क्या होता है शटडाउन, अमेरिका में 6 साल में पहली बार क्यों ठप हुआ सरकार का कामकाज?

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अमेरिकी सरकार का कामकाज बंद हो गया है। अमेरिका में सीनेट में सरकार के खर्चों को लेकर सहमति नहीं बन पाई. लिहाजा इससे जुड़ा बिल पास नहीं हो पाया। दरअसल, अमेरिकी सीनेट मंगलवार शाम को बिना किसी वित्तीय प्रस्ताव को पारित किए स्थगित हो गई, जिससे सरकारी शटडाउन लगभग निश्चित हो गया। रिपब्लिकन सांसदों ने 21 नवंबर तक सरकार को अल्पकालिक तौर पर फंड करने के लिए विधेयक पेश किया था, लेकिन वह भी पारित नहीं हो सका। डेमोक्रेट सांसदों ने इस बिल का विरोध किया, जिसके बाद ट्रंप सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार सरकारी फंडिंग रुक गई और शटडाउन हो गया। 

व्हाइट हाउस के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय ने भी ज्ञापन जारी कर पुष्टि की है कि सरकार मंगलवार मध्यरात्रि से बंद हो जाएगी। इस ज्ञापन पर निदेशक रसेल वॉट के हस्ताक्षर हैं। इस बीच डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन एक-दूसरे पर शटडाउन की जिम्मेदारी डाल रहे हैं। रिपब्लिकन के पास कांग्रेस का नियंत्रण है, लेकिन सीनेट में खर्च से जुड़े किसी भी बिल को पास करने के लिए 60 वोटों की ज़रूरत होती है, जो उनके पास नहीं हैं।

क्या है शटडाउन?

अमेरिकी सरकार को चलाने के लिए हर साल बजट पास करना ज़रूरी होता है। अमेरिका में वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अक्तूबर से होती है। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सरकार बजट बनाती है और ये तय करती है कि सरकारी पैसा कहां खर्च किया जाएगा। अगर तय तारीख तक अमेरिकी संसद संघीय सरकार को फंड देने वाला बिल पास नहीं कर पाती है तो सरकार का कामकाज बंद हो जाता है। नतीजतन, "नॉन-एसेंशियल" (ग़ैर-जरूरी) सेवाएं और दफ़्तर बंद हो जाते हैं। इसे ही शटडाउन कहा जाता है।

क्या क्या होगा प्रभावित?

• एसेंशियल वर्कर्स: सैन्य कर्मचारी, एयर ट्रैफिक कंट्रोल और अस्पताल कर्मचारी अपनी ड्यूटी जारी रखेंगे, लेकिन वेतन शटडाउन के अंत तक नहीं मिलेगा।

• नॉन-एसेंशियल कर्मचारी: फर्लो पर भेजे जाएंगे।

• अनुमानित संख्या: कांग्रेस बजट ऑफिस (CBO) के अनुसार लगभग 7,50,000 फेडरल कर्मचारियों को अस्थायी फर्लो का सामना करना पड़ सकता है।

यूएस में पहले भी हुआ शटडाउन

ट्रंप के पहले कार्यकाल में सबसे पहला शटडाउन 22 दिसंबर 2018 से 25 जनवरी 2019 तक हुआ। 35 दिनों तक शटडाउन चला और यह अब तक का सबसे लंबा शटडाउन था। इसका मुख्य कारण था मैक्सिको बॉर्डर की दीवार के लिए फंडिंग पर विवाद। ट्रंप ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने के लिए कांग्रेस से 5.7 बिलियन डॉलर की मांग की थी, लेकिन डेमोक्रेट्स ने इसे मंजूरी नहीं दी, जिसके कारण शटडाउन हुआ। वहीं दूसरा शटडाउन 14 फरवरी 2019 को लगा जो लगभग 3 दिन चला। यह शटडाउन तब हुआ जब ट्रंप और कांग्रेस ने आपातकालीन स्थिति घोषित करने के बाद समझौता किया, जिससे सरकारी कामकाजी बंदी को टाला जा सका।

