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किसी निजी स्वार्थ में जाति गणना एवं आर्थिक सर्वे नहीं हो रहा, जनमानस के हित को ध्यान में रखकर राज्य सरकार करा रही सर्वे, हाई कोर्ट में नीतीश सरकार ने दी दलील



जाति गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को भी पटना हाइकोर्ट में सुनवाई अधूरी रही। मामले पर राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही और अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार दलीले पेश कर रहे हैं। पीके शाही का कहना था कि किसी निजी स्वार्थ में जाति गणना एवं आर्थिक सर्वे नहीं कराया जा रहा है। जनमानस के हित को ध्यान में रखकर राज्य सरकार सर्वे करा रही है।

उनका कहना था कि यह एक सर्वे है, जिसका उद्देश्य जनमानस के हित में आंकड़ा एकत्रित करना है। इसका उपयोग उनके कल्याण और हितों में किया जाना है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जाति संबंधी सूचना शिक्षण संस्थाओं में नामांकन के समय स्वेच्छा से दी जाती है। जातियां समाज का हिस्सा हैं। 

उन्होंने कहा कि हर धर्म में अलग-अलग जातियां हैं। सर्वे के दौरान किसी को भी सूचना देने की अनिवार्यता नहीं है। सर्वेक्षण से किसी की निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है। बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक हैं। मामले पर मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सुनवाई की। शुक्रवार को भी सुनवाई होगी।

मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को बड़ा झटका, गुजरात हाई कोर्ट ने सजा पर रोक की अपील खारिज की

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि केस में बड़ा झटका लगा है। गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक की अपील को खारिज कर दिया है। जस्टिस एम एम प्राच्छक ने सुबह 11 बजे सबसे पहले फैसला सुनाया और कहा कि कोर्ट उनकी सजा की मांग की याचिका को खारिज करती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के कई मामले चल रहे हैं। ऐसे में उन्हें राहत नहीं दी जा सकती है।बता दें कि इससे पहले 23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, इसके बाद उन्हें जमानत भी मिल गई थी।हालांकि, इसके अगले दिन उनकी सांसदी चली गई थी।

2 मई को हुई थी आखिरी सुनवाई

राहुल गांधी की अपील पर हाई कोर्ट में 2 मई को आखिरी सुनवाई हुई थी। इस सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसले को आर्डर पर रख लिया था और समर वेकेशन के बाद फैसला सुनाने को कहा था। न्यायमूर्ति प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे। इसके बाद से फैसले का इंतजार हो रहा था। राहुल गांधी ने 25 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट में रिव्यू पिटीशन लगाई थी।

सूरत कोर्ट ने दी थी दो साल सजा

बता दें कि सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। 

राहुल ने क्या कहा था

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

BIG BREAKING राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा

मोदी सरनेम केस में गुजरात हाई कोर्ट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लगा झटका। गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक की अपील को खारिज कर दिया। राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा को गुजरात हाई कोर्ट ने रखा बरकरार।

BIG BREAKING मोदी सरनेम केस में गुजरात हाई कोर्ट से कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लगा झटका।

गुजरात हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक की अपील को खारिज कर दिया। राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा को गुजरात हाई कोर्ट ने रखा बरकरार।

खराब मौसम के कारण रोकी गई अमरनाथ यात्रा, अब तक 85 हजार भक्‍तों ने किया बाबा बर्फानी के दर्शन

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देशभर में मॉनसून सक्रिय हो चुका है। जिसके प्रभाव के कारण अधिकांश हिस्सों में बारिश हो रही है। लगातार बारिश के कारण कई जगहों पर हालात खराब हो रहे हैं। इस बीच भगवान भोलेनाथ के दर्शन के ल‍िए होने वाली पव‍ित्र अमरनाथ यात्रा खराब मौसम के चलते रोक दी गई है। अधिकारियों ने कहा है कि खराब मौसम के कारण शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा निलंबित कर दी गई क्योंकि कश्मीर के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है। उन्होंने बताया कि बालटाल और पहलगाम दोनों मार्गों पर यात्रा निलंबित कर दी गई है।

अध‍िकार‍ियों ने बताया कि शुक्रवार तड़के शुरू हुई भारी बारिश के कारण तीर्थयात्रा को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। तीर्थयात्रियों को बालटाल और नुनवान आधार शिविरों में रोका गया है। अधिकारियों ने कहा कि मौसम में सुधार होते ही यात्रा फिर से शुरू होगी। 

