महारानी अहिल्याबाई होलकर ने समाज में प्रशासन, न्याय और जनकल्याण की अनुकरणीय व्यवस्था एवं उदाहरण प्रस्तुत किए – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

रायपुर-  पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर का संपूर्ण जीवन समाज कल्याण हेतु समर्पित रहा। वह इंदौर की न केवल महारानी थीं, बल्कि न्यायप्रिय, धार्मिक एवं निष्पक्ष प्रशासक भी थीं। उन्होंने देशभर में धार्मिक स्थलों एवं मंदिरों के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के क्षेत्र में जो कार्य किए, वे आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं। उक्त बातें मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, रायपुर में विश्व मांगल्य सभा द्वारा आयोजित पुण्यश्लोक लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की जीवनी पर आधारित नाट्य मंचन समारोह में कही।

श्री साय ने आगे कहा कि हम सभी लोकमाता महारानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पूरे देश एवं प्रदेश में उनकी स्मृति में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

सुशासन, सनातन और संस्कृति के लिए समर्पित लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित यह नाट्य प्रस्तुति लोगों तक उनके महान कृतित्व को पहुंचाने में सहायक होगी। राजमाता अहिल्याबाई होलकर हमारे गौरवशाली इतिहास की महान प्रेरणापुंज हैं। उनके जीवन चरित्र से वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने रामराज्य की अवधारणा को साकार किया। तीन दशकों तक उन्होंने होलकर राजवंश का नेतृत्व किया। उन्होंने प्रशासन, न्याय और जनकल्याण की अनुकरणीय व्यवस्था प्रदान की। दक्षिण में कांची, उत्तर में बद्रीनाथ, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारका तक, हर स्थान पर उनके पुण्य कार्यों की छाप मिलती है। वे इंदौर की महारानी थीं, परंतु उन्होंने अपने को किसी भौगोलिक सीमा में नहीं बाँधा। देश के विभिन्न हिस्सों में उन्होंने मंदिरों का निर्माण, धर्मशालाओं की स्थापना की और धर्म की पताका सदैव लहराई।

वह सनातन की ध्वजवाहिका रहीं। जब महारानी अहिल्याबाई का नाम आता है तो हाथों में शिवलिंग लिए हुए उनकी तस्वीर सजीव हो उठती है। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना के प्रतीक काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट किया, तब यह घटना हिंदू समाज के लिए अत्यंत आघातकारी थी। उस समय माता जीजाबाई ने शिवाजी महाराज से कहा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण हमारा सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। पेशवा माधवराव ने भी अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी इच्छा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर फिर से बने। यह यशस्वी कार्य राजमाता अहिल्याबाई होलकर के कर-कमलों से संपन्न हुआ।

उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कर लाखों आस्थावान हिंदुओं के सपनों को साकार किया। वे हरिद्वार से गंगाजल मंगवाकर उसे कांचीपुरम के शिव मंदिर में अर्पित करवाती थीं। उन्होंने पुरी में धर्मशाला तथा द्वारका में भी धार्मिक निर्माण कार्य करवाए। जिस प्रकार आदि शंकराचार्य जी ने सनातन परंपरा को जोड़ते हुए चार धाम की स्थापना की, उसी परंपरा में राजमाता अहिल्याबाई होलकर जी ने भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस अवसर पर जगदलपुर विधायक किरण देव साय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। प्रस्तावना विश्व मांगल्य सभा की निकिता ताई द्वारा प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री अरुण साव, कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप, प्रदेश अध्यक्ष एवं जगदलपुर विधायक किरण देव साय, अजय जामवाल, पवन साय सहित बड़ी संख्या में विधायकगण, सांसदगण, निगम-मंडल-आयोग के अध्यक्षगण, जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा ने की मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से की मुलाकात

रायपुर- छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाएं अब आकाश को छूएंगी। राज्य के खिलाड़ी प्रारंभिक स्तर से ही आधुनिक तकनीकों के माध्यम से दक्ष बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से आज उनके निवास कार्यालय में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता शूटर अभिनव बिंद्रा ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री साय ने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी एवं स्पोर्ट्स साइंस डेवलपमेंट के विषय में विस्तारपूर्वक चर्चा की।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने श्री बिंद्रा का पुष्पगुच्छ एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। उन्होंने श्री बिंद्रा से छत्तीसगढ़ में खेल गतिविधियों के विकास एवं खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने संबंधी योजनाओं पर गहन चर्चा की।