बिहार में एसआईआर के बाद फाइनल वोटर लिस्ट जारी, निर्वाचन आयोग की लिंक पर चेक कर सकते हैं अपना नाम

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चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कई महीनों से जारी एसआईआर प्रक्रिया के बाद फाइनल मतदाता सूची जारी कर दी है। आयोग ने यह जानकारी अपने वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। कोई भी वोटर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दिए गए लिंक के जरिए से वोटर लिस्ट में अपना डिटेल देख सकता है।

14 लाख से अधिक नए मतदाता लिस्ट में

चुनाव आयोग ने एसआईआर के बाद करीब सात करोड़ 30 लाख से अधिक मतदाताओं की फाइनल सूची जारी की गई। खास बात यह है कि इस बार वोटर लिस्ट में करीब 14 लाख से अधिक नए मतदाता भी शामिल हुए। इनमें अधिकतर ऐसे हैं जिनकी उम्र 18 साल से अधिक है। इधर, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को सार्वजनिक करने के साथ-साथ हर जिले के निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय में भौतिक प्रति भी उपलब्ध करवा दी है। सभी राजनीतिक दलों को भी मतदाता सूची प्रारूप की अंतिम सूची उपलब्ध करवा दी गई।

बिहार निर्वाचन आयोग की ओर से मंगलवार को सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर पोस्ट शेयर कर कर जानकारी दी गयी। पोस्ट में लिखा गया- विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद 30 सितंबर को अंतिम निर्वाचक सूची का प्रकाशन कर दिया गया है। कोई भी मतदाता दिए गए लिंक https://voters.eci.gov.in/ के माध्यम से मतदाता सूची में अपने नाम का विवरण देख सकते हैं।

विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया गया। कोई भी मतदाता इलेक्शन कमीशन की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर वोटर लिस्ट में अपने नाम का डिटेल देख सकता है। बिहार के वोटर ceoelection.bihar.gov.in या voters.eci.gov.in पर जाकर अपना जिला, विधानसभा क्षेत्र और बूथ चुनकर पीडीएफ लिस्ट डाउनलोड कर सकते हैं। या फिर वोटर हेल्पलाइन मोबाइल ऐप से भी पूरी सूची आसानी से देखी और डाउनलोड की जा सकती है।

बता दें कि बिहार में एसआईआर को लेकर खूब राजनीतिक बयानबाजी हुई, बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। सबसे ज्यादा विवाद पहचान पत्र को लेकर रहा। बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद चुनाव आयोग ने आधार कार्ड को भी पहचान पत्र के तौर पर मंजूरी दी, तब जाकर मामला थोड़ा ठंडा हुआ। इसके बाद आज फाइनल वोटर लिस्ट जारी की गई।अब इसी के आधार पर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 कराए जाएंगे।

परमाणु और जैविक हमले...ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के लिए बड़े खतरे, सीडीएस अनिल चौहान ने किया आगाह

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भारतीय सेना को भविष्य में होने वाले हमलों को लेकर आगाह किया है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि हमें भविष्य में परमाणु और जैविक खतरों के खिलाफ तैयार रहना होगा। नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में सैन्य नर्सिंग सेवा के 100वें स्थापना दिवस के अवसर पर दिए अपने संबोधन में सीडीएस चौहान ने ये बाते कही।

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सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को भारत को भविष्य में परमाणु हथियारों से होने वाले जैविक खतरों और रेडियोलॉजिकल कंटामिनेशन के खिलाफ तैयार रहने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। जनरल चौहान ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया गहन यात्राओं और कष्टों के दौर से गुजरी है। भविष्य में मानव-निर्मित, आकस्मिक या प्राकृतिक, जैविक खतरे बढ़ने की संभावना है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे खतरों से बचाव और संक्रमित व्यक्तियों के इलाज के लिए अलग-अलग ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है। हमें भविष्य में इसके लिए तैयार रहना चाहिए।

