सनातन संस्कृति ही नहीं, विज्ञान भी समाया है कोणार्क चक्र में, मोदी ने वैश्विक नेताओं को दिखाया सूर्य चक्र
News Desk: G20 समिट के दौरान पीएम मोदी जिस पहिये के सामने खड़े होकर मेहमानों का स्वागत कर रहे थे उस सूर्य चक्र का सिर्फ धार्मिक या आस्था से जुड़ा हुआ महत्व नहीं था, बल्कि उसका अपना वैज्ञानिक पहलू भी है. दुनिया के नेताओं को भी सूर्य चक्र रोमांचित कर रहा था. असल में यह मंदिर सूर्य के विशालकाय रथ के पहिया की तरह बनाया गया है.
कोणार्क के सूर्य मंदिर में बने चक्र को कई नामों से बुलाया जाता है. इसे सूर्य चक्र, धर्म चक्र या समय चक्र भी कहते हैं. कोणार्क का सूर्य मंदिर अपनी पथरीली कलाकृतियों के लिए भी जाना जाता है. जिसे सात घोड़े खींचते हैं. इस रथ में 12 जोड़े पहिए लगे हैं. यानी कुल मिलाकर 24 पहिए. हर पहिए पर शानदार नक्काशी है. लेकिन ये पहिए हमारे जीवन से संबंधित कई वैज्ञानिक बातें बताते हैं.
चलिए हम विस्तार से जानते है इस चक्र की कहानी, इसके पीछे का वैज्ञानिक पहलू और इससे क्या संदेश देने की कोशिश की गई है.
13वीं शताब्दी में मंदिर का हुआ था निर्माण
उड़ीसा के कोणार्क में सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग राजवंश के राजा नरसिम्हा देव प्रथम के शासनकाल में कराया गया था. सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य के रथ को सात घोड़े खींचते हैं और उसमें 12 पहिए लगे हुए हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए इस मंदिर को रथ के आकार का बनाया गया है. कोणार्क सूर्य मंदिर में बना ये चक्र सिर्फ सनातन धर्म की तरफ ही इंगित नहीं करते हैं बल्कि कई सारी वैज्ञानिक बातें भी बताते हैं. ये पहिए बताते हैं कि आखिर कैसे पूरी दुनिया सूर्य की ऊर्जा से चलती है.
सात घोड़े यानी हफ्ते के साथ दिन
यहां मौजूद हर पहिए मैं आठ मोटी और 8 पतली तिलिया है. सात घोड़े यानी हफ्ते के साथ दिन . 12 पहिए यानी साल के 12 महीने जबकि इनका जोड़ा यानी 24 पहिए मतलब दिन का 24 घंटा. इसके अलावा आठ मोटी तिलिया आठ पहर यानी हर 3 घंटे के समय को दर्शाती है. असल में इन पहियों को जीवन का पहिया कहा जाता है इससे यह भी पता चलता है सूर्योदय कब होगा और सूर्यास्त कब होगा.
तीलियों का क्या मतलब
इस चक्र में तीलियों का क्या मतलब है इसको हम जानते हैं. इस सूर्य चक्र में कुल आठ मोटी और आठ पतली तिलिया है. हर तिल्ली के बीच में 30 बिंदु है. हर बिंदु 3 मिनट का समय बताता है. यानी कुल 90 मिनट हर मोटी तीली के बीच में मौजूद है. पतली तिल्ली डेढ़ घंटे के समय का इशारा है और मध्य में जो मोटी तिल्ली है वह रात के 12:00 बजे का समय बताती है.
12 चक्र 12 राशियों के घोतक
कोणार्क के सूर्य मंदिर के 12 चक्र भारतीय ज्योतिष शास्त्र की 12 राशियों के घोतक है. इसलिए इस चक्र को धर्म चक्र भी कहा जाता है. इस मंदिर में बने 24 चक्र में से दो चक्र ऐसी जगह पर बने हैं जहां से आप उनके अक्ष यानी एक्सेल के बीच में उंगली रखते हैं तो उसकी परछाई से आप सही समय का पता लगा सकते हैं. इन तिल्लियों की मदद से सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त का समय पता लगाया जा सकता है इसलिए इसको सूर्य घड़ी भी कहते हैं. कोणार्क सूर्य मंदिर को 1984 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित भी किया जा चुका है.
सूर्य चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान वास्तु आधारित शिल्पकला का असाधारण उदाहरण है. इसी के चलते भारत सरकार ने इस चक्र का इस्तेमाल 10 और 20 के भारतीय करेंसी में भी किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन को पीएम मोदी ने इन्हीं विशेषताओं के बारे में जानकारीयां दी.
Sep 11 2023, 09:03