कुलमन घिसिंग बन सकते हैं नेपाल के अंतरिम पीएम, दावा- सुशीला कार्की के नाम पर नहीं बनी सहमति

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जेन जी आंदोलन की वजह से नेपाल में हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया था। इन विरोध प्रदर्शनों में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। बुधवार शाम जारी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक, अब तक 1,061 लोग घायल हुए हैं। घायलों में से 719 को छुट्टी दे दी गई है, जबकि 274 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। इस बीच, देश में अंतरिम सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।

सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बनी

नेपाल में सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के विरोध प्रदर्शन के बीच फैली हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी रोकने के लिए सेना सड़कों पर है। इस बीच नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने अंतरिम सरकार के नेतृत्व के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव किया है। काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह बालेन ने भी इसका समर्थन किया है। हालांकि, अब तक सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बनी है। बुधवार शाम को भी पहले दौर की बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला था। सेना ने सभी पार्टी और नेताओं से राय देने को कहा था।

कुलमान घिसिंग पीएम की रेस में आगे

केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा तेज है। मगर अब इसमें एक बड़ा ट्विस्ट आया है। सरकार बनाने की कवायद के बीच एक नया नाम सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बातचीत में नेपाल के लाइट मैन कहे जाने वाले कुलमान घिसिंग पीएम की रेस में आगे चल रहे हैं। नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के पूर्व सीईओ कुलमन घिसिंग का नाम तेजी से उभरा है। खुद जेन जी प्रदर्शनकारियों ने कुलमन घिसिंग का नाम आगे बढ़ाया है।

सुशीला कार्की की उम्र और राजनीतिक अनुभव पर उठे सवाल

आज गुरुवार को आखिरी दौर की मीटिंग हुई। यह मीटिंग सुशीला कार्की के नाम पर सहमति को लेकर थी। कारण कि उनके नाम पर पेच फंसा था। जेन जी गुट के ही कुछ लोग आपत्ति जता रहे थे। मीटिंग में कुछ ग्रुप्स ने सुशीला कार्की की उम्र और राजनीतिक अनुभव की कमी पर सवाल उठाए। यहीं से नेपाल के अंतरिम पीएम पर यूटर्न आया। इसी बैठक में कुछ प्रदर्शनकारियों ने कुलमन घिसिंग को वैकल्पिक नाम के रूप में पेश किया।

सुशीला कार्की खुद नहीं बनना चाहतीं?

दरअसल, सुशीला कार्की 72 साल की हैं। वह नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस रह चुकी हैं। वह अपनी ईमानदारी और भ्रष्टाचार विरोधी फैसलों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कम से कम 1,000 हस्ताक्षरों की मांग की थी, जो 2,500 से ज्यादा हो गए। सुशीला कार्की वैसे भी अंतरिम पीएम नहीं बनना चाहती थीं। खुद आर्मी चीफ ने उन्हें 15 घंटे की मिन्नत करने के बाद मनाया था।सुशीला कार्की भारतीयों और नेपाली लोगों के रिश्तों को महत्व देती हैं और पीएम मोदी का सम्मान करती हैं।

आरएसएस चीफ मोहन भागवत का आज 75वां जन्मदिन, पीएम मोदी बोले- सौभाग्य हमारे पास उनके जैसा सरसंघचालक

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत आज 75 साल के हो गए। उनके जन्मदिन पर देश तमाम नेता उन्हें बधाई दे रहे हैं। पीएम मोदी ने भी भागवत को बधाई दी है। उन्होंने एक बधाई संदेश लिखा है। जिसमें लिखा है कि वे एक असाधारण व्यक्ति हैं, जिन्होंने हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखा। पीएम मोदी ने लिखा, हम स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमारे पास मोहन भागवत जी जैसे दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक हैं, जो ऐसे समय में संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत से प्रेरित होकर, मोहन भागवत जी ने अपना पूरा जीवन सामाजिक परिवर्तन और सद्भाव एवं बंधुत्व की भावना को सुदृढ़ करने के लिए समर्पित कर दिया है। उनके 75वें जन्मदिन के मौके पर, मोहन जी और उनके प्रेरक व्यक्तित्व पर कुछ विचार लिखे। मां भारती की सेवा में उनके दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।

