भदोही अग्निकांड: आज ही के दिन एक झटके में उजड़ गए थे कई परिवार, 20 की गई थी जान, एक साल बाद क्या बोले पीड़ित?
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
दो अक्तूबर 2022....इस तारीख को यूपी के भदोही जिले के लोग कभी नहीं भूलेंगे। रात नौ बजे भदोही जिले के नरथुआं स्थित दुर्गा पूजा पंडाल में उठी चिंगारी ने एक झटके में कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया था। उस अग्निकांड में बच्चों और महिलाएं समेत 20 लोग काल के गाल में समा गए, जबकि 50 से अधिक झुलस गए थे। अग्निकांड की तस्वीरें हादसे की भयावहता बयां कर रही थे। एक साल बाद भी लोग उस पल याद कर सिहर उठते हैं। अग्निकांड में पूर्वप्रधान रमापति के परिवार के छह लोगों की मौत हुई थी। उनकी आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने जवाब में सिर्फ इतना ही कहा सब बर्बाद हो गया। सब खत्म हो गया कहने को कुछ नहीं है। शारदीय नवरात्र में औराई से चंद कदम दूर नरथुआं तालाब के पूर्वी छोर पर कई वर्षों से गुफानुमा मां के दुर्गा पंडाल में चमक-दमक देखने के लिए कई गांव के लोग पहुंचते हैं। दो अक्तूबर की रात को भी बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे। उस रात मनहूस काली छाया मां के दुर्गा पंडाल पर ऐसी पड़ी की पल भर में ही पूरा पंडाल जलकर खाक हो गया।
जिस समय पंडाल में आग लगी उस समय पंडाल में लेजर शो चल रहा था और सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। जिस पंडाल में लोग मां की महिमा का प्रसंग देख रहे थे, वहीं थोड़ी देर बाद बिखरे सामान, जले अवशेष और राख हो चुकीं पंडाल की अस्थाई दीवारें दिख रह थीं। आग की लपटों के बीच बीती रात की भगदड़ के बाद कहीं बच्चे का चश्मा तो कहीं किसी महिला का पर्स गिरा पड़ा था।
रात नौ और 10 बजे के बीच अचानक पंडाल के एक सिरे से आग की लपटें उठीं जो पल भर में ही प्लास्टिक पन्नी और फाइबर से युक्त गुफानुमा पंडाल में फैल गई। फिर क्या था जान बचाने के लिए लोग भागन लगे। चीखपुकार के बीच पूरे पंडाल में अफरातफरी मच गई।
पंडाल में जो जहां गिरा वहीं गिरा ही रह गया। कितने लोग पंडाल के ठीक पीछे तालाब में भी खुद कर अपनी जान बचाई कितने लोग आग की लपटों के बीच अपनों को खोजने में बुरी तरह झुलस गए। हादसे में 70 से ज्यादा लोग झुलसे। इनमें से महीने भर के अंदर 20 लोगों की मौत हो गई।घटना में सबसे बड़ी आफत बारीगांव के पूर्व प्रधान रमापति के परिवार पर कहर बनकर टूटी। जहां एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गई जबकि चार लोग बुरी तरह झुलस गए। इस त्रासदी से पूर्व प्रधान रमाकांत का परिवार अब तक नहीं उबर सका है। परिजन आज भी घटना से काफी आहत हैं। हादसे में रमाकांत की पत्नी जयदेवी, बहू सीमा देवी, नातिन प्रियल, शिवांगी, पौत्र नवीन, सिद्धार्थ की मौत हो गई थी। उनकी दूसरी बहू रेखा देवी, पौत्र राधे, पौत्री प्रतिमा झुलस गईं थीं।
अग्निकांड के पीड़ित रमापति के पास रविवार को अमर उजाला की टीम जब पहुंची तो उनके आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने जवाब में सिर्फ इतना ही कहा सब बर्बाद हो गया। सब खत्म हो गया कहने को कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे तो यह सब देखने से पहले ही दुनिया से चला जाना चाहिए था। अग्निकांड में झुलसी प्रतिमा भी अपने जख्म दिखाते हुए रो पड़ी। कहा कि मुझे वह दिन याद है जब मैं झुलसने के बाद भी अपनी माता सीमा देवी, भाई सिद्धार्थ और बहन प्रियल को अपनी आंखों से उस लपटों के बीच ढूंढ रही थी। उन्हें मैं ढूंढ नहीं पाई और आज तक वह मुझसे मिले नहीं। उस घटना में रमापति के लड़के अवधेश का पूरा परिवार ही समाप्त हो गया।
Oct 02 2023, 18:23