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तो क्या विश्व से अब तक खतम नहीं हुआ कोरोना ! भारत के पड़ोसी देश इंडोनेशिया में वैज्ञानिकों ने ढूंढ़ा ओमिक्रॉन से भी ज्यादा जानलेवा और खतरनाक वैर


 डब्ल्यूएचओ ने इसी साल मई महीने में कोरोना वायरस को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की श्रेणी से हटा दिया था। इसके बाद ऐसा लगने लगा था कि कोरोना वायरस का दुनिया से अंत हो गया है लेकिन, ऐसा नहीं है। हाल ही में भारत के पड़ोसी देश इंडोनेशिया में वैज्ञानिकों ने कोरोना के ऐसे खतरनाक वैरिएंट की खोज की है, जो ओमिक्रॉन से भी ज्यादा जानलेवा है और खतरनाक है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह वैरिएंट 113 यूनीक म्यूटेंट वाला कोरोना वायरस का नया वैरिएंट हो सकता है। साथ ही वैज्ञानिकों ने इस वैरिएंट को अब तक का सबसे घातक वैरिएंट करार दिया है।

इंडोनेशिया में वैज्ञानिकों को कोरोना का सबसे नया और घातक वैरिएंट मिला है। रिपोर्टों के अनुसार, इससे पहले 50 म्यूटेंट वाला ओमिक्रॉन कोरोना वायरस को सबसे अधिक घातक और तेजी से संक्रमण करने वाला वैरिएंट था। लेकिन, इंडोनेशिया में वैज्ञानिकों ने जिस वैरिएंट की खोज की है, वह 113 यूनीक म्यूटेंट के साथ ऑमिक्रोन को भी पीछे छोड़ देता है। 

क्यों है इतना खतरनाक

वैज्ञानिकों का कहना है कि स्पाइक प्रोटीन वायरस की सतह पर पाया जाता है और इसे मानव कोशिकाओं से जुड़ने और प्रवेश करने में मदद मिलती है। अधिकांश कोरोना टीके मानव शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करते हैं और स्पाइक प्रोटीन को टारगेट करके उन पर हमला करते हैं। ये यूनीक म्यूटेंट स्पाइक प्रोटीन को काफी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे ये अधिक खतरनाक हो जाते हैं।

कोरोना से ठीक हुए शख्स में नया वैरिएंट

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोविड वायरस का यह नया वैरिएंट एक पुराने कोविड मरीज से उत्पन्न हुआ है जो महीनों से संक्रमण से पीड़ित है। इन पुराने रोगियों में आम तौर पर एड्स या कीमोथेरेपी से गुजरने के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है जो कि कोविड वायरस से लड़ने की क्षमता को कम कर देती है।

चिंता की बात

मेलऑनलाइन से बात करते हुए रीडिंग यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर इयान जोन्स ने कहा कि पुराने संक्रमणों में मुख्य चिंता यह है कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट उन व्यक्तियों में भी पैदा होते है, जिन्होंने कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इंडोनेशिया में पाए गए नए कोविड वायरस वैरिएंट को विश्व जीनोमिक्स डेटाबेस में जमा कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट नए और अप्रत्याशित तरीके से उत्परिवर्तन करके आश्चर्यचकित करते रहते हैं।

एक नहीं सात सात उपग्रहों को सटीक तौर पर उनकी कक्षाओं में इसरो ने कर दिया प्रक्षेपित, पढ़िए, भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज सुबह 6.30 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC), श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से 7 उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी56 (PSLV-C56’) को लॉन्च किया है। चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो का ये नया कारनामा है। इस मौके पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में मिशन नियंत्रण केंद्र पर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और अन्य अधिकारी मौजूद हैं। इसरो ने कहा कि मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। PSLV-C56 से सभी उपग्रहों को उनकी इच्छित कक्षाओं में सटीक रूप से प्रक्षेपित किया गया। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने लॉन्च के सफलता से पूरा होने के बाद कहा कि ‘बधाई हो, प्राथमिक उपग्रह डीएस-एसएआर और दूसरे 6 उपग्रहों सहित 7 उपग्रहों को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी56 को सफलतापूर्वक सही कक्षा में स्थापित किया गया है।