मुख्यमंत्री श्री साय ने चर्चा के दौरान कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध है। प्रदेश के युवाओं में खेलों के प्रति स्वाभाविक रुचि एवं नैसर्गिक प्रतिभा है, विशेषकर आदिवासी अंचलों के युवाओं में अत्यधिक संभावनाएं हैं। इस परिप्रेक्ष्य में श्री बिंद्रा ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वे छत्तीसगढ़ में ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन, स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी और स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राज्य की खेल प्रतिभाओं को निखारने में ये प्रयास अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।

चर्चा के दौरान श्री बिंद्रा ने बताया कि वे अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में खिलाड़ियों को आगे लाने के लिए विविध कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि फाउंडेशन द्वारा खेलहित में संचालित ये कार्यक्रम निःशुल्क होते हैं, जिससे खिलाड़ियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में भी फाउंडेशन के माध्यम से ऐसे कार्यक्रम प्रारंभ किए जाने के सम्बन्ध में चर्चा की।

श्री बिंद्रा ने जानकारी दी कि ओलंपिक वैल्यू एजुकेशन कार्यक्रम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में ओलंपिक मूल्यों का विकास किया जाएगा। उन्हें उत्कृष्टता, सम्मान और मैत्री जैसे मूल्यों को अपनाने हेतु प्रेरित किया जाएगा, जिससे प्रारंभिक अवस्था से ही खेल प्रतिभाओं का संवर्धन संभव हो सकेगा।

मुख्यमंत्री श्री साय को श्री बिंद्रा ने अवगत कराया कि स्पोर्ट्स इंजरी खिलाड़ियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। स्पोर्ट्स इंजरी रिकवरी कार्यक्रम के अंतर्गत खिलाड़ियों को निःशुल्क सर्जरी, पुनर्वास एवं उपचार उपरांत देखभाल की संपूर्ण सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि वे स्वस्थ होकर पुनः खेल क्षेत्र में सक्रीय हो सकें। इस हेतु फाउंडेशन के साथ देश के 30 उत्कृष्ट चिकित्सकों का नेटवर्क कार्यरत है, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को मिलेगा।

मुख्यमंत्री को श्री बिंद्रा ने बताया कि वर्तमान खेल परिदृश्य पूर्णतः विज्ञान-आधारित हो गया है। अतः वे छत्तीसगढ़ में स्पोर्ट्स साइंस कार्यक्रम प्रारंभ करना चाहते हैं, जिससे आधुनिक एवं वैज्ञानिक पद्धति से खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा सके। नवीनतम तकनीकों की सहायता से प्रतिभाओं की पहचान वैज्ञानिक तरीके से की जा सकेगी तथा टेक्नोलॉजी के माध्यम से उनके कौशल को समुचित रूप से विकसित किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को आवश्यक सभी सुविधाएं प्रदान कर रही है। विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय के युवाओं में तीरंदाजी का प्राकृतिक कौशल है। इस प्रतिभा को बढ़ावा देने हेतु रायपुर एवं जशपुर में एनटीपीसी के सहयोग से 60 करोड़ रुपये की लागत से आर्चरी अकादमी की स्थापना की जा रही है। इसी प्रकार बस्तर में आयोजित बस्तर ओलंपिक में 1.65 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया। राज्य सरकार द्वारा ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों को 3 करोड़ रुपये, रजत पदक विजेता को 2 करोड़ रुपये एवं कांस्य पदक विजेता को 1 करोड़ रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में देने की घोषणा की गई है।

इस अवसर पर खेल मंत्री टंकराम वर्मा, छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह तोमर, खेल विभाग के सचिव यशवंत कुमार, संचालक तनुजा सलाम, डॉ. दिगपाल राणावत सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।

कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने 17 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

बलौदाबाजार- बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। जिनमें तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति, नायब तहसीलदार को राजपत्रित अधिकारी घोषित करने और शासकीय मोबाइल प्रदान करने जैसे कई प्रमुख मांगें हैं।

