत्व वाले कांग्रेस शासन के दौरान इंदिरा गांधी हत्याकांड की जांच के लिए जस्टिस ठक्कर आयोग का गठन किया गया था। जांच के बाद 15 मार्च, 1989 को जस्टिस एमपी ठक्कर के नेतृत्व वाले जांच आयोग की रिपोर्ट पेश किए जाने के दौरान लोकसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ।
भारी हंगामे के बाद विपक्ष के 58 सांसदों को पहले निलंबित किया गया, जिनमें वी पी सिंह, वी सी शुक्ला, आरिफ मोहम्मद खान, इंद्रजीत गुप्ता, गीता मुखर्जी, जयपाल रेड्डी, डी बी पाटिल आदि शामिल थे। इसके बाद पांच अन्य सांसदों जिनमें सोमनाथ चटर्जी, सैफुद्दीन चौधरी, के पी उन्नीकृष्णन आदि शामिल थे, उनके निलंबन के लिए अलग से प्रस्ताव लाया गया। इस तरह कुल 63 सांसदों को निलंबित कर दिया गया।यह कार्रवाई नियम 374 के तहत की गई थी। हालांकि, अगले ही दिन सांसदों ने स्पीकर से माफी मांग ली थी, जिसके बाद उनका निलंबन वापस ले लिया गया था।
Dec 19 2023, 20:09