ढाई साल की जगह अब छह माह में ठीक होगे टीबी मरीज
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नितेश श्रीवास्तव,भदोही। जिले में क्षय रोग पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रेजिमन से मरीजों के उपचार की व्यवस्था शुरू की है। जिले में बीपाल एम रेजिमेन से चार मरीजों का उपचार चल रहा है। पहले एमडीआर यानि जटिल टीबी मरीजों का उपचार नौ से 27 महीने तक चलता था, लेकिन अब बीपाल एम रेजिमेन से महज छह महीने में मरीज को बीमारी से मुक्ति मिल जाएगी। जिले में 1,346 टीबी मरीजों का उपचार चल रहा है। इसमें से 51 टीबी के जटिल मरीज हैं। हाल ही में टीबी मुक्त अभियान में प्रदेश सरकार द्वारा जारी रैंकिंग में जिले को प्रदेश में पहला स्थान मिला था। जिले के 546 से 245 गांव टीबी मुक्त हो चुके हैं।
इन मरीजों को बीपाल की दवा
- मरीज की उम्र 14 साल से अधिक हो।
- मरीज डीआरटीबी की दवा एक माह से कम ली हो।
- पुरुष मरीज की क्यूटीसी (ईसीजी) 450 और महिला की क्यूटीसी 470 से अधिक न हो।
- गर्भवती न हो, बच्चे को दूध पिलाने वाली मां न हो, यदि गर्भवती है तो एमटीपी के लिए सहमति जरूरी है।
इस स्थिति में जरूरत पड़ने पर बंद होगी रेजिमन
फॉओअप मरीज का उपचार के दौरान 2, 3, 4, 5 और 6वें महीने के सैंपल समय से जांच के लिए भेजा जाएगा। इसके अलावा बीपाल रेजिमेन शुरू करने से पहले मरीज का बेसलाइड सीडीएसटी सैंपल भेजा जाता है। यदि बेसलाइन सैंपल में किसी दवा से रजिस्टेंसन आता है, तो बीपाल रेजिमेन बंद करनी होगी। चौथे माह के बाद कोई फॉलोअप सैंपल पॉजीटिव होने की दशा में या किसी दवा से ग्रेड 3 व 4 के साइड इफैक्ट होने की दशा में बीपाल रेजिमेन बंद किया जाएगा।
बीपाल एम रेजिमेन से पहली बार टीबी मरीजों का उपचार शुरू हुआ है। यह दवा बाजार में नहीं मिलती है। इसका चार कांबिनेशन है। इसमें से तीन दवा सरकारी अस्पताल में और एक दवा बाहर मिलती है। - डॉ. विवेक श्रीवास्तव, जिला क्षय रोग अधिकारी, भदोही।
Jun 18 2025, 17:25