झारखंड में 8,932 सेरेब्रल पाल्सी मरीज: गोड्डा में सर्वाधिक 1,481, विशेषज्ञ और उपचार का अभाव
हर साल की तरह इस बार भी विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस का आयोजन सोमवार को मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया, जबकि झारखंड में इस गंभीर समस्या पर सरकार और प्रशासन अब तक कोई ठोस पहल नहीं कर पाए हैं। राज्य में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों की कुल संख्या 8,932 है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में उपचार की सुविधा लगभग शून्य है।
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विशेषज्ञों की भारी कमी
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में इस गंभीर रोग के उपचार के लिए सरकारी अस्पतालों में न तो स्पीच थेरेपिस्ट हैं और न ही ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट। नतीजतन, मरीजों को उचित उपचार और परामर्श दोनों से वंचित रहना पड़ता है। धनबाद जिले में एक भी स्पीच थेरेपिस्ट नहीं है, और आसपास के जिलों में भी विशेषज्ञों की भारी कमी है।
मरीजों और उनके परिवारों को मजबूरीवश बेहतर इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई या अन्य बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है, जिससे उन पर आर्थिक और मानसिक बोझ कई गुना बढ़ जाता है।
सर्वाधिक मरीज गोड्डा और आसपास के क्षेत्रों में
राज्य के कुल मरीजों में से लगभग 36 प्रतिशत (3,193 मरीज) केवल चार जिलों—धनबाद, बोकारो, गिरिडीह और गोड्डा—में हैं।
जिला मरीजों की संख्या
गोड्डा 1,481 (सर्वाधिक)
बोकारो 825
गिरिडीह 531
धनबाद 356
कोडरमा 885
साहेबगंज 773
पलामू 446
सिमडेगा 07 (सबसे कम)
सरायकेला 19
सेरेब्रल पाल्सी और समाधान
क्या है बीमारी: सेरेब्रल पाल्सी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो बच्चे के मस्तिष्क के विकास के दौरान ऑक्सीजन की कमी या प्रसव के समय चोट लगने से होता है। यह विकार बच्चे की मांसपेशियों की गतिविधि, संतुलन, चाल-ढाल और बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है।
उपाय: यह बीमारी जीवनभर रहती है, लेकिन शुरुआती पहचान (जन्म के 6 महीने के भीतर) और नियमित थेरेपी (फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्युपेशनल थेरेपी) से स्थिति में काफी सुधार लाया जा सकता है।
सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह प्रत्येक जिले में पुनर्वास केंद्र स्थापित करे, प्रशिक्षित थेरेपिस्ट की नियुक्ति सुनिश्चित करे और अभिभावकों के लिए जागरूकता अभियान चलाए, ताकि सेरेब्रल पाल्सी से जूझ रहे बच्चों का जीवन आसान हो सके।
Oct 07 2025, 18:13