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बद्रीनाथ धाम: पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का काम बर्फबारी ने रोका, तापमान माइनस में पहुंचा, लेकिन श्रमिकों ने नहीं छोड़ी आस

बद्रीनाथ धाम में हो रही बर्फबारी ने वहां मास्टर प्लान के तहत चल रहे महायोजना के कार्यों की राह रोक दी है। ऐसे में 500 से अधिक इंजीनियर, कर्मचारी व श्रमिक फिलहाल खाली बैठे हुए हैं।

बद्रीनाथ महायोजना का कार्य देख रहे लोनिवि के अधिशासी अभियंता विपुल सैनी का कहना है बर्फबारी के चलते धाम में बीते दो दिन से निर्माण कार्य नहीं हो पा रहे। हालांकि, उम्मीद है कि जल्द कार्य दोबारा शुरू कर दिए जाएंगे।

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट बद्रीनाथ महायोजना के तहत इन दिनों धाम में तृतीय चरण के कार्य चल रहे हैं। इनमें मंदिर के आसपास सुंदरीकरण के साथ अलकनंदा नदी के किनारे रिवर फ्रंट का कार्य हो रहा है। लेकिन, मंगलवार को भारी बर्फबारी के बाद धाम में निर्माण कार्य रोक दिए गए और बुधवार को भी कार्य नहीं हो पाए।

बद्रीनाथ धाम में एक फीट से अधिक बर्फ जमी हुई है। बताया गया कि धाम में 450 श्रमिकों समेत 50 अधिकारी-कर्मचारी और मशीन चालक मौजूद हैं। सभी बर्फ कम होने का इंतजार कर रहे हैं। ठंड से बचने के लिए उनके पास अलाव, गर्म कपड़े आदि मौजूद हैं।

माइनस में पहुंचा तापमान

उत्तराखंड में लगातार मौसम बदल रहा है। बर्फबारी के चलते अब नदी और नाले भी जमने लगे हैं। इसी बीच लगातार हो रही बर्फबारी से अब बर्फ की परत भी जम गई हैं। वहीं तापमान में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। बद्रीनाथ में भी बर्फबारी से तापमान माइनस में पहुंच गया है।

सरेंडर से पहले मास्टरमाइंड ललित झा ने मिटाया सबूत, जला दिए साथियों के फोन

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संसद में घुसपैठ केस के मास्टरमाइंड ललित मोहन झा ने गुरुवार देर रात दिल्ली पुलिस थाने में सरेंडर कर दिया। पुलिस ने ललित को गिरफ्तार कर लिया। संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने के पीछे मास्टरमाइंड ललित झा ने दिल्ली पुलिस को सरेंडर तो कर दिया है लेकिन सरेंडर से पहले उसने कई साजिश को अंजाम दिया है। इस साजिश के तहत उसने दिल्ली आने से पहले उसने चारों आरोपियों के मोबाइल फोन को वहीं नष्ट कर दिया। पुलिस को शक है कि जांच को भटकाने के लिए उसने ऐसा किया है।

मुख्य आरोपी ललित झा दिल्ली के कर्तव्य पथ पुलिस थाने पहुंचा और उसने सरेंडर कर दिया। फिलहाल ललित को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सौंप दिया गया है, जो उससे पूछताछ कर रही है। वह कई राज भी खोल सकता है।आरोपी ललित झा से गुरुवार देर रात कई घंटे तक पूछताछ हुई है। 2 डीसीपी और एडिशनल सीपी समेत स्पेशल सेल के कई इंस्पेक्टर्स ने आरोपी से पूछताछ की है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी ललित झा ने स्पेशल सेल के अधिकारियों को पूरी कहानी बताई है।

