मुख्यमंत्री से मिला मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल

रांची,झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से आज कांके रोड स्थित उनके आवासीय कार्यालय में मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के 51 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपकर मरांङ बुरू (पारसनाथ) पीरटांड, गिरिडीह, झारखंड को संथाल आदिवासियों के धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में संरक्षित करने और इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी ग्राम सभा को सौंपने से संबंधित महत्वपूर्ण मांगें रखीं।

प्रतिनिधिमंडल में विशेष रूप से दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री श्री फागू बेसरा, मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति (संथाल समाज) के अध्यक्ष श्री रामलाल मुर्मू और साहित्यकार श्री भोगला सोरेन उपस्थित थे।

संथाल समुदाय के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को बताया कि मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) सदियों से संथाल समुदाय द्वारा ईश्वर के रूप में पूजा जाता रहा है। उन्होंने छोटानगपुर काश्तकारी अधिनियम 1908, सर्वे भूमि अधिकार अभिलेख, कमीश्नरी कोर्ट, पटना हाई कोर्ट और प्रीवी कौंसिल कोर्ट से प्राप्त अपने प्रथागत अधिकार (Customary right) का हवाला देते हुए झारखंड सरकार से मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) को संथालों का धार्मिक तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की।

समिति की अन्य प्रमुख मांगें:

आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम: समिति ने मांग की कि भूमि एवं धार्मिक स्थल संविधान के अनुसार राज्यों का विषय है, इसलिए झारखंड सरकार आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांङ बुरू, लुगू बुरू, अतु/ग्राम, जाहेर थान (सरना), माँझी थान, मसना, हड़गडी आदि की रक्षा के लिए एक आदिवासी धार्मिक स्थल संरक्षण अधिनियम बनाए।

एक तरफा आदेश रद्द करने की मांग:

प्रतिनिधिमंडल ने भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 05 जनवरी 2023 के संशोधन मेमोरेंडम पत्र और झारखंड सरकार के पर्यटन, कला, संस्कृति विभाग के 22.10.2016 तथा 21.12.2022 के दिशा-निर्देश को रद्द करने की मांग की, जिसमें मरांङ बुरू (पारसनाथ पहाड़) को केवल जैन समुदाय का सम्मेद शिखर विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बताया गया है। इसे समिति ने जैन समुदाय के पक्ष में एकतरफा और असंवैधानिक आदेश करार दिया।

सामुदायिक वन भूमि अधिकार: समिति ने मांग की कि मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) के संरक्षण, प्रबंधन, निगरानी, नियंत्रण और अनुश्रवण की जिम्मेदारी वहां के आदिवासियों की ग्राम सभा को सौंपी जाए, जो सुप्रीम कोर्ट के केस संख्या 180/2011 और अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 3 के तहत सामूहिक वन भूमि अधिकार पर आधारित है।

इको सेंसिटिव जोन की घोषणा रद्द हो: समिति ने केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 02 अगस्त 2019 की अधिसूचना संख्या 2795 (अ) के तहत मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) को पारिस्थितिकी संवेदी जोन (Eco Sensitive Zone) घोषित करने को असंवैधानिक बताया और इसे रद्द करने की मांग की। उन्होंने संथाल आदिवासियों के प्रथागत अधिकार को संरक्षित करने की भी मांग की।

राजकीय महोत्सव की घोषणा:

समिति ने मांग की कि मरांङ बुरू युग जाहेर, वाहा-बोंगा पूजा महोत्सव फागुन शुल्क पक्ष तृतीय तिथि को राजकीय महोत्सव घोषित किया जाए।

अवैध अतिक्रमण हटाना: प्रतिनिधिमंडल ने मरांङ बुरू (पारसनाथ पर्वत) पर जैन समुदाय द्वारा वन भूमि पर अवैध रूप से निर्मित मठ-मंदिर, धर्मशाला आदि को अतिक्रमण मुक्त करने की भी मांग की।

