दशमेश पब्लिक स्कूल रामराज में बाल मेले का भव्य आयोजन


बहसुमा।मेरठ।दशमेश पब्लिक स्कूल रामराज में बच्चों के लिए भव्य बाल मेले का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने विभिन्न प्रकार के व्यंजनों, खेलों और मनोरंजन गतिविधियों का भरपूर आनंद लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की डायरेक्टर डॉ. सिम्मी सहोता व प्रधानाचार्य आमिर खान ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। मेले की शुरुआत प्रातः 10 बजे हुई।मेले में बच्चों ने मिकी माउस, जंपिंग झूले, तथा विभिन्न खेलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। नन्हे-मुन्ने बच्चे अपने अभिभावकों के साथ पहुँचे और सेल्फी प्वाइंट पर फोटो खिंचवाते नज़र आए।

मेले में स्वादिष्ट व्यंजनों की कई दुकानें आकर्षण का केंद्र रहीं, जिनमें मुख्य रूप से –

पिज़्ज़ा, बर्गर, चाऊमीन, चिल्ला, फ्रेंच फ्राई, पेस्ट्री, पेटीज़, सैंडविच, टिक्की, समोसे, पानीपुरी, कोल्ड्रिंक, कॉफी, गुलाब जामुन शामिल थे। इसके साथ ही रंग-बिरंगे पौधों की नर्सरी भी लगाई गई, जहाँ से अधिकांश बच्चे लौटते समय एक-एक पौधा लेकर गए।

मेले में बच्चों ने डीजे पर नृत्य कर माहौल को और भी उत्साहपूर्ण बना दिया। कुछ छात्रों ने टैटू बनाने की दुकान लगाई, वहीं बच्चों के लिए खेलों की दुकानें भी आकर्षण का केंद्र रहीं, जिनमें कई बच्चों ने अपना भाग्य भी आजमाया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के समस्त स्टाफ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बिना मान्यता के चल रहे कॉलेज, खुलेआम उड़ाई जा रही नियमों की धज्जियाँ — प्रशासन मौन

बहसुमा/मेरठ।रामराज बहसुमा क्षेत्र में कॉलेज बिना मान्यता के संचालित होने का मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग के नियमों और मानकों को दरकिनार कर यह संस्थान खुलेआम चल रहा है, लेकिन संबंधित विभागों और प्रशासन की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना मान्यता के चल रहे कॉलेज छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। इसके बावजूद अधिकारी स्तर पर चुप्पी बनी हुई है, जिससे क्षेत्रवासियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

ग्रामीणों मनोज कुमार अरुण कुमार ने प्रशासन से मांग की है कि कॉलेज की जांच कर तत्काल आवश्यक कार्रवाई की जाए, ताकि छात्रों के भविष्य और क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था सुरक्षित रह सके। A.b.s.a. राकेश अधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया

पैदल जा रहीं हैं महिला को ट्रक ने कुचला, मौत

बहसूमा। मेरठ।क्षेत्र के गांव सैफपुर-फिरोजपुर चौकी के पीछे खाली गन्ने के ट्रक ने अनियंत्रित होकर पैदल जा रही हेड मास्टरनी को जोरदार टक्कर मार दी। जिसमे ट्रक का अगला पहिया महिला के ऊपर चढ़ गया। जिससे महिला की उपचार के दौरान मौत हो गई पुलिस ने ट्रक को अपने कब्जे में ले लिया है। समाचार लिखकर जाने तक घटना की तहरीर नहीं पहुंची थी। 