कनिष्ठ प्रशासनिक संघ ने यह भी कहा कि पहले हम चरणबद्ध आंदोलन करेंगे पहले भी हमने शासन से मांग की थी जिस पर ध्यान नही दिया गया है इसलिए पुनः मांग किया जा रहा है जिसमें 21 से 26 जुलाई तक संसाधन बहिष्कार, 28 जुलाई को जिला स्तर पर सामुहिक अवकाश, 29 जुलाई को संभाग स्तर पर व 30 जुलाई को प्रदेश स्तर पर प्रदर्शन यदि इसके बाद भी हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो फिर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन करेंगे। ज्ञापन देने वाले में पूरे जिले से तहसीलदार व नायब तहसीलदार उपस्थित थे।

यह है 17 सूत्रीय मांग

1. सभी तहसीलों में स्वीकृत सेटअप की पदस्थापना

सभी तहसीलों में कंप्यूटर ऑपरेटर, WBN, KGO, नायब नाज़िर, माल जमादार, भृत्य, वाहन चालक, आदेशिका वाहक, राजस्व निरीक्षक एवं पटवारियों की पदस्थापना की जाए। यदि संभव न हो तो संबंधित तहसील को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित समय-सीमा की बाध्यता से मुक्त किया जाए।

2. तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति प्रक्रिया

सीधी भर्ती और पदोन्नति का अनुपात पूर्व की भांति 50:50 रखा जाए और पूर्व में की गई घोषणा का तत्काल क्रियान्वयन किया जाए।

3. नायब तहसीलदार पद को राजपत्रित करने की मांग

इस आशय की पूर्व घोषणा का तत्काल क्रियान्वयन किया जाए।

4. ग्रेड पे में शीघ्र सुधार

तहसीलदार और नायब तहसीलदार के लंबित ग्रेड पे सुधार को शीघ्र किया जाए।

5. शासकीय वाहन की उपलब्धता

सभी तहसीलों में कार्यवाही, प्रोटोकॉल एवं लॉ एंड ऑर्डर ड्यूटी हेतु शासकीय वाहन व चालक की व्यवस्था हो या वाहन भत्ता प्रदान किया जाए।

6. निलंबन से बहाली

बिना वैध प्रक्रिया, नियमित आदेश या अभियोजन कार्रवाई से प्रभावित तहसीलदारों/नायब तहसीलदारों को 15 दिवस में जांच पूर्ण कर बहाल किया जाए।

7. न्यायालयीन प्रकरणों में आदेशों का पालन

न्यायालयीन मामलों को जनशिकायत/जनशिकायत प्रणाली में स्वीकार न किया जाए।

8. न्यायालयीन आदेशों पर FIR नहीं

न्यायाधीश प्रोटेक्शन act 1985 के सन्दर्भ मे शासन द्वारा जारी आदेश 2024 का कड़ाई से पालन किया जाए। हर वो मामला जिसमे अपील का प्रावधान सहिता में निहित हैं तो किसी भी अन्य न्यायालय में परिवाद पेश ना कि जा सके। जिससे FIR कि स्थिति ना बने (केवल न्यायालयीन प्रकरण के सन्दर्भ में)।

9. कोर्ट में उपस्थिति व्यवस्था

न्यायालयीन कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रोटोकॉल ड्यूटी से पृथक व्यवस्था की जाए।

10. लैबोरेटरी भुगतान एवं ऑफर

आउटसोर्सिंग के माध्यम से स्टाफ की नियुक्ति के लिए तहसीलदार को अधिकृत किया जाए।

11. प्रशिक्षित ऑपरेटर की नियुक्ति

Agristack, स्वामित्व योजना, e-Court, भू-अभिलेख जैसे तकनीकी कार्यों के लिए प्रशिक्षित ऑपरेटर नियुक्त किए जाए।

12. SLR/ASLR की बहाली

तहसीलदारों की पर्याप्त संख्या को देखते हुए SLR/ASLR को पुनः भू- अभिलेखीय कार्यों हेतु बहाल किया जाए।

13. व्यक्तिगत मोबाइल नंबर की गोपनीयता

TI की भांति पदेन शासकीय मोबाइल नंबर और डिवाइस प्रदान किया जाए.