न्यूक्लियर खतरों के खिलाफ तैयारी पर जोर

जनरल चौहान ने कहा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत न्यूक्लियर ब्लैकमेल से नहीं डरेगा। हालांकि हमारे संदर्भ में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना कम है, फिर भी इसे अपनी सुरक्षा गणना में शामिल करना समझदारी होगी। रेडियोलॉजिकल कंटेमिनेशन के ट्रीटमेंट के लिए अलग प्रोटोकॉल की जरूरत होती है और यह हमारे ट्रेनिंग का हिस्सा होना चाहिए। परमाणु खतरों के खिलाफ तैयारी इसके इस्तेमाल को रोकने में योगदान देती है। मुझे लगता है कि यह जरूरी है।

आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखने की सलाह

सीडीएस चौहान ने कहा कि हमारी नर्सों के प्रशिक्षण में भविष्य में आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखना होगा।व्यक्तिगत चिकित्सा डेटा की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और इसमें केस हिस्ट्री, रिपोर्ट और चिकित्सा स्वास्थ्य रिकॉर्ड आदि शामिल हैं। परिचालन डेटा, स्वास्थ्य पैटर्न से संबंधित तैनाती, निकासी योजनाओं को भी लीक से सुरक्षित रखने की जरूरत है। हालांकि डेटा सुरक्षा और डेटा संरक्षण सीधे तौर पर एमएनएस (मिलिट्री नर्सिंग सर्विस) की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन आपको इन सभी प्रकार की चुनौतियों के बारे में पता होना चाहिए।

हमें अमेरिका ने रोका...', मुंबई हमले पर चिदंबरम का बड़ा खुलासा

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26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बड़ा खुलासा किया है। पी चिदंबरम ने मंगलवार को माना कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख के कारण पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने माना कि वह बदला लेना चाहते थे, लेकिन सरकार ने युद्ध जैसे कदम से बचने का निर्णय किया।

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पी चिदंबरम ने एक समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, पूरी दुनिया दिल्ली पर उतर आई थी और हमें ‘युद्ध शुरू न करने’ को कह रही थी। हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस रहीं, मुझसे और प्रधानमंत्री से मिलने के लिए मुंबई अटैक के दो या तीन दिन बाद आईं। उन्होंने कहा, ‘कृपया जवाबी कार्रवाई न करें’। राइस ने साफ तौर पर कहा कि भारत को कोई जवाबी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इस पर मैंने कहा कि यह सरकार का निर्णय होगा। बिना कोई सरकारी गोपनीयता तोड़े मैं मानता हूं कि मेरे दिमाग में कुछ बदले की कार्रवाई का विचार आया था।

आतंकवादी हमलों के कुछ दिन बाद चिदंबरम बने गृह मंत्री

पी. चिदंबरम ने 166 लोगों की जान लेने वाले आतंकवादी हमलों के कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार संभाला था। चिदंबरम ने कहा, मैं गृहमंत्री उस दिन बना जब आतंकवादियों को मार दिया गया था। आखिरी आतंकवादी को 30 नवंबर को मार दिया गया था। मुझे लगता है कि वह रविवार का दिन था, जब मुझे प्रधानमंत्री ने बुलाया। मुझे कहा गया कि आपको वित्त से गृह मंत्रालय भेजा जा रहा है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार नहीं था। उन्होंने कहा कि हम फैसला कर चुके हैं।

सीधे प्रतिक्रिया के बदले कूटनीतिक तरीका अपनाने की सलाह

चिदंबरम ने कहा, मुझे सुरक्षा बलों की तैयारी की जानकारी नहीं थी. मुझे हमारी खुफिया एजेंसियों की तैयारियों की कोई जानकारी नहीं थी। मुझे खुफिया एजेंसियों द्वारा पाकिस्तान और पड़ोस में बनाए गए संसाधनों की कोई जानकारी नहीं थी। उस वक्त मेरे मन में आया कि बदला लेना चाहिए। मैंने प्रधानमंत्री और बाकी अहम लोगों से इस मामले पर चर्चा की थी, लेकिन निष्कर्ष काफी हद तक गृहमंत्रालय और विदेश मंत्रालय से प्रभावित था कि हमें स्थिति पर सीधे प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, इसकी जगह कूटनीतिक तरीका अपनाना चाहिए।

