मुसलमानों के तीसरे खलीफा हजरत उस्मान गनी की बयां हुई दास्तान
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रविवार 15 जून को है उर्स-ए-पाक, खूब इसाले सवाब करें : उलमा किराम
गोरखपुर। मुसलमानों के तीसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हजरत उस्मान गनी रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक रविवार 15 जून को है। इसी सिलसिले में शुक्रवार को शहर की कई मस्जिदों में जुमा की नमाज से पहले मस्जिद के इमामों ने हजरत उस्मान गनी की हालाते जिंदगी पर रोशनी डाली। उन्होंने अवाम से हजरत उस्मान गनी के नाम खूब इसाले सवाब करने और उनकी जिंदगी के बारे में पढ़ने की अपील भी की।
मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि हजरत उस्मान गनी मुसलमानों के तीसरे खलीफा हैं। आपका नाम उस्मान और लकब गनी, जामे-उल-कुरआन और जु़न्नूरैन वगैरह है। आपके निकाह में एक के बाद एक नबी-ए-पाक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दो बेटियां आईं इसी वजह से आपको जु़न्नूरैन यानी दो नूरों वाला कहा जाता है। आपने कुरआन-ए-पाक को किताबी शक्ल में जमा फरमाया इसलिए आपको जामे-उल-कुरआन (कुरआन जमा करने वाला) भी कहा जाता है।
सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि हजरत उस्मान गनी की पैदाइश हाथी वाले वाक्ये के छह साल बाद यानी हिजरते नबवी से 47 साल पहले हुई। आप मुसलमानों के पहले खलीफा हजरत अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु की कोशिश से इस्लाम लाकर मुसलमान हुए। इस्लाम लाने वालों में आप चौथे नंबर पर हैं। आप उन खुशनसीब सहाबा में से हैं जिन्हें दुनिया में ही नबी-ए-पाक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जन्नत की खुशखबरी दे दी थी। नबी-ए-पाक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर नाजिल होने वाली सच्ची किताब कुरआन-ए-पाक की आयतों को आप लिखा करते थे। यानी आप कातिबीन-ए-वही में भी शामिल हैं।
शाही मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम हाफिज आफताब आलम ने कहा कि हजरत उस्मान गनी की फजीलत में बहुत सारी हदीसें आईं हैं। आखरी नबी हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया : "हर नबी का एक रफीक होता है और जन्नत में मेरे रफीक हजरत उस्मान गनी हैं।" आपने 136 हदीसें रिवायत की हैं, यानी आगे उम्मत तक पहुंचाई हैं। आपने तिजारत का पेशा इख्तियार किया और ईमानदारी व दयानत के साथ अपनी तिजारत को खूब फरोग दिया। आपने मुख्तलिफ अहम मौकों पर दीन-ए-इस्लाम की मदद के लिए अपनी दौलत पेश की। मुसलमानों की मदद के लिए अकाल के जमाने में आपने एक यहूदी से कुआं खरीद कर वक्फ किया।
सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा के इमाम हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि मुसलमानों के दूसरे खलीफा हजरत उमर रदियल्लाहु अन्हु के बाद हजरत उस्मान गनी रदियल्लाहु अन्हु मुसलमानों के तीसरे खलीफा बने। बारह साल तक आप मुसलमानों के खलीफा रहे। शहादत के वक्त आपकी उम्र बयासी साल थी। 18 जिल हिज्जा 35 हिजरी जुमा के दिन नमाज-ए-असर के बाद आपकी शहादत हुई। शहादत के वक्त आप कुरआन-ए-पाक की तिलावत फरमा रहे थे।
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि दीन-ए-इस्लाम हजरत उस्मान गनी जैसी मुकद्दस हस्तियों के जरिए हम तक पहुंचा है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बुजुर्गों को याद करें और आने वाली नस्लों को इन मुकद्दस हस्तियों के बारे में बताएं। इस साल रविवार 15 जून को हमारे तीसरे खलीफा हजरत उस्मान गनी रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक है लिहाजा अपने घर में फातिहा ख्वानी, कुरआन ख्वानी और महफिल-ए-मिलाद का एहतमाम करें और अपने बच्चों को हजरत उस्मान गनी रदियल्लाहु अन्हु के बारे में जरूर बताएं।
Jun 13 2025, 18:09