पुलिस पूछताछ ने आरोपी ने माना है कि उसने सबूत मिटाने के लिए मोबाइल फोन को आग के हवाले भी किया है।बता दें कि ललित के पास अपने चार साथियों का मोबाइल फोन था। घटना को अंजाम देने से पहले चारों आरोपियों ने अपने फोन ललित को दे दिया था। इसके बाद घटना का वीडियो रिकॉर्ड करने के बाद ललित मौके से फरार हो गया। हालांकि, पुलिस उसके तमाम दावों की पुष्टि करने में जुटी है।

सूत्रों के अनुसार ललित झा ने पुलिस को बताया कि उसने उस दिन की घटना को पहले रिकॉर्ड किया। इसके बाद उस क्लिप को इंस्टाग्राम पर अपलोड किया और इस घटना की मीडिया में अच्छे से कवरेज हो सके, ये सुनिश्चित करने के लिए उसने इस वीडियो को कोलकाता स्थित एक एनजीओ को भी भेजा। इतना कुछ करने के बाद ही वह मौके से फरार हुआ था।

पूछताछ के दौरान ललित ने बताया कि कुचामन में वह अपने मित्र महेश से मिला, जिसने उसे रात में रहने के लिए कमरा दिया था। महेश से वह फेसबुक के जरिए मिला था। संसद में हुए घटना के दौरान ललित भी मौके पर मौजूद था। वह बाहर से दर्शक दीर्घा में गए अपने साथियों का वीडियो बना रहा था।तकनीकी निगरानी की मदद से ललित की गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने महेश के चचेरे भाई कैलाश को पकड़ा जिसने उन्हें बताया था कि ललित और महेश दिल्ली गए हैं। जब ललित वापस आया तो उसे भी गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस के अनुसार, ललित झा खुद से पुलिस स्टेशन आया था, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर पूछताछ करने लगी।

संसद में घुसपैठ के मास्टरमाइंड ललित झा का सरेंडर, घटना के बाद पुलिस कर रही थी तलाश

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संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में मास्टरमाइंड ललित झा ने गुरुवार रात को दिल्ली पुलिस के सामने समर्पण कर दिया। इस बात की जानकारी दिल्ली पुलिस ने दी है।बता दें कि ललित घटना के बाद से ही फरार चल रहा था। ललित को इस घटना में मास्टर माइंड बताया जा रहा था और इसकी तलाश में पुलिस लगातार जगह-जगह छापे मार रही थी।

आरोपी ललित झा महेश नाम के शख्स के साथ खुद कर्तव्य पथ थाने पहुंचा और सरेंडर कर दिया। पुलिस ने दोनों को स्पेशल सेल को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि ललित दिल्ली से राजस्थान के नागौर भागा था।वह बस पकड़कर राजस्थान गया था। वहां पहुंचने के बाद उसने होटल में रात बिताई थी।महेश को भी 13 दिसंबर को दिल्ली संसद भवन आना था। महेश को इस साजिश की पूरी जानकारी थी।महेश को भी दिल्ली पुलिस तलाश रही थी।

संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले पुलिस ने इससे पहले पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने इस मामले में संसद भवन के भीतर और बाहर से 2-2 आरोप‍ियों को गिरफ्तार किया था। एक आरोपी को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया जहां ये लोग संसद में घुसने से एक दिन पहले रुके थे।संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले 5 में से 4 आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 दिनों की रिमांड पर भेज द‍िया है।आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 453, 153, 186, 353 और यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 

ललित झा है मास्टरमाइंड

ललित कोलकाता में बड़ा बाजार के पास रवींद्र सरणी में किराए पर रहता था। वह मूल रूप से बिहार के दरभंगा का रहने वाला है। सूत्रों के अनुसार पुलिस जांच में यह सामने आया है कि संसद में स्मोक कलर अटैक का मास्टरमाइंड ललित झा ही हो सकता है। पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी ने बताया कि ललित झा के कहने पर ही संसद के अंदर स्मोक अटैक करने की तारीख 13 दिसंबर तय की गई थी। इस घटना को अंजाम देने से पहले ललित ने ही चारों आरोपियों के फोन अपने कब्जे में ले ल‍िए थे और फरार हो गया।

