सातवीं मुहर्रम : इमाम हुसैन ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ी सबसे बड़ी जंग
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गोरखपुर। गुरुवार ‘जिक्रे शुहदाए कर्बला’ महफिलों के नाम रहा। उलमा किराम ने दीन-ए-इस्लाम, शहादत और कर्बला के बाबत विस्तार से बयान किया। सातवीं मुहर्रम को करीब एक दर्जन से अधिक मस्जिदों में ‘जिक्रे शुहदाए कर्बला’ महफिलों का दौर जारी रहा। मुहर्रम की सातवीं तारीख को जालिम यजीदियों ने हजरत इमाम हुसैन व उनके साथियों के लिए पानी पर रोक लगा दी थी। कर्बला का वाकया सुनकर अकीदतमंद इमाम हुसैन की याद में डूब गए। फातिहा ख्वानी हुई। रहमतनगर में लंगरे हुसैनी बांटा गया। वहीं गौसे आजम फाउंडेशन के समीर अली, मो. फैज, रियाज अहमद, मो. जैद, अमान अहमद, मो. जैद कादरी, अहसन खान ने गोरखनाथ में लंगरे हुसैनी बांटा।
महिलाओं की महफिल में लगा या हुसैन, या हुसैन का नारा
सातवीं मुहर्रम को न्यू कॉलोनी तुर्कमानपुर में मुस्लिम महिलाओं की जिक्रे शुहदाए कर्बला महफिल हुई। महिलाओं की जुबां पे या हुसैन, या हुसैन का नारा जारी रहा। मुख्य वक्ता शिफा खातून ने कहा कि अल्लाह के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी जंग लड़ी और इंसानियत व दीन-ए-इस्लाम को बचाने के लिए अपने साथियों की कुर्बानी दी। शहादत-ए-इमाम हुसैन ने दीन-ए-इस्लाम की अजमत को कयामत तक के लिए बचा लिया। पूरी दुनिया को पैगाम दिया कि अन्याय व जुल्म के सामने सर झुकाने से बेहतर है सर कटा दिया जाए। यह पूरी दुनिया के लिए त्याग व कुर्बानी की बेमिसाल शहादत है। महफिल में सना फातिमा, सादिया नूर, फिजा खातून, शिफा नूर, अलीशा खान, गुल अफ्शा खातून, मुबश्शिरा, मुअज्जमा आदि मौजूद रहीं।
जाफरा बाजार में लगी पोस्टर प्रदर्शनी 'हमारे हैं हुसैन'
जाफरा बाजार में पोस्टर प्रदर्शनी 'हमारे हैं हुसैन' लगाई गई। लोगों को इमाम हुसैन की तालीमात से अवगत कराया गया। कारी मुहम्मद अनस रजवी व हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि जालिम यजीद को सत्य से हमेशा भय रहा, इसलिए अपनी कूटनीति से उसने कर्बला के मैदान में पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के परिवारजन एवं समर्थकों को अपनी फौज से तीन दिनों तक भूखा प्यासा रखने के बाद शहीद करा दिया। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया है कि कोई बंदा मोमिने कामिल तब तक नहीं हो सकता जब तक कि मैं उसको उसकी जान से ज्यादा प्यारा न हो जाऊं और मेरी औलाद उसको अपनी जान से ज्यादा प्यारी न हो और मेरे घराने वाले उसको अपने घराने वालों से ज्यादा महबूब न हों।
महफिल जिक्रे शुहदाए कर्बला जारी
गाजी मस्जिद गाजी रौजा में महफिल जिक्रे शुहदाए कर्बला के तहत मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन ने कहा कि अहले बैत (पैगंबर के घर वाले) से मुहब्बत करने वाला जन्नत में जाएगा। हजरत इमाम हुसैन की शहादत हमें इंसानियत का शिक्षा देती है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि जो शख्स अहले बैत से दुश्मनी रखता है वह मुनाफिक है।
रसूलपुर जामा मस्जिद में मौलाना जहांगीर अहमद ने कहा कि इस्लाम की तारीख शहादतों से भरी पड़ी है। पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए इस्लाम को समझना है तो पहले कर्बला को जानना बेहद जरूरी है। इमाम हुसैन हक की जंग तभी जीत गए थे जब सिपहसालार ‘हुर' यजीद की हजारों की फौज छोड़कर मुट्ठी भर हुसैनी लश्कर में अपने बेटों के साथ शामिल हो गए थे। हुर जानते थे कि इमाम हुसैन की तरफ जन्नती लोग हैं और यजीद की तरफ जहन्नमी लोग हैं।
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद ने कहा कि इमाम हुसैन के साथ मक्का शरीफ से इराक की ओर सफर करने वालों में आपके तीन पुत्र हजरत अली औसत (इमाम जैनुल आबेदीन), हजरत अली अकबर, छह माह के हजरत अली असगर शामिल थे। इमाम हुसैन के काफिले में कुल 91 लोग थे। जिसमें 19 अहले बैत (पैगंबरे इस्लाम के घर वाले) और अन्य 72 जांनिसार थे। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, अमान व तरक्की की दुआ मांगी गई।
Jul 04 2025, 19:00