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने मरांङ बुरू बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों पर विधिसम्मत यथोचित कार्रवाई की जाएगी। इस अवसर पर झारखंड, उड़ीसा, बंगाल और छत्तीसगढ़ के बुद्धिजीवी सदस्य शामिल थे।

बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का स्पेशल प्लान: धनबाद और रांची में IT सेंटर स्थापित करने की तैयारी

2026 के मार्च में संभावित पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी रणनीतिक तैयारियों को तेज कर दिया है। पार्टी अब बंगाल से सटे झारखंड के दो प्रमुख शहरों – धनबाद और रांची – में स्पेशल IT सेंटर स्थापित करने जा रही है।

क्या है भाजपा का प्लान?

IT सेंटर की स्थापना: ये सेंटर मतदाताओं तक डिजिटल माध्यम से संदेश पहुंचाने का कार्य करेंगे। सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिये चुनाव प्रचार को मजबूती दी जाएगी।

डाटा कलेक्शन और रिसर्च: इन सेंटरों में सीटवार रणनीति तैयार करने के लिए मतदाता डेटा, सामाजिक समीकरण और मुद्दों पर रिसर्च की जाएगी।

बड़े नेताओं की आवाजाही के लिए बेस: बोकारो, धनबाद और रांची का उपयोग पुरुलिया व आसपास के बंगाल क्षेत्रों में नेताओं की आवाजाही के लिए बेस कैंप के रूप में होगा।

रांची में होगी अहम बैठक

इस महीने बंगाल भाजपा के वरिष्ठ नेता रांची पहुंचकर झारखंड प्रदेश के भाजपा नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में आगामी चुनाव की ग्राउंड रणनीति तैयार की जाएगी।

क्यों अहम हैं ये सेंटर?

झारखंड की सीमा बंगाल से लगती है, जिससे भौगोलिक और सांस्कृतिक जुड़ाव बनता है।

धनबाद और रांची में भाजपा का मजबूत सांगठनिक ढांचा है, जिसे बंगाल चुनाव के लिए सपोर्ट सिस्टम के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मेधा डेयरी प्लांट में मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को रांची के होटवार में मेधा डेयरी प्लांट में राज्य के पहले मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री के संबोधन की मुख्य बातें:

- किसानों की आयद बढ़ाने के लिए सरकार की योजनाएं: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

- व्यवसायिक खेती का महत्व: मुख्यमंत्री ने व्यवसायिक खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

- पर्यावरण और कृषि: मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि ही एक ऐसा सेक्टर है जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

मिल्क पाउडर प्लांट की विशेषताएं:

- 80 करोड़ की लागत: मेधा डेयरी प्लांट में बनने वाले मिल्क पाउडर प्लांट की लागत 80 करोड़ रुपये है।

- 20 मीट्रिक टन क्षमता: इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन 20 मीट्रिक टन मिल्क पाउडर का उत्पादन करने की है।

- आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम: मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्लांट के बनने से राज्य दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा और निर्यात करने में भी सक्षम होगा।

किसानों के लिए सरकार की पहल:

- धान और दूध की सरकारी खरीद: सरकार धान और दूध की सरकारी खरीद कर रही है, जिससे किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य मिल सके।

- पशुपालन बीमा: सरकार पशुपालकों को बीमा युक्त पशुधन दे रही है, जिससे उन्हें किसी तरह का आर्थिक नुकसान न हो।

- दुग्ध संग्रहण केंद्र: सरकार दुग्ध संग्रहण केंद्र बढ़ाने की योजना बना रही है, जिससे किसानों और पशुपालकों को दूध के लिए बाजार उपलब्ध हो सके और उन्हें उचित कीमत मिल सके।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने MS धोनी का जिक्र कर किसानों को दी स्वावलंबन की प्रेरणा