अमित मालवीय ने टीएमसी पर निशाना साधा

बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने संसद सुरक्षा में सेंध लगने को लेकर टीएमसी पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीड‍िया मंच 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा, ललित झा का टीएमसी कनेक्शन अब सामने आया है। टीएमसी नेताओं के साथ उनकी कई तस्वीरें वायरल हो चुकी हैं। प्रकरण में शामिल लोगों का संबंध कांग्रेस, सीपीआई (एम) और अब टीएमसी से पाया गया है। उन्होंने आरोप लगाते सवाल भी पूछा, क्या स्पष्ट नहीं है कि ''इंडिया गठबंधन'' ने मौजूदा सरकार को कमजोर करने के लिए भारतीय संसद पर हमला किया है? यह संस्‍था (संसद) 140 करोड़ देशवास‍ियों की आवाज है।

राजस्थान में भजनलाल शर्मा आज लेंगे सीएम पद की शपथ, समारोह में मोदी-शाह भी होंगे शामिल

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राजस्थान में आज नई सरकार का शपथग्रहण है।भजनलाल शर्मा शुक्रवार को राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। समारोह ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल के बाहर होगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होंगे। राज्यपाल कलराज मिश्र, भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाएंगे। साथ ही दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा को मंत्रिमंडल सदस्य की शपथ दिलाएंगे।

खास बात ये है कि आज भजनलाल शर्मा का जन्मदिन भी है। ये उनका 56वां जन्मदिन है। बता दें कि बीजेपी विधायक दल की बैठक मंगलवार को हुई, जिसमें भजनलाल शर्मा को विधायक दल का नेता चुना गया। पार्टी की ओर से विधायक दीया कुमारी और प्रेम चंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री तथा वासुदेव देवनानी को राजस्थान विधानसभा का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।

केंद्रीय मंत्री, राज्यों के सीएम भी आएंगे

समारोह में बड़ी संख्या में लोगों के आने की संभावना है। पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा कि समारोह के लिए केंद्रीय नेताओं और राज्य के मुख्यमंत्रियों को निमंत्रण भेजा गया है। वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों के अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव, छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय भी समारोह में हिस्स ले सकते हैं। समारोह से पहले राजधानी के मुख्य मार्गों और प्रवेश मार्गों को सजाया गया है। इनमें भाजपा के झंडे और होर्डिंग कटआउट सहित केंद्र सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं से जुड़े पोस्टर और बैनर भी लगाए गए हैं। 

पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा

राजस्थान के सीएम पद की शपथ लेने वाले भजनलाल शर्मा राजस्थान की सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान ईकाई के प्रदेश महामंत्री का पद भी संभाल रहे थे। भरतपुर से ताल्लुक रखने वाले 56 वर्षीय भजन लाल शर्मा ब्राह्मण समाज से आते हैं। खास बात ये है कि 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में वह पहली बार विधायक बने हैं। भजनलाल शर्मा को संघ और संगठन दोनों का करीबी माना जाता है।

लोकसभा में सुरक्षा में हुई चूक पर पीएम मोदी ने दी प्रतिक्रिया, बोले- राजनीति में पड़ने की जरूरत नहीं, मामले को संवेदनशीलता से लें

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बुधवार को संसद की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया है।संसद के शीतकालीन सत्र के नौवें दिन गुरुवार को संसद सुरक्षा में चूक के मामले पर जमकर हंगामा हुआ। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में विपक्षी नेताओं ने नारेबाजी की। विपक्ष इस मामले में सरकार से जवाब देने की मांग कर रहा है। इस बीच संसद की सुरक्षा में बड़ी चूक के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया है।पीएम ने मंत्रियों को इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी से बचने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि इस मामले को संवेदनशीलता से लें।

बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान हुई सुरक्षा चूक पर पीएम नरेंद्र मोदी की भी प्रतिक्रिया आई है। हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से बयान तो नहीं दिया है, लेकिन गुरुवार सुबह मंत्रियों से इस मसले पर बात की।सूत्रों के मुताबिक, आज सुबह वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि संसद को सुरक्षा चूक के मुद्दे को संवेदनशीलता से लेना चाहिए। स्पीकर को जो जरूरी लगे, वो कदम उठाएं। वह भी स्पीकर से इस बारे में बात करेंगे।सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मंत्रियों से बुधवार की संसद सुरक्षा उल्लंघन की घटना को गंभीरता से लेने को कहा।

बता दें कि इस मामले को लेकर कांग्रेस समते अन्य विपक्षी दल दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान देने की मांग कर रहे हैं। इस कारण राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा हुआ। सदन में आसन की अवमानना और अनादर को लेकर कांग्रेस के टीएन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या सहित विपक्ष के 14 सदस्यों को शीतकालीन सत्र के बचे हुए दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। वहीं राज्यसभा से टीएमसी के सांसद डेरेक ओब्रायन को निलंबित किया गया।

बुधवार को लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से दो लोग- सागर शर्मा और मनोरंजन डी बुधवार (13 दिसंबर) को सदन के भीतर कूद गए। दोनों ने इस दौरान केन के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया। इस बीच कुछ सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया। वहीं दूसरी ओर अमोल शिंदे और नीलम देवी ने संसद परिसर के बाहर केन से रंगीन धुआं छोड़ा और तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाए।सागर, मनोरंजन, अमोल, नीलम और विक्की अब पुलिस हिरासत में हैं. उनके अन्य साथी ललित की तलाश की जा रही है।

मथुरा के शाही ईदगाह के सर्वे की इजाजत पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी, बोले-मैंने कहा था संघ परिवार की शरारत बढ़ेगी

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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के एएसआई सर्वे को मंजूरी दी है और हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार किया है। ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड की दलीलें को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है।ओवैसी ने इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि कानून का मजाक बना दिया है।

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी। बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार की शरारत बढ़ेगी। ओवैसी ने कहा कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था। काशी, मथुरा या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद हो। कोई भी इस समझौते को पढ़ सकता है। इन विवादों को एक नया ग्रुप उछाल रहा है।लोकसभा सांसद ने अपने ट्वीट में दो पेज का समझौता लेटर भी शेयर किया हैष

ओवैसी ने आगे कहा कि पूजा स्थल अधिनियम अभी भी लागू कानून है। लेकिन इस नए गुट ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। उन्होंने सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वे का आदेश देना पड़ा? उन्होंने कहा कि कानून अब कोई मायने नहीं रखता। मुसलमानों से उनकी गरिमा लूटना ही अब एकमात्र लक्ष्य है। 

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई शाही ईदगाह मस्जिद के एएसआई सर्वे को मंजूरी दे दी है। हाई कोर्ट में इस संबंध में अलग-अलग 18 याचिका दायर की गई थी। सर्वे के लिए कितने वकीलों को कमिश्नर बनाया जाएगा, सर्वे का काम कितने दिनों तक चलेगा, इस पर फैसला 18 दिसंबर को होगा। हाई कोर्ट ने सर्वे के लिए सिर्फ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने के आदेश दिए हैं।

कांग्रेस के 9 सांसदों समेत लोकसभा से कुल 14 सदस्य निलंबित, गलत बर्ताव के चलते हुई कार्रवाई

#parliament_winter_session_14_mps_including_congress_and_dmk_suspended

लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को भारी हंगामा किया।हंगामेदार रहे इस दिन में कुल 15 सांसदों को निलंबित किया गया। जिसमें 14 लोकसभा के और एक राज्यसभा से हैं। अब ये सांसद लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।इन सभी सांसदों को आसन की अवमानना करने के मामले में सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया।