PSLV-C56 / DS-SAR, सिंगापुर के एसटी इंजीनियरिंग के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का कॉमर्शियल मिशन है। सिंगापुर का डीएस-एसएआर एक रडार इमेजिंग आधारित पृथ्वी निगरानी सेटेलाइट मिशन के लिए प्राइमरी सेटेलाइट है। इन उपग्रहों का उपयोग सिंगापुर सरकार के भीतर विभिन्न एजेंसियों की सेटेलाइट इमेजरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। एसटी इंजीनियरिंग अपने कॉमर्शियल ग्राहकों के लिए मल्टी-मॉडल और उच्च प्रतिक्रियाशीलता इमेजरी और भू-स्थानिक सेवाओं के लिए इसका उपयोग करेगी।

यह मिशन पीएसएलवी की 58वीं उड़ान है। यह अकेले कोर कॉन्फ़िगरेशन में रॉकेट की 17वीं उड़ान भी है। इसरो के मुताबिक उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने की क्षमता के लिए इसका विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी सही चयन है। वहीं न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड इसरो की कॉमर्शियल शाखा है और यह उपग्रह प्रक्षेपण अभियान सिंगापुर में ग्राहकों के लिए एक कॉमर्शियल परियोजना है। 14 जुलाई को लॉन्च किए गए चंद्रयान-3 मिशन के बाद इस महीने यह इसरो का दूसरा बड़ा सफल अभियान है।

गौरतलब है कि इसरो ने ‘चंद्रयान-3’ को चंद्रमा की कक्षा में ऊपर उठाने की पांचवें चरण की प्रक्रिया को भी हाल ही में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था। इससे चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलेगा और एक अगस्त को निर्धारित कार्यक्रम के तहत चंद्रमा की तरफ बढ़ेगा। इसरो ने कहा कि चंद्रयान को कक्षा में ऊपर उठाने की अगली प्रक्रिया ‘ट्रांसलूनार इंजेक्शन (टीएलआई)’ एक अगस्त 2023 को मध्य रात्रि 12 बजे से एक बजे के बीच की जाएगी। टीएलआई की प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकल जाएगा और उस रास्ते पर आगे बढ़ जाएगा, जो उसे चंद्रमा के करीब ले जाएगा।

अगले लोकसभा चुनाव के पूर्व जारी एक पोल सर्वे के पढ़िए, डिटेल में नतीजे, क्या इस बार भी मोदी मैजिक रहेगी अभेद्य या कहीं विपक्षी गठबंधन बना सकेगी

 देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। एनडीए के खिलाफ मजबूत विपक्ष खड़ा करने के लिए बाकी दलों ने INDIA नाम के साथ आगे बढ़ने का निश्चय तो कर लिया है लेकिन, क्या यह कदम चुनाव में कुछ बदलाव ला पाएगा? शनिवार को एक पोल सर्वे में जो आंकड़े सामने आए, वो विपक्षी गठबंधन के लिए बैचेनी बढ़ाने वाले हैं। पोल में बीजेपी की जीत की हैट्रिक का दावा किया जा रहा है। INDIA के लिए राहत की बात सिर्फ यही है कि कुछ राज्यों में झटकों के साथ-साथ अच्छी खबरें भी मिली हैं। दक्षिण भारतीय राज्यों और महाराष्ट्र के अलावा पश्चिम बंगाल राज्य से भी विपक्षी दलों के लिए पोल सर्वे खुश करने वाला है। बंगाल में इस बार भी ममता बनर्जी का बंगाल किला बीजेपी के लिए अभेद्य नजर आ रहा है। ज्यादा सीट लाना तो दूर, पांच साल पहले बीजेपी ने जो सीटें कमाई थी, उन्हें भी गंवाती नजर आ रही है। पोल सर्वे के मुताबिक, करीब एक तिहाई सीटों का नुकसान हो रहा है। 

इंडिया टीवी-सीएनएक्स के ओपिनियन पोल में बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में 318 सीटों के साथ जीत दर्ज कर रही है। वहीं, विपक्ष दलों का गठबंधन INDIA 175 सीटें ही जीत पा रही है। राज्यों की बात करें तो कई राज्यों में बीजेपी बंपर सीटें तो ला रही है लेकिन, कई स्टेट्स में बीजेपी का हाल काफी बुरा है। 

ओपिनियन पोल अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनावों में टीएमसी की सीट हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ मजबूती से उभरती हुई दिख रही है। यहां ममता को छोड़ बाकियों का हाल काफी बुरा है। बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले 6 सीटों का नुकसान हो रहा है। लेफ्ट से लेकर अन्य छोटे-मोटे दल भी पिछड़ रहे हैं। कांग्रेस पिछली बार की तरह इस बार भी एक ही सीट लेकर खड़ी दिखाई दे रही है।

2019 में चला मोदी मैजिक इस बार फेल?