आज 11 सितंबर है। यह दिन अलग-अलग स्मृतियों से जुड़ा है। एक स्मृति 1893 की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्वबंधुत्व का संदेश दिया और दूसरी स्मृति है 9/11 का आतंकी हमला, जब विश्व बंधुत्व को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई। आज के दिन की एक और विशेष बात है। आज एक ऐसे व्यक्तित्व का 75वां जन्मदिवस है जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलते हुए समाज को संगठित करने, समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। संघ परिवार में जिन्हें परम पूजनीय सरसंघचालक के रूप में श्रद्धाभाव से संबोधित किया जाता है, ऐसे आदरणीय मोहन भागवत जी का आज जन्मदिन है।

पीएम मोदी ने संघ प्रमुख से अपना पुराना संबंध याद किया

पीएम मोदी ने लिखा कि मेरा मोहन भागवत जी के परिवार से बहुत गहरा संबंध रहा है। मुझे उनके पिता, स्वर्गीय मधुकरराव भागवत जी के साथ निकटता से काम करने का सौभाग्य मिला था। मैंने अपनी पुस्तक ज्योतिपुंज में मधुकरराव जी के बारे में विस्तार से लिखा भी है। वकालत के साथ-साथ मधुकरराव जी जीवन भर राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित रहे। अपनी युवावस्था में उन्होंने लंबा समय गुजरात में बिताया और संघ कार्य की मजबूत नींव रखी। मधुकरराव जी का राष्ट्र निर्माण के प्रति झुकाव इतना प्रबल था कि अपने पुत्र मोहनराव को भी इस महान कार्य के लिए निरंतर गढ़ते रहे। एक पारसमणि मधुकरराव ने मोहनराव के रूप में एक और पारसमणि तैयार कर दी।

भागवत जी का पूरा जीवन प्रेरणा देने वाला-पीएम मोदी

भागवत जी का पूरा जीवन सतत प्रेरणा देने वाला रहा है। वे 1970 के दशक के मध्य में प्रचारक बने। सामान्य जीवन में प्रचारक शब्द सुनकर ये भ्रम हो जाता है कि कोई प्रचार करने वाला व्यक्ति होगा, लेकिन जो संघ को जानते हैं उनको पता है कि प्रचारक परंपरा संघ कार्य की विशेषता है। 2000 में वे सरकार्यवाह बने। यहां भी अपनी अनोखी कार्यशैली से हर कठिन परिस्थिति को सहजता और सटीकता से संभाला। 2009 में वे सरसंघचालक बने और आज भी अत्यंत ऊर्जा के साथ कार्य कर रहे हैं। भागवत जी ने राष्ट्र प्रथम की मूल विचारधारा को हमेशा सर्वोपरि रखा।

भागवत के संगीत और गायन की रूचि से कराया अवगत

प्रधानमंत्री ने आगे लिखा है कि मोहन जी, हमेशा एक भारत श्रेष्ठ भारत के प्रबल पक्षधर रहे हैं। भारत की विविधता और भारत भूमि की शोभा बढ़ा रही अनेक संस्कृतियों और परंपराओं के उत्सव में भागवत जी पूरे उत्साह से शामिल होते हैं। वैसे बहुत कम लोगों को ये पता है कि मोहन भागवत जी अपनी व्यस्तता के बीच संगीत और गायन में भी रुचि रखते हैं। मोहन जी के स्वभाव की एक और बड़ी विशेषता ये है कि वो मृदुभाषी हैं। उनमें सुनने की भी अद्भुत क्षमता है। यह विशेषता न केवल उनके दृष्टिकोण को गहराई देती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व में संवेदनशीलता और गरिमा भी लाती है।

ट्रंप के करीबी चार्ली किर्क की गोली मारकर हत्या, अमेरिकी राष्ट्रपति को बड़ा झटका

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अमेरिका के कंजरवेटिव युवा नेता और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी चार्ली किर्क की बुधवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई। किर्क यूटा वैली यूनिवर्सिटी में एक कॉलेज कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे, तभी उन पर हमला हुआ। वह मात्र 31 वर्ष के थे राष्ट्रपति ट्रंप ने चार्ली किर्क की हत्या पर दुख जाहिर किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट शेयर करके खुद इस घटना की जानकारी दी। ट्रंप ने अमेरिका में राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।