इन सांसदों को किया गया निलंबित

गुरुवार को हंगामे के बीच पहले कांग्रेस के पांच सांसदों- टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस को निलंबित किया गया था। हालांकि, हंगामा जारी रहा जिसके बाद कांग्रेस के बेनी बेहनन, वीके श्रीकंदन, मोहम्मद जावेद और मनिकम टैगोर को भी निलंबित कर दिया गया। सीपीआईएम के पीआर नटराजन और एस वेंकटेशन पर भी कार्रवाइ की गई है। इसके अलावा डीएमके के कनिमोझी करुणानिधि और एसआर पार्थिबन और सांसद के सुब्रमण्यम को भी पूरे शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव रखा था जिसे स्वीकार कर लिया गया।

प्रह्लाद जोशी ने कल की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि हम सब सहमत हैं कि कल (बुधवार, 13 दिसंबर) की दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोकसभा सदस्यों की सुरक्षा में गंभीर चूक थी और इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर किसी भी सदस्य से राजनीति की अपेक्षा नहीं की जाती, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। संसद में सुरक्षा में चूक की इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और उस समय के लोकसभा अध्यक्षों के निर्देशानुसार कार्यवाही चलाई जाती रही है।

राज्यसभा से सस्पेंड हुए डेरेक ओ ब्रायन

इससे पहले आज ही राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड कर दिया गया। संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के दौरान ओ ब्रायन प्रदर्शन करते हुए सभापति के पास तक आ गए। इसके बाद उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा से डेरेक ओ ब्रायन को निलंबित करने का प्रस्ताव भाजपा की तरफ से सासंद पीयूष गोयल ने पेश किया। बताया गया है कि संसद में सुरक्षा में चूक के मुद्दे को लेकर ब्रायन प्रदर्शन करते हुए सभापति के पास वेल तक पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की और सदन की कार्यवाही को स्थगित करने की कोशिश की। इसी के बाद टीएमसी सांसद को निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में लाया गया।

ज्ञानवापी के बाद मथुरा के शाही ईदगाह का भी होगा सर्वे, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि विवाद में विवादित परिसर का सर्वे करने का आदेश दे दिया है। विवादित परिसर का सर्वेक्षण एडवोकेट कमिश्नर से कराए जाने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। एडवोकेट कमिश्नर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के जरिए सर्वेक्षण कर सकेंगे। एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा और कब से सर्वेक्षण शुरू होगा, इस पर हाईकोर्ट 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

सर्वे ज्ञानव्यापी से थोड़ा अलग होगा

एएसआई सर्वे की मांग की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर हुई थी। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई जो मस्जिद है, उसमें किसी एडवोकेट से सर्वे कराने की मांग की गई थी। इसमें अलग-अलग 18 याचिका डाली गई थीं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में एक साथ सुनवाई की। ज्ञानवापी की तर्ज पर मथुरा के विवादित परिसर का भी सर्वे होगा। हालांकि, यह सर्वे ज्ञानव्यापी से थोड़ा अलग होगा। क्योंकि वहां पर कोर्ट ने साइंटिफिक सर्वे कराया था, जो कि शाही ईदगाह मस्जिद पर यह सर्वे अभी नहीं होगा।

किसने दायर की थी याचिका?

यह याचिका भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी। इस याचिका में दावा किया गया था कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।

कितना पुराना है श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद

शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। 12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया। समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है। पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी। अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है। 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह का इतिहास

ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई। इसमें मराठा जीते। जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया। 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली।

टीएमसी सांसद के बाद लोकसभा से कांग्रेस के पांच सांसद निलंबित, संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर जारी हंगामे के बीच किए गए सस्पेंड

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संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। गुरुवार को कांग्रेस के 5 सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। उन्हें लोकसभा से सस्पेंड कर दिया है। वे सत्र के बचे हुए हिस्सा में भाग नहीं ले पाएंगे। संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में विपक्षी सांसद गृह मंत्री के बयान और आरोपियों के पास जारी करने के वाले बीजेपी सांसद के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं। हंगामा करने और चेयर का अपमान करने के आरोप में लोकसभा के पांच सांसदों को सस्पेंड किया गया है। इससे पहले राज्यसभा से टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड किया गया है।