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टीएमसी के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया था। पीएम मोदी, तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और अन्य सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने राज्य में जमकर प्रचार किया था। पार्टी ने मतदान से पहले चुनाव में 20 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, हालांकि, उसे 18 सीटों से संतोष करना पड़ा था। 2019 के आम चुनाव में टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की 42 में से 22 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस 2 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और सीपीएम अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। 

बंगाल पर क्या कहता है पोल सर्वे

इंडिया टीवी-सीएनएक्स ने 29 जुलाई को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ओपिनियन पोल जारी किया था। यह पोल बीजेपी के हक में जाता दिख रहा है। लगातार तीसरी बार बीजेपी को अच्छे मार्जिन से जीत मिल रही है। लेकिन कई राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल में हालत इससे काफी उलट हैं। पोल में 2024 में पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को 29 लोकसभा सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जबकि बीजेपी को 12 सीटें मिल सकती हैं। वाम मोर्चे के शून्य दोहराए जाने से कांग्रेस के 1 सीट जीतने की संभावना है।

ममता को 48 फीसदी वोट

ओपिनियन पोल के मुताबिक, 2024 में पश्चिम बंगाल में ममता की तृणमूल कांग्रेस को 48% वोट मिलने की संभावना है, बीजेपी को 37% वोट मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस 6% वोटों के साथ तीसरे स्थान पर है और लेफ्ट फ्रंट को सिर्फ 5% वोट मिल सकते हैं।  

अन्य राज्यों में क्या हाल

ओडिशा की बात करें तो बीजू जनता दल (बीजेडी) एक बार फिर ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाद जीत हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। बीजेडी को 13 सीटें और बीजेपी को 8 सीटें मिलने की उम्मीद है और कांग्रेस को कोई भी सीट नहीं मिल पा रही है। इससे पहले 2019 में बीजेडी को 12 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी 8 सीटों पर रही थी और कांग्रेस एक सीट जुटाने में सफल रही थी। उत्तराखंड में बीजेपी सभी पांच सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। इस बार भी कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिलने की उम्मीद है।

केरल में 14 सीटें हासिल करने के बाद यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के विजयी होने की संभावना है। इंडिया टीवी द्वारा कराए गए ओपिनियन पोल में भविष्यवाणी की गई है कि लेफ्ट डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीएफ) 6 सीटों पर पिछड़ गई है, जबकि बीजेपी किसी भी सीट पर कब्जा करने में विफल रहेगी। 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 15 सीटों के साथ विजयी हुई थी। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) को 2 सीटें मिलीं, उसके बाद रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), केरल कांग्रेस (एम) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को 1 सीट मिली।

वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों (पुडुचेरी, चंडीगढ़, दादरा नगर हवेली, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप) की 6 सीटों में से बीजेपी को 4 और कांग्रेस को 2 सीटें मिलने का अनुमान है। 2019 में कांग्रेस ने पुडुचेरी के साथ-साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से भी एक सीट जीतकर सरकार बनाई थी। इस बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने लक्षद्वीप में एक सीट जीती थी।

बलोचिस्तान की निर्वासित प्रधानमंत्री ने गंगा घाट पर की पूजा, पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्ति के लिए यूएन में पीएम मोदी से मांगा समर्थन

 बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार की प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी, डॉ. उदिता त्यागी और हिन्दू महासभा की नेता राजश्री चौधरी के साथ हरिद्वार पहुंचकर महादेव की पूजा की। वीआईपी घाट पर अखंड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक, महामंडलेश्वर स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती, कथावाचक पवनकृष्ण शास्त्री आदि ने उनका स्वागत किया।

नायला कादरी बलोच ने आजाद बलूचिस्तान के निर्माण के लिए मां गंगा के साथ ही देवाधिदेव भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की। उन्होंने पाकिस्तान के अवैध कब्जे से आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समर्थन मांगा।

कादरी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार के पास आज संयुक्त राष्ट्र में बलूचिस्तान के समर्थन में बोलने का मौका है, जो कल उनके पास नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि बलूचिस्तान, जो कभी एक स्वतंत्र देश था, पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, जो इसके खनिज संसाधनों को लूट रहा है और अपने लोगों पर हर तरह के अत्याचार कर रहा है। बलूच लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया जा रहा है, घरों और बगीचों में आग लगाई जा रही है।