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि किसान का खेतीबाड़ी के माध्यम से जीवन यापन होता है। देश की अर्थ व्यवस्था में भी किसानों की भूमिका है। देश के एक नेता ने एक नारा दिया था जय जवान जय किसान। यह कितना ताकतवर नारा है, अगर सही मायने में हम इसको समझ पाएं। इससे अच्छा आज की दुनिया में और कुछ नहीं है। खेती और पशुपालन मानव जीवन की एक ऐसी व्यवस्था है, इसमें कोई नुकसान नहीं है। सिर्फ फायदा ही फायदा है। बहुत सारे उद्योग धंधे चल रहे हैं। इनसे कोई न कोई नुकसान जरूर नहीं है। पर्यावरण को नुकसान होता है, हमें भी परेशानी होती है, लेकिन खेती से न तो पर्यावरण को और न ही मनुष्यों को नुकसान होता है।

सीएम हेमंत सोरेन शुक्रवार को होटवार के टाना भगत स्टेडियम में मेधा पाउडर प्लांट का शिलान्यास करने के बाद किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूरे देश में लोग व्यक्तिगत रूप से खेती कर उसे व्यवसाय के रूप में भी आगे बढ़ा रहे हैं। हमारे राज्य के क्रिकेटर एमएस धोनी भी खेतीबाड़ी करते हैं और उनके खेत का उत्पाद विदेशों में भी बेचा जाता है।

उन्होंने कहा कि जब क्रिकेट खेलने वाले एक व्यस्त व्यक्ति खेतीबाड़ी कर सकते हैं, तो हम क्यूं नहीं?। हम तो 24 घंटे खेत-खलिहान में ही रहते हैं। मेहनत से किया हुआ काम हमेशा अच्छा फल देता है, इसलिए किसान सरकार की योजनाओं का लाभ लेते हुए स्वावलंबी बने।

सीएम ने कहा अब गांव-देहात में कमजोर बच्चे पैदा होने को मजबूर होते हैं, महिलाओं में खून की कमी होती है, लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। पहले हमारे गांव में पशुपालन व्यवस्था समृद्ध रहती थी। अगर पशुधन घर में रहे, तो परिवार का कोई सदस्य कमजोर नहीं रह सकता है। वर्तमान में महंगाई तेजी से बढ़ रही है, लेकिन किसानों की आय नहीं बढ़ रही है। किसानों को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। सरकार किसानों के साथ खड़ी है। आय का स्रोत बढाने के लिए विभाग प्रयासरत है और कई योजनाएं बना रहे हैं, ताकि किसान स्वावलंबी हो सकें। किसानों का धान और दूध सरकार खरीदती है।

पशुओं का हो रहा बीमा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पहले पशुओं का वितरण काम चलाऊ था। जानवर वितरण का कोई लेखाजोखा नहीं था। लेकिन अब सरकार किसानों को मुर्गी, बकरी, गाय, सुअर का बीमा करा रही है, क्योंकि जानवरों को बीमारी होती है और उसकी मौत हो जाती है।ऐसी घटना होने पर किसानों की लागत बैंक से वापस दिया जाएगा, ताकि फिर से पशुपालन किया जा सके। राज्य में प्रखंडों में दूध संग्रहण का कार्य हो रहा है। दूध संग्रहण सेंटर को पंचायत स्तर पर पहुंचाया जाएगा।

अलग राज्यों से मिलावटी पनीर और खोआ बेचा जा रहा है और लोगों की जान खतरे में डाला जा रहा है। हम अपने राज्य में इसका उत्पादन बढ़ा लें, तो हमें मिलावट दही, दूध और पनीर खाने की क्या आवश्यकता होगी। अंडा, मछली और मीट को लेकर हम दूसरे राज्यों निर्भर रहते थे। लेकिन अगले पांच साल में इन सभी क्षेत्रों में राज्य आत्मनिर्भर हो जाएगा।