इन्हें किया गया सस्पेंड

लोकसभा में हंगामे के चलते कांग्रेस के पांच सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें टीएन प्रथापन, हीबी एडेन, एस जोथीमनी, राम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस शामिल हैं। लोकसभा में गलत बर्ताव के लिए इन सांसदों पर कार्रवाई हुई है। इन सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा लाया गया था। जिसे स्पीकर की कुर्सी पर विराजमान भर्तृहरि महताब ने पारित किया।

इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि हम सब सहमत हैं कि कल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोकसभा सदस्यों की सुरक्षा में गंभीर चूक थी और इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर किसी भी सदस्य से राजनीति की अपेक्षा नहीं की जाती, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। संसद में सुरक्षा में चूक की इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और उस समय के लोकसभा अध्यक्षों के निर्देशानुसार कार्यवाही चलाई जाती रही है।

डेरेक ओ ब्रायन को भी किया गया निलंबित

इससे पहले राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को निलंबित कर दिया गया। उनके निलंबन को लेकर विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन राज्यसभा से सस्पेंड, जानें क्यों की गई कार्रवाई

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तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए गुरुवार को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।ब्रायन गुरुवार को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में हुई सुरक्षा चूक को लेकर राज्यसभा में नारेबाजी कर रहे थे। नारेबाजी करते हुए वो सभापति के आसन तक पहुंच गए थे। इसके बाद सभापति ने उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। ब्रायन को पिछले मानसून सत्र से भी सस्पेंड कर दिया गया था। तब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें निलंबित कर दिया था। हालांकि, बाद में इस मुद्दे पर वोटिंग न कराने को लेकर सभापति धनखड़ ने अपना आदेश वापस ले लिया था और उन्हें डेरेक को सदन की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दे दी थी

विपक्षी सांसद और डेरेके लगातार संसद में घुसपैठ की घटना पर ‘जवाब दो जवाब दो’ के नारे लगा रहे थे. चेयरमैन ने डेरेक को उनके इस व्यवहार के चलते उन्हें राज्यसभा से बाहर जाने के लिए भी कहा लेकिन वो सभापति के बार-बार कहने के बाद भी वो बाहर नहीं गए. इसके बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की कार्यवाही होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने ओब्रायन का नाम लिया और उनके निलंबन की कार्यवाही शुरू की। सभापति द्वारा जब किसी सदस्य का नाम लिया जाता है तो इसका अर्थ सदस्य के निलंबन की कार्रवाई का आरंभ होना होता है। ऐसा तब होता है जब कोई सदस्य पीठ के प्राधिकार का अनादर कर रहे हों अथवा सभा के कार्य में लगातार और जानबूझ कर बाधा डालते हुए सभा के नियमों का दुरुपयोग कर रहे हों। नियम के मुताबिक, चेयरमैन जिस सांसद को बाहर जाने के लिए कहते हैं, उसे बाहर जाना पड़ता है। लेकिन डेरेक उनके बार बार कहने के बावजूद भी बाहर नहीं गए। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे धवनि मत से पारित कर दिया गया। इसके बाद धनखड़ ने घोषणा की, ‘‘डेरेक ओब्रायन इस सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाते हैं।’’

इस घोषणा के बाद विपक्षी दलों के नेता सभापति के आसन के नजदीक आकर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और ‘डेरेक का निलंबन नहीं सहेंगे’ जैसे नारे लगाने लग गए। हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रश्नकाल शुरू करने की कोशिश की। हालांकि विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। लिहाजा, सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।इससे पहले, उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर विपक्षी सदस्यों ने संसद पर आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को हुई सुरक्षा में चूक को लेकर भारी हंगामा किया, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।