सनातन धर्म के उपासना स्थलों में मिलता है प्यार और सम्मान

गंगा तट से उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के मंदिरों को तोड़ने वालों की औलादों को अपने पुरखों के कुकृत्य पर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के उपासना स्थलों में प्यार और सम्मान मिलता है। इससे वह पूरी तरह अभिभूत हैं। सनातन धर्म के मंदिर और उपासना स्थल सम्पूर्ण मानवता के लिये प्रेम और सम्मान से भरे हैं। पता नहीं वह कौन सा पागलपन है जो कुछ लोगों को ऐसे मंदिर और उपासना स्थल को तोड़ने की इजाजत देता है। मंदिरों को तोड़ने वाले कोई राजा, महाराजा या सुल्तान नहीं थे बल्कि चोर डाकू थे। यदि ऐसे चोर डाकुओं की औलादें कहीं हैं या कोई खुद को उनकी औलाद मानता है तो उसे अपने पुरखों के कारनामों पर शर्मिंदा होना चाहिए।

महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने सनातन के धर्मगुरुओं से संपूर्ण विश्व में इस्लाम के जिहादियों द्वारा किये जा रहे अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध विश्व का वैचारिक नेतृत्व करने की प्रार्थना की। श्री अखण्ड परशुराम अखाड़ा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बलूचिस्तान की आजादी के लिए समर्थन देने की मांग की। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस विषय मे त्वरित कदम उठाने की भी अपील की। इस दौरान पंडित गिरीश मिश्रा, नितिन शास्त्री, विष्णु गौड़, कुलदीप शर्मा व अन्य लोग मौजूद रहे।

तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में बड़ा हादसा, पटाखा फैक्टरी के गोदाम में विस्फोट, 8 लोगों की मौत जबक‍ि करीब 10 लोग झुलसे, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख, क‍िया मुआवजे का ऐलान


तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में शन‍िवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां एक पटाखा फैक्टरी के गोदाम में विस्फोट हो गया। इसमें कुल 8 लोगों की मौत हो गई, जबक‍ि करीब 10 लोग झुलस गए। मरने वालों में तीन महिलाएं शाम‍िल हैं। पुल‍िस ने बताया कि विस्फोट के कारण आसपास कुछ दुकानें और मकान क्षतिग्रस्त हो गए। मौके पर राहत और बचाव का काम जारी है। उधर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है और हादसे में मारे गए लोगों के पर‍िवार को पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की।

जानकारी के मुताब‍िक, यह घटना कृष्णागिरी जिले के पलायपेट्टई में हुई। कृष्णागिरी के एसपी सरोज कुमार ठाकोर ने कहा कि पलायपेट्टई इलाके में रवि नाम के व्यक्ति की पटाखा फैक्ट्री के अंदर विस्फोट हुआ। आग आसपास की दुकानों और घरों तक फैल गई। पुलिस और दमकल कर्मी मौके पर पहुंचे और बचाव अभियान चलाया।

7 की मौके पर, एक की बाद में हुई मौत

एसपी सरोज कुमार ठाकोर ने कहा क‍ि 7 लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है और कुछ अन्य घायलों को इलाज के लिए नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया है। ठाकोर ने बाद में कहा कि हादसे में एक और व्यक्ति की मौत हो गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख, क‍िया मुआवजे का ऐलान

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। पीएम ने हादसे में मारे गए लोगों के पर‍िवार को पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। पीएम मोदी ने ट्वीट किया क‍ि तमिलनाडु के कृष्णागिरि में एक पटाखा फैक्ट्री में हुए दुखद हादसे से बहुत दुखी हूं। इसमें बहुमूल्य जनहानि हुई। इस बेहद कठिन समय में मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं।

हादसे पर दुखी अम‍ित शाह

उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी हादसे पर दुख जताया। अम‍ित शाह ने ट्वीट करके कहा क‍ि कृष्णागिरी में एक पटाखा फैक्ट्री में आग दुर्घटना दुखद है। मैं मरने वालों के परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।

कृष्णागिरी सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं घायल

घायलों और बचाए गए लोगों को इलाज के लिए कृष्णागिरी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया। मामले में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है।

बिजनौरः पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट, उड़कर दूर जा गिरी छत

शिवकाशी शहर में भी पटाखा फैक्‍ट्री में हुआ था ब्‍लास्‍ट

इससे पहले मंगलवार को विरुधुनगर जिले के शिवकाशी शहर में भी एक पटाखा निर्माण फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था। इसमें कुल दो लोगों की मौत हो गई थी। जबक‍ि कई जख्‍मी हुए थे।

बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाला: ED की चार्जशीट में सीएम ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी का नाम, यहां पढ़िए, क्या हो सकेगी गिरफ़्तारी

केंद्रीय जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले की चल रही जांच में अपनी चार्जशीट में तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के नाम का जिक्र किया है। बता दें कि, यह पहली बार है जब किसी केंद्रीय एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में अभिषेक बनर्जी के नाम का उल्लेख किया है।

जांच एजेंसी के आरोपपत्र के अनुसार, तापस कुमार मंडल ने खुलासा किया कि कुंतल घोष, जो सुजॉय कृष्ण भद्र के बहुत करीबी थे, ने प्राथमिक शिक्षकों के रूप में उम्मीदवारों की विभिन्न अवैध नियुक्तियों की व्यवस्था करने के लिए उनसे राशि एकत्र की थी और यह राशि सुजय कृष्ण भद्र को सौंपी थी। बता दें कि, घोष युवा तृणमूल नेता थे। ED ने अपनी चार्जशीट में लिखा है कि सुजय कृष्ण भद्र अभिषेक बनर्जी के वित्त संबंधी मामलों को देखते थे, जो अखिल भारतीय तृणमूल युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष थे। ED ने यह भी बताया कि एसके भद्रा बनर्जी के काफी करीबी थे। इसके अलावा, ईडी ने दावा किया कि सुजय कृष्ण भद्र अभिषेक बनर्जी के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के कार्यालय में जाते थे।

बता दें कि, यह पहली बार है कि प्रवर्तन निदेशालय की किसी चार्जशीट में अभिषेक बनर्जी का नाम आया है। 

जांच एजेंसी ने शुक्रवार को विशेष (CBI) अदालत के समक्ष सुजय कृष्ण भद्र के खिलाफ 7,000 पेज का पूरक आरोपपत्र दाखिल किया। सुजय भद्रा पर बंगाल में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया था।

मध्य प्रदेश के सतना जिले में निर्भया कांड जैसी दर्दनाक वारदात, 11 वर्षीय किशोरी के साथ गैंगरेप के बाद दरिंदो ने लड़की के प्राइवेट पार्ट में डाला

 मध्य प्रदेश के सतना जिले में निर्भया कांड जैसी दर्दनाक घटना सामने आई है। 11 वर्षीय किशोरी के साथ गैंगरेप के बाद दरिंदो ने लड़की के प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी। मैहर थाना क्षेत्र में आज प्रातः 10 वर्षीय एक बालिका चोटिल हालत में मिली। पुलिस ने इस मामले में दो अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं बालिका को गंभीर हालत में रीवा रेफर कर दिया गया है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कल से लापता एक बालिका मैहर थाना क्षेत्र में गंभीर हालत खून से लथपथ मिली। पुलिस द्वारा बालिका को मैहर के सरकारी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां से उसे गंभीर हालत में रीवा रैफर कर दिया है। घटना की खबर प्राप्त होते ही पुलिस के साथ SDM एवं SDOP मैहर सिविल हॉस्पिटल पहुंचे। मामले में दुष्कर्म सहित पास्को एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस ने 2 संदेहियों को भी गिरफ्त में लिया है। पुलिस पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ कर रही है।

मैहर SDOP लोकेश डावर ने बताया कि सुबह सात बजे लड़की मंदिर की तरफ जा रही थी। इसी बीच अपराधियों ने उसे पकड़ लिया। नहर के किनारे झाड़ियों में ले जाकर उसके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया। नाबालिग के प्राइवेट पार्ट में कुछ इंसर्ट किया गया है। इस मामले में डॉक्टर कुछ बता पाएंगे। पीडि़ता के परिजनों की शिकायत पर प्रकरण पंजीबद्ध करते हुए दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

विश्व बाघ दिवस आज, संकटग्रस्त इस महत्वपूर्ण जीव को बचाने और संरक्षण के लिए यहां डिटेल में जानिए क्या कदम उठा रहा भारत ?

