*कोर्ट में प्रॉस्टिट्यूट-अफेयर जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने जारी की हैंडबुक, जानें और किन शब्दों पर लगी रोक*
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महिलाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ने बड़ी पहल की है।सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।अदालती फैसलों और दलीलों में अब लैंगिक रूढ़िवादिता प्रदर्शित करने वाले शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर एक हैंडबुक लॉन्च की है।यह हैंडबुक न्यायाधीशों को अदालती आदेशों और कानूनी दस्तावेजों में अनुचित लिंग शब्दों के इस्तेमाल से बचने में मार्गदर्शन करेगी।
इसे लेकर एक बयान भी जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि हैंडबुक महत्वपूर्ण मुद्दों, विशेषकर यौन हिंसा से जुड़े मुद्दों पर प्रचलित कानूनी सिद्धांत को भी समाहित करती है। इसमें कहा गया है कि हैंडबुक का लॉन्च एक अधिक न्यायसंगत और न्यायसंगत समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
'हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स' के लॉन्च पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, गाइडबुक उन शब्दों और वाक्यांशों के उपयोग को पहचानने और खत्म करने के लिए है, जो अदालती आदेशों और कानूनी भाषा में लैंगिक पूर्वाग्रह पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह न्यायाधीशों को पहले भाषा की पहचान करके ऐसी रूढ़िवादिता को पहचानने और उससे बचने में मदद करता है, जो लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देती है और वैकल्पिक शब्दों और वाक्यांशों की पेशकश करती है।
ये हैंडबुक 30 पन्नों की है।इस हैंबुक में उन शब्दों का जिक्र किया गया है जो लैंगिक रूढ़िवादिता को कायम रखते हैं। साथ ही कहा कि कोर्ट में इनके इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए। इन शब्दों में अफेयर, हाउसवाइफ, प्रॉस्टिट्यूट, ईव टीजिंग जैसे शब्द भी शामिल हैं जिन्हें बदला गया है।इसमें अफेयर को शादी के इतर रिश्ता, प्रॉस्टिट्यूट को सेक्स वर्कर, अनवेड मदर (बिनब्याही मां) को मां चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूड को तस्करी करके लाया बच्चा एफेमिनेट (जनाना) की जगह जेंडर न्यूट्रल शब्दों का प्रयोग, कॉन्क्युबाइन (रखैल) को ऐसी महिला जिसका शादी के इतर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध हो, जैसे शब्दों से बदला गया है।
बता दें कि 8 मार्च महिला दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में हुए एक इवेंट में कहा गया था कानूनी मामलों में महिलों के लिए आपत्तिनजक शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा, जल्द ही इसके लिए डिक्शनरी भी आएगी।अब बुधावार 16 अगस्त को ये हैंडबुक जारी कर दी है। इसे जारी करते हुए सीजेआई ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रुढ़िवादी हैं और उनके कैसे बचा जा सकता है।
इस हैंडबुक को तीन महिला जजों की एक समिति ने तैयार किया है। इन जजों में जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल हैं। वहीं, इस समिति की अध्यक्षता कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की ने किया था।
Aug 16 2023, 21:23