सरायकेला जगली हाथियों की झुंड का उत्पात जारी, घर तोड़कर रखे अनाज को अपना निवाला बनाया
सरायकेला : दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के हाथी की झुंड ने चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में कोई दिनों से जगली हाथियों का उत्पात बदस्तूर जारी है । बुधवार की रात भी जंगल छोड़कर हाथियों झुंड ने भोजन की तलाश में गांव में प्रवेश करके घर में रखे धान ,अनाज को टार्गेट बनाते है।
साथ ही घर में रखे सामग्री को घर तोड़कर अपना निवाला बनाते है।यह लगातार तीसरे दिन हुई घटना से लोगों में आक्रोश व्याप्त है ।
ग्रामीणों का कहना है कि चांडिल बन क्षेत्र पदाधिकारी द्वारा ग्रामीणों को सुरक्षा देने के लिए एलिफेंट ड्राईव टीम गठित है ।जिसे जंगली हाथियों झुंड को गांव से जंगल की ओर खड़ने में वन विभाग उदासीन रवैया अपना रही है ।
हाथियों का झुंड पिछले कई दिनों से आबादी वाले क्षेत्रों में विचरन कर रहा है और वन विभाग किसी अनहोनी के इंतजार में हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
जंगली हाथियों के झुंड ने बुधवार की रात लगभग एक बजे चौका थाना क्षेत्र के पदोडीह गांव के नूतनडीह टोला में झाबरी के रास्ते पहुंचा ।
हाथियों के झुंड ने गांव की विधवा महिला घासनी देवी का मकान ध्वस्त कर अंदर रखे धान को अपना निवाला बनाया और बर्बाद कर दिया ।
घासनी देवी ने बताया कि घर के अंदर लगभग सात से आठ क्विंटल धान रखा था ।जिसे हाथियों ने अपना भोजन बना लिया ।उनके मकान पर हाथियों का झुंड धावा बोल रहा था । उस वक्त वे अपनी बेटी के साथ एक कोने में दुबक कर किसी तरह जान बचाई ।
इसके बाद घासनी देवी की बेटी ने हल्ला किया तो आस-पड़ोस के लोग नींद से जागे और हाथियों को भगाने की कोशिश करने लगे.
हाथियों के झुंड को भगाने का प्रयास करने के दौरान ही लोगों ने पड़ोसी गांव झाबरी के लोगों को इसकी सूचना दी। रात में ही झाबरी के लोग मशाल लेकर हाथियों को भगाने के लिए पहुंचे । करीब तीन घंटे तक काफी मशक्कत करने के बाद हाथियों के झुंड को गांव से बाहर निकाला गया । हाथियों के डर से लोग रतजग्गा की. गुरुवार की सुबह ग्रामीणों ने जंगली हाथियों के झुंड द्वारा मकान को ध्वस्त कर धान खाने की सूचना वन विभाग को दी । इसके बाद वनकर्मी नूतनडीह पहुंचे और नुकसान का जायजा लिया. वनकर्मियों ने पीड़ित परिवार से मुआवजा फॉर्म भरवाया. वहीं ग्रामीणों ने वन विभाग से जान व माल की सुरक्षा करने की गुहार लगाई।
राज्य सरकार ओर केंद्र सरकार द्वारा वन एवं पर्यावरण विभाग को प्रति बर्ष करोड़ों रुपया मुहैया करते है।ओर वन विभाग कान में तेल लगा कर कुभकर्ण का नीद में पड़े हैं।ओर ग्रामीणों में दाहस्त के साए में जीने पर मजबूर हे।ओर ईश्वर की भोरोस जीने पर मजबूर है
Jul 21 2023, 10:35