प्रशासन के मुताबिक शुक्रवार सुबह एक जत्थे को बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना किया गया था, लेकिन मौसम खराब होने लगा। ऐसे में बाबा बर्फानी के भक्तों को रोक दिया गया। वहीं बालटाल और नुनवान में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई है। उन्हें आगे जाने की इजाजत नहीं दी जा रही।

गुरुवार को 17,202 तीर्थयात्रियों ने पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन किए। साथ ही पिछले सात दिनों के दौरान दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की कुल संख्या अब तक 84768 तक पहुंच गई है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी। पवित्र गुफा के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों में 12408 पुरुष, 4095 महिलाएं, 490 बच्चे, 192 साधु और 17 साध्वियां शामिल थीं। 

बासठ दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 1 जुलाई को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम और मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के बालटाल के दोहरे मार्गों से शुरू हुई थी। यह यात्रा 31 अगस्त को संपन्न होगी।

मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में राहुल को सजा या राहत? पुनर्विचार याचिका पर फैसला आज

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मोदी सरनेम वाले बयान पर मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा बरकरार रहेगी या उन्हें राहत मिलेगी? इस पर आज फैसला आ सकता है।इस मामले में दी गई सजा के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका पर गुजरात हाई कोर्ट शुक्रवार की सुबह 11 बजे फैसला सुनाएगा।इस दौरान सभी की निगाहें हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हुईं हैं, क्योंकि दो निचली अदालतों से इस केस में राहुल को राहत नहीं मिली है। दरअसल सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत में राहुल को मानहानि के मामले 2 साल की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद उनकी संसदीय सदस्यता भी खत्म कर दी गई थी।

2 साल की सजा के बाद चली गई थी सांसदी

दरअसल, राहुल गांधी को सूरत की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी।राहुल को 2 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद सचिवालय ने उन्हें नोटिस भेजकर उनकी सांसदी खत्म कर दी थी। इसका कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया था। इतना ही नहीं राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के बाद उन्हें सरकारी बंगला भी खाली करने को कहा गया था जिसके बाद उन्हें तय समय में सरकारी बंगला खाली कर दिया था।

क्या फिर बहाल होगी संसद सदस्यता 

इसके बाद राहुल गांधी ने एडिशनल सेशन कोर्ट में अपील की थी। हालांकि राहुल गांधी को एडिशनल कोर्ट से भी कोई राहुत नहीं मिली थी। एडिशनल सेशन कोर्ट ने भी राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था। इस मामले में कोर्ट ने 7 जुलाई को फैसला सुनाने को कहा है। ऐसे में अगर हाईकोर्ट से राहुल के पक्ष में फैसला आता है तो कांग्रेस नेता की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

राहुल ने क्या कहा था

2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

मणिपुर हिंसा पर अमेरिका ने की मदद की पेशकश, बयान पर भड़की कांग्रेस, मनीष तिवारी ने कहा-हमने पहले भी ऐसी चुनौतियों का सामना किया

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मणिपुर में भड़की हिंसा शांत होने का नाम नहीं ले रही है।पिछले करीब दो महीने महीनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है।राज्य और केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद इस पर लगाम नहीं लग पा रही है।इस बीच अमेरिका ने मणिपुर में हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने की पेशकश की है। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका मणिपुर में हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने के लिए तैयार है। बता दें कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है।

अमेरिका को रणनीतिक चिंता नहीं बल्कि मानवीय चिंताएं- एरिक गार्सेटी

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी इनदिनों कोलकाता में है। वहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान मणिपुर हिंसा पर किए गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि संकट का हल करने में अमेरिका किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार है। जब उनसे यह कहा गया कि यह भारत का आंतरिक मामला है तो उन्होंने जवाब में कहा कि अमेरिका को रणनीतिक चिंता नहीं बल्कि मानवीय चिंताएं हैं। गार्सेटी ने कहा- इस तरह के हिंसा में जब बच्चे मरते हैं तो आपको इसमें चिंता करने के लिए भारतीय होने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। शांति कायम रखना एक मिशाल है। जरूरत पड़ने पर हम मदद के लिए तैयार हैं। हमें पता है कि यह भारत का आंतरिक मुद्दा है और हम राज्य में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इस क्षेत्र में शांति स्थापित होने से यहां हम कई परियोजना और निवेश ला सकते हैं। 