क्या है मुंबई अटैक

दरअसल, 26 नवंबर 2008 को मुंबई अटैक हुआ। पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई शहर को एक तरह से बंधक बना लिया और शहर के जगहों मसलन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताजमहल पैलेस एंड टावर होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस पर हमले किए। 29 नवंबर तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई। इस हमले के बाद तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पी चिदंबरम को वित्त मंत्रालय से गृह मंत्रालय में ट्रांसफर किया गया।

बिहार में चुनाव आयोग आज जारी करेगा नई मतदाता सूची, जानें कैसे चेक करेंगे अपना नाम

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बिहार की विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग अंतिम मतदाता सूची जारी करने जा रही है। विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) के बाद आज अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन किया जा रहा है। 1 अगस्त को प्रारूपिक मतदाता सूची प्रकाशित की गई थी, जिसके बाद नागरिकों और राजनीतिक दलों को 1 सितंबर तक सुधार के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज कराने का अवसर दिया गया। प्रारूपिक सूची में कुल 7.24 करोड़ मतदाता शामिल थे।।

चुनाव आयोग ने पहले ही कहा था कि 30 सितंबर कोर अंतिम मतदाता सूची प्रारूप का प्रकाशन कर दिया जाएगा। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को सार्वजनिक करने के साथ-साथ हर जिले के निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय में भौतिक प्रति भी उपलब्ध करवा देगी। सभी राजनीतिक दलों को भी मतदाता सूची प्रारूप की अंतिम सूची उपलब्ध करवाई जाएगी।

अपना नाम ऑनलाइन कैसे देखें?

तकनीकी सुविधा के चलते अब मतदाता अपने नाम और विवरण ऑनलाइन भी देख सकते हैं।

• सबसे पहले राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल पर जाएं।

• यहां Search in Electoral Roll ऑप्शन पर क्लिक करें।

• मतदाता पहचान पत्र या नाम, पिता/पति का नाम और जन्मतिथि जैसी जानकारी भरकर खोज की जा सकती है।

• इसके अलावा राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए भी यह सुविधा उपलब्ध है।

अगर छूट गया है नाम तो क्या करना होगा?

राज्य निर्वाचन विभाग ने स्पष्ट किया है कि वोटर लिस्ट के अंतिम प्रकाशन के बाद भी जिन नागरिकों के नाम इसमें दर्ज नहीं हैं, वे अब भी अपना नाम शामिल करा सकते हैं। इस प्रक्रिया के लिए उन्हें फॉर्म-6 भरकर अपने क्षेत्र के बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के पास जमा करना होगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह से सरल और पारदर्शी बनाई गई है। नागरिक चाहें तो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन कर सकते हैं।

65 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए थे

निर्वाचन आयोग ने मतदाता पुनरीक्षण कार्य की शुरुआत जून माह में की थी। इस कार्य से पहले 7 करोड़ 89 लाख मतदाता थे। इसके पुनरीक्षण कार्य के बाद कुल 65 करोड़ मतदाताओं के नाम कटे थे। इनमें 22 लाख से अधित मृत मतदाता, करीब 35 लाख विस्थापित मतदाता थे। वहीं करीब सात लाख लोग ऐसे मतदाता थे, जिनका नाम दो जगह दर्ज था। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन्हें दावा आपत्ति के लिए 30 दिन का वक्त दिया था।

फाइनल वोटर लिस्ट के बाद तारीखों की घोषणा

एक रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव की तारीखें मंगलवार 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची (फाइनल वोटर लिस्ट) प्रकाशित होने के ठीक बाद घोषित की जाएंगी। रिपोर्ट बताती है कि मतदान का पहला चरण छठ महापर्व के बाद अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होने की संभावना है। छठ पूजा 25 से 28 अक्तूबर तक मनाई जाएगी, जिसका मतलब है कि बिहार में चुनाव या तो अक्तूबर के अंतिम दिनों में या नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू होंगे। बता दें, मौजूदा बिहार सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त होने वाला है।