ट्रंप ने जताई संवेदना

चार्ली किर्क के निधन पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दुख जताया। उन्होंने लिखा कि चार्ली किर्क के सम्मान में, जो एक सच्चे महान अमेरिकी देशभक्त थे, पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका में सभी अमेरिकी ध्वज रविवार शाम 6 बजे तक आधे झुके रहेंगे। ट्रंप ने आगे लिखा कि चार्ली किर्क अब इस दुनिया में नहीं रहे। संयुक्त राज्य अमेरिका के युवाओं को कोई भी उतना नहीं समझता था, जितना कि वे। उन्हें हर कोई प्यार करता था और उनकी प्रशंसा करता था, खासकर मैं। और अब वे हमारे साथ नहीं हैं तो मेलानिया और मेरी संवेदनाएं उनकी पत्नी एरिका और पूरे परिवार के साथ हैं। चार्ली, हम आपसे प्यार करते हैं।

सोशल मीडिया पर आया वीडियो

घटना उस समय हुई जब कर्क विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित बहस कार्यक्रम में दर्शकों से सवाल ले रहे थे। जैसे ही उन्होंने एक सवाल का जवाब दिया, दूर से चली गोली उनके गले में आ लगी। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में कर्क को लहूलुहान होकर गिरते देखा गया, जिसके बाद वहां अफरा-तफरी मच गई। पुलिस के अनुसार, हमलावर ने काले कपड़े पहन रखे थे और कैंपस की एक इमारत की छत से गोली चलाई।

ट्रंप के लिए क्यों है बड़ा झटका?

चार्ली किर्क की हत्या को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। चार्ली किर्क ट्रंप के बेहद करीबी सहयोगी थे। अमेरिकी दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता चार्ली किर्क उन प्रभावशाली लोगों के समूह का हिस्सा थे, जिन्होंने रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद की। राइट विंग वाले युवाओं को प्रेरित किया। इतना ही नहीं, ट्रंप की जीत में उन्होंने बड़ा रोल प्ले किया था।

कौन थे चार्ली किर्क?

चार्ली किर्क इलिनोइस के मूल निवासी थे। उन्होंने 18 साल की उम्र में राइट विंग छात्र समूह टर्निंग पॉइंट यूएसए की सह-स्थापना की और ट्रंप के शासनकाल में रिपब्लिकन पार्टी में एक उभरते सितारे के रूप में उभरे।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़की सत्ता-विरोधी लहर, अब नए संविधान, प्रतिनिधि सभा भंग करने की उठी मांग

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नेपाल में जेनरेशन जेड (जेन-जी) आंदोलन अब बेकाबू होता जा रहा है। सोशल मीडिया बैन से भड़की युवा-नेतृत्व वाली लहर अब सत्ता-विरोधी सुनामी में बदल चुकी है। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंहदरबार सचिवालय और कई नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इस बवाल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अचानक इस्तीफा दे दिया। हालात इतने बिगड़े कि सेना को मंगलवार रात 10 बजे से राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेनी पड़ी। देशभर में कर्फ्यू लागू है और सीमाएं सील कर दी गई हैं। इस बीच जेन जी प्रदर्शनकारियों ने कई राजनीतिक और सामाजिक मांगें रखी हैं।

सेना ने ली देश की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी

नेपाल में हालात बिगड़ने के बाद सेना ने सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। काठमांडू एयरपोर्ट और सरकार के मुख्य सचिवालय सिंहदरबार जैसे अहम ठिकानों पर सेना का नियंत्रण है. वहीं, देश की सीमाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। कर्फ्यू जारी है, हालांकि एंबुलेंस और शववाहन जैसी जरूरी सेवा से जुड़ी गाड़ियों को छूट दी गई है। सेना ने चेतावनी दी है कि प्रदर्शन, तोड़फोड़, लूट, आगजनी या किसी भी व्यक्ति और संपत्ति पर हमला अब दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सेना ने नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें।

आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर

हालात को शांत करने के लिए नेपाल आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर हैं। उन्होंने देर रात जेन जी आंदोलन के प्रतिनिधियों को सेना मुख्यालय बुलाकर उनसे बातचीत की और उनकी मांगों को सुना। उन्होंने मौतों पर शोक जताते हुए युवाओं से संवाद के जरिए समाधान खोजने की अपील की। साथ ही उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा कठिन परिस्थिति को सामान्य करना, सार्वजनिक और निजी संपत्ति की सुरक्षा करना और आम नागरिकों तथा राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही सेना की पहली प्राथमिकता है।