कांग्रेस ने कहा इस तरह का बयान देना बहुत दुर्लभ

वहीं एरिक गार्सेटी के बयान पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसी अमेरिकी दूत के लिए भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना बहुत दुर्लभ है। मनीष तिवारी ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में पहले की चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि अमेरिकी राजदूत तभी सतर्क थे। उन्होंने ट्वीट किया कि हमने दशकों तक पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और चतुराई से उन पर विजय प्राप्त की। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे संदेह है कि क्या नए यूएस राजदूत एरिक गार्सेटी को अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में हमारी संवेदनशीलता का ज्ञान है।

मणिपुर के इंफाल में महिला की गोली मारकर हत्या

इससे पहले गुरुवार को मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में एक स्कूल के बाहर एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मणिपुर में हिंसा तब शुरू हुई जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा की मांग का विरोध करने के लिए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। तब से लेकर अब तक मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 130 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, यह दिल्ली सरकार और इसकी सेवाओं का गला घोंट देगी, जारी घमासान के बीच मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई न्याय की गुहार


दिल्ली सरकार और राजभवन के बीच हर दिन एक नया टकराव सामने आ रहा है। उपराज्यपाल की स्वीकृति के बिना दिल्ली सरकार और उससे जुड़े विभाग में सलाहकार, परामर्शदाता, सीनियर रिसर्च फैलो, विशेषज्ञ और अन्य पदों पर रखे गए 437 लोगों के वेतन पर तलवार लटकने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि यह दिल्ली सरकार और इसकी सेवाओं का गला घोंट देगी। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाकर इसे तुरंत खत्म करने की मांग भी की है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सर्विसेज डिपार्टमेंट के आदेश को लेकर एलजी पर ठीकरा फोड़ते हुए गुरुवार सुबह ट्वीट किया, 'यह दिल्ली सरकार और उसकी सेवाओं का पूरी तरह से गला घोंट देगा। मुझे नहीं पता कि यह सब करके माननीय एलजी को क्या हासिल होगा? मुझे उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट इसे तुरंत रद्द कर देगा।' नया विवाद ऐसे समय पर सामने आया है जब दिल्ली सरकार और राजभवन में सेवाओं पर अधिकार को लेकर पहले से जंग चल रही है।

अदरअसल, दिल्ली सरकार के सेवा विभाग में विशेष सचिव वाईवीवीजे राजशेखर ने इन नियुक्तियों में खामियां बताते हुए वेतन रोकने का लिखित आदेश जारी किया है। वित्त विभाग को लिखे गए पत्र में स्पष्ट किया है कि इन पदों पर लोगों की तैनाती बिना स्वीकृति के की गई है, इसलिए इनका वेतनमान तत्काल रोक दिया जाए। इसके साथ ही इनकी सेवाएं भी तत्काल रूप से बंद कर दी जाएं। दिल्ली सरकार से जुड़ी विधानसभा, योजना विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पार्क एंड गार्डन सोसायटी, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, डीटीसी, महिला और बाल कल्याण विभाग, पर्यावरण समेत अन्य और स्वायत्त निकायों में कुछ लोगों को रखा है। राजशेखर ने लिखा है कि इन सभी पदों पर तैनाती से पहले एलजी की मंजूरी अनिवार्य है। लेकिन नियमों को दरकिनार कर इनकी नियुक्ति की गई। 

-इन सभी पदों पर तैनाती से पहले उपराज्यपाल की स्वीकृति नहीं ली गई। तैनाती के दौरान आरक्षण के नियमों का भी पालन नहीं किया गया।

सरकार से जुड़े विभागों में 67, निगमों में 133, विभाग एवं संगठनों में 237 पदों पर इन लोगों की तैनाती की गई थी। सलाहकार को 2.65 लाख, परामर्शदाता को 1.25 लाख, फैलो को 1.25 लाख प्रतिमाह तक का वेतनमान दिया जा रहा था।
जेल में 131 दिन से बंद मनीष सिसौदिया को झटके पर झटका, अब राहत के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा, पढ़िए, क्या दिया तर्क