हर साल 29 जुलाई को दुनिया विश्व बाघ दिवस मनाती है, जो बाघों और उनके आवासों की गंभीर स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। बाघ, यानी Royal Big Cats, हमारे पारिस्थितिक तंत्र और सांस्कृतिक विरासत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। हालाँकि, निवास स्थान के नुकसान, अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण उनका अस्तित्व लगातार खतरे में है। यह दिन इन प्रतिष्ठित प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है।

भारत में बाघ: राष्ट्र का गौरव

भारत का बाघों के साथ एक विशेष जुड़ाव है, क्योंकि यह दुनिया में जंगली बाघों की सबसे बड़ी आबादी का घर है। भारत सरकार द्वारा की गई नवीनतम बाघ जनगणना के अनुसार, भारत में बाघों की आबादी लगभग 3,000 है, जो देश के संरक्षण प्रयासों का एक प्रमाण है। भारत में बाघ विभिन्न राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों में फैले हुए हैं, जिनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध सुंदरबन, कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान हैं।

बाघ भारतीय संस्कृति और इतिहास में एक पवित्र स्थान रखते हैं, जो शक्ति और अनुग्रह का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में वे पूजनीय भी हैं और हिंदू पौराणिक कथाओं में विभिन्न देवताओं से जुड़े हुए हैं। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु भी है, जो बाघ संरक्षण के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत की संरक्षण पहल: बाघों को बचाने का प्रयास

भारत सरकार, विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों और वन्यजीव संरक्षणवादियों के साथ, बाघों की आबादी और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए अथक प्रयास कर रही है। भारत में बाघों के दीर्घकालिक अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल लागू की गई हैं:

1. प्रोजेक्ट टाइगर: 1973 में शुरू किया गया, प्रोजेक्ट टाइगर एक अग्रणी संरक्षण कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य बाघ और उसके आवासों की रक्षा करना था। यह बाघ अभ्यारण्य स्थापित करने और अवैध शिकार और आवास विनाश को रोकने के लिए कड़े उपायों को लागू करने पर केंद्रित है।

2. टाइगर रिजर्व: भारत में विभिन्न राज्यों में फैले 51 टाइगर रिजर्व हैं। ये अभ्यारण्य संरक्षित क्षेत्रों के रूप में कार्य करते हैं जहाँ बाघ बिना किसी बाधा के स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं, जिससे उनके प्रजनन और भरण-पोषण के लिए एक सुरक्षित वातावरण उपलब्ध होता है।

3. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: 1972 का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून था जिसने भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत किया। यह वन्यजीवों के अवैध शिकार और अवैध व्यापार से संबंधित अपराधों के लिए सख्त दंड लगाता है।

4. सामुदायिक भागीदारी: संरक्षण में स्थानीय समुदायों के महत्व को पहचानते हुए, भारत समुदाय-आधारित संरक्षण पहल को बढ़ावा दे रहा है। संरक्षण प्रयासों में स्थानीय लोगों को शामिल करने से न केवल मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में मदद मिलती है, बल्कि बाघों की सुरक्षा के प्रति स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना भी पैदा होती है।

5. पारिस्थितिक संतुलन: भारत बाघों के पनपने के लिए एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने के महत्व को समझता है। उनके आवासों को संरक्षित करने से न केवल बाघों को लाभ होता है, बल्कि इन पारिस्थितिक तंत्रों पर निर्भर विभिन्न अन्य वनस्पतियों और जीवों की भलाई भी सुनिश्चित होती है।

6. वैश्विक सहयोग: भारत बाघ संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझौतों में सक्रिय रूप से भाग लेता है। यह बाघ संरक्षण पर सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा और वैश्विक बाघ पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम का एक हस्ताक्षरकर्ता है, जो वैश्विक बाघ संरक्षण प्रयासों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है।

इन पहलों के बावजूद, बाघों के संरक्षण में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। पर्यावास का विखंडन, अवैध वन्यजीव व्यापार के लिए अवैध शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रमुख खतरे बने हुए हैं। प्रवर्तन को मजबूत करने, सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देने और मानव-बाघ संघर्ष के मूल कारणों का समाधान करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

विश्व बाघ दिवस न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में बाघों की सुरक्षा और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है। बाघ पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उनका अस्तित्व आवश्यक है। इस दिन, आइए हम जागरूकता बढ़ाने, संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने और इन शानदार बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए एक साथ आएं। प्रत्येक व्यक्ति का प्रयास, चाहे बड़ा हो या छोटा, बाघों के संरक्षण में योगदान दे सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए जंगल में उनकी जगह सुरक्षित कर सकता है। साथ मिलकर, हम एक ऐसा भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं जहां बाघ जंगलों में घूमते रहेंगे और आने वाली पीढ़ियों में विस्मय और प्रशंसा को प्रेरित करेंगे।