देश के संविधान में संशोधन की मांग

इधर नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों ने शासन में व्यापक सुधार और पिछले तीन दशकों में राजनेताओं की लूटी गई संपत्तियों की जांच की मांग की है। आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को आधिकारिक शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को राजकीय सम्मान, पहचान और सहायता दी जाएगी। इसकी सबसे प्रमुख मांगों में देश के संविधान में संशोधन या इसे नए तरीके से लिखा जाना शामिल है।

नई राजनीतिक व्यवस्था की बात

आयोजकों ने बेरोजगारी से निपटने, पलायन पर अंकुश लगाने और सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए विशेष कार्यक्रमों का भी वादा किया है। प्रदर्शनकारियों की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, 'यह आंदोलन किसी पार्टी या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी और राष्ट्र के भविष्य के लिए है। शांति आवश्यक है, लेकिन यह एक नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव पर ही संभव है।

चुनाव आयोग की बड़ी तैयारी, देशभर में SIR शुरू करने को लेकर बुलाई अहम बैठक

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बिहार के बाद अब चुनाव आयोग मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को पूरे देश में लागू करने की तैयारी कर रही है। इन्हीं तैयारियों पर चर्चा के लिए चुनाव आयोग राज्यों के अपने अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक कर रहा है। बैठक की अगुवाई मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने किया। बैठक में आयोग के वरिष्ठ अधिकारी एसआईआर नीति पर प्रस्तुति दी। वहीं बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एसआईआर लागू करने में राज्य के अनुभव साझा किया।

इस साल होने वाले चुनावों से पहले शुरू होगी एसआईआर

आयोग ने कहा है कि बिहार के बाद, एसआईआर पूरे देश में लागू किया जाएगा। ऐसे संकेत हैं कि यह प्रक्रिया इस साल के अंत में असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले शुरू हो जाएगी। इस गहन पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकालना है।

क्या है एसआआर का उद्देश्य

इस गहन पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकालना है। बांग्लादेश और म्यांमार सहित विभिन्न राज्यों में अवैध विदेशी प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस गहन समीक्षा के तहत चुनाव अधिकारी त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे। विपक्षी दलों की ओर से भाजपा की मदद के लिए चुनाव आयोग पर मतदाता आंकड़ों में हेराफेरी करने के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने गहन संशोधन में अतिरिक्त कदम उठाए हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अवैध प्रवासी मतदाता सूची में शामिल न हों।

भारत और अमेरिका के बीच जल्द होगी ट्रेड डील! ट्रंप ने बढ़ाया 'दोस्ती' का हाथ, पीएम मोदी ने दिया ये जवाब

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भारत और अमेरिका के बीच जारी तनाव कम होता दिख रहा है। भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ महीनों से व्यापारिक तनाव से गुजर रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में भारत को लेकर अमेरिका के रुख नरम पड़ते दिख रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों से दोनों देशों के बीच संबंध वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद बढ़ गई है। इस बीच यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। उन्होंने पीएम मोदी से दोस्ती के संबंध में नया पोस्ट किया है। खास बात ये है कि पीएम मोदी ने भी ट्रंप के पोस्ट पर जवाब दिया है।

ट्रंप ने पोस्ट कर पीएम मोदी को बताया “बहुत अच्छे मित्र”

पहले ट्रंप ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के लिए उत्सुक हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक्‍स पर लिखा, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका हमारे दोनों देशों के बीच मौजूद व्यापारिक बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत करने की प्रतीक्षा कर रहा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे दोनों महान देशों के लिए इस वार्ता का सफल नतीजा निकालने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

ट्रंप को पीएम मोदी का जवाब

ट्रंप की नई सोशल मीडिया पोस्ट पर रिएक्ट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारी टीमें इन चर्चाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के लिए भी उत्सुक हूं। हम दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

ट्रंप के तेवर नरम पड़े

यूएस राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले दिनों भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ बढ़ाने को लेकर अहम फैसला लिया। इसी के बाद भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों में तनाव की खबरें सामने आई थीं। अब इसे कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अहम ऐलान किया। दोनों सरकारों के सर्वोच्च स्तर पर पहल होने के बाद रिश्तों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

सीपी राधाकृष्णन बने देश के अगले उपराष्ट्रपति, चुनाव में 15 वोट इनवैलिड, जानें मतदान का पूरा गणित

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भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद के लिए मंगलवार को चुनाव हुआ। इस चुनाव एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोट हासिल कर अपने प्रतिद्वंद्वी बी सुदर्शन रेड्डी को शिकस्त दी। सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले। एनडीए ने दो-तिहाई वोट हासिल कर जीत दर्ज की।