बताते चले की शाम करीब 4:30 बजे हेड मास्टरनी राकेश कुमारी पत्नी नीटू सिंह थाना रामराज क्षेत्र के गांव हासिमपुर प्राइमरी पाठशाला में कार्यरत थी जो शुक्रवार को बच्चों को पढ़ाकर पैदल रामराज आ रही थी जैसे ही वह रामराज चौकी के पीछे पहुंची तभी सामने से आ रहे खाली गन्ने के ट्रक ने नियंत्रित होकर राजेश कुमारी टक्कर मार दी जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने महिला को एंबुलेंस की सहायता से मेरठ प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया। जहा डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। कार्यवाहक थाना प्रभारी ओवैस खान ने बताया कि ट्रक को अपने कब्जे में ले लिया है। शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पीड़ित ने अभी तक कोई तहरीर नहीं दी है। तहरीर आने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

नैडू में महिला गोली लगने से घायल

   

मेरठ, फलावदा। थाना क्षेत्र के ग्राम नैडू में एक महिला गोली लगने से घायल हो गई। घायल को मेडिकल उपचार के लिए सीएचसी भेजा गया। वहां से उसे मेरठ मेडिकल रेफर किया गया।थाना क्षेत्र के गनैडू निवासी महिला पुष्पा पत्नी रामबीर के पैर में संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लग गई। गोली लगने से पुष्पा घायल हो गई। गोली की आवाज सुनकर गांव में हड़कंप मच गया। सूचना मिलने पर फलावदा पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने घायल महिला को सीएचसी में भर्ती कराया। सीएचसी से उसे मेरठ रेफर किया गया। खबर लिखे जाने तक थाने में तहरीर नहीं दी गई थी।

सफपुर फिरोजपुर रामराज में दो मजदूर दीवार गिरने से घायल

बहसुमा।मेरठ।बहसुमा थाना क्षेत्र की चौकी रामराज के अंतर्गत सफपुर-फिरोजपुर गांव के पास काम कर रहे मजदूरों के ऊपर अचानक दीवार गिरने से दो मजदूर घायल हो गए। घायलों में एक का नाम सोन्टी बताया जा रहा है। दोनों मजदूरों को आसपास मौजूद लोगों ने तुरंत बाहर निकालकर प्राथमिक उपचार दिलाया।

घटना की जानकारी स्थानीय चौकी को दी गई, चौकी इंचार्ज जगत पाल ने बताया अभी तक कोई तहरीर नहीं आई है घायलो को अस्पताल भिजवा दिया गया है अभी तक बहसुमा थाने में खबर लिखे जाने तक कोई तहरीर नहीं दी गई है।

मोहम्मदपुर सक्सित गांव में किसानों की दवाइयों का कैंप आयोजित

बहसुमा/मेरठ।मोहम्मदपुर सक्सित गांव में किसानों के लिए दवाइयों का स्वास्थ्य एवं जागरूकता कैंप लगाया गया। कैंप में डॉक्टर स्टेट ब्रांच हेड गौरव मेहरा, छवि बंसल, नॉर्थ हेड निशांत चौधरी एवं ऑर्गेनाइज़र अंजू रानी मौजूद रहे।इस दौरान विशेषज्ञों ने किसानों को विभिन्न दवाइयों की जानकारी दी तथा इंडियागॉर ब्रांड बूस्टर सुपर के उपयोग और फायदों के बारे में विस्तार से बताया।

कैंप में क्षेत्र के कई किसान उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से प्रमोद कुमार, मनोज चौधरी, प्रवीण कुमार, जोगिंदर सिंह, आकाश खंगवाल, विकास खंगवाल, अरुण कुमार, वीर सिंह, सुभाष, मोंटी, भीम सिंह, जयवीर सिंह मनीष कुमार रजनीश कुमार आदि मौजूद रहे।

*सत्यकाम स्कूल ट्रस्टी के वादों पर उठे सवाल, अभिभावकों में नाराज़गी*

मेरठ।सत्यकाम स्कूल द्वारा दिवाली के मौके पर किए गए बड़े-बड़े दावे अब खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा नवंबर माह के लिए बस किराया व ट्यूशन फीस माफ करने का जो “दीवाली गिफ्ट” बताया गया था, वह अभिभावकों को अब तक जमीन पर उतरता दिखाई नहीं दे रहा। इससे स्कूल प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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वादे कहाँ गए? अभिभावकों में गहरी नाराज़गी