झामुमो विधायक पर फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल का आरोप, दशरथ गगराई के खिलाफ जांच के आदेश

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झारखंड के झामुमो विधायक दशरथ गगराई पर चुनाव में फर्जी पहचान पत्र इस्तेमाल करने का आरोप लगा है। झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रविकुमार ने औपचारिक शिकायत के बाद सरायकेला-खरसवान के पुलिस उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं। लालजी राम तियु नाम के व्यक्ति ने तीन बार खरसावां से विधायक रहे गगराई की पहचान पर सवाल उठाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि लालजी राम तियु नामक व्यक्ति ने तीन बार खरसावां से विधायक रहे गगराई की पहचान पर सवाल उठाते हुए एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा, मैंने शिकायतकर्ता के हलफनामे के साथ शिकायत को सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह को जांच के लिए भेज दिया है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव समाप्त होने और परिणाम घोषित होने के बाद विधायकों से जुड़े विवादों का निपटारा राज्य के राज्यपाल को करना होता है और सांसदों से जुड़े विवादों का निपटारा राष्ट्रपति करते हैं।

विधायक ने आरोप को किया खारिज

वहीं विधायक ने आरोप को खारिज करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता को सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की आदत है। दशरथ गगराई का कहना है कि, मैंने जो हलफनामे और दस्तावेज जमा किए उनकी विधानसभा चुनावों में तीन बार जांच की गई। आरोप निराधार हैं। दरअसल, नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी शिकायतकर्ता अब जमानत पर बाहर हैं और सत्ता में बैठे लोगों पर ऐसे आरोप लगाने की उनकी आदत है।

कमीशनखोरी छुपाने के लिए ललित नारायण मिश्रा की हत्या कराई गई”, बीजेपी सांसद का कांग्रेस पर गंभीर आरोप

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झारखंड के गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर बड़ा गंभीर आरोप लगाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए निशिकांत दुबे ने पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की 1975 में हुई हत्या को कांग्रेस को घेरा। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में पूछा की क्या कांग्रेस ने अपना कमीशन घोटाला छिपाने के लिए मिश्रा की हत्या करवाई?

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट के जरिए कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि क्या कांग्रेस पार्टी ने अपनी कमीशन खोरी छुपाने के लिए तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या करवाई?

निशिकात दुबे बोलेग-'घोर कलयुग' करार

गोड्डा सांसद ने घटनाक्रम को छह बिंदुओं में बयान करते हुए इसे 'घोर कलयुग' करार दिया।

• भारत सरकार ने 1972-73 में एक फ़र्ज़ी आयात निर्यात लाइसेंस जारी किया

• ललित नारायण मिश्र विदेश व्यापार मंत्री थे, पैसे का लेन-देन शुरू हुआ ।उस वक़्त 1 लाख 20 हज़ार महीना?

• संसद में हंगामा हुआ 1973 में जॉंच शुरू हुई,ललित बाबू का मंत्रालय बदलकर रेल मंत्री बनाया गया

• 1974 के सितंबर में CBI ने चार्जशीट दायर की,आरोप यानि फ़र्ज़ी कम्पनी बनाकर लेन देन हुआ,सिद्ध हुआ

• 9 दिसंबर 1974 को हमारे नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने ललित नारायण मिश्र की धज्जियाँ उड़ाई तथा पैसे के लेनदेन के सबूत दिए CBI चार्जशीट के आधार पर,विशेषाधिकार लाया गया

• 3 जनवरी 1975 को क्या इसी भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए ललित बाबू बम विस्फोट से उड़ा दिए गए?