मंगलवार को हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में 767 सांसदों ने वोट डाले, जिसमें से 15 वोट अमान्य घोषित कर दिया है। राज्यसभा सचिवालय के अनुसार, कुल 781 सांसद इस चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा थे। इनमें से 767 सांसदों ने मतदान किया। 14 सांसदों ने मतदान से परहेज किया, इसमें बीजू जनता दल (7 सांसद), भारत राष्ट्र समिति (4 सांसद), शिरोमणि अकाली दल (1 सांसद) और पंजाब के दो निर्दलीय सांसद शामिल थे।

बीजेपी का दावा है कि 14 सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है। सूत्रों के मुताबिक उपराष्ट्रपति चुनाव में महाराष्ट्र और झारखंड के राजनीतिक दलों के कुछ सांसदों ने क्रॉस वोटिंग में भी हिस्सा लिया। दरअसल, सीपी राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। इससे पहले झारखंड के राज्यपाल थे। इस आधार पर बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने दोनों राज्यों के राजनीतिक दलों को एनडीए के उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग डालने का आग्रह किया। राजस्थान के भी कुछ सांसदों के क्रॉस वोटिंग में शामिल होने की संभावना है।

नेपाल में प्रधानमंत्री की कुर्सी गई, पीएम ओली ने दिया इस्तीफा

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नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को शुरू हा भीषण बवाल मंगलवार को भी जारी है। इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से को इस्तीफा दे दिया है। नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने केपी शर्मा ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। ओली को आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिगडेल ने कुर्सी छोड़ने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि इस्तीफे के बाद ही हालात सुधरेंगे।

नेपाल पीएम ने इस्तीफे में क्या लिखा

नेपाल में सोशल मीडिया ऐप्स पर लगे बैन को लेकर Gen-Z विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के घर को आग के हवाले कर दिया था। देश के बिगड़े हालात के बीच राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे को स्वीकार भी कर लिया है। केपी शर्मा ओली ने इस्तीफे में लिखा, ''माननीय राष्ट्रपति जी, नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार 31 असद 2081 बी.एस. को प्रधानमंत्री नियुक्त होने के बाद, तथा देश में वर्तमान में विद्यमान असाधारण स्थिति को ध्यान में रखते हुए, मैंने संविधान के अनुच्छेद 77 (1) (ए) के अनुसार आज से प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है, ताकि संविधान के अनुसार समस्याओं के राजनीतिक समाधान और समाधान की दिशा में आगे कदम उठा सकूं।

इस्तीफे के बाद सेना के सुरक्षा घेरे में ओली

नेपाल में पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्‍तीफा भले ही दे दिया है लेकिन उनकी मुश्किलें खत्‍म नहीं होने जा रही हैं। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि केपी ओली पर हत्‍या का मुकदमा चलाया जाए। इस बीच नेपाली सेना ने केपी ओली को अपने सुरक्षा घेरे में ले लिया है ताकि प्रदर्शनकारी उन पर हमला नहीं कर सकें। इस बीच प्रदर्शकारियों ने नेपाली संसद को फूंक दिया है।

नेपाल के पूर्व डिप्टी पीएम को प्रदर्शनकारियों ने जेल से छुड़ाया

नेपाली प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद प्रदर्शनकारियों ने पूर्व डिप्टी पीएम रवि लामीछाने को जेल से निकाल लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे आने वाले परिदृश्य में वे बड़ी भूमिका में नजर आएं।

नेपाल में प्रदर्शनकारियों का राष्ट्रपति-पीएम के घर में आगजनी, ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

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नेपाल में आक्रोश की आग भड़कती ही जा रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आवास को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है। वहीं इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सूचना एवं संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवास में भी आग लगा दी। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के घर के बाहर पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई। 

सड़कें युद्धक्षेत्र बनी

सोमवार को शुरू हुआ छात्रों का ये प्रदर्शन मंगलवार को पूरे देश में फैल गया है। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों की उग्र भीड़ ने बवाल मचा रखा है। शहर की सड़कें युद्धक्षेत्र जैसी नजर आ रही हैं। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने सीपीएन-एमसी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक सहित अन्य के आवास पर पथराव किया और आगजनी की। मकवानपुर में, हेटौडा और पूर्वी मनहारी बाज़ार में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर पूर्व-पश्चिम राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने अशांति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं।