14. राजस्व न्यायालयों की सुरक्षा हेतु सुरक्षाकर्मी

जाए. प्रत्येक तहसील में सुरक्षा कर्मी की तैनाती एवं फील्ड भ्रमण हेतु वाहन उपलब्ध कराया।

15. सड़क दुर्घटना मुआवजा की व्यवस्था

सड़क दुर्घटना में तहसीलदारों के माध्यम से आर्थिक सहायता राशि ₹25000 तत्काल मौके पर देने की मांग आती है। परंतु तत्काल में राशि उपलब्ध नहो होती है. उक्त राशि मौके पर दिए जाने के संबंध में शासन से स्पस्ट गाइडलाइन्स जारी हो। इसके अलावा भी अन्य कई घटनाओं में तहसीलदारों से ही मौके पर मुआवजा राशि की अपेक्षा की जाती है। उसके सम्बन्ध में भी गाइडलाइन्स स्पष्ट जारी हो।

16. संघ की सिद्धांत

प्रदेश के समस्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार संघ के सदस्य है। अतः शासन के समक्ष मांगें प्रस्तुत करने व समाधान के लिए वार्ता एवं पत्राचार में संघ को की मान्यता दी जाए।

17. विशेषज्ञ कमिटी का गठन 

प्रदेश में राजस्व न्यायालय के संदर्भ में सलाह व अपनी समस्याओं को प्रस्तुत किये जाने हेतु राजस्व न्यायालय सुदृढ़ीकरण तहत विशेषज्ञ कमिटी/परिषद का गठन किया जाए।

5 दिन की ईडी रिमांड पर रहेंगे चैतन्य बघेल, शराब घोटाले को लेकर होगी पूछताछ

रायपुर- रायपुर से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को ईडी ने गिरफ्तार कर स्पेशल कोर्ट में पेश किया। यहां सुनवाई के बाद कोर्ट से चैतन्य बघेल को पूछताछ के लिए ईडी ने 5 दिन की रिमांड पर लिया है। आपको बता दे आज चैतन्य बघेल का जन्मदिन के बीच सुबह के वक्त ईडी ने भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास में रेड किया। छापामार कार्रवाई के बाद ईडी के अफसरों ने चैतन्य बघेल को हिरासत में लेकर कोर्ट में पेश किया गया।

गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय के एक्शन के बाद एक बार फिर सूबे की राजनीति गरमा गयी है। आज विधानसभा के आखिरी दिन ईडी ने पूर्व सीएम भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास में सुबह के वक्त रेड की कार्रवाई की। ईडी की छापामार कार्रवाई के दौरान ही बघेल के आवास के आसपास के क्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया। उधर ईडी की कार्रवाई के दौरान ही भूपेश बघेल विधानसभा के लिए रवाना हो गये थे। इसी बीच ईडी ने भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को हिरासत में लेकर रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पहुंची।

बताया जा रहा है कि शराब घोटाला मामले में ईडी ने चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी कर उसे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में सुनवाई के बाद चैतन्य बघेल को पूछताछ के लिए 5 दिन के रिमांड पर ईडी के सुपुर्द किया गया है। उधर चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की खबर मिलते ही विधानसभा सत्र के बीच नेता प्रतिपक्ष डाॅ.चरणदास महंत सहित कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाॅक आउट कर दिया। चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर युवा कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ता जमकर प्रदर्शन कर विरोध जता रहे है। मौके की नजाकत को देखते हुए कोर्ट परिसर के साथ ही ईडी कार्यालय के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गयी है।

साई कॉलेज में मनाया गया विश्व युवा कौशल दिवस

अम्बिकापुर- तकनीक और कौशल युवाओं को विकसित भारत के रास्ते पर ले जायेगा। युवा जितना सशक्त होगा देश उतना ही मजबूत होगा। यह बातें विश्व युवा कौशल दिवस के उपलक्ष्य पर श्री साई बाबा आदर्श स्नातकोत्तर महाविद्यालय और नेहरू युवा केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान संस्था के प्राचार्य डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने कही।