सितंबर-अक्टूबर में स्कूल ट्रस्टी की ओर से यह घोषणा की गई थी कि नवंबर माह में—

बच्चों की ट्यूशन फीस नहीं ली जाएगी,

स्कूल बस का किराया पूर्णतया माफ रहेगा,

कोई फॉर्म चार्ज या अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा।

यह घोषणा सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर बड़े स्तर पर प्रचारित भी की गई। लेकिन नवंबर आधा बीत जाने के बाद भी अभिभावकों को किसी भी प्रकार की छूट का लाभ नहीं मिला।

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“दिवाली गिफ्ट” निकला फुस्स — अभिभावक ठगा महसूस कर रहे

ट्रस्टी और समाजसेविका द्वारा बड़े उत्साह से किया गया “दिवाली गिफ्ट घोषणा” अब गुमराह करने वाली साबित हो रही है।

अभिभावकों का आरोप है कि—

स्कूल अब भी पूरी ट्यूशन फीस मांग रहा है।

नवम्बर माह का बस किराया भी पहले की तरह वसूल किया जा रहा है।

वादों का कहीं कोई लिखित नोटिस स्कूल की ओर से जारी नहीं किया गया।

इससे अभिभावक कह रहे हैं कि ट्रस्टी द्वारा किया गया प्रचार सिर्फ दिखावा था, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रभावित करना भर था।

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“बच्चों को नहीं मिली छूट, वादे हुए टूट — अभिभावकों की लूट जारी”

स्थानीय अभिभावकों का कहना है कि जब वादा किया गया था तो उसे पूरा करना चाहिए था। स्कूल की फीस पहले ही कई परिवारों पर आर्थिक बोझ है, और उस पर झूठे वादों ने लोगों को और निराश किया है।

कुछ अभिभावकों ने यह भी कहा कि—

> “अगर ट्रस्टी ने वादा किया था तो उसे निभाना चाहिए। बिना सोचे-समझे प्रचार करना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है।”

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कहा जा रहा है कि प्रचार सिर्फ लोकप्रियता बढ़ाने की कोशिश थी

ट्रस्टी की इस घोषणा को कई लोग लोकप्रियता का स्टंट बता रहे हैं।

स्कूल में कोई आधिकारिक मीटिंग नहीं हुई,

न ही किसी नोटिस बोर्ड पर शुल्क माफी का विवरण चस्पा किया गया।

इससे साफ है कि घोषणा सिर्फ शब्दों तक सीमित रह गई और अभिभावकों को इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।

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अभिभावकों की मांग – स्कूल प्रशासन दे स्पष्ट जवाब

अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि—

स्कूल ट्रस्ट से इस पर स्पष्ट जवाब तलब किया जाए,

माफी का वादा किया गया था तो लिखित रूप में आदेश जारी किए जाएं,

और यदि यह घोषणा गलत साबित होती है तो ट्रस्टी को जवाबदेह ठहराया जाए।

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निष्कर्ष

सत्यकाम स्कूल का "दिवाली गिफ्ट" फिलहाल संदेह के घेरे में आ गया है। वादे और प्रचार कुछ और कहते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। अभिभावकों की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है और अब सबकी नजरें स्कूल प्रबंधन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

*घरेलू सिलेंडरों पर विभाग की ‘चयनात्मक’ कार्रवाई पर उठ रहे सवाल*, *हलवाई कि दुकानों पर क्यों नहीं जाँच*:

मेरठ। शहर में घरेलू गैस सिलेंडरों के अवैध उपयोग पर विभाग की कार्रवाई अब सवालों के घेरे में है। कुछ चुनिंदा स्थानों पर छापेमारी के बाद ऐसा लग रहा है कि विभाग की सक्रियता एक-दो मामलों तक ही सीमित रह गई है, जबकि पूरे शहर में इस खतरे का दायरा कहीं बड़ा है।

हरिया लस्सी पर कार्रवाई, लेकिन बाकी शहर क्यों सुरक्षित?