दिल्ली में डेंगू ने तोड़ा 5 साल का रिकॉर्ड, बच्चों को जागरूक करने के लिए 'डेंगू होमवर्क' करवा रही सरकार, मुख्यमंत्री लगातार कर रहे समीक्षा

राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के मामलों में वृद्धि के बीच, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीमारी के प्रसार को रोकने के उपायों की समीक्षा की। दरअसल, नगर निकाय द्वारा सोमवार को जारी अंतिम उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल 22 जुलाई तक राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के कुल 187 मामले सामने आए हैं, जो 2018 के बाद की अवधि के लिए सबसे अधिक है। दिल्ली नगर निगम (MCD) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई के पहले तीन हफ्तों में डेंगू के मामलों की संख्या लगभग 65 थी। जून में यह 40 और मई में 23 थी। इसके अलावा, इसी अवधि में मलेरिया के 61 मामले दर्ज किए गए हैं।

बता दें कि, हाल ही में भारी बारिश और यमुना नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में बाढ़ आने से डेंगू फैलने की आशंका बढ़ गई है। स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि स्थिति से निपटने के उपायों के तहत, मच्छरों के प्रजनन के लिए जुर्माना घरों के मामले में 1,000 रुपये और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए 5,000 रुपये तक बढ़ा दिया गया है। एक नागरिक अधिकारी ने कहा कि पहले, घरों के लिए जुर्माने की राशि 500 रुपये थी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को डेंगू रोगियों के लिए बिस्तर आरक्षित करने और अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है।

बता दें कि, डेंगू एक वायरल संक्रमण हैM जो डेंगू वायरस (DENV) के कारण होता है, जो संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह वायरस संक्रमित मादा मच्छरों, मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी मच्छर, के काटने से मनुष्यों में फैलता है। विशेषज्ञों के अनुसार, डेंगू वायरस के चार सीरोटाइप हैं- DENV-1, DENV-2, DENV-3 और DENV-4। स्वास्थ्य मंत्री भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में 20 डेंगू पॉजिटिव नमूनों की जीनोम अनुक्रमण से पता चला है कि इनमें से 19 में स्ट्रेन टाइप-2 था। उन्होंने कहा, टाइप-2 एक गंभीर स्ट्रेन है, जिससे मरीजों को खतरा है, लेकिन रुझान यह भी बताता है कि व्यापक रूप से प्रचलन में केवल एक ही स्ट्रेन है, लेकिन "हम सभी को सतर्क रहने की जरूरत है"।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारद्वाज के अलावा दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय और नागरिक एवं स्वास्थ्य अधिकारी भी शामिल हुए। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बैठक में मुख्यमंत्री ने स्थिति और राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा उठाए जा रहे उपायों और योजना की समीक्षा की। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, "दिल्ली के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को डेंगू रोगियों के लिए बिस्तर आरक्षित करने और अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या शहर में ऐसे रोगियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, उन्होंने कहा, “अभी तक अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं देखी गई है। लेकिन हम अपनी सभी चिकित्सा प्रणालियों को हाई अलर्ट पर रखेंगे।” भारद्वाज ने यह भी कहा कि सरकार ने मच्छरों के लार्वा के प्रजनन के लिए अस्पतालों को "ZERO-टोलरेंस जोन" घोषित किया है, और सभी विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि उनके कार्यालय परिसर में मच्छर के लार्वा का प्रजनन न हो।

उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे स्व-दवा न करें और ओवर-द-काउंटर दवाएं न खरीदें, और बुखार होने पर डॉक्टर से परामर्श लें। मंत्री ने आगाह किया कि ''एस्पिरिन, डिस्प्रिन, इबुप्रोफिन, जो खून को और पतला करते हैं, डेंगू के मरीज को नहीं लेना चाहिए। बुखार होने पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।'' इसके अलावा, बुखार के मामले को साधारण बुखार के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि मोहल्ला क्लीनिक और डिस्पेंसरी में मुफ्त डेंगू परीक्षण उपलब्ध हैं।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि डेंगू प्रजनन जांचकर्ताओं को सभी घरों में जाकर जांच करनी चाहिए कि कहीं मच्छर के लार्वा का प्रजनन तो नहीं हो रहा है। भारद्वाज ने कहा कि 1031 हेल्पलाइन, जो एक कोविड हेल्पलाइन है, अब डेंगू के मामलों को भी पूरा करेगी, 24×7 नियंत्रण कक्ष जल्द ही स्थापित किया जाएगा। आशा कार्यकर्ता भी अपने क्षेत्रों में शामिल होंगी और मेट्रो नेटवर्क और पुलिस को भी डेंगू के खिलाफ अभियान में शामिल होने के लिए कहा गया है।