पहले भी कांग्रेस पर लगा चुके हैं गंभीर आरोप

निशिकांत दुबे अक्सर कांग्रेस पर आरोप लगाते रहे हैं। इससे पहले, दुबे कांग्रेस पर 8 लाख करोड़ की टैक्स छूट देकर गरीबों को लूटने और 'कॉरपोरेट दलाली' का आरोप लगा चुके हैं। निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2004 से 2014 तक के कार्यकाल में बड़े व्यापारियों को 8 लाख करोड़ रुपए की टैक्स छूट देकर गरीबों से लूट की और अमीरों को मालामाल किया।

ललित मिश्रा की समस्तीपुर में बम विस्फोट में हुई थी मौत

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री मिश्रा की वर्ष 1975 में बिहार के समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बम विस्फोट में मौत हो गई थी। तारीख थी 2 जनवरी और साल 1975। ललित नारायण मिश्र दिल्ली से समस्तीपुर पहुंचे थे। यहां उन्हें समस्तीपुर से मुजफ्फरपुर जाने वाली रेलवे की बड़ी लाइन का उद्घाटन करना था। उद्घाटन के दौरान समस्तीपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर-तीन पर ही एक कार्यक्रम भी आयोजित हुआ, जहां कई बड़े नेता मौजूद थे। ललित नारायण मिश्र का इस दौरान मंच पर भाषण हुआ। भाषण पूरा करने के बाद जब एलएन मिश्र मंच से उतरने लगे, तभी वहां इकट्ठा हुई भीड़ में से किसी ने मिश्र की तरफ हैंड ग्रेनेड फेंक दिया। इसी हमले में एलएन मिश्र की मौत हो गई थी।

पाकिस्तान का आंतक प्रेम फिर आया सामने, पाक क्रिकेट टीम आतंकवादियों के परिवार को देगी अपनी मैच फीस

#pakistandonateasiacupfinalfeestoterroristmasoodazharsalmanaliagha

एशिया कप 2025 के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम 11 रणबांकुरों ने साहसी खेल दिखाया। भारतीय टीम ने खिताब मैच में पाकिस्तान को 5 विकेट से पटखनी दी और रिकॉर्ड 9वीं बार ये खिताब अपने नाम किया। मैच के बाद भारतीय टीम ने पीसीबी बोर्ड चीफ मोहसिन नकवी से ट्रॉफी और मेडल लेने से इनकार किया। वहीं, कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपनी पूरी मैच फीस भारतीय सेना को देने का एलान के साथ पूरे देश का दिनल जीत लिया। दूसरी तरफ, पाकिस्तान एशिया कप 2025 फाइनल का पूरा पैसा आतंकियों को देगा। इसकी जानकारी कप्तान सलमान आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी है।

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एशिया कप 2025 फाइनल में भारत से पांच विकेट से हारने के बाद पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए न सिर्फ भारतीय टीम के 'नो हैंडशेक' फैसले को क्रिकेट का अपमान बताया बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में चौंकाने वाला एलान करते हुए कहा कि पूरा मैच फीस उन परिवारों को दान किया जाएगा जो 'ऑपरेशन सिंदूर' में मारे गए। सलमान आगा ने मैच के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, एक टीम के रूप में हम अपने एशिया कप फाइनल मैच की फीस पाकिस्तान पर भारतीय हमलों में प्रभावित लोगों और बच्चों के परिवारों को दान कर रहे हैं।

पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे?

सलमान आगा के इस बयान से कई सवाल उठ गए हैं, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकी मारे गए थे। यानी पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे, क्योंकि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था और उसमें 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया था।

भारत को लेकर बेतुका बयान

सलमान आगा ने कहा कि हाथ न मिलाकर वे हमारा अपमान नहीं कर रहे, बल्कि क्रिकेट का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत ने इस टूर्नामेंट में जो किया है वो बेहद निराशाजनक है। आगा ने कहा कि हम एशिया कप की ट्रॉफी के साथ अकेले फोटो खिंचवाने गए थे, क्योंकि हम अपना कर्तव्य निभाना चाहते थे। प्रेजेंटेशन सेरेमनी में हम वहीं खड़े रहे और अपने मेडल लिए।