मेरा युवा भारत के आयोजन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि नई तकनीकी चुनौतियों के साथ आती हैं जिन्हें सीखना और स्वीकारना होगा। वही तकनीक समाज में युवाओं के बीच स्थायी रहती है जो युवाओं के कौशल विकास में भागीदारी करती है। एआई और डिजीटल कौशल के माध्यम से युवा सशक्तीकरण थीम को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें एआई (कृत्रिम बुद्धि) की ओर जाना होगा जो हमारे ज्ञान में सम्बल है। इससे पहले अतिथियों ने मां सरस्वती और श्री साई नाथ के तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. आर.एन. शर्मा ने कहा कि ज्ञान तकनीकी के रास्ते ही मानवीय बनता है। उसका उपयोग भी मनुष्य के लिए ही है। हम जब तकनीक के साथ काम करते हैं तो सदियों के अनुंसधान हमारे साथ होते हैं।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कम्प्यूटर एंड आईटी के अधिष्ठाता डॉ.विवेक कुमार गुप्ता ने कहा कि तकनीकी को उपयोग और जीवन के लिए उपयोग कीजिये। एआई और डिजीटल दुनिया में ज्ञान का अथाह भंडार है जिसमें अपने मतलब और उपयोग के तथ्यों को तलाशना होगा। तकनीक का उपयोग सकारात्मक भी और नकारात्मक भी है। उन्होंने ऑनलाइन होने वाले डिजीटल अरेस्ट के प्रति सावधान भी किया। डॉ. गुप्ता ने कहा कि परम्परागत अध्ययन से बाहर निकल कर हाईब्रिड अध्ययन की बढ़ना होगा।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ यंग साईंटिस्ट कांग्रेस 2025 में विषय विशेषज्ञ डॉ. शैलेष देवांगन, चांदनी व्यापारी को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक देवेन्द्र दास सोनवानी ने किया। इस अवसर पर शिक्षा विभाग के डॉ. दिनेश शाक्य, डॉ. डॉली शर्मा, डॉ. जसप्रीत तथा सभी प्राध्यापक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

चार बच्चों की डूबने से मौत पर उच्च न्यायालय सख्त, घटना पर स्वत: संज्ञान लिया, मुख्य सचिव से मांगा जवाब

रायपुर/जांजगीर-चांपा- छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में भाई-बहन समेत चार मासूम बच्चों की तालाब में डूबने से हुई मौत के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। इस हृदयविदारक घटना को लेकर अदालत ने राज्य सरकार की जिम्मेदारी तय करते हुए मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब तलब किया है।

गौरतलब है कि बीते शनिवार, जब बच्चे स्कूल से लौट रहे थे, वे पास के एक तालाब में नहाने चले गए और चारों की डूबने से मौत हो गई। यह मामला मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान सामने आया।

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा,

“यह कितनी शर्मनाक बात है कि स्कूल से लौटते समय चार बच्चे पानी में डूब जाते हैं… क्या यह सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं?”

अदालत ने इस घटना के साथ-साथ मीडिया में छपी एक अन्य रिपोर्ट का भी संज्ञान लिया, जिसमें स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर नाले को पार कर स्कूल जाते हुए दिखाया गया था। दोनों घटनाओं पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की गंभीर लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।

मुख्य सचिव को आदेश दिया गया है कि वे व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर बताएं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं।

विधानसभा में जल जीवन मिशन पर गरमा गई सियासत: आंकड़ों की जंग में विपक्ष का वॉकआउट

रायपुर- छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान जल जीवन मिशन को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने योजना के क्रियान्वयन को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे और खर्च की गई राशि व लक्ष्यों की उपलब्धि पर संदेह जताया।

भूपेश बघेल ने पूछा कि वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के दौरान जल जीवन मिशन के तहत कितनी राशि खर्च की गई और कितने घरों तक वास्तव में नल से जल पहुंचाया गया? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई जिलों में योजना के तहत बहुत कम खर्च हुआ और अपेक्षाकृत कम घरों में पानी पहुंच पाया है।

इस पर जवाब देते हुए डिप्टी सीएम और जल संसाधन मंत्री अरुण साव ने कहा कि अब तक ₹15,045 करोड़, यानी कुल 57 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है। 31,16,398 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से जल आपूर्ति की जा रही है, जबकि 3,836 गांवों में पूर्ण रूप से नलजल सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने कहा कि जिलों में राशि का वितरण कार्य प्रगति के अनुसार किया जाता है।

