हस्तिनापुर पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र में लापरवाही उजागर, चारा उत्पादन में भारी देरी से पशुधन संकट गहराया
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कुलदीप भारद्वाज,हस्तिनापुर। क्षेत्र के पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र में चल रही लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। जानकारी के अनुसार, खादर क्षेत्र के खेतों में अभी तक चारा बोया नहीं गया है, जबकि अधिकारियों को पहले ही अवगत कराया गया था कि यहां का चारा बाढ़ के दौरान नष्ट हो जाता है और समय से बोवाई अत्यंत आवश्यक है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते खेतों में चारा उत्पादन शुरू नहीं किया गया।
ऐसा ही मामला हस्तिनापुर टाउन एरिया के सीटीबीपी ब्रीडिंग फार्म में देखने को मिला है। यहां पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र द्वारा समय से चारे की बोवाई नहीं की गई, जबकि फार्म में लगभग तीन सरकारी नलकूप मौजूद हैं जिनसे सिंचाई की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो सकती थी। क्षेत्र के किसानों ने तो अपनी रवि की फसल—गेहूं, सरसों, जौ एवं बरसीम—समय से बो दी हैं, लेकिन इसके विपरीत प्रक्षेत्र के लगभग 60 प्रतिशत खेत अभी तक खाली पड़े हुए हैं।कई खेतों में तो झाड़ियाँ और कबाड़ उग रहा है, जो फार्म प्रबंधन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
पशुधन एवं कृषि प्रक्षेत्र के अंतर्गत रखी गई गाय–भैंसों के लिए भी समय पर चारा उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इससे पशुधन की सेहत और उत्पादन क्षमता दोनों पर असर पड़ रहा है। स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि फार्म में संसाधनों की कोई कमी नहीं है, लेकिन प्रबंधन की उदासीनता के कारण खेती और पशुपालन दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
इस संबंध में जब प्रक्षेत्र के मैनेजर अर्जुन कुमार से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन संपर्क से बाहर मिला। वहीं प्रमुख सचिव मुकेश मिश्रा से भी संपर्क साधने की कोशिश की गई, लेकिन फोन रिसीव नहीं हो सका।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगभग पांच वर्ष पहले इसी प्रक्षेत्र में भूसा, जय तथा दूध का उत्पादन काफी अच्छा था। लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों में लगातार उत्पादन में गिरावट आई है। सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से आधुनिक उपकरण और सुविधाएँ उपलब्ध कराए जाने के बावजूद फार्म की स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
अब सवाल यह है कि जब संसाधन और सुविधाएँ उपलब्ध हैं, तो आखिरकार चारा उत्पादन और सिंचाई कार्य में देरी का जिम्मेदार कौन है? यदि समय रहते चारा नहीं बोया गया तो पशुधन को चारे की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जिसका सीधा असर प्रदेश के कृषि–पशुधन विकास पर पड़ना तय है।






20 min ago
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