बीते दिनों लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पर घरेलु सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए सिलेंडर जब्त किए। लेकिन इसके बाद विभाग की गतिविधियां अचानक सुस्त पड़ती दिखाई दे रही हैं। सवाल यह उठ रहा है कि एक दुकान पर कार्रवाई कर देना क्या पूरे शहर को सुरक्षित कर देता है? सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर घरेलू सिलेंडरों का खुलेआम इस्तेमाल :

शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्किट और गुरुद्वारा रोड पर अधिकांश फास्ट फूड के ठेले, चाट-स्टॉल और हलवाई की दुकानों में खुलेआम घरेलू सिलेंडरों का उपयोग किया जा रहा है। ये सिलेंडर सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए अधिकृत हैं, ऐसे में बाजारों में चल रहा यह प्रयोग न सिर्फ अवैध है बल्कि कभी भी बड़ा हादसा कराने की क्षमता रखता है। साथ हीं सूरजकुंड पार्क के पास लगने वाले ठेलों पर विभाग की नजर क्यों नहीं? ये भी एक सवाल है! सूरजकुंड पार्क के पास शाम होते ही दर्जनों ठेले सजते हैं, जहां खानपान का कारोबार घरेलू सिलेंडरों पर ही चलता है। यहां भी स्थिति कम खतरनाक नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी कई बार इस रास्ते से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई शून्य है।

क्या विभाग शिकायत का इंतजार करता है?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विभाग स्वयं सघन जांच करेगा या फिर सिर्फ शिकायत आने पर ही एक्टिव होगा? यदि शिकायत-आधारित कार्रवाई ही होनी है, तो शहर में फैल रहे इस गैस-खतरे को रोकना असंभव हो जाएगा।

लोगों का कहना है कि विभाग को चाहिए कि—

सभी बाजारों में सघन अभियान चलाए,

अवैध सिलेंडर उपयोग करने वालों को चेतावनी के साथ नोटिस जारी करे,

और बार-बार दोहराने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

घरेलू सिलेंडरों का व्यावसायिक उपयोग सिर्फ अवैध नहीं, बल्कि लोगों की जान से खिलवाड़ है। विभाग को चाहिए कि एक-दो जगह की औपचारिक कार्रवाई के बजाय पूरे शहर में समान रूप से जांच अभियान चलाए, ताकि किसी बड़े हादसे को होने से रोका जा सके।

*सुबह 10 से पहले रात 10 बजे के बाद हो रही ओवर रेट पर शराब कि बिक्री,अधिकारी मौन क्यों:*

मेरठ। शहर में कानून व्यवस्था और प्रशासन के दावों को धत्ता बताते हुए शराब माफियाओं का बोलबाला एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। शहर के कई इलाकों में सुबह 10 से पहले और रात 10 बजे के बाद भी खुलेआम शराब बेची जा रही है, और वह भी ओवर रेट पर। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी गतिविधि के बावजूद आबकारी विभाग और पुलिस मौन क्यों है?

पहले फूलबाग कॉलोनी फिर केंटोमेंट हॉस्पिटल के सामने और अब कुटी पर सुबह हीं बिकती मिली शराब!

