ईडी ने केजरीवाल को फिर भेजा समन, दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए 21 दिसंबर को बुलाया
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दिल्ली के शराब घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशायल (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर से नोटिस भेजा है। ईडी ने केजरीवाल को 21 दिसंबर को जांच अधिकारी के सामने पेश होने के लिए कहा है। इससे पहले 2 नवंबर को भी ईडी ने केजरीवाल को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वो जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुए थे।
ईडी ने केजरीवाल को यह समन ऐसे समय में भेजा है, जब वह 10 दिनों के लिए विपश्यना के लिए जा रहे हैं। वह 19 दिसंबर को विपश्यना के लिए रवाना होंगे। केजरीवाल हर साल विपश्यना का 10 दिन का कोर्स करने के लिए जाते हैं। इस साल भी वह 19 से 30 दिसंबर तक विपश्यना में रहेंगे। ऐसे में इस बार भी सीएम केजरीवाल का ईडी के समक्ष पेश हो पाना मुश्किल ही दिखाई दे रहा है।
केजरीवाल ईडी की नोटिस को बता चुके हैं गैरकानूनी
इससे पहले बीते 2 नवंबर को ईडी ने शराब घोटाला मामले में समन जारी कर बुलाया था। लेकिन विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम में व्यस्त होने की वजह से पेश नहीं हुए थे। उस दौरान केजरीवाल ने ईडी की नोटिस को ही गैरकानूनी बताया था। इसी मामले में अप्रैल महीने में सीबीआई ने सीएम केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया था।
शराब घोटाला मामले में आप के कई बड़े नेता सलाखों के पीछे
बता दें कि शराब घोटाला मामले में आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता सलाखों के पीछे हैं। इन नेताओं में दिल्ली के डिप्टी सीएम रह चुके मनीष सिसोदिया के साथ-साथ पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इन दोनों नेताओं को कोर्ट से भी राहत नहीं मिल पाई है। इस मामले में अब तक 22 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं जबकि 3 आरोपी सरकार गवाह बन चुके हैं।
क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली में पिछले साल यानी 2022 के जुलाई महीने में शराब घोटाला उजागर हुआ था। दिल्ली की नई आबकारी नीति में यह घोटाला उस समय सामने आया जब दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी। चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट के बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की। जांच शुरू होते ही घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई।
दरअसल, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 2021 के नवंबर महीने में राज्य में नई शराब नीति लागू की थी। नीति के तहत दिल्ली को 32 जोन में बाटा गया था। नियम के मुताबिक हर जोन में शराब की 27 दुकाने खोली जानी थी। इसके साथ-साथ सरकार ने अपनी नीति के अनुसार सभी शराब दुकानों को प्राइवेट कर दिया था। केजरीवाल सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया था कि दुकानों को प्राइवेट करने से दिल्ली को तकरीबन 3500 करोड़ रुपए का फायदा होगा, लेकिन सरकार का दांव उस समय उल्टा पड़ गया जब शराब की बिक्री बढ़ने के बाद भी राजस्व का नुकसान हुआ। इसके बाद नीति पर सवाल उठने लगे और धीरे-धीरे जांच के दायरे में आ गई।
Dec 18 2023, 20:15