राष्ट्रपति- प्रधानमंत्री का घर आग के हवाले

प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के आवास को आग के हवाले दिया है। ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास को जला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने बालकोट स्थित प्रधानमंत्री ओली के आवास में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह परिसर में घुसने और घर के कुछ हिस्सों में आग लगाने से पहले, घर में मौजूद सामानों को बाहर निकाल लिया था। आग फैलने पर आवास से धुएं का घना गुबार उठता देखा गया। वहीं, देश के ऊर्जा मंत्री और राष्ट्रपति के घर को भी प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने "केपी चोर, देश छोड़" , "भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करो" जैसे नारे लगा रहे हैं। 

सेना ने पीएम केपी ओली से इस्तीफा मांगा

नेपाल में दो दिन से चल रहे बवाल के बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। विकट होते हालात को देखते हुए सेना ने पीएम केपी ओली से इस्तीफा मांगा है। नेपाली आर्मी चीफ ने कहा है कि पीएम ओली अब गद्दी छोड़ देंष

नेपाल में कई जगहों पर लगा कर्फ्यू

काठमांडू में गृह मंत्रालय के अधीन तीन जिला प्रशासन कार्यालयों (डीएओ) ने अलग-अलग नोटिस जारी करके कई स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया, जिसमें शहर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट शामिल हैं. काठमांडू डीएओ ने मंगलवार को राजधानी में अनिश्चितकाल तक के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया, जिसमें लोगों को आवाजाही, प्रदर्शन, सभाएं या धरने पर रोक है. कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मियों, पत्रकारों, पर्यटक वाहनों, हवाई यात्रियों और मानवाधिकार व राजनयिक मिशनों के वाहनों की आवाजाही की अनुमति होगी.

केपी शर्मा ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

देश के बिगड़े हालात के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आज शाम एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मैं स्थिति का आकलन करने और एक सार्थक निष्कर्ष निकालने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा हूं। इसके लिए, मैंने आज शाम 6 बजे एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। मैं सभी भाइयों और बहनों से विनम्र अनुरोध करता हूं कि इस कठिन परिस्थिति में धैर्य बनाए रखें।

20 की मौत के बाद झुकी नेपाल की ओली सरकार, GEN-Z के आक्रोश के बाद सोशल मीडिया से हटा बैन

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नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बैन हटा लिया है। यह फैसला सोमवार को देश भर में युवाओं के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए बाद लिया गया। नेपाल में सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन के खिलाफ हजारों Gen-Z युवाओं ने सोमवार को राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शन किया। हिंसक प्रदर्शन के दौरान 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल सरकार ने देर रात सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैन हटाने से इनकार किया था।

देर रात बेन हटाने की हुई घोषणा

GEN-Z प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हुए हैं। नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने देर रात घोषणा की कि सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगान का फैसला वापस ले लिया गया है। एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री ने कहा, सरकार ने GEN-Z की मांग को रखते हुए सोशल मीडिया को खोलने का फैसला पहले ही कर लिया है।

पहले लिए गए फैसले पर सरकार को पछतावा नहीं

हालांकि, मंत्री ने कहा कि सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद करने को लेकर पहले लिए गए फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। गुरुंग ने कहा, 'इस मुद्दे को बहाने के तौर पर इस्तेमाल करके विरोध प्रदर्शन किए जा रहे थे, इसलिए सोशल मीडिया साइटों को फिर से खोलने का फैसला लिया गया है।' गुरुंग ने जेन-जी प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शन वापस लेने की अपील की।

नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा

इससे पहले सोमवार को नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ युवाओं न जोरदार प्रदर्शन का। विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने से 20 लोगों की मौत हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें हुईं। काठमांडो में प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ की। विरोध प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक तक फैल गया। हालात काबू में करने के लिए काठमांडो समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगाने के साथ सेना को तैनात करना पड़ा। बेकाबू हिंसा के बाद नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक को इस्तीफा दे दिया।

हिंसा की जांच के लिए कमेटी बनेगी

इसके साथ ही कैबिनेट ने हिंसा की जांच के लिए एक जांच समिति का भी गठन किया है। कमेटी को 15 दिनों में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इन मौतों पर दुख जताया, साथ ही आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ असामाजिक तत्व घुस आए थे। सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद सोशल मीडिया को बंद करना नहीं, बल्कि नियंत्रित करना था।