*जीव और ब्रह्म के संबंधों का निरूपण ही भागवत का उद्देश्य: स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती*
लखनऊ । जानकीपुरम विस्तार स्थित महा लक्ष्मी लान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें और अंतिम दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद सरस्वती जी महाराज ने श्रीमद्भागवत पुराण के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि सभी वेदों और शास्त्रों के सिद्धांतों का समन्वय श्रीमद्भागवत का मूल तत्व है। यह जीव और ब्रह्म की एकात्मकता का निरूपण करते हुए सांसारिक जीवन में समन्वय का संदेश देता है।
महाराज श्री ने आज भगवान कृष्ण के तमाम विवाहों की कथाएं सुनाते हुए कहा कि कृष्ण का जन्म ही सृष्टि के कल्याण के लिए हुआ था। उन्होंने जन कल्याण के लिए बार बार सामाजिक मर्यादाओं को तोड़ने से भी गुरेज नहीं किया। भगवान राम जहां तत्कालीन समाज की स्थापित मर्यादाओं को पुष्ट करने के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम कहे गए वहीं भगवान कृष्ण को लीला पुरुषोत्तम और नट नागर कहा गया है।वह जहां प्रेम के अवतार थे वहीं उन्होंने आततायियों के उन्मूलन के लि छल,नियम-भंग और कूट नीति का सहारा लेने का समर्थन किया।
अच्छाई को बचाने के लिए बुराई को भी हथियार बनाने में उन्होंने कभी परहेज नहीं किया। भगवान कृष्ण के जीवन की तमाम महत्वपूर्ण घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कृष्ण सुदामा मैत्री का भावपूर्ण प्रसंग सुनाया तो श्रोताओं की आंखें बरबस गीली हो गई।
इस मौके पर श्री हरि हर सेवा समिति के स्वयंसेवकों द्वारा प्रस्तुत झांकी ने कथा को खासा जीवंत कर दिया।तक्षक द्वारा महाराज परीक्षित को डसने और उनके पुत्र जन्मेजय द्वारा नाग यज्ञ आदि अनेक विषयों के विशद विवेचन के उपरांत स्वामी जी ने कथा को विश्राम दिया।
कल प्रातः पूर्णाहुति के बाद कथा मंच एक विराट संत सम्मेलन का साक्षी बनेगा जिसमें विचार रखने के लिए तमाम संत महात्माओं का आगमन जारी है।
Apr 27 2023, 17:22