दूध संग्रहण केंद्रों की संख्या बढ़ानी होगी: कृषि मंत्री

कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि 80 करोड़ की लागत से प्रति दिन 20 मीट्रिक टन क्षमता वाले इस प्लांट से दूध के अतिरिक्त संग्रहण को मिल्क पाउडर बनाने में मदद मिलेगी। अबतक अतिरिक्त दूध को मिल्क पाउडर में बदलने के लिए असम- छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पर निर्भर रहना पड़ता था। लेकिन होटवार स्थित मेधा प्लांट परिसर में ही दूध को मिल्क पाउडर में आसानी से बदला जाएगा।

मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि अभी मेधा ढाई लाख लीटर प्रतिदिन दूध कर रहा है। झारखंड में प्रतिदिन करीब 60 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में दूध संग्रहण केंद्र की संख्या बढानी होगी। राज्य में 32 हजार गांव है जबकि दूध संग्रहण केंद्र की संख्या 12 सौ है। बिचौलिया गांव में पशुपालकों से मनमाने दर पर दूध का उठाव करते है।

पशुपालकों को सरकार प्रति लीटर पांच रुपये प्रोत्साहन राशि दे रही है, ताकि उनकी मेहनत का अधिक से अधिक पैसा उनकी जेब में जा सके। इस दौरान कई पशुपालकों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान भी मंच से किया गया। इस दौरान कृषि सचिव अबु बक्कर सिद्दीख, एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह, जेएमएफ के एमडी जयदेव विश्वास, विशेष सचिव प्रदीप हजारी सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

सिरमटोली फ्लाईओवर का उद्घाटन आदिवासियों केलिए धोखा है,बाबूलाल मरांडी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर बड़ा निशाना साधा।

श्री मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 जून को गुपचुप तरीके से सिरमटोली फ्लाइओवर का लोकार्पण किया, जिससे आदिवासी समाज ठगा हुआ महसूस कर रहा है।

कहा कि यह लोकार्पण पर्यावरण दिवस के दिन किया गया, लेकिन विडंबना यह रही कि प्रकृति और पर्यावरण के उपासक आदिवासी समाज की भावनाओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।

कहा कि सिरमटोली फ्लाइओवर,राजधानी रांची के यातायात को जरूर सुगम बनाएगा, लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने से ही पास स्थित पवित्र सरना स्थल के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा था।

कहा कि आदिवासी समाज की धार्मिक आस्थाओं की अनदेखी कर, बिना कोई वैकल्पिक समाधान निकाले इस फ्लाइओवर का उद्घाटन करना आदिवासियों के साथ धोखा है।

कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन विकास की दौड़ में आदिवासी समाज की अस्मिता, आस्था और परंपराओं का सम्मान भी उतना ही जरूरी है।

मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने जगन्नाथ मंदिर में दर्शन और पूजा की, जमीन पर बैठकर लोगों के साथ ग्रहण किया भोग

झारखंड सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह आज जमीन पर बैठकर लोगों के साथ भोग खाती दिखीं. मंदिर परिसर की उनकी तस्वीरों को लोग लाइक कर रहे हैं. बता दें कि मंत्री दीपिका आज निर्जला एकादशी के अवसर पर रांची स्थित ऐतिहासिक धुर्वा जगन्नाथ मंदिर में दर्शन और पूजा करने पहुंची थी.

जमीन पर बैठकर खाया प्रभु का प्रसाद

उन्होंने भगवान श्री जगन्नाथ जी की विधिवत पूजा-अर्चना कर समस्त झारखंडवासियों के सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की. पूजा करने के बाद उन्होंने अन्य श्रद्धालुओं और भक्तों के संग जमीन पर बैठकर प्रभु का महाभोग प्रसाद ग्रहण किया. इसकी तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा की हैं-

विश्व पर्यावरण दिवस पर पीवीयूएनएल की हरित पहल: वृक्षारोपण और प्रभात फेरी का आयोजन

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पतरातू विद्युत उत्पादक निगम लिमिटेड (PVUNL) में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस विशेष अवसर पर वृक्षारोपण एवं प्रभात फेरी का आयोजन कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया।