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शराब घोटाले में आरोपी सिसोदिया को दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई और ईडी केस में जमानत से इनकार कर दिया था। अब सिसोदिया ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत से राहत मांगी है।

दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से दिए गए फैसलों- ईडी केस में 3 जुलाई और सीबीआई केस में 30 मई, को चुनौती देते हुए सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सीबीआई चार्जशीट दायर कर चुकी है। इसमें उनके खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं उनमें 7 साल से कम की सजा का प्रावधान है। ईडी मामले में जमानत की मांग करते हुए सिसोदिया ने कहा कि अब तक जांच में किसी अपराध का पता नहीं चला है। कथित मनी लॉन्ड्रिंग में सबूत के अभाव की वजह से उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। वकील विवेक जैन की ओर से दाखिल याचिका में यह भी कहा गया है कि इस केस में दूसरे आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।

मनीष सिसोदिया को इसी साल 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद 9 मार्च को ईडी ने उन्हें अपनी गिरफ्त में लिया था। दोनों एजेंसियों की ओर से कई बार रिमांड पर पूछताछ के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। पूर्व आबकारी मंत्री निचली अदालत से हाई कोर्ट तक में कई बार जमानत याचिका दायर की, लेकिन उन्हें अब तक राहत नहीं मिली है। 

सिसोदिया ने पत्नी के बीमार होने का हवाला देकर भी राहत मांगी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें एक दिन मुलाकात का ही मौका दिया। पिछले दिनों हाई कोर्ट ने यह कहते हुए उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया कि आरोप बेहद गंभीर हैं। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सिसोदिया प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्हें जमानत मिलने से सबूतोंं से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

आरोप है कि आबकारी मंत्री रहते हुए सिसोदिया ने शराब कारोबारियों के साथ मिलीभगत की और इस तरह की आबकारी नीति का निर्माण किया जिसकी वजह से भ्रष्टाचार हुआ। जांच एजेंसियों का दावा है कि शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाकर बदले में 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली गई। हालांकि, आम आदमी पार्टी आरोपों को बेबुनियाद बताती रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दावा करते हैं कि दिल्ली में शिक्षा का बेहतर काम रोकने के लिए बीजेपी ने सिसोदिया को गिरफ्तार करवाया है।

क्या इस्तीफा देंगे महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे? सीएम ने खुद दिया जवाब

#cmshindebreakssilenceonrumorsof_resignation

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में अजित पवार की बगावत के बाद से महाराष्ट्र में खूब राजनीति हो रही है।अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने के बाद ऐसी अटकलें लग रही हैं कि अब सीएम शिंदे इस्तीफा दे सकते हैं।इस बीच शिंदे ने खुद उन अटकलों को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया जा रहा था कि उनके गुट के कई विधायक अजित पवार की सरकार में एंट्री से नाराज हैं। साथ ही उन्होंने इस्तीफे की खबरों को अफवाह बताया।

महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ किया है कि इस्‍तीफे को लेकर हो रही बातें केवल अफवाह है और यह सब कांग्रेस फैला रही है। उन्‍होंने कहा कि अजित पवार पीएम नरेंद्र मोदी से प्रभावित थे, इसलिए उन्‍होंने बड़ा कदम उठाया है। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र का घटनाक्रम देखकर एनसीपी और अन्‍य विपक्ष के पेट में दर्द हो रहा है। उन्हें अपनी पार्टी की हालत को देखना चाहिए अपने घर को देखना चाहिए वो घर अब टूट गया है।

पवार के मंत्रिमंडल में शामिल होने से सरकार और मजबूत हो गई-शिंदे

शिंदे ने कहा, अजित पवार के राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद हमारी सरकार और मजबूत हो गई है।राजनीति में समीकरण संख्या बल पर चलता हैं हमारी पार्टी को मिलकर 200+ विधायक हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की ताकत मेरे पीछे है।  

अपने गुट के विधायकों की नाराजगी के सवाल पर भी बोले शिंदे

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सभी को सारी बात समझा दी गई है, हम लोग तो सत्ता को छोड़ कर चले गए थे। हम एक विचारधारा और भूमिका को लेकर सत्ता से बाहर निकले थे। सत्ता के लालच में हमने पहले निर्णय नहीं लिया था। हमारे विधायकों ने आगे क्या होगा इसकी भी परवाह नहीं की थी।