2 हज़ार एकड़ में जलजमाव के वजहों से नज़र के सामने बर्बाद हो रही धान, मेहनत से उपजाई धान नहीं काट पा रहे किसान

मुजफ्फरपुर : कभी सालाना बाढ़ की तबाही से तंग रहने वाला बन्दरा प्रखंड का कई पंचायत क्षेत्र अबकी बरस बरसाती जल जमाव से तबाह है। जिसके कारण से प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में जल जमाव की वजहों से रबी फसलों की बुवाई ससमय संभव हो पाना मुश्किल है।इन खेतों की जुताई-कुराई-बुबाई सम्भव नहीं हो पा रही है।आलू की खेती भी मुश्किल है। जबकि यदि जल जमाव नहीं रहते,खेत सुख गए होते तो, यहां आगात फसलों का उत्पादन भी सम्भव था।
किसानों का बताना है कि प्रखंड के सुंदरपुर रतवारा पंचायत के बंगरा,रतवारा एवं सुंदरपुर रतवारा के इन तीन गांव के नजदीकी चौर के हिस्सों में तकरीबन 2000(दो हज़ार) एकड़ खेत इन दिनों बरसाती जल जमाव के शिकार हैं।जिसके कारण से यहां रबी फसलों के लिए खेतों की जुताई संभव नहीं हो पा रही है। खेत में जो धान लगा हुआ है। उसकी कटाई भी नहीं हो पा रहा है।किसानों के नजर के सामने उनके हाड़तोड़ मेहनत से उपजाई गई धान की फसले बर्बाद हो रही है। कुछ लोग खेत के संभव क्षेत्र में रिस्क लेकर तैयार धान को काटने का प्रयास भी कर रहे हैं,लेकिन पूरी सफलता नहीं मिल रही है। कुछ हिस्से में धान की फसल को पानी में सड़ने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
क्षेत्र के प्रगतिशील किसान लक्ष्मी सिंह, राम परीक्षण सिंह, रितेश सिंह, जगदीश सिंह, महेश सिंह,पूर्व मुखिया महेंद्र कुमार वर्मा, कमलेश महतो, सतीश सिंह,सदन ठाकुर ,उमाशंकर ठाकुर आदि किसानों ने बताया कि पहले सालाना बाढ़ की वजह से किसानों को जल जमाव की समस्या सताती थी। अबकी बार बाढ़ तो नहीं आए, लेकिन लगातार हुई कई दिनों की बारिश की वजहों से चौर के खेतों में जल जमाव उत्पन्न हो गया, क्योंकि इस इलाके में खेतों से जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा स्थाई रूप से जल जमाव की समस्या बनी हुई है। खेतों में जो धान की फसले लगाई गई थी।पहले आंधी-पानी-ओलावृष्टि में नष्ट होते गए,बाद में जो फसल बची और हुई भी। वह अब नजर के सामने बर्बाद हो रही है। पानी में तैर कर खेतों में फसल काटने के लिए मजदूर तैयार नहीं हो रहे हैं। किसान एवं परिवार के बच्चे- वयस्क यदि फसलों को काट भी रहे हैं तो जान हथेली पर रखकर रखकर रिस्क लेकर धान की फसलों को काट रहे हैं।क्योंकि इस दौरान जहां जल जनित बीमारियों के प्रकोप की संभावना बनी रहती है, वहीं पैर फिसलन आदि वजहों से डूबने आदि की आशंका भी रहती है। जलीय जानवरों के काटने,बीमार पड़ने आदि की आशंका बनी रहती है। डर सताता रहता है।
किसान सलाहकार मुकेश कुमार राय का बताना है कि किसानों के मुताबिक यह समस्या वर्षों पुरानी है।हाल के दिनों में बढ़ती जा रही है। पहले खेतों का बड़ा प्लॉट होने की वजह से कम किसान इससे प्रभावित होते थे। वहीं अब परिवारों में विखराव एवं खेतों के टुकड़ों में बंटने की वजहों से ज्यादातर किसान इससे प्रभावित हो रहे हैं। जल निकासी को लेकर कोई भी स्थाई निदान की तरफ ना प्रतिनिधि गंभीर हैं,न हीं विभागीय अधिकारी।
ग्रामीणों का सीधा आरोप है की समस्या के समाधान के लिए पंचायती राज के प्रतिनिधियों के साथ हीं निर्वाचित विधायक एवं सांसदों से भी किसानों ने कई बार इस समस्या के समाधान की मांग रखी। निदान के तौर पर बैंगरा होते हुए मतलूपुर-रतवारा सीमान(सीमा) पुल तक नाला निर्माण की मांग की गई । नहर निर्माण की मांग भी कई बार उठाए गए, लेकिन किसी भी मसले पर क्षेत्र के छोटे- बड़े अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों ने कभी ध्यान नहीं दिया।आश्वासन देते रहे,लेकिन सभी समय के साथ इस जनसमस्या को बिसारते गए। लिहाजा क्षेत्र के किसान कभी जल के बिना तबाह हो रहे हैं, तो कभी जल जमाव से तबाह हो रहे हैं। ऐसे में किसानों का परिवार तंगहाली के दौर से गुजर रहा है। खेती किसानी चौपट हो रही है। उत्पादन घट रहा है। आर्थिक तंगी बढ़ रही है। लिहाजा पुराने किसान खेती किसानी की औपचारिकता निभा भी रहे हैं,लेकिन युवा वर्ग खेती किसानी से सीधा कट रहा है।कई निम्न स्तरीय किसान तो अब खेती किसानी छोड़ने के मूड में भी हैं।
सुंदरपुर रतवारा पंचायत के मुखिया रेखा देवी के प्रतिनिधि मधुकर प्रसाद ने गुरुवार को बताया कि प्रखण्ड पंचायत समिति की बैठक में भी कई बार इस समस्या को रखा गया। ग्राम सभा के माध्यम से भी प्रस्ताव पारित कर भेजे गए,लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हो सके हैं।समस्या समाधान के लिए नहर निर्माण एवं जलनिकासी की मांग है।अभी भी जलजमाव पीड़ित क्षेत्र में करीब 50 प्रतिशत तैयार धान नहीं कटा है।रतवारा एवं मतलुपुर पंचायत के सीमावर्ती क्षेत्र के गांव-चौर का एरिया इससे ज्यादा ग्रसित है।
मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी
Dec 01 2023, 17:07
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