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट भूपेश बघेल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि “डबल इंजन की सरकार” ने अब तक केवल 10 लाख घरों में ही नल से जल पहुंचाया है, जबकि केवल आंकड़े दिखाकर उपलब्धियों का भ्रम पैदा किया जा रहा है।

बघेल ने कहा, “21 लाख घरों में हमारी सरकार ने जल पहुंचाया था, और आप दो साल में केवल 10 लाख जोड़ पाए, क्या यही गति है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने बिना पानी के नल लगाकर कागजों में आंकड़े पूरे किए थे।

इस बहस के दौरान विपक्षी विधायकों ने सरकार पर “आंकड़ों की बाजीगरी” करने का आरोप लगाते हुए जोरदार हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 74 प्रतिशत कार्य पूरा किया गया था, जबकि वर्तमान सरकार ने 20 महीनों में केवल 7 प्रतिशत कार्य किया है।

विपक्ष ने मंत्री अरुण साव के जवाब को भ्रामक बताते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जमीनी सच्चाई छुपाकर आंकड़ों के माध्यम से जनता को गुमराह कर रही है।

जल जीवन मिशन को लेकर विधानसभा में हुई इस बहस ने साफ कर दिया है कि पेयजल की योजना सिर्फ एक तकनीकी नहीं, बल्कि अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आह्वान — 'वेटलैण्ड मित्र' बनें, जैविक विरासत को बचाएं

रायपुर-  जैव विविधता एवं आर्द्रभूमियों (वेटलैण्ड्स) के संरक्षण के उद्देश्य से आज नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्रीद्वय अरुण साव एवं विजय शर्मा सहित कैबिनेट के सभी मंत्री एवं विधायकगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती है। उन्होंने आह्वान किया कि हर जनप्रतिनिधि व नागरिक जैव विविधता एवं वेटलैण्ड संरक्षण के लिए व्यक्तिगत दायित्व समझें और 'वेटलैण्ड मित्र' बनकर इस अभियान को जनांदोलन में परिवर्तित करें।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जैव विविधता और वेटलैण्ड्स का संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि यह हमारी भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल भी है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से जैव विविधता के संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करने और “वेटलैण्ड मित्र” बनकर जनजागरण फैलाने का आग्रह किया।

कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ सम्मिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की संरचना एवं कार्यों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं।

आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि वेटलैण्ड्स पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और जिला स्तरीय आर्द्रभूमि संरक्षण समितियों के गठन की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इन समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर वेटलैण्ड्स की निगरानी एवं संरक्षण को मजबूती मिल रही है।

कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि राज्य का गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित रामसर साइट बनने की पात्रता रखता है। इसके अतिरिक्त, बलौदाबाजार जिले के खोखरा ग्राम को छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रगति पर है।

कार्यशाला के अंत में सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से “वेटलैण्ड मित्र” के रूप में जुड़कर जैव विविधता और आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की गई। यह भागीदारी राज्य में पर्यावरणीय चेतना को जनआंदोलन का रूप देने में सहायक होगी।

इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ़ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ में खाद की कोई कमी नहीं, डीएपी की कमी को पूरा करने एनपीके, एसएसपी और नैनो डीएपी का भरपूर स्टॉक

रायपुर-  राज्य में रासायनिक उर्वरको कोई कमी नहीं हैं। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं नीजि विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वैश्विक परिस्थिति के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरकों की भरपूर आपूर्ति एवं वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

राज्य में डीएपी की आपूर्ति में कमी से किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में 179000 बॉटल नैनो डीएपी, एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। पोटाश के निर्धारित लक्ष्य 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध अब तक 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक म्यूरेट ऑफ पोटाश का भंडारण किया गया है। नैनो डीएपी जो कि ठोस डीएपी के विकल्प के रूप में बीज/थरहा, जड़ उपचार एवं बोआई/रोपाई के पश्चात खड़ी फसल में छिड़काव के लिए उपयोगी है। नैनो डीएपी की निरंतर आपूर्ति राज्य में सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई है।