कुटी स्थित पेट्रोल पंप के बराबर मे देशी शराब का ठेका सुबह जल्दी व देर रात के समय नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। जानकारी के अनुसार, यहाँ रात 10 बजे के बाद भी शराब बिक्री जारी रहती है, और ₹ 75 की बोतल ₹90 में बेची जा रही है। स्थानीय लोगों ने कई बार वीडियो साक्ष्यों सहित आबकारी विभाग में शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता निभाई गई। वीडियो सबूतों के बावजूद न तो ओवररेट का चालान हुआ और न ही किसी कर्मचारी पर कार्रवाई। सूत्रों के अनुसार,

ओवर रेट पर चालान की राशि ₹75,000 तय है,

जबकि ओवर टाइम बिक्री पर मात्र ₹5,000 का चालान होता है। ऐसे में अधिकारी ओवररेट को ओवर टाइम बताकर मामूली चालान कर अपनी जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। जिसका जीता जागता सबूत केंटमेंट के सामने ठेके कि विडिओ वायरल के बाद हुआ! और यही कारण है कि अवैध बिक्री का खेल अब भी जारी है।

गढ़ अड्डे और कुटी पर खुलेआम शराबखोरी:

फूलबाग ही नहीं, बल्कि गढ़ अड्डा, और शहर के कुछ मुख्य चौराहे भी देर रात शराबियों के अड्डे बन चुके हैं। गढ़ अड्डे के सामने तो खुलेआम सड़क किनारे शराब पी जाती है।

कुछ समय पहले इस मामले में शहर के कप्तान ने सख्ती दिखाते हुए चौकी इंचार्ज को निलंबित किया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद वही हालात दोबारा लौट आए — जो दर्शाता है कि पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।

बाबू डॉन’ और होटल-ढाबों की आड़ में अवैध कारोबार

बस अड्डे के बराबर में चलने वाला ‘बाबू डॉन जूस ठेला’ और गढ़ अड्डे के सामने हिमालय गेस्ट हाउस भी इन दिनों चर्चा में है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ठेला रात में जूस नहीं, बल्कि शराब परोसने का अड्डा बन जाता है।और होटल गेस्ट हाउस भी अय्याशी के लिए मशहूर है!

इसी तरह हारमोनी होटल के पास और कुटी पेट्रोल पंप के नजदीक भी देर रात शराब की बिक्री होती है। इन स्थानों पर आए दिन लोगों की भीड़ और झगड़े की घटनाएँ होती रहती हैं,

फिर भी प्रशासनिक अमला मानो आँखें मूँदे बैठा है।

प्रशासनिक मिलीभगत या लापरवाही?

शहर के जानकारों का कहना है कि जब इतने वीडियो और शिकायतें प्रशासन के पास पहुँच चुकी हैं, तो कार्रवाई न होने का मतलब है कि कहीं न कहीं अंदरूनी मिलीभगत है।

आबकारी विभाग अधिकारियों की निष्क्रियता ने न केवल कानून व्यवस्था को कमजोर किया है,

बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की छवि पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनता की माँग – सख्त कार्रवाई हो

स्थानीय नागरिकों और समाजसेवी संगठनों ने आबकारी आयुक्त से तत्काल जांच की माँग की है।

लोगों का कहना है कि—

ओवर रेट और ओवर टाइम में संलिप्त ठेकेदारों पर भारी जुर्माना लगे। संबंधित अधिकारियों की भूमिका की जांच कर निलंबन और विभागीय कार्यवाही की जाए।

रात 10 बजे के बाद शराब बिक्री पर सख्त निगरानी रखी जाए।

मेरठ शहर में शराब का कारोबार अब खुलेआम चुनौती बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर जनता सुरक्षा और शांति की उम्मीद करती है, वहीं दूसरी ओर अधिकारी भ्रष्टाचार की चादर ओढ़कर कानून की धज्जियाँ उड़ाने वालों को संरक्षण देते दिख रहे हैं।

> अगर अब भी प्रशासन नहीं जागा, तो मेरठ जल्द ही ‘ओवर रेट और ओवर टाइम के शहर’ के नाम से जाना जाएगा।*