उन्होंने कहा कि, दिल्ली मेट्रो ने पहले ही अपने स्टेशनों पर घोषणाएं करना शुरू कर दिया है। दिल्ली पुलिस के पास एक पीए सिस्टम है और हमने उनसे इसके माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का अनुरोध किया है। पिछली बार पुलिस के 'मलखानों' में मच्छरों का प्रजनन पाया गया था, इसलिए पुलिस को 'मालखानों' की भी जाँच करने को कहा गया है। स्कूलों में हाल ही में शुरू किए गए फुल-स्लीव कपड़े और फुल पैंट मानदंडों पर, भारद्वाज ने कहा, "मैंने इसका बहुत अधिक कार्यान्वयन नहीं देखा", और इसलिए "सीएम ने शिक्षा निदेशक से इसका सख्ती से कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कहा है"।

छात्रों द्वारा बनाए जाने वाले डेंगू रिपोर्ट कार्ड पर उन्होंने कहा कि इसे दिल्ली के सभी स्कूलों के लिए "अनिवार्य" बना दिया गया है, चाहे वे सरकारी, MCD या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित हों। स्कूली बच्चों को जागरूकता फैलाने और अपने घरों में रुके हुए पानी की जाँच करने के लिए जिम्मेदार बनाया जाएगा। शिक्षा निदेशालय और एमसीडी को निजी और सरकारी स्कूलों को छात्रों को उनके घरों की निगरानी में मदद करने के लिए 'डेंगू होमवर्क कार्ड' प्रदान करने का निर्देश देने के लिए कहा गया है।

तारिक मंसूर बने बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पसमांदा और शिक्षित मुस्लिम वोट पर होगा फोकस

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भाजपा ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय संगठन के नए पदाधिकारियों के नाम का ऐलान किया है। इस लिस्ट में बीजेपी ने 13 राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए हैं, जिनमें दो मुस्लिम समुदाय से हैं। तारिक मंसूर उत्तर भारत में बीजेपी का उभरता मुस्लिम चेहरा हैं, तो दक्षिण भारत में अब्दुल्ला कुट्टी एक बड़ा मुस्लिम नाम हैं। इन दोनों को ही बीजेपी ने पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया है। अब सवाल ये है कि बीजेपी के इस फैसले के पीछे की रणनीति क्या है?

भारतीय जनता पार्टी को सवर्ण हिंदुओं की पार्टी कहा जाता था, इस छवि को पहले 2014 फिर 2019 के लोकसभा चुनावों के नतीजों ने काफी हद तक बदला। अब बीजेपी प्रो-हिंदुत्व से आगे बढ़कर विकासशील और राष्ट्रवादी दल की छवि गढ़ने की कोशिश में है। इसी कोशिश के मद्देनजर पार्टी पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश कर रही है।लोकसभा चुनाव में पसमांदा मुस्लिम समाज को साधने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को उपाध्यक्ष बनाया गया है।

भारतीय जनता पार्टी को प्रफेसर तारिक मंसूर से कई उम्मीदें हैं। देश में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की विशेष प्रतिष्ठा रही है। तारिक मंसूर के सहारे भाजपा शिक्षित मुस्लिम समाज में अपनी पकड़ मजबूत कर सकेगी। दूसरा पार्टी के पास वर्तमान में बड़े मुस्लिम चेहरों की कमी है। मुख्तार अब्बास नकवी सहित कई नेता हाशिए पर हैं। प्रोफेसर तारिक मंसूर वो कमी भर सकते हैं। संगठन के मुस्लिम मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति में वह अहम रोल निभा सकते हैं।

तीसरी और अहम बात ये है कि प्रोफेसर तारिक मंसूर के सहारे भाजपा उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक को बड़ा संदेश देने की कोशिश में है। दरअसल उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 29 सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं और बीजेपी के लिए ये सबसे बड़ा चैलेंज है। इनमें ज्यादातर सहारनपुर, मेरठ, कैराना, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बुलंदशहर, अलीगढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश में आती हैं। इनमें भी सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, नगीना बीजेपी से पास नहीं हैं। वैसे 2019 में रामपुर भी बीजेपी की पास नहीं थी लेकिन उपचुनाव में उसने यहां जीत हासिल की थी। इसी तरह से आजमगढ़ की सीट भी है।