चालू खरीफ सीजन के लिए डीएपी उर्वरक के निर्धारित 3.10 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1 लाख 63 मेट्रिक टन से अधिक का भंडारण हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति निरंतर जारी है। अभी जुलाई माह में 48 हजार मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति राज्य को होगी। राज्य के सहकारी क्षेत्र में उर्वरकों का भंडारण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया है। राज्य के सहकारी क्षेत्र में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता राज्य की कुल उपलब्धता का 62 प्रतिशत है।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 13.18 लाख मेट्रिक टन का भंडारण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में भंडारित 12.79 लाख मेट्रिक टन से लगभग 38 हजार मेट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष एनपीके और एसएसपी का लक्षित मात्रा से क्रमशः 25,266 मेट्रिक टन एवं 71,363 मेट्रिक टन अधिक भंडारण किया गया है, जो डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राज्य में यूरिया 6 लाख मेट्रिक टन अधिक का भंडारण हुआ है। जुलाई एवं आगामी माह में यूरिया के शेष मात्रा की आपूर्ति होगी।

यहां यह उल्लेखनीय है कि धान में यूरिया का उपयोग तीन बार किया जाता है। प्रथम बार बोआई/रोपाई के समय में, दूसरी बार कंसा निकलने के समय में बोआई/रोपाई से तीन चार सप्ताह बाद एवं तीसरी बार गभोट अवस्था में बोआई/रोपाई के 7 से 8 सप्ताह बाद, इस प्रकार यूरिया का सितम्बर माह के मध्य तक उपयोग किया जाता है। डीएपी उर्वरक का 1.63 लाख मेट्रिक टन भंडारण हुआ है। जुलाई माह के सप्लाई प्लान के अनुसार राज्य को 48 हजार 850 मेट्रिक टन डीएपी और मिलेगी।

कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई माह में 25 हजार टन एनपीके की आपूर्ति संभावित है। एनपीके की अतिरिक्त आपूर्ति को मिलाकर कुल अतिरिक्त एनपीके 50 हजार 266 मेट्रिक टन से 22 हजार मेट्रिक टन डीएपी प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एसएसपी की कुल अतिरिक्त आपूर्ति 1.47 लाख मेट्रिक टन से 50 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति होगी। इस प्रकार राज्य में एनपीके और एसएसपी के अतिरिक्त आपूर्ति से 72 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।


मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण किया गया है।

विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन गड़बड़ियों की गूंज, महेंद्र कर्मा यूनिवर्सिटी भर्ती पर भी उठा सवाल

रायपुर-  छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन में गड़बड़ियों की गूंज साफ सुनाई दी। जहां राजस्व निरीक्षक भर्ती घोटाले को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा, वहीं भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर में की गई नियुक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

प्रश्नकाल के दौरान अजय चंद्राकर ने विश्वविद्यालय में सेटअप अनुसार शैक्षणिक पदों की भर्ती, आरक्षण रोस्टर के पालन, और शिकायतों की स्थिति को लेकर प्रश्न पूछे। इसके जवाब में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बताया कि विश्वविद्यालय में 59 शैक्षणिक पदों के लिए – प्राध्यापक (10), सह प्राध्यापक (19), और सहायक प्राध्यापक (30) की भर्ती हेतु 5 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया गया था। इनमें से 8 विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।

लेकिन अजय चंद्राकर ने आरोप लगाया कि इस भर्ती में भारी अनियमितता की गई है। उन्होंने कहा, “46, 54, 42, 48 वर्ष की आयु के अभ्यर्थियों का चयन कैसे किया गया, जबकि नियमों के अनुसार 40 वर्ष से अधिक आयु वालों की नियुक्ति नहीं की जा सकती?” उन्होंने सदन में मांग की कि सरकार तत्काल पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच की घोषणा करे।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जवाब देते हुए कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर शिकायतें प्राप्त हुई हैं, और इसके संबंध में जांच समिति का गठन किया जा चुका है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

पहले ही दिन सदन में लगातार उठ रहे गड़बड़ी के मामलों से यह स्पष्ट हो गया है कि मानसून सत्र सरकार के लिए चुनौतियों भरा होने वाला है। विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के विधायकों के तेवर ने साफ संकेत दे दिया है कि नियुक्तियों और परीक्षाओं में पारदर्शिता की मांग को लेकर सदन में लगातार आवाज बुलंद की जाएगी।