सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कहा- बच्चों की आत्महत्या के लिए अभिभावक जिम्मेदार, कोचिंग संस्थान नहीं
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देश में छात्रों के बीच बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आईं है। इस बीच छात्रों की बढ़ती आत्महत्या को लेकर बड़ा बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बच्चों के माता-पिता के जिम्मेदार ठहराया। सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की सुसाइट के बढ़ते मामले पर सुनवाई के दौरान ये बड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों के बीच गहन प्रतिस्पर्धा और अपने अभिभावकों का ‘‘दबाव'' देश भर में आत्महत्या की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण है।अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें तेजी से बढ़ते कोचिंग संस्थानों के विनियमन का अनुरोध किया गया और छात्रों की आत्महत्याओं के आंकड़ों का हवाला दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैरेंट्स की चाहत की वजह से बच्चे मौत को गले लगा लेते हैं। माता पिता बच्चों से उसकी क्षमता से ज्यादा उम्मीद लगा लेते हैं। इसके कारण बच्चे दबाव में आ जाते हैं और खुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं। शीर्ष अदालत मुंबई बेस्ड एक डॉक्टर अनिरुद्ध नारायण मालपानी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने बच्चों की आत्महत्या के लिए कोचिंग सेंटर्स को जिम्मेदार ठहराया था।
इसके साथ ही उन्होंने अपनी याचिका में कोचिंक संस्थानों में मिनिमम स्टैंडर्ड रखने की भी बात कही थी। कोर्ट ने इसको लेकर कानून बनाने वाली बात से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गलती बच्चों के माता पिता की है, कोचिंग संस्थानों की नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने हालांकि, बेबसी व्यक्त की और कहा कि न्यायपालिका ऐसे परिदृश्य में निर्देश पारित नहीं कर सकती है।इस दौरान जस्टिस न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, हालांकि, हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहेंगे कि कोई कोचिंग संस्थान हो, लेकिन स्कूलों की स्थितियों को देखें। वहां कड़ी प्रतिस्पर्धा है और छात्रों के पास इन कोचिंग संस्थानों में जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
वकील मोहिनी प्रिया के माध्यम से मालपानी द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि वह पूरे भारत में तेजी से बढ़ रहे लाभ के भूखे निजी कोचिंग संस्थानों के संचालन को विनियमित करने के लिए उचित दिशा-निर्देश चाहते हैं जो आईआईटी-जेईई (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-संयुक्त प्रवेश परीक्षा) और नीट (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) जैसी विभिन्न प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करते हैं। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को अदालत का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि हाल के सालों में प्रतिवादियों (केंद्र और राज्य सरकारों) द्वारा विनियमन और निरीक्षण की कमी के कारण कई छात्रों ने आत्महत्या की है।
बता दें कि इस साल राजस्थान के कोटा में नीट और जेईई की कोचिंग के लिए आने वाले 24 छात्र सुसाइड कर चुके हैं। यह आंकड़ा पिछले 8 सालों में सबसे ज्यादा है. सुसाइड के मामलों पर रोक लगाने के लिए कोचिंग संस्थानों से खास सिफारिशें भी की गई हैं। इसके बावजूद खुदकुशी के मामलों में गिरावट नहीं देखी जा रही है।
Nov 21 2023, 11:29