सलमान का सूर्यकुमार पर आरोप

पाक कप्तान ने कहा कि उन्हें भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से कोई निजी समस्या नहीं है और उनका मानना है कि अगर ये उनका फैसला होता तो वो मुझसे हाथ मिलाते। पाकिस्तान के कप्तान ने आगे कहा कि सूर्या ने टूर्नामेंट की शुरुआत में मुझसे निजी तौर पर हाथ मिलाया था। टूर्नामेंट से पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी और जब हम रेफरी की मीटिंग में मिले थे तब भी उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया था, लेकिन जब वे कैमरों के सामने होते हैं, तो वे हमसे हाथ नहीं मिलाते। मुझे यकीन है कि वो दिए गए निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन अगर ये उन पर निर्भर होता, तो वे मुझसे हाथ मिलाते।

पाकिस्तान का आंतक प्रेम फिर आया सामने, पाक क्रिकेट टीम आतंकवादियों के परिवार को देगी अपनी मैच फीस

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एशिया कप 2025 के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम 11 रणबांकुरों ने साहसी खेल दिखाया। भारतीय टीम ने खिताब मैच में पाकिस्तान को 5 विकेट से पटखनी दी और रिकॉर्ड 9वीं बार ये खिताब अपने नाम किया। मैच के बाद भारतीय टीम ने पीसीबी बोर्ड चीफ मोहसिन नकवी से ट्रॉफी और मेडल लेने से इनकार किया। वहीं, कप्तान सूर्यकुमार यादव ने अपनी पूरी मैच फीस भारतीय सेना को देने का एलान के साथ पूरे देश का दिनल जीत लिया। दूसरी तरफ, पाकिस्तान एशिया कप 2025 फाइनल का पूरा पैसा आतंकियों को देगा। इसकी जानकारी कप्तान सलमान आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी है।

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एशिया कप 2025 फाइनल में भारत से पांच विकेट से हारने के बाद पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए न सिर्फ भारतीय टीम के 'नो हैंडशेक' फैसले को क्रिकेट का अपमान बताया बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में चौंकाने वाला एलान करते हुए कहा कि पूरा मैच फीस उन परिवारों को दान किया जाएगा जो 'ऑपरेशन सिंदूर' में मारे गए। सलमान आगा ने मैच के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, एक टीम के रूप में हम अपने एशिया कप फाइनल मैच की फीस पाकिस्तान पर भारतीय हमलों में प्रभावित लोगों और बच्चों के परिवारों को दान कर रहे हैं।

पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे?

सलमान आगा के इस बयान से कई सवाल उठ गए हैं, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर में केवल आतंकी मारे गए थे। यानी पाकिस्तानी खिलाड़ी आतंकियों के परिवारों को मैच फीस देंगे, क्योंकि भारत के ऑपरेशन सिंदूर में केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था और उसमें 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया था।

भारत को लेकर बेतुका बयान

सलमान आगा ने कहा कि हाथ न मिलाकर वे हमारा अपमान नहीं कर रहे, बल्कि क्रिकेट का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत ने इस टूर्नामेंट में जो किया है वो बेहद निराशाजनक है। आगा ने कहा कि हम एशिया कप की ट्रॉफी के साथ अकेले फोटो खिंचवाने गए थे, क्योंकि हम अपना कर्तव्य निभाना चाहते थे। प्रेजेंटेशन सेरेमनी में हम वहीं खड़े रहे और अपने मेडल लिए।

सलमान का सूर्यकुमार पर आरोप

पाक कप्तान ने कहा कि उन्हें भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव से कोई निजी समस्या नहीं है और उनका मानना है कि अगर ये उनका फैसला होता तो वो मुझसे हाथ मिलाते। पाकिस्तान के कप्तान ने आगे कहा कि सूर्या ने टूर्नामेंट की शुरुआत में मुझसे निजी तौर पर हाथ मिलाया था। टूर्नामेंट से पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी और जब हम रेफरी की मीटिंग में मिले थे तब भी उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया था, लेकिन जब वे कैमरों के सामने होते हैं, तो वे हमसे हाथ नहीं मिलाते। मुझे यकीन है कि वो दिए गए निर्देशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन अगर ये उन पर निर्भर होता, तो वे मुझसे हाथ मिलाते।