देव नागरी महाविद्यालय में फॉरेंसिक साइंस विषय पर रोचक कार्यशाला आयोजित

मेरठ।19 नवम्बर 2025। देव नागरी महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र (Zoology) विभाग द्वारा आज “फॉरेंसिक साइंस एवं उसके प्रकार : डीएनए परीक्षण तथा नारकोटिक्स ड्रग्स” विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रहे फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के उपनिदेशक डॉ. राजेन्द्र सिंह, जिनका प्रमुख कार्यक्षेत्र सेरोलॉजी, बायोलॉजी, नारकोटिक्स तथा क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन रहा है।

दीप प्रज्वलन एवं स्वागत समारोह

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव ने पुष्पगुच्छ भेंटकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। कार्यक्रम का मंच संचालन Zoology विभाग के डॉ. प्रवीण कुमार ने किया।

फॉरेंसिक साइंस के बहुआयामी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा

अपने व्याख्यान में डॉ. राजेन्द्र सिंह ने फॉरेंसिक साइंस के महत्व, कार्यप्रणाली एवं विभिन्न शाखाओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि—

फॉरेंसिक साइंस अपराध स्थल की वैज्ञानिक जाँच का विज्ञान है।

फॉरेंसिक को अनेक भागों में विभाजित किया गया है—

केमिस्ट्री, टॉक्सिकोलॉजी, फायर एवं विस्फोट परीक्षण

बायोलॉजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें DNA एवं सेरोलॉजी के मामले शामिल होते हैं

फिजिकल एग्ज़ामिनेशन, जिसमें फिजिक्स, बैलिस्टिक रिपोर्ट व अन्य भौतिक जाँचें आती हैं

डॉक्यूमेंट एग्ज़ामिनेशन, जिसमें हस्ताक्षर मिलान, लिखावट जाँच, दस्तावेज़ों की सत्यता जाँच शामिल है

उन्होंने बताया कि फॉरेंसिक का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत लोकार्ड का सिद्धांत है, जिसके अनुसार अपराधी अपराध स्थल पर कुछ न कुछ अवश्य छोड़ता है या वहाँ से कुछ लेकर जाता है।

DNA परीक्षण और साइबर फॉरेंसिक पर रोशनी

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि DNA परीक्षण उम्र से प्रभावित नहीं होता और यह हमेशा स्थायी रहता है। DNA जाँच के लिए वीर्य, रक्त, बाल, त्वचा, हड्डियाँ, दाँत, भ्रूण, मांसपेशियाँ आदि नमूने लिए जा सकते हैं।

साइबर फॉरेंसिक के अंतर्गत—

ऑडियो–वीडियो जांच

डेटा रिकवरी (चाहे 10 वर्ष पुराना और डिलीटेड ही क्यों न हो)

जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

उन्होंने नार्को टेस्ट, ब्रेन मैपिंग एवं लाई डिटेक्टर जैसे बिहेवियर साइंस के आधुनिक परीक्षणों के बारे में भी विस्तार से बताया। फोटो व वीडियो एविडेंस के संदर्भ में स्केल फोटोग्राफी को आवश्यक बताया।

कार्यक्रम में भारी संख्या में शिक्षकों व विद्यार्थियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. बी.एस. यादव, प्रो. हिमांशु अग्रवाल, प्रो. सविता रानी, महाविद्यालय के चीफ डॉक्टर डॉ. दीपक कुमार, प्रो. वंदना गर्ग, प्रो. शेफाली, प्रो. अंशु ढाका, डॉ. अंजू चौहान, डॉ. जिनेन्द्र बोध, डॉ. प्रवीण कुमार, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. विश्वत चौधरी, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. जयन्त तेवतिया, डॉ. शशांक बघेल, डॉ. अनीता चौधरी, डॉ. अनुज बावरा, शशिकांत, डॉ. भारती, डॉ. अनीता कौशल, हरेंद्र, विशाल सहित Zoology एवं Botany विभाग के सभी विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

अंत में प्राणीशास्त्र विभाग ने मुख्य अतिथि का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि ऐसी कार्यशालाएँ विद्यार्थियों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती हैं।