कार्यक्रम की मुख्य बातें:

- प्रभात फेरी: कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात फेरी से हुई, जिसमें पीवीयूएनएल के अधिकारीगण, कर्मचारीगण एवं GEM की प्रतिभागी बालिकाएं शामिल हुईं।

- वृक्षारोपण: इस अवसर पर कई औषधीय एवं छायादार वृक्ष लगाए गए।

- पर्यावरण संरक्षण का संदेश: श्री आर.के. सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पीवीयूएनएल ने पर्यावरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “स्वच्छ और हरित पर्यावरण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”

- बालिका सशक्तिकरण मिशन की सहभागिता: कार्यक्रम में बालिका सशक्तिकरण मिशन (GEM) की प्रतिभागियों की सहभागिता ने आयोजन को विशेष रूप से जीवंत बना दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:

- श्री आर.के. सिंह, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पीवीयूएनएल

- श्रीमती रीता सिंह, अध्यक्ष, स्वर्णरेखा महिला समिति

- श्री मनीष खेतराल, महाप्रबंधक (ओ एंड एम)

- श्री जियाउर रहमान, प्रमुख मानव संसाधन

पीवीयूएनएल की पहल:

पीवीयूएनएल परिवार द्वारा किया गया यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर पीवीयूएनएल, पतरातू में आयोजित हुआ कवि सम्मेलन

पतरातू विद्युत utpadan निगम लिमिटेड (PVUNL) में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य जहां एक ओर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता फैलाना था, वहीं दूसरी ओर मनोरंजन के माध्यम से सामाजिक सरोकारों को भी प्रस्तुत करना रहा।

इस अवसर पर प्रसिद्ध राष्ट्रीय हास्य कवि डॉ. निवेदिता शर्मा, दीपक दनादन (भोपाल), और डॉ. अनिल बाजपेई की शानदार जोड़ी ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को खूब हँसाया और सोचने पर भी मजबूर किया। हास्य और व्यंग्य से भरपूर इस संध्या में पर्यावरण, सामाजिक विसंगतियों और आम जीवन से जुड़े मुद्दों को सशक्त शब्दों में प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम में स्वर्णरेखा महिला समिति की अध्यक्षा श्रीमती रीता सिंह, महाप्रबंधक (ओ एंड एम) श्री मनीष खेतरपाल, मानव संसाधन प्रमुख श्री जियाउर रहमान समेत पीवीयूएनएल के अन्य अधिकारी, कर्मचारी एवं उनके परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कवि सम्मेलन ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय को जनमानस तक पहुंचाने का एक प्रभावी माध्यम भी सिद्ध हुआ।

मंईयां सम्मान योजना को लेकर आ गया एक और बड़ा अपडेट, जानें क्या है

रांची। मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना अंतर्गत रांची जिला में लाभुकों को अप्रैल महीने की 2500 रुपए की सम्मान राशि उनके खाते में हस्तांतरित कर दी गई है।

प्रथम चरण में जिला में कुल 3 लाख 40 हजार 63 लाभुकों के खाते में 85 करोड़ 01 लाख 57 हजार 500 की राशि का आधार बेस्ड भुगतान किया गया है।

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना अंतर्गत लाभुकों की संख्या निम्न है, जिन्हें अप्रैल माह की सम्मान राशि (2500) रुपये उनके खाते में हस्तांतरित की गयी है।

*आधार सीडिंग कराने की अपील की गई


जिन लाभुकों का आवेदन पूर्व में स्वीकृत है और उन्होंने अपना आधार सीडिंग बैंक खाते से नहीं कराया है, वैसे लाभुकों से उपायुक्त द्वारा अपना आधार सीडिंग कराने की अपील की गई है ताकि उन्हें योजना का लाभ सुनिश्चित किया जा सके।

जिला में भौतिक सत्यापन का कार्य जारी है, अतिशीघ्र भौतिक सत्यापन का कार्य संपन्न होने के पश्चात शेष सुयोग्य लाभुकों को योजना का लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।