भारत ने जीता एशिया कप का खिताब, बिना ट्रॉफी के मनाया जश्न

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भारतीय क्रिकेट टीम ने एशिया कप 2025 फाइनल में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी और टूर्नामेंट में तीसरी बार पाकिस्तानी टीम पर जीत हासिल की। भारत ने फाइनल जीतकर नौवां एशिया कप खिताब जीता, लेकिन अंत में उन्हें जश्न मनाने के लिए ट्रॉफी नहीं मिली। टीम इंडिया की जीत के बाद प्रेजेंटेशन सेरेमनी को लेकर विवाद हो गया। इसकी वजह बने एशियन क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन नकवी, जो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। टीम इंडिया ने उनके हाथ से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया था।

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एशिया कप के फाइनल मुकाबले में भारतीय क्रिकेट टीम की पाकिस्तान पर शानदार जीत के बाद ट्रॉफी समारोह में ऐसा नजारा देखने को मिला, जो क्रिकेट इतिहास में शायद ही पहले हुआ हो। दुबई में रविवार को खेले गए मैच के बाद टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव और उनके साथी खिलाड़ियों ने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के अध्यक्ष मोहसीन नकवी से ट्रॉफी लेने से इनकार कर दिया।

भारत ने पहले ही जाहिर कर दी थी मंशा

नकवी पाकिस्तान के गृह मंत्री भी हैं और भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं। भारत ने इसकी घोषणा काफी पहले ही कर दी थी, लेकिन इसके बावजूद नकवी ट्रॉफी वितरण समारोह के दौरान स्टेज से नहीं हटे। मोहसिन नकवी भी अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्होंने कहा कि एसीसी के नियमों के मुताबिक अध्यक्ष होने के नाते वो ही ट्रॉफी देंगे। इसके चलते प्रेजेंटेशन सेरेमनी में काफी देरी हो गई और मैच खत्म होने के सवा घंटे बाद ये सेरेमनी हुई। इस दौरान पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने तो अपने मेडल लिए लेकिन टीम इंडिया ने अपने विनर्स मेडल लेने से इनकार कर दिया। साथ ही टीम इंडिया ने ट्रॉफी लेने से भी मना कर दिया।

काल्पनिक ट्रॉफी उठाते हुए मनाया जीत का जश्न

प्रेजेंटेशन सेरेमनी का संचालन कर रहे साइमन डौल ने समारोह के अंत में पुष्टि करते हुए कहा कि, मुझे एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) द्वारा सूचित किया गया है कि भारतीय क्रिकेट टीम आज रात अपने पुरस्कार नहीं लेगी। इसलिए पोस्ट-मैच प्रेजेंटेशन का यही अंत किया जाता है। प्रस्तुति को लेकर हुए विवाद के बावजूद, भारतीय खिलाड़ी फाइनल के बाद जश्न मनाने से पीछे नहीं हटे। सूर्यकुमार और उनके साथियों का काल्पनिक ट्रॉफी उठाते हुए एक क्लिप तेजी से वायरल हो गया। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पूर्व कप्तान रोहित शर्मा की ट्रेडमार्क शैली की नकल की, टीम की ओर धीरे-धीरे चलना और फिर जोर से दहाड़ना, बस फर्क इतना था कि इस बार हाथ में ट्रॉफी नहीं थी।

इन 4 खिलाड़ियों ने लिए अवॉर्ड

हालांकि, टीम इंडिया के 4 खिलाड़ियों ने जरूर अवॉर्ड लिए. शिवम दुबे के गेम चेंजर अवॉर्ड मिला, तो वहीं कुलदीप यादव को वैल्यू प्लेयर अवॉर्ड के 15 हजार डॉलर मिले. वहीं तिलक वर्मा को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया, जबकि अभिषेक शर्मा प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने, जिसके लिए उन्हें 15 हजार डॉलर के साथ ही ट्रॉफी और कार भी मिली। मगर इन सभी खिलाड़ियों को अवॉर्ड नकवी के बजाए अमीरात क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट से जुड़े दूसरे अधिकारियों ने दिए।