वैसे लाभुक जिनका भौतिक सत्यापन लंबित है, वो आंगनबाड़ी सेविका से संपर्क कर तथा सत्यापन प्रपत्र प्राप्त कर अपने भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

चुनाव आयोग की नई प्रणाली: इंडेक्स कार्ड और सांख्यिकीय रिपोर्ट को तेजी से साझा करने के लिए सुव्यवस्थित

मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार एवं चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू एवं डॉ. विवेक जोशी की अध्यक्षता में चुनाव आयोग ने चुनावों के संचालन के बाद इंडेक्स कार्ड और विभिन्न सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक सुव्यवस्थित, प्रौद्योगिकी-संचालित प्रणाली लागू की है। यह उन्नत तंत्र पारंपरिक मैनुअल तरीकों की जगह लेगा, जिनमें अक्सर समय लगता था और देरी होने की संभावना बनी रहती थी। स्वचालन और डेटा एकीकरण का लाभ उठाकर, नई प्रणाली तेजी से रिपोर्टिंग सुनिश्चित करती है।

इंडेक्स कार्ड एक गैर-सांविधिक, चुनाव के बाद का सांख्यिकीय रिपोर्टिंग प्रारूप है जिसे भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं, पत्रकारों और आम जनता सहित सभी हितधारकों के लिए निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर चुनाव से संबंधित डेटा की पहुंच को बढ़ावा देने के लिए एक स्वप्रेरित पहल के रूप में विकसित किया गया है।

उम्मीदवारों, मतदाताओं, डाले गए वोटों, गिने गए वोटों, पार्टीवार और उम्मीदवार-वार वोट शेयर, लिंग-आधारित मतदान पैटर्न, क्षेत्रीय भिन्नता और राजनीतिक दलों के प्रदर्शन जैसे कई आयामों में डेटा प्रसारित करने के लिए डिज़ाइन किया गया, इंडेक्स कार्ड लोकसभा चुनावों के लिए लगभग 35 सांख्यिकीय रिपोर्ट और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए 14 रिपोर्ट तैयार करने का आधार बनता है।

ये रिपोर्टें राज्य/संसदीय क्षेत्र/विधानसभा क्षेत्र-वार मतदाता विवरण, मतदान केंद्रों की संख्या, राज्य और निर्वाचन क्षेत्र-वार मतदाता मतदान, महिला मतदाताओं की भागीदारी, राष्ट्रीय/राज्य दलों और पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP) का प्रदर्शन, विजेता उम्मीदवारों का विश्लेषण, विस्तृत निर्वाचन क्षेत्र-वार परिणाम, और सारांश डेटा रिपोर्ट जैसे चरों को कवर करती हैं।

यह समृद्ध, डेटा-संचालित संसाधन गहन चुनावी अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाता है जो एक मजबूत लोकतांत्रिक विमर्श में योगदान देता है। हालांकि, ये सांख्यिकीय रिपोर्टें केवल शैक्षणिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए हैं और इंडेक्स कार्ड के द्वितीयक डेटा पर आधारित हैं, जबकि प्राथमिक और अंतिम डेटा संबंधित रिटर्निंग अधिकारियों द्वारा बनाए गए वैधानिक प्रपत्रों में रहता है।

पहले, यह जानकारी विभिन्न वैधानिक प्रपत्रों का उपयोग करके भौतिक इंडेक्स कार्ड में निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर मैन्युअल रूप से भरी जाती थी। इन भौतिक इंडेक्स कार्ड का उपयोग बाद में सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने की सुविधा के लिए ऑनलाइन प्रणाली में डेटा प्रविष्टि के लिए किया जाता था। यह मैनुअल, बहु-स्तरीय प्रक्रिया समय लेने वाली थी और अक्सर डेटा की उपलब्धता और प्रसार में देरी का कारण बनती थी।